“बस भैया, यहीं गली के सामने रोक दीजिये” – खुशबू ने ऑटोरिक्शा वाले से कहा. ऑटोरिक्शा एक छोटी से गली के सामने जा कर रुक जाता है. खुशबू ड्राईवर को पैसे देती है और पायल से कहती है.
खुशबू : चलिए दीदी. अब आप लोग यहाँ तक आ गये हो तो मेरा घर भी देख लीजिये और चाय भी पी लीजिये.
पायल : अरे नहीं खुशबू. क्यूँ तकलीफ करती हो. हम लोग फिर कभी आ जायेंगे. अभी वैसे भी देर हो रही है.
पायल की बात पर खुशबू उसका हाथ पकड़ लेती है और जिद करने लगती है.
खुशबू : देखिये ना भाभी, दीदीने कैसे मन कर दिया. आप लोग पहली बार आये हो और ऐसे ही चले जाओगे? बिना चाय पिए मैं नहीं जाने दूंगी.
उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा ठीक है. चल..! तेरे हाथ की चाय पी ही लेते है.
उर्मिला की बात पर पायल भी हँस देती है और दोनों खुशबू के पीछे-पीछे उस छोटी सी गली में अन्दर जाने लगते है. गली के दोनों तरफ मकान बने हुए है और लगभग सारे मकान एक दुसरे से सटे हुए है. कुछ मकानों के बीच छोटी से जगह खली है और वहां साइकल या मोटर गाड़ी रखी हुई है. गली में थोडा अन्दर जाते ही एक मकान के पास जा कर खुशबू रुक जाती है.
खुशबू : लो भाभी…!! आ गया मेरा घर.
खुशबू घर का दरवाज़ा खटखटाती है तो दरवाज़ा खुलता है और सामने छेदी दिखाई पड़ता है. उर्मिला और पायल को देख कर छेदी कहता है.
छेदी : अरे आप लोग? आइये ना…अन्दर आइये.
तीनो घर में चली जाती है. पायल और उर्मिला नज़रे घुमाते हुए घर के अन्दर का हाल देखने लगती है. उनके घर के हिसाब से ये घर कुछ भी नहीं था. छेदी समझ जाता है की उर्मिला और पायल ने शायद ही कभी इतना छोटा घर देखा हो. वो कहता है.
छेदी : बस जी…अब जैसा भी है यही है हमारा घर.
उर्मिला : ऐसा क्यूँ कह रहे है छेदी जी? घर के छोटे या बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उस घर में कौन रहता है वो जरुरी है. खुशबू ने आपके और परिवार के बारें में हमे जितना भी बताया है उस बात से मैं कह सकती हूँ की इस घर में बहुत अच्छे लोग रहते है. और छेदी जी आपने इस घर के लिए जो कुछ भी किया है वो काबीले तारीफ है.
उर्मिला की बात सुन कर छेदी का दिल भर आता है. अपने जीवन में उसने बहुत कठनाइयां देखी थी. लोगो की गालियाँ और मार तक खा चूका था. आज एक ऊँचे परिवार की बहू के मुहँ से अपनी तारीफ़ सुन कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था. पास खड़ी खुशबू भी इस बात से बहुत खुश थी. उर्मिला और पायल के लिए उसके दिल में जो इज्ज़त थी वो अब और भी ज्यादा बढ़ गई थी.
छेदी : अरे आप लोग खड़े क्यूँ है? बैठिये ना. खुशबू… जल्दी से ४ कप बढियाँ वाली चाय बनाओ.
उर्मिला और पायल सोफे पर बैठ जाते है और खुशबू रसोई में चाय बनाने चली जाती है. छेदी भी सामने वाले सोफे पर बैठ जाता है और दोनों से बात करने लगता है. उर्मिला, पायल और छेदी में बात-चित का सिलसिला शुरू हो जाता है. दुनियादारी से ले कर काम-काज की बातें होने लगती है.
बात करते हुए बार-बार छेदी की नज़र रसोई में चाय बना रही खुशबू की चौड़ी चूतड़ों पर जा रही थी. घुटनों तक लम्बी स्कर्ट पीछे से उठी हुई दिख रही थी. जब उसकी कमर हिल जाती तो पीछे स्कर्ट पर दोनों चूतड़ों का आकार साफ़ दिखने लगता. छेदी की नज़र ठीक खुशबू की चूतड़ों पर ही थी की उर्मिला ने देख लिया. अपनी कोहनी पायल के हाथ पर मारते हुए उर्मिला उसे भी वो नज़ारा दिखा देती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है. उर्मिला को समझने में देर नहीं लगी की छेदी की फिराक में है.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्या बात है छेदी जी? कहाँ ध्यान है आपका?
