Incest खूनी रिश्तों में प्यार – indian incest sex stories

में जैसे ही मा से अलग हुआ ….. …तभी अचानक मेरे पैरो के पास एक छिपकली आ गयी

राज:- …. …मा….आमा
में बहुत ही डर गया………………. मे अचानक डरते हुए मा …………………..सेचीपक गया

मा:-अरे क्या हुआ जो मेरा बेटा इतना डर गया.
…राज:-मा वो छिपकली
मा:- छिपकली से कोई भला डरता है….. का..
मा के मूह से छिपकली से डरने की बात सुनकर डॉली ओर पूजा ज़ोर…. ज़ोर से हँसने लगी.

असल बात यह थी में छिपकली से डरा नही था केवल डरने का नाटक किया था…….. डॉली को हंसाने के लिए …

रात को हम सब ने मिलकर खाना खाया ओर सो गये दो दिन तो कुछ नही हुआ
…उस दिन हमारा रिज़ल्ट आने वाला था मुझको शहर जाना था रिज़ल्ट निकलवाने..

नानाजी से पैसा लिए शहर की तरफ चल दिया साथ में डॉली भी थी…. जब हम दोनो अपने गाँव के चौराहे पे आए तो हम को बस मिल गयी क्योकि वहाँ से शहर 10 किलोमीटर था

बस में जब हम घुसे तो हमको सीट मिल गया………………. शहर में आने पर हमलोग जब नेट से रिज़ल्ट निकलवाने गये तो पता चला रिज़ल्ट अभी नही लोड हुआ है…2 एक घंटे बाद पता चलेगा..तय हुआ शॉपिंग किया जाय..
शॉपिंग करते हुए कब 2अवर हो गया………………. पता ही नही चला..हम जल्दी से शॉपिंग माल से बाहर
…..निकले रिज़ल्ट निकलवाने चल दीए
जब रिज़ल्ट निकल वाया तो पता चला … डॉली के 80 %
ओर मेरा 85 % था प्रिनटाउट करवाकर जैसे ही बाहर आए….
तभी मेरी नज़र रोड पर गया………………. एक लड़की रोड पार कर रही थी…. अचानक एक कार बहुत तेज़ी से आई ..
उस लड़की को ठोकर मारते हुए निकल गयी .. वो लड़की बहुत दूर जा गिरी… इतना जल्दी आक्सिडेंट्स हो की उसको
संभलने का मौका नही मिला…. वहाँ पर तुरंत बहुत सारे लोग जमा हो गये .. कोई उस लड़की नही उठा रहा था…. ….

मेने उसको बाहों से उठाया ओर पास में ही सिटी हॉस्पिटल था….
दौड़ते हुए हॉस्पिटल में घुस गया………………..

डॉली भी मेरे पीछे ही थी….

हॉस्पिटल में पहुचते ही नर्स उस लड़की को अंदर ले गयी ……………….

उसके कंधे पर लेडिस बेग था.. में उसको ले कर देखने लगा.. उसमे कुच्छ रुपया था…. एक आइडेंटी कार्ड भी था.. जो शायद कॉलेज का था ..

…. उसका नामे जब मेने पढ़ा तो में चौक पड़ा.

‘डॉली ख़ान’…

जब मेरी नज़र आइडेंटी कार्ड के अंदर पड़ी तो उसमे एक छोटा सा कागज था जिस पर किसी का नाम ओर फोन नंबर था…. आसिफ़ ख़ान डी जी पी मॉब… 94……………….

अभी में उसके बेग चेक ही कर रहा था की ‘डॉक्टर आ गये ‘

डॉक्टर:- देखिए ये आक्सिडेंट्स का मामला है….. तो पोलीस को बुलाना पड़ेगा..
मेने पोलीस को इन्फर्मेशन दे दी है….. थोड़ी देर में पोलीस आ जाएगी..

डॉक्टर:- ओर हा मेने इलाज़ कर दिया है….. आपने बहुत अच्छा किया टाइम ले आए.हॉस्पिटल में पहुचते ही नर्स उस लड़की को अंदर ले गयी ……………….

