Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 1 – Pure Taboo

उर्मिला पायल को ले कर छेदी के घर के पास पहुँच जाती है. पायल कुछ बोलने जाती है तो उर्मिला उसे चुप रहने का इशारा करती है. एक नज़र यहाँ-वहाँ देखने के बाद उर्मिला छेदी के घर और पड़ोस के घर के बीच की एकदम छोटी सी जगह में घुसने लगती है. वहां एक फ्रिज के बड़े से खोखे के पीछे जा कर उर्मिला पायल को आने का इशारा करती है. पायल भी धीरे से उस खोखे के पीछे चली जाती है. उर्मिला धीरे से छेदी के घर की खिड़की से अन्दर झांकती है. फिर वो पायल को भी अन्दर झाँकने का इशारा करती है. पायल भी खिड़की से अन्दर देखती है तो उसे छेदी सोफे पर बैठा दिखाई पड़ता है. सामने खुशबू चाय के कप धो रही है. ये खिड़की घर के रसोई की थी. रसोई घर के बड़े कमरे से लगी हुई थी. रसोई की खिड़की से कमरे का एक बड़ा हिस्सा साफ़-साफ दिखाई दे रहा था.

कप धो कर खुशबू अन्दर वाले कमरे में जाते हुए छेदी से कहती है.

खुशबू : भैया मैं कपडे बदल कर आती हूँ.

खुशबू के जाते ही उर्मिला और पायल की नज़रे छेदी पर टिक जाती है. वो देखते है की कुछ देर छेदी सोफे पर बैठा अपने फ़ोन में कुछ देख रहा है. फिर अचानक से वो आगे झुक कर अन्दर वाले कमरे में देखता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो फ़ोन टेबल पर रह कर अन्दर वाले कमरे में चले जाता है. उसके कमरे में जाते ही, उर्मिला और पायल को खुशबू के हंसने और हँसते हुए धीरे-धीरे चिल्लाने की आवाज़े आने लगती है. दोनों ध्यान लगा कर सुनती है तो खुशबू कह रही है, “ही ही ही ही …छोड़िये ना भैया…आप बहुत गंदे हो”. दोनों को समझने में देर नहीं लगती की छेदी अपने काम में लग गया है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. जैसे ही उर्मिला और पायल अपने कान खिड़की पर लगाने के लिए होते है, सामने खुशबू दौड़ती हुई अन्दर के कमरे से बाहर आती है. उसके बदन पर एक भी कपडा नहीं है और वो पूरी नंगी है. दौड़ने से उसके मोटे-मोटे दूध उच्छल रहे है. हँसते हुए वो सामने वाले कमरे में आती है. उसके पीछे छेदी भी बिना कपड़ो के दौड़ता हुआ बाहर आता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दौड़ने से झटका खाता हुआ उच्छल रहा है. छेदी खुशबू को पीछे से पकड़ लेता है. दोनों हाथों को उसके सीने पर ले जा कर वो उसके मोटे दूध दोबोच लेता है. खुशबू की नंगी पीठ और पिछवाड़ा छेदी के सीने और लंड पर चिपक जाते है. खुशबू के मोटे दूध को दबाते हुए छेदी पीछे से खुशबू के पिछवाड़े पर ५-६ जोरदार ठाप मार देता है. हर ठाप पर खुशबू की कमर आगे की और हो जाती है. खुशबू हँसते हुए छेदी से कहती है.

खुशबू : छोड़िये ना भैया…

खुशबू की बात पर छेदी उसे छोड़ देता है और कहता है.

छेदी : ले छोड़ दिया. अब दोनों हाथों को उठा कर खड़े हो जा.

खुशबू अपने दोनों हाथों को उठा कर खड़ी हो जाती है. बगलों के निचे और जाँघों के बीच घने बाल है. छेदी कुछ क्षण अपनी बहन को ऊपर से निचे तक देखता है फिर अपनी नाक उसकी बगलों में लगा कर सूंघने लगता है. खुशबू ये देख कर कहती है.

