अपडेट २७ : (संपूर्ण)
” पायल रानी चिकन-चाकन, फल-फुल सब खाये,
पापा न मिले तो फिर केले से काम चलाये….!!,
बोलो हई रे …. हई रे …..हई हाsss……!! “
उर्मिला पायल के साथ छत पर अमरुद की टहनी के निचे बैठी उसे होली के गीत गा कर छेड़ रही थी. सुबह के ९ बज रहे थे और गाड़ी वापस आ जाने से घर में शांति थी. बाबूजी किसी काम से बाज़ार चले गए थे और उमा भी टीवी में लगी हुई थी. सोनू अब भी सो रहा था. ऐसे में भाभी और ननद को कुछ वक़्त साथ बिताने का मौका मिल गया था.
उर्मिला ने जो होली का गीत गाया था उसे सुन कर पायल की पैन्टी में चुलबुल मचने लगी थी. उर्मिला अच्छे से जानती थी की पायल को सिर्फ एक चुंटी काटने की जरुरत होती है. उसकी जवानी में ऐसी आग लगी है की बस थोड़ी से हवा दे दो और वो धूं-धूं कर के जलने लगती है. पापा और पायल पर उर्मिला के इस होली के गीत ने हवा का काम करते हुए पायल की जवानी की आग फिर से भड़का दी थी. वो मुस्कुराते हुए नखरे वाले अंदाज़ में कहती है.
पायल : (नखरे से मुस्कुराते हुए) धत्त भाभी…!! आप ऐसे ही हमेश मुझे छेड़ती रहती हो. जब पापा है तो मैं केले से काम क्यूँ चलाऊँगी ?
उर्मिला : तू तो ऐसे कह रही है जैसे रोज पापा का लंड बुर में ले कर सोती है.
पायल : अभी ले कर नहीं सोती तो क्या हुआ? जब मिलेगा तब ले लुंगी लेकिन केले से काम नहीं चलाऊँगी.
उर्मिला : मेरी भोली पायल तो कुछ जानती ही नहीं. अरे…!! केले और मोटे बैगन तो न जाने कितनी लड़कियों और औरतों का सहारा होते है. मैं जब कॉलेज में थी तो हम सब सहेलियां केले और बैगन को ‘बी . एस . वाई (B.S.Y)’ कहते थे.
पायल : (आश्चर्यचकित होते हुए) बी . एस . वाई …?? ये क्या होता है भाभी ?
उर्मिला : (हँसते हुए) पगली तुझे ‘B.S.Y’ नहीं पता? कॉलेज में क्या सिर्फ पढ़ने जाती है? B.S.Y का मतलब होता है ‘बूर शंतुष्टि यंत्र’.
उर्मिला की बात सुन कर पायल को हंसी आ जाती है और उसे अपनी भाभी पर गर्व भी महसूस होता है की वो कितनी खुले विचारों वाली है.
पायल : (हँसते हुए) हा हा हा हा भाभी….!! सच में. कॉलेज की लाइफ तो आपने पूरी एन्जॉय की है. फिर तो ये B.S.Y सारे कॉलेज में सबको पता होगा?
उर्मिला : सभी को नहीं. ये हमारे ग्रुप की लड़कियों का कोड था. हम तो खुले आम इस कोड का इस्तेमाल करते थे. हमे पता होता था की किसी न किसी के पास तो केला या बैगन होगा ही. जब भी किसी लड़की की बूर में खुजली होती वो सबके सामने ही पूछ लेती की किसी के पास B.S.Y है क्या ?
पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) पर भाभी ये बात कोई समझ नहीं पता था क्या?
उर्मिला : (हँसते हुए) मजे की बात तो ये थी पायल की जो नहीं जानते थे की B.S.Y क्या है उन्हें लगता था की हम लोग एक दुसरे से ‘सेनेटरी पैड’ मांग रही है और फिर जब हम वाशरूम चली जाती थी तो सबको लगता था की पैड बदलने जा रही है. और असल में वाशरूम में तो हम जम कर केले और बैगन चला कर आती थी.
उर्मिला की बात सुन कर पायल को अपनी कॉलेज की लाइफ बहुत ही नीरस सी लगने लगती है. उसका दिल करता है की काश वो भी भाभी के उस ग्रुप का हिस्सा होती.
पायल : भाभी आपका ग्रुप तो बड़ा मजेदार था.
