अपडेट ३३:
अनाजघर में गेहूं की बोरियों के पीछे सोनू और गोलू बैठे बातें कर रहे थे. माहोल गर्म था. सोनू बड़ी-बड़ी आँखे किये हुए गोलू से कहता है.
सोनू : तो उर्मिला भाभी ने तुझे सब कुछ बता दिया?
गोलू : हाँ सोनू, सब कुछ. मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की तेरा और पायल दीदी का चक्कर चल रहा है.
सोनू : हाँ गोलू, ये सच है. मैं तो एक साल से पायल दीदी के चक्कर में था. दिन रात दीदी के बदन को देख कर मुठियाता रहता था. वो तो उर्मिला भाभी थी जिसने मेरा काम बना दिया.
गोलू : सच में सोनू. उर्मिला भाभी तो देवी का ही रूप है.अगर ऐसी भाभियाँ ना हो तो हम जैसे भाई तो ज़िन्दगी भर बहनों के नाम की मुठ मारते ही रह जाए.
सोनू : तू बिलकुल सही कह रहा है गोलू. अच्छा एक बात बता. तू कम्मो दीदी के नाम की दिन में कितनी मुठ मार लेता है ?
गोलू : दिन में ५-६ बार तो कम्मो दीदी को याद करके मुठ मार ही लेता हूँ. किसी दिन उनकी चोली में झाँकने का मौका मिल गया तो ८-१० बार हो जाता है. और तू बता. तू पायल दीदी के नाम पर कितनी मुठ मार लेता था?
सोनू : मैं भी दिन में ७-८ बार तो मार ही लेता था. बहन की गदराई जवानी देख के तो हर भाई का लंड खड़ा हो जाता है ना गोलू….
गोलू : सही कहा सोनू. बहन साली चीज़ ही ऐसी होती है. घर में दिन भर मोटे दूध और चौड़ी चुतड लिए घुमती रहती है. देख कर भाई का लंड तो जोर मरेगा ही.
अपनी-अपनी बहनों की गरमा-गरम बातों से सोनू और गोलू का लंड झटके खाने लगता है. गोलू धोती पर से अपना लंड मसलने लगता है और सोनू शॉर्ट्स पर से. दोनों लंड मसलते हुए अपनी-अपनी बहनों की यादों में खो जाते है. गोलू धोती में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल लेता है तो सोनू भी अपनी शॉर्ट्स से लंड निकाल लेता है. दोनों आँखे बंद किये और लंड हिलाते हुए मस्ती में बहनों के सपने देखने लगते है.
सोनू : ओह पायल दीदी…..!! बूर दे दो अपनी…आह्ह…!!
गोलू : ओह मेरी कम्मो दीदी…!! बोर चुदवा ले अपने गोलू से…..!!
सोनू बोरी पर लेट कर अपनी कमर उठा के लंड मुठीयाने लगता है और गोलू पास पड़े रबर के पानी के मोटे पाइप में लंड घुसा देता है.
गोलू : ओह मेरी कम्मो बहना ….आह…!! ले अपने भाई का लंड. भर ले अपनी बूर में….पूरा भर ले….
कम्मो के लिए बेहद ही गंदे शब्धों का प्रयोग करते हुए सोनू अपने मोटे लंड को रबर की पाइप में ठूंसे जा रहा था. वो इतने जोश में था की एक बार सोनू भी लंड मुठियाते हुए रुक कर उसे देखने लगा. तभी दोनों को क़दमों की आहट सुनाई देती है तो दोनों फटाफट कपडे ठीक करके बोरियों के पीछे से निकल आते है. कमरे से बाहर निकलते ही सामने से उर्मिला चली आ रही है. उर्मिला दोनों को देखती है तो इशारे से अपने पास बुलाती है. दोनों उर्मिला के पास जाते है. उर्मिला गोलू की तरफ देखते हुए कहती है.
उर्मिला : और गोलू महाराज, कैसे हो?
गोलू : (शर्माते हुए) ठीक हूँ भाभी. वैसे भाभी मैंने सोनू को सब बता दिया है.
उर्मिला : अच्छा..?? तो अन्दर दोनों भाई जरुर बहनचोदी कर रहे होंगे….
