अपडेट ३५:
गोलू कम्मो को बदन को जी भर के अच्छे से सूँघता है. कम्मो के पसीने से भरे बदन की गंध से वो पूरी तरह से मदहोश हो चूका था. उर्मिला देख कर समझ जाती है की अब आगे बढ़ने का वक़्त आ गया है.
उर्मिला : सूंघ लिया अच्छे से कम्मो के बदन को?
गोलू : (होश में आते हुए) अ..आ…हाँ भाभी…सूंघ लिया.
उर्मिला :तो अब क्या कर रहा है? बैठ जा एक तरफ.
उर्मिला की बात मान कर गोलू कम्मो के सामने बैठ जाता है. उर्मिला भी कम्मो के ठीक पीछे बैठ जाती है. दोनों हाथों को वो कम्मो के नंगे पेट पर घुमाती हुई कहती है.
उर्मिला : कम्मो, तुम्हारे खेतों से कुछ दूर तेरा भी तो खेत है ना…?
दरअसल जब उर्मिला गाँव आई थी तब ही उसने कम्मो का खेत देख लिए था. आज उसके शैतानी और गंदे दिमाग में कुछ चल रहा था. जो भी चल रहा था वो गोलू के होश उड़ाने वाला था.
कम्मो : (उत्साहित होते हुए) हाँ भाभी. मैं जब १५ साल की थी तब बापू ने वो खेत मेरे लिए लिया था. पर भाभी……..
‘पर भाभी’ कह कर कम्मो गुस्से से गोलू की तरफ देखने लगती है. कम्मो को गुस्से से गोलू की तरफ इस तरह से देखता देख उर्मिला कहती है.
उर्मिला : पर क्या कम्मो..?
कम्मो : भाभी ये गोलू है ना….!! मैंने कितनी बार इस से कहा है की बाकी खेतो के साथ मेरा भी खेत जोत दे पर ये सुनता ही नहीं.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्यूँ रे गोलू? तेरी दीदी अपना खेत तुझसे जुतवाना चाहती है तो तू मना क्यूँ कर देता है?
गोलू : दीदी का खेत तो छोटा है ना भाभी. और वैसे भी बाकी खेतों की जुताई के बाद वक़्त ही नहीं मिल पाता.
उर्मिला : चुप कर भोंदू…!! लगता है तू भूल गया की कम्मो का खेत कैसा है. नहीं तो फट से तैयार हो जाता जुताई के लिए. कम्मो … लगता है गोलू को याद दिलाना पड़ेगा की तेरा खेत कैसा है.
कम्मो : हाँ भाभी… गोलू बहुत दिनों से मेरे खेत की तरफ गया भी नहीं है तू पक्का भूल गया होगा.
उर्मिला : हाँ … लगता तो यही है. तो याद दिला दें इस भोंदू गोलू को की तेरा खेत कैसा है?
कम्मो : (खुश हो कर) हाँ भाभी…!!
उर्मिला : पर कम्मो , इतनी गर्मी में तू अब भी लहंगा पहन के बैठी है? चल उतार दे इसे…
उर्मिला की बात मान कर कम्मो फट से खड़ी हो जाती है और एक ही झटके में उसका लहंगा मचान पर आ गिरता है. मोटी और मांसल जांघो के बीच घने बाल दिखाई देने लगते है जिसे देख कर गोलू एक बार उच्छल पड़ता है. लहंगा उतार कर कम्मो फिर से निचे बैठ जाती है. उसके निचे बैठते ही उर्मिला उसकी टंगे आपस में जोड़ कर बंद कर देती है. सामने बैठा गोलू अपनी नज़रे कम्मो की बंद टांगो के बीच गड़ाए हुए बैठा था.
उर्मिला : तो कम्मो एक बार फिर बता दें गोलू को की तेर खेत कैसा है?
कम्मो : हाँ भाभी…!!
उर्मिला : चल…एक काम कर … तू ही बता दे गोलू को अपने खेत के बारें में. और हाँ … जरा अच्छे से समझाना….ये भोंदू सब भूल गया होगा.
उर्मिला के मुहँ से गोलू के लिए भोंदू शब्द सुन कर कम्मो बहुत खुश होती है. अपने आप को गोलू से ज्यादा समझदार सुन कर वो बड़े गर्व के साथ अपने खेत के बारें में विस्तार से बताना शुरू करती है.
कम्मो : ध्यान से सुन भोंदू गोलू….मेरा जो खेत है वो त्रिकोना (triangle) है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम…..
उर्मिला : सुन लिया ना सोनू….? त्रिकोना खेत है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम…..
