अपडेट 9
ज्योति की आग
“तन्ंननननननणणन् तन्ंननननननणणन्” की पहली ही आवाज़ से अर्जुन उठकर बैठ गया. अलार्म का बटन दबा के उसको बंद किया और फिर नज़र गई एक जन्नत से नज़ारे पर. माधुरी दीदी का पूरा यौवन उसकी आँखों के सामने था. बड़े ठोस बूब्स जो बेड पर टीके थे, मासूम सा चेहरा, घने काले बाल, विशाल लेकिन गुदाज चूतड़, रेशम सी चिकनी जांघे. फिर खुद को संभालते हुए अर्जुन ने अपना हाथ उनके एक पूरे गोल चुचे पर लगाया और उनके होंठ चूम के धीरे से बोला, “आई लव यू दीदी, यू आर ब्यूटिफुल”. और उनको चद्दर से ढक कर पूरा कमरा समेट कर अपने कमरे मे आ गया.
फिर वही रोजाना का रुटीन, दौड़, बादाम वाला दूध, नहाना-धोना किया और आ गया रसोई मे.
मा को देखा तो देखता ही रह गया. आज रेखा जी ने लाल रंग की रेशमी साड़ी पहनी हुई थी और अन्य दिनों से अधिक
खिली हुई थी.
“आज कुछ खास है क्या मा?” अर्जुन ने जैसे ही ये कहा तो कौशल्या देवी ने जवाब दिया, “ओह मेरे बुद्धू सपूत, आज होली का त्योहार है और कल फाग. कभी कभी त्योहार का कॅलंडर भी पढ़ लिया कर. और हा आज मेरा लाड़ला भी आ रहा है घर, तेरा बाप.”
एक जगह त्योहार का सुनकर जहाँ अर्जुन खुशी से झूम उठा वही जैसे ही अपने पिताजी के आने की खबर सुनी तो उसकी सारी खुशी छु-मंतर हो गई. “अच्छा आज पापा आ रहे है? कब तक आएँगे वो?”, बुझे मन से उसने पूछा तो रेखा जी ने कहा,
“बेटा तेरे पापा तो 7 बजे ही आ गये थे लेकिन उन्हे तेरे गुलाटी अंकल से कुछ काम था तो वो आधे घंटे तक आ जाएँगे.
डॉक्टर. गुलाटी एक र्राइव. सर्जन थे सिविल हॉस्पिटल के और शंकर शर्मा जी के स्कूल के दिनों से मित्र थे. जब भी शंकर जी
अपने शहर आते थे तो सबसे पहले वो अपने दोस्त से मिल कर ही घर आते थे. शाम का प्रोग्राम बना कर. अपने पापा को
याद करते ही अर्जुन की पुरानी यादें ताज़ा हो गई. कैसे उसके पिता जी उसको कड़ी सज़ा देते थे जब उसके कम नंबर आते
थे, और दादा जी भी उनको कुछ बोल नही पाते थे. आख़िरी बार वो अपने पिता जी से तब बोला था जब वो वापिस घर आया
था बोरडिंग से. शंकर जी का डर ही था कि अर्जुन ने कभी भी ज़िंदगी मे ज़्यादा दोस्ती नही करी थी और सिर्फ़ अपने लक्ष्य
पर ही ध्यान देता था. फिर सब यादों को भूलकर उसने खाना शुरू किया. आसपास कोई क्या बोल रहा है उसको कुछ सुनाई नही दे रहा था. बस जल्दी से खाना खाया और उठने लगा कुर्सी से की एक हाथ उसके कंधे पर था. साँसें रुक गई क्योंकि उसके दिल को एहसास हो गया था कि ये किसका हाथ है.
” गुडडड मॉर्निंग डेड. हाउ आर यू? हॅपी टू सी यू अराउंड?” ये सब उसने बिना पीछे मुड़े ही कहा था. शंकर जी का
सपना था कि उनका बेटा उनसे ज़्यादा पढ़े और जब भी वो उनसे और उनके दोस्तो से मिले तो सिर्फ़ अँग्रेज़ी में ही बात करे. उन दिनों ये बहुत कम ही होता था कि कोई बच्चा छोटी उमर में ही प्रवाह मे अँग्रेज़ी बोले. लेकिन अर्जुन ने इस भाषा पर मजबूत पकड़ बना ली थी दसवी तक आते आते.