उर्मिला की बात पर सोनू हँस देता है और गोलू शर्माते हुए कहता है.
गोलू : छी भाभी..!! आप कुछ भी बोलती हैं.
उर्मिला गोलू के मोटे गालों को खींचते हुए कहती है.
उर्मिला : वाह रे गोलू…!! मैं कहूँ तो छी…और तू अपनी बहन की चोली में झांके तो वो कुछ नहीं….
उर्मिला की इस बात पर गोलू भी हँस देता है. उर्मिला आगे कहती है.
उर्मिला : ये शर्मना-वर्माना सब भूल जा और बेशरम बन जा. शर्माता रहेगा तो कम्मो की बूर क्या तुझे उसकी बूर का बाल भी नहीं मिलेगा.
सोनू : भाभी सही कह रही है गोलू. मैं भी बहुत शर्माता था भाभी के सामने. पर जब से भाभी से खुल के बेशर्मों की तरह रहने लगा तो पायल दीदी के साथ भाभी ने मेरी जल्दी से सेटिंग करा दी.
उर्मिला : सिख अपने भाई से कुछ…
गोलू : फिर ठीक है भाभी. अब मैं भी आपके साथ खुल के बेशर्मों की तरह रहूँगा.
उर्मिला फिर से गोलू के मोटे गालों को खींचते हुए कहती है.
उर्मिला : ये हुई ना बात. अच्छा अब दोनों मेरी बात ध्यान से सुनो. मैंने शाम के लिए कुछ सोचा है पर मुझे पहले कम्मो से बात करनी है. कम्मो से बात करके जब मैं तुम दोनों को आवाज़ दूंगी तो चले आना. और हाँ अपना ज्यादा दिमाग लगाने की कोई जरुरत नहीं है. बस मेरे इशारों पर ध्यान देना. समझ गए?
दोनों सर हिला कर हामी भर देते है.
उर्मिला : शाबाश…!! ये कम्मो कहाँ है?
गोलू : घर के पीछे होगी भाभी. आम का जो पेड़ है ना, उस पर झुला झूल रही होगी.
उर्मिला : (गोलू के बड़े पेट पर छुटी काटते हुए) चिंता मत कर, जल्द ही वो तेरे लंड पर झुला झूलेगी.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू बहुत खुश होता है. उर्मिला वहां से निकल कर घर के पीछे वाले आँगन में जाने लगती है. वहां पहुँच कर वो देखती है तो कम्मो आम के पेड़ पर झूला झूल रही है. कम्मो की नज़र जैसे ही उर्मिला पर पड़ती है वो कूद कर उर्मिला के पास आ जाती है और उर्मिला का हाथ पकड़ कर कहने लगती है.
कम्मो : चलिए ना भाभी, आप भी झुला झूलिए.
उर्मिला : धत पागल. मेरी उम्र है क्या झुला झूलने की. और तू भी कब तक झुला झूलेगी? चल आ मेरे साथ बैठ कर बातें कर.
दोनों आम के पेड़ के निचे बैठ जाते है. कम्मो पास के पौधे से फूल तोड़ कर सूंघने लगती है. उर्मिला उसकी ओर देखती है और कहती है.
उर्मिला : कम्मो एक बात तो बता….
कम्मो : हाँ भाभी…!!
उर्मिला : तू १८ साल की जवान लड़की हो गई है. कभी तेरी जाँघों के बीच खुजली नहीं होती?
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो सोच में पड़ जाती है. कुछ देर सर खुजाते हुए सोचने के बाद तो आँखे बड़ी-बड़ी करते हुए कहती है.
कम्मो : हाँ भाभी होती है….
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) कब होती है कम्मो रानी?
कम्मो : भाभी जब मैं धुप से खेल कर घर आती हूँ ना तब पसीने से मेरी जाँघों के बीच बहुत खुजली होती है. तब मैं झट से साबुन लगा कर अच्छे से नाहा लेती हूँ तो ठीक हो जाती है.