खुशबू : भैया…!! बाहर बहुत गर्मी थी. पसीने से सारा बदन भीग गया था. आप ऐसे मत सुंघिये. पसीने की गंद आ रही होगी.

छेदी पायल की दोनों बगलों में नाक लगा कर सूंघते हुए कहता है.

छेदी : मेरी बहन की पसीने की गंध के आगे तो दुनिया के बेहतरीन इत्र भी फ़ैल है. सूंघने दे जरा अपने पसीने की गंद.

खुशबू भी मजे से छेदी को पाने पसीने की गंध सूंघने देती है. छेदी खुशबू की दोनों बगलों, दूध, पेट और फिर जांघो के बीच अपनी नाक लगा कर अच्छे से उसकी पसीने की गंध सुन्घ्ता है. फिर खुशबू के पीछे जा कर उसकी चूतड़ों को फैलाकर नाक घुसा देता है और पिछवाड़े की भी गंध सुन्घ्ता है. अच्छी तरह से गंध सूंघने के बाद छेदी नशे में झूमते हुए किसी शराबी की तरह खुशबू का हाथ पकड़ता है और उसे सोफे पर पटक देता है. सोफे पर गिरते ही खुशबू सीधा लेते हुए मुस्कुरा देती है. छेदी उसके पैरो के पास आता है और उसकी दोनों टाँगे घुटनों से मोड़ कर खुशबू के सीने पर लगा देता है. निचे जांघो के बीच खुशबू की बूर फूल कर फ़ैल गई है. एक पैर सोफे पर रख कर अपने दुसरे पैर को घुटने से मोड़े हुए छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर के मुहँ पर रखता है. कमर निचे करते ही उसका मोटा लंड खुशबू की बूर को फैलाता हुआ अन्दर जाने लगता है. निचे सोफे पर लेती खुशबू की आँखे बंद हो जाती है और चेहरे पर हलके से दर्द और आनंद के भाव आ जाते है.

उर्मिला और पायल ये नज़ारा खिड़की से आँखे फाड़े देख रहे थे. भाई-बहन का ये मिलन देख कर दोनों की बूर में पानी आने लगा था. एक दिसरे को हैरानी से देख कर दोनों फिर से अन्दर झाँकने लगती है.

अन्दर छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर में पूरा भर चूका था. अपनी कमर को ऊपर निचे करते हुए वो खुशबू की बूर छोड़ रहा था. वो अपनी कमर खुशबू की जांघो के बीच इतनी जोर से पटक रहा था की जब लंड की ठाप बूर पर पड़ती तो खुशबू की बूर से पानी के कुछ छींटे उड़ जाते. ३०-४० जोर दार ठाप मारने के बाद छेदी अपना लंड खुशबू की बूर से बाहर निकालता है. वो खुशबू का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और फिर उसके पीछे जा कर उसे गोद में उठा लेता है. खुशबू की जाँघों को निचे से पकडे हुए छेदी उसे ऊपर उठता है. खुशबू की पीछे हो कर छेदी के सीने पर अपनी पीठ चिपका लेती है. खुशबू को ऊपर उठा कर छेदी अपना मोटा लंड उसकी बूर में निचे से ठूँस देता है. लंड के अन्दर जाते ही खुशबू छेदी के लंड की सवारी करते हुए उच्छालने लगती है.

खुशबू का चेहरा रसोई की खिड़की की रताफ है. उर्मिला और पायल छेदी के मोटे लंड को खुशबू की बूर में अन्दर-बाहर होता साफ़-साफ़ देख पा रहे थे. दोनों को यकीन नहीं हो रहा था की इतना मोटा लंड खुशबू अपनी बूर में ले कैसे रही है. छेदी निचे से ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अब पायल की हालत खराब हो चुकी थी. वो एक हाथ अपनी टॉप के निचे से अन्दर डाल कर एक निप्पल को मसलने लगती है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो समझ जाती है की पूरी तरह से गरमा गई है.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) क्या हुआ पायल ?

