वह इन सारी बातों को गहराई से सोच रही थी,,,,,
उसने पूनम से कहा, पूनम पर यह कैसे हो सकता है ,,राज ने कभी भी उस नजर से मुझे देखा ही नहीं और ना ही मैंने ,,,,
उनके लिए तो मैं अभी तक एक बच्ची हूं
वह मुझे हमेशा बच्चों की तरह ही ट्रीट करते हैं ,,,,डॉली माना कि तू राज से काफी छोटी है, पर प्रेम उम्र नहीं देखता
वह एक दूसरे के लिए इज्जत और प्यार देखता है, और तुम दोनों में वह सब कूट-कूट कर भरा हुआ है, जरा एक बार सोच कर देख अगर कल को तेरी शादी हो गई,
और तू कहीं और चली गई ,तो क्या तू किसी और के साथ खुश रह पाएगी,,,,
यह बात सुनकर सच में डॉली परेशान हो उठी थी ,राज से दूर जाने का की सोच कर भी वह डर गई थी ,,,,
उसके बाद भी पूनम कितनी देर तक एक एक बात उसे समझाती रही, उसे बताती रही अब आंगनबाड़ी बंद करने का टाइम हो गया था ,और राज का भी फोन आ गया था कि वह 1520 मिनट में ही डॉली को लेने आ रहा है, डॉली धीरे-धीरे आंगनबाड़ी में बिखरा हुआ अपना सामान समेटने लगी
तब तक राज की जीप का हॉर्न बाहर सुनाई दिया, जैसे ही डॉली बाहर जाने लगी पूनम ने उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा !
डॉली अब और देर मत करना,,,,
तुझे इस बात को समझना ही होगा, कि तू और राज एक दूसरे के लिए ही बने हैं
यह कहते हुए पूनम ने डॉली का हाथ छोड़ दिया,,,, डॉली चुपचाप आकर जीप में आगे की सीट पर बैठ गई ,,,
हमेशा की तरह राज ने जीप स्टार्ट की और उसका बोलना शुरू हो गया,,,,,
महारानी ! कैसा रहा आज का दिन तेरा जो भी काम था, सब हो गया ना, कि तेरे को अभी और यहां पर छोड़ने को आना पड़ेगा डॉली प्रश्नवाचक निगाहों से राज की तरफ देखे जा रही थी ,,
वह बहुत कुछ पूछना चाहती थी राज से बहुत बातें करना चाहती थी, पर उसे पता था कि राज को यह सब समझाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, पता नहीं वह इस बात पर कैसे रिएक्ट करेंगे ,,,
राज लगातार बोल रहा था, और डॉली चुपचाप उसकी बातें सुनती जा रही थी
कुछ ही देर में घर आ गया, डॉली ने अपना बैग उठाया और अंदर चली गई
राज भी उसके पीछे-पीछे अंदर आ गया था ,काकी दोनों का इंतजार ही कर रही थी जैसे ही दोनों अंदर आए, राज ने काकी की तरफ देखते हुए कहा,,,,
काकी देखना इस महारानी को क्या हो गया है, मैं कबसे से कुछ पूछ रहा हूं ,ये है कि कुछ बोलती ही नहीं ,,
डॉली आई और काकी के गले में बाहें डाल कर उनके कंधे पर अपना सिर टिका दिया राज देख रहा था, कि डॉली चुपचाप है लेकिन वह फिर भी उसे चिढ़ाने की कोशिश कर रहा था, पर काकी ने डॉली के गाल पर हाथ रखते हुए, उसकी आंखों में देखकर पूछा!
क्या होगा मेरी डॉली बिटिया को आज ऐसे चुपचाप और बुझी बुझी क्यों है, तेरा सब काम तो ठीक रहा ना, डॉली ने धीरे से कहा जी काकी सब ठीक था
और बैग उठाकर अपने कमरे में चली गई राज और काकी एक दूसरे की तरफ देखने लगे, कि आज से पहले तो डॉली ने ऐसा कभी नहीं किया, वह जब भी आती चहकते हुए सारी बातें बताती, और आते साथ ही
काकी की मदद भी करवाने लगती
जैसे ही राज उसके पीछे उसके कमरे में जाने लगा, तो काकी ने राज का हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा!
बेटा लगता है वह किसी बात पर परेशान है अभी उसे और परेशान मत कर कुछ देर बाद उसका मूड ठीक हो जाएगा, तो वह खुद ही हमसे बात कर लेंगी,,,
और यह कह कर काकी रसोई में चली गई पर राज के दिमाग में अभी भी चल रहा था कि आखिर हुआ क्या है, जो डॉली इस तरह का व्यवहार कर रही है,,तभी दुकान से कोई लड़का बुलाने आया,,,
राज भैया ढाबे पर चलिए, कुछ ग्राहकों को आपसे बात करनी है ,और राज भी ढाबे पर चला गया……………
डॉली बहुत देर तक अपने कमरे में चुपचाप लेटी रही, आज वह रसोई में भी काकी की मदद करवाने नहीं आई थी ,काकी ने भी सोचा की आंगनवाड़ी का काम ज्यादा हो गया होगा ,इसलिए थक गई होगी ,काकी रात का खाना भी बना चुकी थी ,जब डॉली खाना खाने के लिए नहीं उठी,तो काकी ने बुलाया तब भी डॉली ने कोई उत्तर नहीं दिया काकी थालियां लगा रही थी, और बीच-बीच में डॉली को आवाज भी देती जा रही थी
तब तक राज भी ढाबे से आ गया ,जब उसने देखा कि काकी रसोई में अकेले ही है तो राज ने डॉली के बारे में पूछा
तो काकी ने राज से ही डॉली को बुलाने के लिए कहा !
बेटा जाकर उसको उठा ले ,लगता है आज थक गई होगी ,इसलिए सो गई ,राज ने डॉली के कमरे में जाकर डॉली को जोर से आवाज लगाते हुये कमरे की लाइट भी जला दी,, और देखा तो सच में डॉली सो रही थी ,राज ने कमरे से ही आवाज लगाई काकी ,यह क्या महारानी अभी से सो गई मैं आवाज लगा रहा हूं, सुन
भी नहीं रही
काकी ने कहा बेटा, अगर सो गई है तो उसे उठा ले ,आंगनबाड़ी से आकर तो उसने कुछ भी नहीं खाया, राज हिलाकर डॉली को उठाने लगा, फिर भी डॉली गहरी नींद में थी राज ने उसके माथे पर अपना हाथ रखा तो देखा कि उसका माथा गर्म था
राज ने चादर हटाते हुए डॉली का हाथ पकड़ा, तो हाथ भी गर्म था
राज वहीं से चिल्लाता हुआ काकी के पास आया, काकी महारानी को तो बुखार है
क्या काकी थाली छोड़ते हुए डॉली के कमरे की तरफ गई ,काकी रास्ते में ही बढ़बढ़ाती जा रही थी ,यह लड़की भी ना सुबह से शाम तक मशीन की तरह काम करती है
अपने खाने-पीने का तो ख्याल ही नहीं रखती कितनी बार कहती हूं, टाइम पर खाना खा लिया कर ,दूध फल लिया कर ,पर उसे तो घर के काम और आंगनबाड़ी के काम इन दोनों के अलावा कुछ और दिखता ही नहीं सबका ध्यान रख लेती है, एक अपना ही नहीं रख पाती, काकी ने भी आकर डॉली के माथे पर हाथ रखा ,देखा तो माथा गर्म था
काकी जल्दी से रसोई में से पानी का गिलास भरकर लाई ,और राज से कहां तू डॉली को थोड़ा पानी पिला, जब इसकी नींद खुल जाए ,तो कुछ खिलाकर दवाई देना पड़ेगी राज ने डॉली को उठा कर बेड पर बिठा लिया था ,और अपने कंधे से उसका सर टिकाते हुए
उसको सहारा दिया
काकी डॉली को पानी पिलाने लगी
डॉली लगभग आधा गिलास पानी पी गई थी राज ने काकी की तरफ देखते हुए कहा कि मैं अभी डॉक्टर को लेकर आता हूं
डॉली ने राज को रोका और धीरे से कहा मैं ठीक हूं, इतनी रात को वैसे भी कौन सा डॉक्टर मिलेगा, अभी पेरासिटामोल ले लेती हूं ,हम सुबह चलकर डॉक्टर को दिखा देगे
डॉली की टेंशन में राज के चेहरे पर चिंता साफ दिख रही थी
उसने कहा तू ऐसे कैसे कोई भी दवाई ले लेगी, और पहले तो तू कुछ खा ले सुबह से काम काम और बस काम लगा रहता है पहले कुछ खा, उसके बाद तुझे कोई दवाई देंगे ,और काकी से खाने की थाली लाने के लिए कहा, डॉली बच्चों की तरह जिद करने लगी कि मुझे कुछ नहीं खाना ,मुझे बिल्कुल भी भूख नहीं है
पर राज छोटे-छोटे कौर तोड़कर एक एक निवाला उसके मुंह में रखता जा रहा था
डॉली जबरदस्ती मुंह बना बना कर वह कौन निगल रही थी ,,,
जैसे ही एक रोटी खत्म हुई डॉली ने दोनों हाथों से अपना मुंह बंद कर लिया ,मैं अब और नहीं खा सकती ,प्लीज !
