पिंकी और रतन की सगाई संपन्न हुई।।।सारे लोगों को व्यस्तता का जो बहाना मिला था चूक गया,, सारे रस भरे दिन चूक गये,रसोइये ने अपने साजो सामान को समेटा ,तगडा नेग लिया और चलता बना,एक एक कर मेहमानो ने भी जाना शुरु कर दिया।।
पर ऐसे मौकों पे कुछ ऐसे मेहमान भी आते हैं,जो आते ही लम्बा टिकने के लिये हैं,,ऐसी ही एक मेहमान थी राज की अम्मा की चचेरी बहन शन्नो मौसी।।।
शन्नो मौसी का वहाँ टिकने का मुख्य उददेश्य था,राज भैय्या की शादी।। एक तो कान्यकुब्ज ब्राम्हण परिवारों में मिलने वाला ऊँचा दहेज उसपे उनकी सहेली की ननंद की भतीजी जिसके फूफा स्वयं जज महोदय . अब ऐसा जानदार रिश्ता कोई हाथ से निकलने दे सकता है क्या,,कम से कम शन्नो मौसी जैसी व्यवहार कुशला और सामाजिक महिला तो बिल्कुल नही।।
राज की अम्मा पहले ही रूपा की बहन रेखा को लेकर परेशान थी,अब शन्नो जिज्जी एक नया फसाद लिये खड़ी थी,,पर इन सबसे बेखबर राज भैय्या अपने में मगन थे।।।
राज भईया का सारा दिन जिम मे पसीना बहाने बहवाने मेंनिकल जाता और रात थोड़ा बहुत किताबें खोलने में ।।
राज भैय्या ऐसे जीव थे जिन्हें ज्यादा सोचने की आदत नही थी,जो बात उन्हें एक बार में समझ नही आती,उसे वो दुबारा पलट के भी नही देखते।। ऐसा नही था कि वो दिमाग से पैदल थे,पर बात ये थी कि उन्होनें आज तक ये नही जाना था कि दिमाग संभाल कर तिजोरी में रखने की वस्तु नही बल्कि दिल खोल कर खर्च करने की चीज़ है,और जितना ही उसे खर्चोगे उतनी ही बढेगी।।पर उनकी इस खूबी को प्रिया ने पकड़ लिया।।।
प्रिया इतने दिनों की राज की संगत में ये बात समझ गई कि राज को पढ़ाई बोल कर पढ़ाने पर उसका डब्बा गोल ही होना है,इसिलिए उसने राज को अलग ढंग से पढ़ाना शुरु कर दिया,,इतिहास में उसने सिलसिलेवार सन लिख कर उन उन काल में हुई घटनाओं दुर्घटनाओं की कहानी सी तैयार की और जिम में वर्क आउट करते हुए वो राज को सतत उन कहानियों का स्मरण और पाठ कराती,जल्दी ही राज को सारा सब कुछ कंठस्थ होने लगा,कब प्रथम महायुद्ध हुआ,किसके बीच हुआ,,पहली सभ्यता का नाम,गान्धी जी का कब स्वदेश आगमन हुआ से लेकर कब गोलमेज सम्मेलन हुआ,और कब हमे आज़ादी मिली,कब हमारा संविधान तैयार हुआ।।
जब एक बार किसी इन्सान को दिमागी मेहनत करने की आदत हो जाती है तो इससे इतर अन्य कोई कार्य रुचिकर नही लगता।।ये सब पढ़ते हुए राज को ऐसी रूचि उत्पन्न हुई कि अब उसकी दिमागी खुराक के लिये बारहवीं के सिलेबस की रसद कम पड़ने लगी,अब राज खोज खोज कर पढ़ने योग्य अयोग्य सभी कुछ पढ़ने लगा।।।
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” हमको तो लगने लगा है,हम इत्ता पढ़ डाले हैं कि अगर हम कौन बनेगा करोड़पति खेलने गये तो हम पूरा एक करोड़ एके बार में जीत डालेंगे ऊ भी बिना लाईफ लाइन के,,क्यों गुरू जी।।”
राज ने प्रिया से हँसके पूछा,पर जवाब मिला प्रेम से .
