अपडेट ३२.५ :
शाम ४ बजे:
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घर के आँगन में बैठी उमा, बिमला और उर्मिला बातें कर रही थी. पास वाली खाट पर मोहन भी लेटे हुए उनका साथ दे रहे थे. थकावट के कारण सोनू अन्दर कमरें में सो रहा था. पुरानी यादों के साथ-साथ कुछ नयी बातों पर भी चर्चा हो रही थी. मोहन लेटे हुए यहाँ-वहाँ नज़र दौडाते हुए कहते है.
मोहन : ये गोलू कहा चला गया….
उमा : क्या हुआ मोहन?
मोहन : कुछ नहीं दीदी. ४ बजे गए हैं ना. गोशाला में गाय का दूध दुहना था. अब मैं तो कर नहीं सकता इसलिए गोलू ही करता है. पता नहीं कहाँ चला गया?
बिमला : मैं देख कर आती हूँ.
जैसे ही बिमला उठने को होती है, उर्मिला उन्हें रोकते हुए कहती है.
उर्मिला : आप बैठिये मामी. मैं देख कर आती हूँ.
बिमला मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.
बिमला : बहुत अच्छी बहु मिली है आपको दीदी.
उमा : हाँ बिमला. हमारे घर को तो इसीने संभाला हुआ है.
उर्मिला भी मुस्कुराते हुए बाहार निकल आती है. आँगन में नज़र डालते हुए वो गोशाला की और बढ़ने लगती है. थोडा आगे जाते ही उसे गोलू गाय के पैरों के पास बैठा हुआ उसका दूध दुहते हुए दिखाई देता है. उर्मिला उसे आवाज़ देने ही वाली होती है की उसकी नज़र सामने झाड़ू लगाती कम्मो पर पड़ती है. कम्मो झुक कर झाड़ू लगा रही है और आगे उसकी चोली के बड़े गले से उसके मोटे दूधों की गहराई दिख रही है. उर्मिला झट से गौर से गोलू की तरफ देखती है तो गाय का दूध दुहते हुए सोनू की नज़रें कम्मों की दिख रही दूध के बीच की गहराई पर थी. वो बड़े ही ध्यान से कम्मो की बड़ी-बड़ी चुचियों को निहार रहा था. ये देख कर उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. ” साला पूरा खानदान ही बहनचोदों और बेटीचोदों से भरा पड़ा है “, उर्मिला मन में सोचती है. धीमे क़दमों से वो गोलू की तरफ बढ़ने लगती है की तभी कम्मो की नज़र गोलू पर पड़ती है. गुस्से में झाड़ू गोलू को दिखाते हुए वो कहती है.
कम्मो : तू फिर देखने की कोशिश कर रहा है गोलू? तुझे मना किया था ना?
कम्मो के मुहँ से ये सुनकर उर्मिला वहीँ रुक जाती है. उसे लगता है की आज तो गोलू बुरा फंस गया. गोलू दूध दुहना बंद कर के दौड़ कर कम्मो के पास जाता है और निचे बैठ कर उसके पैर पढ़ने लगता है.
गोलू : दीदी मैं आपके पैर पढ़ रहा हूँ. माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.
कम्मो : अगली बार देखने की कोशिश की तो झाड़ू से मरूंगी तुझे.
तभी उर्मिला भी वहां आ जाती है. अनजान बनते हुए वो कहती है.
उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? क्यूँ मारेगी तू गोलू को झाड़ू से?
उर्मिला को वहां देख कर गोलू उठ कर वहां से भाग खड़ा होता है. उर्मिला गोलू को भागता हुआ देखती है फिर कम्मो की तरफ घूम कर कहती है.
उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है?
कम्मो : देखिये ना भाभी. गोलू को मन किया था फिर भी वो बार-बार देखने की कोशिश करता है.
उर्मिला : अरे क्या हुआ? क्या देखने की कोशिश करता है गोलू?
कम्मो : मेरे छाती का तील भाभी.
उर्मिला : (उलझन में) तेरी छाती का तील??
कम्मो : हाँ भाभी….मेरी छाती का तील. ये देखिये…..
ये कहकर कम्मो अपनी चोली का गला पकड़ कर निचे कर देती है. चोली का गला उसके निप्पल के बस कुछ ऊपर ही था और वहां एक काल तील दिखाई पड़ रहा था. उर्मिला वो तील देखती है और हैरानी के साथ कम्मो से कहती है.
उर्मिला : तो गोलू इस तील को देखने की कोशिश कर रहा था.
कम्मो : (बड़ी-बड़ी आखों से) हाँ भाभी. एक बार जब मैं बर्तन धो रही थी तो गोलू खड़े हो कर मेरी चोली में झांक रहा था. मैंने उसे पकड़ लिया तो उसने ही बताया की वो मेरी छाती पर जो तील है वो देखने की कोशिश कर रहा था.
उर्मिला : ओह..!! तो ये बात तुझे गोलू ने बताई थी. पर तुमने कहीं मामा या मामी को ये बात तो नहीं बता दी ना?
कम्मो : मैं तो उसी दिन बता देती भाभी पर सोनू ने मेरे पैर पकड़ लिए. मैं खुश हो गई. मुझे ऐसा लगा की मैं कोई राजकुमारी हूँ और वो मेरे पैर पढ़ रहा है. फिर उसने कहा की जब भी वो मेरी छाती का तील देखते हुए पकड़ा जायेगा, वो मेरे पैर पढ़ेगा और मैं मान गई. तब से जब भी वो पकड़ा जाता है मैं राजकुमारी बन के उस से अपने पैर पढवाती हूँ.
ये बात कहते हुए कम्मो के चेहरे पर गर्व की भावना थी. उर्मिला अब सारी बात समझ जाती है. “वाह री भोली राजकुमारी. एक दिन तेरे भाई तेरी बूर चोद के पैर पढ़ लेगा”, उर्मिला मन में सोचती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर कहती है.
उर्मिला : पर कम्मो. गोलू तो तेरा भाई है, फिर उसे अपना तील दिखाने में कैसी शर्म?
कम्मो : ऐसे कैसे दिखा दूँ भाभी? माँ कहती है की लड़की का तील शादी के बाद सबसे पहले उसका पति देखता है. मेरा तील भी शादी के बाद मेरा पति ही देखेगा. गोलू को थोड़ी ना देखने दूंगी.