डॉली जब स्कूल के अंदर पहुंची तो बच्चे स्कूल में आते ही जा रहे थे स्कूल में प्रेयर का टाइम 900 से 915 तक रहता था उसके बाद क्लास लगना शुरू होती थी ,डॉली आज टाइम से पहले ही स्कूल पहुंच गई थी और शायद यह उसके लिए अच्छा भी था, डॉली ने वहां कुछ बच्चों से पूछा की कक्षा आठवीं किस तरफ है जैसे ही बच्चों ने सुना कि डॉली कक्षा आठवीं के लिए आई है तो हंसना शुरू कर दिया,, डॉली कुछ आगे बढ़ गई फिर उसने दूसरे बच्चे से पूछा उसने भी कुछ ऐसा ही किया तभी एक मैडम पास से गुजरी और उन्होंने डॉली की स्थिति को समझते हुए बच्चे को डांटा और डॉली को कक्षा आठवीं की तरफ इशारा किया ,बेटा वहां पर क्लास है आप उसमें
जाकर बैठो,,,
डॉली कक्षा की तरफ बढ़ते हुए अंदर जा चुकी थी ,और जब कक्षा में जाकर देखा तो सभी बच्चे डॉली से छोटे थे, जैसे ही क्लास में गई एक बार तो सभी बच्चे ठहाका लगाकर जोर से हंस पड़े ,तभी मैडम जी क्लास में आ गई और बच्चों को डांटते हुए चुपचाप बैठने के लिए कहा ,,उसके बाद डॉली का सबसे परिचय करवाया ,डॉली ने मुस्कुराते हुए सबको अपना नाम बताया और बच्चों से दोस्ती करने की इच्छा जाहिर की उसके बाद सभी प्रेयर की लाइन लगाने लगे डॉली क्लास में सबसे बड़ी दिख रही थी तो उसको सबसे पीछे लगाया गया ,,धीरे-धीरे बच्चों की लाइन ग्राउंड में आने लगीं,
प्रेयर खत्म हुई और बच्चे वापस लाइन लगाकर अपनी
क्लास में चले गए,,,
टीचर ने सबसे पहले सभी बच्चों के नाम बोलकर उनकी अटेंडेंस ली और फिर सबसे पहले हिंदी पढ़ाना शुरू किया ,क्लास टीचर एक-एक करके 5 बच्चों को खड़ा कर चुकी थी ,टीचर ने डॉली की तरफ देखा जब उन्हें लगा ,कि वह भी किताब पढ़ना चाहती है तो उन्होंने सीधे डॉली से ना कह कर बच्चों की राय जानी चाही,,,
क्या आप में से कोई किताब की रीडिंग करना चाहता है
डरते डरते डॉली ने धीरे से हाथों ऊपर किया हालांकि प्रिंसिपल मैडम पहले ही सभी टीचर्स को बता चुकी थी कि डॉली को किस कंडीशन में एडमिशन दिया जा रहा है तो यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उसको सपोर्ट करें और उस को आगे बढ़ाएं ,, वैसे भी राज का व्यवहार काफी अच्छा था सभी से तो यही सोचते हुए टीचर ने डॉली को किताब पढ़ने का मौका दिया ,,,हालांकि हिंदी तो डॉली को काफी अच्छी तरह से आती थी वह खड़ी हुई और साफ और शुद्ध शब्दों के साथ पूरा पाठ पढ़कर बच्चों के सामने सुना दिया क्लास के सभी बच्चे किताब बहुत अच्छे से पढ़ना जानते थे,, पर नीले की कंडीशन इन सब से कुछ अलग थी तो टीचर ने जाकर डॉली कि पीठ थपथपा कर उसका हौसला भी बढ़ाया ,और डॉली को आगे बढ़ाने के लिए इतना काफी था ,उसके बाद फिर विज्ञान ,गड़ित और एक एक करके सारे सब्जेक्ट के
पीरियड लगाए गए,, डॉली को कुछ चीजें समझ में आई तो कुछ उसके ऊपर से भी निकल चुकी थी,, पर हां इतना जरूर था कि पूरे दिन में 1 मिनट के लिए भी उसकी कोशिश कम नहीं हुई थी ,,टीचर का लेक्चर हो चाहे बोर्ड पर लिखी हुई कोई बात हो डॉली ने सभी बातों को बहुत ध्यान से सुना और समझा था,, दोपहर का एक बज चुका था,और बस छुट्टी होने ही वाली थी जैसे ही घंटी बजी बच्चे बैग लेकर दौड़ते हुए क्लास से बाहर जाने लगे ,डॉली ने भी अपना बैग लगाया और धीरे धीरे चलती हुई बाहर आ गई ,,,जहां उसे राज की जीप खड़ी हुई दिखी , राज आसपास नहीं दिख रहा था ,
पर उसने जब नजर घुमाई तो राज स्कूल के अंदर जाता हुआ दिखा, वह शायद डॉली को लेने ही जा रहा था ,,और डॉली जाकर जीप के पास खड़ी हो गई ,,,, पर शायद मैडम जी ने अंदर से ही देख लिया था कि राज डॉली को लेने आ गया है, तो डॉली को स्कूल से बाहर जाने की परमिशन दे दी थी, हां यह टीचर की ही रिस्पांसिबिलिटी रहती थी कि जब तक बच्चों के अभिभावक उन्हें लेने ना आए या उनकी तरफ से कोई सूचना ना दी गई हो बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं निकाला जाता था, गाड़ी में पीछे सामान भरा हुआ था,तो डॉली राज के बगल में आगे वाली सीट पर ही बैठ गई बैग को कंधे से उतारते हुए अपनी गोदी में रखा और बोतल से पानी पीने लगी,, राज ने गाड़ी
स्टार्ट करके आगे बढ़ाई और डॉली से पूछा !
