अपडेट २५:
सोनू सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में नज़रे गड़ाये हुए है. सामने उमा चिंतित अवस्था में टहले जा रही है. रात के १०:३० हो चुके हैं और रमेश, पायल और उर्मिला का कोई अता-पता नहीं था. बार-बार घड़ी पर नज़र डालते हुए उमा दरवाज़े से बाहर गेट पर भी नज़र रखे हुए थी.
उमा : लल्ला…एक बार फिर से फ़ोन लगा कर देख.
सोनू : १० बार लगा चूका हूँ मम्मी…सबका फ़ोन नेटवर्क से बाहर बता रहा था. पता नहीं कहाँ हैं सब.
उमा : वो लोग जरुर जंगल के पास से गुज़र रहे होंगे. वहां तो बिलकुल भी नेटवर्क नहीं होता है. लल्ला…एक बार फिर से लगा के तो देख. हो सकता है उनकी गाड़ी अब जंगल से पार आ गई हो?
सोनू : ठीक है मम्मी…..
सोनू उर्मिला भाभी को फ़ोन लगता है और रिंग जाने लगती है.
सोनू : (उत्साह में) लग गया मम्मी…..हेलो…!!
उर्मिला : (दुसरे छोर से) हाँ हेलो…!!
सोनू : भाभी कहाँ हो आप लोग? कब से आप सब का फ़ोन लगा रहा हूँ, लग ही नहीं रहा था.
उर्मिला : अरे सोनू…हमारी गाड़ी खराब हो गई है. बड़ी मुश्किल से ऑटोरिक्शा मिला है. रास्ते में ही है.
सोनू : क्या? गाड़ी ख़राब हो गई? कब ? कैसे?
उर्मिला : बाप रे…!! एक साथ इतने सवाल? आ कर अराम से सब बताउंगी. मम्मी जी को बोल दे की चिंता न करें. हम लोग ४०-४५ मिनट में पहुँच जायेंगे. ठीक है?
सोनू : ठीक है भाभी…आप लोग जल्दी आईये….रखता हूँ…
सोनू के फ़ोन रखते ही उमा बोल पड़ती है.
उमा : क्या बोल रहा था तू? गाड़ी खराब हो गई? कैसे हो गई? कहाँ है वो सब?
सोनू : अरे मम्मी… भाभी ने कहा है की चिंता मत करिए सब ठीक है. गाड़ी ख़राब हो गई थी तो वो सब ऑटोरिक्शा में आ रहे है. घर आकर सब पता चल जायेगा. सब ठीक है. चिंता की कोई बात नहीं है.
उमा : (आँखें बंद कर सीने पर हाथ रखते हुए) हे भगवान…!! तेरा लाख-लाख शुकर है. मैं तो डर ही गई थी.
सोनू : आप तो ऐसे ही डर रही थी मम्मी.
सोनू फिर से सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लग जाता है. उर्मिला जो अब तक डरी हुई थी, सब के ठीक होने की खबर से बहुत खुश है. कहते है की जब इंसान खुश होता है तो वो उसे अपने पसंद का काम करने में बड़ा मजा आता है. उमा की ज़िन्दगी में वैसे तो बहुत ही कम ऐसे काम थे जो उसे करने में मजा आता था. लेकिन कुछ दिनों से उसे एक काम में मजा आने लगा था. अभी वो खुश थी और ख़ुशी में अपने बेटे सोनू को निहार रही थी. उमा के बदन में अजीब से सिरहन हो रही थी. वो कुछ देर वैसे ही सोनू को देखती है फिर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहती है.
उमा : हाय राम…!!
सोनू : (उमा की तरफ देखते हुए) क्या हुआ मम्मी?
उमा : कुछ नहीं रे… वही दिन वाला कमर का दर्द. कमबख्त जा ही नहीं रहा है. तेरी मालिश से थोड़ा अराम भी मिला था और नींद भी अच्छी आ गई थी.
सोनू : (कुछ सोच कर) मम्मी आप कहो तो मैं फिर से मालिश कर दूँ आपके कमर की?
