Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 2 – Pure Taboo

अपडेट ३२:

उमा और उर्मिला गाड़ी में बैठे बातें कर रहे थे और गाड़ी माखनपुर गाँव के अन्दर दाखिल हो जाती है. कच्ची सड़क के दोनों तरफ दूर-दूर तक हरे-भरे खेत ही थे. खेतों के बीच एक-दो घांस-फूस के झोपड़े बने हुए थे. कुछ खेतों में लोग काम कर रहे थे. उमा जब अपने गाँव के खेतों को देखती है तो अपने बचपन से ले कर जवानी तक बिताये दिनों की याद में खो जाती है. उर्मिला ये बात समझ जाती है और उमा को उस वक़्त कुछ कहना उचित नहीं समझती है. कुछ ही देर में गाड़ी एक बड़े से आँगन में प्रवेश कर जाती है और एक अच्छे-खासे खपरेल की छत वाले मकान के सामने जा कर रुक जाती है. मकान के तीनो तरफ खेत ही खेत थे. मकान उंचाई पर बना हुआ था. गाड़ी के रुकते ही उमा झट से निचे उतरती है. सोनू और उर्मिला भी गाड़ी से उतर कर अपनी कमर सीधी करते है. उमा तेज़ क़दमों से मकान की और बढ़ने लगती है की तभी एक जवान लड़का, छोटी सी धोती में अपना थुल-थूला बदन लिए दौड़ता हुआ उमा के पास आता है और उनके पैरों को छूने लगता है. “प्रणाम बुआ”-वो लड़का कहता है. उमा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो उस लड़के के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हुए उसे उठती है.

उमा : जुग-जुग जियो बेटा. और कैसा है मेरा प्यारा गोलू?

वो लड़का उमा के छोटे भाई मोहन का छोटा बेटा गोलू था. उम्र में १८ साल का हो गया था और उसका शरीर थुल-थूला था. चलने या दौड़ने पर उसकी छाती और पेट हिलते थे. बचपन से ही गोलमटोल होने के कारण उसका नाम गोलू पड़ गया था. उमा के पैर पढ़ने के बाद वो खड़ा हो जाता है.

गोलू : अच्छा हूँ बुआ.

उमा : तेरे बापू कहाँ है गोलू?

गोलू : वो अन्दर कमरे में है बुआ.

उमा : ठीक है. तू सामान लाने में सोनू की मदद कर दे, मैं मोहन से मिलने जा रही हूँ.

गोलू : ठीक है बुआ.

उमा फिर से तेज़ क़दमों से मकान की तरफ चल देती है. गोलू मुस्कुराता हुआ उर्मिला के पास जाता है और उसके पैर पढता है.

गोलू : प्रणाम भाभी.

उर्मिला : (उसे पैर पढ़ने से रोकते हुए) अरे बस बस…भाभियों के पैर नहीं पढते. (गोलू के गालों को पकड़ कर) २ साल में कितना बड़ा हो गया है तू गोलू? कितने साल का हो गया है?

गोलू : १८ साल का भाभी.

उर्मिला : अरे वाह…!! पर तू अब भी वैसा ही है. प्यारा सा गोलमटोल गोलू.

इस बात पर दोनों हँस देते है और सोनू भी सामान लिए वहां आ जाता है. सोनू को देख कर गोलू बहुत खुश होता है. दौड़कर सोनू के गले लगते हुए गोलू कहता है.

गोलू : सोनू…!! इतने सालों बाद आया है. मैं इतना याद करता था तुझे.

सोनू भी ख़ुशी से गोलू के गले लगे हुए कहता है.

सोनू : हाँ यार गोलू. मैं भी तुझे बहुत याद करता था.

गोलू : अब तू आ गया है ना, दोनों भाई मिलकर खूब मस्ती करेंगे.

सोनू : हाँ गोलू. शहर में मैं भी काफी बोर हो गया था. अब यहाँ खुले में पूरी मस्ती करेंगे.

उर्मिला दोनों भाइयों का प्यार देख कर बहुत खुश होती है.

उर्मिला : राम और भारत का मिलन हो गया हो तो अब अन्दर चले?

उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर से हँसने लगते है. सोनू और गोलू सामान लिए उर्मिला के साथ घर में प्रवेश कर जाते है. घर के बड़े से आँगन में सामान रख कर उर्मिला और सोनू गोलू के पीछे-पीछे मोहन के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है. कमरे में घुसते ही वो देखते है की मोहन बिस्तर पर लेटे हुए है और उमा उनकी छाती पर सर रखे रो रही है. मोहन के एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है. मोहन उमा के सर पर हाथ फेरते हुए कह रहे है.

मोहन : अरे दीदी..!! कुछ नहीं हुआ है. कल ही प्लास्टर कट जायेगा. चिंता की ऐसी कोई बात नहीं है.

उमा : (मोहन के सीने से चिपक कर रोते हुए) ये क्या बात हुई भैया? इतना कुछ हो गया और किसी ने मुझे खबर तक नहीं दी?

