Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 1 – Pure Taboo

अपडेट ४:

पानी की टंकी छत के एक कोने में स्थीत है. टंकी के पीछे एक त्रिकोण आकार का छत का खाली हिस्सा है जिसके दोनों तरफ छत की ऊँची दीवार और तीसरी तरफ पानी की टंकी है. उर्मिला सोनू का हाथ पकड़ के वहां ले आती है और निचे बैठ जाती है. सोनू का हाथ पकडे हुए उर्मिला कहती है.

उर्मिला : आ सोनू. मेरे सामने बैठ.

सोनू उर्मिला के सामने बैठ जाता है. उसका मोटा लंड अब भी शॉर्ट्स के बाहर ही है. उर्मिला सोनू के सामने पहले तो पेशाब करने वाली पोजीशन में बैठती है और अपनी साड़ी निचे से उठा के कमर तक चढ़ा लेती है. फिर वो ज़मीन पर बैठ जाती है और पीछे हो कर अपना सर दोनों तरफ की दीवारों के बीच टिका देती है. उर्मिला धीरे धीरे अपने पैरों खोलती है और उसकी बूर सोनू के सामने खुल के आ जाती है. उर्मिला की बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल है. बूर के ओंठ आपस में चिपके हुए है जिनके बीच से चिपचिपा पानी रिस रहा है. उर्मिला प्यार से सोनू की तरफ देखती है और कहती है.

उर्मिला : अपनी भाभी का खज़ाना कैसा लगा देवर जी ?

सोनू भले ही कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन उसने कभी भी उर्मिला को उस नज़र से नहीं देखा था. जब उर्मिला शादी कर के नयी नयी इस घर में आई थी तब से उसने सोनू को बहुत प्यार दिया था. पापा की मार से बचाने से ले कर दोस्तों के साथ फिल्म देखने के पैसो तक भाभी ने हमेशा से ही उसका साथ दिया था. उसके दिल में उर्मिला भाभी के लिए माँ बाप से ज्यादा सम्मान था. वो भाभी को कभी इस हाल में भी देखेगा उसने कभी नहीं सोचा था. सोनू एक बार उर्मिला भाभी की बूर पर नज़र डालता है और फिर पीछे हट जाता है.

सोनू : नहीं भाभी. ये मुझसे नहीं होगा. आप मुझे बहुत प्यारी है. देखिये ना …(अपने छोटे होते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए)… अब तो इसने भी मना कर दिया है.

उर्मिला सोनू की तरफ बड़े ही आश्चर्यता से देखती है. उसे यकीन ही नहीं होता है की जो लड़का अपनी बहन के पीछे लंड खड़ा किये घूमता है वो अपनी भाभी की खुली बूर से दूर भाग रहा है. तभी उर्मिला के विचार में आये उस ‘बहन’ शब्द ने सारा मामला सुलझा दिया. उर्मिला ने अँधेरे में एक तीर चला दिया.

उर्मिला : (अपने हाथ की दो उँगलियों से बूर के ओठों को थोड़ा खोलते हुए) देख सोनू… ध्यान से देख. ये बूर तेरी भाभी की थोड़ी ना है. ये तो तेरी पायल दीदी की बूर है.

उर्मिला की बात सुन के सोनू गौर से उसकी बूर को देखने लगता है. उसकी नज़रे उर्मिला की बूर की फांक में धँस जाती है. सोनू को अपनी बूर को इस तरह से घूरता देख उर्मिला का हौसला बढ़ जाता है.