उसके कंधे पर लेडिस बेग था.. में उसको ले कर देखने लगा.. उसमे कुच्छ रुपया था…. एक आइडेंटी कार्ड भी था.. जो शायद कॉलेज का था ..

…. उसका नामे जब मेने पढ़ा तो में चौक पड़ा.

‘डॉली ख़ान’…

अरे ये तो कमाल हो गया इसका नाम भी डॉली है
जब मेरी नज़र आइडेंटी कार्ड के अंदर पड़ी तो उसमे एक छोटा सा कागज था जिस पर किसी का नाम ओर फोन नंबर था…. आसिफ़ ख़ान डी जी पी मॉब… 94……………….

अभी में उसके बेग चेक ही कर रहा था की ‘डॉक्टर आ गये ‘

डॉक्टर:- देखिए ये आक्सिडेंट्स का मामला है….. तो पोलीस को बुलाना पड़ेगा..
मेने पोलीस को इन्फर्मेशन दे दी है….. थोड़ी देर में पोलीस आ जाएगी..

डॉक्टर:- ओर हा मेने इलाज़ कर दिया है….. आपने बहुत अच्छा किया टाइम ले आए.

राज:- मन में ही तो ये है … डी.जी.पी. साहब है..

हम सब जब अंदर गये तो… डी.जी.पी. साहब उस लड़की को देख कर ठिठक गये …

उनके मूह से अनायास ही निकल गया… डॉली..

डी.जी.पी.-डॉली ये कैसे हुआ

डॉली ख़ान-पता नही में जब रोड पार कर रही थी…. तो एक कार मेरे तरफ आ रही थी.. उसके बाद पता नही चला ..
जब आँख खुली तो हॉस्पिटल में पाई..वैसे आसिफ़ ये दोनो कौन है…..

डी.जी.पी. आसिफ़ ख़ान :- इन्होने ही तुमको हॉस्पिटल पहुँचाया..’

डॉली ख़ान:-मेरा बॅग कहा है…..

राज:-मेरे पास है….. मेने उस बॅग को आसिफ़ सर को दे दिया…

फिर आसिफ़ सर ने डॉली के माथे पर हाथ फिराया…

डी.जी.पी.आसिफ़ ख़ान:- अच्छा डॉली तुम आराम करो में आता हू……………….

हम बाहर निकल आए

राज:-तो सर में चलता हू.

आसिफ़ ख़ान:- चले जाना .. फिर हम बैठ कर बात करने लगे..

..आसिफखान:- माइ सेल्फ़ डी.जी.पी.आसिफखान तुमने डॉली की नही मेरी जान बचाई है…..
तुम नही जानते डॉली मेरी जान है….. ये मेरा कार्ड रख लो तुमको जब भी ज़रूरत पड़े तो मुझको कॉल करना.
में हमेशा तुम्हारी सेवा में हाज़िर रहूँगा.

राज:-थॅंक यू सर जो अपने इस नाचीज़ को इतना समझा..
में आपको ज़रूर याद करूँगा .. अब में चलता हू……………….

राज ओर उसकी जान डॉली हॉस्पिटल से बाहर आ गये..

वहाँ से बस स्टॅंड की तरफ चल दिए .. जैसे ही हम बस स्टॅंड में पहूचे तो हमको बस मिल गया………….

थोड़ी देर हम अपने गाँव के चौराहे पे खड़े थे..वहाँ से हम दोनो मुस्कराते हुए घर की ओर निकल गये..आज हम दोनो बहुत ही खुस थे.. जब घर के अंदर दाखिल हुए तो.. सब कोई टीवी देख रहे थे…..

नानाजी:-कैसा रिज़ल्ट आया है..

राज:-आप देख लीजिए डॉली नानाजी को रिज़ल्ट दिखाओ..

डॉली ने नानाजी को रिज़ल्ट वाला पेपर दे दी ..

नानीजी:-इनको कहा पढ़ने आता है….. जो रिज़ल्ट चेक करेंगे..

नानाजी:-हिन्दी तो पढ़ लेता हू इंग्लीश नही आती है…..

तभी पूजा जो मा के गोदी सर रख के लेटी हुई थी वो बीच में टपक पड़ी..