पायल : (धीमी आवाज़ में) आह..!! भाभी…!! प्लीज मुझे पापा का लंड दिलवा दीजिये.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) तेरे पापा तो लंड पकड़ के तैयार बैठे है. तू ही तो नखरे करते रहती है.

पायल : (धीमी आवाज़ में) नहीं करुँगी भाभी. सारा दर्द सह लुंगी, बस आप किसी भी तरह से पापा का लंड दिलवा दीजिये.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) अच्छा चल अब यहाँ से. ये दोनों की चुदाई देखने में रह गए तो घर जाने में देरी हो जाएगी. ये तो ३-४ घंटे जम के चुदाई करने वाले है.

एक बार खिड़की के अन्दर छेदी और खुशबू की चुदाईदेख कर उर्मिला और पायल धीरे से बाहर निकलते है. चलते हुए दोनों गली से बाहर निकल जाती है और एक बंद दूकान के पास खड़ी हो जाती है. पायल पसीना-पसीना हो चुकी थी. उसकी साँसे तेज़ थी और सांसो से उसके मोटे दूध ऊपर-निचे हो रहे थे.

पायल : भाभी प्लीज. मुझे पापा का लंड चाहिए.

उर्मिला : देख पायल. सबके घर में होते हुए तो मुश्किल है. लंड डालते वक़्त तूने चिल्ला दिया तो सब पकडे जायेंगे. जब घर में कोई नहीं होगा तब ही ये हो पायेगा.

पायल : भाभी मुझसे नहीं रहा जा रहा. प्लीज कुछ करीये ना.

उर्मिला : (कुछ देर सोचने के बाद) देख पायल मैं कुछ जुगाड़ कर भी दूँ पर फिर तेरे नखरे शुरू हो गये तो?

पायल एक हाथ से अपना गला छुते हुए कहती है.

पायल : कोई नखरा नहीं करुँगी भाभी. गॉड प्रॉमिस…!!

उर्मिला : पक्का…!!

पायल : हाँ भाभी….एक दम पक्का…!!

उर्मिला : चल ठीक है. रुक मुझे एक फ़ोन करने दे.उर्मिला अपना फ़ोन निकाल कर कोई नंबर मिलाती है और फिर कान में लगाये हुए थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो जाती है. पायल देखती है तो उर्मिला हँस-हँस के किसी से बात कर रही है. वो समझ नहीं पा रही थी की भाभी किस से बात कर रही है और उसके दिमाग में क्या है. १० मिनट बात करने के बाद उर्मिला पायल के पास आती है और मुस्कुराते हुए कहती है.

उर्मिला : ले कर दिया तेरा काम.

पायल : मैं कुछ समझी नहीं भाभी.

उर्मिला : घर चल, सब समझ जाएगी.

उर्मिला एक ऑटोरिक्शा रोकती है और दोनों बैठ जाते है. ऑटोरिक्शा चल पड़ता है. पायल के दिमाग में वही सब घूम रहा था. वो उलझन में थी की आखिर भाभी ने ऐसा क्या कर दिया की उसका काम हो जायेगा. उर्मिला पायल को देख कर मुस्कुरा रही थी. तभी उर्मिला का फ़ोन बजता है. वो देखती है तो उमा का कॉल था. उर्मिला मुस्कुराते हुए फ़ोन उठती है.

उर्मिला : जी मम्मी जी…हम लोग बस पहुँच ही रहे है………………..क्या बात कर रहे हो मम्मी? कब हुआ?…………हे भगवान…!!……………..किसी ने बताया भी नहीं…………..ठीक है मम्मी जी हम बस पहुँच ही रहे है.

उर्मिला फ़ोन काट देती है. पायल बड़ी हैरानी के साथ उर्मिला को देखती है.

पायल : क्या हुआ भाभी?

उर्मिला : अरे कहा तो था. तेरा काम हो गया.

पायल : बताइए ना भाभी की आपने क्या किया और ये मम्मी को अचानक क्या हो गया? आपको फ़ोन कर के क्या कह रही थी?