उर्म्मिला : (अपनी कमर को थोड़ा उठा के अपनी बूर को सोनू के और करीब ले जाती है) अपनी पायल दीदी की बूर को देख सोनू. कैसे तुझे बुला रही है. तुझे याद करके देख कैसे पानी छोड़ रही है. (फिर उर्मिला झट से अपने हाथ पीछे पीठ पर ले जा कर ब्राका हुक को खोल देती है. फिर वो ब्लाउज के आगे के हुक्स फटाफट खोल के ब्रा उतर देती है. दोनों हाथों से ब्लाउज को आगे से जैसे ही उर्म्मिला खोलती है, उसकी ३६ डी की बड़ी बड़ी चूचियां उच्चल के बाहर आ जाती है. अपनी एक चूची को पंजे से दबोच के दबाते हुए उर्म्मिला कहती है) ए सोनू…!! देख तेरी पायल दीदी अपनी खुली बूर और नंगी चुचियों के साथ तुझे बुला रही है. आ… अपनी पायल दीदी की प्यास बुझा दे मेरे रजा भैया…!!

उर्मिला भाभी के मुहँ से ‘भैया’ शब्द सुनते ही सोनू के सामने पायल की तस्वीर आ जाती है. वो उर्मिला भाभी को देखता है तो उसे पायल दीदी नज़र आने लगती है. सोनू का छोटा होता लंड एक झटके के साथ फिर से खड़ा हो जाता है. सोनू के मुहँ और लंड दोनों से लार टपकने लगती है. वो उर्मिला भाभी पर छलांग लगा देता है.

सोनू : (उर्मिला पर चढ़ के उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को पागलों की तरह चूमने लगता है. कभी चुचियों के ऊपर, कभी निचे, कभी दायें तो कभी बाएं. कभी वो दोनों निप्पलों को बारी बारी जोर जोर से चूसता है तो कभी दाँतों से काट लेता है. वो बार बार पायल का ही नाम ले रहा है) आह…!! मेरी पायल दीदी, मेरी प्यारी पायल दीदी, कितना तड़पाती हो अपने छोटे भाई को….आह ssssss …. दीदी….!!

सोनू की इस हरकत से उर्मिला पागल सी हो जाती है. २२ दिनों के बाद आज किसी मर्द ने उसे इस तरह से छेड़ा था. वो पायल का नाम ले कर सोनू को और जोश दिलाती है.

उर्मिला : सोनू तेरे सामने तेरी पायल दीदी नंगी है. उसके नंगे बदन से खेल सोनू. तेरा जो दिल करे तू आज वो कर ले अपनी पायल दीदी के साथ.

सोनू पुरे जोश में उर्मिला के बदन को चूमने और चाटने लगता है. चुचियों को जी भर के चूसने के बाद वो उर्मिला के पेट को चूमने लगता है. उसकी गहरी नाभि में जीभ घुसा के अच्छे से चूमता और चाटता है. फिर सोनू की नज़र उर्मिला की फूली हुई बूर पर आ के ठहर जाती है. वो कुछ क्षण वैसे हे बूर को प्यासी नज़रों से देखता है फिर अपना सर उर्मिला की दोनों खुली जांघो के बीच धंसा देता है.

सोनू : उफ्फ्फ्फ़……पायल दीदी…!! (सोनू की जीभ मुहँ से औकात से भी ज्यादा बाहर निकल के सीधा उर्मिला की बूर की फांको के बीच घुस जाती है. बूर के अन्दर जीभ घुसा के सोनू उसे गोल गोल घुमाने लगता है)

उर्मिला ने कॉलेज में खूब मजे किये थे लेकिन ऐसा मज़ा आज उसे पहली बार मिल रहा था. इस नए मज़े का पहला स्वाद चखते हे पायल के होश उड़ जाते है. उसकी आँखे बंद हो जाती है और हाथ अपने आप सोनू का सर पकड़ के जांघो के बीच और ज्यादा धंसा देते है.

उर्मिला : आह….!!!!!! सोनू ssssss…!!! आज पायल दीदी की बूर चूस चूस के लाल कर देगा क्या?

सोनू : हाँ दीदी… आज मुझे इसका जी भर के रस पी लेने दो…

करीब ५ मिनट तक सोनू से बूर चुसवाने के बाद उर्मिला अपनी आँखे खोलती है. वो देखती है की उसकी बूर चूसते हुए सोनू अपने मोटे लंड पर हाथ चला रहा है. उर्मिला समझ जाती है की अभी इसे रोका नहीं गया तो वो अपना पानी गिरा देगा और उसकी बूर प्यासी ही रह जाएगी.

