अपडेट १७:
पायल दौड़ती हुई अपने कमरे मैं आती है. आज जो उसने सोनू के कमरे में देखा था वो उसने सपने भी नहीं सोचा था. अपने ही छोटे भाई को उसकी बूर के लिए ऐसे तड़पते देख पायल का मन भी मचलने लगा था. अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर, पायल बिस्तर पर लेट जाती है. खुली हुई आँखों से वो सोनू को अपना लंड हाथ में लिए उसकी जवानी के लिए तड़पता देख रही है. उर्मिला ने उसे सीख दी थी की बूर को बस लंड चाहिए, फिर चाहे वो किसी का भी हो. लेकिन पायल अब उस से कहीं ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी. लंड और बूर के बेनाम रिश्ते में अब नाम जुड़ने लगे थे. उसकी बूर को लंड तो चाहिए था पर वो लंड अब उसके पापा और भाई का था. समाज के लिए जो पाप था, पायल के लिए वो अब परमसुख पाने का आधार बन चूका था. अपने ही ख्यालों में खोयी हुई, पापा और सोनू की याद में, पायल की आँखे बंद होती है और वो नींद की आगोश में चली जाती है.
शाम का समय : ६:३० बज रहे है.
ड्राइंग रूम में हंसी-मज़ाक का माहोल है. ठहाकों से कमरा गूँज रहा है. सोफे पर पायल उमा के साथ बैठी हिया और ठीक सामने सोनू लेटा हुआ है. बगल वाले सोफे पर उर्मिला बैठी हुई है. पायल और उमा के बीच थोड़ी दुरी है. बीच-बीच मैं पायल मौका देख कर अपनी स्कर्ट ऊपर कर टाँगे हलकी सी खोल देती तो उसकी गोरी गोर जांघे और बुर पर कसी हुई पैन्टी देख कर सोनू की हालत खराब हो जाती. सोनू टांगो के बीच कुशन को दबाये लेटा हुआ है. पायल की बालोंवाली फूली बूर पर कसी हुई पैन्टी को घूरते हुए वो ख्याली पुलाव पका रहा है. कभी वो अपने आप को पायल की जांघो के बीच बैठे उसकी बूर चुसता हुआ देखता है तो कभी उसकी फैली हुई जांघो के बीच अपना लंड ठूँसते. अपने ख्यालों में वो कई बार पायल की बूर में झड़ चूका है. इन्हीं हंसी मजाक, ठहाकों और सपनों के बीच रमेश बाहर से टहलता हुआ वहाँ आता है.
रमेश : क्या हो रहा है भाई? हमे भी तो बताओ…
उमा : कुछ नहीं जी…बस ऐसे ही कल की शादी वाली बातें याद कर रहे थे…
रमेश : (हँसते हुए) वैसे उस शादी में ऐसा कुछ था तो नहीं …… (फिर पायल की और देख कर) पर कुछ बातें तो याद की ही जा सकती है.
रमेश की बात सुन पायल थोडा शर्मा जाती है. रमेश पायल की आँखों में देखता है जैसे कुछ बात कर रहा हो और फिर घूम कर छत की सीढ़ियों की तरफ चल देता है. उर्मिला बाप-बेटी के इशारे खूब समझती है. वो पायल की तरफ देखती है तो पायल उठने को तैयार है. उर्मिला भी समझ जाती है की आगे क्या होने वाला है और वो चुप रहना ही ठीक समझती है. पायल उठ के उर्मिला से कहती है.
पायल : भाभी मैं जरा छत पर से ठंडी हवा खा कर आती हूँ. यहाँ बैठे बैठे गर्मी हो रही है.
उमा : अरे पायल तू छत पर जा ही रही है तो आते हुए अचार की बरनी ले कर आ जाना.
पायल : ठीक है मम्मी….
पायल धीरे धीरे छत पर जाने लगती है. छत पर पहुँचते ही पायल की नज़र पापा पर पड़ती है जो हाथ पीछे बांधे हुए टहल रहे है. पायल मुसकुराते हुए धीरे धीरे पापा के पास से गुजरती है तो पापा उसकी कलाई पकड़ लेते है.
रमेश : कहाँ जा रही है मेरी बिटिया रानी?
पायल : (शर्माते हुए) कहीं नहीं पापा…बस ऐसे ही छत पर ठंडी हवा खाने आई थी…
रमेश : पायल को धीरे से अपने पास खींचते है और अपना हाथ उसकी टॉप के निचे से उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए घुमाने लगते है.
रमेश : कल रात मेरी बेटी बहुत थक गई थी ना?
पायल : हाँ पापा…बहुत थक गई थी. सारा बदन जैसे टूट सा गया था….
रमेश : तो मुझे बुला लेती ना बिटिया….पापा तेरे बदन को दबा कर दर्द मिटा देते (पायल की कमर को धीरे से दबाते हुए).
पायल : (शर्माते हुए) ठीक है पापा…अगली बार दर्द करेगा तो आपको बुला लुंगी…
रमेश : और कभी पेशाब जाना हो तो बुलाएगी अपने पापा को?
पायल : (रमेश की आँखों में देखती है फिर शर्माते हुए) पेशाब तो मैं करुँगी ना पापा, तो आप आ कर क्या करोगे ?
रमेश : (टॉप के अन्दर अपने हाथ को उसकी नंगी पीठ पर घुमाते हुए) बता दूँ की पापा क्या करेंगे?
पायल : (तेज़ साँसों से) हाँ पापा…बताइए ना…
रमेश छत पर नज़र दौडाते है. एक कोने में उन्हें लकड़ी का छोटा सा टेबल दिखाई देता है. वो पायल का हाथ पकड़ के टेबल के पास जाते है और बैठ जाते है.
रमेश : आजा बिटिया…पापा की गोद में बैठ जा…
पायल मुस्कुराते हुए अपनी चौड़ी चुतड पापा की गोदी में रख देती है. उसकी पीठ पापा की सक्त छाती पर चिपक जाती है, दोनों टाँगे पापा की टांगो के बीच है. रमेश धीरे से अपने हाथो को पायल की की जांघो के निचे डाल कर पकड़ लेते है.
रमेश : (निचे से पायल की जांघो को पकड़े हुए) मेरी पायल जब पेशाब करने जाएगी तो पापा उसे पीछे से पकड़ के अपनी गोद में उठा लेंगे…ऐसे…
कहते हुए रमेश पायल की जाँघों को पकड़ के ऊपर उठा लेते है. पायल की पीठ पापा के सीने पर रगड़ खाते हुए ऊपर हो जाती है और पायल का सर पापा के कन्धों पर आ जाता है. पायल अपनी गर्दन पापा के कंधो पर टिका देती है. पापा ने पायल को जांघो से पकड़ के ऊपर उठा रखा है. वो पायल के कान में धीरे से कहते है.
रमेश : फिर पापा अपनी बिटिया रानी की टाँगे खोल देंगे….ऐसे…..
कहते हुए रमेश पायल की जांघो को पकडे हुए खोल देते है. पायल की टाँगे हवा में पूरी खुल जाती है. उसकी स्कर्ट तो पहले ही कमर तक आ गई थी और अब टाँगे खुलने से बूर पर चिपकी पैन्टी सिमट कर बूर की फैली हुई दरार में घुस जाती है. उसकी पैन्टी अब बूर की फाकों के बीच घुसी हुई है और दोनों तरफ उभरी हुई फांकें और घने घुंगराले बाल दिख रहे है. पायल की टाँगे वैसे ही फैलाए पापा धीरे से उसके कान में कहते है.
रमेश : फिर मेरी पायल बेटी क्या करेगी?
पायल : (मस्ती में आँखे बंद किये हुए) पेशाब करेगी पापा….ढेर सारी पेशाब….!!
रमेश : (अपनी गर्म साँसे पायल की गर्दन पर छोड़ते हुए) आह्ह्ह….!! मोटी धार वाली पेशाब करेगी ना मेरी बिटिया रानी..?
पायल : (सिसकते हुए) सीईईईइस्स्स्स…!! हाँ पापा….!!
रमेश : और कभी पापा का दिल हुआ तो मेरी पायल पापा के सामने बैठ के टाँगे खोल कर पेशाब करेगी…?
पायल : (पायल आँहें भरते हुए) हाँ पापाsss..!! मैं अपनी टाँगे खोल कर बैठ जाउंगी और आपके सामने पेशाब करुँगी….आप खुद ही देख लेना की पेशाब की धार कितनी मोटी है….
रमेश : ओह मेरी बिटिया रानी…!!
रमेश पायल को निचे अपनी गोद में फिर से बिठा देते है और दोनों हाथों से उसकी जांघों को सहलाते हुए धीरे से उसकी टॉप में निचे से घुसा देते है. रमेश का हाथ पायल के नंगे पेट को सहलाता हुआ जैसे ही बड़े बड़े दूध के निचले हिस्से पर लगता है, पायल का बदन एक हलका झटका लेता है और चुचियाँ उच्छल जाती है.
रमेश : क्या हुआ पायल?
पायल : (तेज़ साँसों से) कुछ नहीं पापा….!!
रमेश अब पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों के निचले हिस्से पर हाथ फेरने लगते है.
रमेश : मेरी पायल ने आजकल ब्रा पहनना बंद कर दिया है…है ना?