” बिल्कुल सही बोले भईया जी,औ ई बसुरीया इत्ता बजन कम कर डाली है की अगर मिस इंडिया बनने गई तो अकेली ही सब जीत डालेगी,ऊ का का होता है ना मिस वर्ड,मिस ब्रम्हाण्ड औ जाने का का।।”
” हमारे लिये काहे इतना कड़वे हो प्रेम,,हमने सुना था लड़के लड़कों से जलतें हैं,लड़कियाँ लड़कियों से,पर तुम तो हमी से जले कटे बैठे रहते हो,,दिमाग को थोड़ा ठंडा रखा करो।।”
प्रिया ऐसा बोल कर वहाँ से उठ गई,और दिनों की तरह उसके चेहरे पे वो उल्लास नही दिखा राज को, जिसके कारण राज भी उठ कर उसके पीछे पीछे चला आया।।
” क्या हुआ प्रिया? कोई परेसानी है?? आज तुम थोड़ा चिंतित दुखी परेसान लग रही हो।।”
” समझ गये कि हम परेशान लग रहे पर तुमको तीन पर्यायवाची बोलने की क्या ज़रूरत??आजकल हर जगह अपनी परीक्षा की तैयारी में ही भिडे रहते हो।।” ऐसा बोल ,
कर प्रिया मुस्कुरा पड़ी और राज शरमा के नीचे देखने लगा।।
” प्रिया हम बहुत दिनों से एक बात सोच रहे थे,तुम हमारी सबसे करीबी दोस्त बन गई हो,तुमने हमें इतना अच्छे से पढ़ाया है कि हमको अब पढ़ाई लिखाई अच्छी लगने लगी है।” प्रिया खड़ी मुस्कुराती रही
” हम और कुछ तो दे नही सकते,,आज तुमको एक छोटा सा पार्टी देना चाहतें हैं ।””
” अरे अभी पास तो हो जाओ,,फिर हम तुमसे पार्टी भी ले लेंगे।।”
” हमारे पास होने की पार्टी तो तुम दोगी हमे,देखो ई दू तीन महीना में तुम भी दुबला गई और हम भी पढ़ लिख लिये तो अब हमको लगता है पार्टी तो देना ही पड़ेगा।।”
प्रिया के मन की उदासी राज के पकड़ में नही आई, अभी वो दोनो खड़े बात कर ही रहे थे कि डॉ रानी वहाँ चली आई ।।
” कैसे हो राज,क्या चल रहा आजकल!! बहुत दिन से तुम दिखे नही तो हमनें सोचा हम ही मिल आते हैं तुमसे ।।”
उन दोनों को बातों में उलझा छोड़ प्रिया वहां से निकल गई ,,रानी और राज भईया वहीं जिम की सीढियों पर बैठ गये,,रानी दुनिया भर की तमाम, बातें राज को बताती रही,बीच बीच में ” सुन रहे हो ना” ” अच्छा बताओ मैने ,
अभी अभी क्या कहा था” जैसे क़्विज़ कॉंटेस्ट भी खेलती रही पर प्रिया का इस तरह चुपचाप चले जाना राज को बुरी तरह खलने लगा,वो दूर तक प्रिया को जाते हुए देखता रहा,, बार बार राज का मन हुआ कि जाकर प्रिया को रोक ले और पूछ ले कि ऐसे बिना कुछ बोले कैसे चली गई ,पर वक्त की नजाकत देखते हुए वो चुप चाप बैठा रानी की बातों को सुनता रहा।।
लोग कहतें हैं पहला प्यार कभी नही भूलता,अब लोग कहतें हैं तो ऐसा होता ही होगा पर लोगों के साथ ही,, क्योंकि राज के साथ ऐसा कुछ नही हुआ।।
राज ने जितनी शिद्दत से रानी से अपनी अल्हड़ सी उम्र में प्यार किया था,उतनी ही शिद्दत से आज वो उस प्यार को भूल बैठा।।रानी में आज भी कोई कमी नही थी,खूबसूरत तो पहले ही थी अब डॉक्टरी की पढाई के आत्मविश्वास ने चेहरे को एक अलग लुनायी से रंग दिया था,बावजूद इसके अब राज को रानी में सिर्फ एक अच्छी सच्ची दोस्त ही नज़र आ रही थी।।
प्यार मोहब्बत ऐसा एहसास होता है कि जो करता है और जिससे करता है,उसे बताने और जताने की ज़रूरत नही रह जाती,,और जब वही प्यार करने वाला प्यार नही करता है,तब तो लगता है जैसे सारा संसार चीख चीख कर आपको ये बताने पे अमादा है कि ‘ अब ये तुझसे प्यार नही करता’।।
रानी भी राज की भावनाओं को समझ चुकी थी,पर उसे कोई शिकायत ना थी,या शिकायत करने कि अवधि वो पार कर चुकी थी।।अपने मन की दुविधा को खुद में ही समेटे उसने बहुत सारी बातें राज से करी,ये जानते हुए भी कि राज ,
उसके पास बैठा हो कर भी प्रिया के साथ उसके घर तक चला गया है।
” राज एक बात पूछें तुमसे?अरे हमे सुन भी रहे हो या नही?? माना की बहुत पतली हो गई है तुम्हारी मुटकि पर अभी भी हमसे तो मोटी ही है।” रानी अपनी ही बात पर हंसने लगी,राज चौंक कर उसे देखने लगा__ ” क्या कहा तुमने रानी,अच्छा सुनो हमे कुछ काम से घर जाना है,चलो तुम्हें तुम्हारे घर उतार देंगे।।”
” जी मेहरबानी आप मुझे मेरे घर तक लिफ्ट देंगे,,एक बात पूछना चाहतें हैं आपसे राज बाबु।”
” हाँ पूछो।” अपनी गाड़ी स्टार्ट करते हुए राज ने कहा
” बुरा मत मान जाना,,हम कुछ दिन से जो नोटिस किये वही पूछ रहे हैं,,तुम्हें प्रिया कैसी लगती है।।”
” कैसी लगती है मतलब?? ठीके है,मेहनती है,होशियार है,जो ठान लेती है कर के रहती है,,अब देखो ,,जब जिम मे आई रही 68 किलो की रही ,और अभी 60 की हुई गई,,बहुत मेहनती है,एकदम जी जान से जुट जाती है,,पढ़ाई में तो पुछो मत,हमें सोचो हमार जैसे लठ को आदमी बना डाली( राज भैय्या की नजरों में जिसे शिक्षा का मह्त्व पता हो और जो शिक्षित हो वही असली पुरूष संज्ञा है)
राज भैय्या की बात को बीच में ही काट कर रानी ने कहना शुरु किया__
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” हाँ समझ गये!! बस करो अब तारीफ ,,तो मतलब हम जो सोच रहे वो सच है।”
” अब हमे क्या पता तुम क्या सोच रही??”