उर्मिला : सोनू…!! ओ मेरे प्यारे भैया…!! अपनी पायल दीदी की बूर में अपना मोटा लंड नहीं ठूँसोगे? (उर्मिला अपनी कमर उठा के सोनू की आँखों के सामने बूर दिखाते हुए कहती है)

उर्मिला की बूर में सोनू को पायल की बूर नज़र आ रही है. वो अपना मोटा लंड खड़ा किये फिर एक बार उर्मिला पर छलांग लगा देता है. सोनू का लंड एक बार बूर की दीवार से टकराता है और चिकनाई से फिसलता हुआ सीधा बूर के अन्दर धंस जाता है. धक्का इतनी जोर का था की उर्मिला की चुतड ज़मीन पर ‘धम्म’ की आवाज़ के साथ गिर जाती है और सोनू का लंड उसकी बूर में जड़ तक घुस जाता है. उर्मिला तो मानो जन्नत की सैर करने लगती है. सोनू की कमर को अपनी दोनों टांगो से जकड़ के और बाहों को उसके गले में डाले उर्मिला सोनू को चूमने लगती है.

उर्मिला : मेरा सबसे प्यारा भैया…!! अपनी पायल दीदी का दुलारा…!! अपनी कमर को पायल दीदी की जांघो के बीच उठा उठा के पटक सोनू…!!

सोनू : (पूरे जोश में अपनी कमर को उठा उठा के उर्मिला की जांघो के बीच पटके जा रहा है. टंकी के पीछे का वो छोटा सा त्रिकोनी हिस्सा ‘ठप्प’ ‘ठप्प’ की तेज़ आवाज़ से गूंजने लगता है) मज़ा आ रहा है दीदी? अपने छोटे भाई का मोटा लंड बूर में ले कर मज़ा आ रहा है?

उर्मिला : हाँ सोनू…!! बहुत मज़ा आ रहा है. और जोर से चोद अपनी बहन को.

सोनू पागलों की तरह उर्मिला को पायल समझ के चोदे जा रहा था. और आखिरकार वो पल आया जब सोनू का पूरा बदन अकड़ने लगा. उसके कमर की रफ़्तार तेज़ हो गई. चेहरे के भाव को उर्मिला ने पढ़ लिया था. उर्मिला के पैरों ने सोनू की कमर पे अपना शिकंजा और कस दिया, बाहों ने उसकी पीठ को सीने पर दबा लिया.

सोनू ‘ओह पायल दीदी’, ‘ओह पायल दीदी’ करने लगा और उसकी कमर उर्मिला की जांघो के बीच पूरी तरह से धंस के झटके खाने लगी. उसका लंड उर्मिला की बूर की गहराई में वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा. उर्मिला ने भी अपनी बूर के ओठों को लंड पर कस के वीर्य की एक एक बूँद अपनी बूर में झडवा ली. अपने लंड को पूरी तरह से उर्मिला की बूर में खाली करने के बाद सोनू उर्मिला के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक दोनों एक दुसरे को बाहों में लिए वैसे ही ज़मीन पर पड़े रहे.

सोनू ने अपनी आँखे खोली तो उर्मिला भाभी का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके सामने था. वो अपनी आँखों में शर्म लिए उर्मिला के शरीर से उठता है. उठते ही उसका लंड उर्मिला की बूर से फिसलता हुआ ‘फ़क्क’ की आवाज़ के साथ निकल जाता है. उर्मिला की बूर से सफ़ेद गाढ़े पानी की धार बहती हुई उसकी चूतड़ों की दरार में घुसने लगती है. सोनू के लंड पर से भाभी और उसके वीर्य का मिश्रण बहता हुआ लार की तरह टपक रहा है. सोनू भाभी को देखता है.

सोनू : भाभी … आपको बुरा तो नहीं लगा ना?

