सोनू झट से उर्मिला के सामने जा कर बैठ जाता है. उर्मिला अपनी साड़ी का पल्लू निचे गिरा देती है और ऊँगली के इशारे से ब्लाउज के ऊपर से अपने एक दूध की और इशारा करते हुए कहती है.
उर्मिला : यहाँ ध्यान से देख. लड़कियों के दूध और गाये के थनों में ज्यादा अंतर नहीं होता है. और ये देख रहा है…(अपने निप्पल की तरफ इशारा करते हुए), जैसे गाये के थन होते है वैसे ही ये लड़कियों के थन है. इसे इस तरह से पकड़ कर धीरे-धीरे खींचते है तो दूध निकलता है.
उर्मिला ब्लाउज के उपर से अपना एक निप्पल धीरे-धीरे खींचते हुए कहती है. कम्मो आँखे फाड़े ये सब देख रही थी. उर्मिला तिरछी नज़रों से कम्मो को देखती है फिर सोनू से कहती है.
उर्मिला : समझ गया ना सोनू?
सोनू : कहाँ भाभी. ऐसे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा.
उर्मिला : धत्त…भोंदू कहीं का. रुक अब तुझे दुसरे तरीके से समझाना पड़ेगा. पर याद रहे यहाँ की बात घर पर मत कह देना. कम्मो….नहीं कहगी ना?
कम्मो : किसी से भी नहीं कहूँगी भाभी.
उर्मिला : ठीक है….
उर्मिला निचे बैठे हुए अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगती है. हुक खुलते ही वो झट से अपना ब्लाउज उतार कर पास में रख देती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर.
उर्मिला : कम्मो…. जरा मेरी ब्रा का हुक खोल देना.
कम्मो उर्मिला के पीछे बैठ कर ब्रा का हुक खोलने लगती है.
उर्मिला : क्या करूँ कम्मो. अब सोनू जब घर जायेगा और अपने दोस्तों से कहेगा की वो गाँव आया और उसे गाय का दूध भी नहीं दोहन आता है तो सब उसकी हंसी उड़ायेंगे ना…
कम्मो : (ब्रा का हुक खोलते हुए) हाँ भाभी…जब मेरी भी कोई हंसी उडाता है तो मुझे भी बहुत बुरा लगता है.
कम्मो ब्रा का हुक खोल देती है. उर्मिला के मोटे दूध उच्छल के बहार आ जाते है जिसे देख कर गोलू और सोनू भी उच्छल पड़ते है. कम्मो भी उर्मिला के बड़े-बड़े दूध देख कर हैरान रह जाती है. उर्मिला दोनों हाथों को मचान पर रख कर किसी गाय की तरह चरों हाथ-पैरों पर बैठ जाती है. उसके मोटे दूध किसी गाय के थन की तरह दिखाई देने लगते है.
उर्मिला : गोलू अब जरा मेरा दूध दोह कर सोनू को दिखा की दूध कैसे दोहते है.
गोलू उर्मिला के दूध पर नज़रे गड़ाए हुए धीरे-धीरे उर्मिला के पास आता है और निचे बैठ कर दोनों हाथों से दूध के निप्पलों को पकड़ कर धीरे से बारी-बारी खींचने लगता है. निप्पलों को खींचते हुए गोलू की हालत ख़राब हो जाती है. जीवन में पहली बार वो किसी औरत के दूध को इस तरह से पकड़ कर खींच रहा था. कम्मो भी ये नज़ारा बड़े गौर से देख रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला सोनू से कहती है.
उर्मिला : सोनू…अब जरा तू कोशिश कर…
सोनू उर्मिला के पास आता है और वो भी निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे खींचने लगता है. उर्मिला सोनू को डांटते हुए कहती है.
उर्मिला : तू बिलकुल भी ठीक से नहीं कर रहा है सोनू…तू नहीं सीख पायेगा.
सोनू : क्या करूँ भाभी…. गोलू ने जैसा किया था मैं भी वैसे ही कर रहा हूँ.
उर्मिला : अब क्या करें…. गाय एक और दूध दोहने वाले दो…. कैसे सिखाये तुझे…?
तभी पास बैठी कम्मो बोल पड़ती है.
कम्मो : भाभी…!! एक गाय मैं बन जाती हूँ…..