सोनू की बात सुन कर उमा के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती है. फिर अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए वो जवाब देती है.
उमा : अब क्या मालिश करवाऊ तुझसे. कुछ ही देर में तो सब आ ही जायेंगे. रहने दे…
सोनू : मम्मी उन्हें तो अभी आने में और ४०-४५ मिनट लगेंगे….
सोनू की बात सुन कर उमा के दिल में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. लेकिन वो आस्वस्थ हो जाना चाहती है की सोनू जो कह रहा है वो सही है. वो सोनू से पूछती है.
उमा : ४०-४५ मिनट ? ये किसने कह दिया तुझे?
सोनू : भाभी कह रही थी मम्मी की उन्हें ४०-४५ मिनट और लगेंगे. तब तक तो मैं आपकी मालिश कर ही दूंगा ना?
उमा के चेहरे पर अब मुस्कान आ जाती है. वो ख़ुशी के साथ सोनू को देखती है. धीरे से अपने कमरे की तरफ मुड़ कर जाते हुए सोनू से कहती है.
उमा : ठीक है लल्ला..कर दे मेरी मालिश. मैं कमरे में जा रही हूँ, तू रसोई से सरसों का तेल एक कटोरी में ले कर आ जा.
उमा के कमरे में जाते ही सोनू उच्छल के सोफे से निचे उतरता है और रसोई में जा कर सरसों का तेल एक छोटी सी कटोरी में डाल लेता है. कटोरी हाथ में लिए वो मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर जाता है तो उमा बिस्तर पर उल्टा लेटी हुई है. बदन पर पेटीकोट और ब्लाउज है. उमा की बड़ी और चौड़ी चुतड उठी हुई दिख रही है. सोनू कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की चुतड को निहारता है फिर धीरे से अन्दर चला जाता है.
सोनू : मम्मी मैं तेल ले कर आ गया.
उमा : हुम्म…!! कटोरी मेरे सिरहाने के पास टेबल पर रख दे और बिस्तर पर आ जा.
सोनू कटोरी मम्मी के सिरहाने के पास रखे टेबल पर रख देता है और बिस्तर पर चढ़ कर मम्मी के पास बैठ जाता है. अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबो कर वो मम्मी की कमर पर रख देता है और धीरे से तेल लगाने लगता है.
सोनू : कैसा लग रहा है मम्मी?
उमा : उम्म..!! अच्छा लग रहा है बेटा. पर ध्यान से तेल लगाना. मेरे पेटीकोट में तेल मत लगा देना नहीं तो मैं धोते-धोते परेशान हो जाउंगी.
सोनू : पर मम्मी आपकी पेटीकोट में तेल तो लग ही जायेगा. आपने इतनी ऊपर जो पहन रखी है.
उमा : अच्छा..?? हुम्म..!! तो एक काम कर लल्ला. मेरी पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर और पेटीकोट थोड़ी निचे कर दे.
ये कह कर उमा थोड़ी से एक तरफ घूम जाती है. उसके पेट के एक तरफ पेटीकोट का नाड़ा दिखने लगता है. सोनू झट से उमा के पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगता है. जल्दबाजी में नाड़े में गाँठ पड़ जाती है.
सोनू : ओह मम्मी….नाड़े में तो गाँठ पड़ गई.
उमा सर निचे कर नाड़े पर पड़ी गाँठ को देखती है और फिर सोनू की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहती है.
उमा : क्या लल्ला..?? अपनी माँ का पेटीकोट भी ठीक से नहीं उतार सकता ? अब गाँठ खोलने में वक़्त ज़ाया मत कर. टेबल पर कैंची रखी है, ला और नाड़ा काट दे.
सोनू झट से उठ कर टेबल पर रखी कैंची उठता है और उमा के पास बैठ कर पेटीकोट का नाड़ा काट देता है. कैंची टेबल पर रख कर वो फिर से मम्मी के पास बैठ जाता है. उमा फिर से पेट के बल लेट जाती है. दूसरी तरफ अपना मुहँ किये हुए वो सोनू से कहती है.