काकी ने कहा ठीक है ,राज अब जबरदस्ती मत कर ,इतने खाने के बाद हम इसको दवाई दे सकते हैं,
लेकिन राज ऐसे कहां मानने वाला था , इसी गांव के पास एक डिस्पेंसरी थी ,जहां पर राज और काकी अक्सर जाया करते थे, और उनसे राज की अच्छी जान पहचान भी थी ,उनको फोन लगा दिया
डॉक्टर से बात करने के बाद, जब डॉली के बारे में सब कुछ बता दिया ,और उन्होंने टेबलेट का नाम बता कर अच्छे से सब कुछ समझा दिया ,तब राज को तसल्ली हुई जिस टेबलेट का नाम उन्होंने बताया ,वह घर पर ही रखी थी ,राज ने वह टेबलेट डॉली को खिला दी ,और उसे लिटा कर उसके पास ही बैठ गया, तभी काकी ने कहा राज डॉली को तो दवाई खिला दी,, अब तू भी तो कुछ खा ले ,लगी हुई थाली भी ठंडी हो गई होगी राज ने कहा की तू जा कर खाले
मैं शहज़ादी के पास बैठता हूं
जब डॉली ने सुना ककि अभी तक राज और काकी ने खाना नहीं खाया ,तो डॉली ने धीरे से उठते हुए कहा ,काकी आप दोनों खाना खा लीजिए, मैं अब ठीक हूं
मुझे पहले से अच्छा लग रहा है
डॉली के कहने पर राज खाना खाने काकी के साथ आ गया ,लेकिन खाना खाने के बाद उसने एक बार फिर डॉली को जाकर देखा उसका बुखार कम हुआ कि नहीं, इस बार पहले से बुखार कम था, राज ने कहा काकी आप लोगों के साथ, में भी यही एक फोल्डिंग डाल कर सो जाता हूं ,रात को भी इसका फीवर देखना पड़ेगा , यह तो सो जाएगी तो इसको होश ही नहीं रहेगा ,काकी
भी दवाई खा कर सोती थी ,तो उसकी आंख सुबह ही खुलती थी ,इसलिए काकी को भी यही सही लगा ,राज ने भी एक फोल्डिंग डाला और सो गया ,राज हर दो-तीन घंटे में उठकर पूरी रात डॉली का फीवर चेक करता रहा
कि कहीं बढ़ तो नहीं रहा है
लेकिन फीवर नॉर्मल ही था, ऐसे ही पूरी रात निकल गई ,जब सुबह हुई तो डॉली रोज की तरह ही उठ गई ,हां पर उसे कमजोरी लग रही थी ,इस इसलिए वह रोज की तरह काम भी नहीं कर पा रही थी ,राज की नींद तो सुबह बहुत ही पक्की होती थी
उसको आसानी से उठाना तो हो ही नहीं पाता था, लेकिन आज राज की भी नींद खुल गई ,उसने जब देखा कि डॉली अपनी जगह पर नहीं है ,तो जल्दी से बाहर आया जहाँ हाथ में झाड़ू लीये डॉली दिखी
झाड़ू छीनते हुए डॉली को डांटना शुरू कर दिया ,महारानी तुझे चैन नहीं पड़ता क्या
क्या तेरी इच्छा क्या है, तू अच्छी तरह से बीमार पड़ना चाहती है क्या
यह सब काम छोड़ और जाकर चुपचाप अपने कमरे में लेट जा ,और फिर काकी को भी आवाज लगाई ,काकी देखना ये शहज़ादी सुबह सुबह क्या कर रही है
यह झाड़ू लेकर आ गई ,तू भी इसे कुछ नहीं कहती ,,,काकी ने अभी तक डॉली को देखा ही नहीं था, कि वह उठकर झाड़ू लगाने लगी है
काकी तो सुबह से उठकर नाश्ता बनाने में लग
गई ,और जब राज के उठने की आहट हुई ,तो उसने एक चूल्हे पर चाय भी चढ़ा दी डॉली के हाथ से झाड़ू छीन कर
उसका हाथ पकड़ उसके कमरे में ले गया औऱ वापस उसे बेड पर लिटा दिया
डॉली राज को समझाने की कोशिश कर रही थी, कि कल से उसे बेहतर लग रहा है और फिर आज शनिवार है ,सप्ताह का आखरी दिन तो उसे आंगनवाड़ी भी जाना होगा ,कल तो छुट्टी तो है ही
वह कल ही आराम कर लेगी, राज ने डांटते हुए कहा ,तेरी समझ में नहीं आ रहा
कि मैं तुझ से कह क्या रहा हूं
खबरदार जो यहां से हिली भी ,अरे तेरी नौकरी लगे हुए 1 साल हो गया
1 दिन की भी छुट्टी नहीं ली होगी
साला सब फालतू में बर्बाद हो जाएंगी
छुट्टियां ,जब तक तू बिल्कुल ठीक नहीं हो जाती, घर से बाहर कदम भी नहीं रखेगी
मैं जाकर वहां पर बोल दूंगा ,और तुझे मोबाइल दे रहा हूं ,और भी तुझे जिस से बोलना हो तो तू बोल देना, यह राज का आखरी फैसला था ,औऱ राज के सामने बोलने की डॉली की हिम्मत भी नहीं थी
डॉली ने कहा ठीक है ,कम से कम मुझे डांटो तो मत ,देखो ना एक तो मेरी तबीयत ठीक नहीं ,ऊपर से आप कल से मुझे डांटे ही जा रहे हैं,,,
हां क्योंकि तुझे डांट से ही समझ में आता है अगर प्यार
से बोलो , तो तू सर पर चढ़ कर नाचने लगती है ,,,जब डॉली लेट गई तो
राज रसोई में गया ,और मखाने का डिब्बा ढूंढने लगा ,एक के बाद एक डिब्बे खोलता जा रहा था ,काकी ने उसके पीछे आते हुए कहा, राज तुझे क्या चाहिए ढूंढ क्या रहा है काकी मैं मखाने का डिब्बा ढूंढ रहा हूं
जब मुझे बुखार आता ,तो तू मुझे वह थोड़ी सा घी और नमक डालकर फ्राई करके देती थी ना ,तो उससे अपुन का मुँह एकदम रापचिक हो जाता था ,और टेस्ट भी अच्छा लगता था ,तो वैसे ही मैं महारानी के लिए बना रहा हूं ,,,,,,
काकी ने हंसते हुए कहा वह मेरी रसोई है
तू रहने दे मेरी रसोई में ही संभाल लूंगी
तू अपना ढाबा ही संभाल ,तू जाकर डॉली के पास बैठ जा ,मैं मखाने तल के लाती हूं और काकी मखाने का डब्बा निकालकर उसे कढ़ाई में हल्का सा घी डाल कर भूना और नमक मिलाते हुए डॉली के पास ले आई
ऐसे मखाने खाने से सच में मुंह का स्वाद अच्छा हो जाता था, राज एक एक मखाना डॉली को अपने हाथों से खिला रहा था राज
ने मखाने खिलाए ,और दूध पिलाया तब तक काकी ने अंदर आते हुए कहा
राज ,राज ,डॉक्टर साहब आए हैं
क्या तू ने उन्हें फोन किया था
हां काकी मैंने तो रात को ही उन्हें फोन किया था, और
सुबह आने के लिए भी बोल दिया था ,आप उन्हें बिठाओ मैं डॉली को लेकर आता हूं ,राज ने डॉली को उठाया और बाहर वाले कमरे में उसे डॉक्टर को दिखाने ,लगा डॉक्टर ने अच्छे से डॉली की आंखें ,जीभ ,हाथ, नाखून और बुखार सब कुछ चेक किया ,और कहा! राज चिंता की कोई बात नहीं है ,डॉली को वायरल फीवर है पर हां मुझे लग रहा है ,कि इन्होंने किसी बात का स्ट्रेस भी लिया है
राज डॉक्टर का मुंह देखने लगा, डॉक्टर साहब मैं कुछ समझा नहीं, राज मेरे कहने का मतलब है ,कि जब हम किसी बात को बहुत गहराई से ,और बहुत देर तक सोचते रहते हैं ,तो उसकी वजह से भी हमारी बॉडी में वीकनेस महसूस होती है, और ऐसे में हमारा साधारण सा फीवर भी काफी बढ़ जाता है ,तो बस डॉली के साथ ही यही हुआ है ,कुछ काम का प्रेशर होगा ,और प्रेशर से ज्यादा लगता है उन्होंने अपने दिमाग पर जोर डाला है ,पर फिर भी लापरवाही करना सही नहीं है ,मैं 3 दिन का मेडिसन दे रहा हूं और डॉली को आराम के साथ ही अच्छे से खाना पीना भी खाना होगा