उर्मिला : मजेदार…? एकदम धमाकेदार ग्रुप था. किसीका मुहँ बोले भाई के साथ चक्कर था तो किसी का अपने सगे भाई के साथ. कोई अपने चाचा-मामा के साथ फंसी थी तो कोई अपने ही पापा से. सब एक से बढ़कर एक कामिनी लडकियाँ थी.
पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) बापरे भाभी..!! अपने ही सगे भाई और पापा से भी?
उर्मिला : और नहीं तो क्या? मेरी जो सबसे पक्की सहेली थी, कंचन, उसका चक्कर तो अपने ही पापा के साथ था. कॉलेज के बाद जब हम हॉस्टल आते तो मैडम कमरे में जा कर नंगी हो कर बिस्तर पर टाँगे फैला कर अराम से बैठ जाती और बूर में ऊँगली करते हुए घंटो अपने पापा से फ़ोन पर बात किया करती.
उर्मिला की इस बात पर पायल की बूर में पानी आने लगता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे और खुले हुए मुहँ से उर्मिल को देखते हुए कहती है.
पायल : बाप रे भाभी….इतनी गर्मी थी क्या कंचन की बूर में?
उर्मिला : हाँ पायल…बहुत गर्मी थी. अपने पापा से फ़ोन पर बात करते हुए कंचन इतनी गरम हो जाती थी की कई बार मुझे उसकी बूर में मोटा बैगन देना पड़ जाता था. अपने पापा से बात करते हुए जब बूर में मोटा बैगन जाता था तब जा कर कंचन को चैन मिलता था.
पायल : उफ़ भाभी…!!
उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी?
पायल झेंप जाती है और बात बदलते हुए कहती है.
पायल : कुछ नहीं भाभी. वैसे आप होली के गीत बहुत अच्छा गाती है भाभी. इस होली में भी आपने कितने अच्छे-अच्छे गीत गाये थे.
उर्मिला : हम्म..!! होली में मेरे गाये गीत याद है और तेरे साथ क्या हुआ था वो भूल गई?
पायल : (मुहँ बनाते हुए) मेरे साथ ? क्या हुआ था मेरे साथ भाभी?
उर्मिला : ओहो …!! देखो तो इस भोली लड़की के चेहरे को? जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं. तेरे मोटे-मोटे दूध पर जो बड़े-बड़े पंजो के रंग के निशान थे, भूल गई?
उर्मिला की बात सुन कर पायल थोड़ा शर्मा जाती है. फिर मुस्कुराते हुए कहती है.
पायल : होली का दिन था ना भाभी. लगा दिया होगा किसी ने….
उर्मिला : हाँ हाँ …. जैसे तुझे पता ही नहीं था की कौन लगा रहा है. घर के पिछवाड़े बाबूजी को तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूधों पर रंग मलते मैंने देख लिया था पायल…..
अपनी चोरी पकड़ी जाने पर पायल शर्मा जाती है और मुस्कुराते हुए धीरे से कहती है.
पायल : होली वाले दिन तो पापा भांग के नशे में थे न भाभी.
उर्मिला : बाबूजी नशे में थे पर तू तो होश में थी ना? खड़े-खड़े अपने मोटे दूध मसलवा रही थी. भाग क्यूँ नहीं गई वहाँ से ? बोल ?
उर्मिला की बात सुन कर पायल अपना चेहरा उर्मिला के सीने में छुपा लेती है.
पायल : (चेहरा उर्मिला के सीने में छुपाते हुए) धत्त भाभी…!!
उर्मिला पायल के मोटे दूध को एक हाथ से दबाते हुए कहती है.
उर्मिला : सच बता पायल…मजा आ रहा था ना?
पायल : (धीरे से ) हाँ भाभी….पर उस वक़्त तक मैं पापा के लिए ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं सोचती थी.
उर्मिला : जानती हूँ रे. पर अब तो तू तैयार है ना?
पायल : हाँ भाभी…अब तो मैं पूरी तैयार हूँ…
दोनों भाभी-ननद हंसी मजाक में लगे हुए थे. कुछ पुरानी, कुछ नई बातों को याद करते हुए दोनों मजे से अमरुद की टहनी की के नीचे बैठे हुए थे. तभी उन्हें सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. दोनों का ध्यान छत के दरवाज़े की ओर चला जाता है. कुछ ही क्षण में दरवाज़े पर बाबूजी धोती और कुरते में चलते हुए आते है. बाबूजी को देखते ही पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश भी धीरे-धीरे चलते हुए थोड़ी दूर पर राखी अपनी खाट पर बैठ जाते है.