उमा : अब तू देख ले पेटीकोट कितनी निचे करनी है. अपने हिसाब से जितनी निचे करनी है कर ले, बस तेल मत लगने देना.
उमा की बात सुन कर सोनू के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. अब तो मम्मी ने भी कह दिया है की पेटीकोट जितनी निचे करनी है कर लो. वो अपने हाथ पेटीकोट के दोनों तरफ रखता है और धीरे-धीरे उसे निचे करने लगता है. सोनू को पेटीकोट निचे करता देख उमा भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर देती है ताकि सोनू को पेटीकोट निचे करने में कोई तकलीफ न हो. धीरे-धीरे पेटीकोट पहले कमर से निचे आती है, फिर चूतड़ों के ऊपर और फिर चूतड़ों से थोड़ी निचे. सोनू देखता है तो उसे उमा के चूतड़ों की हलकी सी झलक दिख रही है. थोड़ी सी दिख रही चूतड़ों के बीच एक गहरी लकीर पेटीकोट के अन्दर जा रही है. अपनी मम्मी की चूतड़ों के बीच की गहराई की झलक पाते ही सोनू का लंड शॉर्ट्स में उच्छलने लगता है. मम्मी की चूतड़ों को देखते हुए सोनू एक बार जोर से अपना लंड दबा देता है. तभी उमा बोल पड़ती है.
उमा : अब लगा भी दे मम्मी को तेल….
उमा की बात सुन कर सोनू फिर से अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबोता है और उमा की कमर पर लगाने लगता है. अपने हाथों को धीरे-धीरे उमा की कमर पर फेरता हुआ सोनू बीच-बीच में चूतड़ों की गहराई पर भी फेर देता है. चूतड़ों की गहराई को देख कर सोनू का दिल करता है की एक ऊँगली गहराई में डाल कर पेटीकोट के अन्दर तक घुसा दे, पर उसके अन्दर का डर उसे इस बात की इज़ाज़त नहीं दे रहा था. कुछ देर वैसे ही मालिश करने के बार उसे उमा की आवाज़ सुनाई देती है.
उमा : ठीक से नहीं कर रहा है लल्ला. मेरी कमर के एक तरफ बैठ के करेगा तो ठीक से कैसे कर पायेगा. चल उठ वहां से और मेरी टांगो के बीच आ कर बैठ.
ये कहते ही उमा अपनी टाँगे उल्टा लेटे हुए थोड़ी फैला देती है और पेटीकोट खींच कर जांघो तक चढ़ा लेती है. सोनू झट से उठ कर उमा की टांगो के बीच बैठ जाता है. सामने मम्मी की मोटी-मोटी मांसल जांघे और ऊपर उभरी हुई बड़ी चुतड देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में झटके मारने लगता है. वो एक बार निचे झुक कर टांगो के बीच देखता है तो पेटीकोट की वजह से अँधेरा सा दिखाई पड़ता है. वो वैसे ही बैठे हुए आगे झुक कर तेल की कटोरी तक पहुँचने की कोशिश करता है पर उसका हाथ वहां तक नहीं पहुँच पाता है. निचे लेटी उमा समझ जाती है की सोनू को क्या दिक्कत हो रही है.
उमा : क्या हुआ लल्ला?सोनू : मम्मी यहाँ से मेरा हाथ कटोरी तक नहीं पहुँच रहा है. रुकिए …मैं कटोरी बिस्तर पर ही रख लेता हूँ…
उमा : चुप कर…वहीँ रहने दे कटोरी. बिस्तर पर रखेगा और सारा तेल गिरा देगा. थोडा सामने झुक कर नहीं ले सकता क्या तेल?
सोनू : झुका तो हूँ मम्मी पर फिर भी हाथ नहीं पहुँच रहा है.
उमा : तो और झुक जा न लल्ला…किसने रोका है तुझे?
सोनू : और ज्यादा झुक गया तो मैं आप पर लेट ही जाऊंगा मम्मी….