कम्मो की बात सुन कर उर्मिला अपने माथे पर हाथ मार लेती है. “इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता”, उर्मिला मन ही मन सोचती है और वहां से सर हिलाते हुए जाने लगती है. कुछ ही दूर जाने पर उसे कम्मो की आवाज़ सुनाई देती है.
कम्मो : भाभी…!! भाभी..!!उर्मिला : ( मुड़ कर पूछती है ) क्या हुआ कम्मो?
कम्मो : (उर्मिला के पास आ कर) भाभी आपने जाँघों के बीच की बात की ना तो मुझे एक खेल याद आ गया…
उर्मिला : कैसा खेल कम्मो?
कम्मो : (धीरे से) पर भाभी आप किसी से कहियेगा नहीं. वो खेल अकेले में सब के सोने के बाद खेला जाता है.
ये सुनकर उर्मिला के दिमाग की घंटी बजने लगती है.
उर्मिला : वो कौनसा खेल है कम्मो?
कम्मो : (उर्मिला का हाथ पकड़ कर) आप मेरे साथ चलिए भाभी मैं आपको दिखाती हूँ.
कम्मो उर्मिला का हाथ पकडे उसे एक कमरे में ले जाती है जहाँ पर सब्जियां और अनाज रखा हुआ था. एक बोर से कम्मो बड़ा और मोटा सा भुट्टा उठा कर हाथ में लेती है और उर्मिला को ले कर पास वाली दीवार के पीछे चली जाती है.
कम्मो : आप निचे बैठ जाइये भाभी.
उर्मिला : (निचे बैठ कर) हाँ अब बता किस खेल के बारें में कह रही थी.
कम्मो : (निचे बैठते हुए) अभी दिखाती हूँ भाभी.
कम्मो उर्मिला के सामने टाँगे खोलकर बैठ जाती है और अपनी कच्छी झट से घुटनों के निचे तक खींच देती है. उर्मिला बड़ी ही हैरानी के साथ उसे देखने लगती है. उर्मिला कम्मो की बूर देखती है. बूर घने बालो से भरी है और बूर के ओंठ थोड़े खुले हुए है. देख के लग रहा था की बूर में पहले भी कुछ जा चूका है. कम्मो मोटा और लम्बा भुट्टा ले कर अपने मुहँ में डालकर चूसने लगती है. उर्मिला ये सब बड़े ही गौर से देख रही थी. कुछ देर भुट्टे को चूसने के बाद कम्मो अपनी लार भुट्टे पर लगा देती है और भुट्टे को पकड़ कर अपनी बूर के मुहँ पर रख देती है. इस से पहले की उर्मिला कुछ समझ पाती, भुट्टा धीरे-धीरे कम्मो की बूर में धंसने लगा था. ये देख कर उर्मिला की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो जो देख रही थी उस पर उसे यकीन नहीं हो रहा था. वो लड़की जो दिमाग से पैदल है, चुदाई का जिसे ‘च’ तक नहीं आता है वो अपनी बूर में इतना लम्बा और मोटा भुट्टा आराम से घुसाए जा रही थी. देखते हे देखते कम्मो भुट्टे को पूरा अपनी बूर में घुसा लेती है और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगती है. अब उर्मिला से रहा नहीं जाता है. वो बोल पड़ती है.
उर्मिला : क..क..कम्मो….ये कौनसा खेल है…??
कम्मो : अहह…!! भाभी…ये अपने आप को मजा देने वाला खेल है. इसमें बहुत मजा आता है.
उर्मिला : रुक जा कम्मो…!!
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपने हाथो को भुट्टे से हटा लेती है. भुट्टा अब भी उसकी बूर में पूरा घुसा हुआ था.
कम्मो : क्या हुआ भाभी?
उर्मिला : तू पहले बता की ये खेल तुने सिखा कहाँ से है?
कम्मो : (अपनी बूर में भुट्टा घुसाए हुए) भाभी वो भैया आते है ना गाड़ी ले कर…क्या नाम है उनका….ह्म्म्म…!! हाँ…!! छेदी भैया….
छेदी का नाम सुनकर उर्मिला का दिमाग घूम जाता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे करके कहती है.
उर्मिला : छे..छेदी ने तुझे ये खेल सिखाया है?