ये कहकर उर्मिला धीरे से अपने हाथों से कम्मो की टाँगे खोल देती है. टाँगे खुलने से कम्मो की बालों वाली बूर गोलू को अच्छे से दिखने लगती है. कामो ने जो अपने खेत के बारें में अभी-अभी बताया था और जिसे उर्मिला भाभी ने जोर दे कर दोहराया था वो अब उसे समझ आने लगा था. उसके दिमागे में कम्मो के खेत एक तस्वीर सी आ जाती है और आँखों के सामने कम्मो की बालों वाली बूर. जब वो कम्मो के खेत के वर्णन को सामने दिख रही उसकी बूर से मेल करता है तो बात पूरी तरह से साफ़ हो जाती है. बापू ने जो खेत कम्मो के लिए लिया था वो तो काफी दूरी पर था, पर कम्मो का असली खेत तो उसकी टांगो के बीच और गोलू की नज़रों के सामने था. त्रिकोना, ऊपर घने बाल और दोनों तरफ हलके बाल. गोलू को कम्मो की बूर को घुरते देख उर्मिला कहती है.
उर्मिला : क्यूँ गोलू…? कम्मो के खेत की बनावट तो समझ आ गई ना? कैसी लगी ?
गोलू : (कम्मो की बूर घूरते हुए) ब…बहुत अच्छी है भाभी….
उर्मिला : अच्छा कम्मो…अब जरा गोलू को ये भी बता दे की खेत अन्दर से कैसा है…
कम्मो : हाँ भाभी….!! सुन रे गोलू. घनी घांस से घीरे मेरे त्रिकोने खेत के बीच एक लम्बी सी दरार है. उस दरार के बीच एक गहरा छेद है जो पंप के लिए बनवाया था और उसमे से हमेशा पानी रिसता रहता है.
कम्मो की इस बात पर उर्मिला धीरे से कम्मो की टाँगे और भी ज्यादा खोल देती है.
उर्मिला : कम्मो खुद बता रही है तुझे गोलू. देख ले और समझ ले कम्मो के खेत को…..
उर्मिला जैसे ही कम्मो की टाँगे खोलती है, उसकी बूर के ओंठ खुल जाते है और बूर की दरार फ़ैल जाती है. बूर की दरार से हलकी सी लार बह पड़ती है. अपनी दीदी की बूर का ये नज़ारा देख कर गोलू अब पूरी तरह से बौखला जाता है.
गोलू : हाँ भाभी…!! सीईईईइ…… देख लिया और समझ भी लिया दीदी के खेत को. मैं दीदी के खेत की जुताई करने की लिया पूरी तरह से तैयार हूँ भाभी. कम्मो दीदी…. (हाथ जोड़कर) करवा लो ना मुझसे अपने खेत की जुताई…. मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ दीदी….!!
गोलू की ये हालत देख कर कम्मो, उर्मिला और सोनू हँस पड़ते है.
उर्मिला : क्यूँ कम्मो…!! करवाएगी अपने भाई से अपने खेत की जुतवायी?
कम्मो : हाँ भाभी…क्यूँ नहीं…? मेरा खेत मेरा भाई नहीं तो और कौन जोतेगा?
उर्मिला : देख ले गोलू… तेरी दीदी तो तैयार बैठी है तुझसे अपना खेत जुतवाने के लिए…पर तू इतनी गर्मी में अब भी धोती पहने हुआ है? उतार इसे अभी….
उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से अपनी धोती निकाल फेंकता है. धोती के निकलते ही उसका मोटा लंड छलांग मार कर खड़ा हो जाता है. गोलू का लंड ८ इंच लम्बा ४ इंच मोटा था. जैसे ही गोलू का लंड उच्चल कर खड़ा होता है, उसे देख कर कम्मो की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो पहली बार किसी का लंड देख रही थी. बचपन में वो कई बार गोलू की छोटी सी नुन्नी देख चुकी थी. पर वो इस बात से अनजान थी की वो छोटी सी नुन्नी अब एक मोटे तगड़े विशालकाए लंड का रूप ले चुकी है. इतने सालों बाद गोलू का मोटा लंड देख कर वो हैरान थी.गोलू भी कम्मो की बूर को घूरे जा रहा था. अपनी दीदी की बूर को घूरते हुए उसके लंड के टोपे से लार की २-३ बूंदे फिसल कर लंड पर बहने लगी. कम्मो की नज़र जब लंड पर बहते उस लार की धार पर पड़ी तो वो बोल उठी.
कम्मो : भाभी देखिये….गोलू मचान पर ही पेशाब कर रहा है.
उर्मिला : (हँसते हुए) उसके लंड से जो बह रहा है वो पेशाब नहीं है पगली….
कम्मो : (सर खुजलाते हुए) तो क्या है भाभी…?
उर्मिला : वो तो तेरे लिए गोलू का प्यार है जो उसके लंड से बह रहा है…..
कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) मेरे लिए गोलू का प्यार …??
