सो गए क्या ? कहां हो भाई
पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है.
निचे सोनू के लंड पर उर्मिला पागलों की तरह उच्छल रही है. सोनू भी मस्ती में भाभी की बूर का मजा ले रहा था की तभी दोनों की उमा की आवाज़ सुनाई देती है.
उमा : बहु…!!
उर्मिला झट से बिस्तर से निचे कूद पड़ती है और दरवाज़े की और देखते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगती है. सोनू भी झट से चादर ओढ़ के दूसरी तरफ घूम कर सोने का नाटक करने लगता है. ब्लाउज के हुक लगा कर उर्मिला पास के टेबल पर रखी किताबों को ठीक करने लगती है. तभी दरवाज़ा खोल कर उमा अन्दर आती है.
उमा : क्या हुआ बहु? ये अब तक सो रहा है?
उर्मिला : अ..हाँ मम्मी जी…अभी उठ ही रहा है. टेबल पर किताबे यहाँ-वहां पड़ी थी तो मैं ठीक करने लगी.
उमा : ओह अच्छा…! लल्ला …उठा जा बेटा…और कितना सोयेगा.
सोनू : बस मम्मी ५ मिनट में उठ जाऊंगा.
उमा : अच्छा ठीक है. और मत सों जाना. अच्छा उर्मिला अभी-अभी मास्टर जी का फ़ोन आया था. हमने जो ब्लाउज और चोलियाँ दी थी वो ठीक हो गई है. मेरा सर दुःख रहा है तो मैं नहीं जा पाऊँगी. तुम पायल को ले कर चली जाना.
उर्मिला : जी मम्मी जी….
उमा : ठीक है. चल मेरा थोडा सर ही दबा दे. नींद भी आ जाएगी. मास्टर जी के फ़ोन ने नींद ही तोड़ दी.
उदास मन से उर्मिला उमा के साथ वहां से चली जाती है. सोनू भी चैन की सांस लेता है. आज वो पकडे जाने से बाल-बाल बचा था.
दिन के १०:३० बज रहे है.
पुराने बाज़ार की एक दूकान के सामने ऑटोरिक्शा आ कर रुकता है. उर्मिला और पायल ऑटोरिक्शा से उतरते हैं. पैसे दे कर उर्मिला पायल के साथ दूकान के अन्दर जाती है. एक छोटी से गली में मास्टर जी की सिलाई की दूकान थी. उमा और घर की सभी लड़कियों के ब्लाउज और चोलियाँ मास्टर जी के यहाँ ही बनती थी. उर्मिला को देख कर मास्टर जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.
मास्टर जी : अरे उर्मिला बेटी…आओ आओ…
उर्मिला : कैसे हैं आप मास्टर जी…
मास्टर जी : मैं तो ठीक हूँ बेटा…और पायल गुडिया कैसी है?
पायल : मैं भी ठीक हूँ मास्टर जी.
उर्मिला : मास्टर जी वो चोलियाँ और ब्लाउज का काम हो गया?
मास्टर जी : हाँ बेटा हो गया. मैं अभी निकाल देता हूँ.
उर्मिला : मास्टर जी जरा पायल की चोली का भी नाप ले लीजिये. पिछले बार आपने जो चोली सिली थी वो अब इसे टाइट होने लगी है.
मास्टर जी : (हैरानी से) क्या बात कर रही हो बिटिया? वो चोली सिले तो अभी १० दिन भी नहीं हुए और टाइट भी हो गई.
मास्टर जी की बात सुन कर पायल उर्मिला की तरफ देखती है तो दोनों मुस्कुरा देती है.
उर्मिला : जी मास्टर जी… वो चोली अब पायल को टाइट होने लगी है.
उर्मिला की इस बात पर मास्टर जी हैरानी में मोटा चश्मा पहनते हुए पायल के पास आते है.
मास्टर जी : पायल बिटिया, दोंनो हाथों को जरा ऊपर करो.