उसके बाद बिल्कुल पहले की तरह स्वस्थ हो जाएंगी, डॉक्टर ने दवाइयां लिखकर राज के हाथ में दी ,और जाने के लिए खड़े हो गए ,राज डॉक्टर साहब के पीछे पीछे उन्हें छोड़ने बाहर तक आ गया
जब डॉक्टर जाने लगे, तो राज ने एक बार फिर उनसे पूछा डॉक्टर साहब कोई और परेशानी तो नहीं है ना ,डॉक्टर ने हंसते हुए कहा अरे नहीं राज, कोई भी
परेशानी नहीं है ,वायरल फीवर तो वैसे भी दो-तीन दिन का होता है, 3 दिन का डोज़ लेने के बाद उनको अच्छा लगेगा ,और डॉक्टर चले गएपर्चा राज के हाथ में ही था ,राज ने अपनी मोटरसाइकिल निकाली और जल्दी से डॉली की दवाइयां भी ले आया ,आकर उसने डॉली से ही दवाइयों के बारे में समझा
और एक एक दवाई खोलकर डॉली को पिलाने लगा, राज डॉली का ध्यान रख रहा था
और डॉली के ध्यान में तो राज ही था
डॉली को पूनम की कही हुई एक एक बात याद आ रही थी, पूरी रात यही स्ट्रेस तो डॉली के दिमाग में था ,और शायद इसी की वजह से उसका बुखार इतना बढ़ गया था
डॉली ने बहुत सोचा ,हर पहलू से सोचा
हर तरह से सोचा ,अभी भी वह सोचती ही जा रही थी, पूनम की कही हुई एक एक बात डॉली को सच महसूस हो रही थी
आज राज के लिए वह अपने अंदर के भावों को समझने की कोशिश कर रही थी जब राज ने डॉली को सारी दवाइयां खिला दी,और देखा कि यहाँ पानी नहीं था
तो पानी लेने रसोई में चला गया, तब तक डॉली ने देखा कि सामने ही दीवार पर टंगे हुए मंदिर से, कान्हा जी का मुकुट उनके माथे से निकलकर जमीन पर आ गिरा है डॉली धीरे से उठी ,और जाकर कान्हा जी का मुकुट
हाथ में लेकर उन्हें पहनाने की कोशिश करने लगी,,,,
डॉली ने धीरे से कान्हा जी के सर पर उनका मुकुट वापस रख दिया ,और एक बार उनकी तरफ देख कर मुस्कुराई, कान्हा ,मेरे भाई मेरे सखा ,सब कुछ तुम ही हो ,मेरे दिमाग में इतनी सारी उलझने चल रही है
तुमने मेरा हर कदम पर साथ दिया है
जब भी मैं भटकी हूं तुमने मुझे राह दिखाइ है ,मेरा सहारा तुम बने हो ,मेरी उलझने तुमने ही सुलझाइ है
लेकिन अब मेरे साथ जो हो रहा है
ना तो वह उलझन है ,नहीं कोई परेशानी है और ना ही कोई ऐसी बात है जिसकी शिकायत में तुमसे करूं, बस इस बार अगर मुझे जरूरत है ,तो अपनी समझ की
सब कुछ समझते हुए भी मैं क्यों जान नहीं पा रही हूं ,कान्हा जी तुम मेरी सहायता करो मुझे बताओ कि
सच क्या है
कान्हा जी पूनम ने कहा था कि राज को मेरे लिए ही बनाया है ,लेकिन मैं क्यों नहीं समझ पाई ,
अभी तक राज के साथ अपने रिश्ते को लेकर मैं नासमझ क्यों हूं
कान्हा जी मैं तो 8 साल की थी तभी मेरी मां और कुछ दिनों बाद ही बापू मुझे छोड़ कर चले गए थे ,तब से मैं बिल्कुल अकेली हूं लेकिन आपने मुझे इस घर में भेजा
तो आप मुझे भी बता दो कि मेरी किस्मत में किसका साथ लिखा है ,वह कौन है जो आकर मेरे साथ खड़ा होगा ,जिसका हाथ पकड़ कर मैं पूरी जिंदगी चलूंगी ,कान्हा जी आपको मुझे बताना ही होगा ,,,
जिस मंदिर में डॉली के कान्हा जी बैठे थे उनके ठीक उसी के पीछे कान्हा जी की एक बड़ी सी कांच से जड़ी हुई तस्वीर भी रखी थी जिसे डॉली के जन्मदिन पर राज मेले से लेकर आया था
डॉली लगातार अपने कान्हा जी से यह सवाल करती ही जा रही थी, कि कान्हा जी मुझे इस बात का एहसास करवाइए कि मेरा साथ किसके लिए है
और सामने रखी बड़ी सी कांच की तस्वीर में डॉली को राज का चेहरा नजर आया
जो डॉली के बगल में आकर खड़ा हो गया था ,कान्हा जी की परछाई के पीछे डॉली और राज दोनों का चेहरा साफ नजर आ रहा था ,राज को देख कर डॉली का मुंह खुला का खुला रह गया
जब वह मुड़ी तो देखा कि पानी का गिलास लेकर राज
ठीक उसके पीछे ही खड़ा था डॉली ने राज को देखा और राज डॉली को पानी पिलाने लगा, लेकिन पानी पीते हुए डॉली बहुत ध्यान से राज को देखती जा रही थी ,आज कान्हा जी से पूछे हुए सवालों का जवाब उसे मिल चुका था
अब उसे जानने के लिए कुछ भी बाकी नहीं था ,वह सब कुछ समझ गई थी
उसे तो हमेशा ही खुद से ज्यादा भरोसा अपने कान्हा जी पर रहा है
सब कुछ उन्ही पर तो छोड़ रखा है उसने शुरू से आज तक जब वह इतनी बड़ी उलझन में थी ,तो यह कैसे हो सकता था कि कान्हा जी उनका साथ ना दे
वह हर बात समझ चुकी थी ,सब कुछ जान चुकी थी, अब कुछ भी कहने या सुनने के लिए बाकी नहीं था ,उसे राज में अपने भोलेनाथ दिखाई दे रहे थे
राज का प्रेम भी तो बिल्कुल भोलेनाथ की तरह ही अजर अमर और निश्चल था
जिसमें कोई झूठ ,कोई फरेब ,और कोई धोखा नहीं था ,एक एक बात अच्छी तरह से डॉली कि समझ में आ गई थी
पानी पीते पीते उसके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई ,और आंखें राज के चेहरे से हट ही नहीं रही थी, वह राज को देखे ही जा रही थी,,,,,,,,
डॉली लगातार राज की आंखों में देखे ही जा रही थी, वह भी राज की आंखों में अपनी परछाई देखना चाहती थी, कि वह कितनी गहराई से राज की आंखों में समाई हुई है बह राज में खुद को ढूंढ रही थी
आज सारी बातें साफ हो चुकी थी
उसे सब कुछ महसूस होने लगा था , कि राज का अपनापन ,उसकी देखभाल और उसकी डांट यह सब प्यार ही तो है
राज इस प्यार को चाहे कुछ भी नाम दे लेकिन डॉली को आज अपने मन में राज के लिए प्रेम की अनुभूति हो चुकी थी
डॉली का कतरा कतरा राज के प्रेम की गवाही दे रहा था ,डॉली भी तो राज की जो देखरेख करती थी, उसकी इज्जत करती थी उसकी सारी चीजों की परवाह करती थी उसके घर के लिए ,उसके ढाबे के लिए काकी के लिए, मन में जो रिस्पेक्ट ,जो प्यार और जो चिंता थी ,वह प्रेम ही तो है
इन्हीं सब चीजों से तो प्रेम को आंका जाता है अब कुछ और समझने के लिए बाकी नहीं रहा था, राज के हाथ
में अब भी पानी का गिलास था ,और डॉली बड़ी-बड़ी आंखों से एकटक राज को से देखे जा रही थी
राज को कुछ अजीब लगा तो उसने डॉली को आवाज लगाई ,,महारानी अपुन को तू