पायल : आह….!! हाँ पापा….! बहुत गर्मी होती है, और मेरी कुछ ब्रा छोटी हो गई है और कुछ ज्यादा ही बड़ी है. इसलिए मैं आजकल ब्रा नहीं पहनती…
पायल की बात सुन कर रमेश उसके बड़े-बड़े दूधों को पंजों में भर कर धीरे से दबा देते है ठीक वैसे ही जैसे कोई ग्वाला गाय के थानों को दूध निकालने से पहले दबाता है.
रमेश : बहुत गर्मी भर गई है मेरी पायल के बदन में. लगता है किसी दिन पापा को सारी गर्मी निकालनी पड़ेगी.
पायल : (पापा की इस हरकत से सिसिया जाती है) स्स्सीईईईइ….!! पापा….!!
रमेश : (पायल के दोनों दूधों पर हाथ घुमाते हुए) पापा अपनी बिटिया रानी के दोनों दूधों को ऐसे ही दबा के रोज मालिश करेंगे तो कुछ ही दिनों में वो सारी बड़ी ब्रा एकदम फिट आने लगेगी….करवाएगी ना मेरी पायल अपने पापा से रोज मालिश ?
पायल : (आँखें बंद करके) हाँ पापा…!! करवाउंगी….!!
बाप-बेटी की रासलीला अपने जोरो पर थी. दोनों उस अपूर्व आनंद में खोये हुए थे की तभी पापा को सामने वाली छत पर कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ आते हुए दिखाई देते है. रमेश झट से अपने हाथ पायल की टॉप से निकाल लेते है. पायल भी आँखे खोल देती है. सामने लोगों को छत पर देख वो झट से अपनी टॉप और स्कर्ट ठीक करती है. खड़ी हो कर अपने बालों को ठीक करते हुए वो छत के बीचों-बीच आ जाती है. रमेश भी धीरे से अपनी धोती ठीक कर, लंड को किसी तरह से छुपाते हुए वहां से उठ कर पायल से थोड़ी दुरी पर खड़े हो जाते है. पायल एक बार पास वाली छत पर आये लोगों को देख कर मन में गालियाँ देती है और फिर पास रखी अचार की बरनी उठा के जाने लगती है. पीछे से रमेश धीरे से कहते है.
रमेश : संभाल कर ले जाना पायल, कही बरनी टूट ना जाए….आगे तेरा ही मन करेगा खट्टा अचार खाने को…..
रमेश की बात सुन कर पायल मुस्कुराते हुए सीढ़ियों से उतरने लगती है की तभी पापा की कही बात उसकी समझ में आती है. “खट्टा अचार खाने का मन”…पायल सोचती है और उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. वो अपने आप ही मुस्कुराते हुए निचे जाने लगती है.
निचे आकर पायल टेबल पर अचार की बरनी रखती है और उर्मिला के पास जा कर बैठ जाती है. पायल के दूसरी तरफ सोनू बैठा हुआ है.
उर्मिला : खा ली ठंडी हवा?
पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ खा ली…
उर्मिला और पायल इशारों में बातें करने लगते है और बाबूजी भी निचे आ जाते है.
रमेश : चलो भाई…अब मैं भी तुम लोगों के साथ थोड़ी गैप-शप कर लूँ….
रमेश जैसे ही सोनू के पास बैठने को होते है, घर की बिजली चली जाती है. घर में गुप्प अँधेरा छा जाता है.
उमा : धत्त..!! इसे भी अभी ही जानी थी…
सोनू : मम्मी … लगता है सिर्फ हमारे घर की ही गई है. बाकी घरों में तो है.
सोनू अपना फ़ोन टेबल से उठाने के लिए हाथ बढ़ता है तो कांच का गिलास निचे गिर के फूट जाता है.
उमा : क्या हुआ ये?
सोनू : वो..वो..मम्मी…मेरे हाथ से कांच का गिलास गिर गया..
उमा : क्या कर रहा है लल्ला….अब कोई भी अपनी जगह से नहीं हिलेगा. पैर में काच चुभ गया तो बस….ढूढ़लो अँधेरे में दवाई. और आप कहाँ है जी?
रमेश : येही बैठा हूँ…
उमा : आप फिर से कहीं बिजली का बिल भरना तो नहीं भूल गए?
रमेश : याद नहीं उमा..
उमा : तो जाइये…बिजली विभाग में जा कर पता करिए…और ना भरा हो तो कुछ भी करवा के बिजली लाइए नहीं तो आज की रात तो बर्बाद हो गई समझो….
रमेश : हाँ..हाँ .. जाता हूँ…
उमा : संभल कर…कांच पड़ा होगा ज़मीन पर….
रमेश : चप्पल डाल रखी है मैंने उमा….
रमेश अँधेरे में सहारा लेते हुए बाहर निकल जाते है. सोनू धीमी आवाज़ में उमा से कहता है.
सोनू : मम्मी….मैं फ़ोन का टोर्च जला दूँ?
उमा : रहने दे लल्ला… कोई जरुरत नहीं है. पता नहीं फिर क्या तोड़ देगा. कुछ देर अँधेरे में रह लेने से कोई पहाड़ नहीं गिर जायेगा. बैठे रहो सब लोग…कोई कुछ नहीं करेगा.
उमा का आदेश मतलब पत्थर की लकीर. सभी चुप-चाप बैठ जाते है. कमरें में गुप्प अँधेरा है तभी सोनू का पैर गलती से पायल के पैर पर लग जाता है. पायल धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर दे मारती है.
सोनू : मम्मी…दीदी मुझे पैर मार रही है.
उमा : फिर शुरू हो गया तुम दोनों का? कम से कम अँधेरे में तो शांत रहो.
पायल : नहीं मम्मी…पहले इसने पैर मारा था…
उमा : जो करना है करो, लड़ो-मरो …बस मेरा दिमाग मत खाओ तुम दोनों…
उमा आँखे बंद किया अपने सर पर हाथ रख के सोफे पर लेट जाती है. इधर पायल धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर घुमाने लगती है. पायल की इस हरकत से सोनू भी चुप-चाप हो जाता है. पायल अपने पैर को धीरे-धीरे सोनू के पैर पर रगड़ते हुए ऊपर ले जाने लगती है और उसकी जांघो के पास सहलाने लगती है. सोनू की पतलून टाइट होने लगती है. सामने मम्मी सो रही है पास में उसकी बहन की ये हरकत, उसके अन्दर डर और उत्त्साह की मिलीजुली अनुभूति जगती है. पायल अब अपना पैर सोनू की जांघो के बीच उसके खड़े लंड पर रख देती है. सोनू किसी तरह अपने मुहँ से पायल का नाम निकलने से रोकता है. धीरे-धीरे अपने पैरों से सोनू के लंड पर दबाव डालते हुए पायल लंड की कसावट को महसूस करती है.
उर्मिला ये सब देख तो नहीं पा रही लेकिन दोनों के बहुत करीब होने की वजह से समझ जरूर रही है. कुछ क्षण गौर से देखने के बाद उर्मिला सारा माजरा समझ जाती है. वो धीरे से पायल के कान में फुसफुसाती है.
उर्मिला : (पायल के कान में फुसफुसाते हुए) येही मौका है…चख ले अपने भाई का केला….(कहते हुए उर्मिला पायल का एक निप्पल मसल देती है)
पायल पहले से ही बदन में गर्मी लिए घूम रही थी. पापा ने उसकी आग भड़का दी थी और अब उर्मिला की इस हरकत ने तो मानो आग में घी का काम कर दिया था. वो धीरे से निचे उतर कर सोनू के पैरों के बीच जा कर बैठ जाती है. उसके हाथ सोनू के शॉर्ट्स को ऊपर से पकड़ लेते है. सोनू समझ जाता है की ये कोई और नहीं उसकी अपनी दीदी है. वो चुप-चाप सोफे पर सर रख के आँखे बंद कर लेता है और अपनी कमर ऊपर उठा देता है. पायल एक झटके से सोनू की शॉर्ट्स खींच के घुटनों तक उतार देती है. सोनू का लंड झटके के साथ ऊपर उठता हुआ उसके पेट से जा टकराता है और लंड से कुछ चिप-छिपे पानी की बूंदे पायल के चेहरे पर पड़ जाती है. पायल सोनू के लंड को हाथ से पकड़ कर आगे लाती है और चमड़ी को पूरी निचे कर देती है. अपनी नाक लंड पर ले जा कर वो पहले उसके मोटे टोपे को सूंघती है. तेज़ गंध से पायल मदहोश हो जाती है. अब पायल सोनू के लंड के टोपे पर जीभ घुमाने लगती है. सोनू तो मानो जन्नत की सैर ही करने लगता है. जो सपना वह हमेशा देखा करता था आज वो सच हो गया था. उसकी अपनी दीदी उसके लंड से प्यार कर रही थी. पायल सोनू के लंड पर अपने ओठों को रखती है और धीरे-धीरे उसके ओंठ लंड के टोपे पर फिसलते हुए उसे मुहँ के अन्दर लेने लगते है. अपनी आदत से मजबूर सोनू पायल का नाम लेने लगता है….
