रात को वंश के सोने के बाद रेवती शिल्पा को सारी सच बता देती हैं। कैसे मयंक चार साल से पागलों की तरह उसे ढूँढता फिर रहा है।
वो तुझसे मिलना चाहता है बेटा। मैं नहीं कह रही तू उसे माफ कर दे,पर एक बार मिलने में कोई बुराई नहीं है। अंशु बता रही थी। मयंक बदल गया है।
मयंक ने ऑफिस में भी सबसे बात करना छोड़ दिया। जितना काम उतना ही बोलता है।हँसते हुए तो उसे आज दिन तक कोई नहीं देखा।
जतिन भी आ जाते हैं वो भी शिल्पा से कहते हैं। एक बार मिलकर सारा किस्सा ही खतम कर दे। बार-बार क्यों इन बातों को जन्म देना।
शिल्पा और मयंक की मीटिंग फिक्स हो जाती है। संध्या की इच्छा थी, शिल्पा घर पर आए और साथ में वंश को भी ले आए।
जतिन ने शिल्पा के साथ रेवती को भी भेज दिया।तुम साथ जाओ रेवती, मैं शिल्पा को अकेले नहीं भेज सकता हूँ।
दोपहर बारह बजे के करीब शिल्पा माँ और वंश के साथ घर पहुँच गई। संध्या बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
, एक मिनट शिल्पा वही रुक जाओ।क्यों.? रेवती ने आश्चर्य से पूछा। उन्हें लगा शायद संध्या उनका अपमान करना चाहती हैं।
अरे कुछ नहीं बहन,वंश पहली बार घर में कदम रख रहा है तो बस उसकी आरती उतारने के लिए रोक रही थी।
संध्या वंश और शिल्पा की आरती उतारने लगी।मम्मा पूजा तो भगवान की होती है फिर यह हमारी पूजा क्यों कर रही हैं।
बेटा आप पहली बार यहाँ आए हो इसलिए। अच्छा फिर नानी ने मेरी पूजा क्यों नहीं की..?वंश मासूमियत से बोला।
वो में खुशी के मारे भूल गई।हम वापस जाएंगे तो ऐसे ही आपको अंदर ले जाएंगे।
आओ अंदर आओ.. शिल्पा ने अंदर पैर बढ़ाया। दिल जोर से धड़कने लगा।जी करा भाग जाए यहाँ से। मयंक की कही बातें कानों में गूँजने लगी।
संध्या ने शिल्पा के मन के भावों को पढ़ लिया।आ बेटा माँ का घर समझ के अंदर आजा।हाथ पकड़कर शिल्पा को अंदर ले आई।
घर में कदम रखते ही घर की हर एक चीज शिल्पा को पुराने लम्हों की यादें दिलाने लगी ।
मयंक के साथ हुए16 लम्हे, याद आने लगे ।फिर पारुल और मयंक की कही हुई वह घिनौनी बातें जो उसके दिल को चीर गई थी।
वही बातें चारों तरफ गूँजने लगी शिल्पा अपने कानों पर हाथ रख लेती है,अचानक उसके मुंह से निकल जाता बस करो मयंक मैं अब और नहीं सुन सकती।
यह सुनते ही संध्या जी बोली, क्या हुआ बेटा..? क्या कह रही हो.? शिल्पा संध्या की आवाज सुनकर अपने ख्यालों से बाहर आती।
कुछ नहीं माँजी,बस कुछ याद आ गया था। समझ सकती हो बेटा इस समय तेरी मनोदशा क्या है ।
संध्या और रेवती मौसी सब बातों में व्यस्त हो जाते हैं। कुछ नमी तो कुछ पुरानी यादें साँझा करने लग जाते हैं। मयंक ने मौसी परेशान न हों। घर में खाना बनाने के लिए कुक लगा रखा था।
वही घर के और भी काम कर दिया करता था। मौसी उसे आवाज लगातीं हैं। राजेश बेटा..! सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आओ।
जी मौसी जी अभी लाया, राजेश सबके चाय-नाश्ते की व्यवस्था करने लगा। मुझसे तो अब कुछ काम होता नहीं है।छोटी भी अब उतना कर नहीं पाती।के लिए घर में राजेश को रख लिया। बहुत अच्छा लड़का है। सारा काम संभाल लिया है।
यह तो अच्छी बात है, वैसे भी अब आप लोगों की उम्र कहाँ है काम करने की। आप लोग तो अब बस आराम कीजिए, शिल्पा बोली।
हाँ बेटा आराम ही तो कर रहे हैं, पर अब ज़िंदगी में सुकून कहाँ,वो सब तो तेरे साथ ही चला गया। शिल्पा यह सुनकर कुछ नहीं बोली। और बोलती भी क्या?जो कुछ हुआ, और क्यों,वो सब संध्या भी जानती थी।
मम्मा मुझे यहाँ पर बोर हो रहा है। वंश शिल्पा से लिपटते हुए बोला। मुझे मामा के पास जाना है। चलो न मामा के पास, यहाँ मेरे साथ खेलने वाला कोई भी नहीं है।
मैं हूँ ना बेटा.. चलो हम दोनों खेलते हैं मयंक बोला। नहीं मुझे आपके साथ नहीं खेलना है। मुझे मामा के पास जाना है।बेटा ऐसे जिद नहीं करते हैं,सब लोग कहेंगे वंश कितना बैड बॉय है।
हम थोड़ी देर में घर चलते हैं।वंश आपके लिए उस रूम में बहुत सारे टॉयज रखे हैं।आप जाकर उन टॉयज के साथ खेलो।
मेरे लिए टॉयज..!सच्ची में? हाँ आपके लिए टॉयज, मयंक बोला। वंश जाने लगता है शिल्पा रोक देती है।
वंश ऐसे किसी के कमरे में नहीं जाते।किसी का कहाँ सब उसका ही है, मयंक बोला। शिल्पा बोली नहीं मयंक.. यह गलत है।
वंश बच्चा है, सच से अनजान हैं, ऐसे उसकी आदत खराब होगी। फिर वह किसी के भी घर जाएगा तो उनकी चीजें उठाने लगेगा।
अच्छा ठीक है। मैं उसके लिए यहीं मँगा देता हूँ। राजेश!! जरा रूम में जाकर वंश के लिए टॉयज उठा लाओ। जी साहब लेकर आता हूँ।
राजेश जाकर बहुत सारे खिलौने उठा लाता है और ड्राइंग रूम में वंश के पास रख देता है। वंहै।
शिल्पा मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। हाँ बोलो ना क्या बात करनी है..? इसलिए तो आई हूँ यहाँ।यहाँ नहीं तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो।
क्यों ऐसी कौन-सी बात है जो तुम यहाँ नहीं कर सकते हैं?नहीं मैं यहाँ बात नहीं कर सकता, तुमको मेरे साथ कमरे में चलना पड़ेगा।
शिल्पा रेवती को देखती है। रेवती आँख से जाने के लिए इशारा कर देती है।ठीक है चलो शिल्पा मयंक के पीछे-पीछे बेडरूम की तरफ चल देती है।
बेडरूम में कदम रखते ही शिल्पा चौक जाती है। वो जैसा छोड़कर गई थी,वह आज भी वैसे ही था।कमरे की हर चीज वैसे ही करीने से रखी थी जैसे वह रखा करती थी।
शिल्पा सब कुछ वैसे ही है, जैसा तुम छोड़ गईं थीं।बदली तो हमारी जिंदगी है।
वो भी सिर्फ मेरी गलतियों की वजह से। शिल्पा कुछ नहीं बोली साइड में पड़े सोफे पर बैठ गई। मयंक दरवाजा बंद कर देता है ।
शिल्पा सवालिया निगाहों से मयंक को देखती है। चिंता मत करो.. हमारी बातें कोई न सुने इसलिए मैं बंद कर रहा हूँ।
मयंक अलमारी में से कुछ पेपर्स निकाल कर लेकर आता है मुझे इन पेपर्स पर तुम्हारे हस्ताक्षर चाहिए।
शिल्पा आश्चर्य से देखते हुए पूछती है, क्यों मेरे हस्ताक्षर किसलिए के चाहिए? हमारे बीच अब कौन-सा रिश्ता बचा है..? कहीं तुम वंश की कस्टडी के बारे में तो नहीं सोच रहे हो..?