कम्मो : अरे नहीं भाभी…छेदी भैया ने नहीं. वो तो घर आते है गाड़ी ले कर और बापू के साथ अनाज ले कर मंडी चले जाते है. वो उनकी बहन है ना, खुशबू , उसने सिखाया था.
उर्मिला : ओह तो खुशबू ने तुझे सिखाया है ये खेल….
कम्मो : हाँ भाभी. छेदी भैया जब आते है और बापू के साथ मंडी चले जाते है तब मैं और खुशबू घर में ही रहते है. उसी ने मुझे ये खेल सिखाया है. और कहा है की सब के सोने के बाद ही इसे खेलना अकेले में. बहुत मजा आता है भाभी, आप भी एक बार खेल के देखो ना…
ये कहते हुए कम्मो अपनी बूर से मोटा भुट्टा निकाल कर उर्मिला की तरफ बढ़ाती है. भुट्टे का आकार देखकर उर्मिला डर जाती है.
उर्मिला : अरे नहीं नहीं कम्मो, तू ही खेल. मैं फिर कभी खेल लुंगी.
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो फिर से भुट्टे को अपनी बूर में घुसा देती है. उर्मिला ने कम्मो के बारें में जो सोचा था, बात अब अलग ही हो चुकी थी. कम्मो भले ही भोली थी पर अपनी बूर में बड़ा और मोटा भुट्टा तक ले रही थी. उर्मिला समझ जाती है की गोलू का लंड तो ये बड़े आराम से ले लेगी. कुवारी बूर के चुदने के बाद जो खलबली मचती है उससे कम्मो बच गई थी. उर्मिला अब सोचने लगी थी की अब इसे गोलू के सामने नंगा कैसे किया जाए. कम्मो अपनी बूर में मजे से भुट्टे को लिए जा रही थी और उर्मिला वहीँ बैठ कर सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद उर्मिला कम्मो से कहती है.
उर्मिला : तू तो बहुत बदमाश है रे कम्मो…!!
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो रुक जाती है. उर्मिला की तरफ हैरानी से देखते हुए कम्मो कहती है.
कम्मो : क्या हुआ भाभी? आपने मुझे बदमाश क्यूँ कहा?
उर्मिला : बदमाश नहीं तो और क्या कहूँ? खुद तो भुट्टा बूर में डाले मजे कर रही है और बेचारे गोलू को अपना तील भी नहीं देखने देती है.
कम्मो : कैसे देखने दूँ भाभी? वो तो सबसे पहले मेरे पति देखेगा ना?
उर्मिला : और उसे पसंद नहीं आया तो? क्या कभी किसीने तेरे तील की तारीफ़ की है?
कम्मो : नहीं भाभी. मैंने अपना तील अब तक किसी को भी नहीं दिखाया है.
उर्मिला : फिर? कोई देख के तारीफ करेगा तभी तो तुझे पता चलेगा ना की तेरे पति को पसंद आएगा भी या नहीं.
उर्मिला की बात पर कम्मो सोच में पड़ जाती है. सोचने के बाद वो कहती है.
कम्मो : भाभी मैं आपको दिखा देती हूँ, आप ही देख कर बता दीजिये ना.
उर्मिला : धत्त..!! तू क्या किसी लड़की से शादी करेने वाली है? ये तो कोई लड़का ही बताएगा ना? और तू क्या किसी बाहर वाले को दिखा कर पूछेगी?
कम्मो : कभी नहीं भाभी..!! ऐसा तो मैं कभी नहीं करुँगी.
उर्मिला : तो फिर? अब गोलू तेरा छोटा भाई है. बचपन से दोनों एक साथ हो. तू उसे राखी बांधती है. अब उस से अच्छा और कौन बताएगा तुझे…बोल?
उर्मिला की बातों में कम्मो को सच्चाई नज़र आती है. वो भी सोचने लगती है की भाभी सही कह रही है. किसी बाहरवाले से तो अच्छा है की वो अपने ही भाई को दिखा कर पूछ ले.
कम्मो : भाभी आप बिलकुल सही कह रही हो. मैं अभी जा कर गोलू को अपने सारे तील दिखा कर पूछती हूँ.