उमा : तो क्या हुआ? बेटा अपनी माँ पर लेट जायेगा तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? और मैं इतनी भी कमजोर नहीं हूँ की अपने लल्ला का वजन भी ना सह सकूँ. एक काम कर तू घुटनों पर बैठ जा और जब तेल लेना हो तो आगे झुक कर अराम से ले लेना. एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा ले लेना और थोडा सहारा मेरे बदन का, हो गया तेरा काम.
उमा की बात सुन कर सोनू गले में अटका हुआ थूक किसी तरह से गुटकता है.
सोनू : ठी..ठीक है मम्मी….
सोनू उमा के पैरों के बीच घुटनों पर बैठ जाता है. फिर वो आगे झुकने लगता है. अपना एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा लेता है फिर थोडा और आगे झुकता है. सोनू के शॉर्ट्स में लंड का उभार उमा के चूतड़ों के बीच धीरे-धीरे दबने लगता है. उमा अपनी आँखे बंद किये हुए है जैसे इस बात से वो पूरी तरह से अनजान है. सोनू आगे झुक कर ऊँगली तेल में डुबोता है और फिर से घुटनों पर बैठ के उमा की कमर और दिख रही चूतड़ों पर तेल लगाने लगता है. उसके हाथ फिसलते हुए कमर और चूतड़ों पर तेल लागने लगते है. सोनू अपनी ऊँगली को चूतड़ों की दिख रही गहराई के ऊपर रख कर १-२ तेल की बूंदे गिरा देता है जो धीरे-धीरे फिसलते हुए चूतड़ों की गहराई में जाने लगती है. कुछ वक़्त वैसे ही कमर और चूतड़ों की मालिश करने के बाद सोनू फिर एक बार आगे झुकता है. एक हाथ बिस्तर पर रख कर वो अपने शॉर्ट्स में बने उभार को मम्मी के चूतड़ों पर दबा देता है. झुके हुए वो मम्मी के चेहरे को ध्यान से देखता है. उमा की आँखे बंद है और वो सो रही है. सोनू धीरे से अपना सर निचे कर मम्मी के कान के पास ले जाता है और कहता है.
सोनू : मम्मी…!! मम्मी …!! सो गई क्या?
उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर सोनू धीरे से अपनी कमर का दबाव उमा की चूतड़ों पर बढ़ा देता है और फिर से कहता है.
सोनू : मम्मी..!! सो रही हो क्या?
इस बार भी उमा के चेहरे पर कोई भाव दिखाई नहीं पड़ते है. उसकी आँखे बंद है. इस बात से सोनू की हिम्मत और बढ़ जाती है. अब उसक ध्यान तेल की कटोरी पर नहीं बल्कि अपनी माँ की चूतड़ों पर था. वो धीरे से पीछे होता है और फिर से घुटनों पर बैठ जाता है. उसके हाथ धीरे से उमा के पेटीकोट की तरफ बढ़ते है और पेटीकोट को दोनों तरफ से पकड़ लेते है. धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों पर से पेटीकोट निचे खिसकने लगती है और एक जगह आ कर रुक जाती है. उमा के उल्टा लेतटे होने से पेटीकोट उसके अगले हिस्से के निचे दबी हुई है. सोनू कोई उपाए सोच ही रहा था की उमा की चुतड अपने आप ही हलकी सी ऊपर उठ जाती है. सोनू को यकीन नहीं हो रहा था जो उसके आँखों के सामने अभी-अभी हुआ था. वो कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की उठी हुई चूतड़ों को देखता है फिर धीरे से पेटीकोट को निचे करता चला जाता है. पेटीकोट निचे होते हुए उमा की जांघो और घुटनों के बीच आ जाती है. अब उमा की उठी हुई चुतड भी धीरे से निचे हो जाती है. सोनू आगे हो कर उमा के चेहरे को गौर से देखता है तो उसकी आँखे अब भी बंद ही है. वो एक बार फिर से कहता है.
सोनू : मम्मी …!! सो रही हो क्या?