नहीं शिल्पा मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहा हूँ।पर जो कुछ भी कर रहा हूँ, उससे वंश का भविष्य सुरक्षित रहेगा,उसके लिए तुम्हारे ही साइन तो लगेंगे।
ऐसे कौन-से पेपर है जो मैं ही हस्ताक्षर करूँ..? यह मेरी प्रॉपर्टी के पेपर है,जो मैंने माँ और वंश के नाम कर दी है। साथ मैं यह पावर ऑफ अटॉर्नी के पेपर हैं जो मैंने तुम्हारे नाम से बनाए हैं।तुम इन पेपर्स को पढ़ लो और हस्ताक्षर कर दो। मयंक तुम मुझे प्रॉपर्टी का लालच दिखाकर क्या साबित करना चाहते हो।
अब मैं अनपढ़ गवार नहीं हूँ। एक पढ़ी-लिखी और अपने पैरों पर खड़ी हूँ। मैं वंश को अपने दम पर पाल सकती हूँ, शिल्पा चिढ़कर बोली।
मुझे गलत मत समझो शिल्पा..! पहले मेरी पूरी बात सुन लो। मैं तुम्हें लालच नहीं दे रहा। मेरी पूरी प्रॉपर्टी पर सिर्फ मेरे बेटे वंश का हक है।
मुझे तो सिर्फ गवाह के तौर पर इन पेपर्स और यह तुम्हारे नाम की पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर तुम्हारे हस्ताक्षर के साथ तुम्हारा एक वादा चाहिए।
मैं जानता हूँ,तुम आज़ भी मुझसे प्यार करती हो। मैं ही तुम्हारे लायक नहीं बन सका।
मैं यह नहीं कह रहा,तुम मुझे माफ़ करदो,या वापस आ जाओ,या वंश मेरा बेटा है, मेरे साथ रहे, मैं यह कहने का हक खो चुका हूँ।
पर मैं एक बात अच्छे से जानता हूँ कि एक तुम ही हो जो मेरी माँ और मेरी प्रापर्टी को संभाल सकती हो। मेरी माँ को संभाल लोगी न शिल्पा..?
यह कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो मयंक..? मैं क्यों? तुम क्यों नहीं..? तुम क्या यह सब छोड़ कर कहीं जाने वाले हो..?
क्यों इस तरह की बातें कर रहे हो..? मेरे पास समय बहुत कम है शिल्पा, मयंक बोला। मैंने तुम्हारे साथ जो अन्याय किया उसकी सजा भगवान ने मुझे दे दी है।
मुझे ब्रेन ट्यूमर है!! डॉ. सिन्हा ने कहा है, जितनी जल्दी ऑपरेशन हो जाए अच्छा है पर बचने के चांसेस है या नहीं वह मेरी किस्मत पर डिपेंड करता है।
मेरे बाद मेरी माँ को कौन संभालेगा। रिश्तेदार ऐसे हैं जो माँ को दुख के अलावा कुछ नहीं देंगे।
इसके लिए पागलों की तरह तो मैं ढूँढता फिर रहा था तुम मिल जाओ,तो सब-कुछ तुम्हें सौंपकर,मैं निश्चित होकर मर सकूँ।
मैं नहीं चाहता कि जो प्रॉपर्टी मैंने इतनी मेहनत से बनाई है उसे मेरे रिश्तेदार नोच नोच कर खा जाएं।इस पर सिर्फ मेरे बेटे वंश का हक है।
शिल्पा इस प्रॉपर्टी को तुम ही संभाल सकती हो। और मेरी माँ को भी..माँ को संभाल लोगी ना शिल्पा..?यह वादा चाहता हूँ।
जब तक यहाँ हो, मुझे मेरे बेटे से मिलने से मना तो नहीं करोगी ना..? कहते-कहते मयंक फूट-फूट कर रोने लगा। शिल्पा तो जैसे जड़ हो गई थी।मयंक से नाराज़ जरूर थी।पर प्यार तो अभी-भी मयंक से ही करती थी। मयंक को रोता देख शिल्पा भी फूट-फूट कर रोने लगी।
मयंक मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी। शिल्पा रोते हुए मयंक से लिपट गई। दोनों की आंखों से दर्द का सैलाब बह निकला।
सारे दुख, गिले-शिकवे सब आँसुओं में बह निकले। थोड़ी देर में शिल्पा खुद को सयंत करते हुए बोली। मुझे तुम्हारी मैडिकल रिपोर्ट चाहिए।
मयंक अपनी रिपोर्ट निकालकर शिल्पा को देता है। शिल्पा उनका फोटो खींचकर अपने चाची को भेज देती है।फोन करके सारी बातें भी बता देती है।
चाची मैं आपकी बात से सहमत हूँ।पर इतनी खुदगर्ज भी नहीं हूँ,अब इस परिस्थिति में भी एक बेटे को उसके पिता से दूर करके अपने बेटे की नज़र में दोषी बन जाऊँ।
पहले की बात और थी चाची।तब मैं सही थी,अब जब मयंक को इतनी बड़ी बीमारी हो गई।तो अब वंश से मयंक को दूर करके मैं ग़लत साबित हो जाऊँगी।
तुम चिंता मत करो शिल्पा.. मैं यहाँ डॉक्टरों को यह रिपोर्ट दिखाकर उनकी सलाह लेती हूँ। चिंता मत करो.. मयंक ठीक हो जाएगा, मैं फोन रखती हूँ।
, काश , मयंक तुम्हारे साथ माँ की दुआएँ साथ हैं,अब तुम्हारे बेटे का प्यार भी। हम तुम्हारा इलाज कराएंगे,देखना तुम जरूर ठीक हो जाओगे।
फिर तुम तुम्हारी माँ के साथ रहना। मैं मेरे बेटे के साथ रहूँगी। नहीं शिल्पा पहले इन पेपर्स पर हस्ताक्षर करके मुझे चिंता मुक्त कर दो।
शिल्पा चुपचाप सारे पेपर्स पर हस्ताक्षर कर देती है। तुम जब चाहो अपने बेटे से मिलने आ सकते हो मयंक। थैंक्स शिल्पा तुमने मुझे समझा।
शिल्पा माँ और मौसी को कुछ मत बताना। मैं उन्हें इतना बड़ा दुःख नहीं देना चाहता।पर मयंक कोई भी फैसला करने से पहले माँ की परमीशन लेनी होगी..?
