सुबह जब शाज़िया जागी तो देखी की वो अपने दोनों बेटों के बीच लेटी हुई है और उसके दोनों बेटे उसके अगल बगल…. अनीस का लन्ड सिकुड़ कर शाज़िया की गांड़ से लग रहा था और जीशान अपनी माँ की एक चुची को मुह में भरे अपना लन्ड उसकी चुत के मुहाने पे फसाये हुए सो रहा था….तभी शाज़िया उठने की कोशिस करती है और एक चीख़ के साथ बिस्तर पर वापिस गिर जाती है क्योकि उसकी गांड़ का छेद दर्द कर रहा था और उसकी इस चीख से दोनो शैतान भी जाग गए और बोले…..गुड़ मॉर्निंग मा….और एक एक चुम्बन उसके होठो पर रसीद कर दिए…..
अनीस – मा यहां दुख रहा है क्या….वो उसकी गांड़ पे हाथ रख कर पूछता है…..
शाज़िया कहती है चुप करो कितनो बेदर्दी से मेरी कुँवारी गान्ड में अपना ये मूसल जैसा हथियार डाल दिया जरा भी दया नही दिखाई तुमलोगो ने मेरे पे…..अब बताओ मैं काम कैसे करूंगी उठ भी नही पा रही चलना तो दूर की बात है….
अनीस – माफ करना माँ मुझे मगर क्या करता तुम्हारी ये कयामती गांड़ देख देख कर मैं पागल सा हो गया था….. और जब मुझे बर्दास्त नहीं हुआ तो मैंने ये कर डाला…सॉरी माँ…. और वो उसके गले लग जाता है….
शाज़िया उसे अपने खुले हुए सीने से चिपका लेती है….और तभी
जीशान – माँ मानता हूं तुम्हे दर्द हुआ है मगर बाद में तुम अपनी ये कमर उछाल उछाल कर भाई का लन्ड ले रही थी और मेरा भी….दोनो के हथियारों से खूब मजा मिला तुम्हे मा
शाज़िया इस बात से शर्मा गयी थी क्योंकि बात तो सच थी मजा तो उसे बहुत आया था ये और बात थी कि गांड़ की पहली चुदाई में दर्द हुआ मगर अब नही होगा….
जीशान – मजे के टाइम पर मजे कर लिए और अभी दर्द दर्द चिल्ला रही हो….लाओ अभी ठीक किये देते है….और दोनो भाई शाज़िया को खुद से चिपका लेते है…..और उसकी गर्दन पर अपने होठ रगड़ने लगते है….
तभी शाज़िया उनदोनो को दूर करते हुए कहती है अभी नही अभी मुझे माफ़ करो भाई….मेरे दोनो जगह आगे पिछे दर्द हो रहा है….
तब वो दोनो भाई कहते है माँ लाओ ना अभी तुम्हारा दर्द दूर कर देते है….औऱ उसे लिटा देते है
मगर शाज़िया तुरत उठ जाती है और कहती है अभी नही अब मुझे काम करना है और तुम दोनों अपने अपने काम मे लगो…..जाओ और नहा धो लो…..तब तक मैं बाकी के काम निपटा लेती हूं…..और वो उठने लगती है पर गांड़ के दर्द से वो चीख पड़ती है…..और धम से बिस्तर पर गिर जाती है…..
तब जीशान शाज़िया को पकड़ कर उसे उल्टी लिटा देता है औऱ कहता है माँ एकदम चुपचाप लेटी रहो…. काम बाद में करना….और अनीस पास में अलमिरह से…..एक क्रीम ला कर जीशान को देता है और अनीस शाज़िया की गांड़ को फैलाता है जीशान उसमे क्रीम मलता है जिससे शाज़िया आह कर उठती है और जीशान कहता है बस माँ थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहो आराम मिलेगा और हा भइया तुम गांड़ को ऐसे ही फैलाए रखना थोड़ा जल्दी आराम मिलेगा….
