माधुरी मिलन
दोपहर 2 बजे तक सब लोग घर के अंदर आ चुके थे होली खेल कर. घर की औरतों ने नहा धो कर सॉफ कपड़े पहन लिए थे और
अब वो रसोई मे लग गई थी. कोमल दीदी बाहर वाले बाथरूम मे अपना रंग उतारते हुए नहा रही थी और अंदर वाले बाथरूम मे अलका दीदी
और उनकी सहेलियाँ थी. ऋतु दीदी ने अभी आँगन मे लगे नलके पर ही जितना हो सका उतना रंग उतारा और उनके साथ आशा थी. रेखा जी ने आशा और नुसरत के लिए भी कपड़े निकाल कर आँगन मे लगी तार पर डाल दिए थे.
माधुरी दीदी उपर के बाथरूम मे जाने का बोलकर दूसरी मंज़िल पर पहुच गई. ड्रॉयिंग रूम मे बैठे अर्जुन को एक दिलकश सी स्माइल देती
वो उसके सामने ही बाथरूम मे घुस गई. दरवाजा खुला ही था और अर्जुन को पानी गिरने की आवाज़ आई. सब तरफ देख कर उसने मुख्य दरवाजा
बंद किया और वो भी घुस गया बाथरूम के अंदर. दृश्य इतना कामुक था का अर्जुन का लंड एक सेकेंड मे अपनी औकात पर आ गया. माधुरी
दीदी का कमीज़ फर्श पर गिरा हुआ था और वो एक पुरानी ब्रा पहने हुए शावर के नीचे झुकी हुई थी. अर्जुन ने पीछे से जाकर दीदी की गान्ड
पर अपनी कमर भिडाते हुए दोनो मोटे दूध पकड़ लिए. माधुरी दीदी ने भी कोई कोशिश ना की अर्जुन को हटाने की. धीरे धीरे उसने अपना
दीदी की नंगी कमर और गर्दन पर घुमाना शुरू कर दिया. माधुरी दीदी ने भी दोनो हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल अपने फुटबॉल जैसे
बूब्स आज़ाद कर दिए. “साबुन लगा कर मसल भाई. इनपे भी काफ़ी रंग लगा है.” बेहद कामुक आवाज़ मे उन्होने ये बात कही तो अर्जुन ने
अपनी टीशर्ट और पेंट वही गिरा दी और दोनो हाथो मे साबुन रगड़ उनके मुलायम बड़े चुचे मसलने लगा. “आ भाई प्यार से कर ज़्यादा ज़ोर
से नही”, इतना बोलकर वो खुद भी अपनी गान्ड उसके खड़े लंड पर रगड़ने लगी. “दीदी कितने बड़े और मोटे मोटे बूब्स है आपकी.” इतना बोलकर
अर्जुन ने दीदी को अपनी तरफ घुमा लिया और नीचे झुक कर उनके एक पपीते को मज़े से पीने लगा. उसका दूसरा हाथ दीदी की गीली गान्ड को
महसूस कर रहा था. “इसको भी उतार दे भाई.”, अपनी दीदी की बात सुनकर उसने सलवार भी एक झटके मे उनके तन से अलग कर दी. अब अर्जुन
मोटे दूध को पीते हुए अपने दोनो हाथो से उनकी गान्ड की दरारों को भी फैला रहा था. उसको उन्हे दबाने मे अलग ही मज़ा आ रहा था.
अब माधुरी दीदी ने भी अर्जुन की छाती पर साबुन रगड़ना शुरू किया और फिर अपने हाथ उसके कचे के अंदर डाल उसका खड़ा लंड सहलाने
लगी. “भाई तेरा ये डंडा कितना बड़ा और गरम है. हाए देख कैसे अकड़ रहा है मेरे हाथो मे.” इतना बोलकर वो उसके लंड को
दोनो मुठीॉ मे भर के दबाने लगी.
“दीदी आपकी वो भी तो कुछ गरम नही.” बोलते हुए अर्जुन ने उनकी कच्छी जो गान्ड की दरार मे
बुरी तरह से फासी हुई थी बाहर निकाल के नीचे कर दी.”दीदी आपकी वो भी तो कुछ गरम नही.” बोलते हुए अर्जुन ने उनकी कच्छी जो गान्ड की दरार मे
बुरी तरह से फासी हुई थी बाहर निकाल के नीचे कर दी.