” ये कि तुम्हें प्रिया अच्छी लगने लगी है।।है ना?”
” अच्छी है तो अच्छी लगेगी ही??”
रानी मुस्कुराने लगी ” हम्म अच्छी तो है,पर तुम्हें कुछ ज्यादा ही अच्छी लगने लगी है।।”जब किसी की चोरी पकड़ी जाती है तो उस वक्त उस इन्सान का सारा प्रयास इसी ओर रहता है कि किसी तरह उसकी बेगुनाही साबित हो जाये,ऐसा ही कुछ राज के साथ हुआ . अभी वो बेचारे स्वयं अपने मन की थाह नही पा पाये थे उन्हें स्वयं अपने हृदय के अन्दर बहने वाले इस प्रेमझरने का स्त्रोत पता नही था कि उस झरने को पहचान कर लोग बाग उसका रसास्वादन करने लगे।।।राज भैय्या सोच में पड़ गये कि शाम को प्रिया से मिलने जाना चाहिये या नही, उन्हें उस समय यही उचित लगा कि मिलने नही जाना ही ठीक रहेगा।।वो बार बार अपने मन को तरह तरह से यही समझाने में लगे रहे कि रानी को कुछ गलतफहमी हुई है,और उनके मन में प्रिया को लेकर कोई विकार नही है।।
वो पूरा दिन बस यही सोचते निकल गया कि अगर मिलने ,
चला गया तो सब क्या सोचेंगे,और अगर मिलने नही गया तो प्रिया क्या सोचेगी!! आखिर प्रिया सब पर भारी पड़ी ।।
तरह तरह के विचारों को सोचते सोचते अंतत: राज ने यही सोचा कि जब उनका मन साफ है स्वच्छ है प्रिया से मिलने जाने मे कोई परहेज नही।।ऐसा सोचने के बाद मन फूल सा हल्का हो गया,सुबह से सोच सोच के जो पीड़ा के बादल राज ने अपने दिमाग मे जमा कर लिये थे,सब एकाएक बरस गये,और उजली चांदनी छिटक गई ।।
अपने आप को भली तरह से सजा संवार कर राज बाबु प्रिया से मिलने जाने निकले,ये प्रथम अनुभव था जब राज अपनी किसी महिला मित्र से मिलने जा रहा था,इसके पहले तो हमेशा अपने चेलों के साथ घूमने के लिये कभी कोई तैयारी नही लगी पर आज कुछ विशेष यत्न से सारी साज संवार की गई थी,,मन ही मन अपने आप पे खुश होते राज भईया निकल ही रहे थे कि भाभी जी का स्वर सुनाई पड़ा
” किधर को चली सवारी लल्ला जी?? बड़े बन ठन के निकल रहे हैं ।”
‘काली बिल्ली रास्ता काट गई ‘ वैसे भैय्या जी ये सब बातों को नही मानते थे,उन्हें अपनी भाभी पर स्नेह भी था पर उनकी इस कदर की टॉन्ट वाली बातों पे अरुचि भी थी।।
” कुछ नही भाभी बस मन्दिर तक जा रहे थे।।”
” आज कौन से मन्दिर जा रहे लल्ला जी??”
