अध्यन का घर
अध्यन तैयार हो कर पापा का इंतज़ार कर रहा था । उसने लोवर और टी शर्ट पहनी थी । वह बार बट घड़ी देखता इतने में देव जी आए और दोनो जोगिंग के लिए निकाल गए ।
जोगिंग करते करते दोनो उसी जगह पर पहुंचे जहा उन लोगो
ने देखा कुछ पपी खेल रहे थे । अध्यन पापा को रुकने को कहा और उन पपी को बिस्किट्स दी। बिस्किट्स देते वक्त उसका दिल धड़कने लगा।
उसे लगा जैसे चाहत मुस्कुराते हुए उसे देख रही हो वो भी हल्का सा मुस्कुरा दिया ।
देव जी भी उसके बिहेवियर में ये तब्दीली महसूस कर रहे थे पर कहा कुछ नहीं।
दोनों जॉगिंग कर के वापस घर आए तो गौरी जी ने उनको जूस दिया अध्यन बाए हाथ से जूस पीते हुए दाए हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था । और अपने रूम में चला गया । उसके जाते है गौरी जी जो जब से चुप थी बोल उठी।
गौरी जी – देखा अपने इसे…. अभी दो दिनों से ऐसे ही हरकते करते रहता है….. पता नहीं क्या हुआ है…..
देव जी जो अपना अखबार पढ रहे थे उन्होंने गौरी जी से कहा – प्यार हो गया है आपके बेटे को।
गौरी जी – क्या??????!!?……… आपको उसने बताया…… पर कब ….. और किससे ……????????
देव जी उनको पकड़ कर अपने करीब लाते हुए ।
देव जी – अरे!…. आप समझ नहीं रही है । शायद उसे कोई पसंद आ गई है……. तभी तो वो ऐसी हरकते के रहा है।
आप ना ज्यादा मत सोचो।
गौरी जी – अभी उसकी उम्र नहीं है ये सब करने की…….. अभी तो उसको पढ़ना चाहिए….. और….. वो बोल ही रही थी तब ही ….. देव जी ने उनके होठो पर उगली रख कर कहा।
देव जी- वो आज के जमाने का लड़का है ….. और वो इतना समझदार है कि ऐसा कुछ नहीं करेगा जो सही ना हो…. अब आते है प्यार वाली बात पर ……. तो उसके लिए ये नया एक्सपीरियंस है ….. तो हमारा ये फ़र्ज़ बनता है कि हम उसे समझे….. ना कि रोक टोक करे…… अगर हमने ये किया तो वह हमसे फ्रीली कुछ शेयर नहीं कर पाएगा ……। आप समझ नहीं रही हो ना ।
गौरी जी ने हा में सिर हिलाया। तो देव जी ने उन्हें गले से लगा लिया ।
तभी अध्यन रूम से बाहर आया और दोनो को ऐसे देख कर मुस्कुराया फिर सिटी बजाते हुए पास रखे सोफे पर बैठ गया
। सिटी की आवाज़ सुन गौरी जी और देव जी दोनो अलग हुए ।
अध्यन ने ऐसे बिहेव किया जैसे उसने कुछ देखा ही ना हो और कहा – मॉम मुझे स्कूल जाना है …. नाश्ता लगा दो ।
गौरी जी हां बोल कर किचन भाग गई और देव जी अखबार रख कर अपने रूम चले गए ।
अध्यन ने नाश्ता किया और और स्कूल आ गया।
स्कूल क्लासरूम
अध्ययन आज फिर चाहत का इंतजार करने लगा उसने देखा चाहत अकेले आ रही है उसके पीछे काजल भी आ रही है उसने देखा आज दोनों ही शांत थी।
अध्यन ने चाहत को देखा उसकी आंखे लाल और सुजी हुई थी ये देख अध्यन को अच्छा नहीं लग रहा था।
वह जानना चाहता था कि क्या हुआ जो चाहत इतनी उदास है…….
क्लास रूम
चाहत का उदास चेहरा अध्यन से देखा नहीं जा रहा था।
वो उससे पूछना चाहता था। वो क्यू उदास है?
प्रेयर की बेल बजी सब क्लास से निकालने लगे । अध्यन हमेशा की तरह लास्ट में निकाला । चाहत दरवाज़े पर ही मिल गई । हमेशा की तरह चुप थी पर आज जो उसमे नया था वो था उदास चेहरा और लाल आंखे।।
ये आंखे ही तो थी जो उसे दूसरों से अलग बनाती थी । एक अजब सा सुकून देती थी ये आंखे अध्यन को। पर क्यू ये आंखे खामोशी लिए बैठी है।
उसका मन ही नहीं कर रहा था उससे एक पल के लिए भी दूर जाने का पर अभी वो समय नहीं आया था । जिस की दुहाई देकर वो उससे कुछ पूछ सके । बस दोस्ती ही थी वो भी इतनी गहरी नहीं थी। वो चाहता था वो उसे बताए और वो पल भर में उसके सारे दर्द ले ले।
पर ये मुमकिन न था ।
प्रेयर हुई और क्लासेज भी पर फिर भी चाहत ने एक वर्ड भी नहीं कहा था। ना ही वो मुस्कुराई थी ।
उसे ऐसे देख अध्यन को सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी और भी कोई था जिसे ये सब तकलीफदेह लग रहा था । वो थी काजल।
वो उससे बात करने का मौका ढूंढ रही थी। लगातार क्लासेज के कारण उसे ये मौका अभी नहीं मिल रहा था।
लंच की बेल ने ये मौका दोनो को से दिया। काजल ने बिना किसी की परवाह किए लंच बॉक्स उठाया और चाहत का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले आई ।
बाहर आकर वे लोग गार्डन के पास पहुंचे। काजल ने चाहत को देखा और गले से लगा लिया । चाहत जो अब तक चुप थी वो फूटफूट कर रोने लगी । काजल उसका पीठ सहला रही थी।
चाहत रोते हुए – मैंने कुछ नहीं किया आज तक … फिर क्यों उनको ये लगा….। क्या मम्मी ये नहीं जानती की मै कुछ भी ऐसा नहीं कर सकती …. क्यों काजल ….
काजल – वो बस गुस्सा थी यार… तू भी ना सच में… कुछ ज्यादा ही इमोशनल है…. हो गई उनसे गलती भूल जा…
चाहत – हा.. मै मानती हूं … गलती हो गई … मै उन्हें बलेम नहीं कर रही…. बस मुझे बुरा लगा,… मै…,मै…
करते हुए उसने कल रात की सारी बाते बता दी। फिर वो रोने लगी।
चाहत रोते हुए – मैंने कभी भी कुछ गलत नहीं किया है … आगे भी नहीं करूंगी …. लोग कुछ भी कहे … उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता …. पर अपनों की बात चुभती है …. बहुत ज्यादा चुभती है…
अध्यन जो काफी देर से वहा था और उनकी बात सुन रहा था उसने वहा आकर उन दोनों से कहा।
अध्यन – चुभती है .. तुम्हे बुरा लगता है … उनका शक करना… गलत लगता है .. है ना…
चाहत काजल से दूर हुई और अध्यन को देखने लगी ।
अध्यन उसका हाथ पकड़ वहा पड़ी बेंच पर बिठा कर खुद उसके घुटनो के पास बैठ गया। और बोलना जारी रखा।
अध्यन – तुम्हे उनका तुम पर शक करना पहले नजर आया…. पर उसके पीछे छुपी फिक्र नहीं … ये सब कहते हुए अध्यन ने अपना सिर उठा उसे देख कर बोलना जारी रखते हुए बोला।
अध्यन – वो तुमसे बहुत प्यार करती है… शायद इसीलिए तुम्हे कुछ गलत करते नहीं देख सकती है…
तुम खुद ही सोचो… अगर वो ये नहीं कहती … और कोई और आकर उनके सामने ऐसे सवाल करता …. तब तुम क्या करती ,… उन्होंने तो तुम्हारी बात भी सुनी … और अपनी गलती का अहसास होने पर माफी भी मांगी… वो तुमसे प्यार करती है …,इसीलिए जरा ज्यादा फिक्र करती है .. तुम खामखां गलत सोच रही हो …
इतना कह कर अध्यन ने उसे वॉटर बोतल दी और कहा चलो अब फेस धो लो । चाहत ने भी उसकी बात मान फेस धोया । अध्यन ने अपना रुमाल चाहत की ओर बढ़ा दिया जिसे लेकर उसने अपना फेस साफ़ किया।