रमेश : क्या चल रहा है भाभी और ननद के बीच ?
उर्मिला : (हँसते हुए) कुछ नहीं बाबूजी….बस ऐसे ही बैठे हुए होली की बातें याद कर रहे थे.
रमेश : (हँसते हुए) हा हा हा…. हाँ बहु. इस बार होली में बड़ा मजा आया था.
उर्मिला : लेकिन बाबूजी, पायल जितना मजा तो किसी और को आया ही नहीं होगा.रमेश : (आश्चर्य से ) ऐसा क्यूँ भाई? सभी ने तो मजे से होली खेली थी? फिर पायल को सबसे ज्यादा मजा किस बात का आ गया?
उर्मिला : वो बात ऐसी है ना बाबूजी की होली वाले दिन किसी ने घर के पिछवाड़े पायल की टॉप में हाथ डाल कर उसके मोटे दूध दबोच कर रंग लगा दिया था. पायल बता रही थी की उसे बड़ा मजा आया था.
उर्मिल की बात सुन कर पायल धीरे से भाभी की चुतड में चुंटी काट लेती है. बाबूजी भी उर्मिला की बात सुन कर सकपका जाते है. वो जानते है की उर्मिला जिस की बात कर रही थी वो और कोई नहीं खुद बाबूजी ही थे. हालांकी अब उनके और पायल का रिश्ता एक अलग ही मोड़ ले चूका था पर ये उस वक़्त की बात थी जब दोनों के बीच बाप-बेटी का एक पवित्र रिश्ता हुआ करता था. पायल की तरह रमेश भी उस घटना को दबाने की कोशिश करते है.
रमेश : अरे बहु…अब होली में तो कुछ लोग ऐसी बदमाशियाँ करते ही है. होगा कोई बदमाश….
उर्मिला : (बाबूजी को देखते हुए) बाबूजी मैंने तो उस बदमाश को अच्छे से देखा था. बिलकुल आप ही की तरह दिख रहा था.
उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. वो हाथो से अपना मुहँ दबा कर हंसने लगती है. बाबूजी भी समझ जाते है की को पकडे गए है तो वो भी हँस देते है. उर्मिला भी हँसते हुए कहती है.
उर्मिला : अच्छा बाबूजी मैं अब निचे चलती हूँ. आप बाप-बेटी थोड़ी बातें कर लीजिये.
उर्मिला बाबूजी और पायल को देख कर मुस्कुराता देती है और छत के दरवाज़े की ओर जाने लगती है. उर्मिला जाते हुए छत का दरवाज़ा लगा देती है. उसके जाते ही रमेश खाट पर बैठे हुए पायल को देखते है. पायल भी पापा को देखती है तो शर्मा के नज़रे झुका लेती है. रमेश पायल को देखते हुए धोती पर से अपने लंड को मसलने लगते हैं. जब पायल की नज़र पड़ती है तो वो छत की दीवार से लग कर बैठ जाती है और दोनों घुटनों को मोड़ के अपने सीने से लगा लेती है. निचे उसकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर चढ़ जाती है और जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर दिखने लगते है. जांघे आपस में चिपकी होने की वजह से पायल की बूर के ओंठ चिपके हुए है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनका लंड फुंकार मारने लगता है. खाट पर बैठे हुए रमेश अपनी धोती को ऊपर से हटाते है तो उनका गंधे जैसा लंड दिखने लगता है. पायल जब पापा के मोटे लंड को देखती है तो वो अपने ओंठो को काटते हुए टाँगे फैला देती है. टांगों के फैलते ही पायल की बूर के ओंठ भी खुल जाते है और अन्दर का गुलाबी हिस्सा साफ़-साफ़ दिखने लगता है. अपनी बेटी की कुवांरी बूर देख कर रमेश का लंड २-३ झटके खाता है और मोटे टोपे से एक बड़ी सी बूँद लार का रूप ले कर ज़मीन पर गिरने लगती है. पायल बड़े गौर से पापा के लंड से गिरती उस लार को देखती है. जैसे ही वो लार