जीशान अच्छे से शाज़िया कि गांड़ को मलता है कुछ ही देर में शाज़िया की चूत बहने लगती है जिसे जीशान उसकी गाड़ को मलते हुए उसकी चुत में भी तीन तीन उंगली घुसाने लगता है जिसे शाज़िया अपनी कमर को हवा में उठा कर उसे और अच्छे से अंदर तक महसूस करती है…..और जीशान अपनी तीनो उंगलियो को फैला फैला कर अंदर बाहर कर रहा था जिससे शाज़िया को दर्द और मजा दोनो आ रहा था….15 मिनट की उंगली चुदाई और गांड़ घिसाई के बाद शाज़िया का बदन अकड़ने लगता है और तभी वो हांफती हुई सीधी हो कर दोनो को अपने सीने से सटा कर कहती है तुमदोनो ने आखिर सुबह सुबह भी अपनी मनमानी कर ही ली…..बहुत शरारती हो दोनो और आह करते हुए उठती है कहती है चलो अब तो हो गया न….अब कुछ काम भी कर ले….
दोनो बेटे मा को सहारा दे कर उठाते है और शाज़िया कहती है अब रहने दो तुम दोनों जाओ और फ्रेश हो जाओ….शाज़िया बाहर हॉल में आती है और वहां पड़े अपनी पेटिकोट उठती है और उसे पहन लेती है और ब्लाउज पहनने के बाद कामो में लग जाती है…..
सुबह का काम निपटने के बाद वो हॉल में खाने के टेबल पर आ कर खाना रखते हुए उन दोनों से कहती है की अभी तक तुमदोनो ने कपडे क्यू नहीं पहने है
वो दोनो एक साथ कहते है की हमे अभी कपड़ो की जरुरत नहीं रही माँ तभी उनकी नजर शाज़िया पे जाती है जिसने ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा था तो वो बोले ली माँ ये क्या है तुमने कपडे क्यू पहन लिए
शाज़िया – तो क्या मैं दिनभर घर में नंगी घुमु और वैसे भी मैंने पुरे कपरे पहने कहा है केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही तो पहने है
जीशान – उठ कर शाज़िया के पास आता है और उसके ब्लाउज के पांच में से तीन बटन खोल देता है और उसकी छातिया बाहर निकलने को आतुर हो रही थी
जीशान – माँ इन्हें हमेसा ऐसे ही रखा करो ताकि जब हमारा मन करो ताकि जब हमारा मन हो हम इन्हे चूस सके….और फिर वो नीचे घुटनों के बल बैठ जाता है और शाज़िया के पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे घुमाता है और पेटीकोट के कटे हुए भाग को चूत के सामने ला कर उसे इतना नीचे कर के बांधता है जिससे शाज़िया की चूत की दरार और पीछे घुमने पर गांड की दरार दिख रही थीशाज़िया – ऐसे पहनने का क्या मतलब हुआ फिर मैं नंगी ना हो कर भी नंगी ही हु और तुमदोनो का तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा मुझे की आखिर करना क्या चाहते हो….
अनीस – माँ मुझे मिली है एक महीने की छुट्टी और इस एक महीने को मैं पूरी तरह खुल कर जिऊँगा और वो भी तुम्हारे और जीशान के साथ
शाज़िया – हां वो तो दिख ही रहा है की कितना खुल कर जी रहे हो कल से ……और हस देती है
जीशान – माँ प्लीज तुमने कहा नंगी नहीं रहूंगी ठीक है मगर माँ ऐसे तो रह ही सकती हो और प्लीज इसके लिए मना मत ही करना वरना मैं तुम्हे फिर नंगी ही रखूँगा और वो भी जबरदस्ती ……
तभी शाज़िया उसके कान पकड़ कर खींचते हुए कहती है अच्छा बेटा माँ को आँखे दिखा रहा है जरा सी ढील का इतना असर हुआ है तुझपे
जीशान – आह माँ आह सॉरी गलती हो गयी माँ मेरे कहने का मतलब वो नहीं था माँ आह माँ प्लीज माँ मै तो कह रहा था की मै तुम्हे बस इतना कह रहा था की बात मुझे मनवानी आती है अगर ऐसे नहीं मानी तो तुम्हारी मालिश कर के मनवा लेता….और हस देता है
शाज़िया उके कान छोड़ देती है और शर्मा जाती है की कैसे सुबह उसकी मालिश के बहाने उसका पानी निकाला था इन दोनो ने….