अध्यन ने फिर से उसे बेंच पर बिठाया। उसने काजल की तरफ देखा फिर बैठने का इशारा किया। उनके हाथ से टिफिन लेकर उसे खोला । उसमे मैगी थी जिसे काजल लेकर आई थी। उसे एक चम्मच से पहले काजल फिर चाहत को खिलाया। और खिलते हुए बोलने लगा।
अध्यन – चाहत तुम्हे पता है। .. हम जिससे प्यार करते है ना … उसकी फिक्र हमे सबसे ज्यादा होती है … तुम्हे पता है उनको कुछ हो … ये हम कभी नहीं चाहेंगे । ये बोल उसने फिर एक बाइट चाहत की ओर बढ़ा दिया फिर कहा।
अध्यन – इसीलिए तुम्हारी मॉम ने तुम्हे डांटा।… क्युकी.. वो तुम पर भरोसा करती है…. तभी तो उन्होंने दुबारा क्रॉस चेक करने यहां (स्कूल) आना जरूरी नहीं समझा … और अपनी गलती होने पर सोरी भी बोल दिया … उन्हें बस फिक्र है इसीलिए उन्होंने ये किया समझी ।
चाहत ने हा में सिर हिला कर हा कहा ।
ये देख कर वो दोनो को बारी बारी से खिलाया ओर लास्ट में एक बाइट बचा तो उसने दोनों को देखा वो सोच ही रहा था तभी एक हाथ उसकी तरफ आया उसने हैरानी से देखा तो देखता ही रह गया उसने कहा – बट ये तो… इतना ही बोल पाया था ।
तभी चाहत ने उसे एक बाइट खिला दिया । और वो उसे देखने लगा ।
ये सब हो जाने के बाद चाहत ने अध्यन को थैंक्यू कहा और फिर क्लास चली गई । अध्यन इस अहसास को संभाले क्लास वापस आ गया।
क्लासेस ख़तम हुए सब अपनी घर की तरफ चले गए। चाहत भी घर की तरफ ही जा रही थी। तभी उसे याद आया कि जल्दी में उसने उन पपि के लिए बिस्किट्स नहीं ली उसने सोचा घर से आर्यन के साथ आयेगी फिर खिला देगी ।
यह कह कर वो आगे बढ़ी फिर उसने देखा कोई उन पपी के साथ है । पास जाकर देखा तो अध्यन था जो वहीं बैठ उनको बिस्किट्स खिला रहा था। वो उसके पास गई और वहीं पर
उसे देखने लगी ।
बिस्किट्स खिलाने के बाद वह उठा और मुड़ा तो चाहत को देख खुश हो गया… उसकी आंखो में फिर वही चमक आ गई थी ।
अध्यन का दिल धड़क उठा वहीं मुस्कान देख कर।
वो आज उस मुस्कान को अपने दिल मै बसा लेना चाहता था पर चाहत ने उसे अभी इसकी इजाजत नहीं दी थी,।
अध्यन – तुम अभी यहां… घर नहीं गई …
चाहत – तुम भी तो नहीं गए ना ।
अध्यन – वो … मै तो इनको खाना देने आया था,। पर तुम यहां कैसे …?
चाहत – मै घर जा रही थी …. तभी तुम्हे देखा इनके साथ तो यहां आ गई… थोड़ी देर चुप होकर बोली।
चाहत – अच्छा… आज के लिए… एक बार फिर…. थैक्यू…
अध्यन उसके करीब आ कर – बस थैंक्यू मुझे तो लगा….
चाहत दो कदम पीछे हट कर – क्या लगा??
अध्यन उसका डरा चेहरा देख कर हसने लगा और बोला – तुम कितना डरती हो यार…. तुम्हे क्या मै वैसा लगता हूं…
चाहत जल्दी से – नहीं… तुम…. वैसे नहीं हो …
अध्यन फिर से उसे देखते हुए – अच्छा तो फिर कैसा हूं?? ये बोल वो चाहत को देखने लगा।
चाहत उसकी नज़रों को देख कर अपनी पलको को झुका कर बोली – वो .. तुम…. मेरा मतलब था….
अध्यन उसे बीच में रोक कर बोला – इट्स ओके …. मै मज़ाक कर रहा हूं।
चाहत और अध्यन साथ में चल रहे थे।
अध्यन – तुम्हारे घर में कौन कौन है?
चाहत – पापा मम्मी और भाई । … और तुम्हारे???
अध्यन – पापा मम्मी और मै … बस हम तीन ही है।
चाहत – ओह…
दोनों साथ में चल कर अपनी साइकिल के पास आए और एक दूसरे को बाय बोल अपने रास्ते चले गए।
चाहत ने एक बार मुड़ कर अध्यन को देखा जो बेखबर होकर साइकिल चला रहा था। उसके मुड़ने के ठीक बाद अध्यन ने
उसे देखा वो भी अपने में मगन साइकिल चला रही थी। उसे देख अध्यन के होठों में मुस्कान आ गई । और ठीक यही चाहत के साथ भी हुआ जब उसने अध्यन को देखा।
चाहत का घर
चाहत घर आई तो देखा उसने मम्मी ढेर सारे कार्डस के साथ बैठी है। वो अपने शूज निकलते हुए बोली – मम्मी ये सब क्या है ??
रीमा जी – कार्डस है बेटा… तुम्हारे पापा और मैंने सोचा है …. इस संडे ही नए घर में पूजा रखवा लेते है … और पार्टी भी उसी दिन रख लेते है…. तुम क्या कहती हो???
चाहत – बेस्ट आइडिया मॉम… ये कह कर उसने अपनी मम्मी की गाल पर किस्सी दी फिर गले में बाहें डाल कार्डस देखने लगी । दोनों ने मिल कर एक कार्ड सेलेक्ट किया।
रीमा जी – अब यही छपने जाएगा.. तुम्हे कितने कार्डस चाहिए होंगे बता देना।
चाहत – ठीक है मम्मी।
चाहत फिर अपने रूम चली गई फ्रेश हुई और आर्यन के साथ
होमवर्क किया । होमवर्क होने के साथ बाद कब वो अपनी कॉपी बेग के डाल रही थी तभी उसके बेग से अध्यन का रुमाल गिर गया। रुमाल देख उसे अध्यन की याद आ गई । अध्यन कैसे आज उसके लिए जमीन में बैठा था और उसे समझा रहा था । उस अहसास को वो कभी नहीं भूल सकती । ये पहली बार था जब किसी ने उसके लिए ये सब किया था ।
वो मुस्कुराते हुए बेड पर बैठी । तभी उसकी नजर सामने लगे शीशे पर गई उसने सामने खुद को देखा। अपना सावला रंग देख उसने खुद से कहा – तुम ज्यादा सोच रही हो … वो बस तुम्हे अपना दोस्त मानता है ….
खुद को वो ऐसे ही समझा रही थी । तभी मम्मी की आवाज़ आई – चाहत बेटा… चलो आओ और प्लेट लगा दो … ।
चाहत उठते हुए – हा मम्मी….
चाहत खाना खाती है और सो जाती है।
अध्यन का घर
अध्ययन खाना खा कर रूम आया। वहा वो बिस्तर पर लेट
गया । आज जो कुछ भी हुआ उसे याद करने लगा। जब उससे रहा नहीं गया तब उसने एक डायरी निकली और उसमे लिखने लगा।।
“चाहत”
पता नहीं वो क्या है जो तुममें है… जो मुझे तुमसे दूर नहीं होने देता … वो क्या है जो तुम्हे मेरे पास और पास ला रहा है।
मैंने हर जतन कर लिए पर तुम दिल से जाती ही नहीं…
तुम्हारा हसना तो पसंद था ही … पर आज जब तुम रो रही थी … तुम्हारी वो आखे ओर उन आंखो में भरा वो पानी … दिल टूटता जा रहा था ये सब देख कर…
तुम्हारे पीछे आया था … सच जानने … पर जब तुम रो रही थी …. मेरा दिल भी रो रहा था… तुम सोच भी नहीं सकती … तुम कितनी जरूरी हो गई हो … मेरे लिए …
मैंने किसी को आज तक नहीं समझाया पर… पहली बार लगा… तुम्हारे आसू रोकना है… तो चला आया तुम्हे समझाने … जब तुम मेरे समझाने पर चुप हुई … तब सबसे ज्यादा मै ही खुश हुआ.. तुमने हा में सिर हिलाया तो एक पल
के सब भूल तुम्हे गले लगा लूं।… ऐसा मन हो रहा था…
पर डरता हूं कहीं मेरे कारण तुम्हे कोई छोट ना पहुंचे … कहीं कुछ बुरा ना हो जाए… तुम दूर ना हो जाओ मुझसे…
तुम्हे सुनना चाहता हूं …. वक़्त बिताना चाहता हूं…
तुम्हारी हर जिद पूरी करना चाहता हूं.. तुम्हे बहुत बहुत खुश रखना चाहता हूं…
पता नहीं वो दिन कब आयेगा… जब ये सब तुम्हे कब कहूंगा … पर जब भी कहूंगा… पूरे दिल से कहूंगा …. एक एक बात कहूंगा… उस समय का बेसब्री से इंतज़ार है मुझे….