खैर छोड़ो… चाची का फोन आने दो पहले,अब बाहर चलें.? हम्म चलो। शिल्पा बाहर आकर अपनी मां के साथ चुपचाप बैठ जाती है।
उसके मन में बस एक ही चीज चल रही थी। कैसे भी करके जल्दी से जल्दी मयंक ऑपरेशन कराना है।उसे अब चाची के फोन का इंतजार था।
मयंक वंश के साथ मस्ती करने लगता है। रेवती शिल्पा को विचारों में खोया हुआ देखकर चिंतित हो रही थी। पता नहीं मयंक ने ऐसा क्या कह दिया, जो शिल्पा के चेहरे का रंग उड़ गया है।
रात होने लगी थी। जतिन ऑफिस से सीधे मयंक के यहाँ पहुँच जाते हैं। अरे जतिन आप..?इतनी जल्दी कैसे?आज जल्दी निकल आया।
वंश के बिना मन नहीं लग रहा था। फिर सोचा तुम लोग अकेले रात को टैक्सी में परेशान हो जाओगे। मैं ही जाकर ले आता हूँ।
चलो अब देर मत करो,समय पर घर पहुँच जाएंगे। मयंक अब तो मिल लिए न तुम..?अब रोज-रोज शिल्पा से मिलने या और किसी बहाने से उसे परेशान करने की कोशिश मत करना।
छोड़िए ना पापा इन सब बातों को शिल्पा बोली। माँजी अब आज्ञा दीजिए ,हमें निकलना चाहिए ।वंश के भी सोने का टाइम हो रहा है।
संध्या का मन तो नहीं था कि शिल्पा और वंश वहाँ से जाएं।पर किस हक से रोके, उन्हें रोकने का हक तो बहुत पहले ही खो चुकी थीं।
सभी शिल्पा और वंश के जाने की बात सुनकर मायूस हो गए।शिल्पा ने वंश को गोद में ले लिया मयंक अब हमें चलना , चाहिए।
तुम्हारा जब भी मन करे, तुम वंश से मिलने के लिए आ सकते हो। माँजी आप भी आ जाना साथ में और मौसी को भी ले आना।
जतिन आश्चर्य से शिल्पा का चेहरा देख रहे थे।शिल्पा को क्या हो गया, ऐसा क्यों बोल रही है। रेवती भी बड़े ही चक्कर में थी।
ऐसा मयंक ने शिल्पा से क्या कह दिया। जिसने शिल्पा का मन बदल दिया।मयंक के प्रति भावनाएं बदल गई।जो कल तक वंश को मयंक से दूर रखना चाहती थी।
आज उसी ने मयंक को वंश से मिलने की इजाजत दे दी। जरूर मयंक ने किसी बात के लिए धमकाया होगा। तीनों लोग घर जाने के लिए निकल दिए।
रास्ते में जतिन मिरर में से बार-बार शिल्पा के चेहरे को देख रहा थे। शिल्पा पता नहीं किस सोच में डूबी थी। वंश बार-बार उससे कोई बात पूछ रहा था और वह उसकी बातों का जवाब नहीं दे रही थी।
यह देख वंश रोने लगा। रेवती शिल्पा से बोली,क्या हुआ शिल्पा..? बेटा मैं काफी देर से देख रही हूँ, तुम वंश की बातों का जवाब नहीं दे रही।
देखो बेचारा बच्चा,रुला दिया तूने उसको। शिल्पा यह सुन वंश को चुप कराने लग जाती है। और फिर उसकी बातों के जवाब देने लगती है।
, मैं दिन भर से देख रही हूँ, तुम इतनी चुप-चुप और परेशान सी क्यों हो।शिल्पा सोच विचार से बाहर निकल कर आती है। क्या माँ कुछ कहा क्या..?
हाँ यही कि तेरा ध्यान किधर है.? पहले तो यह बता क्या हुआ.? कुछ नहीं हुआ माँ, मैं ठीक हूँ बस मयंक के बारे में सोच रही थी।
क्यों मयंक ने ऐसा क्या कह दिया,जो तू उसके बारे में सोच रही है। शिल्पा कहती है माँ कभी-कभी परिस्थितियाँ हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती हैं कि हमें समझ में नहीं आता है कि हम किधर को जाएं।
यही आज मेरे साथ भी हो रहा है। मुझे समझ में नहीं आ रहा, सही क्या है, गलत क्या है।पता तो चले ऐसा क्या हो गया जतिन बोले।
माँ-पापा घर पहुँच कर बात करते। जतिन कहते हैं ठीक है, रेवती शिल्पा को फोर्स मत करो, हम घर पर चल कर बात करते हैं।
तीनो लोग घर पहुँच जाते हैं। शिल्पा वंश को दूध पिलाकर सुला देती है, रेवती कॉफी बना लाई, और फिर तीनों लोग ड्राइंग रूम में आकर बैठ जाते हैं।
अब बता क्या बात हुई है।आज दोपहर से देख रही हूँ जब से तेरी मयंक से बात हुई है, कुछ तो ऐसा-वैसा मयंक ने तुझसे कह दिया है कि तू इतनी सोच विचार में डूबी है।
तूने उन लोगों को यहाँ आने और वंश से मिलने की इजाजत , क्यों दे दी..?इसकी वजह..? शिल्पा बोली बहुत बड़ी वजह है माँ।
शिल्पा मयंक की बीमारी के बारे में बताने लगी।यह सुनकर,क्या!! जतिन और रेवती आश्चर्य से बोले। वह झूठ बोल रहा होगा।
नहीं पापा यह उसकी रिपोर्ट देखिए।मैंने चाची को भी भेज दी है रिपोर्ट। चाची डॉक्टर से सलाह लेकर एक-दो दिन में सारी जानकारी देंगी।
यह तो बहुत बुरा हुआ।डॉक्टर का क्या कहना है.? डॉक्टर का तो एक ही कहना है, पापा ऑपरेशन ही एक मात्र उपाय है।
ऑपरेशन भी पूरी तरह सफल होता है या नहीं,यह मयंक की किस्मत और भगवान के करिश्मा पर निर्भर है।अगर उसकी कृपा होगी तो मयंक बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
नहीं तो कुछ भी हो सकता है।यह बात न तो माँजी जानती हैं और न ही मौसी जी इस बारे में नहीं मयंक में अभी माँ को नहीं बताया।
उसने तुझसे क्या कहा.. जतिन बोले। उसने मुझसे पावर ऑफ अटॉर्नी साइन करवाई है। और वंश के लिए अपनी वसीयत बनाई है।
उस पेपर्स पर मेरे साइन लिए हैं। मयंक कह रहा था कि मेरे मरने के बाद मेरी माँ को संभाल लोगी ना शिल्पा।यह कहकर शिल्पा रोने लगी।
, रेवती शिल्पा के कंधे पर हाथ रख कर उसको सहलाने लगी। मैं अचानक इस मोड़ पर आकर खड़ी हो जाऊँगी, मैंने नहीं सोचा था।
हाँ मैं मयंक से नाराज थी।उसने जो कुछ किया वो पारुल के कहने पर गलतफहमी में आकर किया था। क्योंकि वह मुझसे बेहद प्यार करता था। शायद इसीलिए गलत सह नहीं पाया।
मैं तो मयंक से आज भी प्यार करती हूँ पापा। कैसे संभालूँ खुद को.. आज मयंक की हालत देखकर मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रही हूँ।
मैंने नहीं सोचा था ना कि मुझे यह दिन भी देखना पड़ेगा।आज मयंक को मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।और मैं चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर सकती।
हमारे रिश्तो के बीच में दूरियाँ आ गई है पापा। और ऐसी दूरी जो हम लोगों को अजनबी बना रही है। बस एक ही रिश्ता बचा है कि हम वंश के माता पिता है।
इसलिए मैंने उससे बोल दिया कि जब चाहें तब वंश से मिल सकता है। मैं नहीं चाहती कि वंश अपने पिता के प्यार से महरूम रहे।
यह तूने अच्छा किया बेटा, हमें भी मयंक के लिए बहुत बुरा फील हो रहा है। नाराज तो हम अब भी है, उसने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद की,पर इंसानियत के नाते हमसे जो बन पड़ेगा वो करेंगे।
हम उसका बुरा भी नहीं चाहते। संध्या जी ने तुझे हमसे , ज्यादा बेटी की तरह प्यार दिया जिसके लिए हम संध्या जी की बहुत इज्जत करते हैं।