महारानी कैसा लगा तेरे को स्कूल में
डॉली जब स्कूल से आकर राज की जीप में बैठी और राज ने घर जाने के लिए जीप स्टार्ट की तो रास्ते में डॉली से पूछा
महारानी कैसा लगा तुझे स्कूल में ,डॉली कुछ देर चुप रही उसे तो राज की किसी भी बात का जवाब देने में वैसे ही डर लगता था और आज तो वह वैसे ही थोड़ी घबराई हुई थी ,उसे खुद ठीक से समझ में नहीं आ रहा था कि उसका यह दिन कैसा रहा इसको वह अच्छा कहे या बुरा, फिर उसे डर था कि वह राज से कुछ भी कहेगी पर उसे डांट जरूर पड़ने वाली है,,
स्टेरिंग पर हाथ रखते हुए राज ने दोबारा डॉली की तरफ देखकर पूछा, तू अपुन के सामने गूंगी क्यों बन जाती है , जो पूछ रहा हूं उसका सीधा सीधा जवाब क्यों नहीं देती, तेरे को स्कूल में कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई ना मेरा मतलब ,किसी तरह की कोई परेशानी तूने पढ़ाई वढ़ाई तो कि स्कूल में,,,
या फिर साला अपनी इज्जत का कचरा करने के वास्ते इतनी उठापटक करवाई,, डॉली कुछ जवाब देती इससे पहले ही वह दोनों घर पहुंच चुके थे ,डॉली ने नीचे उतरने के लिए जब गेट खोलना चाहा तो वह कहीं
अटक गया था ,वह बार-बार गेट खोलने की कोशिश करने लगी, जब राज ने देखा कि डॉली से गेट भी नहीं खोला जा रहा है ,,तो दूसरी तरफ आकर गेट खोला और डॉली के उतरने के बाद उसमें से बैग बोतल निकालकर डॉली को पकड़ा दिए,, जल्दी से गाड़ी की चाबी निकाली और भागता हुआ डॉली से पहले ही अंदर पहुंच गया ,अंदर जाते साथ ही काकी को जोर से आवाज लगाई ,काकी ,काकी ,,,,,काकी कुछ काम करते हुए बाहर निकली राज के पीछे हुई खड़ी हुई डॉली को उन्होंने देखा और जाकर जल्दी से डॉली का बैग उतार कर पास में रखी हुई टेबल पर रखा और प्यार से पुचकारते हुए उससे पूछने लगी,,,
डॉली बेटा कैसा रहा तेरे स्कूल का पहला दिन ,,,,राज ने पानी का ग्लास भरा और गटागट पीते हुए डॉली और काकी को देखे जा रहा था ,,की काकी के पूछने पर डॉली क्या जवाब देती है ,,पर जब तक राज उसके सामने था ,उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे ,,,काकी ने दोबारा पूछा तो डॉली ने कहा! अच्छा ही था!!!!!
राज पानी पीते पीते अचानक रुक गया और ग्लास रखकर काकी के पास आकर डॉली की तरफ देखते हुए बोला काकी तू महारानी के कहने का मतलब समझ गई है ना ,अच्छा ही था ,मतलब जरूर कुछ लफड़ा करके आई है स्कूल में ,,अरे अच्छा ही था क्या मतलब होता है,,,
या तो अच्छा था ,या बुरा ,,,,
अब मेरे को सीधा सीधा बता दे के स्कूल में हुआ क्या है ,,,,
तभी अपूण सोच रहा था कि अपन को कायको कुछ बताया नहीं ,, सीधा गाड़ी में बैठी और गाड़ी के रुकते ही बैग उठाकर अंदर चली आई ,,,, काकी ने फिर राज को डांट लगाई ,,,राज तू उसे सांस भी लेने देगा कि वह कुछ बताए ,,,
डॉली ने बैग बोतल नीचे रखा, जूते उतारकर बाहर रखें ,और फिर काकी के पास आकर बैठते हुए बोली काकी ठीक था,,, का मतलब कि अच्छा रहा ,,मैं स्कूल गई ,बच्चों से मिली मैडम जी से मिली,,, मैडम जी ने बच्चों से मेरी जान पहचान भी करवाई ,,और हां वहां पर हर विषय की पढ़ाई अलग-अलग मैडम अलग-अलग समय पर करवाती है, तो वह भी की ,,और हिंदी की किताब भी मैडम जी ने मुझसे पढ़ने के लिए बोला था जो मैंने फटाफट बहुत अच्छे से पढ दी,,,,
हाय मेरी बच्ची मैं जानती थी कि तू अच्छा ही करेगी ! काकी ने डॉली के का माथा चूमते हुए नीले से कहा ,,पर मेरी बच्ची जब सब कुछ अच्छा रहा तो तू ऐसे उदास क्यों लग रही है ,,,
काकी बस एक ही बात मुझे परेशान कर रही है कि मैं अपनी क्लास में सबसे बड़ी लगती हूं ,और इसलिए बच्चे मुझ पर हँसते है,,,,,,
काकी ने बड़े प्यार से डॉली को समझाया बेटा यह तो
बहुत छोटी मोटी बात है, आगे बढ़ने के लिए हमें क्या-क्या नहीं देखना पड़ता ,हमें लोगों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है ,लोगों की बातें सुनना पड़ती है ,बातों को सहन करना भी सीखना पड़ता है ,,,जब राज ने देखा कि काकी और डॉली स्कूल की बातों में व्यस्त हो गई है और स्कूल का दिन अच्छा ही रहा ,तो वह निश्चिंत होकर ढाबे पर निकल गया ,,,
काकी ने समझाया ,,,देख डॉली अगर तू सिर्फ इतनी सी बात से उदास हो जाएगी तो आगे कुछ भी नहीं कर पाएगी,,,,