ज़मीन से टकराती है, पायल घुटनों पर हाथ रख कर अपनी टाँगे पूरी फैला देती है. घने बालों के बीच पायल की खुली हुई गुलाबी बूर देखते ही रमेश के होश उड़ जाते है. लंड को पकड़ कर रमेश उसकी चमड़ी को पूरी पीछे खींच देते है तो मोटा टोपा पूरा खुल के बाहर निकल आता है. अपने पापा के लंड का मोटा और लाल-लाल टोपा देख कर पायल बैठे हुए अपनी जीभ निकाल कर टोपे को देखते हुए हवा में घुमाने लगती है. रमेश भी अपने लंड को पकड़ कर ऐसे हिलाते है जैसे पायल की जीभ पर रगड़ रहे हों. उर्मिला ने पहले ही पायल के बदन में आग लगा राखी थी. अब पापा के लंड ने तो पायल के बदन में शोले भड़का दिए थे. मस्ती में पायल निचे से अपनी टॉप उठा के पापा को अपने मोटे दूध दिखा देती है. रमेश जब पायल के मोटे दूध देखते है तो वो अपने ओठों को किसी चिड़ियाँ की चोंच की तरह बना कर दूध चूसने का इशारा करते है. ये देख कर पायल सीने को झटके देते हुए उच्छालने लगती है. हर झटके पर पायल के दोनों दूध उच्छल-उच्छल कर उसके सीने से टकराने लगते है.
रमेश से अब रहा नहीं जाता है. वो एक नज़र यहाँ-वहां देखते है और लंड को धोती से ढके खड़े खड़े हो जाते है. पायल को नशीली आँखों से घूरते हुए वो पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पायल के सामने खड़े हो कर वो निचे बैठी पायल की आँखों में देखते है. पायल निचे बैठी हुई छत की दीवार से टिकी हुई है. उसके दूध टॉप के निचे से बाहर है और पैर फैले हुए है. पायल भी पापा की आँखों में देखते हुए तेज़ साँसे ले रही है. रमेश जैसे ही आगे बढ़ते है, सामने वाली छत पर उनके पडोसी शर्मा जी आ जाते है. रमेश शर्मा जी को देखते ही घबरा जाते है. हालांकी पायल रमेश के सामने दीवार के निचे बैठी है और शर्माजी सामने वाली छत पर खड़े है पर फिर भी उनके अचानक आ जाने से रमेश हडबडा जाते है. रमेश को देख कर शर्मा जी कहते है.
शर्मा जी : अरे रमेश जी..!! क्या हाल है? आज कल दिखाई नहीं देते? टहलने भी नहीं आते? तबियत तो ठीक है ना?
शर्मा जी की बात सुन कर रमेश दीवार की तरफ थोडा आगे बढ़ जाते है और बात करने लगते है. रमेश के दोनों पैर पायल की कमर के इर्द-गिर्द है और धोती के निचे से उनका मोटा लंड पायल के सर के ठीक ऊपर लटक रहा है.
रमेश : हाँ हाँ शर्मा जी सब ठीक है. बस आजकल मैं छत पर ही टहल लिया करता हूँ. यहाँ धुल-मिटटी भी नहीं होती है और किसी गाड़ी का खतरा भी नहीं होता.
निचे पापा और शर्मा जी की बातों पर जरा भी ध्यान न देते हुए पायल का पूरा ध्यान उसके सर के ऊपर लटक रहे पापा के लंड पर था जिसे वो बड़े ही गौर से देख रही थी.
शर्मा जी : चलिए…ये भी ठीक है. और घर में सब ठीक है?
रमेश : जी शर्मा जी…सब बढ़िया है.
निचे पायल पापा के लंड को देखती है और धीरे से अपनी नाक लंड के टोपे के पास ले जा कर सूंघ लेती है. लंड की तेज़ गंद सूंघते ही पायल को जैसे नशा सा चढ़ जाता है.
शर्मा जी : और पायल बिटिया तो अब कॉलेज जाने लगी है ना?
रमेश : हाँ शर्मा जी. कुछ महीने पहले ही दाखिला लिया था.
शर्मा जी : बड़ी संस्कारी और समझदार बच्ची है पायल रमेश जी. मैं तो कहता हूँ की भगवान ऐसी बेटी हर बाप को दे.