ऐसी सास मिलना, बहुत नसीब वालों को ही नसीब होती है। मयंक की गलती की सजा उन्हें तो नहीं दे सकते।
भगवान ने खुद मयंक को उसकी गलती की सजा दे दी। तो हम भला कौन होते हैं, उसको सजा देने वाले। तूने अच्छा किया जो कुछ किया मैं तेरे साथ हूँ।
मयंक ठीक तो हो जाएगा ना पापा..? सिसकते हुए शिल्पा बोली।अभी तक तो मैं मयंक नाराज थी,पर फिर भी मैं जी रही थी।
अगर उसे कुछ हो गया तो मेरे लिए जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा पापा। मैं मयंक से चाह कर भी नफरत नहीं कर पाई पापा, और ना ही कभी कर पाऊँगी।
मैं मयंक से बेहद प्यार करती हूँ और उसकी जगह जिंदगी में कभी भी किसी को नहीं दे सकती, शिल्पा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
तूने कभी किसी का बुरा ना चाहा, तो भगवान भी अब तुझे कोई बड़ा दुख नहीं देगा। यह मेरा विश्वास है।सब ठीक हो जाएगा।
पर अब जो भी कुछ करना है जल्द से जल्द करना होगा हाँ पापा हमारे पास समय बहुत कम है।बस चाची के फोन का इंतजार है।
सुनयना भी डॉक्टर से सारी जानकारी लेकर शिल्पा को फोन , करती है।डॉक्टर रिपोर्ट देखकर वही बोल रहे हैं जो डॉक्टर सिन्हा ने बोला है।
मयंक का जल्दी से जल्दी ऑपरेशन करना होगा। क्योंकि ट्यूमर कभी भी फट सकता है।ऑपरेशन के बाद भी कह नहीं सकते कि मयंक पूरी तरह से ठीक हो जाए।
वह कोमा में भी जा सकता है,या अपनी याददाश्त भूल सकता है।अगर तुम्हारी किस्मत अच्छी होगी तो पूरी तरह ठीक भी हो सकता है।
मेरे ख्याल से इस बीमारी के बारे में संध्या जी को भी बता देना चाहिए जतिन बोले। संध्या जी अपने बेटे को इस ऑपरेशन के लिए तैयार कर सकती है।
ठीक है जी मैं मयंक से बात करती हूँ। ऑपरेशन कहाँ कराना ठीक होगा चाची.? शिल्पा वहाँ तुम सब लोग हो और इंडिया में भी एक से एक डॉक्टर मौजूद हैं।
वहाँ रहकर भी ऑपरेशन करवा सकती हो फिर भी यहाँ आना चाहो तो मुझे बता देना। मैं यहाँ सारी तैयारी करवा दूँगी।
थैंक्यू चाची मैं मयंक से बात करती हूँ फिर आपको बताती हूँ। ओके बेटा..फोन रखती हूँ। सुबह राघव और अंशु आते हैं। शिल्पा चलो शादी की कुछ शॉपिंग करनी है।
शिल्पा कहती है आज मेरा मूड नहीं है, राघव तुम दोनों चले जाओ।क्यों भाई ऐसा क्या हो गया..? शिल्पा राघव और अंशु को सारी बातें बता देती है।
, मुझे कुछ शक तो होता था,जब सर अचानक मीटिंग छोड़कर अपने केबिन में चले जाते थे।जब काफी देर बाद बाहर आते थे तो पसीने से लथपथ रहते थे।
एक-दो पूछने की कोशिश की थी।पर उन्होंने मुझे गुस्से में आकर डांट दिया था।
यह सुनकर राघव भी टेंशन में आ जाता है। यह तो बहुत बुरा हुआ, शिल्पा चल कोई नहीं तू मयंक पर ध्यान दें। हम लोग अपना देख लेंगे, हो सके तो थोड़ा सा समय देती रहना।
वैसे भी अभी हम शादी में तो बहुत टाइम है। तू पहले यह काम देख ले यह ज्यादा जरूरी है। थैंक्यू तुम दोनों ने मुझे समझा।
अभी यह थैंक्यू कहाँ से आ गया..?तू भी ना शिल्पा कभी नहीं बदलेगी।चल हम चलते हैं, कोई भी जरूरत हो तो फोन करना।सुनयना की बात सुनकर शिल्पा न मयंक से बात करने का मन बना लिया था उसने मयंक को और संध्या को घर पर खाने के लिए बुलाया।
पापा मैंने मयंक को आज घर बुलाया है आज ही हम उससे बात करते हैं। फिर वह हाँ कहता है..तो फिर आप माँजी से बात करिएगा।
मैं चाहती हूँ वंश को भी बता दूँ कि मयंक उसके पापा हैं।वंश भी अपने पापा के बारे में पूछता रहता है।कहीं मयंक को कुछ हो गया और फिर वंश को पता चला कि मयंक उसके पापा थे।
वंश मुझसे नफ़रत करने लगेगा। मैंने उसे क्यों नहीं बताया मयंक उसके पापा थे। वंश मुझसे नफ़रत करे यह मैं सह नहीं पाऊँगी।
शायद तुम ठीक कहती हो शिल्पा..!! हमें इस बारे में बहुत ही सोच विचार ही कदम उठाना पड़ेगा। ऐसा कुछ भी ना हो कि कल कोई बात सवाल बनकर पूरी जिंदगी हम लोगों को परेशान करती रहे।
हाँ पापा मेरा भी यही विचार है,अब तक जो था ठीक था। , अगर मयंक बिल्कुल ठीक होता तो शायद मैं कभी भी वंश को सच पता नहीं चलने देती।
पर अब नहीं मैं आज ही वंश को बता दूँगी.. मयंक उसके पापा है। मैं तो यहाँ लौटकर ही नहीं आने वाली थी।
कुछ दिन बाद आप लोगों को भी वहाँ बुला लेती। पिछली बातें भूल पाना बहुत मुश्किल है। पर अब जिंदगी के इस मोड़ पर आकर मुझे नहीं लगता, मयंक को इतनी बड़ी सजा देनी चाहिए।
उसकी जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल होगा।जब वंश उसे पापा कहते बुलाएगा। मयंक को इतनी खुशी तो मैं दे ही सकती हूँ।
ऑपरेशन के बाद में जो होगा देखा जाएगा। जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा.. वैसे भी वंश पर जितना हक तुम्हारा है, उतना मयंक का भी है।
इस सच्चाई को झूठलाया भी नहीं जा सकता। मयंक की जगह अगर और कोई पिता होता तो सच्चाई जानकर अब तक वंश की कस्टडी का केस फाइल कर चुका होता।
संध्या जी और मयंक कभी भी यह नहीं चाहेंगे कि वंश तुमसे दूर हूँ। तो हमें भी उनके बारे में सोचना चाहिए।हाँ पापा मेरा भी यही विचार है।
रेवती भी बीच में बोल पड़ती है। शिल्पा सही है, मेरा भी यही विचार है, वंश को सत्य मालूम होना चाहिए। संध्या जी उसकी दादी और मयंक उसके पापा है।
, ठीक है, आज हम मयंक से ऑपरेशन के बारे में बात करते हैं। अगर मयंक ऑपरेशन के लिए तैयार होता है,तो हमें भी जल्दी डॉक्टर से सलाह-मशवरा करना होगा।
शाम को मयंक और संध्या अकेले आते हैं । अरे मौसी जी नहीं आई माँजी। मैंने तो खूब कहा, छोटी बोली कि मैं क्या करूँगी..मेरा वहाँ जाकर अच्छा नहीं लगता है।
रेवती संध्या को लेकर ऊपर वाले रुम में चली जाती है। चलिए हम लोग ऊपर चल कर बात करते वंश भी ऊपर ही खेल रहा है।
शिल्पा का पहले से ही यह प्लान था।माँ जब माँजी को लेकर ऊपर चली जाएंगी। तब मयंक से बात करेंगे जतिन और शिल्पा मयंक के पास आकर बैठ गए।
मयंक फिर क्या सोचा तुमने..? किस बारे में पापा। सॉरी अंकल जी..? कोई बात नहीं तुम मुझे पापा कह सकते हो, मुझे बुरा नहीं लगेगा।
मयंक आश्चर्य से जतिन को देखता है।हाँ मैं सही कह रहा हूँ, तुम मुझे पापा कह सकते हो।इतना भी बुरा नहीं हूँ,जो तुम्हारे तकलीफ़ के बारे में जानकर भी तुमसे नफरत कर सकूँ।
मैं पूछ रहा हूँ तुमने ऑपरेशन के बारे में क्या सोचा।
मैं चाहता हूँ तुम जल्द से जल्द अपना ऑपरेशन करा लो। नहीं पापा. मैं ऑपरेशन नहीं कराना चाहता। क्यों कारण जान सकता हूँ..?