डॉली अभी तक मैंने तुझे राज के बारे में कुछ भी नहीं बताया, क्योंकि कभी कुछ कहने का मौका ही नहीं पड़ा, बेटा तू जानती है जब राज मुझे मिला था पूरे 5 साल का था ,और उस वक्त मेरे ब्याह को भी 10 बरस बीत गए थे मैं 30 साल की हो चुकी थी इन 30 सालों में ना मैंने पति का सुख देखा था, और ना ही भगवान ने मुझे औलाद का सुख दिया था ,दारु पीने की वजह से मेरे आदमी के दोनों फेफड़े खराब हो गए जब मैं 30 साल की थी तभी वह इस दुनिया को छोड़ कर चला गया ,मेरे घर में सास ससुर और जेठ थे घर में थोड़ी सी खेती बाड़ी और एक बड़ा सा मकान भी था ,,पर उन लोगों को लगा कि अगर मैं इस घर में रुक गई तो मुझे जमीन जायदाद में हिस्सा देना पड़ेगा इसलिए मुझ पर झूठे लांछन लगाकर मुझसे बदचलन कहके मुझे अपने घर से निकाल दिया ,,,मेरे मां-बाप बचपन में में चले गए थे रिश्तेदार कौन है कहा है ,मुझे खुद ना पता था ,जब
ससुराल से निकाली गई तो ना मेरे सर पर छात थी , ना पहनने को दूसरे कपड़े थे ,उसी रात जब मैं किसी का सहारा पाने के लिए भटक रही थी ,,तो रोता हुआ राज भी मुझे बीच सड़क पर ही मिल गया ,पहली बार में ही उसने मुझे काकी कह के पुकारा यह शब्द अपने जीवन में शायद मैं पहली बार सुन रही थी,,, पूरी रात हम दोनों यहां से वहां घूमते रहे भूखे प्यासे कि कुछ खाने को मिल जाए पर एक निवाला भी ना मिला,, जब सुबह ही तो एक मंदिर के द्वारे जाकर बैठ गए, पेट भर गया और कुछ पैसे भी मिले लेकिन सिवा ऐसा ना था,, उस वक्त तो उसने खाना खा लिया क्योंकि वह भूखा था पर उसे पैसे लेना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा ,आखिरकार मंदिर के बाहर ही रहकर हमने पूरा एक महीना बिताया अब राज का और मेरा पक्का साथ हो चुका था ,हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन चुके थे ,राज को इस तरह से मंदिर के बाहर भीख मांग कर गुजारा करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था ,,,धीरे-धीरे उसने एक ढाबे पर काम करना शुरू कर दिया जहां हम दोनों को दोनों टाइम का खाना और रोज कुछ पैसे भी मिल जाते थे ,रात होती तो ढाबे के अंदर ही दोनों सो जाते,, ढाबा मालिक के यहाँ में और राज कुछ ज्यादा काम भी कर देते थे तो ने हमारे वहां रहने से कोई परेशानी ना थी, जब ग्राहक आते तो राज अपनी मीठी मीठी बातों से सबका मन बहलाता और चाय पानी दे दिया करता था मैं ,ढावे की साफ-सफाई सब्जी काटना ,और खाने बनाने में मदद करवाना ,यह सब काम देख लेती थीधीरे-धीरे ढाबे के बगल में ही एक झोपड़ी बनाकर हम दोनों उस में रहने लगे ,,राज खूब मेहनत और लगन से काम करता ढाबा मालिक हमेशा राज को खुश होकर कुछ ज्यादा ही पैसे दे देता था ,धीरे-धीरे राज की मेहनत और उसकी इमानदारी से ढाबे पर लोगों का आना भी बढ़ने लगा, ढावा अच्छा चलने लगा ,,,हमे यहां काम करते हुए 7 साल हो चुके थे ,अब राज 12 साल का हो गया था ,,,राज ढाबे पर काम करता और कभी-कभी ढाबा मालिक के साथ उनके खेतों पर भी चला जाता ,जहां वो ट्रैक्टर चलाते तो उनको बड़े ध्यान से देखता ,जब जब चार साल और बीत गए राज 16 साल का हो गया था ,, उसे ट्रैक्टर चलाना भी आ गया था,,, गाड़ी बस ट्रैक्टर में तो उसका दिमाग शुरू से ही बड़ा तेज था ,जब भी काम से फ्री होता खेत में ट्रैक्टर चला के सीखता,,अब वह अच्छी तरह से चलाने लगा
था ,,,दो-तीन साल और बीते तब तक पर सभी तरह के वाहन बखूबी चला लेता था चाहे वह मोटरसाइकिल हो उनकी जीप हो या फिर ट्रैक्टर ,,राज 19 साल का हो चुका था ,लेकिन उसमें एक जो सबसे बड़ी कमी थी वह यह कि उस बच्चे ने कभी भी स्कूल का मुंह नहीं देखा था, हां ढाबे का हिसाब किताब उसे सारा आता था ,जो उसने ढाबे पर ही देख देखकर सीख लिया था ,कितने लोगो का खाना बना ,कितना खाना खाया, कितनी सब्जी है , इन सब का हिसाब वह उंगलियों पर ही कर लेता ,और उसे लिखना भी आ गया था ,बस इससे ज्यादा और कुछ नहीं सीखा,,,इन 14 साल में राज को ढाबे पर जितने भी पैसे मिले उसने कभी भी एक पैसा खर्च ना किया था ,,,पास में एक छोटा सा बैंक था,, जितने भी पैसे मिलते हर महीने जाकर बैंक में जमा कर देता ,,बस दो टाइम की रोटी ही तो खानी थी ,जो हम दोनों को ढावे से ही मिल जाती थी ,,,,
1 दिन सभी ढाबे पर काम कर रहे थे, कुछ लोग खाना खा रहे थे, खाना बन रहा था मैं वहां बगल में बैठकर सब्जी काट रही थी और राज ग्राहकों को खाना देने में लगा हुआ था,,, तभी अचानक बहुत जोर की आवाज हुई,, सब लोग घबरा कर खड़े हो गए जब देखा तो रोड पर ही सामने एक कार की दुर्घटना हुई थी,,, सामने से आ रहे ट्रक से बुरी तरह से भिड़ गई थी ,,,थोड़ी ही देर में लोगों की भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी ,,ट्रकवाला तो 2 मिनट में ही रफूचक्कर हो गया, और कार के अंदर दो लड़के थे एक कोई 19,,,20 साल का रहा होगा और
दूसरा