सोनू : पा…. (की तभी एक हाथ उसका मुहँ बंद कर देता है. वो हाथ उर्मिला का था)
उर्मिला सोनू के मुहँ पर हाथ रख कर सोफे के पीछे उसके सर के पास खड़ी है. सोनू आँखे खोल के गौर से देखता है तो उसे उर्मिला की एक छबी सी दिखाई देती है. वो समझ जाता है की वो उर्मिला भाभी ही है. उर्मिला धीरे-धीरे अपना हाथ उसके मुह पर से हटाती है. सोनू चुप-चाप मुहँ बंद किये उर्मिला को देखने की कोशिश करने लगता है. तभी उर्मिला उसे झुकती हुई दिखाई देती है और इस से पहले की वो कुछ समझ पाता उर्मिला की एक चूची उसके मुहँ में घुस जाती है. सोनू की आँखे बंद हो जाती है. ऊपर उसके मुहँ में भाभी की चूची और नीचे बहन के मुहँ में उसका लंड. सोनू की तो मानो आज लोटरी ही लग जाती है. वो उर्मिला की चूची किसी बच्चे की तरह चूसने लगता है.
निचे पायल पूरे जोश में है. वो सोनू के लंड को मुहँ में भर कर किसी लोलीपोप की तरह चुसे जा रही है. निचे हाथ को लंड पर घुमाते हुए वो चमड़ी निचे कर दे रही है और लंड को चूस रही है. बीच बीच में पायल अपने सर को स्थिर कर के धीरे-धीरे सोनू के लंड पर दबा देती और मुहँ की गहराई तक ले लेती. २-३ बार ऐसा करने के बाद पायल अब लंड को और ज्यादा मुहँ के अन्दर लेने लगी है. सोनू उर्मिला की चूची चूसते हुए कभी-कभी अपनी कमर उठा देता. पायल ने फिर से अपना सर स्थिर किया और उसके लंड को धीरे-धीरे मुहँ की गहराई में लेने लगी. पायल लंड को मुहँ में लेते हुए इतना निचे चली गई की उसका नाक सोनू के लंड की जड़ पर उगे बालों में घुस गई. अब सोनू का ९ इंच का लंड पायल के मुहँ में गले तक जा पहुंचा था. पायल कुछ क्षण वैसे ही लंड गले तक लिए रखती है फिर झटके से अपना सर उठा देती है. उसके मुहँ से लार और लंड का पानी बहने लगता है. अपने ही सगे भाई के लंड के साथ ऐसा कर के पायल को अजीब सा मज़ा आ रहा है और बूर तो बस पानी छोड़े जा रही है.
सोनू का तो बुरा हाल हो चूका था. अब वो अपने आप को और रोक नहीं सकता था. वो समझ गया था की उसका लंड अब कभी भी पानी छोड़ सकता है और दीदी के मुहँ में एक बूँद भी गिर गई तो उसकी खैर नहीं. वो अपने हाथ को निचे ले जा कर लंड पकड़ता है और उसे पायल के मुहँ से निकलने की कोशिश करता है. पायल समझ जाती है की सोनू अब झड़ने वाला है और इसलिए लंड निकालने की कोशिश कर रहा है. पायल अपने मुहँ में सोनू का लंड लिए, अन्दर की सारी हवा फेफड़ों में खींच लेती है. मुहँ के अन्दर ‘वैक्यूम’ बन जाने से सोनू का लंड पायल के मुहँ के अन्दर खीचता चला जाता है. सोनू एक बार फिर लंड निकालने की कोशिश करता है लेकिन लंड तो मानो पायल के मुहँ में फंस सा गया है. हार कर सोनू अपने लंड को जैसे ही ढीला छोड़ता है, उसका लंड पायल के मुहँ में पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. लंड से निकलती हर पिचकारी पायल के गले से टकराती हुई अन्दर जाने लगती है. पायल गटा-गट हर पिचकारी को पीने लगती है. ८-१० पिचकारियाँ पायल के मुहँ में छोड़ने के बाद सोनू का लंड ढीला पड़ जाता है. पायल आखरी बार सोनू के लंड को जोर से चुसती है और बचा हुआ पानी भी पी लेती है. अपने मुहँ को पोंछते हुए पायल धीरे से अपनी जगह पर आ कर बैठ जाती है. उर्मिला भी धीरे से अपने ब्लाउज के हुक लगाते हुए पायल के साथ बैठ जाती है.
सोनू एक चुसे हुए आम की तरह सोफे पर पड़ा है. शॉर्ट्स के अन्दर उसका लंड खर्राटे भर रहा है. तभी बाबूजी की आवाज़ आती है.
रमेश : उमा…!! उमा..!!
उमा, जो अब तक सोफे पर पड़े हुए सो रही थी, उसकी आँखे खुल जाती है.
उमा : (हडबडाते हुए) आ…हाँ…क्या हुआ जी?
रमेश : अरे उमा…मैं बिजली का बिल भरना ही भूल गया था. बिजली विभाग में अभी बात कर के आ रहा हूँ. उन्होंने कहा है की बिजली तो आ जाएगी पर थोडा वक़्त लगेगा.
उमा : लो…!! देख लिया लापरवाही का नतीजा..? अब रहो अँधेरे में.
उर्मिला : रुकिए मम्मी जी…मैं बत्ती का कुछ इंतज़ाम करती हूँ.
उर्मिला किसी तरह टटोलते हुए रसोई में जा कर माचिस जलती है और एक मोमबत्ती जलाकर टेबल पर रख देती है. रूम में थोड़ी रौशनी हो जाती है. मोमबत्ती की रौशनी में सोनू पायल को देखता है. पायल के चेहरे पर चमक है और वो सोनू को देखते हुए धीरे से आँख मार देती है.
अपडेट १८:
घर में बिजली अब भी नहीं आई है. रसोई, ड्राइंग रूम और खाने की टेबल पर मोमबत्तियां जल रही है. रात के ८:३० बज चुके है. उमा, उर्मिला और पायल सोफे पर बैठे बातें कर रहे है. पास ही सोनू सोया हुआ है. आज पायल ने कुछ देर पहले जो उसका हाल किया था, बेचारा गर्मी में भी निढ़ाल हो कर सो रहा है. पापा खाने की टेबल पर पुरानी फाइल में बिजली के बिल देख रहे है.
रमेश : कोई मुझे एक कप चाय पिलाएगा?
उमा : हाँ भाई, कोई चाय पिला दो इन्हें. इतना बड़ा काम जो किया है…
रमेश : अरे उमा… हो गई गलती. अब क्या मैं बिजली के खम्बे पर चढ़ जाऊं?
उमा : ना..ना..जी. ऐसा मत करियेगा. अभी तो सिर्फ हमारे घर की बिजली गई है. आप खम्बे पर चढ़ गए तो पता चला की सारे शहर की बिजली चली गई.
उमा की इस बात पर उर्मिला और पायल मुहँ दबा के हंसने लगती है. उमा भी दोनों को देख कर पल्लू अपने मुहँ पर रख कर हँसने लगती है..
उमा : (मुस्कुराते हुए) अच्छा अच्छा…बना दो इनके लिए चाय…
उर्मिला उठने लगती है तो पायल कंधे पर हाथ रख के बिठा देती है.
पायल : आप रहने दीजिये भाभी…मैं बना देती हूँ..
उर्मिला पायल को देख कर मुस्कुरा देती है और पायल रसोई में चली जाती है. रसोई में गैस जला कर वो चाय का बर्तन चढ़ा देती है. तभी पायल की नज़र पापा पर पडती है. रमेश पायल को घूरते हुए देख रहे है. उनकी नज़र बार-बार पायल के चौड़े चूतड़ों पर जा कर टिक जा रही है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड उठा कर खड़ी हो जाती है. उसकी उभरी हुई चुतड देख के रमेश से रहा नहीं जाता.
रमेश : अरे उमा…मोमबत्तियाँ कहाँ रखी है? एक मोमबत्ती की रौशनी में पढ़ना मुश्किल हो रहा है..
उर्मिला : रसोई में रखी है बाबूजी. रुकिए मैं ला देती हूँ…
रमेश : नहीं नहीं बहु…मैं खुद ले लेता हूँ. तुम उमा के साथ बातें करो…
पायल समझ जाती है की अब पापा उसके पास आने वाले है. वो एक ऊँगली मुहँ में ले कर शर्माते हुए नाख़ून चबाने लगती है. रमेश उठ कर रसोई में आते है. एक नज़र उमा और उर्मिला पर डाल कर वो पायल की चूतड़ों को स्कर्ट के ऊपर से दबा देते है. पायल चुप-चाप मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है. रमेश मोमबत्ती ढूंढने का नाटक करते हुए पायल की स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चुतड को पंजों में भर कर दबा देता है. पायल बिना कुछ कहे पापा को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर नज़रे चाय के बर्तन पर जमा देती है. रमेश इस बार पायल के पीछे खड़े हो कर धोती के ऊपर से अपना लंड पायल की चूतड़ों के बीच सटा कर दबा देते है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड पीछे कर के पापा के लंड पर दबाव डाल देती है. रमेश झट से अपना लंड धोती से बहार निकालते है और पायल की स्कर्ट उठा के चूतड़ों के बीच ठेल देते है. पापा का लंड पैन्टी के ऊपर से उसके गांड के छेद से टकरा जाता है. पायल उच्छल जाती है और उसके मुहँ से आवाज़ निकल जाती है…
पायल : आह्ह्हह्ह…..!!!
उमा : (ड्राइंग रूम से) क्या हुआ पायल? चोट लग गई क्या?
पायल सँभलते हुए अपनी स्कर्ट ठीक करती है. रमेश भी झट से एक मोमबत्ती ले कर रसोई से बाहर जाने लगते है.
