Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही – Pure Taboo Story

ऐ तो बहुत जल्दी खत्म हो गया”हाहाहा. तुझे कुछ भी नही मालूम. ये देख जो ये गुब्बारे है इनको चुचिया, बूब्स, ब्रेस्ट्स या दूध बोलते है, और जो
तूने नितंब बताया उसको कूल्हे, चूतड़ या बट्स बोलते है. योनि को बोलते है चूत, वेजाइना या पुस्सी. और तेरे लिंग को कहते
है लॅंड, पेनिस या डिक.” इतना बोलकर माधुरी ने एक बार फिर अर्जुन के होंठ चूम लिए.

“और जब ये लंड चूत के अंदर जाता है तो इसको बोलते है चुदाई, सेक्स या लव मेकिंग.” नीरा बुद्धू है तू प्यारे

“दीदी क्या आपने ये सब किया हुआ है?” भोलेपन से एक बार फिर उसने पूछा

“नही भाई कभी किसी को हाथ तक नही लगाने दिया है मैने. मेरी फ्रेंड्स है कुछ जिन्होने ये सब किया. कइयो की तो शादी
और बच्चे भी हो चुके है. लेकिन मैं आज तक इस अनुभव से दूर हू. लेकिन अब मुझे प्यार करने वाला तू मिल गया है ना तो
मैं भी करूँगी. बोल तू अपनी दीदी को प्यार करेगा?” माधुरी ने अपने भाई की छाती सहलाते हुए कहा

“आप बस मुझे सीखा देना. आप जैसा कहोगी मैं करूँगा.” अर्जुन ने भी अपना हाथ दीदी के स्तन सॉरी चूचे पर रखते हुए
जवाब दिया.

“मेरा प्यारा भाई.” और इसके साथ ही माधुरी ने होंठ खोल कर अर्जुन का मूह चूसना शुरू कर दिया. दोनो की जीभ एक दूसरे
के मूह मे आ जा रही थी. अर्जुन को अपनी बड़ी बहन का ये मीठा रस एक अलग ही सुख दे रहा था. जब साँस लेना भी मुश्किल हो गया तो दोनो अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे. हर साँस के साथ माधुरी के पहाड़ जैसे बूब्स हिल रहे थे. येदृश्य इतना कामुक था कि अर्जुन से बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और उसने कमीज़ के उपर से ही उन्हे पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.

“एक मिनिट रुक मेरे भाई.” माधुरी की उत्तेजना भी चरम पर पहुच चुकी थी लेकिन फिर भी उसने अर्जुन को खुद से दूर किया और अपने कमीज़ का एक छोर पकड़ कर कमीज़ उतार दिया. उसके चूचे इतने बड़े थे जैसे कोई मीडियम आकार की फुटबॉल हो. और बिल्कुल ठोस तने हुए. कमौत्तेजना की वजह से उनपे लगे दोनो निप्पल किसी सुई की तरह खड़े हुए थे. लेकिन निप्पल की मोटाई एक छोटे चने के दाने जितनी थी. जो बयान कर रही थी कि इनको आज से पहले कभी मसला या चूसा नही गया.

इतने विशाल उभार देख कर अर्जुन से सबर नही हुआ और उसने दोनो हाथ बढ़ा के पकड़ लिया. उनके भार का अनुमान हो गया था अर्जुन को. उसकी दीदी अपनी छाती पे कितना बोझ उठा के रखती है सारा दिन. ये सब सोचते सोचते वो उन बड़े बड़े खरबूजो को प्यार से दबा भी रहा था और सहला भी रहा था.

माधुरी की तो इतने में ही हालत खराब हो चुकी थी. उसको ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत से कुछ तरल रीस रहा है और उसकी कच्छी को भिगो रहा है. अगले ही पल अर्जुन ने एक दूध को अपने मूह मे भर लिया और मज़े से चुसकने लगा. बीच बीच मे वो अपने दाँत से निपल को भी कड़ा कर देता. उसका दूसरे हाथ का पंजा अब माधुरी के दूसरे बूब को मसल रहा था. और वो मदहोशी मे अपने भाई का सर सहला रही थी. अब अर्जुन ने दूसरा वाला मूह मे लिया और पहले वाले को हाथ से मसलने लगा. उन दोनो को इसका पता ही नही चला कब अर्जुन पूरा माधुरी के उपर आ चुका था और वो अब बेड पे पीठ के बल लेटी मचल रही थी.

