गोलू और सोनू को धीरे-धीरे उर्मिला कुछ समझाने लगती है. उर्मिला की बात सुनकर दोनों के चेहरे पर हंसी फुट पड़ती है. तभी कम्मो भी दौड़ती हुई वहां आ जाती है. कम्मो के आते ही उर्मिला गोलू और सोनू को इशारा करती है तो गोलू सोनू से कहता है.
गोलू : तू हार जायेगा सोनू…
सोनू : मैं नहीं हरूँगा गोलू…तू हारेगा….
गोलू : चल ठीक है, देखते है…आजा मैंदान में…
कम्मो दोनों की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी. वो देखती है की गोलू और सोनू थोड़ी दूर जा कर बैठ जाते है और अपनी धोरी आगे से खोलने लगते है. कुछ ना समझ आने पर वो उर्मिला से कहती है.
कम्मो : ये दोनों क्या कर रहे है भाभी?
उर्मिला : पेंच लड़ाने की तेयारी…
कम्मो : पेंच…? पर यहाँ तो पतंग और मंझा है ही नहीं….
उर्मिला : (हँसते हुए) पागल…पतंग वाली पेंच नहीं….पेशाब वाली पेंच….
कम्मो : ये कौनसी पेंच है भाभी?
कम्मो : अरे लड़के तो खूब पेंच लड़ाते है पेशाब की. एक दुसरे की पेशाब पर पेशाब करते है और जिसकी पेशाब पहले ख़तम हो गई समझो वो हार गया…
तभी गोलू बोल पड़ता है…
गोलू : अरे आप भी किसी समझा रही हो भाभी…ये लड़कियों का खेल नहीं है…
कम्मो : चुप कर गोलू…माँ कहती है की लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती…
सोनू : पर ये तेरे बस की बात नहीं है कम्मो, तू रहने दे…
कम्मो : (गुस्से में) भाभी…मैं भी पेंच लड़ाउंगी और इन दोनों को हरा दूंगी…
उर्मिला : पर कम्मो…तू इन दोनों लड़कों के सामने ….. फिर तो तुझे कच्छी उतर कर पेंच लड़ाना पड़ेगा…
उर्मिला के कहते ही कम्मो झट से अपनी कच्छी उतर देती है और चलती हुई गोलू और सोनू के पास पहुँच हाती है. कम्मो को देख कर दोनों के होश उड़ जाते है. उर्मिला भी वहां आती है और कम्मो से कहती है.
उर्मिला : निचे बैठ जा कम्मो अपना लहंगा उठा के और हरा दे इन दोनों को.
उर्मिला से प्रोत्साहन पा कर कम्मो जोश में अपना लहंगा उठा कर निचे बैठ जाती है. उर्मिला कम्मो के पीछे बैठ कर उसकी टाँगे फैला देती है. कम्मो की बलोवाली बूर खुल के दिखने लगती है. गोलू अपनी बहन की बूर का वो नज़ारा देख कर उच्छल पड़ता है. सोनू के लंड में भी तनाव बढ़ जाता है. तीनो एक त्रिकोण बना कर बैठे थे. उर्मिला के १-२-३ कहते ही तीनो एक साथ पेशाब करने लग जाते है. तीनो की पेशाब एक जगह आ कर आपस में टकराने लगती है. कम्मो की नज़र ठीक टकराती हुई पेशाब पर थी और गोलू और सोनू की नज़र कम्मो की खुली बूर पर जिसमे से पेशाब की मोती धार निकल रही थी. उर्मिला भी कम्मो की टाँगे और खोल देती है जिस से गोलू और सोनू को कम्मो की बूर का पूरा नज़ारा दिखने लागता है.