” यू नो किड, यू आर माइ प्राइड. आंड नाउ आई’म मोर देन हॅपी टू सी यू ऑल ग्रोन अप आंड गेटिंग दिस हॅंडसम. सन, टर्न
अराउंड.” जैसे ही शंकर जी ने ये बात कही अर्जुन अपने पिता के बिल्कुल सामने था. उन्होने आज पहली बार अपने बेटे को अपने सीने से लगाया. ” आई’ वी मिस्ड दिस कंफर्ट थ्रूवौट मी स्कूलिंग डेड. डॉन’ट लीव मी फॉर समवहील.” कह कर अर्जुन ज़ोर से चिपक गया अपने पिता से. उन्होने भी बेटे को पहली बार महसूस किया. “ड्र. साहब आई होप यू डिड्न’त गॉट एनी ट्रबल रीचिंग हियर?” ये आवाज़ सुनकर दोनो बाप-बेटे अलग हुए और शंकर जी जा लगे अपने पिता रामेश्वर जी के गले.
उन दोनो मे कई देर तक गुफ्तगू होती रही और उनको कुर्सी पे बिठाया कौशल्या जी ने.”मेरा लड्डू”. इतना बोलकर कौशल्या जी ने बेटे का माथा चूमा और फिर रेखा जी ने अपने ससुर, सास और पति को पानी दिया.
बार बार शंकर जी अपने बेटे को ही देख रहे थे. और बेटा तो एकटक उन्हे देख रहा था. उसको बाप के प्यार का एहसास
आज पहली बार हुआ. वो सब भूल गया जो भी उसने बोरडिंग स्कूल मे सहा था.
“मा, मुन्ना तो मुझसे भी लंबा हो गया इतनी जल्दी. पापा ने बहुत मेहनत करी लगती है इस्पे.” उनके शब्दो मे प्रशंसा
थी.
“बेटा तेरे पिताजी तो अभी बहुत कुछ सोचे बैठे है. वो सब छोड़ चल पहले खाना खा नही तो तू फिर भाग जाएगा अपने
दोस्तो के पास.”
यूही वो तीनो लोग बातें करते खाना खाने लगे और राजकुमार जी भी उनसे आ मिले. दोनो भाई गरम्जोशी से मिले और फिर
एक घंटे तक यही सब होता रहा. अर्जुन कबका सबकी नज़र बचा कर अपनी साइकल लेकर संदीप के घर निकल गया.
सबके रसोई से चले जाने के बाद शंकर जी भी उठ खड़े हुए और चल दिए अपने कमरे मे जहाँ रेखा जी कपड़े तह लगा
रही थी. उन्होने पीछे से ही उनको अपनी बाहों मे कस लिया और रेखा के चेहरे पे शरम की लाली छा गई. और इस दौरान कमरे की कड़ी बंद कर दी थी उन्होने.
वही माधुरी अपने कमरे मे बैठी थी जहाँ ऋतु और कोमल भी थे. अलका दूसरे कमरे मे पढ़ाई कर रही थी. वैसे तो
चारो बहने आपस मे सब बातें कर लेती थी. लेकिन इन्होने कभी भी सेक्स के विषय पर बात नही की थी. माधुरी किसी
भी तरह ये सब डिसकस करना चाहती थी तो उसने बात शुरू के.
माधुरी- यार कोमल तेरे सब्जेक्ट्स क्या थे डिग्री मे?
कोमल- दीदी फिज़िक्स, केमिस्ट्री, बाइयालजी और इंग्लीश. वैसे क्या बात है? कुछ पूछना है क्या?
माधुरी- हा यार लेकिन बात थोड़ी पर्सनल है तो किसी और से पूछ नही सकती तो याद आया तेरे पास तो साइन्स था.
कोमल- दीदी आप तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो. आप बेझिझक कुछ भी पूछ सकती हो.
अब इन दोनो की बात सुनकर ऋतु ने अपनी किताब साइड मे रख दी और उनकी तरफ मूह करके बैठ गई.
माधुरी- यार दादा जी कोई लड़का देख रहे है मेरे लिए, मा से पता चला. लेकिन यार मुझे तो इसके बारे मे ज़्यादा
कुछ पता नही की आगे क्या होता है. (चेहरे पे शरम फैल गई ये सब कहते हुए जो दोनो बहनो से छुपी ना रही)
ऋतु- अर्रे दीदी आप यहा बैठो मेरे पास. मैं करती हू आपकी प्राब्लम का सल्यूशन. (आँखें मट्काते हुए उसने कहा)
माधुरी- यार मेरी 2 सहेलियों की शादी हो चुकी है और 3 साल मे एक के तो 2 बच्चे भी हो गये. और दोनो कहती है
के बस पति तो उनको ज़रूरत का समान समझता है. इसका क्या मतलब है. और यार ये भी कहा उन्होने की जान निकल जाती है
(इतना बोलकर माधुरी ने आँखें नीचे कर ली)ऋतु- दीदी ये सब अनपढ़ लोगो की बातें है. आप जिस सब्जेक्ट की बात कर रही है उसको सेक्स बोला जाता है. और ये एक
इंपॉर्टेंट लेसन है अच्छी लाइफ का. बुक्स के अकॉरडिंग तो जो भी है वो सिर्फ़ रिप्रोडक्षन और सेक्स ऑर्गन्स के बारे में ही होता.