घूरने क्यों लगती है ,अपन तेरे लिए पानी लेने को गया था ,और तू इधर मंदिर के पास आकर अपने कान्हा जी से क्या खुसर पुसर कर रही थी, अपन को पक्का यकीन है अपनी कंप्लेन कर रही होगी
तो देख एक बात मैं तेरे कान्हा जी को पहले ही बता देता हूं ,अगर तूने दवाइयां खाने में या अपना ध्यान रखने में जरा भी लापरवाही की और डाँट के साथ साथ तुझे एक चपत भी लगाना पड़ा ना ,तो लगा दूंगा
और इसलिए अपन तेरे कान्हा जी को पहले ही बता देता हूं ,कि वह तेरे को समझा दे डॉली मुस्कुराई और राज के हाथ से पानी पीने लगी ,,,वह पानी का पूरा ग्लास खत्म कर चुकी थी ,पानी खत्म हुआ तो राज ने उसे वापस बेड पर बैठा दिया
और सख्त हिदायत देकर कि जब तक पूरी तरह से ठीक नही हो जाती, तब तक ना तो डॉली घर के कोई काम करेगी और आंगनबाड़ी तो बिल्कुल भी नहीं जाएगी इतना कहते हुए ढाबे के लिए निकल गया जाते-जाते काकी से भी डॉली का ध्यान रखने के लिए कह गया था,,,,,
डॉली मेंटली तो पूरी तरह से फिट हो चुकी थी ,बस बुखार की वजह से थोड़ी सी कमजोरी महसूस हो रही थी,,,,,
राज के जाने के बाद पिछले 5 सालों की सारी बातें एक-एक करके डॉली के दिमाग में घूमने लगी थी, जिस दिन से इस घर में आई उस दिन से आज तक उसे कभी भी राज की किसी भी बात से दुख नहीं पहुंचा था
हां यह जरूर था ,कि पहले बह राज से डरती थी, उससे ज्यादा बात नहीं करती थी और उसके पास भी नहीं जाती थी
लेकिन तब भी अपने लिए उसने राज की आंखों में फिकर ही देखी थी
चाहे वह भले ही उससे दूरी बनाकर रखती थी, क्योंकि तब वह बच्ची थी
और उसे लगता था ,राज बहुत ही सख्त है पर तब भी अगर राज उसके आस पास होता तो वह निश्चिंत हो जाती थी
हमेशा ही आंख बंद करके भरोसा किया है उसने राज और काकी पर ,और सच में यही तो प्यार है ,डॉली अब तक क्यों नहीं समझ पाई थी ,कि राज के अलावा उसकी जिंदगी में कोई और हो ही नहीं सकता
डॉली दिल ही दिल में पूनम को थैंक यू बोल रही थी ,क्योंकि अगर पूनम ये सब नहीं बताती ,तो वह अपने रिश्ते को नाम ही नहीं दे पाती, उसे समझ ही नहीं आता
कि उसके और राज के बीच जो रिश्ता है वह सिर्फ और सिर्फ प्रेम का रिश्ता है जिसकी अनजान डोर से दोनों कब के बंध चुके हैं ,लेकिन अभी तक जिस तरह
डॉली को इस बात की भनक नहीं थी
और समझ नहीं थी, इसी तरह राज को भी समझ नहीं है ,कि वो डॉली से प्यार करता है पर डॉली ने सोच लिया था ,कि वह राज के दिल में अपने लिए प्रेम जगा कर ही रहेगी सब सोचते हुए डॉली को मीठी मीठी नींद आने लगी थी ,वह सो गई जब दोपहर में काफी ने उसे खाने के लिए उठाया ,तो उसे काफी अच्छा लग रहा था
शरीर की सारी थकावट दूर हो चुकी थी
और मन भी बहुत हल्का था ,डॉली ने खाना खाया और दवाई खाकर काकी ने उसे फिर आराम करने के लिए कहा ,डॉली ने कहा कि मैं बिल्कुल ठीक हूं ,अब मुझे आराम की जरूरत नहीं है ,काकी ने काम करते हुए कहा डॉली तू जाने और राज अगर राज आ गया और उसने तुझे घर में घूमता हुआ देख लिया ,तो डांट सुनने के लिए तैयार रहना पर मेरे पास मत आ जाना ,कि वह तुझे डांटता है ,इसलिए तेरी भलाई इसी में है कि जाकर चुपचाप अपने कमरे में आराम कर ले डॉली मुंह बनाते हुए वापस कमरे में चली गई क्योंकि वह जानती थी
सच में पहले उसे डाँटेगा , उसके बाद उसकी दूसरी बात शुरू होगी ,इन 5 सालों में राज ने डॉली के साथ हर तरह का व्यवहार किया था ,जैसे कि हमारे घर वाले हमारे साथ करते हैं ,पर एक चीज का एहसास डॉली को हुआ ही नही था,वह था,राज का प्यार से बोलना राज या तो डॉली का मजाक उड़ाता था
या उसे डांटता था ,या फिर उसकी चिंता करता
था ,लेकिन प्यार के दो शब्द उसने डॉली से कभी नहीं बोले, शायद उसे प्यार से बोलना आता ही नहीं था, उसकी डांट में ही उसका अपनापन और प्रेम छुपा था
लेकिन अब डॉली राज के मुंह से अपने लिए प्रेम के वो ढाई अक्षर सुनना चाहती थी जिसकी अनुभूति उसे आज हो गई थी
पर यह बात तो डॉली की समझ से बाहर थी कि ,आखिर वह बात की शुरुआत करे कहां से ,अब सांझ होने को आई थी
और डॉली को काकी ने शुरू से ही समझाया कि दीया बत्ती के टाइम उठ कर बैठ जाना चाहिए, बिस्तर में पड़ा रहना शुभ नहीं माना जाता ,डॉली उठी अच्छे से हाथ मुंह धो कर कपड़े बदले ,और बाल काढ़ते हुए खुद को शीशे में देखा ,तो चेहरा कुछ उतरा हुआ लग रहा था, जब उसे राज का ख्याल आया तो उसने बाल बनाते हुए चेहरे पर क्रीम लगाई फिर भी चेहरा कुछ उदास और रंगहीन लग रहा था ,तो पास ही रखे काजल पर उसकी नज़र गई आंखों में अच्छे से काजल लगा लिया लेकिन डॉली को अब भी कुछ कमी लग रही थी, इधर उधर देखते हुए कि कहीं राज तो नहीं आ रहे है
उसने अपने होठों पर हल्की सी लिपस्टिक भी लगा ली, वैसे तो डॉली कभी कुछ भी नहीं लगाती थी , बस कभी शादी में जाना हो तो काकी के कहने पर थोड़ा बहुत मेकअप कर लेती थी, इतने में ही डॉली बहुत सुंदर लगने लगी थी,,,
कहते हैं न मन की खुशी चेहरे पर आती है और आज
डॉली मन से बहुत खुश थी
राज के प्रेम से उसका रूप खिल गया था
डॉली खुद को बार बार आईने में देख रही थीअब उसे राज के आने का इंतजार था कि राज घर आए तो वह अपने हाथों से चाय बनाकर राज को दे, लेकिन साथ ही उसे डर भी लग रहा था, कि इस तरह से देखने पर पता नहीं राज क्या कहेगे
जैसे ही डॉली को राज के आने की आहट हुई ,जल्दी से पिंक कलर का दुपट्टा ओड़ते
हुये रसोई में पहुंच गई ,शायद काकी दरवाजे पर थी ,काकी की आदत थी की शाम को खाने पीने से निपट कर कुछ देर के लिए बाहर जा कर बैठ जाती थी
वैसे ही खाना तो राज के आने के बाद ही होता था , डॉली ने जल्दी से चाय चढ़ाई
एक ट्रे में चाय और पानी रखकर बाहर ले आई
राज की नजर डॉली पर गई ,तो टॉवेल से हाथ पोछते हुए बोला
महारानी तू कहीं बाहर से आ रही है क्या मैंने तुझे मना किया था ना,कि तू घर में ही आराम करेगी, डॉली ने मुँह बनाते हुए कहा मैं कहीं भी नहीं गई थी,,, आप डॉटने से पहले एक बार मुझसे पूछ तो लिया करो !