उर्मिला : और जोर लगा कम्मो…!! हरा दे इन दोनों बदमाशों को…
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो आँखे बंद करके जोर लगा कर पेशाब करने लगती है. कम्मो की आँखे बंद होते ही गोलू और सोनू का हाथ अपने अपने लंड पर चला जाता है और कम्मो की बूर को घूरते हुए दोनों लंड मुठीयाने लगते है. सामने कम्मो आँखे बंद किये जितने की पुरी कोशिश कर रही थी और उसके दोनों भाई उसकी बूर को देखते हुए लंड मुठिया रहे थे. दोनों की पेशाब ख़तम हो जाती है और दोनों थोडा आगे बढ़ के कम्मो की बूर पर नज़रे गड़ाए लंड हिलाने लगते है. उर्मिला भी कम्मो की टाँगे अब पूरी खोल देती है. कम्मो की बूर से निकलती मोती धर का वो नज़ारा देख कर गोलू और सोनू पुरे जोश में लंड मुठीयाने लगते है.
कम्मो अपनी आँखे बंद किये जोश में बडबडाने लगती है.
कम्मो : (आँखे बंद किये) नहीं हरुंगी मैं….राजकुमारी अपने गुलामो से नहीं हारेगी….
गोलू और सोनू अपनी कमर को झटके देते हुए लंड मुठीयाने लगते है और कुछ ही क्षण में दोनों के लंड झटके देते हुए सफ़ेद गढा पानी फेकने लगते है. कम्मो की बूर को देखते हुए दोनों के लंड सारा पानी कम्मो के सामने गिरा देते है और फिर थक कर वही पर गिर जाते है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो कम्मो से कहती है.
उर्मिला : आँखे खोल ले कम्मो…तू जीत गई..
कम्मो अपनी आँखे खोलती है. सामने गोलू और सोनू थके-हारे ज़मीन पर पड़े हुए है. वो खुश हो जाती है. उसकी बूर से पेशाब की आखरी धार निकलती है और फिर वो कुछ बूँद का रूप ले लेती है. अपनी जीत पर गर्व महसूस करते हुए कम्मो उर्मिला से कहती है.
कम्मो : देखा भाभी…माँ सही कहती है. लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती…
उर्मिला : हाँ री मेरी लड़ो कम्मो…लड़कियों का तो पता नहीं…पर तू किसी से कम नहीं है.कम्मो उच्छालती हुई निचे पड़े गोलू और सोनू को जीभ दिखा कर चिढाने लगती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और अपने लंड को धोती में डाल कर खड़े हो जाते है. कम्मो भी अपनी कच्छी पहन लेती है.
उर्मिला : आज तो बड़ा मजा आया. कामो ने तो कमाल कर दिया.
गोलू : हाँ भाभी…कम्मो दीदी ने तो कमाल ही कर दिया.
उर्मिला : पर सब मेरी बात ध्यान से सुनो. ये सारी बातें घर में किसी से नहीं कहना नहीं तो हम दोबारा मौज-मस्ती नहीं कर पाएंगे….समझ गई ना कम्मो…
कम्मो : हाँ भाभी…मैं घर पर किसी से नहीं कहूँगी.
उर्मिला : वैसे मैं सोच रही हूँ की क्यूँ ना आज की रात हम हमारे खेतों में गुजारें….रात भर खेल और मस्ती करेंगे…
कम्मो : (उच्छालती हुई) हाँ भाभी हाँ…आज रात खेतों में ही सोयेंगे…
उर्मिला : पर ध्यान रहे…तुम लोग घर पर कुछ नहीं बोलोगे, मैं सब संभाल लुंगी…ठीक?
तीनो ख़ुशी से एक साथ हामी भर देते है.