उर्मिला की बात सुनते ही छेदी झट से अपनी नज़रे खुशबू की चूतड़ों से हटाते हुए कहता है.
छेदी : अरे और कितना वक़्त लगेगा चाय बनने में?
खुशबू : (रसोई से आवाज़ देती है) बस भैया…बन गई है. अभी ला ही रही हूँ.
छेदी : (बनावटी हंसी में ) जी..जी..वो बस देख रहा था की अब तक चाय क्यूँ नहीं बनी.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) खुशबू तो आपको ‘भईया’ ही कहती है ना?उसके मुहँ से ‘भईया’ सुनकर आपको अच्छा लगता होगा ना?
उर्मिला का इशारा अब छेदी समझ जाता है. उस दिन रात में छेदी ने जो ‘भईया’ वाली बात की थी उसमे आज वो खुद ही फस गया था. वो समझ जाता है की अब बात बदलने का कोई फ़ायदा नहीं है. सर पर हाथ घुमाते हुए वो नज़रे निचे कर लेता है और मुस्कुराते हुए कहता है.
छेदी : (मुस्कुराते हुए) अब क्या कहूँ मैडम जी आपसे. बहुत वक़्त से खुशबू की जवानी ने परेशान कर रखा था. थोडा समय लगा इसे मनाने में पर आखिरकार मान गयी.
उर्मिला : अब तो नखरे नहीं करती हैं ना खुशबू?
छेदी : अरे नहीं नहीं मैडम जी. अब तो पूरा मजा देती है. कभी-कभी तो लगता है की मुझसे ज्यादा मजा इसे ही आता है.
उर्मिला : भाई-बहन को सबसे ज्यादा मजा एक दुसरे के साथ ही आता है छेदी जी.
तभी एक थाली में चाय लिए खुशबू वहां आ जाती है.
उर्मिला : लीजिये…आ गई आपकी लाड़ली बहन.
मिलन हो या नहीं हो लेकिन मिलन की बातें भी रोमांचित करती है
मज़ा आ रहा है बनें रहिएकंटीन्यूटी बनाए रखिए बहुत बढ़िया कहानी जा रही है खुशबू थाली टेबल पर रख देती है तो उर्मिला उसका हाथ पकड़ कर अपने और पायल के बीच बिठा लेती है. उसके सर पर हाथ फेरते हुए उर्मिला कहती है.
उर्मिला : छोटी सी उम्र में ही बड़ी सयानी हो गई है आपकी बहन छेदी जी. लगता है बहुत ख्याल रखती है आपका.
उर्मिला की बात सुन कर खुशबू थोडा शर्मा जाती है और नज़रे झुका लेती है. छेदी भी खुशबू को देखते हुए कहता है.
छेदी : ये बात तो आपने बिलकुल सही कही मैडम जी. मेरा तो ये बहुत ख़याल रखती है.
उर्मिला हाथ से खुशबू के चेहरा ऊपर उठाते हुए कहती है.
उर्मिला : इतना क्यूँ शर्मा रही है. ऊपर देख. तेरे भैया भी तेरा ख्याल रखते है या नहीं? बोल….
खुशबू एक बार उर्मिला को देखती है फिर छेदी को और मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे फिर से झुका लेती है और धीरे से ‘हाँ’ कह देती है.
उर्मिला : अब इतना भी क्या शर्मना? हम लोग क्या पराये है?
उर्मिला की बात पर खुशबू झट से सर उठा कर उर्मिला को देखते हुए कहती है.
खुशबू : ऐसा मत बोलिए भाभी. आप लोग तो मेरे लिए परिवार के सदस्य की तरह ही हो.
उर्मिला : ये हुई ना बात.
फिर उर्मिला एक टक घूरते हुए खुशबू के मोटे-मोटे दूध देखने लगती है और कहती है.
उर्मिला : एक बात तो मानना पड़ेगा छेदी जी. अमरुद को खरबूजा बनाने में आपने कोई कसार नहीं छोड़ी.
उर्मिला की बात सुनकर खुशबू शर्मा जाती है. छेदी भी थोडा शर्माते हुए कहता है.