25 ,26 के आसपास था जो लड़का कार चला रहा था उसकी हालत तो बहुत खराब थी, पहले तो लगा कि शायद मर चुका है लेकिन जब हल्की सी सांस चलती दिखी तो उसको गाड़ी से बाहर निकाला ,,और बगल बाली सीट पर जो लड़का था ,,वैसे तो ठीक था पर वह भी बेहोश हो गया था ,,लोगों को तो समझ में नहीं आ रहा था कि यह मर चुके हैं या ,,,1020 मिनट बाद मर जाएंगे पर सबसे पहला काम था उनको अस्पताल पहुंचाना ,इन सब कामों में राज ही सबसे आगे था ,,उसने जल्दी-जल्दी लोगों से कहना शुरू किया कि फटाफट आओ इनको अस्पताल लेकर चलना है ,पर अस्पताल का नाम सुनकर ही वहाँ लोगों के नाम पर एक भी कोई नहीं बचा था ,,,उस दिन दुकान मालिक भी दुकान पर नहीं था,, और जो कुछ काम करने वाले लोग थे ,,एक्सीडेंट का नाम सुनकर ही भाग खड़े हुए थे, इतने लोगों में बस मे और राज ही वहां थे ,,,राज के पास ना तो फोन था ना ही कोई ऐसी सुविधा कि वह पुलिस को डॉक्टर को भुला सके,, पर अपना राज तो शुरू से ही दिल का सोना है ,,,,वह ऐसे कैसे छोड़ सकता था ,,,उसने जल्दी से उनकी ही कार को स्टार्ट करके देखा थोड़ी सी मेहनत के बाद कार स्टार्ट हो गई ,,,,क्योंकि चोट कार को तो ज्यादा नहीं आई थी ,,पर उसकी दमच से आगे वाले लड़के की चोट बहुत गहरी थी ,,,,राज ने दोनों लड़कों को कार में लिटाया उनके साथ मैं भी अंदर बैठ गई, करीब 2 घंटे
बाद हमें जो पहला अस्पताल मिला हम जल्दी से दोनों को अंदर ले गए ,,अस्पताल ठीक-ठाक था राज ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए डॉक्टर से दोनों का इलाज शुरू करने के लिए कहा ,,जब डॉक्टर ने नाम पता पूछा तो राज ने सारी बातें सारी चीजें एक-एक करके साफ-साफ बता दी, उसके बाद काम पुलिस का था पुलिस ने जब उनकी गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें उन लड़कों के कुछ कागज निकले जिसमे उनका पहचान पत्र था जिससे उनका पता फोन नंबर सब कुछ मालूम पड़ गया ,,पुलिस ने उनके घर पर खबर की ,,करीब दो-तीन घंटे बाद दोनों लड़कों के परिवार वाले अस्पताल में आ चुके थे,,, लड़के भी अस्पताल के अंदर ही थे इलाज चल रहा था उनका ,,,,राज से जो भी पूछा गया सब कुछ सच-सच बता दिया था ,,,,,,
लड़कों को अस्पताल पहुंचाने के बाद उनका इलाज शुरू हो चुका था ,मैं और राज तभी से बिना कुछ खाए पिए बस यही इंतजार कर रहे थे कि लड़कों के घर वालों का कुछ पता चले , उनका इलाज हो और वह ठीक हो जाएआखिर वह भी किसी के कलेजे के टुकड़े होंगे ,,डॉक्टर कभी ऑपरेशन थिएटर से बाहर आते , तो कभी अंदर जाते , तो कभी नर्स को अपनी सहायता के लिए बुलाते इसी तरह से लगभग 2 घंटे बीत चुके थे,,, अभी लड़के ऑपरेशन थिएटर में ही थे तभी अस्पताल के बाहर बाहर दो बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकी, जिनमें से उनके मां बाप ,भाई बहन ,,परिवार के और भी लोग थे दोनों गाड़ियां लोगों से खचाखच भरी हुई थी बे बहुत घबराए हुए से अंदर आए और रिसेप्शन पर आकर उनके नाम बताते हुए पूछताछ करने लगे ,,,मैं और राज समझ गये कि ये लोग लड़कों के परिवार वाले हैं तो हमने जाकर उन्हें बैठने के लिए कहा,, और फिर आराम से एक एक बात बता दी वह सभी मेरे और राज के हाथ जोड़कर शुक्रिया अदा कर रहे थे ,,कि आज के जमाने में बहुत ही कम लोग आपके जैसे होते हैं,, जो बिना किसी स्वार्थ के किसी के साथ कुछ अच्छा करते हैं,,, पर अभी इन सब बातों का वक्त नहीं था,, राज और मैंने उन्हें धीरज बंधाते हुए बस एक ही बात कही ,,कि अभी इन सब बातों का वक्त नहीं है ,,अभी हम सिर्फ भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं,कि आपके बच्चों के साथ सब कुछ अच्छा हो उनके साथ जो दो औरतें थी उनका हाल सबसे ज्यादा बुरा था शायद वह दोनों लड़कों की मां थी,,,मैं भी उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी, कि ऐसी स्थिति मैं समय सिर्फ धीरज रखने का है ,,उनको आए हुए भी 1 घंटे से ऊपर हो चुका था ,तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आए ,डॉक्टर ने बताया की ऑपरेशन किया जा चुका है,, ऑपरेशन भी सक्सेस रहा लेकिन फिर भी अभी उसे होश में आने में कम से कम 1 से 2 घंटे लग सकते हैं,, और उसके बाद ही हम कुछ बता पाएंगे कि उसकी क्या कंडीशन है ,,,
ऑपरेशन तो हो चुका था लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं था,, क्योंकि जब तक डॉक्टर होश में आने के बाद दोबारा उनका टेस्ट नहीं कर लेते ,, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल था ,,,
अब लड़कों के परिवार वाले तो अचानक भागे ,भागे यहां आए थे ,और फिर यह एरिया उनके लिए अनजान था ,तो यहां भी मेरी और राज की ही जिम्मेदारी बनती थी कि उन लोगों के थोड़ी बहुत खाने पीने की व्यवस्था करें,,, राज उन्हीं की गाड़ी और ड्राइवर साथ लेकर ,उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए चला गया था,थोड़ा बहुत खाना और चाय नाश्ता लेकर आ गया और उन सब का ध्यान भी रखा ,,,