खेत से निकल कर चारों घर की और चल पड़ते है. कम्मो खुश है क्यूंकि कई सालों के बाद आज उसे बाहर समय बिताने का मौका मिला था. उर्मिला खुश थी की उसे एक और भाई-बहन के रिश्ते को अपने अंजाम तक पहुंचा दिया था. सोनू खुश था क्यूंकि आज रात उसे कोई ना कोई बूर मिलने वाली थी और गोलू….गोलू सबसे ज्यादा खुश था क्यूंकि आज रात उसे अपनी सगी बहन की बूर चोदने मिलने वाली थी. आज रात वो एक भाई से बहनचोद बनने वाला था.अपडेट ३४ :
रात के ८:३० बज रहे थे. घर के आँगन में सभी नीहे बैठ कर खाना खा रहे थे. गाँव में अक्सर सभी घरों में रात का खाना जल्दी खा लिया जाता है. मोहन अपनी कुर्सी पर बौठे कर खाना खा रहे थे और ज़मीन पर गोलू, सोनू, उमा, उर्मिला, बिमला और कम्मो. उर्मिला तालाब पर घुमने के झूठे किस्से सुना रही थी. मोहन, उमा और बिमला सुन कर मजे ले रहे थे. गोलू, सोनू और कम्मो, जो सच जानते थे खाते हुए मुस्कुरा रहे थे. कम्मो जिसे खेल समझ कर मुस्कुरा रही थी, गोलू और सोनू के लंड उस ‘खेल’ को याद कर के फुदक रहे थे. बातें करते हुए उर्मिला रात का इंतज़ाम करने लगी.
उर्मिला : मामी… हमारे खेत पास ही में हैं ना?
बिमला : हाँ उर्मिला. बस १० मिनट का रास्ता है.
उर्मिला :अभी तो फसल भी लगी हुई है. रात में उसकी रखवाली कौन करता है?
बिमला : तेरे मामाजी करते थे. पर जब से उनका पैर टुटा है, गोलू करता है.
उर्मिला : बापरे…!! वो रात भर वह अकेले रहता है?
बिमला : हाँ तो क्या हुआ? सिर्फ जंगली सूअर और गाय-भैंस का डर होता है. यहाँ कौनसा शेर आ रहा है…..
इस बात पर सभी हंसने लगते है.
उर्मिला : (हँसते हुए) वो बात तो ठीक है मामी पर फिर भी. कोई तो चाहिए ना उसका साथ देने के लिए. (सोनू की तरफ देखते हुए) सोनू…तू भी चेल जाने गोलू के साथ. दोनों भाई बातें करते हुए वक़्त बिता लेंगे.
सोनू : हाँ भाभी….वैसे भी खेतो में सोने का मजा ही कुछ और ही है.
गोलू : खेत में एक कुटिया भी है और मचान भी. हम कही भी सो सकते है.
सोनू : फिर तो मजा आएगा….
उर्मिला : मचान भी है???
गोलू : हाँ भाभी….
उर्मिला : (बिमला की और देखते हुए) मामी….मेरा बड़ा दिल करता है की मैं भी खेत में मचान पर सोऊ. अगर आप लोह इजाज़त दो तो मैं भी चले जाऊं इन दोनों के साथ?
उमा : (हँसते हुए) कभी-कभी तू एकदम बच्ची बन जाती है उर्मिला.
उर्मिला : प्लीज मम्मी जी…!! वैसे अगर आप मन करोगी तो नहीं जाउंगी.
उमा : अरे नहीं बाबा, मैंने कब मन किया. चल… तू भी मजा लेले मचान पर सोने का….
मोहन : बस बहु एक बात का ध्यान रखना. सुबह होते ही घर आ जाना. क्या है की गाँव की औरतें घर में ही सोती है. कोई देख लेगा तो लोग तरह-तरह की बाते करेंगे.
उर्मिला : समझ गई मामाजी. हम लोग सुबह होते ही दौड़ कर आ जायेंगे.
उर्मिला की बात पर सभी हंसने लगते है. तभी सब की नज़र कम्मो पर पड़ती है. ज़मीन पर बैठी कम्मो अपनी आँखों में आंसू थामे हुए गुस्से में बैठी है. उसके बंद ओंठों पर हलकी सी कपंन थी. ऐसा लग रहा था की मानो अभी आंसुओ का सैलाब फट पड़ेगा. मोहन देखते ही सारा माजरा समझ जाते है.