इस बार भी उमा की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है. अब सोनू समझ जाता है की उसका रास्ता एक दम साफ़ है. उसका डर तो मानो किसी पिंजरे से आजाद हुई चिड़ियाँ की भाँती उड़न-छु हो जाता है. अपनी माँ की नंगी चूतड़ों को निहारते हुए सोनू अपनी शॉर्ट्स को निचे कर घुटनों तक ले आता है. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड अपनी मम्मी की नंगी चुतड देख कर हुंकार भरता है. आगे झुक कर, बिस्तर पर दोनों हाथो का सहारा लेते हुए सोनू अपने मोटे लंड को मम्मी की तेल से भरी चूतड़ों के बीच धीरे से रखता है. कमर का हल्का सा दबाव पड़ते ही सोनू का लंड फिसल कर उमा की कमर पर चला जाता है. सोनू अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर फिर से उमा की चूतड़ों के बीच रखता है और कमर का हल्का सा दबाव देता है. इस बार लंड चूतड़ों के बीच से फिसलता हुआ उमा की फैली हुई बुर पर रगड़ खाते हुए बिस्तर से जा टकराता है. बूर पर लंड के रगड़ खाने से उमा की बूर में हलकी सी हरकत होती है. ऊपर उमा भी अपने ओठों को दातों तले दबा देती है जिसे सोनू देख लेता है. तेज़ धडकनों के साथ सोनू बिना हिले उमा से कहता है.
सोनू : मम्मी…!! आप उठ गई क्या?
उमा वैसे ही बिना कुछ कहे आँखे बंद किये लेटी हुई है. सोनू की हिम्मत और भी बढ़ जाती है. वो इस बार अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उमा की चूतड़ों के ठीक बीच में रखता है और धीरे-धीरे चूतड़ों की गहराई में फिसलाने लगता है. लंड फिसलते हुए एक जगह पर आ कर रुक सा जाता है. सोनू को समझने में देर नहीं लगती है की उसका लंड जिस जगह पर रुका है वो कुछ और नहीं बल्कि उसकी माँ की गांड का छेद है. अपना लंड हाथ में पकडे सोनू धीरे से लंड पर दबाव बढाता है तो लंड का मोटा टोपा फिसलता हुआ उमा की गांड के छेद में घुस जाता है. उमा के मुहँ से एक हलकी “इस्स..!!” की आवाज़ आती है जिसे सुन कर सोनू रुक जाता है. वो बड़े ही ध्यान से मम्मी के चेहरे को देखने लगता है. कुछ देर वैसे ही चेहरे को देखते हुए सोनू को निचे कुछ हरकत महसूस होती है. वो निचे देखता है तो मम्मी की चुतड ऊपर उठ रही है और गांड का छेद सोनू के लंड को जकड रहा है. वो आँखे फाडे ये नज़ारा देखने लगता है. उमा की चुतड सोनू के लंड को जकड़े हुए फिर से निचे होती है और दोबारा ऊपर हो कर फिर निचे हो जाती है. ऐसे हे ४-५ बार ऊपर निचे होने के बाद उमा की चुतड निचे जा कर रुक जाती है. सोनू अब अपने आप को रोक नहीं पाता है. उमा पर लेट कर सोनू अपने दोनों हाथों को उमा की बगलों के निचे डालकर ऊपर की तरफ उसके कंधो को जकड लेता है. उसकी कमर ऊपर उठती है और एक जोर की ठाप उमा की चूतड़ों पर दे मारता है. सोनू का लंड उमा की गांड के गहराई में समां जाता है. ठाप इतनी जोर की थी की उमा के मुह से “आह…!!” निकल जाती है. अपनी मम्मी के दर्द की परवाह न करते हुए सोनू अपनी कमर उठा-उठा के उमा की चूतड़ों पर पटकने लगता है. हर ठाप पर उमा के मुहँ से “आह…!!” और सोनू के मुहँ से “ओह मम्मी..!!” निकलने लगता है. सोनू पूरे जोश में उमा की चूतड़ों पर अपने मोटे लंड का प्रहार किये जा रहा था. सारा कमरा उमा की “आह..!!”, सोनू की “ओह मम्मी…!!” और “ठप्प-ठप्प” की आवाजों से गूंजने लगा था. सोनू पूरे जोश में था. मम्मी के जिस छेद को वो कई बार छुप कर बाथरूम में देख चूका था, आज उसी छेद में वो अपना लंड ठूँस रहा था. अब उसे मम्मी की आँखे खुलने का भी डर नहीं था. वो इस पल को पूरी तरह से भोग लेना चाहता था.