पायल : कुछ नहीं मम्मी. चाय के बर्तन से हाथ जल गया…
उमा : ध्यान से काम किया कर ना…जैसा बाप, वैसी बेटी…
उर्मिला इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा देती है. रमेश फिर से खाने की टेबल पर दूसरी मोमबत्ती जलाकर बैठ जाते है. रसोई में पायल पापा के लिए कप में चल डाल देती है. पापा की नज़रे अब भी पायल पर ही है. पायल देखती है की पापा अब भी उसे घुर के देख रहे हैं तो उसके दिमाग में बदमाशी सूझती है. वो पापा को देखते हुए धीरे से अपनी टॉप ऊपर उठा देती है और अपने बड़े-बड़े दूध दोनों हाथों से पकड़ लेती है. पायल को अपने नंगे दूध इस तरह से पकडे देख, रमेश की हालत ख़राब हो जाती है. पायल अपने दोनों दूधों को पकडे चाय के प्याले के ठीक ऊपर ले जाती है और जोर से दबा देती है जैसे वो पापा की चाय में अपना दूध डाल रही हो. पायल की इस हरकत से पापा धोती में हाथ डाल कर लंड दबा देते है. फिर पायल अपनी टॉप निचे कर, चाय का प्याला लिए पापा के पास आती है.
पायल : पापा आपकी चाय…
रमेश : (पायल को देख, मुस्कुराते हुए चाय की एक चुस्की लेते है) हुम्म्मम्म…!! वाह..!! मज़ा आ गया पायल. ऐसी दुधिया चाय तो मुझे सिर्फ तू ही पिला सकती है. लगता है खुल के दूध डाला है चाय में.
पायल : (मुस्कुराते हुए) घर का ताज़ा-ताज़ा दूध है पापा, मज़ा तो आएगा ही.
दोनों बाप-बेटी एक दुसरे के बदन की आग भड़काने में लग जाते है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो जान बुझ के उमा से कहती है.
उर्मिला : मम्मी जी…चलिए ना…छत पर चलते है. एक जगह बैठे-बैठे कमर दुःख रही है.
उमा : हाँ उर्मिला…छत पर ही चलते है. हवा भी अच्छी चल रही है. आप भी चलिए….
रमेश : अरे नहीं उमा…मैं ये कागज़ का काम पूरा कर लूँ…
उमा : पायल तू चल…
पायल : नहीं मम्मी…मैं अपने रूम में जा रही हूँ…थोडा अराम करती हूँ…
उमा : ठीक है. जैसी मर्ज़ी. चल उर्मिला…हम दोनों ही चलते है.
उर्मिला : मम्मी आप चलिए…मैं बस २ मिनट में आई.
उमा धीरे-धीरे सीढ़ियों से छत पर जाने लगती है. पायल अपने कमरे की तरफ जाती है तो उर्मिला उसके पीछे आ जाती है. पायल की चुतड पर एक चपत लगते हुए.
उर्मिला : हाय मेरी ननद रानी…आजकल तो पापा से खूब बातें हो रही है.
पायल : हाँ भाभी…पापा भी बदन में आग ही लगा देते है.
उर्मिला : देख पायल, तू तो जानती है ना की तेरे पापा तुझे नंगी करके खूब पटक-पटक के चुदाई करना चाहते है…
पायल : हाँ भाभी…जानती हूँ…
उर्मिला : तो मेरी प्यारी ननद जी…कुछ करिए…
पायल : आप बताईये ना भाभी…
उर्मिला : सब कुछ मैं ही बताउंगी तो मेरी पायल क्या करेगी? बाबूजी का लंड भी मैं अपनी ही बूर में डलवा लूँ?
पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी….!! डलवा लो. दोनों ननद-भाभी नंगी हो कर पापा से खूब बूर चुदवाएंगे….
उर्मिला : (पायल के गाल पर धीरे से चपत लगते हुए) मेरी ननद रानी…पापा अपनी बहु-बेटी की एक साथ बूर चोदेंगे तो वो जोश में लंड का पानी हम दोनों की बुरों में गिरा देंगे.
पायल : (उर्मिला का हाथ ख़ुशी से पकड़ते हुए) तो हम दोनों अपनी बुरों में गिरवा लेंगे ना भाभी… ये भी तो सोचिये की मज़ा कितना आएगा….जरा सोचिये तो….आप और मैं एक साथ बिस्तर पर टाँगे खोले, अपनी फूली हुई बुरों को फैलाये लेटी हैं और बाबूजी बारी-बारी हम दोनों की बूर चोद रहे है.
उर्मिला : अच्छा ठीक है बाबा…हम दोनों बाबूजी का लंड साथ में ले लेंगी….लेकिन पहले तू तो कुछ कर…
पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी…करती हूँ….
उर्मिला : अच्छा अब मैं चलती हूँ…सोनू अभी सो रहा है. मैं मम्मी जी को छत पर कुछ वक़्त तक रोके रखूंगी…ठीक है?
पायल : ठीक है भाभी….
उर्मिला वहां से चली जाती है. रमेश उर्मिला को छत पर जाते हुए देखते है तो वो धीरे से उठ कर पायल के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है.
पायल अपने कमरे में बिस्तर पर टाँगे खोल कर लेती है. उसकी स्कर्ट जांघो तक है और पैन्टी दिख रही है. वो अपने फ़ोन में कुछ देख रही है और फ़ोन की रौशनी से उसका चेहरा चमक रहा है. तभी उसे पापा की आवाज़ आती है.
रमेश : क्या कर रही है मेरी पायल?
पापा की आवाज़ सुन कर पायल खुश हो जाती है. वो मुस्कुराते हुए जवाब देती है.
पायल : कुछ नहीं पापा…बस ऐसे ही लेट कर फ़ोन के साथ वक़्त बिता रही हूँ…
रमेश चलते हुए पायल के पास आते है और उसकी पास बैठ जाते है. अपने हाथों से वो पायल की जाँघों को सहलाने लगते है. धीरे-धीरे रमेश के हाथ पायल की जांघो पर फिसलते हुए जाँघों की जड़ों तक चले जाते है और पायल की पैन्टी को छूने लगते है.
रमेश : पायल…पापा का बड़ा मन करता है….
पायल : क्या मन करता है पापा?
रमेश : येही की अपनी पायल बिटिया को खूब प्यार करें….
पायल : मन तो मेरा भी बहुत करता है की आप मुझे दिन रात प्यार करें पापा….
रमेश : पापा का प्यार बहुत बड़ा है बेटी… और तुझे देख कर तो मेरा प्यार और भी बड़ा हो जाता है…
पायल : सच पापा?
रमेश : हाँ पायल…(रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा देते है और मोटा लंड उसके हाथ में दे देते है). देख ….कितना बड़ा है तेरे पापा का प्यार…
पायल बड़ी-बड़ी आँखों से पापा को देखने लगती है और पापा के लंड की मोटाई को हाथों से महसूस करने लगती है. पायल को ऐसा लगता है की किसीने उसके हाथों में लम्बा और मोटा लट्ठ पकड़ा दिया हो. वो सीसीयाते हुए पापा से कहती है.
पायल : सीईईईइ…..पापा..यह तो बहुत लम्बा और मोटा है…..
रमेश : हाँ बेटी…और जब मेरी बिटिया रानी घर में बिना ब्रा के टॉप में अपने बड़े-बड़े दूध उठा के घुमती है तो ये और भी बड़ा हो जाता है….
पायल : सच पापा? आपको मेरा घर में बिना ब्रा की टॉप पहन कर घूमना अच्छा लगता है?
रमेश : बहुत अच्छा लगता है बिटिया. पापा का दिल तो करता है की दौड़ कर अपनी बिटिया रानी की टॉप उठा दूँ और उसके बड़े-बड़े दूध मसल दूँ…
रमेश कहते ही पायल की टॉप में एक हाथ दाल देता है और पायल के दूध को मसलने लगता है. पापा की इस हरकत से पायल भी जोश में आ जाती है और लंड को जोर से दबा देती है. पापा का लंड फूल के और भी मोटा हो जाता है.
पायल : पापा आप मेरे दूध मसलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है…
रमेश : जानता हूँ पायल. जवान लड़कियों को अपने दूध मसलवाना बहुत पसंद है, ख़ास कर अपने पापा से. बहुत सी लड़कियां घर में चोरी-छिपे अपने पापा से खूब दूध मसलवाती है. पापा से दूध मसलवाने से लड़कियों के दूध जल्दी बड़े हो जाते है.
पायल : सच पापा?
रमेश : हाँ पायल…तुने देखा होगा की बहुत सी लड़कियों के छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े दूध हो जाते है. ऐसी लडकियां अपने पापा से ही तो दबवा के अपने दूध बड़े करवाती है.
पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ पापा…मेरी सहेली की दीदी के भी बहुत बड़े दूध है. मेरी सहेली बोल रही थी की जब उसकी मम्मी घर पर नहीं होती है तो पापा दीदी के रूम में चले जाते है और दरवाज़ा बंद करके घंटो तक रहते है.
रमेश : हाँ पायल…सही कहा बेटी…तेरी सहेली के पापा अपनी बड़ी बेटी के दूध को घंटो मसलते होंगे…और मुझे तो ये भी लगता है पायल की उसके पापा उसकी दीदी पर चढ़ के भी प्यार करते होंगे….