आपको तो पता ही चल गया होगा..? चाची ने सब बता ही , दिया होगा।मौत तो आनी है।ऑपरेशन के पहले भी आ सकती है ऑपरेशन के बाद भी फिर क्या फायदा।
मयंक चाची ने यह भी कहा है कि ऑपरेशन के बाद तुम ठीक भी हो सकते हो। और फिर इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।
ऑपरेशन तो कराना ही होगा, शिल्पा बोली। तुम्हारी बात ठीक है शिल्पा. पर मैंने तो अभी तक वंश को जी भर के देखा भी नहीं है।
तुम क्या चाहती हो कि मैं वंश को प्यार करने की अधूरी आस लिए इस दुनिया से चला जाऊँ..? मयंक यह कैसी बातें कर रहे हो। प्लीज फिर से यह सब मत बोलना शिल्पा तड़प के बोली।
सही तो बोल रहा हूँ। शिल्पा अब तुम जान चुकी हो ना कि मेरे साथ कभी भी कुछ हो सकता है। तो जब तक जिंदा हूँ। मुझे मेरे बेटे के साथ रहने दो, उसको प्यार कर लेने दो।
कल किसने देखा है। क्या पता ऑपरेशन के बाद में वापस ही नहीं आया.? ऐसी बात मत करो मयंक तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे।
तुम्हें कुछ नहीं होगा मयंक,यह मेरा विश्वास कहता है।रही बात वंश की,तो तुम्हें उससे मिलने से कोई नहीं रोकेगा।वो यहीं रहेगा और मैं भी अब यहीं रहूँगी।
मयंक प्लीज!! ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाओ.. माँजी से भी बात करते है।प्लीज!! अपने बेटे के लिए ऑपरेशन के , लिए तैयार हो जाओ।
मयंक तुम क्या चाहते हो..? इतनी छोटी उम्र में वंश अपने पिता को खो दे..? खतरा तो हर तरह से है,चांस तो लेना ही होगा ना, हो सकता है तुम हमेशा के लिए ठीक हो जाओ।
मैं मेरा विश्वास कहता है कि तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओगे। तुम फिर वापस आओगे और अपने बेटे के साथ एक खुशहाल जिंदगी जिओगे।
सिर्फ बेटे के साथ..? तुम्हारे साथ नहीं शिल्पा..? क्या तुम मुझे माफ नहीं करोगी..? शिल्पा ऐसी जिंदगी जीकर मैं क्या करूँगा..? जिसमें तुम मेरे साथ नहीं हो।
नहीं मैं ऑपरेशन नहीं कराऊँगा। तुम जितने दिन तुम यहाँ हो, मुझे मेरे बेटे के साथ जी लेने दो। वैसे भी मेरी जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है।
मयंक अगर मैं कहूँ कि तुम्हें मेरे लिए ठीक होना पड़ेगा,तो क्या तुम ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार हो..? मयंक शिल्पा की और देखने लगता है।
मैं कुछ पूछ रही हूँ..?क्या तुम सच कह रही हो शिल्पा..? हाँ मयंक मैं सच कह रही हूँ।
हाँ शिल्पा मैं ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाऊँगा, मैंने अभी अपने बेटे को ठीक से देखा भी नहीं है,मरना नहीं चाहता।
मैं जीना चाहता हूँ तुम्हारे साथ, अपने बेटे के साथ जिंदगी के खूबसूरत लम्हें बिताना चाहता हूँ।
तुम्हारे बिना यह ज़िंदगी सिर्फ एक बोझ है।जिसे मैं अब ढोना , नहीं चाहता। तुम नहीं तो जिंदगी जीने का कोई मतलब ही नहीं है।
मयंक जब तुम ठीक होकर वापस आओगे तो मैं तुम्हारा इंतजार करती मिलूँगी।इतना तो विश्वास कर सकते हो मुझ पर..?
माँ उन्हें जब इस बीमारी का पता चलेगा तो उन पर क्या बीतेगी। संध्या को नीचे आते देख मयंक बोला।
वही जो अब बीत रही है.. संध्या रोते हुए बोली। रेवती ने संध्या को सारी सच्चाई बयां दी थी।
मेरे बेटे इतनी बड़ी बात छुपाकर ,तू क्या साबित करना चाहता था।क्यों नहीं बताया तूने,क्यों अकेले ही इतना दर्द सह रहा था..? खुद को और कितनी सजा देगा।
भगवान भी कितनी परीक्षा लेगा मेरी, रोते हुए संध्या बोली। पहले मयंक के पापा साथ छोड़ गए, फिर मेरी फूल सी बच्ची को इतने दुख,अब मयंक को.. नहीं-नहीं मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगी।
जतिन जी आप बड़े से बड़ा डॉक्टर बुलाइए। मयंक तू चिंता मत कर बेटा,सब अच्छा होगा।
हाँ मयंक सब अच्छा होगा।तभी वंश आ जाता है।आप सब लोग क्यों रो रहे हो..? मम्मा आप भी रो रही हो। बोलो न क्या हुआ।
वो मैं आपके पापा से गुस्सा हूँ,, इसलिए रो रही हूँ। मेरे पापा कहाँ है वो आप मुझे बताओ, मैं पूछता हूँ उन्होंने आपको , क्यों रुलाया।
शिल्पा मयंक की तरफ इशारा करती है।यह हैं तेरे पापा।यह..? और यह आपकी दादी।वंश को कुछ समझ नहीं आया।
मम्मा उस दिन हम इनके घर गए थे तो आपने यह क्यों कहा किसी का सामान नहीं छूते..?वो तो मेरे पापा का घर था..? आपने झूठ बोला..?
नहीं बच्चा आपके पापा ने गंदी बात की थी।आप जानना चाहोगे,वंश हाँ में सिर हिलाया है। आपके पापा बहुत गन्दे हैं।वो सिर्फ अपनी जिद्द पूरी करते हैं।
और पता है उनकी जिद्द क्या है…वो अपना इलाज नहीं करा रहे हैं। आपके पापा बहुत बीमार हैं फिर भी डॉक्टर के पास नहीं जाते।
इसलिए मैं उनसे गुस्सा होकर दूर चली गई थी।वंश कुछ देर तक मयंक को चुपचाप खड़ा देखता रहा। फिर दौड़कर मयंक की गोद में बैठ गया।
पापा डॉक्टर कुछ नहीं करते,एक इंजेक्शन लगाते है।बस चींटी जैसा काटता है, मीठी वाली दवाई देते हैं, फिर बुखार यूँ भाग जाता है, है ना मम्मा..?
चलो मैं ले चलता हूँ आपको डॉक्टर के पास। अंकल से कहूँगा आपको धीरे से इंजेक्शन लगाए,वंश मासूमियत से बोला।
वंश की बातें सुनकर मयंक उसे कसकर सीने से लगाकर रोने , लगता है।यह देखकर सबकी आँखों से आँसू बहने लगे।
वंश के खाने का समय हो गया शिल्पा.!! चलो यह रोना बंद करो सब,अब हमारा वंश मयंक को डॉक्टर के पास ले जाएगा।पर पहले सब खाना तो खालें..?