तू कहीं नहीं गई थी ,फिर ये सब क्यों लगा कर रखा है ,घर में इतनी तैयार होकर क्यों घूम रही हैडॉली ने फिर गुस्सा होते हुए कहा अगर मैं तैयार हो जाऊ तो आप सवाल करने लगते हैं ,और अगर मैं ऐसे ही घूमती रहूं ,तो काकी मुझे डांटती रहती हैं
मैं करूं तो करूं क्या
एक बार मुझे देख कर बताइए क्या मैं अच्छी नहीं लग रही
आप तो हमेशा मुझे डांटते रहते हैं ,चाहे मैं कुछ भी करूं, क्या कभी प्यार से नहीं बोल सकते, एक बार देखकर मेरी तारीफ नहीं कर सकते ,कि मैं सुंदर लग रही हूं
और मुंह बनाकर राज की तरफ देखे जा रही थी, राज समझ गया कि डॉली गुस्सा हो गई है ,सिवा ने टॉवेल एक तरफ रखी और डॉली के हाथ से ट्रे लेते हुए कहा
सॉरी तुझे अपुन की बात का बुरा लग गया अरे मेरे कहने का मतलब वह नहीं थ
तू यह सब कभी करती नहीं है ना
तो ऐसे ही अच्छी लगती है, तुझे अच्छा लगने के लिए यह सब करने की जरूरत नहीं है ,तू जैसी है वैसे ही बहुत अच्छी है
और आज यह क्या तू बहकी बहकी बातें कर रही है ,कि तू सुंदर नहीं है ,अपन तेरी तारीफ नहीं करता ,यह क्या सब फालतू की बकवास किए जा रही है, देख तू एक बहुत अच्छी लड़की है, और बहुत अच्छी तरह से रहती है ,तू जो भी करती है सब कुछ सही करती है, तेरा कोई भी काम गलत नहीं होता डॉली ने बीच में ही बात काटते हुए कहा राज मैं आपसे जो कुछ कहना चाहती हूं मतलब वह आप समझ नहीं रहे हैं
राज चाय पीते पीते मोबाइल भी देखता जा रहा था, उसने कहा देख ये गोल-गोल बातें करेगी तो अपन कुछ भी नहीं समझेगा
तू अपन को डायरेक्ट बता कि तू समझाना क्या चाहती है, डॉली अपनी चुन्नी को उंगली में लपेटते हुए राज के आसपास चक्कर लगा रही थी, वह चाहती थी कि राज उसे देखे ,उसकी तारीफ करे,और उसकी आंखों में आंखें डाल कर उससे बात करे
लेकिन राज चाय पीने में ,और मोबाइल में व्यस्त था
डॉली लगातार बोलती जा रही थी ,डॉली ने कहा राज में कुछ आपको समझाना चाह रही हूं ,,,
हां तो बोल ना ! क्या तेरे बोलने का मुहूर्त निकलवाना
पड़ेगा
पहले बताइए आप मुझे डांटेंगे तो नहीं
अरे नहीं ,तू बोल ना और तू कब से अपन को इतना डरने लगी है ,तुझे जो बोलना होता है वह तो तू बोलती ही रहती है
मैं जो आपसे कहने वाली हूं ,आप मेरी वह बात मानेंगे
देख में पहले ही बता देता हूं अगर मानने वाली बात होगी तो ही अपन मानेगा
और मानूंगा तो तब जब तुम मुझे बताएगी
कल मुझे आपके साथ शहर चलना है
शहर पर काय के वास्ते
मुझे कुछ काम है
जो काम तुझे होगा उसका नाम भी तो होगा अभी तो शहर गए थे ,अभी शहर में कौन सा काम है ,,,,
मुझे आपके साथ मूवी देखना है
क्या राज चाय पीते पीछे अचानक रुक गया था ,उसने कप को टेबल पर रखा और डॉली के सामने खड़ा हो गया
महारानी एक बार फिर से बोलना तू क्या बोली,, डॉली ने आंखें झुकाते हुए कहा मुझे आपके साथ मूवी देखने शहर चलना है
मुझे सिनेमा हॉल में मूवी देखना है
महारानी तुझे कबसे सिनेमा देखने का शौक हो गया
पहले तो अपुन सिनेमा देखने बहुत ज्यादा
जाता था, हर संडे को जाता था
जब से तू आई है ,तब से नही गया
आज से पहले तो तू हमेशा मना करती थी और अब तुझे भी सिनेमा का शौक चढ़ गया ठीक है अगर तू कह रही है
तो एक बहुत ही मस्त मूवी लगी है
डॉन नंबर वन
मस्त साउथ मूवी है ,मारधाड़ से भरपूर
क्या एक्शन है हीरो का , इसका जो हीरो है ना साला ,एक लात से ट्रक को भी पीछे धकेल देता है, ठीक है मैं तुझे कल यही वाली मूवी दिखा कर लाता हूं ,और हां काकी से कह देना ,उसको भी ले चलेंगे
उसने भी सालों सिनेमा नही देखा है
खैर यह मैं तुझे क्यों बता रहा हूं ,तो वैसे भी काकी के बगैर हिलती कहां है
तो तैयार हो जाना कल ,मस्त तीन टिकट आज ही बुक करवा देता हूं
नहीं !!!! राज जो आप कह रहे हैं, मुझे वह वाली मूवी नहीं देखनी ,मुझे तो बाहुबली मूवी देखनी है
कुछ ही दिन पहले बाहुबली पार्ट 2 आया है और मेरी सहेली बता रही थी यह बहुत अच्छी मूवी है ,इस के गाने, इसका हीरो इसकी हीरोइन बहुत अच्छे हैं
और मैं चाहती हूं कि मैं आपके साथ यही मूवी देखने जाऊं और हां यह मूवी काकी को तो बिल्कुल भी पसंद नहीं आएगी
और फिर कल तो एकादशी है ,उनका व्रत रहता है ,तो वैसे भी वह शहर में कहां भूखी प्यासी परेशान होंगी, इसलिए मैं आपके साथ ही मूवी देखने चलूंगी
सिर्फ आप और मैं ,और कोई नहीं
महारानी तू पता नहीं अपन को कौन सी मूवी के लफड़े में डाल रही है, तब डॉली ने आश्चर्य से राज की तरफ देखते हुए कहा राज मूवी बहुत अच्छी है ,और जो आपको पसंद है ना एक्शन ,और मारधाड़ ,इसमें वह भी है ,और जो मुझसे पसंद है गाने ,और लव स्टोरी ,तो वह भी है ,दोनों का बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन है