उर्मिला पायल को मुस्कुराते हुए देखती है. फिर अपना चेहरा उसके पास ला कर कहती है.

उर्मिला : अपना जुगाड़ लगाया बस..!! देख..! एक हफ्ते पहले मेरी बात अपने भाई से हुई थी. उसका कोई दोस्त तेरे मामाजी का पडोसी है. उस से पता चल था की तेरे मामाजी का हाथ टूट गया है.

पायल : हे भगवान भाभी..!! कब टूटा?

उर्मिला : डेढ़ हफ्ते हो गए. अब तू मम्मी जी को जानती ही है. उनके मायके में कुछ भी होता है तो वो दौड़ते हुए पहुँच जाती है.

पायल : हाँ भाभी. और पापा इस बात पर हमेशा गुस्सा करते है.

उर्मिला : हाँ. और इसलिए तेरे मामाजी ने ये खबर तेरी मम्मी तक नहीं पहुँचने दी. उनके पडोसी से मेरे भाई को पता चला और फिर मुझे.अब मैंने अपने भाई से कह कर तेरे मामाजी के पडोसी से मम्मी जी को फ़ोन करवा दिया. बस…!! मम्मी जी अपना सामान पैक कर के तैयार हो गई.

पायल : पर भाभी मामाजी के घर कैसे जुगाड़ होगा?

उर्मिला : धत्त बुध्धू ..!! मामाजी के घर मम्मी जी, मैं और सोनू जायेंगे. तू और पापा घर पर ही रहेंगे.

पायल : (खुश होते हुए) पर भाभी ये होगा कैसे?

उर्मिला : वो तू मुझ पर छोड़ दे. तुझे बस अपने ख़ुशी पर कुछ देर के लिए ताला लगाना है और चाबी नदी में फेक देनी है. समझ गई ना?

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी…समझ गई…

उर्मिला : गुड…!! देख घर आ गया है. अपने चेहरे पर उदासी ला ले. और घर में मुहँ बंद कर के रखना. मैं सब संभाल लुंगी.

पायल : ठीक है भाभी.

घर के सामने ऑटोरिक्शा रक्त है और पैसे दे कर उर्मिला और पायल घर के अन्दर आते है. सामने सोफे पर उमा आँखों में आंसू लिए बैठी है. उनके पैरों के पास दो बड़े बैग रखे हुए है. सामने बाबूजी और सोनू बैठे है.

रमेश : अरे अब बस भी करो उमा. इसमें इतना रोने वाली क्या बात है? हाथ टूटा है बस.

उमा : (रोते हुए) आप तो रहने दीजिये. मेरे घर वालों की चिंता आपको क्यूँ होगी. आपके घर वाले होते तब पता चलता.

तभी उर्मिला उमा के पैरों के पास बैठ जाती है. उर्मिला को देख कर उमा की आँखों से आंसुओ की धरा बहने लगती है.

उमा : (रोते हुए) देख ना बहु….कैसे मोहन ने अपना हाथ तुडवा लिया. कितना दर्द हो रहा होगा उसे.

उमा की बात पर रमेश धीरे से बोल पड़ते है.

रमेश : (धीमी आवाज़ में) मेरा बस चले तो साले की टाँगे भी तोड़ दूँ.

सोनू और पास खड़ी पायल झट से अपने मुहँ पर हाथ रखे अपनी हंसी छुपाने लगते है.

उमा : (चेहरे पर गुस्से के भाव लाते हुए रमेश को देखती है) क्या? क्या कहा आपने?

रमेश : (सकपकाते हुए) क..क..कुछ नहीं उमा. मैं तो ये कह रहा था की हाथ टूटने पर दर्द तो होता ही है.

उमा आँखों में आंसू लिए उर्मिला से कहती है.

उमा : बहु…तुम और पायल भी जल्दी से अपना सामान पैक कर लो. हमे अभी ही निकलना पड़ेगा.

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