तुम्हारी यादों के साथ
तुम्हारा अध्यन….
इतना लिख वो उस डायरी को सीने से लगाए सो गया।अगले दिन
चाहत का घर
चाहत ने अपना रोज़ का काम किया । नहाकर आईं तो उसकी नजर रुमाल पर पड़ी जो अध्यन की थी। उस रुमाल को उसने धो कर साफ़ किया। उसे सूखा कर अपने बेग में रखा । एक बार फिर अध्यन का ख्याल उसका दिल को धड़का गया।
स्कूल में
चाहत क्लास आईं उसने देखा अध्यन उसे ही देख रहा था । वो उसके पास जाती उससे पहले ही कोई लड़की दौड़ती हुई आईं और उसके गले लग गई।
चाहत जहा थी वहीं रुक गई…
कौन है ये?
स्कूल क्लासरूम
चाहत जहा थी वहीं जम गई । वो एकटक उन दोनों को देखने लगी ।
वो लड़की अध्यन के गले लगे हुए थी । अध्यन ने उसे देखा फिर लड़की से कहा – सोनिया…
सोनिया – हा ।।
अध्यन – तुमसे कितनी बार कहा है…. ऐसे क्लास में ये सब नहीं करते…
सोनिया – जानती हूं… पर इतने दिन बाद तुमसे मिली…. ना तो खुद को रोक नहीं पाई ।
अध्यन ने उसके सिर पर थपकी दी फिर उसे लेकर क्लास से
बाहर चला गया ।
चाहत जैसे जम ही गई इतने में काजल आईं और उसे कहा – कहा खोई है…
चाहत – कहीं नहीं …
काजल – तो ऐसे बीच रास्ते में क्यू खड़ी है…
चाहत वहा से हट अपने डेस्क पर चले जाती है।
प्रेयर बेल बजी तो सब थे बस अध्यन नहीं था । चाहत की नज़र बाहर ही थी पर वो उसे नहीं दिखा । प्रेयर लाइन में उसे सोनिया दिखी जो कि अभी भी अध्यन के साथ बातो में लगी थीं । ये देख चाहत को बहुत बुरा लगा पर वो समझ ही नहीं पा रही थी उसे बुरा क्यू लग रहा है।
क्लास में जब वो पहुंची तो भी सोनिया उसकी सीट पर बैठी थी ।
जब चाहत वहा पर आईं तो अध्यन ने सोनिया को वहा से जाने को कहा और चाहत के साथ बैठ गया ।
क्लास में टीचर आए और पढ़ने लगे ।
सर – सो सॉल्व दिस इक्वेशन…
सर ने चाहत को देखा जिसका ध्यान नहीं था तो सर ने उसे जोर से पुकारा चाहत….
चाहत डर गई और अपनी जगह पर खड़ी हो गई ।
सर – ध्यान कहा है… तुम्हारा…सॉल्व करो इस इक्वेशन को ।
ये सुन चाहत गुस्से में उठी और ब्लैक बोड में जाकर इक्वेशन सॉल्व करने लगी । आंसर आ जाने के बाद वो रुकीं। सब उसे देख रहे थे।
सर ने पहली बार उसे इतने गुस्से में देखा था। वो उसे कुछ नहीं बोले । वो अपनी जगह पर बैठ गई।
अध्यन ने उसे देखा। उसे भी समझ नहीं आया कि हुआ क्या जो चाहत इतने गुस्से में है।
क्लासेस अपने हिसाब से चल रही थी काजल और अध्यन दोनो चाहत के बिहेवियर को देख हैरान थे।
सोनिया ने अध्यन को देखा और आंख मार दी । अध्यन मुस्कुराकर फिर अपना काम करने लगा। ये सब चाहत ने
देखा तो उसे और गुस्सा आ गया।
चाहत अपने में ही बड़बड़ाए जा रही थी ।
चाहत – अभी भी उसे ही देख रहा है । .. ये नहीं कि पूछ लू … चाहत क्या हुआ…लेकिन नहीं,….कहा फर्क पड़ता है…. रहे अपनी सोनिया के साथ … मुझे क्या..
अध्यन सोचता है पुछू या नहीं फिर हिम्मत कर के चाहत को पुकारता है ।
अध्यन बड़े प्यार से – चाहत
चाहत उतने ही गुस्से से बोलती है – क्या है?
अध्यन – वो… तुम … तुम गुस्सा … मेरा मतलब वो…
चाहत – ये वो … वो क्या लगा रखा है। …. साफ़ साफ़ कहो…
तभी लंच की बेल बजती है और चाहत कहती है।
चाहत – मुझे जाना है लंच करने तो मै तुमसे बाद में बात करती हूं । तुम जाओ … अपनी सोनिया से बाते करो … उसके सामने वो … वो….करो समझे ।
ये सब बोल चाहत पैर पटकते हुए निकाल जाती है।
अध्यन बिना कुछ समझे सोचता है मैंने क्या किया ,?
तभी पीछे से सोनिया आती है और उसे अपने साथ लंच
करने बोलती है।
लंच हो जाने के बाद वो सोनिया के साथ बात कर ही रहा होता है तभी उसकी नज़र पास में खड़े काजल और चाहत पर पढ़ती है वो सोनिया को बाय बोल । उनके पास जाता है।
उसे पास आता देख चाहत काजल से चलने को कहती है और वो दोनो क्लास आ जाते है । अध्यन वहीं खड़ा होकर उन दोनों को देखते रह जाता है उसे समझ ही नहीं आता की हुआ क्या है चाहत को??
इधर क्लास में आकर चाहत एक गहरी सांस लेती है। और काजल को देखती है जो उसे देख रही होती है।
काजल उसे अजीब सी नजरो से देखती हैं।
काजल – ये क्या कर रही है तू???
चाहत – मै … मैंने क्या किया?
काजल – तू बन मत ।
चाहत – मै कहा बन रही हूं ।
काजल – ये क्या हरकत है फिर…
चाहत – क्या … कुछ भी तो नहीं .. तू क्या बोल रही है… मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा।
काजल चाहत को बोली तो तू ऐसे नहीं बताएगी।
ये बोल के उसने चाहत को पकड़ा और गुदगुदी करने लगी । दोनों क्लास में एक दूसरे को गुदगुदी कर रहे थे । वो तो लंच टाइम था नहीं तो आज उनकी खैर नहीं होती । दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को तंग कर रही थी । और जब थक गई तो बेंच पर बैठ कर गई फिर एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते है।
काजल – तू अध्यन को इग्नोर कर रही है ।
चाहत नज़रे चुराते हुए – नहीं तो
काजल – अच्छा।
चाहत उसे देखते हुए हा बस कहने ही वाली थी तभी काजल को देख वो चुप हो गई । काजल हाथ बांध कर खड़ी हुई थी फिर उसने कहा – तू उसे सोनिया के वजह से इग्नोर के रही है ना।
चाहत ने हा में सिर हिलाया।
काजल – क्यू?
चाहत अब क्या कहे क्युकी उसे खुद समझ नहीं आ रहा था । कुछ सोच के उसने कहा।
चाहत – अरे यार वो अपने दोस्त के साथ था… उस सोनिया के साथ तो… मैंने सोचा …. क्यों उनके बीच आऊ
इसीलिए …
काजल – अच्छा…. वैसे तुझे नहीं लगता ये मि. अध्यन कुछ ज्यादा ही ध्यान नहीं दे रहे तुझ पर…
ये बोल कर उसने चाहत को आंख मारी । तो चाहत उसके पीछे भागी और बोली रुक तुझे… मै बताती हूं कौन किसके पीछे ध्यान दे रहा है ।… रुक तू….
कुछ देर बाद जब दोनों शांत हुए तो काजल ने कहा।
काजल – कुछ कहूं।।
चाहत – हा बोल ना …
काजल – मुझे कुछ दिनों से एक बात फील हो रही ।
चाहत उसकी तरफ देखते हुए – अब घुमा मत बोल ना।
काजल – मुझे … वो मुझे लगता है…
चाहत – क्या लगता है…
काजल – शायद …. वो
चाहत हाथ दिखाते हुए – अब नहीं बोली ना तो कान के नीचे लगाऊंगी।
काजल ने आंख बंद की और बोली – मुझे अनिल ने परपोज किया है।
काजल कुछ देर तक वैसे ही थी । उसने आंख खोल कर देखा तो पाया।
चाहत कुछ सोच रही है।
ये देख काजल ने उसे कहा – क्या हुआ ?
चाहत ने एक गहरी सांस ली और कहा – क्या तू भी उसे?