प्लीज मैं आपके साथ ही मूवी देखने चलूंगी और इसके सिर्फ दो टिकट ,आप आज ही मंगवा लीजिए ,मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए और हां अगर आप मुझे मूवी दिखाने नहीं ले गए ,तो मैं वापस कल से ही आंगनबाड़ी जाना शुरु कर दूंगी, और अपनी दवाइयां भी नहीं खाऊंगी ,शहज़ादी तू पागल हो गई है क्या ,यह क्या बच्चों जैसी जिद कर रही है चल ठीक है, तू जो कह रही है वह सब हो जाएगा, मैं आज ही तेरी जो तूने मुझे बताइ है ना उसको बुक करवा देता हूं
इतना कहते साथ ही राज फोन निकालकर किसी को टिकट बुक करवाने के लिए फोन लगाने लगा, राज ने फोन को होल्ड किया और डॉली से पूछा शहज़ादी दोपहर में 1200 से 300 का शो बुक कर दूं
डॉली ने कहा नहीं मुझे रात को 600 से 900 का शो
देखना है, दोपहर में भी भला कोई मूवी देखने जाता है क्या
और इतनी गर्मी में मैं नहीं जाऊंगी
फोन होल्ड पर था तो ,राज ने डॉली से कुछ ना कहते हुए चुपचाप रात को 600 से 900 के दो टिकट बुक कर दिए
और मोबाइल जेब में रखते हुए बोला अब तो तू खुश है ना ,और सुन दवाइयां और आराम तो बराबर करेगी, इसी शर्त पर मैं तुझे मूवी दिखाने ले जा रहा हूं डॉली ने खुश होते हुए राज की आंखों में देख कर कहा थैंक यू
और अपने कमरे में चली गई……
राज मूवी जाने के लिए तैयार हो गया था
और उसने फटाफट टिकट भी बुक कर दिए तब कहीं डॉली के कलेजे में ठंडक पड़ी राज ढावे जा चुका था ,और काकी अभी भी बाहर बैठी थी, डॉली अपने कमरे में गई और झट से अपनी अलमारी खोलकर देखने लगी कि कल वह कौन सा सूट पहनकर राज के साथ मूवी देखने जाएगी, वह सारे कपड़ों को उलट पलट करती हुई कोई अच्छा सा सूट देख रही थी
आज तक तो डॉली को कभी भी ज्यादा शौक था ही नहीं ,कहीं जाती तो कभी कभार साड़ी ,या कोई अच्छा सा सूट पहन लेती
वह भी काकी के कहने पर, वैसे डॉली को किसी चीज की कमी नहीं रहती थी
पर उसका मन ही नहीं करता था कि वह नए-नए सुंदर-सुंदर कपड़े खरीदे, और पहने सिंपल लैगी और कुर्ता पहन कर ही आंगनवाड़ी चली जाती थी
लेकिन कुछ दिन पहले ही डॉली की सहेली की शादी थी ,तो उसके लिए डॉली ने एक बहुत सुंदर पटियाला सूट सिलवाया था
जिसकी शॉर्ट टाइट फिटिंग की वाइट कुर्ती ,और पिंक पटियाला सलवार के साथ पिंक दुपट्टा
यह सूट डॉली के ऊपर बहुत अच्छा लगता था ,और जब वह इसे शादी में पहन कर गई थी ,तो सबने उसकी बहुत तारीफ की थी डॉली ने सूट के साथ लंबे खुले हुए बाल किए और मैचिंग के झुमके भी कानों में डाले थे उस दिन राज ने भी एक झलक देखकर डॉली की तारीफ की थी
शहज़ादी तेरा सलवार कुर्ता अच्छा लग रहा तूने कहां से सिलवाया इसे
डॉली को यह बात याद आते ही उसने झट से उसी सूट को कल पहनने के लिए बाहर निकाल लिया , क्योंकि यह पहली बार था जब राज ने किसी ड्रेस की तारीफ की थी सूट निकालकर उस पर अच्छे से प्रेस किया और हैंगर में लटका दिया ,उसकी मैचिंग के झुमके, और चुन्नी भी निकाल कर बाहर रख दी थी, जिससे कि जाते समय किसी चीज को ढूंढने में दिक्कत ना हो
डॉली कल के बारे में सोच कर अभी से बहुत खुश हो रही थी ,लेकिन उसने अभी तक यह नहीं सोचा था ,कि मूवी देखने तो जा रही है पर वहां जाकर भी राज से कुछ कहेगी कैसे डॉली को एक आईडिया आया
उसने झट से अपना मोबाइल उठाया और उसमें बाहुबली 2 डाउनलोड करके उसे देखने लगी, क्योंकि वह सारी मूवी देख कर समझ लेना चाहती थी ,कि मूवी के बीच में राज से किस गाने पर और किस सीन के बारे में कौन सी बात कर सकती है
और उस बात का जवाब राज के पास है कि नहीं ,इसलिए डॉली एक बार पहले ही इस मूवी को अच्छी तरह से देखना चाहती थी
थोड़ी ही देर बाद राज और काकी अंदर आ चुके थे, जब सभी खाना खाने लगे तो राज ने कल सिनेमा जाने का जिक्र काकी के सामने किया ,,,
काकी तुझे पता है
अपनी महारानी का सिनेमा देखने का मूड बन रहा है, और उसी के कहने पर मैंने तो टिकट भी बुक करा दीये है
और अपुन इसको ले जा रहा है सिनेमा दिखाने ,लेकिन अपन ने इसके सामने एक शर्त भी रखी है ,कि सिनेमा देखने के बाद यह अपना ध्यान रखे ,और घर पर रहकर आराम करे, काकी !!! इस बात की गवाह तू ही है
वर्ना ये सिनेमा भी देख लेगी ,और अपनी बात से मुकर भी जाएगी
काकी मेने तो तुझे भी साथ ले जाने की बात कही थी ,पर इस डॉली ने यह कहते हुए मना कर दिया, कि तेरा कल उपवास है तो तू कहां परेशान होती फिरेगी ,,,,
काकी ने कहा! हां बेटा अच्छा ही किया मेरा कल उपवास भी है ,और मुझे ना देखना कोई फिल्म ,वहाँ 3 घंटे अंधेरे में बैठकर मेरा तो दम घुटने लगता है,और वहां इतनी ठंडक होती है , कि मुझे ठंड भी लगने लगती है राज ने हंसते हुए कहा , काकी वहां ऐ सी लगा रहता है ,इसलिए ठंडक होती है
हां जो भी हो, तुम दोनों ही देख आओ
डॉली का भी मन बहल जाएगा, काम में फंसी रहती ,वैसे भी वह कहीं बाहर कब जाती है
डॉली कभी राज को देखती और कभी काकी को,वह चुपचाप खाना खाती जा रही थी,,
वह सोच रही थी, सच में राज के मन में तो मेरे लिए कुछ भी पर्सनल नहीं है
अगर में उनसे कुछ कहूंगी भी ,तो वह बात तुरंत काकी तक पहुंच जाएगी
राज किसी बात को समझते ही नहीं
वह अपने कान्हा जी को याद करके कहने लगी,,, कान्हा जी!