माधुरी- लेकिन ये सब तो मैने भी पढ़ा है. मैं प्रॅक्टिकल की बात कर रही हू.
ऋतु- दीदी सुनो तो. देखो हेल्थि सेक्स लाइफ के लिए सबसे इंपॉर्टेंट होता है दोनो के बीच प्यार और अंडरस्टॅंडिंग.
फिर सेक्स से पहले फोरप्ले.
माधुरी- कॉन्सा प्ले? (नासमझ होने का दिखावा करते हुए)
ऋतु- ओहो दीदी पूरा सुनो नही तो मैं नही बोलती
माधुरी/कोमल एक साथ- अर्रे नही नही चल तू बता
ऋतु- वाह कोमल दीदी आप भी. हाहाहा. चलो सुनो. फोरप्ले मतलब होता है की दोनो पार्ट्नर्स का एक दूसरे के शरीर से
पूरा प्यार करना. जैसे किस्सिंग, स्मूछिंग, ब्रेस्ट्स रब्बिंग, जेनिटल्स सकिंग.. मतलब मैं ऑर्गन्स को सहलाना, चूसना
और चाटना एट्सेटरा. जिस से वेजाइना मे फ्लूयिड्स ऋण होने लगे और पेनिस अपनी फुल शेप मे आ सके. वहाँ के हेयर भी टाइम से क्लीन करना ज़रूरी होता है, जिस से इन्फेक्षन ना हो और बेड स्मेल ना आए. फोरप्ले के और भी फ़ायदे होते है.
जैसे सेक्स ड्यूरेशन का इनक्रीस होना. जब अच्छे से फोरप्ले हो जाए तब ही इंटरकोर्स करना चाहिए. लाइक पेनिस को वेजाइना मे डालने मे परेशानी नही होती और दोनो को मज़ा आता है.
ऋतु ने इतना सब बोलकर अपने कंधे थोड़े उपर उठाए जैसे वो सब जानती हो कामकला के बारे मे.
कोमल- लेकिन तूने दीदी की असली बात का जवाब तो दिया नही. लड़की को दर्द क्यो होता है?
ऋतु- देखो दीदी सभी लड़कियों की वर्जिनिटी का सिंबल उनका हाइमेन होता है जो एक तरह का माँस का परदा होता है हमारी
वेजाइना के अंदर. फर्स्ट टाइम पेनिस इनसर्ट होने से ये टूट जाता है तो ब्लड निकलता है. सिर्फ़ तभी दर्द होता है या अगर
वेजाइना मे फ्लूईड ना बने तब पेन होता है रफ स्किन की वजह से. उसके लिए लोग जेल्ली, आयिल्स या क्रीम यूज करते है.
माधुरी- यार ये भी बता दे के क्या सभी लड़कियों की वेजाइना और लड़को के पेनिस एक जैसे होते है?
ऋतु- हाहहः.. दीदी ये कैसा सवाल है? सभी उंगलिया कभी बराबर होती है. देखो आपके ब्रेस्ट्स कितने हेवी है, कोमल
दीदी के भी हेवी है लेकिन आपसे कम. और मेरे आप सब से छोटे. ऐसे ही बाकी पार्ट्स भी. लड़को के एस्पेशली इंडियन्स मे
आवरेज साइज़ होता है 4-6 इंच और लड़कियों की वेजाइना की डेप्त होती है 6-8 इंच. उसके पीछे यूट्रस जिसको बच्चेदानी बोलते है.
वैसे पेनिस की विड्त भी अलग होती है. कोई मोटा, कोई पतला किसी का सिर्फ़ हेड मोटा होता है. ऐसे ही वेजाइना भी होती है. किसी की फ्लफी, किसी की स्लिम और किसी की ज़्यादा ही टाइट हिप बोन्स की वजह से. लंबी हाइट वाली लड़की की वेजाइनल डेप्त भी ज़्यादा होती है या फिर जिसके हिप्स हेवी हो. (और एक लंबी सांस लेते हुए अपनी बात ख़तम करती है)
माधुरी- यार और किसी का अगर 7-8 इंच लंबा और कलाई जितना मोटा हो तो वो तो जान ही निकाल देता होगा?
ऋतु हंसते हुए, “क्या दीदी आपने ऐसा देख लिया क्या कही? वैसे अपने यहा ऐसा होना एक्सट्रीम्ली रेर है. बट जिसको भी ऐसा
हज़्बेंड मिलेगा उसकी तो बस ज़िंदगी मज़े मे गुज़रेगी. यू नो, “बिग्गर ईज़ बेटर”.. हाहहाहा.. (और वो अपनी दोनो बड़ी
बहनो की शकल देखने लगी मुस्कुराते हुए)
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