काजल ने एकदम से कहा – नहीं । वो .. मै एक्चुअली।
चाहत उसका हाथ अपने हाथ में लेकर – देख वो बुरा नहीं है पर … लड़कियों के बारे में उसका रिकॉर्ड खराब है… वो किसी भी लड़की के साथ अच्छे से नहीं रहा है…
इतना बोलते ही काजल बोल पड़ी – मैंने उसे हा नहीं कहा है।… मै… वो बोल ही रही थी तभी
चाहत – तूने उसे हा कह दिया है … तेरे चेहरे पर ही दिख रहा है।
काजल अब चुप हो गई । उसे पता था कि चाहत से वो कुछ नहीं छुपा सकती। उसने सिर झुका दिया।
चाहत – तू रह उसके साथ … बस अगर कहीं कुछ गलत लगे तो… सबसे पहले मुझे बताना।
काजल ने हा में सिर हिलाया।
चाहत ने काजल को गले लगाया और कहा – congratulation
काजल – थैंक्स…नाराज़ तो नहीं है ना तू…
चाहत – बिल्कुल नहीं … बस खुद का ख्याल रखना … वो क्या है ना… एक ही मिस्टी है.. मेरे पास … तुझसे ही तो मेरी लाइफ की स्वीटनेस बरकरार है।।।
काजल हा बोल उससे दूर हुई ।
चाहत – आज चले
काजल – कहा?
चाहत – अपने अड्डे पर ।
काजल – बिल्कुल ।
कोई था जिसका दिल आज टूट चुका था …. वो था अंश। गलती से उसने काजल और चाहत की अनिल को लेकर हुई बात सुन ली थी। उसने खुद को किसी तरह संभाला और क्लास में आकर बैठ गया था।
क्लास का टाइम हो चुका था।
सब क्लास आने लगे। अंश को पता था ये हो सकता है पर फिर भी एक उम्मीद थी उसे। पर शायद वो उम्मीद भी अब टूट चुकी है।
उसे बुरा भी नहीं लग रहा था। बस उसके लिए वो पहला अहसास था।
कभी कभी ऐसा होता है। लोग किसी चीज़ को बस देख के उसे पसंद कर लेते है । उसे अपने पास लाने के बारे में सोचते है ।
उसके साथ रहना चाहते और उसे पाने के लिए हर पॉसिबिलिटी अपनाते है ।
पर जब वो समझ जाते है वो चीज उनके लिए नहीं है तो उसे वो छोड़ भी देते है।
ये कुछ ऐसा था “जैसे की पहली बारिश में मिट्टी का भीग जाना और एक सौंधी खुशबू का आना।” पर ये कुछ ही समय के होता है।
अंश बस उसी खुशबू को लिए क्लास से बाहर आया ।
अपना चेहरा धोया और फिर मुस्कुराते हुए क्लास की ओर
चला गया कहीं ना कहीं उसे पता चल चुका था “पसंद कि चीज को ना पाकर भी खुश रहा जा सकता है।
ये देखते हुए की वह चीज जिसके पास है… इससे वो चीज खुश है ।”
ऐसे ही वो क्लास आया । क्लासेस खत्म हुई सब घर की तरफ निकाल गए।
चाहत हमेशा की तरह अपने साइकिल से उन पपी के पास पहुंची वहा उसे बिस्कटिट्स दे कर उसे सहलाने लगी तभी किसी की एक परछाई वहा से गुजरी। उसे पहले तो समझ नहीं आया। उसने मुड़ के देख तो हर्ष था जो उसे देख रहा था।
चाहत हर्ष को ऐसे अचानक देख थोड़े देर के लिए रुक गई फिर उसने उसे देख कर पूछा।
चाहत – तुम… यहां क्या कर रहे हो?
हर्ष – क्यू मै यहां नहीं आ सकता क्या??
चाहत – नहीं ऐसा नहीं है … मै तो बस यूं ही …
हर्ष पापी की तरफ इशारा कर के – ये तुम्हारे है।।
चाहत – नहीं …
हर्ष – तो फिर …
चाहत – मतलब
हर्ष – जब ये तुम्हारे नहीं…. तो क्यू हो तुम इनके साथ?
चाहत – हर बार जरूरी नहीं … जो चीज हमारी हो या हमसे उससे कोई फायदा हो… तभी उसके साथ रहा जाए।
हर्ष कुछ देर के लिए चुप हो गया। फिर मुस्कुरा कर कहा।
हर्ष – शायद तुम ठीक कह रही हो ।
वो बात ही कर रहे थे। तभी एक आवाज़ गूंजी ।
“तू यहां क्या कर रहा है … “
दोनों आवाज़ की तरफ पलट गए । उस शख्स को देख चाहत के चेहरे पर गुस्सा और हर्ष के चेहरे पर मुस्कान आ गई…
हर्ष – मै चलता हूं । बोल कर मुस्कुराते हुए वहा से चला गया।
उस इंसान ने चाहत का रुख लिया। फिर कहा – ये यहां क्या कर रहा था।
चाहत – मुझे नहीं पता । ये उसने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा और जाने लगी ।
उसने एक हाथ से चाहत का हाथ थाम उसे रोक लिया।
चाहत – अध्यन …….
हा ये अध्यन था जिसे चाहत और हर्ष ने देखा था।
चाहत मुड़ी और पहले अपने हाथ को फिर अध्यन को देखा ।
अध्यन – सुन तो लो …. कुछ कहना था तुमसे।।
चाहत हाथ छुड़ाते हुए – नहीं सुनना कुछ … मुझे देर हो रही है…
अध्यन – बस थोड़ी देर…
चाहत उसे देख कर – ठीक है … पर पहले हाथ छोड़ो।
सुन अध्यन ने उसका हाथ छोड़ दिया ।
अध्यन सामने देखते हुए – हर्ष सही नहीं है…
चाहत उसकी तरफ थोड़े से आश्चर्य से देखने लगी।
अध्यन बात जारी रखते हुए – वो अच्छा लड़का नहीं है… दूर रहना तुम उससे।
चाहत – हम्म… ठीक है .. वो अच्छा नहीं है… तो कौन अच्छा है … तुम या ….,तुम्हारी वो सोनिया…
चाहत ने बस इतना कहा अध्यन झटके के साथ उसे देखने लगा । चाहत ने भी अपना सिर पकड़ लिया ये उसने क्या कह दिया…
अध्यन कुछ देर चुप रहा फिर बोला – वो दोस्त है मेरी… पापा के फ्रेंड की बेटी … और मेरे बचपन की दोस्त इससे ज्यादा के कुछ नहीं…
चाहत – नहीं वो… मै … तो
अध्यन उसके पास आ कर – हा… हा…. मै समझ गया…
चाहत ने जल्दी से कहा – मुझे लेट हो रहा है… मै जाती हूं…
ये कह उसने अपनी साइकिल पकड़ी और वहा से भाग गई।
अध्यन होठो पर मुस्कुराहट लिए उसे देखता रहा और कुछ देर बाद वो भी चला गया।
चाहत का घर
चाहत मुस्कुराते हुए घर आती है घर के बाहर गेट पर किसी बाइक को देख वो दौड़ते हुए घर जाती है….
ये किसकी बाइक थी????
चाहत घर पहुंची …. बाइक को देख वो हैरान हो गई वो बाइक चाहत के पापा की थी ।
चाहत भागते हुए अपने घर के अंदर गई वहा देखा तो शिव जी चाय पी रहे थे।
चाहत उसको देख खुद को रोक ना सकी।
चाहत उनके पास जाकर उनसे गले मिली फिर उसने धीरे से उनके पैर छुए । वो बहुत खुश थी ।
शिव जी पुलिस में थे । उनकी पर्सनैलिटी थी भी दबंग टाइप थी । शांत और सपाट चेहरा सावला रंग और उनके होठ के ऊपर की मुछे उन्हें थोड़ा सा सख्त दिखती थी पर वो थे नहीं । आर्यन और चाहत अपने पापा पर गए थे ।
चाहत के पापा चाहत से – कैसा है मेरा बच्चा।
चाहत – अच्छी हूं ।
पापा – पढ़ाई कैसे चल रहीं है ,?
चाहत – अच्छी …
चाहत को अपने पास बैठा शिव जी उनसे बात कर रहे थे। चाहत अपने पापा के बहुत करीब थी । अगर उसका बस चलता तो उन्हें कहीं जाने ही ना देती । पर उनका काम यही तो था जिस कारण वो उनको रोक भी नहीं सकती थी।
बहुत दिनों के बाद मिलने के कारण वो उन्हें देख रही थी । और उनकी बातो का जवाब ही दे रही थी।
अपने पापा को देख उसकी आंखे भर आई थी वो बस रोने ही वाली थी तभी आर्यन – दी… हटो ना…. कब से पापा से चिपकी हो मेरा नंबर कब आयेगा….
चाहत अपने पापा से दूर होते हुए – कभी नहीं…
ये बोल उसने एक बार फिर अपने पापा को देखा फिर कहा – और ये मेरे भी पापा है…., जब तक मन ना भरे तब तक मै उनसे चिपकी रहूंगी ….