राज को आप ही समझा सकते हैं
वरना कहीं ऐसा ना हो ,कि मैं उनसे कुछ कहूं और इस बात को काकी के साथ-साथ ढाबे पर भी सबके साथ शेयर करने लगे
डॉली के होठों पर हंसी आ गई थी
पर जो भी हो ,कैसे ना कैसे बात की शुरुआत तो उसे करनी ही होगी ,और इस तरीके से करनी होगी कि बिना कहे ही राज बहुत कुछ समझ जाए,,,,,
बह जब डॉली सो कर उठी तो आज का यह दिन उसके लिए बहुत इंपोर्टेंट था
आज 3 दिन बाद उसकी कमजोरी और बुखार सब कुछ ठीक हो गया था
और फिर अगर कमजोरी होती भी तो राज के साथ
रहते हुए भला उसे किस बात की चिंता थी ,वह उठी काकी के साथ थोड़ा बहुत काम करवाया, नहा धोकर कान्हा जी को प्रसाद खिलाया ,उनसे अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए आशीर्वाद मांगा,और छोटे-मोटे काम करते हुए शाम का इंतजार करने लगी,,,
शाम को 600 से 900 का शो था
कम से कम 400 बजे उन्हें यहां से निकलना था 400 बजे तक डॉली अच्छी तरह से सज कर तैयार हो गई थी
वाइट कुर्ती के साथ पिंक पटियाला सलवार पिंक दुपट्टा ,होठों पर हल्की सी लिपस्टिक कानों में झुमके, हाथों में उसी की मैचिंग की नेल पॉलिश ,और पैरों में जूतियां
अपने बालों को डॉली ने खुला ही छोड़ा था
जब तैयार होकर कमरे से बाहर निकली
तो काकी डॉली को देखती ही रह गई
बिना कुछ कहे कमरे में गई, और उंगली में थोड़ा सा काजल ले कर आई
डॉली के बालों को हटाते हुए काजल उसके कान के पीछे, और बालों के ऊपर छुपाते हुए लगा दिया ,और खुश होकर कहने लगी
देख कितनी सुंदर लग रही है मेरी बच्ची
अरे हमेशा ऐसी ही तैयार होकर जाया कर कहीं भी जाए,,, कितनी प्यारी लग रही है तुझसे कितना भी कहो कभी अच्छे से तैयार होती ही नहीं ,आजकल की लड़कियां तो देखो बिना लाली लगाए घर से बाहर ही नहीं निकलती, आज पहली बार है जब तू बिना कहे ही
मेरी पसंद का तैयार हुई है
अरे मैं भी ऐसे ही चाहूं ,कि जैसे सब की लड़कियां सज सवरकर रहती हैं
तू भी ऐसी ही रहे, तुझे नजर ना लगे बड़ी प्यारी लग रही है,,,,,
राज भी अपना बेल्ट लगाते हुए काकी की बातें ध्यान से सुन रहा था
कभी काकी को देखता, और कभी डॉली को
जीन्स,वाइट फुल शर्ट, और हमेशा की तरह अपनी फेवरेट जैकेट ,राज के कपड़े हमेशा ही ब्रांडेड और अच्छे होते थे
उसे बचपन से सिर्फ दो ही चीजों का तो शौक था, एक कपड़ों का और दूसरा गाड़ियों का ,चाहे वह उसकी अपनी रॉयल इनफील्ड बुलेट हो ,या फिर उसकी पसंदीदा जीप
जब दोनों घर से बाहर निकलने लगे
तो काकी ने एक टिफिन और पानी की बोतल पकड़ाते हुए कहा!
डॉली तू अभी बुखार से ठीक हुई है
बाहर का कुछ भी मत खाना ,,,,
राज ने टिफन को वापस टेबल पर रखते हुए कहा ,काकी वहां पर सारा खाना पैक मिलता है ,और बहुत साफ सफाई वाला होता है ,तू यह सब रहने दे
पर डॉली ने टिफिन को वापस उठाया और पानी की बॉटल लेते हुए काकी से कहा कि मैं आपके हाथ का खाना ही खा लूंगी
अब तो खुश ,,,,और राज के साथ वाहर आ गई,,,मार्च का महीना था ,शाम को 400 बजे के बाद अभी भी हल्की ठंडक रहती थी राज ने जीप स्टार्ट की और शहर की तरफ लेते हुए आगे बढ़ाई
डॉली बार बार राज का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रही थी
कभी कुछ कहती तो कभी कुछ, पर राज अपनी ही धुन में मस्त ,गोविंदा का कोई गाना गुनगुनाते हुए गाड़ी आगे बढ़ाता जा रहा था डॉली ने मुँह बनाते हुए राज से कहा
राज आप मेरे साथ शहर जा रहे हैं
आपको याद भी है कि आप के बगल में कोई और भी बैठा है ,आप खुद में ही मस्त हो जाते हैं , किसी और पर आपका ध्यान ही नहीं जाता ,काकी ने मेरी इतनी तारीफ की और आपने मुझे ठीक से देखा भी नहीं
मैं क्या देखूं मैंने कहा तो है तू हमेशा ही अच्छी लगती है ,,,और हां यह वही वाला ड्रेस है, ना जो तूने अपनी सहेली की शादी में पहना था ,,,यह रापचिक लगता है तेरे ऊपर अपन और क्या कहे
तू बता ना ,मैं सेम टू सेम बोलेगा,,,,
राज को समझाना सच मे बहुत मुश्किल था
ठंडी हवा के झोंके डॉली के बाल कभी उसके चेहरे को छूते ,तो कभी उसके कंधों को
सुहाना मौसम औऱ राज के परफ्यूम की महक मौसम
को और भी खुशनुमा बना रही थी, रास्ते के इस सुहाने सफर के बाद दोनों शहर पहुंच गए थे ,और कुछ ही देर में शहर की भीड़भाड़ भरी सड़कों को चीरते हुए वहां के मल्टीप्लेक्स के सामने थे
बाहुबली मूवी में अब भी काफी भीड़ थी
सारे शो हाउसफुल चल रहे थे ,और जहां तक डॉली को याद था ,वह राज के साथ पहली बार ही सिनेमा हॉल में आई थी
भीड़ इतनी ज्यादा थी कि चलने में भी परेशानी हो रही थी ,लिफ्ट के बाहर भी काफी लोग लिफ्ट का इंतजार कर रहे थे पहले ही मंजिल पर थिएटर था ,तो राज ने पैदल जाना ही ठीक समझा ,और कस के डॉली का हाथ थामते हुए डॉली को सबसे बचते बचाते सीढ़ियों से ऊपर ले जाने लगा पीछे से दूसरे नंबर की लाइन में डॉली और राज की 2 सीटें बुक थी
लास्ट सीट पर डॉली को बिठाते हुए खुद उसके बगल वाली सीट पर बैठ गया एडवर्टाइजमेंट चल रहे थे ,बस पांच 7 मिनट बाद ही मूवी शुरू होने वाली थी
पिक्चर शुरू हो चुकी थी ,हालांकि डॉली ने कल ही पूरी मूवी मोबाइल में देख ली और अब मूवी से ज्यादा ध्यान उसका राज पर था
मूवी निकले हुई 1 घंटे से ज्यादा बीत चुका था ,काफी रोमांटिक सीन चल रहे थे
फिल्म का हीरो जब हीरोइन को साथ ले जाने लगता है , तो उसे जहाज पर बैठना होता है ,लेकिन जहाज जमीन से काफी दूर था, और हीरोइन उस पर आराम से
नहीं चढ़ पा रही थी, तुरंत हीरो पानी में उतर कर अपना एक हाथ हीरोइन के पैर के नीचे और दूसरा हाथ जहाज के ऊपर रख देता है
और फिर वह बड़े आराम से उसके कंधों पर पैर रखते हुए जहाज पर चढ़ जाती हैमूवी के रोमांटिक सीनों में से यह एक था डॉली ने धीरे से राज के कान के पास आते हुए कहा, राज अगर हमें कहीं जाना हो और फिल्म के हीरो की जगह आप हों तो क्या आप भी ऐसा ही करेंगे, मुझे अपने कंधो से जहाज तक पहुंचाएंगे क्या
राज मूवी से ध्यान हटाकर डॉली को देखने लगा ,,,
महारानी तू यह क्या उल्टे सीधे सवाल पूछने का है, आराम से मूवी देखना अच्छी लग रही है ,,
नहीं पहले आप मुझे बताइए कि आप भी मुझे इसी तरह से नाव में बिठाएंगे
हां हां बिठा दूंगा अब खुश
ठीक इसी के बाद हीरो और हीरोइन एक बहुत ही खूबसूरत से जहाज पर सवार होकर समुद्र की रोमांटिक यात्रा पर निकलते हैं चारों तरफ ऊंची ऊंची समंदर की लहरें
घने घने बादल उसके बीच मोरनुमा खूबसूरत जहाज, जिस पर लहराते हुए वाइट पर्दे लगे थे ,,,,और एक गाना शुरू होता है इस गाने में दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आते हैं ,और उनका प्यार भी दिखाया जाता है ,, इस सॉन्ग का डॉली को कब से इंतजार था ,,
पूरी मूवी में सबसे रोमांटिक सॉन्ग यही था मूवी में सांग चल रहा था
और डॉली लगातार राज से सवाल करती जा रही थी
गाने में ही डॉली ने फिर से सवाल किया राज!