उधर अनीस कहता है – बात तो जीशान ने ठीक ही कही है माँ….हेहेहीहेहेह
शाज़िया – जाओ मैं तुम दोनों से बात नहीं करती और घूम कर जाने लगती है और तभी जीशान शाज़िया को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पे वार कर देता है और अनीस उसकी पेटीकोट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगता ही जिससे शाज़िया फिर से पिघलने लगती है और कुछ ही पलो के बाद शाज़िया नंगी हो कर अपने दोनों बेटो के बीच खड़ी थी और दोनों के दोनों लौड़े उसकी खिदमत में लगे हुए थे शाज़िया के मन में ये आभास होते ही की फिर से उसके दोनों छेदों की दुर्दसा होने वाली है वो एक पल को सिहर जाती है मगर अगले ही पल जीशान नीचे बैठ कर उसकी जन्घो को थोड़ा सा फैला कर उसकी चिकनी चूत पे अपना मुह लगा देता है और शाज़िया न चाहते हुए भी अपनी दोनों टांगो को जितना हो सके फैला देती है और तभी अनीस पीछे से आ कर उसकी गांड को फैला कर वह अपना मुह लगा देता है शाज़िया इस दोतरफा हमले से पागल हो उठती है और अपने दोनों हाथो से दोनों के सर को पकड़ कर अपने दोनों छेदों पे दबाती है दस मिनट की चुसाई के बाद वो दोनों शाज़िया को वही फर्श पे लिटा देते है……
अनीस शाज़िया की चूत में अपना लंड एक ही बार में पेल देता है और शाज़िया चीख उठती है मगर उन्दोनो को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है चूत में लंड डालने के बाद अनीस शाज़िया को ले कर पलट जाता है……
जिससे शाज़िया की गांड जीशान के सामने आ जाती है और जीशान अपनी शाज़िया की गांड को अछे से फैला कर उसके गिले छेद में अपना लंड उसके मुहाने से छुआता है
शाज़िया उसे हाथ पीछे कर के रोकने का प्रयास करती है मगर जीशान उसके हाथो को पकड़ कर उसकी पीठ से लगा देता है और अपना तैयार लंड शाज़िया की गांड में एक झटके के साथ आधा पेल देता है जिसे शाज़िया की रात की घायल गांड इस से लाल हो जाती है और खून की एक पतली धारा उसकी गांड से बह उठती है और शाज़िया की आँखों से आसुओ की धारा…उस झटके के बाद जीशान बिना रुके एक और करारा झटका मारता है और पूरा का पूरा लंड पेल देता है
शाज़िया अपना सर इधर उधर घुमाने लगती है क्योकि कल रात के जख्म अभी भी ताजे थे और ये प्रहार शाज़िया की घायल गांड के लिए कहर बन के आया था मगर दोनों बेटो पे वासना पूर्णतः सवार हो चुकी थी और फिर हॉल में ही शुरू हुआ शाज़िया के दोनों छेदों का एक बार फिर से मर्दन औए साथ ही साथ दोनों उसकी एक एक चूची को अपने अपने मुह में लिए हुए थे अनीस तो सीधे चूस सकता था मगर जीशान एक बेदर्दी की तरह चूची को पीछे की और खीच कर मुह में भरे हुए थे जिससे शाज़िया का दर्द दोहरा हुआ जा रहा था मगर दोनों के झटको ने शाज़िया के बदन में एक आनद की लहर दौडानी शुरू कर दी थी और कुछ ही समय के बाद शाज़िया अपनी कमर उचका उचका कर दोनों के लंडो का सवागत अपनी चूत और गांड में करने लगी………एक घंटे की ताबरतोड़ चुदाई के बाद दोनों ने शाज़िया के छेदों में अपना अपना वीर्य उसके अन्दर छोड़ दिया उसके बाद तीनो हाफ्ते हुए वही पड़े रहे
