उर्मिला पायल को देखती है तो उसका चेहरा सच में उतर जाता है. पायल के सारे सपने टूट के बिखरने लगते है. उर्मिला पायल को देखती है फिर उमा की तरफ मुहँ कर के कहती है.
उर्मिला : मम्मी जी. मामाजी के साथ बहुत ही बुरा हुआ. और आप बिलकुल सही कह रही है की हमे जाना चाहिए लेकिन…..
उमा : लेकिन क्या बहु?
उर्मिला : वो बात ये है ना मम्मी जी की बाबूजी के घुटनों में दर्द रहता है. वहां गाँव में आसपास कोई अच्छा अस्पताल भी नहीं है. दर्द बढ़ गया तो हम क्या करेंगे? आप मामाजी का ख्याल रखोगे या बाबूजी का?
उर्मिला की बात से उमा सोच में पड़ जाती है. कुछ देर सोचने के बाद उमा रमेश से कहती है.
उमा : आप रहने दीजिये. हम लोग हे चले जायेंगे.
उर्मिला : पर मम्मी जी, घर पर भी तो बाबूजी का ख्याल रखने वाला कोई चाहिए ना?
उर्मिला की बात सुन कर सोनू ख़ुशी से सोफे से उच्छल पड़ता है.
सोनू (ख़ुशी से ) मैं रुक जाता हूँ भाभी पापा के साथ.
उर्मिला सोनू को घुर के देखती है और कहती है.
उर्मिला : हाँ सोनू ठीक है. पर बाबूजी को रोज खाना बना के खिला देगा ना?
उर्मिला की बात सुन कर सोनू चुप-चाप फिर से सोफे पर बैठ जाता है. उर्मिला उमा की तरफ देख कर आगे कहती है.
उर्मिला : एक काम करते है मम्मी जी. पायल को बाबूजी के साथ ही छोड़ देते है. वो बाबूजी का ख़याल भी रखेगी और खाना तो अच्छा बना ही लेती है.
उर्मिला की बात पर रमेश और पायल के दिल में लड्डू फूटने लगते है. रमेश धीरे से पायल को देखते है तो वो भी पापा को देख कर शर्मा जाती है.
उमा : ठीक है बहु. पायल तू यहीं रुक जा. हम लोग हो कर आते है.
पायल : (भोला सा चेहरा बना कर) जी मम्मी…
उमा : अच्छा बहु. तुम जल्दी से अपना सामान पैक कर लो. हमे निकलना होगा.
उर्मिला : जी मम्मी…
उर्मिला उठ कर अपने कमरे में जाने लगती है. उसके पीछे पायल उच्छलते हुए चल देती है.
३० मिनट बाद
सोनू गाड़ी में सारे बैग रख देता है और सामने वाली सीट पर जा कर बैठ जाता है. बाबूजी भी ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी शुरू कर देते है. पायल गाड़ी के पास खड़ी है और उर्मिला उसके पास आती है.
उर्मिला : चल पायल. अब तू बाबूजी को संभाल लेना.
पायल को उर्मिला पर बहुत प्यार आता है. वो उसे भाभी नहीं एक देवी का रूप दिखाई देने लगती है. भावनाओ में बहते हुए पायल उर्मिला से गले लग जाती है. उर्मिला भी बड़े पयार से उसके सर पर हाथ फेरती है. कुछ क्षण दोनों भाभी और ननद एक दुसरे के गले लगे रहते है फिर अलग हो कर एक दुसरे को प्यार से देखते ही. उर्मिला पायल से कहती है.
उर्मिला : चल पायल. मैं चलती हूँ. ध्यान रखना…कोई नखरे नहीं करना है तुझे. दोनों पूरे मजे लेना. मैं पहुँच कर फ़ोन करुँगी.
पायल : (शर्माते हुए) जी भाभी.
उर्मिला पायल से विदा ले कर गाड़ी में पीछे उमा के साथ बैठ जाती है और गाड़ी स्टेशन के लिए चल पड़ती है. गाड़ी के जाते ही पायल भी घर में आ कर दरवाज़ा बंद कर लेती है.
उदार गाड़ी स्टेशन की तरफ तेज़ी से बढ़ रही है. रमेश तेज़ी से गाड़ी चला रहे है ताकी इन्हें स्टेशन छोड़ कर जल्द से जल्द घर जा सके. तभी उर्मिला बोल पड़ती है.
उर्मिला : बाबूजी…!! २ मिनट के लिए गाड़ी रोकिये.
रमेश गाड़ी सड़क के किनारे रोकते है.
उमा : क्या हुआ बहु?
उर्मिला : वो मम्मी जी, ट्रेन में मुझे उलटी आती है तो सामने वाली दवाई की दुकान से उलटी रोकने की दावा ले लेती हूँ.
उमा : अच्छा ठीक है बहु.
उर्मिला गाड़ी से उतर कर दवाई की दूकान में जाती है और अपना सामान एक पन्नी में ले कर फिर से गाड़ी में बैठ जाती है. तभी बाबूजी भी बोल पड़ते है.
रमेश : अरे अब रुक ही गए हैं तो मैं भी अपने घुटनों के दर्द की दावा ले ही लेता हूँ.
उमा : जल्दी आईयेगा…
रमेश भी गाड़ी से उअतर कर दवाई की दूकान जाते है और अपना सामान एक पन्नी में ले कर आ जाते है. गाड़ी फिर से निकल पड़ती है. रमेश तेज़ी से गाड़ी चलाते हुए १० मिनट में ही स्टेशन पहुँच जाते है. स्टेशन के सामने गाड़ी रोक कर सब उतारते है. सोनू सामान निकालने लगता है और उमा रमेश के पास आती है. रमेश के पैर छु कर उमा कहती है.