हां बोल!!!!
डॉली ने राज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ,,,,
राज!!! देखिए ना मेरी तरफ
मुझे आपसे कुछ कहना है
राज ने बिना देखे ही कहा महारानी ये क्या तू बीच-बीच में पटर पटर बोलती जा रही है एक तो खुद ही मूवी देखने लाई, कि बहुत मस्त मूवी है ,और जब मैं मन लगाकर इसको देख रहा हूं ,तो देखने नहीं देती
अभी चुपचाप मुझे मूवी देखने दे ,और तू भी देख ,,,घर चल कर आराम से बात करना
डॉली ने मचलते हुए कहा, राज मुझे आपसे अभी
बात करनी है ,और यही बात करनी है प्लीज मेरी तरफ देखिये, ना वरना मैं आपको डिस्टर्ब करती ही रहूंगी ,,,,
हॉल में अंधेरा तो था ही,, फिर भी राज ने डॉली को देखने की कोशिश करते हुए उसकी तरफ अपना सिर घुमाया
और कहां बोल क्या कहना है
मुझे आपसे कहना है ,क्या आप भी मुझे किसी ऐसी जगह ले कर जाएंगे जहां सिर्फ आप ,और मैं हूँ
पर किधर उस जगह का कुछ नाम तो होगा
बिल्कुल ऐसी जगह जैसी आप इस गाने में देख रहे हैं, इतना ही खूबसूरत सा जहाज हो और और ऐसे ही दूर दूर तक कोई ना हो सिर्फ आप और मैं ,इतने ही खूबसूरत मौसम में ,बिल्कुल वैसे ही जैसे कि यह दोनों
कौन दोनों
महारानी तू क्या बोले जा रही है
राज आप ये सॉन्ग देख रहे हैं
ना बस ऐसे ही आपके साथ में हूं ,और कोई नहीं ,और मैं भी आपके साथ ऐसे ही गाना गाना चाहती हूं ,जैसे यह दोनों गा रहे हैं
मैं भी आपके साथ ऐसे ही बैठना चाहती हूं जैसे ये दोनों बैठे हैं
मैं भी आपके इतना ही करीब आना चाहती हूं ,जैसे ये दोनों आ रहे हैं
तू ये क्या बोले जा रही है
यह बात अपुन के भेजे से बाहर है
देख मैंने कहा ना अभी तो चुपचाप मूवी देख और अगर तू इसी तरह से बोलती रही ना
तो कुछ देर में सारे सिनेमा वाले हमें हॉल से बाहर निकाल देंगे
डॉली मुंह बनाते हुए चुपचाप मूवी देखने लगी
पर वो इतनी आसानी से कहां मानने वाली थी, किसी न किसी तरह तो वह आज राज को बता ही देना चाहती थी
थोड़ी देर बाद उसने राज के बाजू को कसके पकड़ते हुए उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया
राज धीरे से बोला तू सोने के वास्ते इधर अपन को लेके आई है
ठीक है सो जा अपन को तो,मूवी भी मस्त लग रही है ,अपन तो फुल टाइम देखेगा
राज को डॉली की छुअन का कोई एहसास नहीं था ,,उसे डॉली के प्यार में उसकी नींद नजर आ रही थी
डॉली का दूसरा वार भी फेल हो गया था
राज को लग रहा था ,कि डॉली सो चुकी है और डॉली ने इस बात का फायदा उठाते हुए अपने हाथ में राज
का हाथ लेकर कस के पकड़ लिया,,,,
वो धीरे-धीरे आंखें खोलते हुए राज को देख रही थी ,उसके मजबूत कंधे और परफ्यूम की भीनी भीनी महक , आज डॉली को एक अलग ही एहसास हो रहा था
वह राज के गले लग कर कुछ देर के लिए सब कुछ भूलना चाहती थी,,,,
कि कैसे राज को भी अपने प्यार का एहसास हो जाये,डॉली के कानों में सिर्फ पिक्चर की रोमांटिक धुन ही गूंज रही थी लेकिन उसकी आंखों में राज था
उसकी छुअन का एहसास, उसके मजबूत बाजूओं का स्पर्श ,और उसकी महक से डॉली उसके प्यार में डूबती जा रही थी
आज पहली बार उसे अहसास हुआ था ,
,कि प्यार कैसे हमें किसी की ओर खींचता है उसकी हर चीज आकर्षित करने लगती है उसकी सारी बातें हमें अच्छि लगने लगती हैं और उसकी नज़दीकियां मदहोश करने लगती हैं ,आज प्यार के साथ-साथ डॉली को कुछ ऐसी बातों का भी एहसास हुआ था जिनका नाम वह नहीं जानती थी
लेकिन उसकी इच्छा थी, कि कुछ देर के लिए वो दोनों किसी ऐसी जगह पहुंच जाए जहां पर उनके अलावा कोई और ना हो
और राज उसे अपनी अपनी बाहों में छुपा ले , वह राज के गले लग कर उसकी,सांसो की गर्माहट को महसूस कर पाए,उसकी धड़कने सुन पाए ,,
अब वह राज से दूर रहना नहीं चाहती थी इज्जत ,प्यार ,देख रेख ,इन सबके साथ साथ कुछ और बातें भी थी ,जो डॉली की समझ में आ रही थी ,और जिनकी चाहत उसे होने लगी थी ,वह राज का साथ पा लेना चाहती थी , राज की शारीरिक नज़दीकियों को भी खुद में समा,लेना चाहती थी
राज डॉली को उठाने की कोशिश करता तो वह उसके और करीब आके उसके बाजू को और कस के पकड़ लेती
राज को डॉली की हरकत कुछ अजीब तो लग रही थी ,क्योंकि आज से पहले उसने ऐसा नही किया था
पर उसने ज्यादा गहराई से इसके बारे में कुछ नहीं सोचा था, कुछ देर बाद अचानक हॉल की लाइट जल गई ,इंटरवल हो गया था
और लोग उठ कर स्नेक्स कोल्ड ड्रिंक के लिए यहां से वहां आने जाने लगे थे
डॉली अभी भी राज के कंधे पर सर रखकर वैसे ही बैठी हुई थी ,जब आसपास के लोग उन्हें कुछ गौर से देखने लगे
तो राज ने हिलाते हुए डॉली को उठाया और कहा बोल क्या खाएगी
अपुन जल्दी लेकर आता है
वरना फिर मूवी शुरू हो जाएगी, और ये क्या तू जब से आई है ,सोते ही जा रही है
अगर तुझे सोना ही था, तो फिर आई ही क्यों है
डॉली ने कहा आपको जो लाना है ले आइए और
चुपचाप बैठ गई.