“दीदी, ऐसा लग रहा है जैसे इनमे से कुछ निकल रहा है लेकिन दिख नही रहा. इनको छोड़ने का दिल ही नहीं कर रहा.” अर्जुन ने एक बार उपर होकर अपनी दीदी का मूह देखा. दोनो खरबूजे अब अर्जुन की लार से सने हुए थे और उनके निपल चमक रहे थे.

“भाई तू भी अपने कपड़े निकाल ना.” अपनी बहन की गुज़ारिश सुनकर अर्जुन ने अपना टी शर्ट और पाजामा एक ही पल मे शरीर से अलग कर दिया. वही माधुरी दीदी ने भी अपनी अपनी सलवार पैरो से निकल कर अलग कर दी थी. अर्जुन एक बार फिर अपनी बड़ी दीदी के उपर आ गया. माधुरी ने अपनी टाँगे फैला दी थी जिनके बीच मे उसके भाई का लंड घिस रहा था. दोनो एक बार फिर सबकुछ भुला के पागलो की तरह एक दूसरे को चूमने मे लगे थे.

अर्जुन की चौड़ी छाती के नीचे माधुरी के बड़े बड़े उरोज़ कुचल रहे थे. दीदी ने अभी तक अपने भाई का लंड नही देखा था और ना ही अर्जुन ने अपनी बहन को कमर से नीचे देखा था.अर्जुन के हाथ फिसल कर जैसे ही नीचे आ रहे थे उसको अपनी बहन की मोटी मांसल जांघे सुखद एहसास देने लगी. वो इतनी
मुलायम थी जीतने उनके बूब्स थे.

अर्जुन ने खुद ही अपनी बहन की टोनो जांघे विपरीत दिशा मे फैला दी थी और अब वो अपना लंड ठीक उनकी कच्छी के फूले हुए हिस्से पर घिस रहा था. वो जगह किसी गरम भट्टी के समान तपने लग रही थी. उसने ऐसे ही अपनी दीदी की आँखों मे देखा तो माधुरी ने अपनी कमर हल्की सी उपर उठाई और एक साइड से कच्छी को नीचे खींच दिया. अर्जुन ने बाकी का काम कर दिया उसको पैरो से बाहर निकाल कर. एक बड़ी तेज और अजीब सी सुगंध उसकी साँसों से टकराई . ये उसकी दीदी का यौवन रस था जो चूत से जाने कब से टपक रहा था.

“दीदी, अब क्या करू?” काँपते हुए अर्जुन ने कहा.

माधुरी ने देखा उसका भाई उसकी चूत के उपर उगे बालो मे उंगलिया फिरा रहा है. माधुरी दीदी ने नीचे से आगे होकर अपना हाथ बढ़ाया अर्जुन का लंड पकड़ने के लिए तो एक ही झटके मे हाथ पीछे खींच लिया.

“भाई… ये क्या चीज़ है? खड़ा हो ज़रा.” हैरत से माधुरी दीदी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और अर्जुन के पास आई.

जैसे ही उसकी नज़र उस आठ इंची के मोटे डंडे पर गई, माधुरी की धड़कन ही रुक गई कुछ पल के लिए. कभी वो नीचे
अपनी चूत की तरफ देखती जहाँ सिर्फ़ एक पतली सी लकीर थी 2 मोटे मोटे फूले हुए होंठो के बीच. और कहा ये डायटियकर
लंड जिसका अगला हिस्सा एक मध्यम आकर के आलू जितना था. हिम्मत करके उसने सिर्फ़ इतना कहा, ” बाप रे एक काम कर मेरे उपर लेट कर अपना ये डंडा मेरी चूत के उपर आराम से घिस.” ऐसा बोलते हुए माधुरी दीदी ने अर्जुन को अपने उपर लिटा लिया और फिर से अपनी टांगे पूरी खोल ली. अपने हाथ से उसका लंड जो की पूरी मुट्ठी मे नही समा रहा था, पकड़ के अपनी चूत के होंठो पर लंबवत घिसने लगी.