हाँ संध्या जी, मयंक आओ बेटा चलो पहले खाना खाते हैं।अब आगे की कार्यवाही कल से शुरू करते हैं।
खाना खाकर मयंक और संध्या जाने लगते हैं,तो वंश उन्हें रोक लेता है। रुक जाओ ना पापा, नहीं तो मुझे भी साथ ले चलो..? मुझे आपके साथ रहना है।
बेटा अभी मेरी तबियत ठीक नहीं है,छोटे बच्चों को जल्दी इंफेक्शन हो जाता है। इसलिए आपकी मम्मा आपको दूर ले आईं हैं।
कल मैं डॉक्टर के पास जाऊँगा, उनसे दवा लेकर जल्दी से अच्छा होकर आपको अपने साथ ले जाऊँगा।आप मेरा इंतजार करोगे ना..?हाँ पापा..लव यू पापा।लव यू टू माई डियर।
मयंक वहाँ से चला गया। शिल्पा बेटा वंश को सुला दो और तुम भी आराम करो। शिल्पा भी सोने चली गई। मैंने मयंक से वादा तो कर दिया, मैं इंतजार करूँगी।
पर क्या मैं फिर से उसी तरह जी पाऊँगी..? कहीं अतीत की यादें हमारा कल तो खराब नहीं करेंगी।
अब तो वंश भी मयंक से दूर नहीं रह पाएगा। खैर छोड़ो.. पहले मयंक पूरी तरह ठीक हो जाए।
, रेवती तुम्हें क्या लगता है..? शिल्पा मयंक को अपना पाएगी..?अपना तो लेगी जतिन..! कड़वी यादें कितना भी चोट करें,प्यार के आगे हार जाती हैं।
अब तो उन्हें जोड़ने वाली कड़ी उनका बेटा वंश बीच में है। शिल्पा भी अकेले कब तक जिएगी..?वो किसी और को मयंक की जगह नहीं देगी।
हम लोग चार साल से प्रयास कर रहे हैं।पर उसने हमारे हर प्रपोजल को ठुकरा दिया।ऐसे में अगर वह फिर मयंक से शादी का फैसला करती है तो हमें भी उसकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
यही वंश के भविष्य के लिए अच्छा होगा।हम्म शायद तुम सही हो..? चलो अभी रात बहुत हो गई, सुबह डॉक्टर सिन्हा से मिलने जाना है।शिल्पा जतिन और राघव भागदौड़ करके की डॉक्टरों से सलाह लेकर एक ही नतीजे पहुँचते कि जितनी जल्दी हो सके उनका ऑपरेशन हो जाना चाहिए।
मयंक भी ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया था, डॉक्टर ने मयंक के कुछ नयी रिपोर्ट निकाली थीं।वही रिपोर्ट लेकर राघव आया था।
मयंक दो दिन तुम्हारा ऑपरेशन है। फाइनल डेट आ गई है।मैं ठीक तो हो जाऊँगा ना शिल्पा..? हाँ मयंक तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे।
चिंता मत करो हम सब की दुआएं तुम्हारे साथ है।सब अच्छा होगा भगवान पर भरोसा रखो। पापा आपको अभी डर लगता है..?
मैं हूँ ना..! देखो मुझे डर नहीं लगता मैं तुरंत डॉक्टर से सुई लगवा लेता हूँ वंश मासूमियत से बोला।नहीं बेटा पहले डर लगता था।
पर अब बिल्कुल डर नहीं लगता क्योंकि मेरा बहादुर बेटा जो मेरे पास है। शिल्पा एक बात बोलूँ..? क्या यह दो दिन मैं वंश के साथ रह सकता हूँ।
मैं उसे जी भरके प्यार करना चाहता हूँ, दिन-रात उसके साथ रहना चाहता हूँ । क्या हम सब लोग दो दिन साथ रह सकते हैं।
क्या पता दो दिन बाद क्या हो..? इस बात पर शिल्पा चुप हो जाती है। और जतिन देखने लगती है। हाँ बेटा क्यों नहीं, हम सब लोग कल सुबह ही तुम्हारे घर आते।
दो दिन कोई काम नहीं होगा।हम सब तुम्हारे साथ ही रहेंगे। बहुत दिन हो गए सब ने मिलकर कोई मस्ती भी नहीं की।
यह दो दिन फुल एंजॉय..! सच्ची पापा शिल्पा खुश होकर बोली। हाँ बेटा इन चार सालों में हम लोग खुशियाँ मनाना ही भूल गए।
हम कल आ रहे हैं। मयंक खुश हो जाता है। ठीक है फिर मैं कल के लिए तैयारी शुरू करता हूँ,हम फुल मस्ती करेंगे जतिन फोन रख देता है।
मयंक राघव को फोन करता है। हैलो राघव मैं चाहता हूँ,दो दिन हम सब लोग साथ रहे। वैसे भी तुम्हारी शादी में मैं आ नहीं पाऊँगा।
क्यों न हम गीत संगीत से भरी मस्ती करें। शिल्पा भी आ रही है, मम्मी पापा को भी बुलाया है । तुम और अंशु भी दो दिन के लिए आ जाओ, हम सब साथ रहेंगे।
ठीक है मयंक..जैसा तुम चाहो। हम लोग आते हैं, शिल्पा अपनी फैमिली के साथ मयंक के घर पहुँच जाते हैं।
राघव की और से शिल्पा, चिंटू संध्या और मौसी जी लड़के , वाले बन जाते हैं। अंशु की और से मयंक,वंश, जतिन और रेवती।सब मिलकर बहुत मस्ती करते हैं।
शिल्पा और अंशु ने किचन संभाल लिया था।दो दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला। मम्मा इंडिया में कितना मज़ा आता है।अब हम वापस नहीं जाएंगे।
हाँ बेटा अब हम वापस नहीं जाएंगे। यहीं रहेंगे अपनों के बीच अपनों के साथ।अब आप दादी के साथ खेलो, मैं और नानू पापा को हॉस्पिटल ले जाते हैं।
शिल्पा जाने से पहले मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। क्या तुम मेरे साथ आ सकती हो..? ऐसी क्या बात है मयंक.. शिल्पा ने पूछा? अच्छा चलो। शिल्पा मयंक के साथ कमरे में चली जाती है।
मयंक के साथ कमरे में पहुँच के शिल्पा बोली, मयंक हम लेट हो रहे हैं।कहो क्या कहना है। मैं तुम्हें एक बार गले लगाना चाहता हूँ।
मयंक की आँखों से आँसू बरस पड़े। मुझे बहुत डर लग रहा है शिल्पा,सब छूट रहा है। तुम माँ वंश पता नहीं फिर मिल पाऊँगा।
बस एक बार गले लग जाओ मेरे.. मयंक बाहें फैलाकर बोला।कल मैं लौट पाऊँगा या नहीं, नहीं जानता।पर शायद तुम्हारा अहसान मुझे मौत से लड़ने की ताकत देता रहेगा।
मयंक.!! शिल्पा रोते हुए मयंक से लिपट गई। तुम्हें कुछ नहीं होगा मयंक,दोनों एक-दूजे से अलग नहीं होना चाहते थे। , मयंक चलो बेटा देर हो रही है जतिन आवाज लगाते हैं।
मयंक चलें..? शिल्पा खुद को सयंत करती है। मयंक हामी भर देता है। बाहर आकर संध्या को गले लगाकर, चलता हूँ माँ।बेटा सब अच्छा होगा,मेरा विश्वास कहता है।
बाय पापा..!!लव यू .. वंश मयंक के पास आकर बोला।लव यू टू माई डियर, मैं जल्दी वापस आऊँगा। ओके पापा।
शिल्पा, राघव जतिन और मयंक अस्पताल के लिए निकल गए। संध्या की आँखों से आँसू बह निकले। संभालिए आँटी अंशु संध्या को संभालते हुए बोली।
सर बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। बेटा मेरा दिल अभी से बैठा जा रहा है।तू एक काम कर मुझे भी वहाँ ले चल।पर आँटी सर ने आपको आने से साफ मना किया है।
वो तो जिद्दी है..कभी बात नहीं मानता।पर अब मैं नहीं रुक सकती.. मुझे भी मेरे बेटे के पास जाना है। दीदी मैं भी चलूँ..? नहीं छोटी तू रेवती जी के साथ रुक।
अंशु संध्या जी सही कह रही हैं,वो माँ हैं,भला कैसे घर बैठ सकती हैं। फिर यहाँ रहकर तो और बेचैन हो जाएंगी। तुम उन्हें ले जाओ।
जी आप ठीक रही हैं। चलिए आँटी मैं आपको अस्पताल ले चलती हूँ। अंशु संध्या को लेकर चली जाती है। रेवती वंश को लेकर वहीं रुक जाती है।
संध्या जी अस्पताल पहुँची तो मयंक ऑपरेशन के लिए जा रहा था।माँ आप..? मैंने मना किया था ना..? फिर भी आप , आ गई।
बहुत जिद्दी हैं आप.. तेरी माँ हूँ कैसे रुक सकती थी तुझे यहाँ छोड़कर.. संध्या डॉक्टर से हाथ जोड़कर,प्लीज मेरे बेटे को ठीक कर देना डॉक्टर।
आप लोग ऊपर वाले से प्रार्थना कीजिए,हम लोग अपना काम करते हैं। कोशिश करेंगे सब अच्छा हो।
तीन घंटे ऑपरेशन चला, डॉक्टर आकर बताते हैं। बधाई हो ऑपरेशन तो सफलता पूर्वक हो गया ।पर सही मायने में सफलता मिली है या नहीं..?यह मयंक के होश आने पर पता चलेगा।
मतलब..? शिल्पा ने परेशान होते हुए पूछा। मतलब यह ट्यूमर बहुत डीप था। मयंक के दिमाग पर उसका कितना गंभीर असर पड़ा है…वह चिंताजनक है.? कहीं वो अपनी याददाश्त न खो बैठे..?