उर्मिला : (हस्ते हुए) मुझे बुरा क्यूँ लगेगा? चुदाई तो पायल की हुई है ना? अच्छा अब अपने कपड़े ठीक कर और सबसे नज़रे बचा के निचे चले जा. कोई मेरे बारें में पूछे तो बोल देना की भाभी कपड़े सुखाने डाल के अभी आ रही है.

दोनों एक दुसरे को देख के हँस देते है. सोनू अपने कपडे ठीक कर के यहाँ वहां देखता हुआ निकल जाता है. उर्मिला वहीं बैठे हुए अपनी साड़ी ठीक करती है. वो सोनू को जाता हुआ देखती है और मुस्कुरा देती है . “गजब का बेहनचोद पैदा किया है मम्मी जी ने. लड़के अपनी भाभियों की बूर के लिए लार टपकाते उनके पीछे घूमते रहते है और एक ये बेहनचोद है जो भाभी की बूर को भी तब ही चोदता है जब वो उसे बहन की बूर कहती है”. उर्मिला हँसते हुए खड़ी होती है और वहां से निकल कर खाली बाल्टी ले कर सीढ़ियों से निचे उतरने लगती है.

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अगली सुबह उर्मिला अंगडाई लेते हुए आँखे खोलती है. बहुत दिनों के बाद उसे ऐसी नींद आई थी. ये सब पिछली शाम सोनू के मोटे लंड से चुदने का कमाल था. उर्मिला बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी नाइटी उठा के बूर को देख मुस्कुरा देती है. फिर वो उठ के बाथरूम में चली जाती है.

सुबह के ६:३० बज रहे है. उर्मिला रसोई में बर्तन धो रही है और गैस पर चाय चढ़ी है. तभी उसे पायल की आवाज़ आती है.

पायल : गुड मोर्निंग भाभी….

उर्मिला : (मुड़ के देखती है तो सामने पायल टॉप और पजामा पहने खड़ी है) अरे पायल ? आज सूरज किस दिशा से निकला है? तू आज इतनी सुबह कैसे उठ गई ?

पायल : पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ होता है ? कॉलेज था तो नींद आती थी. अब बंद है तो सुबह सुबह ही नींद खुल गई.

उर्मिला : (हँसते हुए) ऐसा सब के साथ होता है पायल. येही तो स्कूल और कॉलेज के हर स्टूडेंट की कहानी है. (उर्मिला की नज़र पायल की टॉप में कैद उसकी चुचियों पर जाती है. बिना ब्रा के ऐसी लग रही है की अगर किसी ने उसकी टॉप पर ब्लेड रख भी दी तो अभी टॉप फाड़ के बाहर आ जायेंगी. पायल फ्रिज खोल के पानी की बोतल उठाने के लिए झुकती है तो उसकी चुतड उठ के दिखने लगती है. “सोनू सही करता है. ऐसी चौड़ी चुतड के पीछे तो हर कोई लंड पकडे घूमता रहे”, पायल मन में सोचती है)

पायल : (एक घूंट पानी पीने के बाद) लाईये भाभी… मैं बर्तन धो दूँ..

उर्मिला : अरे मैं धो लुंगी. तू एक काम कर. वाशिंग मशीन में कुछ कपड़े है. तू उन्हें छत पर ले जार कर डाल दे.

पायल : ओके भाभी… एज़ यू विश…

पायल वाशिंग मशीन से कपड़ों को निकाल के एक बाल्टी में डाल देती है और सीढ़ियों की और बढ़ने लगती है. पिछसे उर्मिला उसे आवाज़ देती है.

उर्मिला : और हाँ पायल… कपड़ों को पहले एक बार अच्छे से निचोड़ लेना….

पायल : हाँ भाभी… (और वो छत पर चली जाती है)

पायल के जाते ही रमेश रसोई में आता है.

रमेश : क्या कर रही हो बहु?