” आह दीदी. आपकी ये फूली हुई चूत कितनी गरम है. और इसका पानी से जब लंड फिसलता है तो कितना मज़ा आता है. आह”
बोलते बोलते अर्जुन दीदी के मोटे दूध छाती से रौंद रहा था और अपना लंड दीदी की पनियाई चूत पे घिस रहा था. बीच बीच
मे जब लंड का अगला हिस्सा हल्का सा चूत के होंठ ज़्यादा फैला देता तो दोनो के मज़े की इंतेहा हो जाती थी. दोनो भाई बहन
के शरीर पसीने से तर हो चुके थे और पूरा कमरा इस उत्तेजक सुगंध से भर उठा था.

अब तो माधुरी की कमर भी बेड से उपर उठने लगी थी ओर उसके नाख़ून अपने छोटे भाई के सख़्त चुतड़ों मे धँस रहे थे. ना जाने ये खेल कितनी देर चलता रहा लेकिन एक समय के बाद माधुरी का पूरा शरीर ऐंठ गया और उसकी चूत मे रह रह के झटके उठने लगे.

चूत में जैसे बाढ़ ही आ गई थी और इतनी गीली चूत पे अर्जुन का लंड भी फुल स्पीड से फिसल रहा था. उसको भी करेंट लगा जब उसके लंड ने पानी फेंकना शुरू किया. पिचकारी इतनी तेज थी की दीदी के बूब्स, पेट, गर्दन तक वो गरम लावा जाकर गिरा. और अर्जुन ऐसे ही अपनी बड़ी बहन के बदन पर ढह गया. इतना मज़ा तो उसे मालती की चुदाई से नही आया था जितना अपनी बड़ी बहन की चूत पर सिर्फ़ लंड घिसाई से आया था.10 मिनिट बाद जब दोनो की साँस कुछ दुरुस्त हुई तो माधुरी ने प्यार से अपने छोटे भाई को उपर से उठाया और कान मे बोला. “भाई मुझे बाथरूम जाना है, उठ खुद को सॉफ करना है.”

अर्जुन की हिम्मत नही थी लेकिन वो उठ गया. दीदी ने चद्दर लपेटी और बाथरूम मे चली गई. 5 मिनिट बाद वो आई तो अर्जुन अपना लंड सॉफ करके वापिस आया और वापिस अपनी दीदी से लिपट गया.

“दीदी, क्या इसको ही चुदाई कहते है?” होंठो पे एक छोटा चुंबन करने के बाद उसने पूछा

“नही बाबा. ये थोड़ी ना चुदाई होती है. ये तो सिर्फ़ रब्बिंग थी. तेरा इतना बड़ा है के ऐसे ये मेरी चूत के अंदर नही जाएगा. लेकिन थोड़ा टाइम सबर कर कुछ करूँगी इसका भी हाल. और हा बेटा ये बात कभी भी भूल के किसी के सामने मत कर देना. तेरी बहन बर्बाद हो जाएगी. तू अपनी बहन के प्यार की हिफ़ाज़त करेगा ना भाई?” भावुक होते हुए माधुरी लिपट गई अर्जुन से.

“दीदी आपके लिए मैं अपनी जान दे सकता हू. और आप ही मेरा पहला प्यार हो. मैं कसम ख़ाता हू मैं कभी किसी को इसका आभास नही होने दूँगा.” और उसने कस कर भींच लिया माधुरी को अपनी बाहों मे.

माधुरी ने एक बार सर उठाकर टाइम देखा और फिर धीरे से बोली,”भाई अब सो भी जा देख ढाई बज रहे है. तुझे उठना भी है.”

उन्हे पता ही ना चला था कि वो पिछले ढाई घंटे से प्यार कर रहे थे. अर्जुन ने अपनी बड़ी बहन, जो की एकदम नंगी थी, को बाहो मे भरा और दोनो नींद के आगोश मे चले गये.

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