उर्मिला, गोलू और सोनू तीनो एक साथ कम्मो की तरफ देखते है. कम्मो ने तो उनके मन की बात बोल दी थी. गोलू और सोनू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. उर्मिला भी मुस्कुराते हुए कहती है.
उर्मिला : पर तू ठीक से गाय बन पायेगी?
कम्मो : और नहीं तो क्या भाभी. सभी मुझे ऐसा-वैसा समझते है. मैं राजकुमारी हूँ. कुछ भी कर सकती हूँ.
उर्मिला : हाँ बाबा तू राजकुमारी है. ठीक है. चल बन जा गाय. गोलू तेरा दूध दोहेगा और उसे देख कर सोनू मेरा.
कम्मो : (ख़ुशी से ) ठीक है भाभी.कम्मो झट से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है. कुछ ही क्षण में चोली खुल कर मचान पर गिर जाती है. कम्मो फिर अपनी ब्रा को झट से खोल कर बदन से अलग कर देती है. कम्मो के मोटे दूध उच्छल कर बाहर आ जाते है. गोलू आज पहली बार अपनी बहन के मोटे दूध को नंगा देख रहा था. कम्मो के मोटे दूध पर नज़रे गड़ाये गोलू धोती के ऊपर से अपना लंड मसल देता है. सोनू को भी कम्मो के दूध देख कर पायल की याद आ जाती है. उर्मिला भी हैरान थी. १९ साल के हिसाब से कम्मो के दूध काफी बड़े थे. कम्मो भी मचान पर दोनों हाथों को रखे किसी गाय की तरह चरों हाथ-पैरों पर बैठ जाती है. उसके मोटे दूध भी किसी गाय के थनों की भाँती दिखने लगते है.
उर्मिला : चल सोनू… कम्मो के दूध दोह कर बता सोनू को….
गोलू कम्मो के पास धोती उठा कर बैठ जाता है. अपनी हाथों से कम्मो के दोनों निप्पलों को पकड़ कर वो बारी-बारी उन्हें खींचने लगता है. कम्मो के लिए ये एक नयी चीज़ थी. गोलू के इस तरह से निप्पलों को पकड़ कर खींचने पर उसे अजीब सा महसूस हो रहा था. पर वो समझ नहीं पा रही थी की उसके बदन में ये अजीब से सिरहन किस लिए उठ रही है.
उर्मिला : ध्यान से देख सोनू. गोलू कैसे कम्मो का दूध दोह रहा है. देख और सीख की दूध कैसे दुहा जाता है.
सोनू : हाँ भाभी देख रहा हूँ.
तभी गोलू कम्मो के दोनों निप्पल जोर से खींच देता है. कम्मो सिंहर जाती है.
कम्मो : उई माँ….. सीईईईई….!!!
उर्मिला : क्या हुआ कम्मो?
कम्मो : देखो ना भाभी, गोलू मेरे दूध कैसे जोर से खींच रहा है.
गोलू : भाभी मैं तो बस गाय का दूध कैसे दोहते हैं वो बता रहा हूँ.
उर्मिला : हाँ बाबा…. पर कम्मो सच मुच की गाय थोड़ी ना है. वो तो तेरी सगी बहन है ना? जरा प्यार से कर….
ये कह कर उर्मिला आँख मार देती है तो गोलू समझ जाता है. फिर वो प्यार से कम्मो के दोनों दूधों को धीरे-धीरे दबाते हुए मसलने लगता है. गोलू की इस हरकत से कम्मो को भी मजा आने लगता है. गोलू के धीरे-धीरे दूध दबाने से कम्मो अपने ओंठ काटते हुए आँखे बंद कर लेती है. उर्मिला देख कर ही समझ जाती है की कम्मो को भी इस खेल में अब मजा आने लगा है.
उर्मिला : अच्छा गोलू. अब सोनू वो बता जब गाय अपना दूध रोक लेती है तब क्या करना चाहिए.
गोलू : हाँ भाभी…. ये देख सोनू….!!!
गोलू अब कम्मो के दूध की दोनों गोलाईयों को हाथों में भर लेता है और दबाने लगता है. दबाते हुए वो अपने हाथों को धीरे-धीरे निचे ले जा कर निप्पलों को हलके से खींच देता है. इस हरकत पर कम्मो सिसिया कर रह जाती है. अपनी बहन के दूध को दबाते हुए गोलू की हालत खराब हो रही थी. धोती में उसका लंड पानी फेकने लगा था.