पापा की इस बात पर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे-धीरे पापा के लंड को सहलाते हुए कहती है.
पायल : पापा क्या सच में बाप अपनी बेटी पर चढ़ के प्यार करता है?
रमेश : (अब पायल की पैन्टी की साइड से अन्दर हाथ दाल कर उसके बूर के बालों से खेलने लगता है) हाँ पायल…बाप अपनी बेटियों पर चढ़ के खूब प्यार करते है.
पायल : (पूरी मस्ती में) ओह पापा….बहुत गर्मी लग रही है…
रमेश : मेरी बेटी तो पहले से ही बहुत गरम है. गर्मी तो लगेगी ही…
रमेश पायल के माथे, गले और पेट पर बहते पसीने को हाथ से पोंछता है.
रमेश : देखो तो..कितना पसीना आ रहा है मेरी बिटिया रानी को…और इतनी गर्मी में भी टॉप पहने हुए है…
पायल : (पापा के लंड को जोर जोर से मुठियाते हुए) तो ऊपर कर दीजिये ना पापा…
रमेश पायल की पैन्टी से हाथ निकाल कर, दोनों हाथों से उसकी टॉप उठा कर दोनों दूध के ऊपर कर देता है. पायल के बड़े-बड़े सक्त दूध पापा की आँखों के सामने आ जाते है. रमेश दोनों दूध को गौर से देखता है दोनों हाथों से पकड़ के आपस में मिला देता है.
रमेश : आह पायल…!! पापा का दूध पीने का बहुत दिल कर रहा है बेटी…
पायल : (पापा के लंड को मुथियते हुए आँखे बंद कर लेती है) ओह पापा…!! तो पी लीजिये ना…
रमेश अपना एक पैर बिस्तर पर रखता है और दुसरे पैर को घुटनों से मोड़ कर पायल पर झुक जाता है. रमेश का लंड पायल के हाथ में है और वो उसे जोर जोर से हिला रही है. रमेश झुक कर पायल का एक निप्पल मुह में ले लेता है. पायल लंड मुठियाते हुए मचल जाती है. रमेश पायल के निप्पल को मुहँ में भर के चूसने लगता है. पायल का दूसरा था पापा के सर पर आ जाता है और वो उनके बालों को पकड़ लेती है. रमेश निप्पल चूसते हुए बीच बीच में अपना बड़ा मुहँ पूरा खोल कर पायल के दूध को मुहँ में भर लेता है. कुछ देर चूसने के बाद रमेश पायल के दुसरे दूध पर धावा बोल देता है. दुसरे दूध के निप्पल को जोर जोर से चूसने से पायल सिस्कारियां लेने लगती है. फिर रमेश दोनों दूध को आपस में सटा कर बारी बारी दोनों को चूसने तो कभी मुहँ में भरने लगता है. पायल पूरी मस्ती में अपने होश खो बैठती है.
पायल : हाँ पापा…..ऐसे ही…ऐसे ही मेरा दूध पीजिये पापा….
पायल को ऐसे मस्ती में आता हुआ देख कर रमेश का जोश दुगना हो जाता है. वो उसके दूध को दबा-दबे के पीने लगता है और एक हाथ से अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे कर देता है. तभी रमेश पायल के निप्पल को हलके से दांतों से काट लेता है तो पायल उच्छल कर रमेश से लिपट जाती है. रमेश पायल को उठा के अपने सीने से लगा लेता है तो पायल अपनी दोनों टाँगे उसकी कमर में लपेट देती है. अपने हाथो को पापा के गले में लपेट कर पायल सीने से चिपक जाती है. रमेश का लंड पायल की पैन्टी के ऊपर से उसकी बूर पर रगड़ खाने लगता है. वो पायल के बूर की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर रहा है. पायल के बड़े बड़े दूध रमेश के सीना पर चिपके हुए है. रमेश हाथों से अपने कुरते को ऊपर कर लेता है तो पायल के नंगे दूध उसकी नंगी छाती पर दब जाते है. बेटी के बड़े और मुलायम दूध के स्पर्श से ही रमेश का लंड झटके खाते हुए पायल की बूर पर टकराने लगता है.
रमेश : अच्छा लगा रहा है बेटी?
पायल : (मदहोशी के साथ) हाँ पापा…बहुत अच्छा लग रहा है.
रमेश : जरा अपने दूध पापा के सीने पर रगडो बेटा…
पायल अपने सीने को ऊपर निचे करते हुए बड़े-बड़े दूध को पापा की छाती पर रगड़ने लगती है. रमेश का जोश अब और बढ़ जाता है. वो एक ऊँगली मुहँ में लेता है और पीछे से पायल की पैन्टी में दाल कर उसके गांड के छेद पर घुसाने लगता है. पायल उच्छल कर पापा से फिर से चिपक जाती है. रमेश ऊँगली निचे ले जा कर उसकी गीली बूर पर ४-५ बार रगड़ता है और फिर उसके गांड के छेद में घुसाने लगता है. बूर के रस से भीगी ऊँगली पायल के छेद में घुस जाती है. रमेश थोडा और जोर लगता है तो ऊँगली आधी अन्दर घुस जाती है. अपनी गांड में पापा की ऊँगली को महसूस कर के पायल मस्ती में आ जाती है. बूर से तो वो कई बार खेल चुकी थी लेकिन गांड के छेद में आज पहली बार कोई ऊँगली गई थी. पायल को अपने सीने से लगाये और गांड में ऊँगली डाले, रमेश कमरें में धेरे-धीरे टहलने लगते है. टहलते हुए वो कभी अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर कर देते तो कभी लंड को पायल की बूर पर रगड़ देते. पायल तो अपना होश पहले ही खो बैठी थी. रमेश अब मौका देख कर अपने लंड को पैन्टी के साइड से अन्दर डाल के पायल की बूर पर रखता है और धीरे-धीरे टोपे को उसकी बूर पर रगड़ने लगता है. हर बार लंड रगड़ने पर पायल किसी बच्चे की तरह उच्छल जाती. तभी एक तेज़ रौशनी से सारा कमरा जगमगा उठता है. घर की बिजली आ चुकी थी. दोनों बाप-बेटी मिलन के बहुत करीब थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था.
कमरे की लाइट जलते ही पायल आँखे खोलती है तो कमरे का दरवाज़ा खुला है. वो झट से पापा की गोद से उतर जाती है और अपनी टॉप निचे कर लेती है. रमेश भी अपने कुरते और धोती को ठीक करता है. पायल अपने बाल ठीक करते हुए पापा को देखती है. पापा की आँखों में वो उसके लिए प्यार और हवस दोनों देख रही है. आज पापा के साथ जो कुछ ही हुआ उसने पायल की बूर की आग को कहीं ज्यादा भड़का दिया था. कुछ ही क्षण में दोनों होश में आते ही और एक दुसरे को देख मुस्कुराने लगते है.
रमेश : मजा आया मेरी बिटिया रानी को?
पायल : (नखरे दिखाते हुए) छी पापा…!! अपनी बेटी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?
रमेश : (मुस्कुराते हुए पायल के गाल पर हाथ फेरते हुए) तो किसके साथ करता है?
पायल : (मुहँ बना के नखरे के साथ) क्यूँ? घर में सिर्फ मैं ही एक जवान हूँ क्या? उर्मिला भाभी भी तो है. और भाभी के दूध तो मुझसे भी बड़े है.
पायल की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से झटके लेने लगता है. वो मुस्कुराते हुए पायल की ठोढ़ी की उठाते हुए कहता है.
रमेश : तो मेरी पायल बिटिया अपनी भाभी को भी छत पर ले आये. मैंने कब मन किया है. घर की बहु-बेटी का ख्याल रखना तो मेरा फ़र्ज़ है ना…?
पायल : (खुश हो कर) सच पापा? अगली बार उर्मिला भाभी को भी ले आऊ छत पर?
रमेश : हाँ पायल…ले आना बहु को भी.
पायल ख़ुशी से पापा से चिपक जाती है. रमेश उसकी पीठ पर हाथ रख के दबा देते है और अपनी छाती पर उसके दूध का एक बार फिर से मजा ले लेते है. पायल पापा को देख के मुस्कुराती है है दौड़ कर बाहर चली जाती है. रमेश मन ही मन अपने लंड के लिए घर में दो जवान बुरों का इंतज़ाम होता देख खुश हो जाता है और गाना गुनगुनाते हुए जाने लगते है….. “अरे चढ़ गयो ऊपर रे….अटरिया पे दो-दो कबूतर रे…..”
अपडेट १९:
रात में बिजली देर से आने से सभी घर वाले देर तक सो रहे है. उर्मिला भी आज देर से उठी थी. नाहा-धो कर वो एक अच्छी सी साड़ी पहनकर रसोई में काम कर रही है. कल रात पायल ने बाबूजी के बारें में जो उसे बताया था उस बात से उसके दिल में हलचल चल मची हुई है. वो सोच रही है की बाबूजी उसके सामने आयेंगे तो वो क्या करेगी. पायल को बेशर्म बनानेवाली उर्मिला आज खुद ही शर्मा रही थी.