उर्मिला : हाँ कम्मो…. ये सच है. गोलू के लंड से जो बह रहा है वो उसका प्यार है अपनी दीदी के लिए. जो भाई अपनी बहन से प्यार करता है उसके लंड से ऐसे ही बहन के लिए प्यार बहता रहता है. ध्यान से देख कम्मो… कितना प्यार भरा पड़ा है गोलू के लंड में तेरे लिए.
कम्मो गोलू के लंड को ध्यान से देखने लगती है. उसके लंड से बहती लार वो अपने लिए उसका प्यार समझ कर उसका भी दिल भर आता है.
कम्मो : हाँ भाभी….गोलू मुझसे सच में बहुत प्यार करता है.
उर्मिला : हाँ कम्मो. पर तू ऐसे ही क्यूँ बैठी है? तू क्या अपने भाई के प्यार को ऐसे ही बह जाने देगी?
कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) तू मैं क्या करूँ भाभी ?
उर्मिला : अपने भाई के लंड से बहते प्यार को पी जा कम्मो. अपने भाई के प्यार को ऐसे बर्बाद मत होने दे……
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपनी नज़रे गोलू के लंड पर गडा देती है. वो एक नज़र घुर के गोलू के लंड से बहती लार को देखती है और अगले ही क्षण वो गोलू के लंड पर झुक जाती है. एक हाथ से गोलू के लंड को पकडे, कम्मो अपना मुहँ खोल कर गोलू के लंड को मुहँ में भर लेती है. धीरे-धीरे कामो गोलू के लंड को चुसना शुरू कर देती है. अपनी दीदी को लंड चूसते देख गोलू मस्ती में अपनी आँखे बंद कर लेता है. उर्मिला भाभी को दिल ही दिल में दुआएँ देता गोलू, एक हाथ से कम्मो के मोटे दूध को सहलाने लगता है. गोले के इस तरह से दूध सहलाने से कम्मो के बदन में भी गर्मी आने लगती है. उसका मुहँ अपने आप ही गोलू के लंड पर ऊपर-निचे होने लगता है और लंड का रस उसके गले में उतरने लगता है. पीछे बैठी उर्मिला भी वक़्त ना गवाएं एक ऊँगली कम्मो की बूर में घुसा देती है और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगती है. गोलू और उर्मिला की इस हरकत से कम्मो पूरी मस्ती में आ जाती है. गोलू का लंड जोर-जोर से चूसते हुए वो जीभ निकालकर लंड पर बहते पानी को भी चाट लेती है. गोलू के लंड को फिर एक बार मुहँ में भर कर जैसे ही कम्मो चूसने लगती है, गोलू अपनी कमर धीरे-धीरे ऊपर-निचे करता हुआ कम्मो की मुहँ चुदाई करने लगता है.
ये सारा नज़ारा सोनू अब तक चुप-चाप बैठे देख रहा था. धोती में उसका लंड भी पूरी तरह से तन के खड़ा हो चूका था. गोलू और कम्मो को देख कर उसे पायल की याद तो पहले से ही आ रही थी और अब दोनों को इस तरह से देख उसका अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो गया था. अपनी धोती खोल कर वो उर्मिला के पीछे जा बैठता है. पीछे से उर्मिला की साड़ी उठा के उसकी नंगी चुतड पर लंड रख कर सोनू एक हाथ आगे ले जा कर २ उँगलियाँ बूर में घुसा देता है. सोनू को अपनी बूर में दो उँगलियाँ घुसाते देख उर्मिला भी अपनी टाँगे खोल देती है. मचान पर जो नज़ारा था वो देखने लायक था. गोलू का लंड कम्मो के मुहँ में था और गोलू का हाथ उसके दूध पर. उर्मिला कम्मो की बूर में ऊँगली दे रही थी और उर्मिला की बूर में सोनू. सोनू का लंड उर्मिला की चूतड़ों के बीच रगड़ खा रहा था. कुछ देर चारों की मस्ती ऐसे ही चलती है और फिर उर्मिला बोल पड़ती है.
उर्मिला : गोलू…कम्मो ने तो तेरा प्यार अच्छे से पी लिया, अब तेरी बारी है कम्मो का प्यार पीने की.