मम्मी की गांड में लंड पलते हुए सोनू अपने एक हाथ को उमा के कंधे से हटा कर उसकी चुचियों को पकड़ना चाहा. उमा उलटी लेटी हुई थी और उसकी चुचियाँ बिस्तर पर पूरी तरह से दबी हुई थी. सोनू का हाथ वहां पहुंचना मुश्किल था. वो सोच ही रहा था की क्या किया जाए तभी उमा करवट लेती है. उमा के गांड में लंड डाले हुए सोनू एक तरफ बिस्तर पर गिर जाता है. अपने कंधे के बल पर बिस्तर पर लेटे हुए सोनू का लंड उमा की गांड में घुसा हुआ है. उमा भी ठीक उसी तरह से अपने कंधे पर बिस्तर पर लेटी हुई है और उसकी पीठ सोनू की तरफ है. सोनू के हाथ अब भी उमा की बगलों के नीचे ही थे. वो अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेता है और मसलने लगता है. निचे कमर के झटके देते हुए सोनू अपना लंड मम्मी की गांड में पेले जा रहा है. सोनू के हाथ तेज़ी से मम्मी के ब्लाउज के सारे हुक खोल देते है. ब्रा के बिना उमा के दोनों दूध सोनू के हाथों में आ जाते है. माँ-बेटे बिस्तर पर कामसूत्र के एक बेहद ही मनमोहक और कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद देने वाले आसन (spoon) में थे. सोनू का लंड अपनी गांड में लेते हुए उमा अपना ऊपर वाला पैर उठा के मोड़ लेती है. सोनू भी झट से अपने हाथ से मम्मी के उठे हुए पैर को सहारा देता है. पैर उठने से उमा की चुतड खुल गयी है और सोनू का लंड अच्छी तरह से अन्दर-बाहर होने लगा है. १५-२० ठाप मारने के बाद सोनू अपनी कमर उमा की चूतड़ों में दबा देता तो उसका लंड गांड के छेद में जड़ तक घुस जाता. सोनू पूरे जोश में ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अपनी मम्मी की गांड की चुदाई वो इतनी तेज़ी और जोश में कर रहा था की बिस्तर भी हिलने लगा था. देखने में ऐसा लग रहा था की कमरे में भूकंप आ गया हो.
उमा जो बहुत देर से अपने आप को रोके हुई थी, अब बोल पड़ती है.
उमा : आह…सोनू..!! धीरे मेरे लल्ला…मम्मी की फाड़ देगा क्या?
सोनू : (पूरे जोश में) ओह मम्मी …!! मत रोकिये आज मुझे.
उमा : आह…!! रोक थोड़े न रही हूँ अपने लल्ला को. आह…!! जी भर के मार ले बेटा अपनी मम्मी की गांड….बस ज़रा प्यार से ले बेटा…
सोनू : ओह मम्मी…मेरी प्यारी मम्मी…कितना तडपाती थी मुझे आप. बाथरूम में आपके नंगे बदन को देख कर कितना तडपा हूँ मम्मी….
उमा : आह…!! जानती हूँ बेटा. तभी तो मैं भी तुझे बाथरूम से पूरा नज़ारा दिखाया करती थी. बोल…कोई कमी छोड़ी थी तेरी मम्मी ने….
उमा की इस बात पर सोनू अपना मोटा लंड मम्मी की गांड की गहराई में जड़ तक पेल देता है.
सोनू : आह्ह्हह्ह…. मम्मी…!! आपने कोई कमी नहीं छोड़ी थी. अपने बदन का हर हिस्सा आपने खोल-खोल कर दिखाया है मम्मी.
उमा : आह…मेरे लल्ले ने भी तो अपनी मम्मी के नंगे बदन को देख कर खूब मुठीआया है. है ना लल्ला..?