आर्यन मुंह फुलाए बैठ गया । ये देख चाहत उसके पास बैठी
और बोली – जा सिमरन जा ….जा लग जा गले उनसे…. तू भी क्या याद रखेगी….,
आर्यन मुंह बनाता हुआ उठा और बोला – हम्मम … आपको याद रखना भी कौन चाहत है … ये बोल वो भाग गया और शिव जी के गले लग गया।
चाहत गुस्से उसे देखने लगी । अपने शूज उतारते हुए कहती है… हा बड़ा आया।
इतने में रीमा जी चाय का कप लिए आती है और सभी को सर्व करते हुए – चाहत बेटा कार्ड्स आ गए है । तुम देख लो तुम्हे कितने चाहिए।
चाहत – जी मम्मी।
चाहत कार्ड्स देखती है। साथ ही सोचती है कि उसे किन लोगो को कार्ड देना चाहिए….,
वो सोचते हुए रूम आती है । अपना काम पूरा कर रही होती है । उसके घर में आज जश्न का माहौल था उसके पापा जो आए थे।
ये माहौल वो हमेशा मिस करती थी। जब पापा होते थे तो घर में अलग ही चहल पहल होती थी । उनके आने से घर की
रौनक और बढ़ जाती थी।
चाहत ने आर्यन को आवाज़ दी जब वो नहीं आया तो वो खुद उसे बुलाने गई ।
चाहत – आर्यन … बाबू कहा है…
चाहत ने देखा आर्यन और पापा दोनो कैरम खेल रहे है। चाहत उनके पास गई और कहा।
चाहत कमर में हाथ रख कर – ये आप दोनो क्या कर रहे है…??
आर्यन – दी कुछ खास नहीं ।।। बस बम बना रहे है…
चाहत चौक कर – क्या… बम
आर्यन चाहत को देखते हुए – हा सोच तो रहे है… एक आपके स्कूल में और एक मेरे स्कूल में फोड़ देते है… बताओ कैसा आइडिया है…
चाहत के बोलने से पहले शिव जी बोले – अरे …. टू गुड…. मै तुम दोनों की पूरी हेल्प करूंगा… वैसे ये करना कब है… ??
चाहत ने दोनो को घुरा और कहा – पापा इसका तो हमेशा का है …. पर अब आप भी शुरू हो गए ।।
चाहत आर्यन को देख कर – और तू …. उठ अभी
आर्यन – पर क्यू…???
चाहत। – क्युकी …. तुझे तेरा होमवर्क करना है…. चल अब।।।
आर्यन का चेहरा उतर गया । तो वो शिव जी की तरफ देख कर हेल्प मांगने लगा। शिव जी कुछ बोलने ही वाले थे उससे पहले चाहत बोली।
चाहत – पापा इसका होमवर्क हो जाने के बाद … आप इसके साथ खेल लेना।… मै भी आऊंगी आपके साथ खेलने…. पर अभी इसका होमवर्क जरूरी है…. नहीं तो कल ये स्कूल भी नहीं जाएगा।
अब शिव जी के पास भी कोई तर्क नहीं बचा उन्होंने हार मान कर आर्यन को देखा जो चाहत के साथ जाने लगा।
शिव जी ने देखा दोनो पढ़ने में बिज़ी है तो वो किचन की तरफ चले गए जहा रीमा जी कुछ मसाले पीस रही थी। शिव जी ने उन्हें देखा। वो उनको एकटक देख रहे थे।
आखिर वो भी दूर रहते थे उनसे और उनके पास ये ही समय
था जो उनको सुकून दे सकता था।
वो उनके करीब आए और खुद बाकी की सब्जी धोने लगे । फिर कड़ाई निकाल छौका लगा कर दाल फ्राई किया । और साथ साथ बाकी काम करने लगे।
चाहत पानी लेने किचन आई तो पाया उसके पापा और मम्मी दोनो मिल कर काम कर रहे थे। ये उसके लिए नई बात नहीं थी । उसने बचपन से अपने पापा और मम्मी को एक दूसरे की मदद करते हुए देखा था।
उसे ये चीज पसंद थी। जहा दूसरे घरों में लोग लड़का लड़की में भेद करते थे वहीं चाहत की फैमिली ऐसी ना थी। सब को सामान्य मानती थी। उन्होंने कभी भी आर्यन और चाहत में कोई फर्क नहीं समझा था।
उसने पानी पिया और बाहर चले आईं थोड़ी देर में चाहट पर आर्यन का होमवर्क हुआ और वो दोनो एक साथ बाहर आए। मम्मी पापा को आवाज़ दी वो दोनो भी आ गए । सब वहीं बैठ कर कैरम खेलने लगे।
हमेशा की तरह आज भी आर्यन और शिव जी की टीम जीत गई थी। चाहत मुंह फुला कर बैठ गई थी।
तभी रीमा जी ने घड़ी देखा जो 9 बजने का इशारा कर रही थी। उन्होंने कहा बाकी कल अभी खाना खा लो।
सबने खाना खाया। चाहत और आर्यन सो गए।
शिव जी रूम में आए तो रीमा जी उनको देख रही थी फिर एकदम से उनके गले लग गईं।
शिव जी उनका सिर सहला रहे थे। और वो उनके गले लगी रही थी। हर औरत जो अपने पति से दूर हो…. तो उसका भी यही हाल होता है जो इस वक़्त रीमा की का था।
रीमा जी – उनसे गले लगे हुए,… बहुत याद करती हूं आपको….
शिव जी – मै भी।
रीमा जी – एक दिन भी बात ना हो तो नींद नहीं आती…
शिव जी – मुझे भी।
रीमा जी – पता है … आपको याद ना करने के लिए मै अपने आप को काम में बिज़ी रखती हूं।….
शिव जी उनको अपने पास बिठा लिया और कहा – अब तो सामने हूं अब बात कर लो।
रीमा जी ने देखा शिव जी उनके पास बैठे थे। थोड़े देर के लिए तो उनको समझ नहीं आया फिर जब रीमा जी ने देखा शिव जी उनको प्यार से देख रहे है ।
तो वो सब भूल उनकी आंखो में खो गई।अध्यन का घर
हमेशा की तरह आज भी अध्यन चाहत के ख्यालों में गुम दाल में चम्मच घुमा कर मुस्कुरा रहा था।
वहीं दूसरी तरफ देव जी और गौरी उसे देख रहे थे।
गौरी जी – बाबू … दाल आलरेडी घुल गई है…. तुम उसे और मत घोलो।
देव जी – हा और इससे ज्यादा पीली भी नहीं होगी ….. और ना ही गाढ़ी होगी।
अध्यन दोनो की बात सुन रुक गया । फिर मुस्कुराते हुए खाने लगा।
गौरी जी ने देवजी कि तरफ देखा तो उन्होंने इशारे से उन्हें खाने को कहा।
अगली सुबह
चाहत का घर
सुबह चाहत की नींद खुली हमेशा की तरह अपने काम को कर वो किचन गई । वहा पापा खाना बना रहे थे। चाहत वहा उनके पास गई ।
चाहत – क्या बन रहा है??
पापा – दही कचौड़ी…
चाहत – अरे वाह,… लव यू पापा।
पापा – लव यू टू….. चलो जाओ रेडी हो जाओ । जल्दी से।
चाहत – ओके
नाश्ते की टेबल
चाहत का घर
चाहत ने नाश्ता किया फिर उसके स्कूल जाने का टाइम हो गया । वो रेडी होकर बाहर जा रही थी । तभी उसकी मम्मी ने
आवाज़ दी ।
मम्मी – ये कार्ड्स तो ले जा। रीमा जी हाथ में कार्ड्स लिए बोलीं।
चाहत – ठीक है मम्मी।
चाहत कार्ड्स ले कर चले गई ।
चाहत रास्ते में सोच रही थी। उसके किन दोस्तो को वो ये कार्ड्स देगी।
स्कूल क्लासरूम
चाहत क्लास पहुंची । वहा पहले अध्यन को देखी। अध्यन हमेशा की तरह चहरे पर मुस्कान लिए उसे देख रहा था।
चाहत चलते चलते रुक गई। उसकी आंखे देख वो भी रुक कर सब कुछ भूल कर उसे देखने लगा।
क्लासरूम स्कूल
अध्यन और चाहत यू ही कुछ देर एक दूसरे को देख रहे थे । अध्यन चाहत को देख कर….
“जरूरत से ज्यादा
बेमिसाल हो तुम
थोड़ी सावली हो
पर बवाल हो तुम” ( unknown)
चाहत और अध्यन एक दूसरे में खोए ही रहते अगर प्रेयर बेल नहीं बजती ।
चाहत अध्यन से ध्यान हटा कर । प्रेयर ग्राउंड जाती है वो अपने दिल पर हाथ रख अपनी बढ़ी हुई धड़कन को काबू करने की कोशिश करती है।
इधर अध्यन भी उसे भागते हुए देखता है । और अपने सिर पर हाथ फेर कर पलटा है । अंश उसे घूरते रहता है।
अंश – क्या कर रहा है…????