भाभी तो एकदम ही पीछे पड गई,अब बेचारे राज भैय्या क्या ,
बोलते
” बड़े हनुमान जा रहे,,आप चलेंगी??” आप चलेंगी कुछ इस ढंग से पूछा गया कि इस सवाल का जवाब आपको ना में ही देना है कहीं गलती से हाँ कह दिया तो भईया जी कहीं गाड़ी सहित आपको गंगा जी में ना डूबा आयें।।
” ना ना आप ही जाओ,,बस आते बखत उधर जो सेंतराम हलवाई है ना उसकी चाट हमारे लिये लेते आना,और उसे बोलना छोले कम डालेगा,ज्यादा गीला ना करे,टिकिया को अलग से बाँधेगा नही क्या होता है ना टिकिया गल जाती है सारी की सारी।”
” और कुछ भाभी।।”
” नही बस इत्ता ही याद से ले आना,बहुत है।”
अब राज बाबु को जाना था रॉयल पैलेस होटल और बड़े हनुमान पड़ते थे घड़ी चौक से दाहिना जाकर,बेचारे झूठ बोल कर बुरा फंसे।।चाट तो वो अपने अनुचरों से भी मँगा लेते पर हनुमान जी का नाम ले दिया,अब मन्दिर नही गये तो भगवान नाराज और होटल टाईम से नही पहुँचे तो प्रिया ।।
उन्होनें प्रिया को फ़ोन लगाया,,रिंग बजने पे फ़ोन उठाया उधर से प्रिया की अम्मा ने__ ” हेलो कौन बोल रा।”
बेचारे राज भईया पहली बार किसी लड़की के नम्बर पे फ़ोन ,
किये वो भी उसकी माँ उठा ली,अब का करे का ना करें की स्थिति थी।।
” नमस्ते !! प्रिया है क्या?”
” ऊ तो अभिचे कहीं निकल गई!! बोल के गई है आने में थोड़ा देरी हो जायेगा।।तुम कौन बोल रये बेटा . इतने में फ़ोन कट गया,राज भईया को बड़ा गुस्सा आया,अरे इतनी भी क्या हड़बड़ी,,थोड़ा देर में नही निकल सकती थी।।
हर बात पे प्रिया की राय लेने की ऐसी आदत हो गई की अब इस आड़े वक्त में क्या करें,राज भैय्या को सूझ ही नही रहा था।।उन्होनें अपनी गाड़ी उठाई और चल दिये।।
कुछ 20 मिनट बाद राज भैय्या रॉयल पैलेस होटल की पार्किंग में थे।।गाड़ी खड़े करते हुए जाने क्यों एक अजीब सी बेचैनी उन्हें घेरने लगी।।आज तक किसी काम को करने के पहले दुबारा ना सोचने वाले राज की हालत खराब थी,इतना तो उसने अपने सारे जीवन मे नही सोचा जितना आज अकेले एक दिन मे सोच लिया।खैर अपने आप को मजबूत कर अन्दर बढ़ ही रहे थे कि__” सर क्या आप अपनी पहली डेट पर आये हैं,अगर हाँ तो हमारे पास आपके लिये कुछ है”
अचानक से दरबान के साथ खड़े होटल मैनेजर के इस सवाल पर राज भईया घबड़ा गये,एकाएक उनसे बोल ना फूटा__”सर अगर ये आपकी फ़र्स्ट डेट है तो ये रहा आपके लिये एक गुलाब !! हमारी ओर से!! आप अपनी गर्लफ्रैंड को ये दीजिये।।
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” पर भैय्या तुम काहे दे रहे फ़्री में गुलाब??”
” सर पॉलिसी है हमारी,आज की तारीख पे हमारे साहब की शादी हुई थी तो आज के दिन जो कपल डेट पे आते हैं उन्हें हम गुलाब और कोम्प्लिमेन्ट्री ड्रिंक और स्टार्टर खिलाते हैं ।”
राज का ये प्रथम अनुभव था,आज तक अपने चेलों के साथ सेंतराम की कचौड़ियाँ पेली थी या टिक्की।। पीने पिलाने का ऐसा था कि कभी एक बार प्रेम कहीं से पी पिला के लौटा तो उसकी लटपटाती जिव्हा और उठने वाली कड़वी गन्ध से भी राज नही समझ पाया तब प्रिंस ने ही सहायता की” अरे ई प्रेम कहीं से पी के आ रहा है भैय्या जी” बस इतना सुनना था कि राज ने उसे 2 थप्पड़ लगा दिये__
” अरे बस बियरे तो पिये हैं,ऊ हार्ड ड्रिंक थोड़ी होता है भैय्या जी,,पुराने सब दोस्त मिल गये रहे जबरिया पिला दिये,औ जो थोड़ी बहुत चढ़ी रही ऊ आपका थप्पड़ उतार दिया।।”