उर्मिला : चुप कर..!! ये बात घर में पता चली तो पता है ना माँ और बापू तेरा क्या हाल करेंगे. अभी नहीं. मैं बताउंगी की कब दिखाना है. समझी..?
कम्मो : जी भाभी.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) और सुन. तेरे छाती का तील बहुत ही सुन्दर है. देखना गोलू को भी पसंद आएगा. ऐसी सुन्दर चीज़ को छुपा के रखती है. दिखा दिया कर गोलू को. देखना वो तेरी कितनी तारीफ करेगा.
कम्मो : (खुश हो कर) सच भाभी?
उर्मिला : और क्या. वो तो तेरी राजकुमारी वाली तारीफ करेगा और हो सकता है वो तेरा गुलाम भी बन जाए.
कम्मो : (खुश होते हुए) तब तो बड़ा मजा आएगा भाभी. मैं राजकुमारी और गोलू मेरा गुलाम. मैं तो उस से अपने पैर पढ़वाउंगी.
उर्मिला : हाँ बाबा पढ़वा लेना. चल अब जल्दी से अन्दर जा और मैं जबबुलाऊँ तो आ जाना. और सुन ये बात किसी से कहना नहीं.
कम्मो : नहीं कहूँगी भाभी….
कम्मो उच्छालती हुई वहां से चली जाती है. उर्मिला भी मुस्कुराते हुए घर के अन्दर चली जाती है.
शाम ५:३० बजे
————————————————————————————–
घर के आँगन में मोहन खाट पर लेटे हुए है. उनके पास बिमला और उमा बैठे हुए है. पास ही उर्मिला भी बैठी हुई है. घरबार की जम के बाते हो रही हैं. उर्मिला का ध्यान किसी और ही बात पर था. मौका देख कर वो कहती है.
उर्मिला : वैसे मामीजी, पिछली बार मैं आई थी तो आपका गाँव नहीं देख पाई थी. सोच रही हूँ इस इस बार जरा घूम कर देख लूँ की आपका गाँव कैसा है.
बिमला : अरे तो इसमें पूछने वाली क्या बात है उर्मिला. शाम को हम चलते है.
उर्मिला : अरे मामीजी आप क्यूँ कष्ट करती हैं? घर के बच्चे किस दिन काम आयेंगे? मैं गोलू से बोल दूंगी. और फिर सोनू भी तो हैं ना? हम तीनो चल देंगे.
मोहन : हाँ भाई ये भी ठीक है. इसी बहाने सोनू भी घूम लेगा. क्यूँ उमा?
उमा : हाँ भैया. दिल तो मेरा भी कर रहा है गाँव घुमने का पर एक बार आप के पैर का प्लास्टर खुल जाये फिर हम सब साथ चलेंगे.
मोहन : हाँ उमा. तब तक बच्चे और उर्मिला आ जाए घूम कर.
उर्मिला : शाम हो रही है मामीजी … सोच रही हूँ की गोलू के साथ एक चक्कर लगा ही लूँ. ये गोलू वैसे हैं कहा?
उर्मिला एक नज़र यहाँ वहां देख कर आवाज़ लागती है.
उर्मिला : गोलू….अरे ओ गोलू…!!!!
तभी धोती पहने गोलू दौड़ता हुआ वहां आता है. उसके पीछे सोनू भी दौड़ता हुआ आता है. सोनू ने भी आज धोती पहनी है. दोनों को धोती में देख कर सभी जोर से हँसने लगते है.
उमा : ये देखो. दोनों भाइयों को. धोती भी एक जैसी पहनी है.
बिमला : हाँ दीदी….दोनों भाइयों की जोड़ी तो बड़ी अच्छी लग रही है.
उर्मिला : सच में मामीजी…नज़र ना लगे. अच्छा गोलू …. मैं गाँव घुमने का सोच रही थी. तू अपनी भाभी तो दिखायेगा अपना गाँव?
ये कहकर उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है. गोलू समझ जाता है. वो भी खुश होता हुआ कहता है.
गोलू : हाँ भाभी…जरुर दिखाऊंगा….कब चलना है?