शर्मा जी की बात का जवाब देने के लिए रमेश जैसे ही मुहँ खोलने जाते है, उनका मुहँ खुला का खुला ही रह जाता है. खुले मुहँ से वो नज़रे नीची कर के देखते है तो उनकी टांगो के निचे बैठी पायल अपनी जीभ निकाल कर लंड के टोपे को चाट रही है. अभी-अभी शर्मा जी जिस बेटी की तारीफ़ करते हुए संस्कारी कह रहे थे कर रहे थे वही बेटी संस्कार के पिछवाड़े पर लात मारते हुए अपने सगे बाप के लंड को चाट रही थी. रमेश जब ये देखते है तो उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है. लंड के टोपे पर घुमती बेटी की जीभ और सामने उनके पडोसी शर्मा जी. रमेश समझ नहीं पा रहे थे की मजा लें या बात का जवाब दें. तभी उनके कानो में शर्मा जी की आवाज़ सुनाई पड़ती है.
शर्मा जी : अरे कहाँ खो गए रमेश जी ?
शर्मा जी की बात सुनते ही रमेश को होश आता है. वो अपने आप को संभालते हुए कहते है.
रमेश : जी…जी शर्मा जी….पायल बड़ी संस्कारी लड़की है.
शर्मा जी : देखिएगा रमेश जी, एक दिन पायल आपका नाम जरुर रोशन करेगी.
पायल नीचे बैठी अपने पापा के लंड के टोपे को अपने मुहँ में भरे लोलीपोप की तरह चूसते हुए बाप का नाम रोशन कर रही थी. एक हाथ से पापा के लंड को पकड़ के पायल चमड़ी को बार-बार पीछे खींचते हुए टोपे को मुहँ में ठूंसने की कोशिश कर रही थी. छत की दीवार के पीछे खड़े रमेश अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ के थोडा निचे हो जाते है तो उनका लंड पायल के मुहँ के सीध में आ जाता है. छत की दीवार रमेश की कमर से थोड़ी ऊपर है इस लिए शर्मा जी को अंदाज़ा भी नहीं था की दीवार की उस तरफ क्या गोरखधंदा हो रहा है. रमेश भी अब जोश में अपनी कमर को धीरे से आगे करते हुए पायल के मुहँ में लंड देने लगते है.
छत पर बाप-बेटी लगे हुए थे और निचे उर्मिला रसोई में अपने काम में लगी हुई थी. उमा को ड्राइंग रूम में ना पाकर वो उनके कमरे के पास पहुँच जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो उमा सर पर हाथ रखे आँखे बंद किये लेती हुई है. उमा को इस तरह से लेता हुआ देख उर्मिला कहती है.
उर्मिला : क्या हुआ मम्मी जी? आपकी तबियत तो ठीक है ना?
उर्मिला की आवाज़ सुन कर उमा आँखे खोलती है.
उमा : कुछ नहीं बहु. कल रात नींद आ गई थी फिर अचानक से नींद खुल गई. रात भर गाड़ी की चिंता में मुझे ठीक से नींद नहीं आई. बस थोडा सा सर दुःख रहा था.
उर्मिला : सॉरी मम्मी जी. मुझे रात में ही आपको बता देना चाहिए थे की गाड़ी आ गई है. मुझे लगा आप सब सो रहे होंगे इसलिए मैंने सोचा की सुबह बता दूंगी.
उमा : कोई बात नहीं बहु. तुमने ठीक ही किया.
उर्मिला : आपका सर दबा दूँ मम्मी जी?
उमा : अरे नहीं बहु. मुझे तो अब नींद ही आ रही है. मैं सो जाउंगी. तू बस लल्ला को चाय दे कर उठा दे. अब उसका स्कूल भी खुलने वाला है तो अब जल्दी उठने की आदत डालनी पड़ेगी उसे.
उर्मिला : जी मम्मी जी. मैं अभी उसे चाय दे कर उठा देती हूँ.
उमा : ठीक है बहु. और जाते हुए दरवाज़ा लगा देना.
उर्मिला कमरे का दरवाज़ा लगा कर रसोई में आती है. एक कप में चाय डाल कर वो धीरे-धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.वहां छत पर रमेश शर्मा जी से बाते करते हुए अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे और पायल के मुहँ में लंड पेल रहे थे. बीच-बीच में पायल पापा का लंड मुहँ से निकाल कर उसे बड़े गौर से देखती. अपनी जीभ से मोटे टोपे को चाट कर वो फिर से लंड मुहँ में भर लेती और रमेश कमर हिला कर उसकी मुहँ चुदाई करने लगते. सामने शर्मा जी इस बात से अनजान अपनी ही बातों में लगे हुए थे.