डॉक्टर ने 1 से 2 घंटे बोले थे ,लेकिन अभी 4 घंटे होने को आ रहे थे, तभी नर्स ने आकर बताया कि लड़के ने अभी आंखें खोल कर देखा था ,,,,तभी सब लोग डॉक्टर की तरफ जल्दी से भागे और उन्हें इस बात की खबर दी ,,,डॉक्टर भी आ गए और उन्होंने अंदर जाकर उसका चेकअप किया और बाहर आकर बताया कि वह ठीक है,,,आप मैं से कोई भी एक जाकर उससे मिल सकता है उनके घर वालों ने लड़के की मां को वहां भेज दिया ,,,थोड़ी देर बाद जब वह वापस आई तो उन्होंने बताया कि वह ठीक है और उसने अच्छे से बात भी कर ली ,तब कहीं जाकर सबकी जान में जान आई हम सब पूरी रात वही रहे, दूसरे दिन दोनों लड़कों के सारे टेस्ट हो चुके थे,और भगवान की कृपा से सभी रिपोर्ट सही आई थी ,,,हां चोट कुछ दिनों में ठीक हो जाती लेकिन अब घबराने की कोई बात नहीं थी,,, दोनों लड़के पूरी तरह से स्वस्थ थे तीन-चार दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद उनकी छुट्टी हुई ,,,,इन तीन-चार दिनों में ,
मैं और राज नियमित रूप से वहां आते रहे थे ,इतने दिनों में उनसे एक रिश्ता सा बन गया था ,,बातों ही बातों में बह मेरे और राज के बारे में सब कुछ जान चुके थे ,,उन्हें बहुत आश्चर्य हो रहा था कि,आज भी ऐसे लोग है जिनका खुद अपना कोई ठिकाना नहीं है फिर भी अपनी जान पर खेलकर हमारे बच्चों की जान बचाई ,,,,
राज खुद भी जब 19 वर्ष का था इतनी छोटी सी उम्र में सारी जिम्मेदारी लेते हुए उसने एक अच्छे इंसान के सारे कर्तव्य पूरीतरह से निभाये थे,,,,वह सभी इस बात से बहुत खुश थे, जब उनके जाने का टाइम आया,तो दोनों ने खुश होकर राज को इनाम देना चाहा,राज ने सोचा कि शायद कुछ छोटा मोटा गिफ्ट होगा तो उसने वह पैकेट ले लिया,,, लेकिन जब उसने उस पैकेट को खोला तो उसमें 5 लाख का चेक और हमारे ढाबे से लगभग 2 किलोमीटर आगे एक छोटी सी जमीन का टुकड़ा था,,,,क्योंकि उन्हें राज के और मेरे बारे में सब कुछ पता था कि हम किस हालात में किसी ढाबे पर काम करते हैं ,,तो उन्होंने राज से खुद का काम शुरू करने के लिए कहा और उसके लिए ही वह पैसे व जमीन का टुकड़ा राज को उपहार स्वरूप दिया था पर अपना राज तो शुरु से ही स्वाभिमानी था,,,, आखिर किसी की जान बचाने के बदले बह पैसे कैसे ले सकता था,,,उनके लाख कहने के बावजूद भी राज ने उन्हें बह सब कुछ लौटा दिया ,,,,
सच बताऊ मेरा भी मन था ,,, कि राज उनके दिए हुए उपहार रख ले ,,,क्योंकि वह बहुत बड़े लोग थे5 लाख तो उनके लिए 5 सिक्कों के जैसे थे अगर रख भी लेता तो राज का भला हो जाता, पर उसने ऐसा नहीं किया और वह सारे पैसे उन्हें लौटा कर हम वापस अपने काम पर अपने ढाबे पर आ गए ,और फिर से अपने उसी काम में लग गए,,
लगभग 5 से 6 महीने बीत चुके थे, हम पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे, ढाबे का मालिक ढावे से दूर शहर में रहता था और कभी-कभी राज को किसी काम से उसके यहां जाना पड़ता था ,,,
अपना राज दिखता तो शुरू से ही किसी फिल्मी हीरो की तरह था,, उम्र के साथ-साथ उसका कद ऊंचा हो गया,,,,,बचपन से ही उसे कसरत का और भागदौड़ का बड़ा शौक था ,तो इस उम्र तक आते-आते उसने अपने शरीर को चुस्त तंदुरुस्त और बलवान बना लिया था,,, मेरा राज हजार लोगों में भी खड़ा हो तो अलग दिखता था ,,
उसके शरीर की सुंदरता और चेहरे का भोलापन किसी को भी आकर्षित कर लेता था,,, पर उसे हमेशा सिर्फ और सिर्फ अपने काम से ही मतलब रहा है,,,
पर मैं कुछ दिनों से देख रही थी कि जब भी वह मालिक के यहाँ जाता ,तो उसकी औरत राज को किसी ना किसी बहाने बार-बार अपने घर बुलाने लगी थी,,,
मैंने राज से पूछा भी पर वह मन का भोला कुछ न समझ पाया,,,
और 1 दिन राज फिर किसी काम से उनके घर गया, तो उसके घर पर उसकी औरत के अलावा कोई और ना था,,उसने राज के सामने राज को पाने की इच्छा जाहिर की,, यह सुनकर राज घबरा गया क्योंकि उसने तो हमेशा ही दुकान मालिक को अपने पिता का दर्जा दिया था उसी तरह से उनकी बात मानी थी, राज वहाँ से घबराता हुआ कैसे भी जल्दी से निकल कर ढाबे आ गया ,,,वहां से चला तो आया,,, लेकिन उसकी जो सबसे बड़ी गलती थी ,,कि राज ने आकर यह बात मुझे नहीं बताई, इस बात को कुछ दिन बीत गए फिर 1 दिन दुबारा किसी काम से मालिक ने उसे अपने घर भेजा ,,,राज ने थोड़ी ना नुकुर की पर काम कुछ ऐसा था कि उसे जाना ही पड़ा और इत्तेफाक था कि उस दिन भी घर पर वह अकेली थी,,, वह फिर राज से अपनी बात मनवाने के लिए जबरदस्ती करने लगी जब बात बहुत बढ़ गई तो ,राज ने उसे धक्का दिया और भला बुरा कह के यहां चला आया ,,,,,और राज ने यह सारी बातें मालिक को बताने की धमकी भी दी ,,,पर यह बात सुनकर वह और भी बौखला गई थी ,,,और उसे डर भी था कि कहीं सच में राज यह बातें उसके पति को ना बता दे, फिर क्या राज के ढाबे लौटने से पहले ही उसने ढाबा मालिक को फोन करके राज के बारे में उल्टी-सीधी बातें लगाते हुए शिकायत कर दी,, कि राज ने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की है ,,और मारपीट करते हुए चोरी भी की ,,,,,