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपना सर गोलू के लंड से उठा देती है. सर उठते ही उर्मिला कम्मो की टाँगे पूरी खोल देती है. गोलू की नज़र जैसे ही कम्मो की बूर पर पड़ती है, उसे लार के एक छोटी से धार बहती दिखाई पड़ती है. गोलू आगे झुक कर कम्मो की बूर को एक क्षण ध्यान से देखता है और दुसरे ही क्षण गोलू पूरा आगे झुक जाता है. उसके खुले ओंठ कम्मो की बूर के चारों तरफ चिपक जाते है और जीभ बूर की दरार में घुस जाती है. अपनी बहन की बूर को गोलू पागलों की तरह चूसने लगता है. गोलू की इस हरकत से कम्मो का भी बुरा हाल हो जाता है. भुट्टे का मजा तो उसने कई बार लिया था पर बूर चुस्वाने का आनंद वो पहली बार ले रही थी. अपनी आँखे बंद किये कम्मो पीछे हो कर अपनी पीठ उर्मिला के सीने पर टिका देती है. निचे गोलू अपनी जीभ घुमा-घुमा कर कम्मो की बूर चाते जा रहा था. बीच-बीच में कम्मो भी अपनी कमर को ३-४ झटके दे देती. गोलू और कम्मो की मस्ती देख कर सोनू उर्मिला के कान में धीरे से बोल पड़ा.
सोनू : आपके लिए भी मेरा प्यार लंड से बह रहा है भाभी….
सोनू की बात सुनकर उर्मिला मुस्कुरा देती है. कामो को धीरे से मचान पर लेता कर वो सोनू की तरफ घूम जाती है. सामने सोनू अपना मोटा लंड खड़ा किये बैठा था. धीरे-धीरे अपनी साड़ी खोल क्र उर्मिला पास में डाल देती है और प्यार से सोनू से कहती है.
उर्मिला : लगता है भाई-बहन का प्यार देख कर तुझे भी पायल की याद आने लगी है सोनू…
सोनू : हाँ भाभी….पायल दीदी की बहुत याद आ रही है. देखिये ना…. दीदी की याद में मेरा लंड कैसे झटके खा रहा है.
उर्मिला सोनू के खटके खाते लंड को प्यार से देखती है. धीरे से आगे झुक कर वो सोनू के लंड को हाथ में पकड़ लेती है.
उर्मिला : (लंड को देख कर) क्यूँ रे बदमाश…!! अपनी दीदी की याद में इतने झटके खायेगा…? ठहर जा , तुझे अभी मजा चखाती हूँ…..
ये कह कर उर्मिला सोनू के लंड को एक ही झटके में पूरा निगल लेती है. अपने सर को जोर-जोर से आगे पीछे करते हुए उर्मिला सोनू के लंड को चूसने लगती है. सोनू आँखे बंद किये मस्ती में झूम उठता है और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाते हुए अपना लंड उर्मिला के मुहँ में ठेलने लगता है. कुछ आवाज़े सुन कर कम्मो अपना सर घुमाती है तो पीछे का नज़ारा देख कर उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. कुछ क्षण उर्मिला को सोनू का लंड चूसते हुए वैसे ही देखने के बाद कम्मो को कुछ समझ आता है और वो बोल पड़ती है.
कम्मो : भाभी आप भी सोनू का प्यार पी रही हो क्या?
कम्मो की बात सिन कर उर्मिला अपना सर उठा कर कहती है.
उर्मिला : हाँ कम्मो…सोनू का प्यार भी बह रहा था ना….तो बस मैं चूस रही हूँ….
तभी गोलू अपनी पूरी जीभ कम्मो की बूर में ठूँस देता है तो कम्मो कसमसाते हुए कराह उठती है, “उफ्फ्फ …. गोलू”. कम्मो को पूरी मस्ती में आता देख उर्मिला गोलू को इशारा करती है. गोलू कामो की टाँगे दोनों हाथों से खोल कर उसकी खुली टांगों के बीच आ जाता है. उसका मोटा लंड ठीक कम्मो की बूर की फांक पर लगा हुआ है. निचे लेटी कम्मो सर उठा के गोलू के लंड को अपनी बूर के मुहँ पर देखती है. उसकी सांसे तेज़ हो चुकी है.
दोनों भाई-बहन की नज़रे आपस में मिलती है. दोनों ही एक दुसरे के बदन से निकलती गर्मी को महसूस कर रहे थे. उर्मिला मुस्कुराकर ये नजारा देख रही थी. अब वो वक़्त आ चूका था. चाँदनी रात थी और रात के सन्नाटे में दूर कहीं रेडियो बज रहा था जिसकी हलकी सी आवाज़ मचान तक आ रही थी. कम्मो निचे नंगी लेटी हुई थी और गोलू भी नंगा उसकी टांगों के बीच अपना लंड बहन की बूर पर सटाये बैठा था. रेडियो के गाने की हलकी सी आवाज़ सबके कानो में पड़ती है,
“अब.. हिले परती परलsssss….! खेतवा हमार बाटेsssss….! आज जोतवावेका….तोहरे से विचार बाटेsssss…..!
मेहनत काराईब भलेsssss….छूटी पसीनवा …. खेतवा जोता हो किसनवा…..खेतवा जोता हो किसनवा…….!!”