छेदी : अब मैं क्या कहूँ मैडम जी. लड़कियां बड़ी होती है तो अमरुद तो खरबूजे बन ही जाते है. छेदी की बात सुन कर खुशबू झट से अपना सर उठा के कहती है.
खुशबू : झूठ मत बोलिए भैया. दिन-रात आप मेरे दबाते और मसलते रहोगे तो बड़े तो होंगे ही ना..
खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल जोर-जोर से हँसने लगती है. छेदी भी थोडा शरमाते हुए हँस देता है. खुशबू को जब अपनी कही बात का आभास होता है तो वो शर्म से लाल हो जाती है और अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लेती है. उर्मिला हँसते हुए उसका हाथ चेहरे से हटाती है.
उर्मिला : क्यूँ हँस रहे हो तुम लोग? सही तो कह रही है ये. अब इसके भैया हमेश इसके दूध दबाते रहेंगे तो बड़े नहीं होंगे क्या? दिखा दे खुशबू अपने भैया को उनका कारनामा.
ये बोल कर उर्मिला झट से खुशबू की टॉप निचे से उठा देती है. उसके दोनों मोटे दूध उच्छल के बाहर आ जाते है. पायल भी खुशबू के दूध देख कर दांग रह जाती है. १८ साल की उम्र में इतने बड़े-बड़े दूध देख कर उसे यकीन नहीं होता है. अपनी बहन के दूध देख कर छेदी की भी हालत ख़राब हो जाती है. भोली-भली खुशबू को यही लगता है की उर्मिला सच में छेदी को दिखाना चाह रही है की उसने दबा-दबा कर अपनी बहन के दूध कितने बड़े कर दिए है. वो भी छेदी की तरफ देख कर कहती है.
खुशबू : हाँ भैया अच्छे से देखिये. ये आप ने ही किया है.
उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है. छेदी भी मुस्कुरा देता है. उर्मिला जब छेदी की पैंट में बना तम्बू देखती ही तो वो समझ जाती है की अब उनके विदा लेने का वक़्त आ गया है. वो खुशबू की टॉप निचे करते हुए कहती है.
उर्मिला : अच्छा अब हम लोग चलते है.
खुशबू : इतनी जल्दी भाभी? थोड़ी देर और रुकिए ना.
उर्मिला : फिर कभी खुशबू. अब हमे भी देर हो रही है. घर में सब इंतज़ार कर रहे होंगे.
छेदी : ठीक है मैडम जी. फिर आइयेगा.
चारों दरवाज़े पर आते है. उर्मिला और पायल बाहर निकल आते है. उर्मिला छेदी को देख कर धीरे से कहती है.
उर्मिला : ध्यान से छेदी जी. बिस्तर मद तोड़ दीजियेगा.
उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. छेदी और खुशबू दोनों शर्मा जाते है. खुशबू पास खड़ी पायल के गले लगती है. फिर वो उर्मिला से भी गले मिलती है तो उर्मिला धीरे से उसके काम में कहती है.
उर्मिला : माँ के आने से पहले भैया का लंड अपनी बूर में ३-४ बार अच्छे से निचोड़ लेना.
खुशबू : (मुस्कुराते हुए धीरे से) हाँ भाभी. आज भैया के लंड से एक-एक बूँद निचोड़ लुंगी अपनी बूर में.
छेदी और खुशबू से विदा ले कर दोनों गली से बाहर निकलते है. पायल कहती है.
पायल : बापरे भाभी. दोनों भाई-बहन की गर्मी देख कर तो मेरे पसीने छूट गए.
उर्मिला : हाँ रे सच. मैं तो ये सोच के हैरान हूँ की ये लड़की कैसे अपने भैया का मोटा लंड लेती होगी.
पायल : हाँ भाभी. खुशबू के मोटे दूध देख कर छेदी के पैंट में जो तम्बू बना था वो पापा की धोती वाले तम्बू जैसा ही था. छेदी का भी पापा जैसा ही होगा.
उर्मिला कुछ सोचती है. फिर पायल का हाथ पकड़ के गली की तरफ वापस जाते हुए कहती है.
उर्मिला : चल पायल मेरे साथ.
पायल : (कंफ्यूज होते हुए) कहाँ भाभी? आप करना क्या चाह रही है?
उर्मिला : (पायल का हाथ पकड़ के गली में घुस जाती है) अरे तू चल तो सही.