शर्मा जी : रमेश जी वो कहते है ना की जब बाप का जूता बेटे के पैरों में आ जाए तो वो बड़ा हो जाता है. ठीक वैसे ही जब माँ की जुती बेटी के पैरों में आ जाये तो वो बड़ी हो जाती है.
शर्मा जी की बात सुन कर रमेश का गन्दा दिमाग कुछ और ही सोचने लगता है. रमेश अपने आप से कहते है, “माँ की जुती का तो पता नहीं लेकिन जब बाप का लंड बेटी की बूर में पूरा घुस जाए तो वो जरुर बड़ी हो जाती है”. ये सोचते हुए रमेश अपनी कमर को आगे कर पायल के मुहँ पर दबा देते है तो पायल का सर दीवार से सट जाता है और उनका लंड पायल के मुहँ में आधा घुस जाता है. कुछ क्षण वैसे ही आधा लंड पायल के मुहँ में ठूंसे हुए रखने के बाद रमेश अपनी कमर पीछे करते है तो लंड मुहँ से बाहर निकलता है. लंड के बाहर निकलते ही पायल के मुहँ से भी ढेर सारी लार गिरने लगती है. पायल हाथ से पापा के लंड को मसलती है और फिर से मुहँ में ले लेती है. पायल से लंड चुसवाते हुए रमेश शर्मा जी से कहते है.
रमेश : हाँ शर्मा जी . आपने बिलकुल सही कहा. अब मुझे भी लगने लगा है की पायल बेटी बड़ी हो गई है.
ये कह कर रमेश ३-४ बार जोर से कमर हिलाकर पायल का मुहँ चोद देते है.
निचे उर्मिला सोनू के कमरे के अन्दर पहुँच जाती है. सोनू बिस्तर पर अपनी शॉर्ट्स में लंड खड़ा किये सो रहा है. उर्मिला शॉर्ट्स में खड़ा लंड देखती है तो उसकी बूर खुजलाने लगती है. कप को टेबल पर रख वो धीरे से दरवाज़ा बंद कर सोनू के सर के पास आ जाती है. सोनू सीधा लेटे हुए साँसे ले रहा है. सोनू को इस तरह से साँसे लेते देख उर्मिला को मस्ती सूझती है. वो अपनी ब्लाउज के बटन सामने से खोल देती है. बिना ब्रा के उर्मिला के बड़े-बड़े दूध बाहर आ जाते है. वो बिस्तर के पास निचे घुटनों पर बैठ जाती है और अपना एक हाथ उठा के अपनी बालोवाली बगल सोनू की नाक के थोड़ी ऊपर रख देती है. उर्मिला के बगल से निकलती पसीने की वो महक सोनू की नाक तक पहुंचती है तो उसका सर अपने आप ही नींद में ऊपर उठ जाता है और उर्मिला की बगल में उसकी नाक घुस जाती है. ४-५ बार जोर-जोर से साँसे ला कर सोनू उर्मिला की बगल सूंघता है और उसकी आँखे खुल जाती है. उर्मिला को देख कर वो कहता है.
सोनू : भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है?
उर्मिला : (अपने दूध सोनू के मुहँ के पास लाते हुए) सब अपने कामो में लगे है. कोई नहीं आएगा. ले जल्दी से चुसना शुरू कर…
उर्मिला की बात सुनकर सोनू उसके दूध को मुहँ में भर कर चूसने लगता है. उर्मिला भी उसके सर के पास बैठ कर अपना दूध दबा-दबा कर उसके मुहँ में देने लगती है. सोनू जब उर्मिला का निप्पल मुहँ में पकड़ कर खींच देता है तो उर्मिला सीसीयाते हुए कहती है.