पूजा:- लाइए नानाजी में पढ़ देती हू..

फिर पूजा ने नानाजी को हम दोनों के मार्क्स बता दी..

…… नानाजी एक खड़े होकर …..सुनो भाई इनका रिज़ल्ट बहुत ही बढ़िया आया है….. राज का 85% & डॉली का
80%…
आज तुम दोनो ने
मेरा सीना बहुत ही
…..चौड़ा कर दिया हैफिर हमको अपने पास बुलाए.. जब हम उनके पास गये तो उन्होने हमको ज़ोर से गले से लगा लिया….जब हम अलग हुए तो क्या देखते है….. की नानाजी के आँखो से आँसू बह रहे थे..

राज & डॉली :- आप क्यो रो रहे है हमसे कोई ग़लती तो नही हो गयी..

नानाजी:- अरे मेरे बच्चो तुमसे भला कोई ग़लती हो सकती है….. ये तो ख़ुसी के मारे मेरे आँखो से
आँसू निकल पड़े….

नानाजी:- मेने तुम्हारे लिए एक समान लाया हू जो तुम्हारे रूम रखा हुआ है…..
आज में सारे गाँव वाले को मिठाई खिलाउन्गा..

हम अपने रूम में
आए जैसे ही हमारी नज़र स्टडी टेबल पे पड़ी तो वहाँ पर एक गिफ्ट पॅकेट रखा हुआ था…

राज कपड़ा बदलते हुए:- डॉली जान देखो तो क्या है..

डॉली ने जैसे ही वो पॅकेट खोली तो उसमे एक नोकिया 1600 सेट मोबाइल था..

डॉली मौसी:- ख़ुसी से चहकते हुए जान जी
इसमे तो मोबाइल है..

में भी बहुत खुस हो गया ..मेने जल्दी से कपड़े बदले मोबाइल लेकर जैसे ओंन किया उसमे एक आरटेल का सिम कार्ड लगाया हुआ था……….

में ओर डॉली जैसे ही अपने रूम से बाहर निकल कर टीवी वाले रूम में गये तो वहाँ पर कोई नही था..
केवल पूजा बैठी हुई थी..

राज:- पूजा सब कोई कहाँ है.

पूजा:- भैया मा अपने रूम में आराम कर रही है….. नाना-नानी अपने रूम में है…..

ओर हा मा ने आपको बुलाया है….. शायद आपसे कोई काम है…..

राज:- ठीक है….. में मा के पास जाता हू तबतक आज तुम दोनो मिलकर खाना बनाओ..

उसके बाद डॉली ओर पूजा खाना बनाने चली गयी.. में मा के रूम के तरफ बढ़ गया………………

में मा के रूम के अंदर गया ओर गेट को अंदर से बंद कर दिया….मेरी नज़र जैसे ही बेड पर पड़ा तो मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन ही खिसक गयी…

मा अपने दोनो पैरो को फैलाए एकदम नंगी अवस्था में लेटी हुई थी.

उनके शरीर पर एक कपड़ा का टुकड़ा भी नही था. उनकी चूत किसी पाव रोटी की भाँति फूली थी..

चूत के दोनो होंठ खुले हुए थे अंदर का भाग एकदम गुलाबी था..
चूत के दोनो होंठ गुलाब की फूल की तरह खिले हुए थे.

ये नज़ारा देखकर तो में तो अपना होश ही गँवा चुका मे अपने सारे कपड़े निकालने लगा. मा मेरे सारे हरकतों को देख रही थी..

मेने अपने सारे कपड़े निकाले ओर जाकर मा के दोनो टाँगों के बीच में बैठ गया.. मेरा लंड तो आज मा का ये रूप देखकर 8-9 इंच हो गया था..

में मा के चूत पे एक जोरदार चूमा लिया मा के मूह से सिसकारी फुट पड़ी.. आआआ……………….
हह….म्म्म्मम….सस्स
लेकिन धीरे से ..राज ने लंड को बिना गीला किए चूत के छेद में सेट किया ओर एक जोरदार धक्का लगाया..