तभी बाबूजी रसोई में आते है. उर्मिला उन्हें देखते ही झुक के पैर पढ़ने लगती है. रमेश अपना हाथ उर्मिला की पीठ पर रखता है और धीरे से उसके ब्लाउज के खुले हिस्से पर से उसकी नंगी पीठ को सहलाता है. आज पहली बार बाबूजी ने उर्मिला के सर पर नहीं, उसकी पीठ पर हाथ रखा था. निचे झुकी उर्मिला बाबूजी के हाथ का स्पर्श अपनी नंगी पीठ पर पा कर सिहर उठती है.
रमेश : सदा सुहागन रहो बहु, फूलों फलो…
उर्मिला : (खड़ी हो कर, सर पर पल्लू लिए) बाबूजी आज मम्मी जी नहीं उठी?
रमेश : कल रात उमा देर से सोयी थी बहु. इसलिए अभी तक सो रही है. और बच्चे?
उर्मिला : बच्चे भी अभी तक सो रहे है बाबूजी….
रमेश : कल रात पायल से कोई बात हुई था क्या बहु?
उर्मिला समझ जाती है की अब बाबूजी के सामने सती सावित्री बनने का कोई फ़ायदा नहीं है. अब खुल के उनसे बातें करने में ही समझदारी है.
उर्मिला : (शर्माते हुए) जी बाबूजी…वो कह रही थी की आप चाहते है की मैं भी उसके साथ छत पर आया करूँ….
रमेश : (मुस्कुराते हुए) हाँ बहु…..सही कहा पायल ने. एक साल हो गए, मेरी बहु घर में अकेली-सी रहती है मुझे अच्छा नहीं लगता. रौनक भी कभी-कभार ही घर आता है. मैं समझ सकता हूँ की मेरी बहु अपनी रातें कैसे काटती होगी. रात में बहुत अकेलापन महसूस करती होगी ना बहु? (रमेश उर्मिला के कंधे पर हाथ फेरते हुए कहते है)
उर्मिला : (धीरे से) जी बाबूजी….रात में तो मानो घर काटने को दौड़ता है. रह-रह कर प्यास लगती है.
रमेश : अब बहुत हो गया अकेले रहना बहु. अब मैं अपनी बहु को प्यासी नहीं रहने दूंगा. और जब उमा ना हो तो मेरे सामने सर पर आँचल लेने की भी जरुरत नहीं है. (रमेश उर्मिला के सर से आँचल गिरा देते है). अपनी बहु को अच्छे से देख तो लूँगा इसी बहाने से…
उर्मिला : जी बाबूजी…अब मैं आपके सामने कभी सर पर आँचल तो क्या, पल्लू भी नहीं लुंगी…
रमेश : (उर्मिला का पल्लू उसकी छाती से हटाते हुए) हाँ बहु…बिना पल्लू के मेरी बहु कितनी सुन्दर दिखती है….
पल्लू हटने से उर्मिला के बड़े-बड़े दूध ब्लाउज में उठ के दिखने लगते है और बीच की गहराई भी दिखने लगती है. बाबूजी बीच के गहराई में नज़रे गड़ाए हुए कहते है.
रमेश : बहु…पायल ने तो घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया है. तुम भी मत पहना करो. इतनी गर्मी में घर की बेटी और बहु ब्रा पहने, ये अच्छी बात नहीं है.
उर्मिला : हाँ बाबूजी…आज से मैं भी ब्रा नहीं पहनूंगी…
रमेश : ठीक है बहु…और जब तुम बिना ब्रा के ब्लाउज पहनो तो एक बार मुझे जरुर दिखा देना. पायल को तो कई बार देखा है. अब एक बार अपनी बहु को भी देख लूँ…
उर्मिला : जी बाबूजी…दिखा दूंगी…
रमेश : अच्छा बहु…अब मैं चालू…उमा भी उठ ही रही होगी…
रमेश के जाने के बाद उर्मिला खुश हो जाती है. पायल की सेटिंग करते करते उसकी भी सेटिंग हो गई. मन में वो पायल को ३-४ चुम्मी दे देती है. छत पर बाबूजी का क्या हाल करना है वो सोचते हुए उर्मिला अपने काम में लग जाती है.
११ बज रहे है.
सभी नाश्ता-पानी करने के बाद ड्राइंग रूम में बैठे है. हंसी मजाक चल रहा है लेकिन बाबूजी का दिमाग तो कहीं और ही दौड़ रहा है. वो किसी तरह से पायल और बहु को छत पर ले जाना चाहते है. उर्मिला बाबूजी के चहरे पर वो बेचैनी पढ़ लेती है. वो पायल के सर पर हाथ रख कर कहती है.
उर्मिला : पायल…!! बालों में कब से तेल नहीं लगाया तुने? देख तो कितने रूखे-सूखे हो गए है.
पायल : (समझ नहीं पाती) कल ही तो शैम्पू लगाया था भाभी….
उर्मिला : (पायल को आँख दिखाते हुए) शैम्पू से क्या होता है. तेल लगाया कर…(थोडा जोर से आँखे बड़ी कर के) ..”तेल”…..
पायल : (उर्मिला का इशारा समझ जाती है) वो..हाँ..हाँ भाभी…तेल लगाना तो जरुरी है.
उर्मिला : तो चल…छत पर चलते है…वहां मैं तेरे बालों में तेल लगा दूंगी…
पायल : हाँ चलिए भाभी….
उमा : दोनों छाओ मैं बैठना…धुप में बैठोगे तो हालत खराब हो जाएगी…
पायल : जी मम्मी….
उर्मिला और पायल उठ कर सीढ़ियों से छत पर जाने लगते है. उर्मिला हाथ में तेल की शीशी ले कर है. पायल बहुत खुश हो रही है. उर्मिला उसे देख के कहती है.
उर्मिला : तू खुश तो ऐसे हो रही है जैसे मैं तेरे सर के नहीं, बूर के बालों में तेल लगाने वाली हूँ ताकि तू बाबूजी का मोटा लंड ले सके…
पायल : (मस्ती में) तो लगा दो ना भाभी….
उर्मिला : (धीरे से पायल के कंधे पर चपत लगाते हुए) चुप कर बदमाश…. अच्छा सुन..मैंने आज बाबूजी को परेशान करने के लिए कुछ सोचा है.
पायल : लेकिन बाबूजी को परेशान क्यूँ करना है?
उर्मिला : अरे ऐसे ही मजाक करना है बाबूजी के साथ. और क्यूँ ना करें? घर की दो-दो जवान बूरें ऐसे ही दे दें क्या?
दोनों हँसते हुए छत पर जाने लगती है. उर्मिला पायल को सारी बात समझाने लगती है.
दोनों के जाते ही बाबूजी का लंड भी मचलने लगा है. अब उन से निचे बैठा नहीं जा रहा. वो उमा से कहते है.
रमेश : उमा … मैं भी जरा छत से टहल कर आता हूँ…बैठे-बैठे कमर पकड़ ली है…
उमा : हाँ जी..आप भी जाईये….मैं भी जरा कमरें में जा कर लेटती हूँ. कमबख्त बिजली ने कल रात ठीक से सोने भी नहीं दिया. सोनू भी फिर से जा कर सो गया है…
रमेश : हाँ उमा…तुम जरा अराम कर लो…
उमा के जाते ही रमेश तेज़ क़दमों से ऊपर छत पर जाने लगता है. ऊपर जाते ही वो देखता है की छत पर दोनों अमरुद की एक बड़ी सी टहनी की छाओं में बैठे है. पायल अपने घुटनों को मोड़ के बैठी है और उर्मिला ठीक उसके पीछे बैठ कर उसके बालों में तेल लगा रही है. रमेश चेहरे पर मुस्कान लिए धीरे-धीरे टहलते हुए उसके पास जाते है. बाबूजी को आता देख उर्मिला झट से खड़ी हो जाती है और बाबूजी के पैर पढ़ने लगती है.
रमेश : अरे उर्मिला…आज कितना पैर पढ़ेगी मेरे बेटी…
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी होती है) पैर पढ़ना तो एक बहाना है बाबूजी, असल में तो आपको कुछ दिखाना है…(कहते हुए उर्मिला अपने बड़े-बड़े दूध ब्लाउज के अन्दर से उठा देती है)
रमेश : (उसके उभरे हुए दूध देख कर) ये..ये…बहु….तुमने अन्दर ब्रा नहीं पहनी ?
उर्मिला : हाँ बाबूजी…आपने कहा था ना की एक बार दिखा देना…
रमेश : (ख़ुशी से) जुग-जुग जियो बहुरानी….
रमेश उर्मिला के बड़े-बड़े दूध आँखे फाड़ फाड़ के देख रहा है. ब्रा ना पहनने पर उर्मिला के निप्प्लेस खड़े हो कर ब्लाउज के ऊपर से साफ़ दिख रहे है. उर्मिला की तेज़ साँसों के साथ उसके दूध ऊपर निचे हो रहे है और उसके साथ रमेश की नज़रें भी. ये तमाशा पायल गौर से देख रही है. पापा और भाभी की ये मस्ती उसे बहुत मजा दे रही है. कुछ क्षण बाद पायल कहती है.
पायल : भाभी…पापा को अच्छे से दिखा दिया हो तो अब मेरे बालों में तेल भी लगा दो…
पायल की बात पर उर्मिला हँसते हुए उसके पीछे आ कर बैठ जाती है. रमेश भी मुस्कुराते हुए पायल के ठीक सामने कुछ दूरी पर बैठ जाता है. वहां से वो उसकी टांगो के बीच से पैन्टी देखने लगता है. पायल भी समझ जाती है की पापा की नज़र कहाँ है.