उमा : अपना ख्याल रखियेगा जी.
रमेश : हाँ उमा. और तुम भी अपना ख्याल रखना. भाई की सेवा करते हुए अपनी सेहत मत बिगाड़ लेना.
रमेश उमा के सर पर हाथ रखते है. सोनू भी आ कर रमेश के पैर पढता है तो बाबूजी उसे भी आशीर्वाद देते है. उमा और सोनू धीरे-धीरे स्टेशन की और जाने लगते है. उर्मिला रमेश के पास आती है और उनके पैर पढ़ती है. रमेश भी बड़े प्यार से उमा को आशीर्वाद देते है. उर्मिला खड़ी होती है और कहती है.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) बाबूजी…पायल का ख्याल रखियेगा. और जरा ध्यान से, बिस्तर और सोफे मत तोड़ दीजियेगा.
उर्मिला की बात पर रमेश मुस्कुराते हुए कहते है.
रमेश : कोई बात नहीं बहु. बिस्तर और सोफे टूट भी गए तो क्या हुआ? ज़मीन तो अन्दर नहीं धंसेगी ना….
इस बात पर दोनों हंसने लगते है. उर्मिला अपने हाथ की पन्नी बाबूजी को देते हुए कहती है.
उर्मिला : बाबूजी ये पायल को दे दीजियेगा. उसका कुछ सामान है.
रमेश : ठीक है बहु. अपना ख्याल रखना.उर्मिला रमेश को देखते हुए धीरे से अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में डालने की कोशिश करती है तो रमेश समझ जाते है की वो पायल की बूर बहुत टाइट होने का इशारा कर रही है. रमेश भी अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में घुसाने की कोशिश करते है और जोर लगा कर घुसा देते है फिर ३-४ बार जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर देते है. उर्मिला भी बाबूजी का पायल की सील तोड़ के उसकी जम के बूर चुदाई करने का इशारा समझ जाती है. दोनों एक दुसरे को देख कर हँसते है और फिर उर्मिला बाबूजी से विदा ले कर स्टेशन के अन्दर जाने लगती है.
उधर पायल काफी देर से बैचैन हो कर पापा के आने का इंतज़ार कर रही है. पापा आयेंगे तो क्या करेंगे ये सोच कर उसकी धड़कने बार-बार तेज़ हो जा रही है. वैसे तो पायल पापा के साथ कई बार मस्ती कर चुकी थी पर ना जाने क्यूँ आज किसी के न होने पर भी उसका दिल घबरा रहा था. उसके अन्दर की बेशर्मी न जाने कहाँ चली गई थी. पापा के आने के खयाल से ही वो शर्मा जा रही थी. सोफे पर बैठे हुए उसकी नज़रे हर गुजरती गाड़ी को आशा भरी नज़रों से देखने लगती. तभी एक गाड़ी की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो झट से खिड़की से झांक कर देखती है तो पापा की गाड़ी गेट के अन्दर घुस रही है. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है.
रमेश गाड़ी से उअतर कर गेट बंद करते है और दरवाज़े के पास आते है. वो जैसे हे दरवाज़े की घंटी बजने के लिए हाथ उठाते है, दरवाज़ा खुलता है और सामने पायल शर्माते हुए खड़ी है. पायल को देख कर रमेश के चेहरे पर भी मुस्काम आ जाती है. वो अन्दर आते है और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर देते है. अपने हाथ की दोनों पन्नी टेबल पर रख कर वो सोफे पर बैठ जाते है. पायल दौड़ कर रसोई में जाती है और एक गिलास में ठंडा पानी ला कर रमेश को देती है.
पायल : पापा…! पानी पी लीजिये…
रमेश गिलास लेते हुए पायल की ऊपर से निचे घुर कर देखते है. पापा की इस खा जाने वाली नज़र से पायल शर्म से लाल हो जाती है.
रमेश : पायल बेटी. अब तो २ दिनों तक घर में सिर्फ हम दोनों अकेले है. बहुत दिनों से मैंने अपनी प्यारी बिटिया के साथ वक़्त नहीं बिताया. अब पूरे २ दिनों तक मैं अपनी पायल के साथ ही रहूँगा. ना कोई कसरत, ना कोई टहलना. सिर्फ मैं और मेरी पायल बिटिया. ठीक है ना बेटी?
रमेश की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. अपनी नज़रे झुका कर शर्माते हुए पायल कहती है.
पायल : हाँ पापा. ठीक है. अब २ दिनों तक में भी टीवी नहीं देखूंगी और पढ़ाई भी नहीं करुँगी. सिर्फ अपने पापा के साथ ही रहूंगी.
दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है. दोनों की आँखों में प्यार के साथ-साथ हवस भी दिखाई पड़ रही थी. कुछ देर वैसे ही नज़रों से बातें करने के बाद रमेश खड़े होते है.
रमेश : अच्छा पायल ये तुम्हारी भाभी ने कुछ तुम्हारा सामान दिया था, देख लो. मैं कपडे बदल के आता हूँ. फिर दोनों बाप-बेटी अराम से बातें करेंगे. अब तो २ दिनों तक कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी पापा..
रमेश के जाते ही पायल टेबल पर रखी एक पन्नी खोल कर देखती है तो उसमे माला-डी की गोलियां है. वो देखते ही पायल थोड़ी शर्मा जाती है और भाभी को याद कर के वो मुस्कुरा देती है. तभी उसकी नज़र दुसरी पन्नी पर पड़ती है. उत्सुकता से वो उस पन्नी में हाथ डालकर उसमे रखी एक शीशी बाहर निकालती है. जैसे ही उसकी नज़र उस शीशी पर पड़ती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. शीशी पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था – ‘शीलाजीत – एक्स्ट्रा पॉवर’.