हालाँकि बाद में राज ने प्रेम को ताकीद करी की जिम में जहां महिलायें भी आती हैं,वहाँ इस तरह पी कर आना वर्जित है,माफ कर दिया।।
अब आज इस तरह मैनेजर से डाइरेक्ट फ़्री ड्रिंक की बात सुन भैय्या जी ज़रा झेंप गये और सिर्फ गुलाब लिये अन्दर चल दिये।।
अन्दर बड़े से हॉल में हल्की-सी रोशनी में हल्का धीमा सा कर्णप्रिय संगीत गूँज रहा था।।रूम फ्रेशनर की खुशबू सारे ,
माहौल को खुशनुमा कर रही थी, ऐसे में भईया जी चारों तरफ नज़र दौड़ाते प्रिया को ढूँढ रहे थे।।
राज को प्रिया दिख गई,,,वो एक बार फिर अजीब सी परेशानी में घिरने लगा,आज सुबह तक जिसे सिर्फ एक छोटी सी पार्टी समझ कर देना चाहता था, वो रानी से बात होने के बाद से एक छोटी सी डेट में बदल गई ।।कितना भी नादान हो पर राज डेट का मतलब तो समझता ही था।।
” कब आईं प्रिया?? हमको थोड़ा ट्रैफिक के कारण देर हो गया।”
आज सब कुछ बदला सा लग रहा था राज को।।
रानी की बातों का असर था या मैनेजर की बातों का, या उस रोमैंटिक माहौल का असर आज प्रिया वाकई बाकी दिनों से अलग लग रही थी।।
बहुत सुन्दर तो प्रिया को नही कहा जा सकता था पर वो स्मार्ट थी,अपने आप को सलीके से रखना उसे आता था,अब आठ किलो वजन कम करने के बाद उसका आत्मविश्वास और चमक गया था।।
कुल मिलाकर आज के ज़माने में कही जाने वाली स्मार्ट प्रेजेंटेबल लड़की थी।।” अरे तुम खड़े क्यों हो राज बैठो ना।”
” क्या कर रही थी अब तक ” अपनी कुर्सी पर बैठते हुए राज ने सवाल किया
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” कुछ नही ,बस मेन्यू देख रहे थे कि तुम्हारे लायक क्या हेल्दी खाने को मिल सकता है।”
” अरे हमारे चक्कर में ना पड़ो,जो तुम्हें पसंद हो वो मँगा लो।।” राज के ऐसा बोलते ही प्रिया मुस्कुरा पड़ी
” अरे राज अब हमें भी तुम्हारी तरह मूँग और चना ही भाने लगा है,पता है एक दिन तो अम्मा बेचारी रो पड़ी,बुआ से बोलती हैं” लगता है हमार प्रिया को जिन ऊन पकड़ लिया है,आज कल खाने को देखती भी नही,सिर्फ फलाहार करे है छोरी जिज्जी।” मुझे तो ऐसी हँसी आई,मैनें कहा अम्मा उस जिन्न का एक नाम भी है ” राज”
प्रिया तो ऐसा बोल कर फिर हंसने लगी पर राज बेचारा शरमा गया।।
” अच्छा राज सुनो तुमसे एक बात पूछना चाहते हैं “
” हाँ पूछो”
” सच तो बोलोगे ना??”
धड़कते दिल से राज ने कहा” बिल्कुल सच बोलेंगे।”
उसे लगा जाने क्या पूछने वाली है।असल में तो राज को खुद ही समझ नही आया था,कि इन कुछ महिनों के साथ में कब प्रिया उसके मन में रात दिन बजने लगी,हर काम उस से पूछ पूछ कर करने की ऐसी आदत हुई कि कई बार जिम के काम से भी कहीं जाना हो तो पहले प्रिया का अप्रूवल लगने लगा।।राज तो नही समझा कि ये क्या है लेकिन उसके आस ,
पास के लोगों जैसे प्रेम रानी यहाँ तक की पिंकी को भी समझ आने लगा कि राज को प्रिया भा गई है।।
” हम कैसे दिखते हैं,देखो एकदम सच बोलना ,तुम्हें तुम्हारे भगवान की कसम।”
भगवान की कसम सुनते ही भैय्या जी को बड़े हनुमान याद आ गये,दोनों हाथ कान से लगा कर मन ही मन भगवान से माफी मांग कर राज ने कहा__
” हम सच बोलें तो तुम बहुत ही प्यारी दिखती हो,मासूम सी ।। और होशियार तो बहुतै दिखती हो।।”
अभी राज अपनी बात पूरा भी नही किया था कि वेटर उनका ऑर्डर ले कर आ गया।।
” अरे कॉफ़ी मंगाए हो राज??”