उर्मिला : (बाबूजी को देख कर) अरे बाबूजी आप? (वो आगे बढ़ कर पैर पढ़ने के लिए झुकती है. रमेश एक नज़र उर्मिला की नाईटी के ढील गले से दिख रही उसकी चुचियों के बीच की गली पर मार लेता है. उर्मिला पैर पढ़ के खड़ी हो जाती है) कुछ नहीं बाबूजी. बस बर्तन साफ़ कर रही थी. चाय बन जाएगी तो मैं छत पर ले कर आ जाउंगी.

रमेश : नहीं बहु. आज घुटनों में दर्द सा हो रहा है. आज कसरत नहीं करूँगा. तुम मेरी चाय ड्राइंग रूम में ही ला देना. वैसे बच्चे तो अभी सो ही रहे होंगे?

उर्मिला : सोनू तो सो रहा है बाबूजी लेकिन पायल उठ गई है.

रमेश : (आश्चर्यचकित होता हुआ) पायल उठ गई है? ये कैसे हो गया? अब तो उसका कॉलेज भी बंद है ना?

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबूजी बंद है. मुझसे कह रही थी की जब कॉलेज था तो सुबह नींद आती थी, अब बंद है तो जल्दी खुल गई.

रमेश : (वो भी हसने लगता है) ये आजकल के बच्चे भी ना..! पायल है कहाँ? दिखाई नहीं दे रहीं?

उर्मिला : वो छत पर गई है बाबूजी कपड़े डालने. थोड़ी देर में आ जाएगी.

रमेश : (कुछ पल की ख़ामोशी के बाद) मैं सोच रहा हूँ बहु की कसरत कर ही लूँ. एक दिन ना करूँ तो कल दिक्कत हो जाएगी. तुम एक काम करो. मेरी चाय छत पर ही ला दो. (नज़रे उठा के गैस पर चढ़े बर्तन को देखते हुए) चाय बन गई या अभी वक़्त है?

उर्मिला : थोडा वक़्त लगेगा बाबूजी. आप जाइये, मैं आपकी चाय ले कर आ जाउंगी.

रमेश : हाँ…! तब तक मैं भी छत पर जा कर अपनी तैयारी कर लेता हूँ.

रमेश के जाते ही उर्मिला पीछे घुमती है तो चाय उबल के गिरने को है. वो दौड़ कर गैस बंद करती है. “अभी गिर जाती. लगता है गैस ज्यादा ही खोल दिया था मैंने”. फिर उर्मिला चाय को कप में डालती है और सीढ़ियों पर चलते हुए छत पर जाने लगती है. चढ़ते हुए उर्मिला को छत के दरवाज़े के पास बाबूजी दिखाई पड़ते हैं. उनका चेहरा छत की तरफ है. वो सोचने लगती है की बाबूजी यहाँ क्या कर रहे हैं? वो दबे पाँव सीढ़ियों से थोडा और ऊपर जाती है. आगे का नज़ारा देख के उसके पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है. छत पर पायल झुक के किसी कपड़े को दोनों हाथों से पकड़ के निचोड़ रही है. बिना ब्रा की टॉप और ढीला गला होने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाइयों के बीच गहरी घाटी साफ़ दिखाई दे रही है. सामने दरवाज़े के अन्दर की दीवार के पीछे खड़े हो कर बाबूजी पायल की चुचियों के बीच की गहराई में अपनी नज़रे गड़ाये हुए है. उनका एक हाथ धोती के अन्दर है और धोती के आगे का हिस्सा जोर जोर से ऊपर निचे हो रहा है. कुछ पल तो उर्मिला उस नज़ारे को आँखे फाड़ फाड़ के देखती है. फिर उससे होश आता है. “हे भगवान …!! बाबूजी जी भी ? इस लड़की की जवानी ने तो घर में आग लगा रखी है. सोनू क्या कम था जो अब बाबूजी भी अपना लंड खड़ा किये इसके पीछे लग गए हैं”, उर्मिला मन में सोचती है. तभी पायल शर्ट की कॉलर को दोनों हाथो से पकड़ के आपस में रगड़ने लगती है. जोर से रगड़ने से उसके कंधे हिलने लगते है और दोनों चूचियां भी टॉप के ऊपर से हिलने लगती है. ढीले गले से चुचियों की गोलाइयाँ बीच बीच में आपस में टकरा भी रही है. ये देख के बाबूजी का हाथ धोती के अन्दर और तेज़ी से हिलने लगता है. अचानक बाबूजी धोती के अन्दर तेज़ी से हाथ चलाते हुए अपनी कमर आगे की और उठाके दीवार के पीछे आ जाते है. दुसरे हाथ से धोती को आगे से हटाते ही बाबूजी का पहला हाथ लंड पकडे बाहर आता है. उर्मिला बाबूजी का लंड देख के घबरा जाती है. लगभग ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा. नसें फुल के उभरी हुई. बाबूजी पीछे झुक के एक नज़र पायल की हिलती हुई चुचियों पर डालते है, उनका हाथ और तेज़ी से चलने लगता है और लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा सफ़ेद पानी उगलने लगता है. बाबूजी पीछे झुक के पायल को देखते हुए अपने लंड की चमड़ी जब जब पीछे करते है, उनका लंड झटका खा कर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेंक देता है. ऐसे हे बाबूजी ८-१० बार लंड से पानी गिराते है और फिर लंड को धोती में छुपा लेते है. उर्मिला भी दबे पाँव सीढ़ियों से निचे आ जाती है. कुछ देर रुक कर वो सांस लेती है और फिर अपने पैरो को पटकते हुए सीढ़ियों से ऊपर जाने लगती है.