“वाह दीदी. आपने चूत कब सॉफ की?” वो तो उस चिकनी फूली हुई चूत में ही खो गया
“भाई मैं तो कल ही तुझे ये दिखाने वाली थी लेकिन चल आज सही.” इतना बोलकर माधुरी दीदी ने भी अर्जुन का लंड कच्छे से आज़ाद
कर दिया. अर्जुन का लंड इस समय पूरे दैत्याकार रूप मे खड़ा था. उसके लाल सुपाडे का आकर बड़े टमाटर सा हो चुका था और पूरे लंड पर नसे उभर आई थी..
“दीदी देखो ये कैसे तड़प रहा है आपके लिए.”, इतना बोलकर अर्जुन ने माधुरी दीदी को बाहों मे भरकर पागलो की तरह चूमना
शुरू कर दिया. उनके दोनो बड़े चूचे अब अर्जुन की छाती से रगड़ रहे थे. और उन पर लगे भूरे निपल अर्जुन को छाती मे धस्ते
महसूस हुए. उसका लंड भी दीदी के पेट पर रगड़ रहा था. क्योंकि वो कुछ ज़्यादा लंबा था अपनी दीदी से.
“आप नीचे लेट जाओ.”, इतना बोलकर अर्जुन ने माधुरी दीदी को वही फर्श पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गया. पानी अभी भी चल रहा
था. अपने दोनो हाथो मे उनके मोटे बूब्स दबाते हुए वो दीदी के होंठ कुचलने लगा और अपना लंड उनकी चिकनी चूत पर रगड़ने लगा.
“भाई देख अभी टाइम ज़्यादा नही है तू एक काम कर मैं खड़ी होती हू और तू पीछे आ.” ये बोलकर माधुरी दीदी दीवार के सहारे खड़ी हुई
और झुक कर अपनी बड़ी गान्ड बाहर निकाल ली. अर्जुन जैसे ही उनके पीछे आया उन्होने अपने हाथ से उसका मोटा लंड अपने चुतड़ों की दरार
से निकालते हुए चूत की फांको के बीच लगा लिया. अर्जुन भी समझ गया के अब क्या करना है. माधुरी दीदी की मोटी चिकनी जाँघो मे उस
लंड टाइट फसा था. “चल अब आगे पीछे कर. बस ध्यान राखिॉ ये अंदर ना जाए. वो काम हम रात मे करेंगे.” दीदी की बात ख़तम
होते ही अर्जुन ने धक्के मारने शुरू कर दिए. दीदी को दीवार से चिपकाए उसने उनके दोनो बूब्स पकड़ कर निचोड़ना शुरू किया. कभी वो
उनके निपल खींचता कभी गान्ड को फैला कर तेज धक्के लगाते हुए उनकी गर्दन चूमता. उसका लंड चूत की फांको मे कसा हुआ आगे पीछे
हो रहा था. बिलुल असली चुदाई जैसा महसूस हो रहा था. एक बार उसने पूरा लंड पीछे खींचा और फिर धक्का दिया तो लंडा जा टकराया चूत के छेद से और दीदी की चीख निकलते रह गई. “पागल है क्या?” दीदी ने बोला और वापिस गान्ड बाहर निकाल उसके हाथ अपने चुचो पे
रख लिए. अर्जुन फिर मस्ती मे झटके लगाने लगा. उसको तो ये सपना सा लग रहा था. दिन के समय, घर के बाथरूम मे, अपनी इस गदराई
बड़ी बहन की गान्ड क नीचे लंड फसाए उसके मोटे दूध दबाना. उसका जोश बढ़ता ही जा रहा था और माधुरी दीदी की चूत भी रिसने
लगी थी अब उसके हाथ दीदी के बूब्स पर कुछ ज़्यादा ही कस गये थे और धक्के भी तेज हो गये थे.