” हाँ प्रिया ऐसे होटल में चाय नही पी जाती, इसिलिए हम कॉफ़ी मँगा लिये,जल्दी से कॉफ़ी पी लो,फिर तुम्हे किसी से मिलवाने ले कर जाना है।।”
दोनो कॉफ़ी पीकर निकलने लगे तब प्रिया ने राज को टेबल पर गलती से भूले हुए गुलाब की याद दिलाई,,” किसके लिये लाये हो गुलाब”
” बताते हैं!! पहले हमारे साथ चलो।।”
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प्रिया को सिर्फ एक गुलाब देने की भी हिम्मत राज नही जुटा पाया,दोनो उसकी रॉयल एनफील्ड में बैठ कर बड़े हनुमान मन्दिर को निकल चले।।रास्ते भर इधर उधर की बातें बताती प्रिया ने अपने गणित के प्रोफेसर भास्कर सर की ढ़ेर सारी बातें राज को बताईं,और बताते बताते अंत में धीरे से अपने मन में उपजी प्यार की भावना को भी राज को बता दिया__
” देखो राज जाने अनजाने तुम हमारे बहुत ही ज्यादा अच्छे दोस्त बन गये हो!! निरमा से तो अब मिलना भी कम हो पाता है,उसे बताएंगे भी तो हमारी बात समझेगी नही,और ना ही कोई मदद करेगी,क्योंकि वो हमसे इतना प्यार करती है कि उसे हममे कोई कमी नज़र ही नही आती।। तुम भी हमारे बहुत सच्चे दोस्त बन गये हो,हो ना।।”
बहुत धीरे से राज ने कहा” हाँ हैं,बोलो क्या मदद चाहिये।”
” पहली बार जब भास्कर सर से मिले तभी हमें सर बहुत भा गये थे,,फिर उनका गणित पढ़ाने का स्टायल!!ऐसा पढाते हैं राज की पूछो मत!! नये नये समीकरण खुद तैय्यार कर देते हैं ।।तुम हमारी इतनी मदद बस कर दो कि वो भी हमारी तरफ ध्यान देने लगे,,मतलब समझ रहे हो,हम क्या कर रहे।।
बिल्कुल रुआंसा होकर राज ने कहा” नही समझे”
” अरे बुद्धू!! तुम खुद लड़के हो,तुम हमें बता सकते हो ना कि लड़कों को क्या पसंद होता है,मतलब कैसी लडकियों से बात करना पसंद है . अब और कितना खुल के बताएँ ।।”
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” हम्म समझ गये!! कर देंगे तुम्हारी मदद।।”
” थैंक यू राज ,हमे पता था,तुम बहुत अच्छे हो हमारी मदद ज़रूर करोगे,,अच्छा ये तो बताया ही नही तुमने कि ये गुलाब किसके लिये रखे हो।।”
” हनुमान जी के लिये,,वही चढाना है हमें,सुनो प्रिया तुम्हें घर जाने की देरी हो रही तो तुम्हे घड़ी चौक पे उतार देते हैं!! हमको हनुमान मन्दिर जाना है।।”
” नही ऐसी कोई देर नही हो रही ,तुम्हारे साथ ही तो हैं,आज हमारे पतले होने की पार्टी जो है,पर तुम तो बस कॉफ़ी में निपटा दिये।।”
” अरे तुम वो भास्कर भास्कर किये जा रही थी तो हमे कुछ सूझा ही नही,बस कॉफ़ी मँगा लिये।।
” चलो कोई बात नही!! अभी हमे चार पांच किलो और कम करना है,उसके बाद जी भर के खायेंगे, अच्छा सुनो !! तुम मिलवाने किससे वाले हो।।’
” अरे किसी से नही!! ऐसे ही कह दिये रहे!! हमको मन्दिर जाना था।।हम बचपन से जब भी परेशान होते थे या बहुत खुश होते थे तब बड़े हनुमान मन्दिर ही जाया करते थे,उन्हीं से अपना सारा सुख दुख साझा करते रहे हैं,आज भी तुम्हें वहीं ले जाने की सोचे थे।”
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” अरे वाह!! चलो हम भी मिल लेंगे अपने दोस्त के बाल सखा से।। पर सुनो भूल मत जाना राज, पटला होने में इतनी मदद किये हो अब इस मामले में भी थोड़ी मदद कर दो,और किसी से कहना नही,समझे।।”
” हाँ मेरी माँ किसी से नही कहेंगे। और कल से तुम्हारी एक हफ्ते की एक और ट्रेनिंग शुरु कर देंगे,,उसके बाद वो भास्कर की क्या औकात तुम्हारे सामने।।भास्कर को मारो गोली सलमान खान भी पट जायेगा।।”
” अरे अरे अरे गोली क्यों मार रहे हो भई !! भास्कर सर ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ,रही बात सलमान की तो हमें सलमान खान पसंद ही नही .
बातों ही बातों में बड़े हनुमान मन्दिर पहुंच कर दोनों ने दर्शन किये,और सेंतराम के यहाँ से आलू टिक्की खा कर और पैक करा कर दोनो अपने अपने घर वापस आ गये।।”पहला पहला प्यार है,,पहली पहली बार है,
जान के भी अनजाना कैसा मेरा यार है।।”
” अबे कौन बजाया बे! बदलो ई पहला पहला प्यार को!!”