मोहन : अरे तुम लोग क्या मेरी कम्मो को घर में छोड़ दोगे ? कम्मो भी साथ जाएगी…
मोहन की बात सुनते ही कम्मो के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. आँखों से बहने को उतावले आंसू फुर्र से गायब हो जाते है.
कम्मो : और नहीं तो क्या बापू…!! ये लोग खेतों में खेलेंगे और मैं घर पर रहूंगी…
उर्मिला : नहीं मेरी नानी … तू भी हमारे साथ ही चलेगी…अब खुश…?
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो दोनों हाथों को उठा कर जोर से चिल्ला देती है ” हेये………!!”
सभी जोर-जोर से हंसने लगते है. उर्मिला गोलू और सोनू को देख कर कम्मो की तरफ इशारा करती है. दोनों मुस्कुराते हुए चुपके से अपनी धोती पर से लंड को मसल देते है. खाना ख़तम करके थालियाँ धो कर उर्मिला और बिमला घर के आँगन में आते है.
बिमला : ध्यान रखना उर्मिला. वैसे तो रात में खेतों में कोई भी नहीं होता है पर फिर भी. सुबह जल्द ही निकल जाना.
उर्मिला : जी मामी जी. आप चिंता मत करिए. हम सभी भोर होते ही लौट आयेंगे.
गोलू लोटे में पानी ले कर आता है और सोनू एक लालटेन लिए. घर वालों से विदा ले कर गोलू, सोनू , कम्मो और उर्मिला खेतों की तरफ निकल पड़ते है. मोहन के कहने पर वो लोग घर के पीछे के रास्ते खेतों से होते हुए जाने लगते है ताकि कोई उन्हें देख ना ले. ३-४ मिनट में ही वो सभी घने खेतों के बीच बने छोटे से रास्ते पर आ जाते है. हमेश की तरह इस बार भी कम्मो सबसे आगे उछलती हुई चल रही थी. सोनू लालटेन उठा के उसकी रौशनी कम्मो की चूतड़ों पर डालता है तो गोलू का लंड धोती में तांडव करने लगता है. उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है तो गोलू भी अपनी धोती उठा के अपना खड़ा लंड कम्मो की चूतड़ों की तरफ कर के कमर को ४-५ झटके मार देता है.
ऐसे ही मौज मस्ती करते हुए चारों खेत में पहुँच जाते है. खेत के पास एक कुटिया बनी हुई है और घने खेत के बीच एक मचान. मचान को देख कर कम्मो उच्छालती हुई उर्मिला से कहती है.
कम्मो : वो देखिये भाभी, हमारे खेत की मचान.
उर्मिला : वाह कम्मो…. ये तो खेतो के बीचो-बीच है. हम रात एहिं पर गुजरेंगे ना?
कम्मो : हाँ भाभी… गोलू तो रात में मचान पर ही सोता है.
उर्मिला : तो फिर ठीक है. आज रात हम सब मचान पर ही सोयेंगे और रात भर खूब मस्ती करेंगे.
कम्मो : (खुश होते हुए ) हाँ भाभी…. खूब मस्ती करेंगे.
चरों खेतों के बीच से होते हुए मचान के पास पहुँच जाते है. सबसे पहले सोनू झट-पट लकड़ी की बनी सीढ़ी से ऊपर चढ़ जाता है. गोलू उसे लालटेन उठा के देता है तो सोनू उसे पास के खूंटे पर टांग देता है. फिर कम्मो लकड़ी की सीढ़ी पर चढ़ने लगती है तो उर्मिला गोलू को इशारा करती है. उर्मिला का इशारा समझ कर गोलू झट से सीढ़ी के नीचे खड़ा हो जाता है. कम्मो के घुटनों तक लंबे लहंगे के निचे गोलू अपनी आँखे फाड़े हुए खड़ा है. लहंगे के अन्दर का नज़ारा देख कर धोती में उसका लंड कसमसाने लगता है. वो धीरे-धीरे कम्मो के पीछे सीढ़ी पर चढ़ने लगता है और उसकी नज़र कम्मो के लहंगे के अन्दर टिकी हुई है. कम्मो ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को मचान पर रख लेती है तो सोनू उसका हाथ पकड़ कर उसकी मदद करने लगता है. ये देख कर उर्मिला झट से गोलू से कहती है.