अध्यन – कुछ नहीं….. कुछ भी तो नहीं ।
अंश – तो पागलों की तरह मुस्कुरा क्यू रहा है???
अध्यन उसके गले में हाथ डाल – ऐवई।।।।।
अंश सिर पर हाथ रख- होता है ….. होता है…. शुरू शुरु में ऐसा ही होता है….
अध्ययन उसे खींच कर – चल ना……
दोनों ग्राउंड में पहुंचे प्रेयर हुई और क्लास आ गए।
क्लास स्टार्ट थी चाहत ने अध्यन को देखा। और सिर झुका कर पढ़ने लगी पड़ते हुए उसने एक बार भी अध्यन की तरफ नहीं देखा था।
वहीं दूसरी तरफ अध्यन बेहद खुश था आज उसने पहली बार चाहत की आंखो में भी उस शिद्दत की झलक देखी थी जो उसकी आंखो में थी।
ये देख वो खुश था। उसने मन ही मन कहा -” अभी तो बस झलक देखी है……दीदार अभी बाकी है।”
ऐसे ही लंच हुआ । क्लास में सब बाहर जाने लगे । चाहत ने अध्यन से पूछा – क्या तुम मुझे थोड़ी देर में ग्राउंड में मिलोगे…..?
अध्यन – हा ठीक है।
चाहत काजल को लेकर चले जाती है।
काजल – तूने उसे ग्राउंड में क्यू बुलाया ।
चाहत – इसके लिए…. और कार्ड्स दिखाती है।
काजल – ये क्या है….. कह के कार्ड्स ले लेती है….
चाहत – ये मेरे न्यू घर की इनॉर्गरेशन हो रही है…… ।तो उसका कार्ड है ….। और ये तेरा कार्ड………. । ये बोल वो कार्ड उसकी तरफ बढ़ा देती है।
इतने देर में अध्यन और अंश ग्राउंड में एक साथ आ जाते है।
चाहत – ये लड़के कहीं पर भी अकेले नहीं जा सकते क्या?
काजल – क्यू…..
चाहत – देख ना…. अब अंश को ले आया….. खुद नहीं आ सकता था।
काजल – वो वैसे क्यूट है…..
चाहत – कौन
काजल – अंश
चाहत – सच में
काजल – हा
चाहत – हा…. वो तो है।
अंश और अध्यन साथ में उनके पास आ रहे थे ।
अध्यन – तू मेरे साथ क्यू चल रहा है… जा ना अपना काम कर।
अंश – बिल्कुल नहीं. ।।
अध्यन – हा चल ना …. बारात ले कर जा रहा हूं ना … सब जाएंगे.. दो चार लोगो को और बुला ले।
अंश दात दिखाते हुए उसे देखता है। ये देख ।
अध्यन – दांत मत दिखा ….
दोनों उनके पास पहुंचते है।
चाहत – ये तुम दोनो के लिए…
दोनों हाथ में कार्ड लेकर । उसे देखते है।
चाहत – मेरे घर का इनोर्गरेशन है …. तो मै तुम दोनो को भी इन्वाइट कर रही हूं… टाइम मिले तो जरूर आना।
अंश और अध्यन साथ में – ओके।
अंश धीरे से – इसका बस चले तो ये ( अध्यन) जहनुम में भी तुम्हारे लिए आ जाए।
चाहत – तुमने कुछ कहा …
अंश – नहीं तो आवाज़ आईं क्या…?
चाहत – नहीं तो पर मुझे लगा…. खैर छोड़ो … आना जरूर।
ये बोल दोनो क्लास के साइड चले गई।
काजल – चाहत तू तो बोल रही थी…. कि तू बस अध्यन को कार्ड देगी।… पर तूने अंश को भी कार्ड दे दिया।
चाहत – अब वो भी आया था तो उसे भी दे दिया…
छोड़ ना ….
काजल – एक बात पूछूं…
चाहत – हा बोल ना…
काजल – मुझे लगता है… की अध्यन तुझे पसंद करता है…
चाहत रुक गई और काजल को देखते हुए बोली
चाहत – पता है मुझे भी लगा था फिर ..
काजल – फिर क्या…
चाहत अध्यन की तरफ इशारा कर – देख उसे और मुझे देख …. लोग हमेशा अपने लिए खूबसरत पार्टनर ढूंढते है …. तो मै श्योर हूं कि वो ऐसा नहीं सोचता।
काजल – अगर मान ले इन सभी चिजो के बाद भी वह तुझे पसंद करे तो….
चाहत अब चुप हो गई ।उसकी चुप्पी देख काजल ने बात जारी रखी…
काजल – उसने जैसे तुझे समझाया … जैसे वो तुझे देखता है … मुझे लगता है he likes you…
चाहत अभी भी सोच रही थी क्या होगा अगर काजल की बात सच हुई तो… ये सोचते हुए दोनो क्लास चले गई।
तभी टीचर आ गए और क्लासेज चलने लगी । अध्यन और अंश आए तो सर ने उन्हें अंदर आने को कहा।
अध्यन भी चाहत को देख वहीं बैठ गया। इधर चाहत भी परेशानी में सोच रही थी। अगर ये हुआ तो वो क्या कहेगी। फिर उसने अपना सिर झटका और वापस सर को देखने लगीं।
ऐसे ही क्लासेज हुई और सब घर के लिए निकाल गए।अध्यन का घर
अध्यन जब से घर आया था तब से सोच रहा था । इनोरग्रेशन है । तो उसे चाहत के लिए क्या लेकर जाना चाहिए। थक कर बैठ गया।
वो बाहर आया देखा उसके पापा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे।
वो उनके पास गया ।
अध्यन – डेड … अगर किसी के घर इनोग्रारेशन के लिए जाना हो तो और उसे क्या गिफ्ट देना चाहिए….. ???
देव जी लैपटॉप को देखते हुए – तुम्हे किसके घर जाना है…?
अध्यन – मेरी .. मेरा मतलब है… मेरे एक फ्रेंड है उसके घर का इनोग्रेशन है तो …
देव जी लैपटॉप बंद करते हुए बोले – डिपेंड करता है वो तुम्हारे लिए कितना खास है।
अध्यन खोए हुए – बहुत खास है…. फिर देव जी को देख कर …., मेरा मतलब है बहुत अच्छा दोस्त है…
देव जी – गिफ्ट एक ऐसा जरिया है जिसको देकर हम सामने वाले को ये बताते है है वो कितना खास है हमारे लिए।
अध्यन – तो मै क्या दू उसे ….
फिर देव जी सामने देखते हुए – कुछ ऐसा … जो उसके लिए खास भी हो… और जिससे उसे तुम्हारी याद भी आए ।
अध्यन – ओके मै समझ गया….
वो उठा और जाने लगा पर पता नहीं उसे क्या सूझा वो वापस आकर देव जी के सामने खड़ा हुआ और बोला।
तब तक देव जी ने लैपटॉप दुबारा ऑन कर दिया था।
अध्यन – डेड एक बात बताओ ….
देव जी अपना लैपटॉप बंद करते हुए – हा बोलो
अध्यन – मुझे वो…. मुझे कुछ बताना था … वो…
देव जी उसे अपने पास बैठा लेते है… और प्यार से बोलते है – तुम रुक क्यों रहे हो… बोलो बेझिझक बोलो….
अध्यन एक गहरी सांस ले के – डेड मुझे किसी से कुछ जानना हो तो क्या करू… मतलब उसके देख कर लगता है जो मै सोच रहा हूं वो भी वहीं सोच रहा है… पर वो बोलता नहीं … मुझे उसे समझना है… तो क्या उसने आप मेरी मदद कर सकते है।
देव जी – देखो बेटा मै कोई भगवान तो हूं नहीं…. पर जो तुम्हारी सिट्यूएशन है ना उसमे बस सही टाइम का वेट करो।
अध्यन – मतलब…
देव जी – मतलब किसी को भी समझना है तो उसके साथ वक़्त बिताओ उसकी बातों में छिपी बातो को समझने की कोशिश करो… इन शॉर्ट उसे समझने की कोशिश करो…
अध्यन पहले ही उनकी बात ध्यान से सुन रहा था।
ये सुन अध्यन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। और बोला – थैंक्यू डेड …. लव यू।
देव जी – लव यू टू… ।।। देव जी उसे अपने पास बैठते हुए – अब बताओ… वो किसी… मेरा नहीं मेरी है ना
अध्यन की ये सुन सिट्टी पिट्टी गुम हो गई वो बोला- नहीं ऐसी कोई बात नहीं और वहा से भाग गया…
इधर देव जी जोर से हसने लगे।
अध्यन रूम में आया और उसने किसी को कॉल किया।
अंश का घर
अंश का रूम
अंश अपने रूम में सोया था उसके मोबाइल की घंटी बजी उसने एक बार इगनोर किया। घंटी फिर बजी। थक कर उसने कॉल उठा लिया ।
अंश अलसाई आवाज़ में – बोल …. तुझे भी दो मिनिट चैन नहीं है…
अध्यन – 10 मिनिट में चौक के पास मिल।
ये कह उसने फोन काट दिया ।
अंश गुस्से में – मेरी तो कोई वैल्यू ही नहीं है…
अंश फिर सो गया फिर उसका फोन बजा । फोन उठा कर –
आ रहा हूं …. मर मत आ रहा हूं।
अम्बेडकर चौक
इधर अध्यन घर से बाइक निकाल चौक पहुंचा जहा अंश खड़ा उसे देख रहा था।
अध्यन – चल ।
अंश उसे गुस्से में देखता हुआ बाइक में चढ़ा ।
अध्यन ने उसका गुस्सा से भरा चेहरा देख । उसे हसी आ रही थी फिर भी वो जबरदस्ती सीरियस होकर अपनी बाइक आगे बड़ा रहा था…..