कुछ देर के बाद शाज़िया उठ कर बैठी उसकी हालत देखने लायक हो हो गई थी नंगी औरत अपने हॉल में दो दो लंडो से चुदने के बाद अपनी दुखती गांड और चूची के दर्द को कम करते हुए और फिर दोनों को बोली की तुमदोनो ने ना मुझे क्या से क्या बना दिया है और वो जीशान को अपनी नंगी जांघ पे लिटाते हुए कहती है की कितना बेदर्द है रे तू कैसे मेरी इसको…..(अपनी चूची की और इशारा करते हुए) खिचे ही जा रहा था जरा भी प्यार नहीं आया तुझे जरा भी दया नहीं दिखलाई और तो और मेरी घायल गान्ड को कितनी बेदर्दी से अपने इस मुसल से कूट दिया उफ़ मेरी जान निकाल दी तुमदोनो ने……चलो अब उठो खाना खाते है और शाज़िया उन्दोनो के साथ साथ खाने के टेबल पर आती है और फिर पीछे घूम कर वही फर्श पे गिरे हुए अपने कपडे उठाती है और पहनते हुए उन् दोनों की तरफ देखती है और वो जीशान को कहती है इधर आ
जीशान उसका मतलब समझ कर उसके पास आता है और उसके ब्लाउज के तीन बटन खुले छोड़ कर केवल दो बटन्स लगा देता है और उसके पेटीकोट को भी उसी तरह पहनाता है और इधर अनीस अपने भाई और माँ के इस हरकत को अपने मोबाइल में कैद करने लगता है शाज़िया उसे देख कर मुस्कुरा कर पूछती है….ये क्या कर रहा है…
अनीस – कुछ प्यारे और अनमोल लम्हों को कैद कर रहा हु माँ …..और एक फ्लाइंग किस शाज़िया की तरफ उछाल देता है…..
दोनों खाना खाते है और उसके बाद खाने के टेबल पर ही अनीस कहता है चलो आज कही घूम कर आते है
जीशान – हां भईया चलो आज घूम कर आते है
अनीस – पर कहा
जीशान – मूवी चलते है अभी काफी मूवीज लगी हुयी है….
अनीस – कौन कौन सी
जीशान -लखनऊ सेंट्रल ….सिमरन…. बी.अ. पास 2…..
अनीस – कोई हॉलीवुड की मूवी है तो बता…
जीशान – एनाबेले 2 लगी है मगर….
शाज़िया – मगर क्या
अनीस – हा बोल मगर क्या
जीशान – भूतीया मूवी है…
अनीस – तुरत 3 टिकट्स बुक कर आज रात की आज नाईट शो चल रहे है और खाना भी होटल में खाएंगे
जीशान चहकते हुए जी भाई अभी लो
शाज़िया – बिलकुल नहीं मै नहीं कही जा रही कोई पिक्चर वागैरह् तुमदोनो के साथ तुमदोनो की शरारत मै खूब समझती हु और मुस्कुरा देती है
जीशान – तीन टिकट्स बुक हो चुके है और तुम हमारे साथ चल रही हो माँ प्लीज….और जीशान के साथ साथ अनीस भी उसे जोर दे कर कहता है तब शाज़िया बुरा सा मुह बना कर रह जाती है…..
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