सोनू : हाँ मम्मी…आह…!! आपके नंगे बदन को देख खूब लंड मुठियाता था मम्मी.
उमा : अब मैं अपने लल्ला को कभी लंड मुठीयाने जैसा गन्दा काम नहीं करने दूंगी. मेरे लल्ला की मम्मी के पास दो-दो छेद है. जब भी लल्ला का दिल करे, भर दे किसी भी छेद में. बोल लल्ला अब कभी लंड नहीं मुठीआयेगा ना?
सोनू : कभी नहीं मुठीआऊंगा मम्मी…आपकी कसम. जब भी दिल करेगा अपना लंड पकडे आ जाऊंगा आपके पास.
उमा : हाँ मेरे राजा बेटा बेटा. अपना लंड खड़ा किये आ जाना मम्मी के पास. तेरी मम्मी टाँगे खोल के दोनों छेद दिखा देगी. लल्ला को जो छेद पसंद आये, घुसा देना अपना मोटा लंड.
उमा की इस बात पर सोनू पागलों की तरह मम्मी की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से उमा का एक पीर उठाये हुए सोनू अपने मोटे लंड को सटा-सट मम्मी की गांड में ठूंसे जा रहा था. तभी सोनू को अपने अन्डकोशों में उबाल सा महसूस होता है.
सोनू : आह्ह्हह्ह…!! मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ…
उमा : भर दे लल्ला…अपनी माँ के गांड के छेद को अपने पानी से भर दे.
सोनू दोनों हाथों से उमा के बड़े-बड़े दूधों को दबाये, अपनी कमर की गति बड़ा डेट है. १०-१५ जोरदार ठाप मारते ही सोनू के लंड से पिचकारिया उमा की गांड के छेद में उड़ने लगती है. उमा अपना एक हाथ निचे ले जा कर सोनू के अन्डकोशों को जकड के दबा देती है तो बचा हुआ पानी भी उमा के छेद में गिर जाता है. कुछ देर माँ-बेटा वैसे ही बिस्तर पर पड़े रहते है. सोनू का लंड अब भी मम्मी की गांड के छेद में ही फसा हुआ है. सोनू जैसे हे सीधा होता है, उसका लंड उमा के छेद से ‘पॉप’ की आवाज़ के साथ बाहर फिसल जाता है. उमा की गांड के छेद से सोनू का सफ़ेद गडा पानी बहने लगता है, जिसे उमा छेद को सिकोड़ के बाद कर लेती है.
सोनू की तरफ घूम के उमा उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहती है.
उमा : थक गया न मेरा लल्ला..?
सोनू : हाँ मम्मी…बहुत थक गया हूँ…
उमा : मेरे लल्ला का लंड कितना बड़ा और मोटा हो गया है. मम्मी के छेद को बड़ा कर दिया है मेरे लल्ला के हथयार ने.
सोनू भी मम्मी की तरफ घूम जाता है. एक हाथ मम्मी की जांघो के बीच डाल कर बूर को सहलाते हुए कहता है.
सोनू : मम्मी…अपनी बूर कब दोगी ?
उमा : तेरी ही है लल्ला. जब दिल करे तब ले लेना. पर ध्यान रहे, इस बात का किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए. ये बात मम्मी और लल्ला के बीच ही रहनी चाहिए…
सोनू : समझ गया मम्मी…आप चिंता मत करिए. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
उमा : (सोनू के माथे पर चुम्मा लेते हुए) हम्म्म..! मेरा राजा बेटा. अच्छा अब जा जल्दी से लंड धो ले. मैं भी सब ठीक करती हूँ. वो लोग आते ही होंगे.
सोनू मम्मी की बात मानते हुए झट से बिस्तर से उतर कर अपना शॉर्ट्स पहनते हुए जाने लगता है. उमा बिस्तर पर लेते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगते हुए सोनू को देखती है. अपने दोनों छेदों के लिए बेटे के लंड का इंतज़ाम होते देख उसकी बूर धीरे-धीरे बहने लगती है.