अंश – हम कहा जा रहे है।
अध्यन चुप था।
अंश तंग आकर – अरे कुछ बोल भी …. या तो मुझे नीचे उतर दे….
अध्यन – चुप बैठ ना।
थोड़ी देर बाद दोनो एक गिफ्ट शॉप पर पहुंचे। जो कि बहुत बड़ा था । वहा हर तरह का सामान था और गिफ्ट भी थे…
गिफ्ट शॉप में
अंश – यहां क्यू लाया है मुझे।।।
अध्यन – चुप चाप यहां से आगे जा….. और तुझे जो गिफ्ट अच्छा लगे वो उठा कर ले आ।
अंश – ठीक है।
अध्यन – मै लेफ्ट और तू राइट …. ठीक है ओके। ये उसने हाथो के इशारे से कहा।
दोनों जाकर गिफ्ट देखने लगे।
आधे घंटे
बाद अध्यन को कोई गिफ्ट पसंद नहीं आया वह खाली हाथ बाहर आया।
अध्यन काउंटर के पास अंश का वेट कर रहा था । थोड़े देर में उसने देखा अंश और उसके पीछे दो वर्कर दो बकेट में ढेर सारा सामान लिए आ रहे थे।
ये देख अध्यन खुश था । उसे लगा शायद अंश ने कुछ अच्छा सा पसंद किया होगा। पर उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही ।
उसके पीछे से वो वर्कर निकाल कर आगे बढ़ गए।
अध्यन – तुझे भी कुछ अच्छा नहीं मिला…
अंश खुश होकर – ऐसा भी कभी हो सकता है…. ये बोल उसने अपना हाथ आगे किया ।
अध्यन उसका हाथ देख सिर पर हाथ रख कर बोला – ये क्या है।
अंश -देख नहीं रहा क्या…. सेविंग रेजर।
अध्यन गुस्से में – मैंने तुझे गिफ्ट लाने को बोला था।
अंश मासूमियत से – लाया तो हूं … मेरे लिए…. देख मै बड़ा हो गया हूं …. मुझे इसकी जरूरत पड़ेगी….
अध्यन – तुझसे ना कुछ नहीं हो सकता …. ये बोल उसने ऊपर देखा ही था कि उसे कुछ ऐसा दिख जिसे देख उसकी आंखे चमक गई।
अध्यन ने उस और दुकानदार को उगली दिखा कर कहा – मुझे ये चाहिए……। पैक कर दो।।।दो दिन बाद अध्यन का घर….
अध्यन रेडी होकर बाहर आया उसके हाथ में एक गिफ्ट था। उसकी मम्मी गौरी जी उसे देख रही थी ।
अध्यन हाथ में मोबाइल पकड़े हुए कॉल कर रहा था।
गौरी जी देव जी से – पूछो ना…… उसे कहा जा रहा है।
देव जी – नहीं वो खुद बताएगा।
गौरी जी – और नहीं बताया तो आप पूछना उससे ।
देव जी – हा ठीक है ।
तभी बाहर किसी की बाइक आकर रूकी ।
अध्यन बाहर की तरफ चला गया। कुछ देर बाद अध्यन अंदर आया उसके साथ अंश था ।
उसे देख गौरी जी जल्दी से अंदर गई और नौकरों से नाश्ते के लिए बोली।
अध्यन ने इशारे से अंश से कहा – चल खा ले साथ में।
दोनों नाश्ता करने लगे ।
गौरी जी ने प्लेट्स लगाई फिर सब को सर्व किया पर खुद नहीं खा रही थी तो अध्यन ने कहा – क्या हुआ…… मॉम आप नहीं खाओगे क्या???
गौरी जी – नहीं वो…. आप सीमा के यहां पूजा है ना तो….. मुझे वहा जाना है तो मै नहीं खाऊंगी ।
अध्यन और अंश एक साथ – अच्छा।
देव जी को गौरी जी इशारे कर रही थी तब देव जी ने आखिर पूछ ही लिया – वैसे तुम दोनो कहा जा रहे हो।
उनका इतना पूछना था और अंश को खासी आना शुरू हो गया।
गौरी जी ने उसकी पीठ सहलाने लगी।
गौरी जी – आराम से खाओ ।
अध्यन – हा भाई देख कर।
अध्यन देव जी को देख कर – डेड हम लोग एक फ्रेंड के घर इनॉर्गेशन है तो वहीं जा रहे है।
अध्यन के पापा – ओह…
अध्यन वहा से उठ बेडरूम गया और वापस आकर एक कार्ड जो चाहत ने उसे दिया था वो पापा को दें कर उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा – चाहत हमारे क्लास की कैप्टन है ।साथ ही साथ मेरी अच्छी फ्रेंड भी मै और अंश उसी के घर की इनोरगरेशन में जा रहे है । उसी के लिए मैंने ये गिफ्ट लिया है। शांति से अध्यन ने कहा तो अंश मुह खोलें उसे देखने लगा।
देव जी ने गौरी जी की तरफ देखा जिनके आंखो में सुकून था।
देव जी – अध्यन बेटा इसमें पूजा भी लिखा है । तुम साथ में नारियल भी ले जाना ।
अध्यन – जी पापा।
ये बोल वो बाहर की तरफ जा रहा था। तभी गौरी की ने कहा।
गौरी जी – बाबू…. तुम ये जो पहन के जा रहे हो ना इस शर्ट पर कुछ लगा है । शायद अभी ब्रेक फास्ट के टाइम लगा हो तुम जाओ और दूसरी शर्ट पहन लो।
अध्यन – ओह मैंने देखा नहीं ठीक है अभी चेंज कर के आता
हूं । ये बोल वो रूम में चले गया।
तभी एकदम से देव जी अंश से बोले – ये चाहत सिर्फ दोस्त है या..