ऊपर बाबूजी अपनी धोती ठीक कर रहे हैं. जैसे ही उन्हें क़दमों की आहट सुनाई देती है वो सतर्क हो जाते है.

उर्मिला : बाबूजी आप यहाँ? अब तक कसरत की तैयारी नहीं की आपने?

रमेश : बस बस बहु..अभी करने ही वाला था. मैंने सोचा की पायल कपड़े डाल रही है. उसका हो जाए फिर मैं अराम से अपनी तैयारी कर लूँगा.

उर्मिला : ओह अच्छा…!! ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय…

सामने पायल छत के दरवाज़े पर बाबूजी और उर्मिला को देख लेती है. पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. वो नहीं चाहती की बाबूजी के सामने वो इस तरह से बिना ब्रा की टॉप पहने जाए. वो झट से पास ही रस्सी पर टंगी एक ओढ़नी अपने कंधो पर दाल लेती है और खाली बाल्टी ले कर उनके पास आती है.

पायल : गुड मोर्निंग पापा..

रमेश : गुड मोर्निंग बेटा … (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) आज मेरी बिटिया रानी इनती सुबह कैसे उठ गई?

पायल : बस पापा.. आज जल्दी नींद खुल गई.

रमेश : बहुत अच्छा है बेटी. ऐसे ही रोज जल्दी उठा करो. सेहत के लिए अच्छा होता है. और कॉलेज खुलने तक अपनी भाभी का काम में हाथ भी बटा दिया करना.

पायल : हाँ बाबूजी. अब तो मैं रोज ऐसे हे जल्दी उठ जाया करुँगी और घर का काम कर लिया करुँगी भाभी के साथ.

पायल की बात सुन के उर्मिला मन में सोचती है. “हाँ…ताकि रोज सुबह बाबूजी तेरी चुचियों को हिलते हुए देखें और अपने लंड का पानी निकालें”

पायल : भाभी… आप चल रहे हो निचे?

उर्मिला : हाँ रुक मैं भी चलती हूँ. अच्छा बाबूजी हम चलते है. आप कसरत करिए और हम दोनों घर का काम.

रमेश : (हँसते हुए) ठीक है बहु..

उर्मिला और पायल बातें करते हुए सीढ़ियों से निचे उतरने लगते है. ऊपर से रमेश बारी बारी दोनों की मटकती हुई चूतड़ों को देखते है फिर कसरत करने छत पर चले जाते हैं.

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