” तो का लगायें भैय्या जी।” राज की दहाड़ सुनते ही प्रिंस लपक पड़ा ।।जिम में लोगों का आवागमन शुरु हो चुका था,ऐसे में प्रिंस वर्कआउट के लिये गाने सेलेक्ट कर रहा था।।
” अब ये भी हमी बताएँ!! तुम्हारी अकल में ना बिल्कुले पत्थर पड़े हैं प्रिंस।।यार कैसे बनिये हो तुम ,, हमरी अम्मा तो कहती हैं बनियों से जादा दिमाग किसी के पास नई होता,,पर तुम तो बिल्कुल बमपिलाट हो।।”
प्रिंस सदा से प्रिया का तरफदार था,इसिलिए आजकल प्रिंस और प्रेम में ज़रा तनातनी रहने लगी थी।।राज भैय्या की बात सुन प्रेम चहक उठा __
” भैय्या जी आप हम ठहरे बामण के छोकरे,हमारा तो जन्म ही होता है अपने बाप की चप्पल से पिटने के लिये।।
ऑफ़िस में बाऊजी को उनका बॉस चमकाया आके हमको धुन देंगे,,गांव में पड़ोसी से जमीन का चिल्ला चिल्ली हुआ आके हमको सून्त देंगे,घर में बहन की शादी नही लग रही पिटाई हमारी होगी,और तो और अम्मा ने लौकी बना दी तब भी हमी धरे जातें हैं ।।।
ई तो पुन्यात्मा हैं बनिया घर में पैदा हुआ है, जैसें इनके बाप दादा सोना सहलाते हैं,ऐसे ही फूल की छड़ी से अपना लड़का बच्चा को भी सुधारते हैं, तो भैय्या जी इनको किसी का डर है ये नई,काहे दिमाग दौड़ाएंगे।।”
” अच्छा बे तुमको बहुत बड़ी बड़ी बात सूझ रही हैं,, देख रहें हैं आजकल कुछ ज्यादा ही टर्रा रये हो।”
प्रिंस राज की घुड़की सुन चुपचाप वहाँ से सटक लिया,।। उसे असल में भैय्या जी के दिल का हाल मालूम नही था,उसने जाकर दूसरा रोमैंटिक ट्रैक बजा दिया__
‘ सदियाँ समा गईं इस एक पल में,दिखने लगा सुकून दुनिया की हलचल में . ‘
तभी हल्के से दरवाजा खुला,हमेशा सलवार और कुर्ती पे चोटी बना के आने वाली प्रिया के सुर आज कुछ बदले से थे।।
ट्रैक पैंट पे टी शर्ट पहनी प्रिया ने खुले बालों की उँची सी पोनीटेल बना रखी थी।।
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प्रिया के प्रवेश करते ही सब उसकी तरफ देखने लगे . राज भैय्या ने सिर्फ एक उड़ती नज़र डाली और वापस अपने रजिस्टर में मिलाए हुए नामों को वापस मिलाने लगे।।प्रिंस प्रिया के इस परिवर्तन पे अति प्रसन्न हुआ और उसे बधाई देने कूद कर उस तक पहुंच गया,थोड़ी देर के लिये प्रेम भी चकरा गया।।
” वाह प्रिया तुम तो बहुत-बहुत बहुत इस्मार्ट लग रही हो,।”
प्रिया मुस्कुरा कर राज की तरफ देखने लगी,इस उम्मीद से कि राज भी शायद उसके नवेले रूप पे कोई टिप्पणी देगा,पर राज ने सर उठा कर भी नही देखा।।प्रिया चुपचाप अपने ट्रेड मिल पे चली गई ।
लगभग 10 मिनट बीत जाने पर भी जब राज एक बार भी प्रिया का हाल चाल पूछने नही आया तो प्रिया ने वहीं से हांक लगाई__
” आज क्या स्पीड रखना है हमें,,कुछ बताओगे भी या ऐसे ही बस भागते रहें ।”
6km/hrs पे आकर राज ने ट्रेड मिल सेट किया और वापस जाने लगा।।उसे ऐसे वापस जाते देख प्रिया ने प्रिंस से इशारे से पूछा कि ‘ आज क्या हो गया राज को?”जैसे इशारे मे उसने पूछा वैसे कंधे ऊपर कर प्रिंस ने जवाब दे दिया कि हमे नही पता।
” कब तक चुप बैठें अब तो कुछ है बोलना,
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोलें ओ ढोलना।।”
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जैसे ही गाने के बोल जिम में गूंजे राज ने सर उठा के प्रिंस को देखा,और बस उतने ही मे__” बदल रहें हैं भैय्या जी,बस अभी बदले।।”
राज की घूरती आंखों को देख प्रिंस हडबडी में म्युसिक सिस्टम तक भागा,पर तभी प्रिया के बोल गूंजे__
” ए प्रिंस रुको!! काहे बदल रहे,हमें अच्छा लगता है ये गाना।।”
” ऊ भैय्या जी को नही ना पसंद इसिलिए बदले दे रहे।”
