शाज़िया हड्बडा कर उठने की कोशिस करती है मगर अनीस ने जान बूझ कर आने दर्द का बहाना बना कर उसके ऊपर ही लेटा रहा और अपनी माँ के दोनों चुचियो का पूरा माप ले रहा था और इधर उसके लन्ड का स्पर्श पा कर शाज़िया को फिर से कुछ गिला गिला से मेहसूस होने लगा था उसकी चूत में मगर फिर भी वो उठने की नाकाम कोशिस में लगी हुई थी हालांकि उठना कोई नही चाह रहा था और अनीस अभी भी नंगा अपनी माँ के ऊपर लेटा हुआ था और इन् कुछ सेकण्ड्स में उसकी चूत का स्पर्श पा कर अनीस के लन्ड में हरकत होनी शुरू हो गयी थी और उसके लन्ड का कड़ापन शाज़िया महसूस कर पा रही थी
तभी एका एक शाज़िया ने अनीस को साइड में ढकेल कर उतारा और कराहते हुए अनीस से पूछी की बेटा कहा चोट लगी है मगर अनीस जवाब नही देता बस्स कराहता रहता है और तभी कमरे के पास जीशान आता है और कमरे का दृश्य देख कर वो मन ही मन मुस्कुरा उठा औऱ सोचा वाह भाई पहले ही बॉल पर छक्का……और वो वही से उलटे पाव वापिस लौट जाता है
इधर शाज़िया…..
शाज़िया – अरे अनीस गिर कैसे गए उठो उठो और उसे सहारा दे कर उठाती है….इस दौरान शाज़िया का पल्लू गिर जाता है और नंगा अनीस अपनी अगली चाल जो उसने सोची भी नही थी उसे अंजाम दे देता है और वो शाज़िया के गिरे हुए पल्लू पर पैर रख देता है जिससे अनीस को उठाती हुई शाज़िया की साड़ी उसमे फस कर निकाल जाती है अब हालात ये थे कि अनीस नंगा था औऱ उसकी माँ की साड़ी लगभग लगभग निकल चुकी थी और वो केवल पेटिकोट में फसी हुयी एक गांठ के सहारे उसके बदन से लटकी हुई थीं ।
शाज़िया उसे उठाते हुए बेड पे लाती है औऱ अनीस अपनी माँ की बाजुओ को पकड़ कर कहता है माँ मुझे कमर में चोट लग गयी है लगता है मोच आ गयी है माँ आह मा आह…..और शाज़िया उसे पलटने की कोशिस करती है मगर अनीस जोर से कराह उठता है जिससे शाज़िया परेशान हो जाती है और ये अनीस बखूबी अपनी चाल चल रहा था……
शाज़िया उसे पलटने के लिए झुकती है जिससे उसकी चुचिया ब्लाउज से बाहर आने के लिए लटक सी जाती है और उसकी चुचियो की दरार भी कुछ ज्यादा ही नुमायिन्दा हो जाती है मगर शाज़िया को इन् सब पे अभी कोई ध्यान नही था वो तो अनीस को ले कर चिंतित थी और अनीस जब घूमता है तो शाज़िया को इतना जोर लगाना पड़ता है कि उसे अपनी एक टांग बेड पर रखनी पर जाती है जिससे साड़ी में लगी आखिरी गांठ भी खुल जाती है और वो अब पेटिकोट और ब्लाउज में खड़ी थी अपने बड़े बेटे के सामने और उसका बेटा पूरा नंगा
शाज़िया – अनीस बेटा तुम यही रुको मैं जीशान को बुलाती हु वो डॉक्टर को ले आएगा तभी अनीस बोला मा मैं नंगा हु और आप अपनी हालत देखिए ऐसे में डॉक्टर को मत बुलाइये आप अपने हाथों से मालिश कर दीजिए मैं ठीक हो जाऊंगा…..आह मा आह
..इधर शाज़िया भी ये सोचती है कि उसे जीशान के पास जाना होगा और अगले ही पल वो अपने औऱ जीशान के बीच हुए उस घटने को ले कर रुक जाती है और अपने कमरे में जा कर वॉलिनी स्प्रै उठा ले आती है ताकि उसकी मोच पर उसे स्प्रै कर सके और होता भी ऐसा ही है।
स्प्रे करने के बाद वो बोलती है बेटा इससे तुम्हे आराम मिलेगा और वो उसकी कमर पे हाथ रगड़ने लगती है
तभी अनीस बोलता है माँ….मुझे मेरी अंडर वेयर दे दो मैं पहन लेता हूं मा और वो उठने लगता है मगर अगले ही पल वो कराहता हुआ बेड पे लेट जाता है
तब शाज़िया कहती है बेटा तुम्हारे ऊपर चादर डाल देती हूं और वो उसे कहती है तुम आराम करो मैं कुछ खाने के लिए ला देती हूं……