शिल्पा की खुशी काफूर हो गई। कहीं मयंक मुझे और वंश को भूल गया तो यह सोचकर उसकी आँखों में आँसू आ गए।अब तो वंश भी उससे दूर नहीं रह सकता।
सब ठीक होगा बेटा तू चिंता मत कर.. संध्या बोली।हाँ सब अच्छा होगा बेटा जतिन शिल्पा से बोले।
राघव, अंशु तुम लोगों को शादी के कई काम हैं, तुम दोनों जाओ अपने काम देखो।
नहीं ठीक है हम रुकते हैं ना राघव ने कहा। नहीं राघव अब बहुत समय हो गया तुम लोग जाओ, आराम करो। अंशु के , घर पर सब चिंता कर रहे होंगे।
हम्म ठीक है,हम चलते हैं,अपना ध्यान रखना, कोई काम हो फोन करना ।राघव और अंशु भी चले गए। पापा आप माँजी को लेकर घर चले जाओ,थोड़ा आराम कर लो।
नहीं बेटा जब-तक मयंक को होश नहीं आता, संध्या जी का रुकना जरूरी है। क्या पता सही में वो हमें भूल गया तो..?अपनी माँ को तो पहचान लेगा।
हम्म सही कहा पापा..! शिल्पा का मन हो रहा था,वो जोर-जोर से रोने लगे।हे भगवान ये कैसी परीक्षा ले रहो हो मेरी। मयंक को पाने की खुशी देते-देते, उसके दूर होने का डर देने लगे।
अब जब मैं फिर से मयंक को खोना नहीं चाहती तो उसके भूलने का डर सताने लगा।तभी नर्स डॉक्टर को बुलाने भागी। यह देख सभी घबरा गए।
क्या हुआ सिस्टर..?आप इतनी जल्दी में? सब ठीक तो है..? मयंक ठीक है ना, उसको कुछ हुआ तो नहीं..? शिल्पा ने घबराकर पूछा।
नर्स बोली, चिंता मत कीजिए सब बढ़िया है। मयंक सर को होश आ रहा है। इसलिए डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ। नर्स डॉक्टर को लेकर वापस रूम में चली गई।
शिल्पा की घबराहट बढ़ती जा रही थी।बैठ जा बेटा,क्यों चिंता कर रही है..?सब अच्छा होगा।
डॉक्टर सिन्हा आकर कहते हैं,सब बढ़िया है, मयंक अपनी , माँ से मिलना चाहता है।आप सभी एक-एक करके उससे मिल सकते हैं।
संध्या तेजी से मयंक के पास चली जाती हैं।मेरा बेटा तू ठीक है न..?हाँ माँ मैं ठीक हूँ। तेरे आशीर्वाद ने मुझे नयी ज़िंदगी दी है माँ।
चल अभी बातें नहीं आराम कर.. संध्या ने प्यार से डपटते हुए कहा।बाहर शिल्पा मन ही मन,पक्का मुझे भूल गया है मयंक.तभी मुझसे मिलने को नहीं कहा।
तभी संध्या बाहर आकर कहतीं हैं।जा बेटा तू भी मिल ले मयंक से।माँजी मयंक ने कहा..? नहीं उसने नहीं कहा, मैं कह रही हूँ।
शिल्पा का दिल बैठ गया। जिसका डर था वहीं हुआ उसने एक बार भी मेरा नाम नहीं लिया।शिल्पा डरते-डरते मयंक के पास पहुँच गई।
कैसे हो मयंक..हम्म ठीक हूँ। मयंक का रूखा-रूखा-सा जवाब सुनकर शिल्पा का दिल टूट गया।ठीक है आप रेस्ट करो मैं चलती हूँ।
शिल्पा उठकर जाने के लिए मुड़ी तो आँसू छलके गए। मुझे भूल गए मयंक शिल्पा दरवाजे की ओर आँसू पोछते हुए जाने लगी।
बस इतना ही प्यार करती हो मुझसे..? मयंक पीछे से बोला। शिल्पा चौंककर मुड़ी तो मयंक उसे देखकर मुस्कुरा उठा।
मयंक..!!! तो आपको ऐसी हालत में भी मजाक सूझ रहा , था। आपको क्या पता मैं आपसे कितना प्यार करती हूँ। आपने तो मेरी जान ही निकाल दी, कहते हुए शिल्पा रोने लगी।
तुम्हारे मुँह से यही सुनना चाहता था शिल्पा। इसलिए छोटा-सा झूठ बोल दिया। सॉरी माफ़ कर दे यार.. आपको इतनी आसानी से माफी नहीं मिलने वाली।
शिल्पा रोते हुए बोली।बस भी करो शिल्पा बहुत दर्द दिया है तुम्हें,रोक दो बहने से इस दर्द के सैलाब को। अब एक भी आँसू बर्दाश्त नहीं है मुझे।
बस अब बातें नहीं आराम करो। मैं मांँ और पापा को घर भेज देती हूँ। मैं यहीं बाहर बैठी हूँ।
शिल्पा बाहर आकर पापा के गले लग गई।पापा मयंक ठीक है,वो कुछ नहीं भूला। यह देख जतिन समझ गए शिल्पा के दिल में क्या है।
यह तो बहुत खुशी की बात है। जतिन मयंक के पास जाकर जेब से पैसे निकालकर मयंक के सिर पर घुमाकर वार्ड बॉय को देते हैं।पूरे स्टॉप को मिठाई बांट दो।
चलिए संध्या जी अब आप घर चलिए। शिल्पा मयंक की देखभाल में दिन-रात एक कर देती है।आज मयंक को छुट्टी मिलने वाली थी।
राघव और चिंटू दोनों अस्पताल में मौजूद थे।वंश घर पर अपने पापा का इंतजार कर रहा था। डॉक्टर से सलाह-मशवरा करने के बाद तीनों घर निकल गए।
, रेवती जी जरूर आपसे पिछले जन्म का कोई रिश्ता है मेरा। इतनी बड़ी विपदा में आप लोगों के साथ और प्यार हमें सहारा देता रहा।
नहीं संध्या जी!!यह ऊपर वाले की मर्जी थी। मयंक इतनी बड़ी तकलीफ़ से जूझ रहा था।यह उसकी मर्जी थी तभी तो शिल्पा यहाँ आई और समय पर मयंक को इलाज मिला,आज वो ठीक है।
सही कहा रेवती जी..!! नहीं तो मयंक इस बीमारी को कभी किसी पर जाहिर नहीं करता।लो आ गया मेरा बेटा..!छोटी आरती की थाली लेकर आ।
पापा की आरती मैं उतारूँगा दादी..! अबे तू इतना छोटू-सा है,तू रहने दें चिंटू ने वंश को छेड़ते हुए कहा। जतिन ने वंश को गोद में उठा लिया।
अब वंश सबसे बड़ा हो गया।लाओ भाई वंश को देदो आरती की थाली।वंश खुश होकर मयंक की आरती उतारने लगता है।
संध्या ने रीता से मयंक की देखभाल के लिए बात करली थी। उन्हें मालूम था, शिल्पा मयंक के घर आने के बाद यहाँ नहीं रुकेगी।
शिल्पा इससे मिलो यह रीता है। मेरी बेटी ही समझो इसे, इसके कारण आज मैं चल-फिर रही हूँ। बहुत सेवा की है इसने मेरी,मयंक को भी भाई की तरह संभाला है।
तुम तो अब अपने घर चली जाओगी। रीता को सब समझा , देना, कैसे और कब कौनसी दवा लेनी है । जी माँजी.!!