अंश सकपकाते हुए – हा बस दोस्त ।
देव जी अपनी आइब्रो ऊपर के बस दोस्त ।
तभी अध्यन आते हुए – हा डेड बस दोस्त। ये बोल वो वहा से निकल गया।
उसके बाहर आते ही अंश भी वहा से भाग गया ।
बाहर आकर दोनों एक साथ – बच गए।
ये बोल अध्यन और अंश हसने लगे ।
अंदर देव और गौरी जी दोनो उनको जाते हुए देखती रही । फिर गौरी जी बोली – शायद आप सही कह रहे हो …. हमे उसे टाइम देना चाहिए ….. जैसे आज उसने खुद बताया वैसे वो खुद ही बता देगा।
देव जी ने कुछ नहीं कहा वो बस मुस्कुरा दिए ।
चाहत का न्यू घर
घर में आज बहुत चहल पहल थी चाहत की दादी भी अाई थी।
बाकी रिश्तेदार भी आए थे। चाहत सभी से बात कर रही थी तभी उसे बाइक की आवाज़ आती है।
वो बाहर की तरफ देखती है पर उसे कोई नजर नहीं आता।
कुछ देर में गेट खुलता है अध्यन अंदर आता है और साथ में अंश भी।
चाहत ने उन्हें देखा वो अंजान बन कर इधर उधर देख रहे थे । चाहत ने देखा अध्यन ने ब्लू जींस के साथ व्हाइट शर्ट पहनी है । और साथ में अंश ने ब्लू शर्ट के साथ ब्लैक जींस पहनी है दोनो आज बहुत अच्छे लग रहे थे ।
उसने काजल को आवाज़ दी । काजल उसके पास अाई तो उसने उसे दोनो के पास भेजा और अंदर लाने को कहा।
दोनों को लेने जब काजल पहुंची तो अंश तो उसे देखते ही गिरते गिरते बचा। काजल ने भी ब्लू कलर का लोग वन पीस पहना था कान में चमकीले इयर रिंग पहनी थी।
वो बाहर प्यारी लग रही थीं।
अध्यन ने अंश कोहनी मारी तो वो खुद को संभाल पाया था से
काजल ने दोनों से कहा – चलो अन्दर ।
दोनों ने हा में सिर हिलाया। और अंदर आ गए।
अंदर आते ही उन्होंने देखा चाहत हाथ में थाल लिए आ रही है जिसमें बहुत सारे फूल है।
अध्यन ने चाहत को देखा तो वो भी उसको देखता ही रह गया।
चाहत ने व्हाइट घेरे वाला सूट पहना था जो कि बहुत ज्यादा लॉग होने के कारण जमीन तक जा रहा था। और उस पर लाल दुपट्टा लगाया था ।कान में छोटे छोटे झुमके पहने वो बहुत प्यारी लग रही थीं । वो उसे पहली बार ऐसे देख रहा था।
उसने थाल जाकर पंडित जी को दी । फिर वापस आकर अध्यन के पास अाई और बोली कोई परेशानी तो नहीं हुए ना।
अंश – नहीं हुई… दोनो को देख कर वैसे आज तुम दोनों काफी अच्छी लग रही हो।
चाहत और काजल एक साथ – थैंक्यू।
दोनों ने थोड़े जोर से कहा तो अध्यन जैसे नींद से जागा उसने भी हाथ में पकड़ा नारियल चाहत को देते हुए कहा – ये मेरे
साइड से इसे भी चढ़ा देना।
चाहत ने नारियल लेकर वहा पर घूम रही बच्ची से कहा- ये जाओ पंडित जी को दे आओ वो बच्ची वहा से चले गईं ।
चाहत ने अध्यन और अंश को इशारा कर के एक तरफ ले गई जहां खाने की व्यवस्था की गई थी।
चाहत दोनो को वहा लगे टेबल पर बैठा कर वहा काम के रहे आदमियों से बोल – भैया दो प्लेट ईधर भी ।
वो लोग दो प्लेट नाश्ता वहा ले आए।
दोनों ने मना किया। तो चाहत ने 4 ऑरेंज जूस मगाया फिर चारो साथ में मिल कर जूस पीते है।
फिर चाहत को कोई आवाज़ देकर कहता है आओ पूजा स्टार्ट होने वाली है ।
चारो अंदर जाते है। चाहत के पापा मिल जाते हैं । चाहत अपने पापा से इंट्रोड्यूज करवाती है तो दोनों उनको विश कर करते है।
चाहत के पापा – कैसे हो आप सब ।
अध्यन और अंश – अच्छे है
तभी उनको कोई आवाज़ देता है। तो शिव जी कहते है – मुझे
कुछ काम है…. आप सब खाना खा कर जाना।
फिर सब साथ मिलकर उस कमरे में जाते है जहा पूजा हो रही होती है।
अंश अध्यन को देख – कितना देखेगा। नजर लग जाएगी उसे।
अध्यन – तू अपना मुंह ना बंद रखा कर समझा।
अंश ने देखा हवन स्टार्ट होने वाला है उसने अध्यन से कहा – तू हवन में जाएगा ना ।
अध्यन – हा।
अंश – ठीक है।
दोनों हवन के जगह पहुंचे और वहीं बैठ गए।
वहा बैठे शिव जी और रीमा जी को देख कर । अंश ने अध्यन से कहा – वो चाहत के पापा है। लगता है चाहत का रंग अपने पापा पर गया है। क्युकी उसकी मम्मी तो गोरी है।
अध्यन तो चाहत में ही खोया था । उसने बस हा में सिर हिला दिया।
ये देख अंश – इसका कुछ नहीं हो सकता।
पूजा खत्म हुई सब को आरती दी गई । पंडित जी ने कहा
एक दिया दिया और कहा इसे पूरे घर में घूमा कर बाहर रख देना । चाहत ने हा में सिर हिलाया। और दिया लेकर बाहर चले गई ।
पंडित जी अध्यन की तरफ एक लोटा बढ़ा कर बेटा जब वो आए तो इस गंगाजल को उस पर छिड़क देना।
शिव जी अध्यन की तरफ देख – हा बेटा जाओ।
अध्यन गेट के पास उसका इंतज़ार करने लगा।
चाहत आती है अध्यन ने उसे इशारा कर रुकने को कहा । और उसके पास जाकर लोटे से पानी ले कर दुबी से उस पर पानी छिड़क देता है। और दोनो साथ में आकर सबको प्रसाद देने लगते है। चाहत सब को खाना खा कर जाने को कहती है।
चाहत अध्यन को अपने साथ खाने के लिए लेकर आती है वहा वो देखती है काजल और अंश पहले ही उनका इंतज़ार करते रहते है। दोनों उनके पास जाकर ।
चाहत – तुम लोगो ने खाना खाया।
अंश – अभी तक तो नहीं।
चाहत – चलो सब साथ में खाते है।
ये बोल सब प्लेट निकलते है और खाने लगते है। खाने की
प्लेट लेकर वो एक टेबल पर बैठते है । काजल एक रसगुल्ला उठा कर चाहत को खिला देती हैं।
अध्यन भी चाहत को खिलाना चाहता था पर खिला ना सका। सब खाना कर उठे । चाहत ने उनसे कहा – चलो घर दिखती हूं तुम सब को।
चाहत आगे आगे जा रही थी। अध्यन हर रूम को देख रहा था। चाहत के रूम आते ही चाहत ने कहा – ये मेरा रूम है ।
अध्यन रुम को देखते हुए – खूबसूरत है।
चाहत सिर झुकते हुए – थैंक्यू।
अध्यन की नजर सामने लगी फोटोस पर गई जहा चाहत और आर्यन की फोटोस थी।
वो उन फोटोस को देख कर – तुम कितनी मोटी थी यार और क्यूट भी ।
चाहत – हा सब मेरे पास इसीलिए आते थे क्युकी मै मोटी थी । सब मेरे चिक्स पुल करते रहते थे।
अध्यन सोचते हुए – मेरा भी मन करता है इन्हे खींचने का।
चाहत उसे खोए हुए देख कर – कहा खो गए।
अंश उसके पास आकर – चल हमे चलना है।
अध्यन होश में आकर – हा चलो ।
काजल भी कहती है – हा मै भी चलती हूं ।
चाहत – चलो मै तुम सब को बाहर छोड़ देती हूं।
सब बाहर आते है ।
चाहत काजल को गले लगा लेती है तभी एक लड़का बाइक में उनके सामने आता है। काजल को छोड़ सबका मुंह बन जाता है।
अनिल काजल देख – बहुत प्यारी लग रही हो।
काजल उसे देख मुस्कुराते हुए उसके साथ बैठ गई। सब को बाय बोल वो चले गई।
चाहत ने अध्यन और अंश को प्रसाद का दिया । और कहा ये तुम दोनों घर के जाओ।
दोनों ने हा में सिर हिला दिया। अध्यन वहा से अपनी बाइक लेने चला गया।
इधर अध्यन ने भी अपनी बाइक निकाल ली फिर अध्यन ने अपनी डिक्की से एक गिफ्ट निकाला और चाहत की तरफ बढ़ा दिया।
चाहत ने पहले ना कहा तो अध्यन ने उसे कहा – प्लीज़…. तो
वो मान गई ।
गिफ्ट देकर एक नजर चाहत को देख अध्यन और अंश वापस चले आए।
चाहत रूम में आकर उस गिफ्ट को देखने लगी….
उसने उसे देखा जिसमें रेड कलर का रैपर लगा था और उस रैपर के साथ एक चॉकलेट भी चिपकी थी । चॉकलेट निकाल चाहत मुस्कुराई ।
रैपर खोलने लगी । उसे खोल कर उसने देखा तो उसमें एक विंड चाइम थी । जिसे देख चाहत फिर से मुस्कुराने लगी । स्टील की गोल लबी डंडी वाला वो विंड चाइम बहुत खूबसूरत था। उसने लगे व्हाइट नग उसे और खूबसूरत बना रहे थे।
उसमे से एक चिट गिरी। चाहत ने उसे खोला तो उसमे कुछ लिखा था।
“चाहत ,
जब तुमने मुझे अपने घर बुलाया । तो मुझे लगा तुम्हे कुछ स्पेशल देना चाहिए ।
तो मै ये ले आया। इसे तुम अपने रूम में रखना इसकी आवाज़ बहुत प्यारी है । जितनी प्यारी तुम हो उतनी ही ये
प्यारी हैं।”
चाहत उठी और मुस्कुराते हुए उसने वो विंड चाइम अपने रूम की खिड़की पर टांग दिया।
बाहर से चाहत को किसी ने आवाज़ दी।
Is chahat ko koi thoko yaar!!!