Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

अपनी युक्ति आजमाने में बेला का दिल जोरों से धड़क रहा था… क्या करें वह भी आखिर थी तो एक औरत ही.. और वह भी एक मर्द के अरमानों के साथ खेल रही थी… तो जाहिर सी बात थी कि उसमें भी उन्माद का असर दिखाई दे रहा था बेला एक एक करके रोहन को कपड़े थमा रही थी और रोहन मन में उमड़ रहे उन्माद के भंवर में फसता हुआ चोर नजरों से बेला के अध खुले स्तनों को देखकर मस्त हुए जा रहा था और साथ ही कपड़ों को रस्सी पर सूखने के लिए डाल रहा था तभी वह बेला की तरफ आगे बढ़ा और जैसे ही कपड़े लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो वह सन्न रह रह गया… उसके हाथ एकाएक रुक गए वह बढ़ाए हुए हाथ को एकदम से पीछे ले लिया ..यह देखकर बेला मुस्कुराने लगी और रोहन का दिल जोरो से धड़कने लगा. वह कभी बेला के हाथ के उस वस्त्र को तो कभी बेला की तरफ आश्चर्य से देख रहा था… बेला उसके मन में उमड़ रहे भावनाओं को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बोली…. क्या हुआ रोहन लो इसे भी रस्सी पर डालो लेकिन इसे साड़ी के नीचे डालना क्योंकि यह तुम्हारी मां की चड्डी और ब्रा है…. ( इतना सुनते ही रोहन का दिल और जोरो से धड़कने लगा उसके पेंट में उसका लंड गदर मचाने लगा… अपनी आंखों के सामने बेला के हाथों में अपनी मां की चड्डी और ब्रा को देखकर रोहन एकदम से उत्तेजना से भर गया वह अप लक कुछ सेकंड के लिए एकदम से मंत्रमुग्ध होकर अपनी मां की चड्डी और ब्रा को देखता ही रह गया यह देखकर बेला मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उसकी टांगों के बीच बने तंबू को देख कर बेला की भी लालसा जोर मार रही थी रोहन को इस तरह से देखता हुआ देखकर बेला फिर से मुस्कुराते हुए बोली …. क्या हुआ रोहन तुम इस तरह से क्यों खड़े हो ..देख नहीं रहे कितनी तेज धूप है जल्दी से लो इसे रस्सी पर डालो… ( बेला की आवाज कानों में पड़ते ही जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से अपना हाथ आगे बढ़ाया और कांपते हाथों से अपनी मां की ब्रा और चड्डी अपने हाथों में ले लिया अपनी मां की चड्डी और ब्रा को हाथ में लेते हैं उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपनी मां के नंगे बदन को अपनी बाहों में लेकर खड़ा है वह एकदम से उन्माद से भर चुका था उसके ना चाहते हुए भी उसकी उंगलियां अपनी मां की ब्रा और चड्डी जो कि एकदम गुलाबी रंग की थी उस पर हल्के हल्के रगड़ने लगा उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह अपनी मां की चड्डी पर नहीं बल्कि अपनी मां की नंगी बुर पर अपनी उंगली सहला रहा है… रोहन का तन बदन उसके काबू में बिल्कुल भी नहीं था उसके पेंट में बना हुआ तंबू किसी शामियाने में लगे हुए बंबू की तरह नजर आ रहा था यह देखकर बेला की बुर में पानी का सैलाब उठने लगा…… इतना तो उसे समझ में आ ही गया था कि रोहन की पेंट में कोई मामूली हथियार नहीं था औरतों की बुर को चौड़ा कर सके इतना मजबूत हथियार रोहन ने पेंट में छुपा रखा था…. यह सब देखकर तो बेला का मन है कि नहीं लगा था उसके मन में तो ऐसी इच्छा हो रही थी कि खुद ही अपने हाथों से रोहन की पेंट खोल कर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दे… लेकिन काफी मशक्कत कर के बेला अपने आप को संभाले हुए थी क्योंकि उसका एक गलत कदम भी उसके फैलाए जाल को काट सकती थी और वह अपनी मंशा कभी पूरी नहीं कर पाती इसलिए वह अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए रोहन को फिर से बोली… रोहन बाबू कहां खो गए ऐसा लग रहा है कि तुम्हारे हाथों में तुम्हारी मां की ब्रा चड्डी नहीं बल्कि वह खुद ही एकदम नंगी होकर तुम्हारी बाहों में है देखो तो कितने आराम से अपनी मां की चड्डी को सहला रहे हो….. ( बेला जानबूझकर रोहन से उसकी मां से संबंधित इस तरह की गंदी बातें कर रही थी ताकि रोहन और ज्यादा उत्तेजित हो जाए और बेला की इस तरह की बात सुनकर जैसे नींद से जागा हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोला..) हहहह…ममंमम..