राज जैसे ही ढाबे पर आया ढाबा मालिक का गुस्से से खून ख़ौल रहा था,,,
राज के आते ही उसने राज की बुरी तरह से पिटाई की,,, भला बुरा कहते हुए पुलिस को भी बुला लिया,,, मैं रोती रही पर हमारी बात सुनने वाला था कौन,,,
हमारी सालों की मेहनत ईमानदारी और हमारे दिल की सच्चाई सब एक झटके में खत्म हो चुकी थी,,, उसे राज के मासूम से चेहरे की सच्चाई बिल्कुल भी नहीं दिखाई दी ढाबा मालिक बुरी तरह चिढ़ गया था,,
और उसने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह राज को बर्बाद करके ही रहेगा पुलिस के आने से पहले उसने राज को ढाबे में बांधकर उसे शराब पिलाई ,,
जिससे राज के खिलाफ की गई रिपोर्ट को सही साबित किया जा सके, और पुलिस के आने के बाद सारे झूठे बयान लिखवा दिए कि शराब के नशे में राज ने उसकी पत्नी के साथ गलत करने की कोशिश की है ,,,
और उसके घर से चोरी भी कि ,,,
पहली बार शराब राज के शरीर के अंदर गई थी,,, पुलिस के आने के बाद जब पुलिस ने कुछ भी पूछा तो राज बेहोशी की हालत में कुछ भी नहीं बोल पाया ,,,इसलिए उन्हें भी यकीन हो गया था ,कि यह रिपोर्ट सही है और वह राज को पकड़कर थाने ले गए,,,
राज पुलिस को थाने ले जा रही थी ,और मैं रोती बिलखती दूसरों से मदद की गुहार लगाती पुलिस की गाड़ी के पीछे भाग रही थी, लेकिन उस एरिया में ढाबे के मालिक की ही चलती थी, और सबको यही लग रहा था कि राज ने सच में यह सब कुछ किया है पुलिस राज को थाने ले जा चुकी थी, और मैं भी उसके पीछे जाती हुई थाने तक पहुंच गई , मैंने पुलिस के हाथ पैर जोड़े उनसे सारी सच्चाई भी बताई ,पर मेरी वहां कौन सुनने वाला था,, पुलिस ने मेरी किसी भी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और राज की मारपीट करते हुए उसे थाने में बंद कर दिया,,,
ढाबा मालिक ने लगभग दो-तीन पेज की एक बड़ी सी रिपोर्ट राज के खिलाफ लिखवाई थी ,,जिसमें उसको शराब पीकर उसकी बीवी की इज्जत पर हाथ डालने का और चोरी करने का आरोप दिया गया था,,, मुझे थाने में बैठे-बैठे रात हो गई मुझे थाने से बाहर निकाल दिया गया ,मैं बाहर बैठ कर रोती रही गिड़गिड़ाती रही पर मेरी किसी ने कोई बात नहीं सुनी ,फिर मैं घर आई और इस उम्मीद से कि कोई मेरी मदद करेगा बस्ती के आसपास जितने भी घर थे हर घर में जाकर मैंने राज
को बचाने की विनती की कि ,कोई उसकी जमानत दे दो, उसकी मदद करो आप सब तो जानते हो कि अपना सिवा कैसा है ,,उस पर यह सारे झूठे आरोप लगाए गए हैं ,पर किसी ने भी मेरी बात पर विश्वास नहीं किया और मुझे भी अपने घर से भगा दिया,,, इसी तरह से लगभग 15 दिन निकल चुके थे ,,राज थाने में ही बंद था और हमारी कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं थी ,अब मैं ढाबे में भी काम नहीं करती थी, मैं थोड़ा बहुत खाना बनाती और खाने का डिब्बा लेकर राज के पास जाती थी,, कि इस बहाने कम से कम मैं उसे देख तो सकूं, कुछ दिन तो मुझे थाने के अंदर जाने ही नहीं दिया ,,पर वहां भगवान ने किसी एक भले आदमी को भेज दिया था ,,वह मेरी स्थिति देखता रहा और एक दिन जब उसने देखा कि बड़े साब थाने में नहीं है, तो चुपचाप मुझसे कहा कि मैं दोपहर में 100 से 200 के बीच जाऊं तब वह खाना खाने जाते हैं तो मैं राज को उस टाइम खाना खिला सकती हूं,, फिर मैं ऐसा ही करने लगी थी ,,इसी बीच उनसे मेरी कुछ बात भी हो जाती थी ,और फिर उन्होंने मुझे बताया कि अगर तुम्हारी कोई सुनवाई नहीं हुई ,,या तुमने अपनी तरफ से कोई वकील नहीं किया ,तो राज कभी नहीं छूट पाएगा,, क्योंकि उस पर एक महिला के साथ दुर्व्यवहार करने का केस लगा है,, और इस केस में फंसे लोग इतनी आसानी से नहीं छूटते,,,,
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं , दूसरे दिन जब मैं खाना बनाने को बैठी तो घर