शाज़िया उसी हालत में किचन में चली जाती है केवल ब्लाउज़ औऱ पेटिकोट में जब वो किचन में आती है तो उसे आभास होता है कि वो अधनंगी हालात में अपने घर मे घूम रही है और ये सोच कर ही उसकी चूत में सुरसुरी सी उठ गई…..की वो कैसे पहले जीशान के सामने नीचे से पूरी की पूरी नंगी हो गयी थी और और जीशान का लन्ड भी उसे याद आने लगा सारा का सारा कार्यक्रम उसके आंखों के सामने घूम गया औऱ आज अनीस के साथ जो भी हुआ उसका भी लन्ड जीशान से ज्यादा तगड़ा है वो ये सोच ही रही थी तभी अनीस आवाज लगाता है माँ ओ माँ….. शाज़िया को खुद वे शर्म आ जाती है कि वो अपने बेटों के लन्डो के बारे में सोच सोच कर गीली हुई जा रही थी आज के घटने ने शाज़िया की कामाग्नि को फिर से एक हल्की सी हवा दे दी थी….और ये हवा उसके लिए क्या रंग दिखाती है वो आने वाला वक़्त ही बताएगा……
शाज़िया अनीस के कमरे में वापिस उसी हालत में जाती है केवल ब्लाउज और पेटिकोट में कमरे में जाते ही वो शर्म से दोहरी हो जाती है क्योंकि जीशान भी वहां आ चुका था और वो अधनंगी हालात में अपने दोनो बेटो के सामने आ रही थी…..
उफ्फ जीशान अपनी मा को ऐसे देख कर आहे भरता है जिसे अनीस बखूबी सुनता है और शाज़िया कमरे में टेबल पर चाय और ब्रेड रखती है और जीशान की तरफ बिना देखें पूछती है कैसा है दर्द अनीस बेटे
अनीस – कुछ आराम है माँ और आपके हाथों की मालिश ने भी उस दर्द को भगाने में बहुत मदद करी और वो फिर से उठने की कोशिस करता है और कराह उठता है जिसे शाज़िया पकड़ने के लिए उसकी तरफ झुकती है जिस कारण उसकी चुचियो की दरार दोनो बेटो के सामने उजागर हो जाती है और इस बार शाज़िया उठने में कोइ जल्दी नही करती औऱ अनीस को आराम करने का बोल कर कहती है तुम लेते रहो मैं तुम्हे खिलाती हु…..और वो घूम जाती है जिससे उसकी चौड़ी गांड उन्न दोनो के सामने आ जाती है जिसके दर्शन दोनो खूब अच्छे से करते है और उसके बाद शाज़िया अनीस को खिलाने लगती है।
तभी जीशान सोचता है कि यह अच्छा मौका है माँ को मनाने का…..
जीशान – सारा प्यार आज तो माँ तुमपर ही लुटा रही है मुझे तो ऐसे कभी नसीब ही नही होगा……और रोनी सी सूरत बनाता हैं……
तभी अनीस कहता है ऐसी भी क्या बात हो गयी भाई मेरे मा तुझे भी उतना ही प्यार करती है जितना मुझे ……
और शाज़िया इन् दोनो की बात सुन रही थी और वो अनीस को खिला भी रही थी तभी अनीस शाज़िया का हाथ रोक देता है और कहता मा तुम जीशान को भी खिला दो मा देखो वो कैसे रोंदू सरत बना रहा है…..
शाज़िया कुछ नही बोलती है मगर वो उसे खिलाती भी नही है और वो केवल अपनी नजर उठा कर उसे देखती है और मन ही मन सोचती है कि प्यार तो मैं तुम दोनो को बराबर करती हूं लेकिन जीशान तेरी उस हरकत से मेरा दिल दुखा है….और वो अपनी नजर घूमा लेती है….
जीशान फिर कहता है माँ प्लीज मा अब तो खिला दो उसने द्विअर्थी भाषा का प्रयोग किया….माफी भी और खिलाने की जिद भी…..
शाज़िया अभी भी अधनंगी हालात में दोनों के बीच में बैठी थी और उसका साड़ी पहनने की तरफ ध्यान बिल्कुल भी नही गया था…..अनीस कहता है माँ अब खिला भी दो बच्चे की जान लोगी क्या उसने भी द्विअर्थी भाषा का प्रयोग किया…..
Dosto hamari mashoor kahani bhi Fantasy अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें – fantasy sex jarur padhiye