ननननन …नही _ ऐसा कुछ भी नहीं है…. ऐसा कैसे कुछ भी नहीं है तुम जिस तरह से अपनी उंगली को अपनी मां की चड्डी पर घुमा रहे हो मुझे तो ऐसा लग रहा है कि जैसे अपनी मां की बुर पर उंगली घुमा रहे हो …इसका मतलब यही है कि तुम औरतों की चड्डी के अंदर क्या रहता है देख चुके हो…. ननननन….नही…. मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर रहा था और भला मुझे क्या मालूम की चड्डी के अंदर क्या होता है …. (रोहन हड़बड़ा ते हुए बोला लेकिन बेला की इस तरह की बातें सुनकर उत्तेजित भी हो रहा था और घबरा भी रहा था दोनों का मिला जुला असर उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था… बेला अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी…) अरे औरतों की चड्डी के अंदर वही होता है जो तुम अभी पागलों की तरह देख रहे थे मेरे पेटिकोट के अंदर….( बेला एकदम से बेशर्म बनते हुए रोहन के सामने खुले शब्दों में बोली और यह सुनकर रोहन का उत्तेजना से रोम-रोम पुलकित होने लगा लेकिन वह अपनी चोरी को छुपाते हुए बोला …. नहीं नहीं मैं कुछ भी नहीं देख रहा था मैं भला क्या देख रहा था मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दिया… कुछ भी दिखाई नहीं दिया मतलब कि तुम देखने की कोशिश जरूर कर रहे थे …(बेला रोहन की बात को पकड़ते हुए बोली तो इस बार वह अपनी चोरी को छुपा नहीं सका और शर्मिंदगी की वजह से अपना सिर नीचे झुका दिया…. रोहन की हालत को देख कर देना मंद मंद मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली ….. चलो कोई बात नहीं दिखाई नहीं दिया तो क्या हुआ तुम कहो तो मैं तुम्हें दिखा दूं कि औरतों की चड्डी के अंदर क्या छुपा होता है…. ( बेला एकदम मद भरी आवाज में रोहन से बोली तो उसकी सांसे उत्तेजना से तीव्र गति से चलने लगी और जिस तरह की बात बेला कर रही थी यह सुनकर रोहन के लंड की अकड़न बढ़ने लगी मन तो चाह रहा था कि वह खुद अपने मुंह से बोल दे कि हां मैं देखना चाहता हूं मुझे दिखाओ लेकिन शर्म के मारे बोल नहीं पा रहा था बस कभी नीचे तो कभी बेला को देख ले रहा था… रोहन का चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था और वह मन में यही चाह रहा था कि बेला किसी भी तरह से अपने आप ही दिखा दे कि आखिरकार औरत की चड्डी के अंदर क्या होता है रोहन इसी आस में वहां खड़ा था हाथों में अभी भी अपनी मां की चड्डी और ब्रा पकड़े हुए था जो कि उसे आभास दिला रहे थे कि उसकी बेहद खूबसूरत मां की अंतर्वस्तु उसकी हाथों में है जिसके अंदर वह अपने बेशकीमती खजाने को छुपा कर रखती है बेला रोहन के चेहरे कि मासूमियत और उसके तन बदन की उत्तेजना को उसके चेहरे पर आई लालिमा देखकर अच्छी तरह से समझ रही थी वह रोहन को और ज्यादा तड़पाने के उद्देश्य से बात को घुमाते हुए बोली ) रोहन क्या कर रहे हो बहुत देर हो रही है मुझे कहीं और जाना है जल्दी से अपनी मां के कपड़े रस्सी पर डाल दो…. कहां जाना है तुम्हें जो इतना उतावली हो रही हो (ऐसा कहते हुए वह रस्सी पर अपनी मां की चड्डी और ब्रा टांगने यह वाला था कि उसे बीच में रोकते हुए बेला बोली…) अरे यह क्या कर रहे हो ….