रमेश : पायल बिटिया…अराम से बैठो…टाँगे अच्छे से खोल कर..ऐसे सिमट के क्यूँ बैठी है…?
पायल : (मुहँ बनाते हुए) नहीं पापा…मैं टाँगे नहीं खोलूंगी….
रमेश : (अचरच के साथ) क्यूँ बेटी? क्या हुआ?
उर्मिला : बाबूजी….पायल का कहना है की खजाने तक पहुंचना है तो आपको मेहनत करनी पड़ेगी….
रमेश : (हँसते हुए) अरे बहु…बेटी के खजाने के लिए तो बाप कुछ भी कर सकता है. बोलो क्या करना होगा…
पायल : पापा…मैं और भाभी आपसे कुछ सवाल करेंगे और आपको उनका सही जवाब देना होगा…अगर आप सभी सवालों के सही जवाब दोगे तो आज आपको मेरे और भाभी के खजाने के दर्शन हो जायेगे.
रमेश इस बात पर अपने ओठों पर जीभ फेरने लगता है. आज बेटी और बहु के बूर देखने को मिलेगी ये सोच कर वो ख़ुशी से पागल हो जाते है.
रमेश : हाँ हाँ पायल…कोई बात नहीं…जितने सवाल पूछने है पूछ लो…मैं तैयार हूँ.
पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर एक बार जोर से हँस देती है. रमेश कुछ समझ नहीं पाता. फिर उर्मिला बाबूजी से सवाल पूछती है.
उर्मिला : अच्छा बाबूजी…आपका पहला सवाल… “आजू-बाजू बाल, बीच में दरार…बोलो क्या?”….
उर्मिला की बात सुन कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो उर्मिला से कहते है…
रमेश : ये तो बड़ा ही आसान सा सवाल है बहूँ….
उर्मिला पीछे से पायल के घुटनों पर हाथ रख के उसके पैरों को खोल देती है और बाबूजी के सामने बूर पे कसी हुई पैन्टी दिखाते हुए कहती है.
उर्मिला : तो बोलिए ना बाबूजी…जवाब दीजिये…
रमेश : (मुस्कुराते हुए) जवाब है – “बूर”..
रमेश की बात पर उर्मिला और पायल जोर जोर से हँसने लगती है. रमेश को कुछ समझ नहीं आता की आखिर ये हो क्या रहा है. वो हक्का-बक्का दोनों को हँसते हुए देख रहा है.
पायल : छी पापा…आप कितने गंदे हो….भाभी के सवाल का जवाब है…(उर्मिला के सर की तरफ इशारा करते हुए) सर की “मांग”…
रमेश : (चुप चाप थूक गुटकते हुए) अ..अ…अच्छा…ठीक है…दूसरा सवाल क्या है?
पायल : आपका दूसरा सवाल है….”जो आधा जाए तो दर्द होए…पूरा जाए तो मज़ा आये..बोलो क्या ?”
पायल बाबूजी की टांगो के बीच देखने लगती है. बाबूजी भी लंड को एक झटका देते हुए कहते है…
रमेश : जवाब है, – “लंड”
फिर से पायल और उर्मिला जोर जोर से हँसने लगती है. रमेश का दिमाग फिर से घूम जाता है. वो समझ नहीं पता की ये हो क्या रहा है.
रमेश : अरे…!! दोनों हँस क्यूँ रहे हो?
पायल : (हँसते हुए) पापा…कितनी गन्दी सोच है आपकी. सवाल का सही जवाब है… (उर्मिला के हाथों की तरफ इशारा करते हुए) ..”कंगन”…
रमेश अब ये सब और नहीं झेल सकता था. वो छत पर जिस काम से आया था वो जल्दी से शुरू करना चाहता था.
रमेश : अरे अब बस भी करो. छोड़ो ये सब सवाल-जवाब…पायल बिटिया…जरा मेरे पास आना…
पायल : नहीं पापा…मैंने पहले ही बता दिया था. जवाब गलत होगे तो कुछ नहीं मिलेगा.
रमेश : मेरी प्यारी बिटिया रानी…ऐसी भी क्या जिद है…आजा…देख पापा तुझे बुला रहे है.
पायल : (नखरे से) नहीं मतलब नहीं……!!
रमेश : अरे बहु…तुम ही इसे समझाओ ना…देखो तो कैसे जिद कर रही है…
उर्मिला : अब बाप-बेटी के बीच मैं क्या बोलूं बाबूजी…वैसे पायल ने ठीक ही कहा है. जवाब तो आपने गलत ही दिए है ना….
रमेश का मुहँ उतर जाता है. वो समझ जाता है की अब उनकी दाल नहीं गलेगी. रमेश धीरे से खड़ा होता है और मुड़ के छत के दरवाज़े की तरफ जाने लगता है. तभी रमेश को पायल और उर्मिला की हंसी सुनाई देती है. वो मुड़ के देखते है. तभी उर्मिला कहती है.
उर्मिला : नहीं नहीं बाबूजी…आपसे से हम कुछ नहीं कह रहे है…
रमेश फिर से उदास मुहँ से जाने लगते है. वो मन में सोचते है, “आज का दिन तो बर्बाद हो गया. सोच था मेरी बेटी और बहु आज कुछ मज़ा देगी. सब बेकार हो गया”. तभी रमेश को पीछे से धीमी आवाज़ आती है…
उर्मिला : बाबूजी….!!
रमेश पीछे मुड़ के देखते है तो उनकी आँखे बड़ी हो जाती है. सामने अमरुद की डाल की छाओं में बैठी उर्मिला पायल की टॉप उठा के उसके बड़े-बड़े दूध दिखा रही है. पायल भाभी की गोद में बैठी मुस्कुरा रही है और उर्मिला उसके दूध दबा कर बाबूजी को दिखा रही है. रमेश एक नज़र पड़ोस की छतों पर डालता है और झट से छत का दरवाज़ा बंद कर देते है. फिर रमेश दौड़ा कर पायल के पास बैठ जाते है.
रमेश : ऐसे तड़पाएगी अपने पापा को पायल?
पायल : नहीं पापा…हम तो बस आपके साथ मज़ाक कर रहे थे.
उर्मिला : बाबूजी…आप पायल से इस बात का बदला अच्छे से लीजिये….
रमेश : हाँ बहु….अब तो बदला लेना ही पड़ेगा…
ये कहते हुए रमेश पायल पर झुक जाते है और उसके दूध को जोर से चूसने लगते है. पायल मस्ती में दोनों हाथो को पीछे कर के उर्मिला को पकड़ लेती है और उसकी आँखे बंद हो जाती है. मुहँ से सिसकियाँ निकलने लगती है.
पायल : सीईईईइ…..पापा….ओह…!!
रमेश पायल के दूध को दबा दबा के चूसने लगते है. कभी दायाँ दूध तो कभी बायाँ. बारी-बारी दोनों दूध रमेश के मुहँ में फिसल के घुस जाते है और रमेश उन्हें दबा दबा के पीने लगते है. उर्मिला पायल के सर पर हाथ फेरते हुए उसे मस्ती में पापा से अपने दूध चुसवाते हुए देख रही है.
उर्मिला : हाँ बाबूजी…अच्छे से चूसिये…पायल कह रही थी की जब उसका दूध आने लगेगा तो वो सबसे पहले अपने पापा को ही पिलाएगी…
उर्मिला की बात सुन के रमेश दूध चुसना बंद कर के पायल को देखने लगते है. वो पायल की आँखों में देखते हुए कहते है…
रमेश : बहु सच कह रही है पायल ?
पायल पापा की आँखों में देखते हुए अपने ओठ काट लेती है और धीरे से सर हिला कर हामी भर देती है. पायल की हाँ समझते ही रमेश के अन्दर जोश भर जाता है. वो एक बार पायल के दूध को गौर से देखते है और फिर किसी भूके भेड़िये की तरह उन पर टूट पड़ते है. इस बार रमेश पूरे जोश में पायल के दूध दबा-दबा के पीने लगते है. पायल की हालत खराब हो जाती है. उर्मिला पायल की टॉप को उसके बगल से थोडा ऊपर कर देती है. टॉप में बहुत देर से बंद बालोवाली बगल से पसीने की गंध रमेश की नाक में जाती है तो वो दूध छोड़कर अपनी नाक पायल की बगल में घुसा देते है और जोर से साँसे ले कर गंद सूंघ लेते है. फिर वैसे ही वो दुसरे बगल की गंद सूंघते है. दूध को दबा दबे के पीते हुए रमेश बीच बीच में अब पायल के बगलों की गंध भी सूंघ रहे है. पायल भी पूरी मस्ती में आ चुकी है. पापा को पूरे जोश में देख पायल कहती है.
पायल : पापा…देखिये ना, भाभी के भी कितने बड़े है…
पायल की बात सुन कर रमेश उर्मिला के दूध को घुर के देखने लगते है. बाबूजी की ऐसी नज़र देख कर उर्मिला के पसीने छूट जाते है. पायल जब ये देखती है तो वो उर्मिला के ब्लाउज के हुक खोलने लगती है. कुछ ही पल में उर्मिला के बड़े-बड़े दूध उच्छल के बाबूजी के सामने आ जाते है.