पायल दोनों हाथों को ऊपर करती है तो मास्टर जी टेप उसके उठे हुए सीने पर लपेट देते है. नाप ले कर वो टेबल पर रखी किताब के पन्नो को पलटने लगते है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाते है और पायल की चोली का पुराना नाप गौर से देखते है. देखने के बाद वो बड़ी बड़ी आँखों से पायल और उर्मिला को देखने लगते है. मास्टर जी का ऐसा चेहरा देख कर उर्मिला कहती है.
उर्मिला : क्या हुआ मास्टर जी? आप इतनी हैरानी के साथ क्या देख रहे है?
मास्टर जी : कमाल है बिटिया…! पिछले और अभी के नाप में २ इंच का फर्क है. (अब मास्टर जी टॉप पर से पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखते हुए कहते है) १० दिनों के अन्दर २ इंच से बढ़ जाना मैं पहली बार देख रहा हूँ.
मास्टर जी की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो मामले को सँभालते हुए कहती है.
उर्मिला : वो क्या हैं ना मास्टर जी, अभी पायल का कॉलेज बंद है और वो सारा दिन घर में ही रहती है. इसके पापा इसे रोज मोटा केला खिला देते है. अब आप ही बताइए की जो लड़की रोज दिन में ३-४ बार मोटा केला खाएगी उसका वजन तो बढेगा ही ना ?
मास्टर जी : हाँ बिटिया. ये बात तो तुमने १६ आने सच कही है. दिन में ३-४ बार मोटा केला खाने से तो ये होना ही है.
मास्टर जी की बात पर पायल और उर्मिला मुहँ पर हाथ रख के हंसने लगती है. तब तक मास्टर जी कपड़ों को एक थैले में डाल कर देते हुए कहते है.
मास्टर जी : लो बिटिया. तुम्हारे कपडे.
उर्मिला मास्टर जी को पैसे देती है और वहां से पायल के साथ निकल जाती है. दुकान से बाहर आ कर पायल कहती है.
पायल : भाभी आपने तो मास्टर जी को चक्कर में ही डाल दिया.
उर्मिला : मास्टर जी को छोड़, पहले ये बता की तेरे दूध इतनी जल्दी २ इंच कैसे बड़े हो गए? बाबूजी से खूब मालिश करवा रही है ना?
उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे से कहती है.
पायल : हाँ भाभी…!! पर मैं क्या करूँ. जब भी पापा के पास किसी काम से जाओ वो मेरी टॉप में हाथ डाल कर मेरे दूध दबाने लगते है.
उर्मिला : ओहो…तो बाबूजी तेरे दूध दबाने लगते है. और मेरी पायल रानी भी तो बार-बार जाती होगी ना उनके पास काम के बहाने से, अपने दूध दबवाने… बोल जाती है ना?
उर्मिला की बात पर पायल मुस्कुराते हुए नज़रे झुकाये सर हिलाकर हामी भर देती है.
उर्मला : (हँसते हुए) अच्छा चल..अच्छी बात है. ऐसे ही बाबूजी से मालिश करवाया कर तो अच्छे खासे बड़े हो जायेंगे तेरे.दोनों हँसते हुए आगे जाने लगते है की तभी एक आवाज़ सुन कर उर्मिला के कदम रुक जाते है. वो पीछे मुड़ के देखती है तो सामने छेदी मुस्कुराते हुए खड़ा है.
छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे…
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?
छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.
तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.
छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी…
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!
तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.
खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.
खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए ‘भैया’ सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.
उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.
छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी…ये मेरी बहन है. खुशबू …मैडम जी को नमस्ते करो.
खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.
खुशबू : जी नमस्ते…!!
उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?
खुशबू : जी …
उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या…
खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.
खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.
उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये था की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.
उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.
खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.
पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बैठ कर बाते करें…
उर्मिला : हाँ भाई चलो…मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.
छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.
उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए…होटल में चलते है.
उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले ‘फॅमिली टेबल’ पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चारों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.