उर्मिला : सीईईइ…!! धीरे सोनू…दुखता है…
२-३ मिनट तक सोनू से दूध चुसवाने के बाद उर्मिला खड़ी हो जाती है और अपनी साड़ी उठा कर बिस्तर पर चढ़ जाती है. उर्मिला को बिस्तर पर चढ़ता देख सोनू भी अपनी शॉर्ट्स उतार देता है. उसका लंड हवा में लहराता हुआ भाभी की बूर को इशारे करने लगता है. उर्मिला अपनी दोनों टाँगे फैलाए सोनू के लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगती है. उसके बूर के ओंठ सोनू के लंड पर फिसलते हुए अपने अन्दर समाने लगते है. कुछ हे क्षण में सोनू का लंड पूरा जड़ तक उर्मिला की बूर में समां जाता है. अपने दोनों हाथों से वो उर्मिला के दोनों दूध को दबाते हुए निचे से लंड की चोट बूर में मारने लगता है. उर्मिला भी मजे से सोनू के लंड पर उच्छलते हुए लंड को बूर में लेने लगती है. बहुत दिनों के बाद सोनू के लंड को उर्मिला की बूर का मजा मिल रहा था. वो पूरे जोश में अपनी कमर उठा-उठा के उसकी बूर चोदने में लग जाता है.
ऊपर छत पर रमेश पायल के मुहँ की चुदाई कर रहे थे. काफी देर से पायल के मुहँ में लंड देने से रमेश का लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. अब रमेश से और नहीं रहा जा रहा था. जब पायल ने जोर से रमेश के लंड को चूस लिया तो उनके मुहँ से आवाज़ निकल गई.
रमेश : आह्ह्ह्ह…..!!
शर्मा जी : अरे क्या हुआ रमेश जी?
रमेश : (सँभलते हुए ) अ…वो..कुछ नहीं शर्मा जी. बस घुटनों में थोडा दर्द है.
शर्मा जी : किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लीजिये रमेश जी. अभी ध्यान नहीं दिया तो आगे दिक्कत हो सकती है.
रमेश को अब लगने लगा था की उनका लंड पानी फेक देगा. वो अपने घुटने को पकड़ने का नाटक करते हुए थोडा निचे झुकते है और पायल के मुहँ में तेज़ी से लंड पेलने लगते है. पायल भी समझ जाती है की पापा झड़ने के करीब है तो वो भी अपने मुहँ में वैक्यूम बना लेती है जिससे रमेश के लंड में एक कसाव सा महसूस होता है और २-३ झटको में ही लंड पायल के मुहँ में पानी फेकने लगता है. रमेश आँखे बंद किये “आह्ह्ह्ह…!! की आवाज़ करते हुए पायल के मुहँ में झड़ने लगते है. पायल भी दोनों हाथों से रमेश की गोटियों को पकड़ के दबा देती है तो उनके लंड का बचा हुआ पानी भी पायल के मुहँ में खाली हो जाता है. सामने खड़े शर्मा जी इस बात से अनजान यही समझ रहे थे की रमेश के घुटनों में दर्द हुआ है.
शर्मा जी : अरे रमेश जी…घुटनों का दर्द बढ़ गया है क्या?
निचे पायल पापा के लंड को मुहँ से निकाल कर टोपे को चाट-चाट कर साफ़ करने लगती है.
रमेश : अह्ह्ह्ह…!! बस शर्मा जी…अब दर्द…आह..!! कम हो रहा है…आह..!!
तभी निचे से मिसेज शर्मा की आवाज़ आती है तो शर्मा जी रमेश से कहते है.
शर्मा जी : अच्छा रमेश जी. अपना ख्याल रखिये. अगर किसी भी मदद की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर बताइयेगा.
रमेश : आह..! जरुर शर्मा जी…
शर्मा जी के जाते ही रमेश निचे पायल को देखते है. वो उनका लंड पकडे मुस्कुरा रही है. रमेश भी उसे देख कर मुकुराते हुए कहते है.
रमेश : मेरी पायल बिटिया ने पापा की पिचकारी पूरी खाली कर दी.
पायल : पापा आपकी पिचकारी कितनी भरी हुई थी. पानी से तो मेरा पूरा मुहँ ही भर गया था. पापा आपसे एक बात कहूँ?
रमेश : हाँ मेरी गुडिया रानी…कहो…
पायल रमेश की आँखों में देखती है फिर धीरे से “पापा आई लव यू” बोल कर शरमाते हुए नज़रे झुका लेती है. पायल की इस बात पर रमेश धीरे से उसका चेहरा ऊपर करते है और अपने लंड को धीरे से उसके मुहँ में फिर से डाल देते है. पायल एक बार फिर से पापा के लंड को चूसने लगती है तो रमेश भी धीरे से कहते है.
रमेश : आह…!! पापा लव्ज़ यू टू बेटा.
पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है