उर्मिला : चलना तो अभी ही है. पहले तू बता की यहाँ सबसे अच्छी और शांत जगह कौनसी है.
मोहन : यहाँ तो वैसी एक ही जगह है उर्मिला. सरपंच जी का तालाब. सरपंच जी के खेतो से घीरा हुआ है और खेत के बाहार तार की बाड़ लगी है. वहां कोई आता जाता नहीं है.
उर्मिला : (अनजान बनते हुए) फिर हम कैसे जायेंगे मामाजी?
मोहन : चिंता की कोई बात नहीं है बहु. सरपंच जी मेरे बहुत ही अच्छे मित्र है. हमे वहां आने-जाने में कोई रोक नहीं है.
उर्मिला : ये तो बहुत अच्छी बात है मामाजी.
मोहन : गोलू साथ है तो बस काफी है.
उर्मिला : तो गोलू महाराज ..!! चला जाए?
गोलू : हाँ भाभी…चलते है.
उर्मिला फिर से यहाँ-वहां नज़र दौड़ाने लगती है. तभी उसकी नज़र दरवाज़े के पीछे खड़ी कम्मो पर पड़ती है. उर्मिला ने पहले ही उसे समझा रखा था. उर्मिला का इशारा पाते ही कम्मो उच्चलती हुई वहां पहुँच जाती है.
कम्मो : बहुत अच्छा भाभी. आप सब जा रहे हो मुझे अकेला छोड़ कर….
उर्मिला बनते हुए बिमला की तरफ देखने लगती है. बिमला समझ जाती है की उर्मिला क्या पूछना चाहती है.
बिमला : कोई बात नहीं उर्मिला. तुम सब साथ हो तो किस बात का डर? ले जा इसे भी. और तू सुन कम्मो…ज्यादा इधर-उधर मत भागती फिरना. अपनी भाभी के साथ ही रहना.
कम्मो : हाँ माँ…भाभी के साथ ही रहूंगी.
उर्मिला : ठीक है चलिए…आपका गाँव घूम कर आते है.
उर्मिला, गोलू, सोनू और कम्मो घर से निकल कर तालाब की तरफ बढ़ने लगते है. कम्मो सबसे आगे उच्छालती-कूदती चल रही थी. गोलू की नज़र बार-बार कम्मो की बड़ी चूतड़ों पर जा रही थी जिसे उर्मिला देख लेती है. गोलू की तरफ मुस्कुराते हुए देखकर उर्मिला कहती है.
उर्मिला : रास्ते पर ध्यान से गोलू, कहीं पत्थर से पैर टकरा गया तो गिर पड़ेगा.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू भी समझ जाता है और मुस्कुराते हुए चलने लगता है. कुछ देर चलने के बाद चारों घने खेतों के पास पहुँच जाते है जो तार की बाड़ से घीरा हुआ है. पास हे कुछ लोग बैलगाड़ी पर कुछ कटी हुई फसल दाल रहे है. पास हे खड़े एक आदमी हाथ में डंडा लिए खड़ा है. जैसे ही उसकी नज़र गोलू पर पड़ती है वो बोल पड़ता है, “कैसे हो गोलू भैया?”
गोलू : अच्छा हुआ केशव भैया…
केशव : और यहाँ कैसे आना हुआ?
गोलू : ये मेरी भाभी उर्मिला और भाई सोनू है. कुछ दिनों के लिए सहर से आये है. बस इन्हें तालाब दिखाने ले आया.
केशव : (उर्मिला और सोनू को देख कर) प्रणाम….!!
उर्मिला और सोनू भी केशव को प्रणाम करते है.
केशव : ये तो आप लोगो ने बहुत अच्छा किया. हमारे सरपंच जी का तालाब तो गाँव की सबसे अच्छी जगह है.
गोलू : हाँ केशव भैया. इसलिए तो इन्हें यहाँ लाया हूँ.
केशव : चलो इन्हें भी दिखा दो. हम तो अब निकल ही रहे है. बस जब आप लोग जाओगे तो बाड़ बंद कर देना. कोई गाय भैंस घुस ना जाए बस.
गोलू : जी केशव भैया…