धक्का इतना जब्बर्दस्त था की लंड एक ही बार में पूरा का पूरा अंदर चला गया ….
मुझको तो लगा की में जन्नत में पहूच गया हू.
उनकी चूत किसी आग की तरह दहक रही थी.

मा दर्द के मारे छटपटा गयी..

मार डाला रे.. सूकर है. की उसी समय जोरदार बारिस होने लगी नही तो सब कोई जान जाता…….

अचानक ही मेरा ध्यान मा के तरफ गया उनके आँखो से आँसुओ की धारा बह रही थी..

में एकदम से होश में आ गया..मा के दोनो उरोजो को मसलते हुए (जो किसी पके हुए आम की भाँति खड़े थे)

आँसुओ को पीने लगा ..

उसके बाद होंठो को अपने होंटो में भरते हुए चूसने लगा… मा मेरे बालो मे हाथ घुमा रही थी.. में नीचे खिसका पके हिए आम की भाँति एक छाती को अपने होंटो में भरते हुए धक्का लगांने लगा.

मा नीचे से गान्ड उठा के साथ दे रही थी..उनकी चूत रिस रही थी..जिसे पूरे कमरे में फॅक…फॅक..फ़च्छ..फॅक.. की मधुर संगीत गूँज हो रही थी.. में अब कभी एक कभी दूसरी उभारों को चूस्ते हुए धक्कों की बरसात किए जा रहा था..अचानक मा का शरीर अकड़ने लगा ओर वो सिसकते हुए झड़ने लगी.. उन्होने अपने दोनो पैरो का हार बनाकर मेरे पीठ पर लपेट ली. अपने हाथों से मेरे सिर को अपने उभारों पे दबाते हुए झड़ गयी..ऐसा लगा की मुझे अपने शरीर में घुसा लेना चाहती हो..

उनको जबरदस्त ओर्गसम हुआ ..उनके पानी से मेरा लंड बुरी तरह भीग गया.लेकिन में तक नही झड़ा था..
में मा के उभारों को मसलते ओर चूस्ते…..में अब धीरे -2 धक्के लगा रहा था..मेरा लंड फॅक..फ़च्छ..फॅक.. की आवाज़ करता हुआ अंदर बाहर होने लगा..

मा फिर से मेरे ताल में ताल मिलाकर भरपूर साथ दे रही थी..मेने उनके एक पैर को अपने अपने कंधे पे रखा ओर जोरदार धक्के लगाना चालू कर दिया..
मा अपने उभारों को मसलते हुए जोरदार सिसकारी भर रही थी…आआआ……………….
हह….म्म्म्मम….सस्स ….आआआ………………. .

मेरा सारा खून मेरे लंड में जमा होने लगे मेने एक आख़िरी धक्का लगाया मा को बाहों में कसते हुए उनके चूत में ही झड़ गया……………….

मा मेरे वीर्य की गर्मी सह नही पाई वो भी एक लंबी सिसकारी के साथ झड़ गयी..
में उनके ऊपर ही ढेर हो गया.. मुझे तो ऐसा लगा की मेरे शरीर में खून ही नही बचा है….. में बुरी तरह से हाँफ रहा था.. मा मेरे पीठ को सहला रही थी..

जब में नॉर्मल हुआ तो मा के ऊपर से उतरा कपड़े पहना उनके माथे पर एक छोटा सा किश किया गेट खोलकर बाहर निकलगया..

ओर सीधा बाथरूम में फ्रेश होने चला गया.. जब बाथरूम से निकाला तो मा भी खड़ी थी में जाकर टीवी पे फिल्म देखने लगा …

राज जाकर टी वी. देखने लगा.
थोड़ी देर में राज की मा भी आ गयी.. जब राज ने अपनी मा को देखा तो देखता ही रह गया…..

उसने बहुत मस्त सारी पहनी हुई थी. राज तो एकटक अपनी मा को देखा जा रहा था.. जैसे किसी ने करेंट का सॉर्ट लगा दिया हो ..

उसकी मम्मी ने उसको हिलाया तो राज की तंद्रा टूटी..

राज:- क्या हुआ मा

माँ-ऐसे क्यो घूर रहे हो.. aur bhi indian incest sex stories padhne ke liye yaya click kariye

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