की लगभग सारी चीजें खत्म हो चुकी थी ,और मेरे पास जो कुछ थोड़े बहुत पैसे थे ,वह भी खत्म हो चुके थे ,, मैं बक्से में और डिब्बे में पैसे ढूंढ रही थी ,,कि कहीं कुछ मिल जाए तो आज के खाने का इंतजाम हो सके, तभी एक छोटा सा बटुआ दिखा ,,जिसमें मुझे कुछ पैसे मिले और एक कार्ड भी मिला,, कार्ड अंग्रेजी में था तो मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,कि यह क्या है ,,,हां लेकिन दिमाग पर जोर डालने के बाद मुझे याद आया कि यह कार्ड उन लड़कों के घर वालों ने मुझे अस्पताल में दिया था,,,
हां पक्का यह वही कार्ड है,,, जब राज ने वह पैसे और वह जमीन का टुकड़ा लेने से इनकार कर दिया और हम वहां से आने लगे राज मुझ से थोड़ा आगे निकल आया था तो उस लड़के के पिताजी ने मुझे रोकते हुए यह कार्ड मेरे हाथ पर रख दिया था,, कि अगर आपको कभी भी किसी वक्त किसी भी काम के लिए मेरी जरूरत पड़े तो ,इसमें मेरा फोन नंबर और मेरा पता लिखा हुआ है ,आप मुझसे इस पर बात कर सकती हैं ,,,
और यकीन मानिए आपको जब भी मेरी मदद की जरूरत होगी तो मैं आपकी मदद जरूर करूंगा, और मुझे आपकी मदद करने में खुशी होगी,,,
बस अंधेरे में मुझे एक आशा की किरण दिखने लगी थी ,,,पर इस वक्त तो मेरे पास कोई फोन भी नहीं था ,मैंने वो कार्ड अपनी साड़ी के छोर में बांधा, और जैसे तैसे खाने का इंतजाम करके खाने का डब्बा ले
थाने पहुंच गई,,,,रोज की तरह आज भी थाने के बड़े अफसर अपने घर खाना खाने गए थे,, मैंने राज को खाने का डब्बा दिया और उस भले आदमी को सारी बात बताते हुए उनसे एक फोन करने की मदद मांगी,, उन्होंने बिना किसी बहस के अपनी जेब से फोन निकाला और जल्दी से नंबर लगाकर मुझे फोन दे दिया कि मैं बाहर जाकर उन्हें सारी बात अच्छे से समझा दूं, और मैंने ऐसा ही किया सारी बात करने के बाद बड़े साहब के आने से पहले ही उनका फोन वापस करके घर आ गई,, मैंने जैसे ही मालिक को फोन किया और राज का नाम बताया तो उन्हें 1 मिनट भी नहीं लगा हमें पहचानने में वह हमारे बारे में पूछने लगे कि हम कैसे हैं ,,,,बताने से पहले मैं उनके सामने जी भर के रो ली थी पिछले 15,,,,20 दिनों में पहली बार कोई ऐसा मिला था जिसने हमारी खैरियत पूछी हो ,,,वर्ना तो सब मेरी परछाई से भी दूर हो रहे थे , उन्होंने मुझे शांत करा कर सारी बात पूछी और मुझसे कल ही मिलने का वादा करके फोन रख दिया ,,,,
दूसरे दिन जब मैं खाना लेकर थाने पहुंची तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन दोनों लड़कों के पिता और उनके साथ उनका एक वकील थाने में बैठे हुए थे ,,,मेरे लिए उनका आना किसी अचंभे से कम ना था ,मैंने सोचा भी नहीं था कि आज भी कुछ लोग ऐसे होंगे जो किसी के दुख दर्द को इस तरह से समझ पाएंगे,, उनको देखते ही मैं बुरी तरह से फूट पड़ी थी,,
मेरे आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे,,,, वह बहुत बड़े लोग थे और शहर से बहुत बड़ा वकील उनके साथ आया था ,,ढाबा मालिक तो उनके पैर की धूल भी ना था ,,जब उन्होंने थाने में सारी सच्चाई बताई और राज की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए इस घटना की दोबारा जांच करने के लिए कहा ,,,और ऐसा ना करने पर बड़े अफसर से शिकायत करने की धमकी भी दी तो थाने के बड़े अफसर भी बुरी तरह से डर गए ,और जब उनने अपनी पूरी टीम को ढाबा मालिक के यहाँ भेजा और सख्ती से पूछताछ की ,,,,राज के आने जाने का टाइम देखा , आसपास राज के बारे में पूछताछ की बात की थी ,तो उसकी सारी सच्चाई ,सामने आते देर न लगी , और जब हकीकत सामने आ गई तो फिर उसकी औरत को भी अपनी सच्चाई कबूल करनी पड़ी आखिरकार 20 ,,,25 दिन के बाद राज को छोड़ दिया गया,,,
उसके बाद राज घर आ गया जब एक मुसीबत खत्म हुई तो यहां दूसरी मुसीबत ने जन्म ले लिया था ,,सारी बस्ती में से कोई भी हम से सीधे मुंह बात करने को तैयार ना था राज पर ठरकी होने का ठप्पा लग चुका था सब यही कह रहे थे कि बिन मां बाप की औलाद अनाथ ,आवारा ,यही तो करेगा शराब और दारू पीकर ही तो बड़ा हुआ होगा,,, जिस मालिक ने इसे सहारा दिया उसी के घर में इसने ऐसा काम किया,,,
और उसके बाद उस बस्ती में सब राज को ठरकी के नाम से ही बुलाने लगे थे ,,ऐसी बातें सुनकर मेरा
कलेजा मुंह को आता था जिस बच्चे ने पूरी जिंदगी में शराब को कभी छुआ भी नहीं, उसे ठरकी कहकर बुलाया जाने लगा था ,,,राज ने अपने बारे में बहुत सफाई दी सबको बहुत समझाया,, पर किसी ने उसकी एक न सुनी ,,