“आ … आ .. भाइईइ.. आराम से.. मैं गैइइ….” दीदी झड़ने लगी थी लेकिन अर्जुन तो तूफ़ानी गति से लगा रहा और 20-25 तेज
धक्को के बाद उसकी पिचकारि भी छूटने लगी.. कुछ दीदी की चूत के बाहर गिरी कुछ सामने की दीवार पर.
माधुरी दीदी ने उसके एक बार खुद से चिपका कर उसके होंठ अच्छे से चूमे और बाहर निकाल दिया. मुस्कुराती हुई दीदी के चेहरे पे
अब अलग ही नूर आ गया था. खुद को सॉफ कर कपड़े पहन वो नीचे चल दी. कुछ देर बाद अर्जुन भी वही बैठा था. आशा और नुसरत
जा चुकी थी.
“ले बेटा तू शुरू कर.” ललित जी ने उसकी प्लेट लगाई तो ऋतु भी अर्जुन की बगल मे आ बैठी.
“मैं भाई की प्लेट मे ही खाउन्गी.”इतना बोलकर उसने अर्जुन के साथ ही खाना शुरू कर दिया.
सब हैरत से उन दोनो को देख रहे थे और अर्जुन अपनी बड़ी दीदी को अपने हाथो से खिला रहा था. रेखा जी तो ये देख कर बस भगवान
का शुक्रिया अदा कर रही थी. अर्जुन के दूसरी तरफ जब अलका आकर बैठी तो अर्जुन एक बुर्की बनाकर उसके भी मूह मे डालने लगा लेकिन शरम से अलका ने छोटा सा मूह खोला.
“आपने नही खाना मेरे हाथ से?”
अर्जुन की बात सुनते ही अलका ने एक झटके मे उसका हाथ अपने मूह मे ले लिया. “अऔच. पहले तो खाती नही हो फिर उंगली भी काट ली.”, अर्जुन ने छेड़ा तो अलका किसी नव-व्याहता की तरह शर्मा गई.
“अब इसको क्या हुआ है?”, ऋतु ने ये बात कह तो दी लेकिन कुछ कुछ उसको भी समझ आ गया था. फिर वो अलका की तरफ देख एक इशारे मे मुस्कुराइ तो अब अलका ने शरम से नज़रे ही झुका ली थी.
“वाह मेरी बन्नो.”, ऋतु ने बड़ी धीमी आवाज़ मे ये बात कही जिसे सिर्फ़ अर्जुन और अलका ने ही सुना था. अब बारी अर्जुन की थी नज़र झुकाने की क्योंकि अलका तो इतना सुनकर वहाँ से उठ रेखा जी के पास ही बैठ गई थी. अर्जुन ने फिर से ऋतु दीदी को खिलाया तो उन्हे खुद के लिए भी अर्जुन की नज़र मे वही दिखा जो अलका के लिए था.
“अब बस भाई मेरा पेट भर गया.” इतना बोलकर उठते हुए ऋतु दीदी ने अलका की तरफ देखते हुए अर्जुन की उंगली चूस ली. ऋतु अपने कमरे मे गई ही थी की अलका भी खाने की थाली ले उसके पीछे चल पड़ी.
अर्जुन कुछ देर बाद खाना ख़तम कर उपर चला गया अपने कमरे मे आराम करने. जैसे ही वो वहाँ दाखिल हुआ ड्रॉयिंग रूम मे कोमल दीदी
बैठी टेलीविजन पर गाने देख रही थी. अर्जुन भी जाकर उनकी बगल मे बैठ गया. कोमल ने उसको देखा फिर टेलीविजन की तरफ देख
मुस्कुराने लगी.
“कल से देख रहा हू आप बात नही कर रही.” अर्जुन ने जब इतना कहा तो कोमल ने फिर उसको देखा और फिर नज़र फेर ली.
“क्या बात करू?”, और फिर कोमल मंद मंद मुस्कुराने लगी. अर्जुन ने बड़े प्यार से उनका चेहरा अपनी तरफ घुमाया तो वो बिना ज़ोर दिए उसकी ओर घूम गई. दोनो एक दूसरे को देखते रहे फिर मिल गये दोनो के लब एक दूसरे से. अर्जुन ऐसे ही कोमल दीदी को झुकाए उनके उपरलेट गया सोफे पर ही. दोनो बड़े ही इतमीनान से एक दूसरे को चूम रहे थे कोई जल्दी नही थी उनको. कोमल ही थी जिसके चूचे माधुरी को टक्कर देते थे लेकिन अभी इन दोनो का ध्यान कामवासना से परे ही था. कुछ 2 मिनिट बाद अर्जुन ने ये चुंबन तोड़ा और उपर से उठ गया.