उर्मिला : क्यूँ कम्मो… गोलू अच्छा दूध दोहता है ना?
कम्मो : सीईईइ…!! हाँ भाभी…. मुझे इतना अच्छा लग रहा है. अब समझ आया की गाय कभी गोलू को क्यूँ नहीं मारती.
कम्मो की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. फिर वो सोनू से कहती है.
उर्मिला : अब सीख गया ना सोनू की गाय का दूध कैसे दोहते हैं?
सोनू : हाँ भाभी.
सोनू उर्मिला के दूध पर से हाथ हटा लेता है. ये देख कर गोलू भी कम्मो के दूध छोड़ देता है. उर्मिला ब्लाउज बंद किये बिना ही पास में बैठ जाती है. कम्मो जैसे ही अपनी चोली उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है, उर्मिला उसे रोक देती है.
उर्मिला : अरे रहने दे ना….!! सब घर के ही लोग तो है…
उर्मिला की बात पर कम्मो मुस्कुराते हुए नंगे दूध लिए पास ही बैठ जाती है. गोलू का सारा ध्यान अपनी बहन कम्मो के मोटे नंगे दूध पर ही था. उर्मिला कम्मो से नज़रे बचाते हुए गोलू की और देख कर मुस्कुरा देती है तो गोलू भी कम्मो के मोटे दूध की और इशारा करते हुए अपना हाथ धोती में दाल कर लंड मसल देता है. उर्मिला धीरे से गोलू और सोनू को इशारा करती है और दोनों समझ जाते है.
सोनू : अरे गोलू…. हम तो चादर लाना भूल ही गए…
गोलू : अरे हाँ…… वैसे निचे झोपड़े में चादर रखी है. चल ले कर आते है.
उर्मिला : अब दोनों निचे जा ही रहे हो तो जरा खेत का एक चक्कर भी लगा लेना. देख लेना कोई गाय तो नहीं घुस आई है.
गोलू : जी भाभी…
गोलू और सोनू दोनों मचान से निचे उतर जाते है. दोनों के जाने के बाद उर्मिला कम्मो से कहती है.
उर्मिला : कम्मो… इधर आ. मेरे पास आ कर बैठ.
कम्मो उठ कर उर्मिला के पास आ कर बैठ जाती है.
कम्मो : जी भाभी…!!
उर्मिला कम्मो के मोटे दूध पर हाथ फेरते हुए कहती है.
उर्मिला : कम्मो…!! तेरे दूध तो पुरे मोटे और भरे हुए है. किसी से दबवा रही है क्या?
कम्मो : ना भाभी…!! वो तो शादी के बाद मेरा पति ही करेगा ना? ये तो अपने आप ही मोटे हो गए हैं.
उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा समझ गई. अच्छा कम्मो…एक बात तो बता…तुझे अपनी बूर में भुट्टा डालने में बहुत मजा आता है क्या?
कम्मो : हाँ भाभी…!! सच में…. बहुत मजा आता है.
उर्मिला : जरा सोच कम्मो…. जब भुट्टा इतना मजा देता हैं तो असल का लंड कितना मजा देगा?
कम्मो : (खुश होते हुए) हाँ भाभी…!! मैं तो चाहती हूँ की मेरी शादी जल्दी से हो जाए और फिर मैं अपने पति का लंड अपनी बूर में झट से ले लूँ.
उर्मिला : तू तो एकदम पागल है कम्मो… असली मजे के बारें में तो तुझे पता ही नहीं है. इसलिए हमेशा शादी और पति की बात करती रहती है.
कम्मो : क्यूँ भाभी..? ये सब तो शादी के बाद सिर्फ पति ही करता हैं ना?
उर्मिला : (कम्मो की चूची मसलते हुए) अरे मेरी भोली कम्मो…!! तुझे किसने कहा की ये सब शादी के बाद सिर्फ पति ही करता है?
कम्मो : सीईईइ… भाभी…!! माँ ने कहा था…
उर्मिला : पगली..!! शादी के बाद पति तो करता ही है पर एक लंड ऐसा भी है जो पति के लंड से भी ज्यादा मजा देता है.