मयंक अब मुझे चलना चाहिए शिल्पा मयंक से बोली।यहीं रुक जाओ ना शिल्पा..? मयंक हम अलग हो चुके हैं,ऐसे में यहाँ रुकना शोभा नहीं देता।
तुम अभी भी नाराज हो..?मत जाओ शिल्पा। मुझे फिर से छोड़कर नहीं जाओ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।
तुम चाहते हो मैं यहाँ रुकूँ..? उसके लिए तुम्हें माँ-पापा से अनुमति लेनी होगी। उसके लिए तुम्हें ठीक होना पड़ेगा मयंक।हम बिना शादी किए साथ नहीं रह सकते।
चलती हूँ.. शिल्पा चली जाती है।माँजी कोई भी जरूरत हो तो फोन करना। दो-तीन मैं बहुत व्यस्त हूँ, राघव की शादी है फिर हम लोग मिलने आते हैं।
शिल्पा और शिल्पा की फैमिली राघव की शादी में व्यस्त हो गए।राघव अकेला था इसलिए जतिन ने उसकी शादी की सभी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी।
वंश को शादी के फंक्शन देखकर बहुत मजा आया। उसने चिंटू के साथ मिलकर खूब मस्ती की। शादी की मस्ती में वंश मयंक को भूला था।
राघव और अंशु विवाह बंधन में बंध गए थे। एक दिन वंश सुबह-सुबह जिद्द करने लगा। मम्मा मुझे पापा के पास जाना है।
हम्म किसी दिन चलेंगे बेटा.!पर मुझे अभी जाना है।अब तो पापा ठीक हो गए होंगे।
, हम ऐसे नहीं जा सकते बेटा..! आपके पापा जब हमें लेने आएंगे तभी हम उनके यहाँ जाएंगे अभी आप खेलो।शिल्पा वंश को बहला फुसलाकर कर भेज देती है।
मयंक शिल्पा के लिए बहुत बेचैन हो रहा था। उसने जतिन को बुलाया था। मयंक क्या हुआ.? तुमने मुझे यहाँ अकेले क्यों बुलाया है।
पापा में अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूँ।भगवान ने मुझे मेरी गलतियों के लिए माफ़ कर दिया, इसलिए मुझे दूसरी ज़िंदगी देदी।
अब मुझे मेरी ज़िंदगी सौंपकर मुझे माफ़ करदो पापा। मुझे मेरी शिल्पा और वंश देदो ।पर बेटा मैं कौन होता हूँ शिल्पा की ज़िंदगी का फैसला लेने वाला।
एक बार फैसला लिया वो ग़लत साबित हो गया।।अब शिल्पा जो चाहे जैसा चाहे,हम उसके फैसले में शामिल हैं। चलता हूँ, शिल्पा से बात करता हूँ।
जतिन शिल्पा से बात करते हैं।तेरा क्या फैसला है बेटा..? पापा अगर मयंक सम्मान के साथ मुझे अपनी पत्नी बनाकर ले जाए,तो मैं उसके घर जाऊँगी।
ऐसे वहाँ बार-बार जाना मुझे पसंद नहीं है।अभी जाती हूँ तो आसपास के लोग कैसी-कैसी नजरों से देखते हैं। मुझसे सहन नहीं होता।
आँटी अब मयंक सर बिल्कुल ठीक हैं रीता बोली।अब मेरी जरूरत नहीं है मैं कल से नहीं आऊँगी। मयंक सर को सिर्फ , यह दवा और एक महीने तक लेनी है।
रीता चली जाती है।माँ मैं शादी करना चाहता हूँ..? मयंक ने सुबह-सुबह संध्या को झटका दिया। शादी..!! किससे और क्यों..? अभी तो शिल्पा वापस आ गई है।
शिल्पा ने तुझे माफ़ कर दिया.. इतना सुंदर बेटा है तेरा..? फिर अचानक यह शादी..? संध्या ने परेशान होते हुए पूछा।हाँ माँ शिल्पा ने मुझे माफ़ कर दिया।
पर अब वो मेरी पत्नी नहीं है,वो यहाँ नहीं रह सकती।यह बात मेरे दिमाग से कैसे निकल गई। मैं खुशी में इतना पागल हो गई कि इतनी बड़ी बात भूल ही गई।
मैं अभी ही रेवती जी और जतिन जी से बात करती हूँ। दोनों की मँजूरी पाकर शादी की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं।राघव और अंशु शादी की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेते हैं।
शिल्पा और मयंक एक बार फिर विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। शिल्पा दुल्हन बनकर फिर उसी घर में गृह प्रवेश कर रही थी।
जहाँ से कभी बेइज्जत होकर निकली थी।पूरे सम्मान के साथ मयंक के साथ अपने घर में कदम रखते हुए खुशी के आँसू छलक पड़े।
सबकी ज़िंदगी में खुशियाँ लौट आई थीं। संध्या जी मंदिर में दिए जला रही थी। भगवान से प्रार्थना कर रही थी। अब मेरे बच्चों की ज़िंदगी में भरपूर खुशियाँ देना प्रभू।
दोनों की आँखों से बहुत दर्द का सैलाब बहा है।अब खुशी भरे , सपने सजा देना।चल छोटी आज बहुत दिनों बाद चैन की नींद आएगी।
तुम दोनों भी आराम करो।वंश आज दादी के पास कहानी सुनेगा है ना वंश..?हाँ वो मंकी वाली अधूरी रह गई थी दादी। गुड नाईट मम्मा-पापा वंश संध्या के साथ उनके रूम में चला गया ।
मयंक अब तो कोई पारुल हमारे रिश्ते को तबाह नहीं करेगी..? शिल्पा ने मयंक के गले लगते हुए पूछा।हम्म कह नहीं सकता.. मयंक उसे छेड़ते हुए बोला।
मयंक!! शिल्पा गुस्से से तिलमिलाई।अरे बाबा मजाक कर रहा हूँ।अब तो मैंने मेरी भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी तुम्हारे हाथ में सौंप दी है शिल्पा।
यह सब करके मरना है क्या..? मयंक हँसते हुए बोला।हम्म यह बात तो सही कही मयंक अब मैं चुपचाप रोकर नहीं बैठने वाली,तो बचके रहना मुझसे, दोनों इस बात पर खिलखिलाकर हँस पड़े
समाप्त