रमेश : सच में पायल…तेरी भाभी के तो बहुत बड़े है. बहु…जब मैंने तेरी सुहागरात में दरवाज़े पर से तेरी चिल्लाने की आवाज़े सुनी थी तब मैंने बाथरूम में जा कर ३ बार अपने लंड को मुठिया के पानी निकाला था. उस रात मैंने धोती में हाथ डाले रात भर तुझे याद किया था.
उर्मिला : (तेज़ साँसों के साथ) तो एक बार बोल देते ना बाबूजी…मैं खुद ही अपनी साड़ी उठा के आपके पास आ जाती…
रमेश : ओह बहु…मुझे पहले पता होता की मेरी बहु भी अपनी साड़ी उठाये तैयार है तो मैं कब का बोल देता…
उर्मिला : अब जब आपका दिल करे बोल दीजियेगा बाबूजी… मैं अपनी साड़ी उठाये दौड़ी चली आउंगी…
रमेश : ओह बहु… (रमेश ये कह कर उर्मिला के दूध पर टूट पड़ता है)
रमेश उर्मिला के दूध को दोनों हाथों से दबा-दबा कर चूसने लगता है. उर्मिला मस्ती में अपना सीना उठा के बाबूजी के मुहँ में अपने दूध ठूसने लगती है. बीच बीच में उर्मिला अपना दूध पकड़ के बाबूजी के मुहँ से निकाल लेती है और अपने खड़े निप्पल उनके ओठों पर रगड़ के फिर से मुहँ में ठूसन देती है. बहु के गदराये बड़े-बड़े दूध को चूस कर रमेश के लंड में खून भरने लगता है. उर्मिला बाबूजी का सर अपनी गोद में रख लेती है. बाबूजी भी अपने पैरों को सीधे कर के लेट जाते है और उर्मिला का दूध पीने लगते है. देखने में ऐसा लग रहा है की उर्मिला किसी बच्चे को अपनी गोद में लिए दूध पिला रही हो.
तभी बाबूजी को अपने लंड पर गर्माहट महसूस होती है. वो दूध पीते हुए देखते है तो दांग रह जाते है. सामने पायल बाबूजी के लंड का मोटा टोपा अपने मुहँ में लिए हुए है. निचे हाथ को लंड पर लपेट कर को धीरे-धीरे ऊपर निचे कर रही है और भीमकाय लंड को अपने मुहँ में भर लेने की कोशिश कर रही है. अपनी बेटी को जोश में लंड मुहँ में भरता देख रमेश का जोश मानो छप्पर फाड़ देता है. वो उर्मिला के दूध चुसता हुआ अपनी कमर धीरे से उठा के लंड को पायल के मुहँ में ठूसने लगता है. पायल पूरा मुह खोलते हुए पापा के मोटे टोपे को मुहँ में भरने की कोशिश कर रही है. टोपे पर जीभ घुमाती हुई वो उसे पागलों की तरह चूस रही है. उर्मिला जब ये नज़ारा देखती है तो वो पायल से कहती है.
उर्मिला : आह….पायल….अपने दूध आपस में दबा कर बाबूजी का लंड गहराई में ले ले…आह….!!
पायल दोनों हाथो से अपने दूध आपस में दबा देती है. रमेश अपने लट्ठ जैसे लंड को दूध के निचे से गहराई में ठूँस देता है. रमेश को किसी बूर में लंड ठूसने जैसा अनुभव देता है. रमेश जोश में अपनी कमर ऊपर-निचे करता हुआ पायल के दूध के बीच लंड को अन्दर बाहर करने लगता है. जब भी रमेश का लंड ऊपर से बाहर आता है तो पायल टोपे को मुहँ में डाल कर चूस लेती है. रमेश का मज़ा दुगना हो जाता है. रमेश उर्मिला के दूध चूसता हुआ उसकी आँखों में देखता है. दोनों की नज़रे मिलती है. रमेश दूध से मुहँ हटा कर एक बार उर्मिला की आँखों में देखता है और अपने मोटे ओंठ उसके ओठों पर रख देता है. रमेश अब उर्मिला के रसीले ओठों को चूसने लगता है. ससुर-बहु मानो एक दुसरे के ओठों का रस पूरा पी जाना चाहते है. कुछ ही समय में दोनों एक दुसरे से अलग होते है और उनकी नज़रे फिर से मिलती है. आँखों ही आँखों में कुछ बातें होती है और उर्मिला अपनी जीभ निकाल के रमेश में मुहँ में घुसा देती है. रमेश उर्मिला की जीभ को चूसने लगता है. कुछ ही क्षण में दोनों के मुहँ आपस में मानो चिपक से जाते है और जीभ मुहँ के अन्दर आपस में कुश्ती करने लगती है. रमेश अब अपने एक हाथ उर्मिला की साड़ी के निचे से घुसा कर उसकी पैन्टी ढूंडने लगता है. पैन्टी के साइड पर हाथ जाते ही रमेश की दो उंगलिया अन्दर चली जाती है और उर्मिला की बालोंवाली गीली बूर से टकरा जाती है. चिकनाहट से दोनों उँगलियाँ फिसलते हुए उर्मिला की बूर में घुस जाती है. २-३ धक्के लगते ही दोनों उँगलियाँ उर्मिला की बूर में पूरी घुस जाती है. रमेश अब अपनी दोनों उँगलियों को तेज़ी से उर्मिला की बूर में अन्दर-बाहर करने लगता है. उर्मिला जोश में आ कर बाबूजी के मुहँ में अपनी जीभ अन्दर तक घुसा देती है जिसे बाबूजी प्यार से चूसने लगते है.
रमेश और उर्मिला एक दुसरे के मुहँ में मुहँ डाले पड़े है, निचे बाबूजी उर्मिला की बूर में दो उँगलियाँ ठूस रहे है और उधर बेटी पायल अपने बड़े-बड़े दूध के बीच पापा का लंड ठूँसवाते हुए चूस रही है. बाबूजी के साथ घर की बहु और बेटी का ये अनोखा संगम कामवासना की हदों को पार करता हुआ हवस तक पहुँच गया था. तीनो को जो परम आनंद की प्राप्ति हो रही थी वो मात्र शरीर की नहीं थी. ये उनके बीच बाप-बेटी और ससुर-बहु के रिश्ते थे जो उन्हें उस परम आनंद तक पंहुचा रहे थे.
कुछ ही देर में रमेश का बदन अकड़ने लगता है और वो अपनी कमर को उठा देता है. पायल समझ जाती है की पापा का लंड अब पानी छोड़ने वाला है तो वो लंड के टोपे को मुह में अच्छे से भर लेती है. रमेश अपनी कमर उठा के पायल के मुहँ में पिचकारी छोड़ने लगते है.
रमेश : ओह पायल…मेरी प्यारी बिटिया…आह्ह्ह….!!!
गाड़े सफ़ेद पानी की ६-७ पिचकारियाँ पायल के मुहँ में छोड़ते हुए रमेश आँखे बंद कर के कर्हाने लगते है. फिर वो झट से उठ के बैठ जाते है और अपने लंड को पकड़ के धीरे से पायल के मुहँ से निकालने लगते है. लंड ‘पॉप’ की आवाज़ के साथ पायल के मुह से फिसलता हुआ बाहर निकल जाता है. रमेश पायल को प्यार से देखते है. पायल भी पापा को देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश पायल के सर पर एक चुम्मी लेते है और लंड को पकडे उर्मिला की तरफ घूम जाते है. उर्मिला भी एक आज्ञाकारी बहु की तरह बाबूजी का इशारा समझ के अपना मुहँ खोल देती है. रमेश अपने लंड के टोपे को उर्मिला के खुले मुहँ में डाल देते है. लंड को पकडे हुए रमेश ३-४ बार अन्दर बाहर करते है फिर लंड को बाहर निकाल कर उर्मिला के सर पर ले जाते है. अपने लंड से निकलते हुए सफ़ेद गाड़े पानी को वो उर्मिला की मांग में भरने लगते है. २-३ बार ऊपर से निचे लंड घुमाते हुए बाबूजी उर्मिला की मांग अपने लंड के पानी से भर देते है. उर्मिला आँखे बंद किये ख़ुशी से बाबूजी के लंड के पानी से अपनी मांग भरवाती है. पायल ये नज़ारा देख रही है.
पायल : (खुश होते हुए) पापा…आपने तो अपने लंड के पानी से भाभी की मांग ही भर दी…
रमेश : हाँ पायल…अब तेरी भाभी को प्यासा नहीं रहना पड़ेगा. अब मेरा लंड और तेरी भाभी एक पवित्र बंधन में बंध गए है. उर्मिला को हमेशा खुश रखना अब मेरे लंड की जिम्मेदारी है….
बाबूजी की बात सुन कर उर्मिला की आँखे भर आती है. वो बैठे हुए ही बाबूजी की कमर से लिपट जाती है.
उर्मिला : ओह बाबूजी…आज आपने मुझे धन्य कर दिया…मैं आपके लंड के साथ हर वचन को निभाने के लिए तैयार हूँ…
रमेश अपना हाथ उर्मिला के सर पर रख देते है और पायल को इशारे से पास आने कहते है. पायल भी पास आ कर पापा की कमर से लिपट जाती है. रमेश की एक जांघ पर उर्मिला लिपटी हुई है और दूसरी जांघ पर पायल. दोनों की नज़रों के सामने बाबूजी का मोटा लंड झूल रहा है. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा देती है और दोनों तरफ से एक साथ लंड को चूम लेती है.