उर्मिला : देख क्या रहा है गोलू? अपनी दीदी की मदद कर.
गोलू उर्मिला की तरफ देखता है और उसके चेहरे के भाव पढ़ कर समझ जाता है. वो झट से अपने दोनों हाथों को कम्मो की बड़ी-बड़ी चूतड़ों पर रख देता है. अपनी बहन की चूतड़ों का स्पर्श पाते ही गोलू ताव में आ जाता है और हाथों से कम्मो की चूतड़ों को दबोचते हुए उसे आगे की ओर धकेल देता है. कम्मो मचान पर चढ़ जाती है. गोलू के बाद उर्मिला भी मचान पर आ जाती है. उर्मिला खड़ी हो कर चारों और देखती है. दूर-दूर तक घने खेत और गुप्प अँधेरा था. दूर खेतों में कुछ लालटेन जलते हुए प्रतीत हो रहे थे पर वो भी काफी दूर थे. उर्मिला समझ जाती है की अगर आज रात मचान पर चुदाई का नंगा नाच भी हो जाए तब भी किसी को पता नहीं चलेगा.
चरों निचे बैठ जाते है और यहाँ-वहां की बातों का सिलसिला शुरू होता है. खूब हँसी-मजाक और ठहाकों का दौर भी शुरू हो जाता है. कुछ देर बाद उर्मिला सोनू को इशारा करती है. खेत में आने से पहले उर्मिला ने सोनू और गोलू को सब कुछ अच्छे से समझा दिया था. उर्मिला का इशारा समझते ही सोनू कहता है.
सोनू : देखिये ना भाभी. मैं कब से गोलू से कह रहा हूँ की मुझे भी गाय का दूध दोहन सिखा दे पर ये मेरी एक नहीं सुनता.
गोलू : मैं क्या करूँ भाभी. ये गाय का दूध ठीक से नहीं दोहता है और गाय पैर मारने लगती है.
उर्मिला : गोलू ठीक ही तो कह रहा है. तू अगर ठीक से गाय के थन पकड़ कर दूध नहीं दोहेगा तो गाय तो पैर मारेगी ही ना.
गोलू : हाँ भाभी. जब तक सोनू को गाय के थन ठीक से पकड़ना नहीं आएगा वो गाय का दूध नहीं दोह पायेगा.
उर्मिला : ये बात तो एकदम सही है तेरी गोलू… क्यूँ कम्मो?
कम्मो : हाँ भाभी. अगर गाये के थन ठीक से नहीं पकड़ो तो उसे तकलीफ होती है और वो पैर मार देती है.
उर्मिला : देखा सोनू… ये बात तो सभी को पता है.
सोनू : पर भाभी मुझे गाय से डर लगता है और अगर मैं थन पकड़ना ही नहीं सीख पाया तो दूध दोहन कैसे सीख पाउँगा?
उर्मिला : मेरे पास एक उपाय है. इधर आ मेरे पास….
सोनू झट से उर्मिला के सामने जा कर बैठ जाता है. उर्मिला अपनी साड़ी का पल्लू निचे गिरा देती है और ऊँगली के इशारे से ब्लाउज के ऊपर से अपने एक दूध की और इशारा करते हुए कहती है.
उर्मिला : यहाँ ध्यान से देख. लड़कियों के दूध और गाये के थनों में ज्यादा अंतर नहीं होता है. और ये देख रहा है…(अपने निप्पल की तरफ इशारा करते हुए), जैसे गाये के थन होते है वैसे ही ये लड़कियों के थन है. इसे इस तरह से पकड़ कर धीरे-धीरे खींचते है तो दूध निकलता है.