मैं चला सोने दीदी आंड थॅंक यू फॉर दिस स्वीट ट्रीट. कोमल भी प्रतिउत्तर मे बस मुस्कुरा दी.
शंकर जी लगभग 5 बजे आए थे और फिर सबसे मिलकर और अर्जुन को सोया देख वापिस निकल गये अपनी नौकरी वाले शहर. ताऊ जी भी सोचुके थे घर आने के बाद. घर मे ज़्यादातर लोग आराम कर रहे थे लेकिन ये 2 हुस्न की देविया कमरे मे बंद गुफ्तगू कर रही थी.
“अब मुझे सब बता. और कुछ भी छुपाया तो फिर तू मुझे जानती है.”, ऋतु ने अपने पाव पे तकिया रख बैठे हुए ही वही लेती अलका
से कहा. एक ऑर्डर की तरह लेकिन आवाज़ बिल्कुल मंद थी.
“यार देख तुझसे मैने आजतक कुछ नही छुपाया लेकिन पता नही तू समझेगी भी या नही.”, अलका ने थोड़े चिंतित स्वर मे बात कही
“तू बस पूरी बात बता मेरे समझने ना समझने की बात भूल जा.”, अब ऋतु ने थोड़ा प्यार से कहा. अलका को डर था के कही ऋतु उसके
प्यार को रुसवा ना कर दे.
“देख ऋतु जबसे मैं बड़ी हुई हू मुझे कभी लड़को मे इंटेरेस्ट नही था. फिर कॉलेज मे लड़कियों के कई किस्से सुने थे के उसके बॉयफ्रेंड ने
ये किया, वो किया. किसी को धोका दिया तो किसी को अपने दोस्तो के साथ ही सुला दिया. इन सब बातों से मेरे दिल मे डर बैठ गया था.”
“जो पूछा ये वो बात नही है.” ऋतु ने थोड़ा तुनक कर बोला
“पूरी बात सुनेगी या फिर मैं चली जाऊ?”, पहली बार अलका ने उसको गुस्सा दिखाया था तो ऋतु भी शांत हो गई.
“अब सुन. जब हर तरफ मैने देखा की लड़के सिर्फ़ एक ही चीज़ देखते है हर लड़की मे तो मैने मूड बना लिया के कभी बॉयफ्रेंड नही
बनाउन्गी. फिर क्लास मे कुछ लड़कियों ने मेरा मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया. के बाहर से इतनी सुंदर है लेकिन शायद अंदर ही कुछ कमी होगी जो इसका का बॉयफ्रेंड नही है. कुछ ने तो ये भी कहना शुरू कर दिया के मुझे लड़किया ही पसंद है. चल मान भी लू की मुझे तू पसंद है. तेरा साथ मेरे लिए एक वरदान जैसा है. लेकिन इसका ये तो मतलब नही हुआ के मुझमे कुछ कमी है. ऐसी बातें हर रोज होने लगी. फिर अभी 2 दिन पहले मैं अर्जुन को ले गई अपने कॉलेज, एग्ज़ॅम फीस डेपॉज़िट करवाने और फाइल सब्मिट करवाने. वहाँ सभी लड़किया बस अर्जुन को ही देख रही थी लेकिन उसने किसी की तरफ नही देखा. मैने अपनी 2 फ्रेंड्स को भी इशारा किया अर्जुन को छेड़ने के लिए लेकिन अर्जुन ने उनको भी नज़रअंदाज कर दिया. जब वो मेरा हाथ पकड़ कर कॅंटीन ले जा रहा था तब सभी लड़किया मुझे जलन से देख रही थी. लेकिन अर्जुन सिर्फ़ मेरे साथ था. वहाँ भी उसने मुझे कुर्सी से उठने ना दिया, बिल भी खुद दिया एक अच्छे लवर की तरह.”