” अबे हम कब बोले तुमको बदलने।” राज की घुड़की से घबराया प्रिंस, मुहँ लटकाये बाहर निकल गया,प्रिया राज के पास आ कर बैठ गई ।।
” क्या हुआ राज?? कुछ मूड ऑफ़ लग रहा तुम्हारा, घर पे कुछ हुआ क्या।।”
” इस बार भैय्या जी के बाऊ जी ने कसम ले ली है कि अबकी बार अगर राज भैय्या पास नही हुए तो इनकी हत्या कर देंगे या खुद चूहा मार दवा पी के आत्महत्या कर लेंगे।।”लल्लन बोला
प्रिया ने आंखे तरेर के लल्लन को देखा फिर पूरी सहानुभूति से राज को निहारने लगी।।
” अरे इसमें इत्ता परेशान होने की क्या बात,इस बार राज सिर्फ पास नही होंगे बल्कि बोर्ड एग्ज़ाम टॉप भी करेंगे,,हम ,
पर भरोसा रखो।।”
प्रिया के ऐसा बोलते ही प्रेम भी उछल पड़ा
” हम भी यही कह रहे,भैय्या जी क्यों परेशान हो रहे, अरे पास हो गये तो ठीक वर्ना हम पूरे शहर से चूहा मार दवा खरीद कर यहाँ से बहुत दूर ले जाकर फेंक आयेंगे।।जब बाऊजी को दवा मिलेगा ही नही तो का खा कर मरेंगे।।
राज ने खा जाने वाली नजरों से प्रेम को देखा और उठ कर अपने में ऑफिस में चल दिया,उसके पीछे पीछे प्रिया भी भागी,जाते जाते प्रिंस को दो कप चाय लाने कहती गई ।।
” हमें तो बताओ हुआ क्या है राज?? कल तो बड़े खुश लग रहे थे, हनुमान जी ने ऐसा क्या मन्त्र फूंक दिया कान मे जो उदासे बैठे हो।”
” काहे परेशान कर रही हो,हमने कहा ना कोई बात नही।।”
” जब कोई बात नही ,तो हमें देखा क्यों नही,?? , हमारी नई ड्रेस पे कोई टीका टिप्पणी नही,,देखो तुम्हारे जैसे हमने भी रीबॉक के जूते पहने हैं, सुबह से तुम्हारे आगे पीछे घूम रहे,पर तुम तो जैसे इस दुनिया में हो ही नही,जाने कहाँ विचर रहे हो।।”
” थोड़ा सर मे दर्द था,और कुछ नही!! बस इसिलिए थोड़े चुप चाप बैठे थे।वैसे अच्छी लग रही हो तुम।।
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” थैंक यू!! अब बताओ कि हमारी ट्रेनिंग कबसे शुरु कर रहे,,भास्कर सर के बारे में बताया था ना तुम्हें ।।”
” देखो ट्रेनिंग का जहां तक बात है,हमने लड़की पटाने में कोई पी एच डी तो की नही है,जो हम तुम्हें कुछ सीखा सके बता सकें।।तुम तो हमसे जादा समझदार हो।”
” अरे बाबा कम से कम यही बता दो कि तुम किसी लड़की में क्या देख कर इंप्रेस होते हो।।”
” अब देखो ,जहां तक हमारा सवाल है,हमें ना सभ्य संस्कारी लड़कियाँ अच्छी लगती हैं,सीधी साधी, भोली सी,,अपने बड़ों का बात मानने वाली,कम बोलने वाली,झगड़ा फसाद ना करने वाली।।”
” बस बस हम समझ गये,,मतलब बिल्कुल हमारे अपोजिट लड़की तुम्हें पसंद है,है ना??”
” अरे नही बाबा!! वो मतलब नही है हमारा,,पर देखो एक बात सच्ची बताएँ,लड़कों को ना बहुत ही जादा ज्ञानी लड़की नही पसंद आती,उन्हें वही भाती है जिसके सामने वो जादा ज्ञानी दिखे,,वो लड़को की इस आदत को का कहते हैं . अरे वो बोलते हैं ना का .
” ईगो . मेल ईगो!! यही कहते हैं,यही बताना चाह रहे ना।।”
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” अब देखो सच्ची बात बताये तो तुम बुरा मान गई,अब यही थोड़ा घुमा फिरा के बोलते तो खुश हो जातीं।।अच्छा सुनो तुम कुछ बातों का ध्यान रखना अपने सर के सामने फिर देखना कैसे तुम्हारा जादू चलता है,,, पहला तो उनकी क्लास मे कभी उचक उचक के जवाब मत बताना , नही उन्हें लगेगा इसे पढ़ाने का कोनो ज़रूरत ही नही,,दूसरा जो सवाल बन रहा उसे भी उनसे पूछना क्योंकि इससे उन्हे अन्दर से खुशी मिलेगी कि तुम उनसे कम हो,और वो तुमसे कहीं जादा बुद्धिमान हैं।।
धीरे से दोस्ती हो जाये,तब उनका हर बात का ध्यान रखना,जैसे हमारा रखती थी,कि कौन सी आंटी फीस भरी है कौन सी नही।”
ये बोल कर राज हंसने लगा,प्रिया भी।।