मोहन : तुम बिना मतलब की चिंता करोगी इसलिए नहीं बताया दीदी. और कोई बात नहीं थी.तभी पास खड़ी उमा की भाभी, बिमला की नज़र उर्मिला और सोनू पर पड़ती है. वो मुस्कुराते हुए आगे बढती है. उर्मिला और सोनू बिमला के पैर पढ़ते है तो वो दोनों को आशीर्वाद देती है.

बिमला : खुश रहो…और कैसी हो उर्मिला?

उर्मिला : अच्छी हुई मामी .

बिमला : और मेरा सोनू बेटा कैसा है ?

सोनू : अच्छा हूँ मामी…

बिमला : जाओ …अपने मामा जी से मिल लो.

उर्मिला आगे बढ़ कर मोहन के पैर छूती है और मोहन उसे आशीर्वाद देते है, “सदा सुहागन रहो बेटी”. सोनू भी उनके पैर पढता है तो वो उसे भी आशीर्वाद देते है, “जुग-जुग जियो मेरे लल्ला”.

मोहन : सोनू बेटा. अब तू तुझे अपना पुराना साथी गोलू भी मिल गया है. अब तो खूब मस्ती होगी, है ना?

सोनू : हाँ मामाजी…!! अब तो मैं दिन भर गोलू के साथ ही रहूँगा और दोनों खेतों में खूब दौड़ लगायेंगे…

इस बार पर सभी जोर से हँसने लगते है. “हाँ हाँ …. आप लोग मेरे बिना ही हँस लीजिये”. सभी का ध्यान एक साथ उस आवाज़ की और जाता है. दरवाज़े पर एक जवान लड़की चोली और घुटनों से थोडा निचे तक घागरा पहनी हुई खड़ी थी. वो मोहन और बिमला की बड़ी बेटी कम्मो थी. १९ साल की जवान पर एकदम भोली. उसके भोलेपन से मोहन और बिमला उसे ज्यादा घर से बाहर निकलने नहीं देते थे. १६ साल की होने पर तो मानो वो अपना ज्यादा से ज्यादा वक़्त घर में ही बिताया करती थी. घर से बाहर जाना भी पड़े तो मोहन, बिमला या गोलू साथ ही होते थे.

उर्मिला की नज़र कम्मो पर पड़ती है. २ साल पहले जब उर्मिला ने कम्मो को देखा था तब से ले कर अब तक कम्मो का बदन काफी गदरा गया था. चोली में मोटे-मोटे दूध उठ कर दिख रहे थे और चुतड उभरी हुई थी. कम्मो की जवानी पायल की टक्कर की थी. दोनों में सिर्फ येही फर्क था की पायल सायानी थी और कम्मो एकदम भोली. कम्मो मटकती हुई उर्मिला के पास आती है और मुहँ बना कर भोलेपन से कहती है.

उर्मिला : भाभी आपने पहले क्यूँ नहीं बताया की आने वाले हो? मैं आप सब के लिए हलवा बना कर रखती.

बिमला : (हँसते हुए) अभी २ दिन पहले ही हलवा बनाना सिखा है इसने और रोज हलवा बनाने के बहाने ढूंढती रहती है.

उर्मिला : ( हँसते हुए ) तो क्या हुआ मामी. अब बना कर खिला देगी हमे.

उर्मिला कम्मो के सर पर प्यार से हाथ फेरती है. कम्मो की नज़र उमा पर पड़ती है तो वो दौड़ कर उस से लिपट जाती है.

कम्मो : बुआ…आप बहुत गंदे हो. आपने बताया भी नहीं. आज रात ही मैं आप के लिए हलवा बना दूंगी.

उमा प्यार से कम्मो के सर पर हाथ फेरते हुए कहती है.

उमा : हाँ री मेरी प्यारी बिटिया कम्मो, बना देना हलवा. आज हम सब तेरे हाथ का बना हलवा खायेंगे.

कम्मो : फूफा जी और पायल कहाँ है बुआ?

उमा : तेरे फूफाजी के घुटनों में दर्द था इसलिए पायल भी उनके साथ ही रुक गई बेटी.

कम्मो : (उदास हो कर मुहँ बनाते हुए) ये क्या बात हुई बुआ? गोलू तो सोनू के साथ मजे कर लेगा पर मैं पायल दीदी के बिना क्या करुँगी?

उर्मिला : तो तू भी गोलू और सोनू के साथ मजे कर लेना, किसीने रोका है क्या तुझे?

उर्मिला की इस बात पर कम्मो पास खड़े गोलू और सोनू को देख कर बड़ी सी जीभ निकाल कर उन्हें चिढा देती है, “ऊऊऊऊ…….!!”

कम्मो की इस हरकत पर कमरे में हंसी के ठहाके गूंजने लगते है. बिमला उमा से कहती है.

बिमला : अच्छा दीदी, अब आप लोग हाथ मुहँ धो लीजिये और थोडा आराम कर लीजिये. थक गए होंगे.

उमा और उर्मिला बिमला के साथ बातें करते हुए कमरे से बाहर चले जाती है. उनके पीछे कम्मो भी चल देती है. सोनू और गोलू भी हंसी-मज़ाक करते हुए चले जाते है. सब के आ जाने से मोहन भी बहुत खुश नज़र आ रहे थे.

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