कम्मो की बातों से उर्मिला को पूरा यकीन हो जाता है की इस १८ साल की लड़की को घर से निकलने क्यूँ नहीं दिया जाता है. २ साल पहले जब उर्मिला पहली बार यहाँ आई थी तब से ही कम्मो पर पाबंदियां लगा दी गई थी. अब तो वो पूरी जवान गदराई माल हो गई थी, और पाबंदियां भी कहीं ज्यादा. उर्मिला ये भी बात समझ जाती है की गोलू भी सोनू की तरह ही कमीना और एक नंबर का बहनचोद है, जो अपनी भोली-भाली बहन के चक्कर में है. उर्मिला के अन्दर का कीड़ा रेंगेने लगता है. जिस तरह से घर पर उसने परिवार के सदस्यों के अन्दर की हवस को खुल के बाहार निकाला था अब वो गोलू की हवस को भी ठीक उसी तरह से हवा देने को तैयार थी.
उर्मिला : अच्छा ठीक है कम्मो. ध्यान से कहीं गोलू तेरा तील ना देख ले.
कम्मो : आप चिंता मत कीजिये भाभी. वो मेरी छाती का तील तो क्या, मेरी नाभि के निचे और जांघ पर जो तील है वो भी कभी नहीं देख पायेगा.
उर्मिला : ओह तो तेरी नाभि के निचे और जांघ पर भी तील है.
कम्मो : हाँ भाभी…ये देखिये…
कम्मो झट से अपना घगरा उठाने लगती है. उर्मिला डर के मारे यहाँ वहां देखते हुए उसका हाथ पकड़ लेती है.
उर्मिला : अरे अरे अरे…!! ये क्या कर करी है कम्मो. ठीक है. मैं समझ गई. अच्छा अब तू झाड़ू लगा, मैं चलती हूँ.
कम्मो : ठीक है भाभी.
कम्मो झाड़ू लगाने लगती है और उर्मिला वहां से जाने लगती है. जैसे ही उर्मिला की नज़र सामने पड़ती है, गोलू सामनेवाली मिट्टी की दीवार के पीछे छुपने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की वो वहां छिप कर उनकी सारी बातें सुन रहा था. उर्मिला धीमे-धीमे वहां जाती है और झट से गोलू के सामने खड़े हो जाती है. गोलू दीवार के पीछे निचे बैठा हुआ था. उसकी नज़र जैसे ही उर्मिला पर पढ़ती है वो घबरा जाता है.
उर्मिला : क्या कर रहा था गोलू?
गोलू : (डरते हुए) क..क..कुछ नहीं भाभी. वो..वो ..वो मैं ना गोबर उठाने आया था.
उर्मिला : (आसपास देखते हुए ) कहाँ है गोबर जो तू उठाने आया था?
अब गोलू की हवा निकल जाती है. वो झट से उर्मिला के पैरो को पकड़ लेता है.
गोलू : मुझे माफ़ कर दीजिये भाभी. आप माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.
उर्मिला : मैं तेरी भाभी हूँ गोलू, कम्मो नहीं जो तू मुझे बेवकूफ बना दे. और जरा बता तो तू कम्मो की चोली में कौनसा तील देखता है?
ये बात सुन कर गोलू का पिछवाड फट सा जाता है. वो निचे बैठा हाथ जोड़ कर उर्मिला के सामने गिडगिडाने लगता है.
गोलू : भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं कभी भी कम्मो की चोली में नही झांकुंगा, मैं वादा करता हूँ.
उर्मिला : चल खड़ा हो जा और मेरे पीछे आ.
गोलू चुपचाप खड़ा होता है और उर्मिला के पीछे चल देता है. उर्मिला उसे गोशाला के पीछे ले जाती है और वहां उस से कहती है.
उर्मिला : अब मुझे सच-सच बता गोलू. तू सच में कोई तील देख रहा था या कम्मो के दो बड़े पहाड़ों की चोटियाँ?
उर्मिला की बात सुन कर गोलू नज़रे झुकाए खड़ा रहता है.
उर्मिला : देख गोलू. अगर तू सच बोलेगा तो तील का तो नहीं कह सकती पर तुझे कम्मो के दोनों पहाड़ों की चोटियाँ जरुर दिखा सकती हूँ.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से उसकी तरफ देखने लगता है.
गोलू : पर…पर..भाभी…वो…
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) तुझे क्या लगता है की बस तू ही एक है जो अपनी बहन पर लट्टू है. तेरे जैसे भरे पड़े है यहाँ. अब सोनू को ही देख ले. पायल के पीछे लंड खड़ा किये घूमता रहता था. मैंने करा दी उसकी सेटिंग पायल के साथ.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू उच्छल पड़ता है.
गोलू : क्या बात कर रही हो भाभी? गोलू और पायल दीदी….??
उर्मिला : और नहीं तो क्या? अब तो पायल सोनू का लंड खूब चुस्ती है और उसके साथ बिस्तर पर नंगी भी सोती है.
गोलू : (ख़ुशी से ताली बजाते हुए एक बार गोल-गोल घूम जाता है) सच भाभी…!!
उर्मिला : हाँ गोलू एक दम सच…कसम से..!!
गोलू : भाभी मेरे लिए भी कुछ कीजिये ना. अब तक तो मैं दीदी का कुछ भी नहीं देख पाया हूँ.
उर्मिला : ठीक है गोलू पर मैं जैसा कहूँगी तुझे वैसा ही करना होगा. घर में किसी को कानो कान खबर नहीं पड़नी चाहिए.
गोलू : (ख़ुशी से उच्छालता हुआ) नहीं पड़ेगी भाभी.
उर्मिला : शाबाश..! अच्छा एक बात बता. गाँव में कोई सुनसान जगह है जहाँ बैठ कर बातें किया जा सके.
गोलू : हाँ भाभी. थोड़ी दूर पर एक छोटा सा तालाब है. उसके चारों तरफ सरपंच जी के खेत है इसलिए वहां कोई नहीं जाता.
उर्मिला : तो फिर हम कैसे जायेंगे?
गोलू : ओहो भाभी..!! बापू और सरपंच जी तो बहुत अच्छे दोस्त है. हमारे खेतों में भी तो उसी तालाब का पानी आता है. हमे कोई नहीं रोकता.
उर्मिला : (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. अब तू जा और दूध दुह ले. मैं भी अन्दर चलती हूँ. ३० मिनट के बाद मैं जब बुलाऊंगी तो आ जाना.
गोलू : ठीक है भाभी.
गोलू ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ता हुआ चला जाता है. उर्मिला का गन्दा दिमाग एक बार फिर किसीको बहनचोद बनाने की जुगाड़ में लग जाता है.