तब से ही मेरा राज ऐसा हो गया लोगों के लिए उसके मन में एक गुस्सा भर चुका था लोगों के मुंह से अपने लिए ऐसी बातें सुनता तो उसकी आंखों में खून उतर आता ,,और तब से उसके मन में लोगों की प्यार की जगह जिद और नफरत ने ले ली ,,अब हमें वहां पर कोई काम भी नहीं देता था,,राज के पास जो थोड़े पैसे थे जो उसने बैंक में इखट्टे किए थे ,,,उसी से हम अपना खर्चा चला रहे थे,, पर आखिर ऐसा कब तक चलता, एक डेढ़ महीने बाद एक दिन अचानक ही हमारी खैरियत पूछने के लिए उन्हीं लड़कों के पिता ने हमें फोन किया उस वक्त राज घर पर नहीं था,, तो फोन मेंने ही उठाया उस दिन मैं बहुत ज्यादा परेशान थी ,और फिर जब उन्होंने अपनापन से पूछा तो मैंने उन्हें सारी बात बता दी ,,अपनी सारी परेशानियां एक-एक करके उनके सामने रख दी,
मेरी इस बात पर वह हमसे काफी नाराज थे कि उनके इतना कहने के बाद भी हमने अपनी परेशानी उन्हें नहीं बताई उसके बाद दूसरे ही दिन ,, फिर हमारे पास हमारे घर पहुंच गए ,,,और इस बार उन्होंने राज को अपने पास बिठाकर बिल्कुल अपने बेटे की तरह प्यार से समझाया ,उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा बेटा
अगर आज तुम्हारे पिता जिंदा होते तो क्या तुम उन का दिया हुआ कुछ भी नहीं लेते,,,क्या मुझे अपना पिता नहीं मानोगे ,,,ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी का बेटा मुसीबत में हो और उसका पिता उसके लिए कुछ भी ना करें,,,,
जो लिफाफा में तुझे दे रहा था वह आज भी मेरे पास बिल्कुल वैसा ही रखा हुआ है,,,, क्योंकि मैं तुम्हें दे चुका था ,,,और दी हुई चीज कभी वापस नहीं ली जाती ,,,अब अगर तुम नहीं लोगे तो मैं समझूंगा कि तुम मुझे अपना पिता नहीं मानते ,,,और अगर इसे लेकर अपना नया जीवन शुरू करोगे तो मुझे बहुत खुशी होगी ,,,,,
देखो राज बर्बादी, बदनामी ,और जिद हमेशा किसी इंसान को बुरे रास्ते पर ले जाती है ,,,लेकिन इन पैसों से अगर तुम अपनी अच्छी जिंदगी शुरू करोगे तो तुम्हारे और काकी के लिए अच्छा होगा ,,,
और मुझे भी अच्छा लगेगा जब उन्होंने इतना समझाया और फिर मैंने भी उनके सामने ही राज को अच्छे से डांट लगाई कि बड़ों का अनादर क्यों कर रहा है इस तरह से ,,,
आखिर वह तुमसे बड़े हैं उनके पैर छूकर पिता का आशीर्वाद समझकर यह लिफाफा रख ले,,,,,, और शायद तब यह बात राज की समझ में आ गई थी ,,,और उसने सब की बात मान ली ,,उसने सोच लिया था कि वह इस बस्ती को छोड़कर कहीं दूर जाकर नए तरीके से अपनी जिंदगी शुरु करेगा ,,,,,,,
राज ने सब के समझाने पर उन लोगों से ₹5 लाख और जमीन के टुकड़े के कागजात रख लिए थे , तब राज को सच में उनमें अपने पिता ही नजर आ रहे थे, जिन्होंने पूरे अधिकार के साथ राज को वह लिफाफा दिया था ,और जब राज इस बात के लिए राजी हो गया, तो उन्होंने उसी वक्त हमसे सामान बांधने के लिए कहा,
क्योंकि वह सुबह से शाम तक यहीं थे और इतने टाइम में देख रहे थे कि कोई भी हमारे यहां ना आ रहा है ,ना हमसे बात कर रहा है मदद करना तो बहुत दूर की बात है, जब यहां आकर उन्होंने बस्ती में राज का घर पूछा था ,तब भी लोगों ने हंसते हुए राज का मजाक उड़ाया ,और कहा आप राज का घर पूछ रहे हैं ,या ठरकी का जिसने अपने मालिक का नमक खाया और उन्हीं के साथ ऐसा काम किया ,वह तो ठरकी है और ठरकी को पीने के बाद होश ही कहां रहता है ,कि वह क्या कर रहा है,,,
सब की राज के बारे में यही राय थी ,सब उसे राज की जगह ठरकी ही बुलाने लगे थे लेकिन उन्होंने कुछ ना कहते हुए हमारे घर का पता लगाया और घर तक आ
गए ,,
वह स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ थे, कि राज का अब यहाँ रहना ठीक नहीं है,, अगर वह यहां रहा तो यही सब बातें सुन सुनकर और ज्यादा परेशान हो जाएगा उन्होंने जबरदस्ती हमारा सामान बधवाया सामान था ही क्या ,सिर्फ थोड़े से कपड़े और कुछ रसोई का सामान, टूटी हुई निमाड़ के दो पलंग जो उन्होंने, यहीं पर छोड़ने के लिए कहे थे ,,जरा सा सामान उनकी बड़ी सी गाड़ी के ऊपर और पीछे डिग्गी में ही आ गया था ,,अब चारों वही चल पड़े थे जहां पर उन्होंने राज को वह जमीन का टुकड़ा दिया था ,वह जगह पास ही थी बस कुछ ही देर में सब लोग वहां पर पहुंच गए थे,,
जेसे ही वहां पहुंचकर गाड़ी से उतरे तो आसपास के कुछ लोग उनसे मिलने आ गए थे ,वहां के लोग उन्हें जानते थे क्योंकि यहां पर बहुत सारी जमीन उनकी थी, और कभी-कभी जमीन के सिलसिले में उनका आना जाना यहां हो जाता था ,सब लोग उनके पास आए तो उन्होंने राज से सब का परिचय करवाया ,और राज को अपना खास बताकर सबसे यहां पर राज का का साथ देने की बात कही, उन्होंने यह भी बताया कि राज बहुत मेहनती लड़का है ,और जो भी करेगा इसमें आप सब इसका साथ दे तो आपका भी फायदा होगा ,,जब उन्होंने राज की इतनी तरफदारी की, और उसके बारे में इतनी सारी अच्छी बातें बताई तो वहां के लोगों ने इस बात को मान कर राज का अपनी बस्ती में स्वागत किया,,,,