मैं तुमसे पहले ही कही थी रोहन बाबू के अपनी मां की साड़ियों के नीचे अपनी मां की ब्रा और चड्डी डालो ताकि कोई देख ना पाए… तुम जिस तरह से टांग रहे हो अगर मालकिन को पता चल गया तो मुझे बहुत डांटेगी …… (रोहन इस बात को बिल्कुल समझ नहीं पाया कि आखिरकार साड़ियों के नीचे क्यों टांगने के लिए कह रही है …लेकीन वह फिर भी बेला की बात मानते हुए अपनी मां की साड़ी के नीचे ब्रा और चड्डी को डालते हुए बोला.. ) भला ऊपर टांगने में ऐसा क्या हो जाएगा जो मम्मी तुम्हें डांटेगी…. तुम बिल्कुल पागल हो रोहन दारू औरतों के अंदरुनी वस्त्र हैं इन्हें औरतें हमेशा छुपाकर ही सुखातीे हैं… क्योंकि मर्दों का काम ही यही होता है औरतों के हर एक चीज उनसे जुड़े वस्त्र को भी देख कर मस्त हो जाना ….मर्द औरतों के अंतर्वस्त्र को देख ले तो उन्हें लेकर वह मन ही मन में कल्पना करने लगते हैं जैसे कि तुम अभी कर रहे थे अपनी मां की चड्डी हाथ में लेकर… ( बेला की यह बात बिल्कुल सही थी इसलिए तो रोहन शर्म से अपना सिर नीचे झुका लिया…) चलो अब मेरा काम निपट गया है मुझे जल्दी से एक जगह जाना है वरना सब गड़बड़ हो जाएगी….. ( बेला जानबूझकर रोहन के सामने यह बात बोल रही थी ताकि रोहन उससे जरूर पूछे कि वह कहां जा रही है और ऐसा हुआ भी वह बेला से बोला…) इतनी धूप में आखिर तुम कहां जाओगी…. ( बेला को इसी पल का इंतजार था और इस मौके का फायदा उठाते हुए बेला बोली…) क्या करूं रोहन बाबू मुझे पैसों की बहुत तंगी आ गई है और बहुत जरूरी है पास के गांव मैं एक साहूकार है जिससे मुझे उधार लेने जाना है ….(इतना कहते हुए बेला चोर नजरों से रोहन के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ने की कोशिश कर रही थी जिससे साफ झलक रहा था कि वह उसकी मदद करना चाहता है…) यहां तो कोई ऐसा है भी नहीं कि जो मेरी मदद कर सके…. ( बेला रोहन से यह बात कहते हुए अपने साड़ी के पल्लू को अपनी उंगली में लपेट रही थी) क्यों नहीं बेला तुम मम्मी से भी उधार नहीं सकती थी वह तुम्हें कभी भी मना नहीं करती… मैं अच्छी तरह जानती हूं रोहन बाबू की मालकिन मुझे कभी भी मना नहीं करती लेकिन जरूरत पड़ने पर में हमेशा मालकिन के आगे हाथ फैला दी रहती हो बार-बार ऐसा करने में मुझे बहुत शर्म महसूस होती है गरीब हूं लेकिन खुद्दार हो बार बार मालकिन से मदद मांगने ने मुझे अच्छा नहीं लगता अब वहां जाऊंगी और अपनी पायल गिरवी रखकर उनसे ₹500 लेकर आऊंगी… ( ऐसा कहते हुए दिला अपनी कदम आगे बढ़ाकर जाने के लिए कर रही थी रोहन उसके पीछे खड़ा था… जहां से उसे बेला की गोल गोल बड़ी बड़ी भरावदार गाॉड कपड़े गीले होने की वजह से साफ साफ नजर आ रहे थे यह देख कर रोहन के लंड ने फिर से लड़ाई लेना शुरू कर दिया ….तभी रोहन उसे रोकते हुए बोला….) तुम इतनी धूप में मत जाओ तुम्हारे कपड़े गीले हैं और गीले होने की वजह से सब कुछ देख रहा है ..(यह रोहन के मस्तिष्क में बेला के बदन को लेकर उन्माद ही था जो उसके मुंह से यह शब्द निकल गया जो कि वह बोलना नहीं चाहता था…) अब देखने के लिए बचा ही क्या है तुमने तो मेरा सब कुछ देख लिया और इतनी धूप में जाते-जाते सूख जाएगा तो दूसरा कोई नहीं देख पाएगा (बेला रुक कर रोहन की तरफ मुंह करके बोली…) और यहां रुक कर भी क्या फायदा है रोहन बाबू तुम तो मेरी मदद कर नहीं पाओगे इसलिए बेहतर है कि मुझे मत रोको मुझे जाने दो….( इतना कहते हुए बेला धीरे धीरे रोहन के करीब आ गई और जब वह जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाई थी तभी बात ही बात में उसने अपने ब्लाउज के तीसरे बटन को भी खोल दी थी जिसकी वजह से उसके स्तनों की गोलाई साफ साफ नजर आने लगी थी साथ ही उसके भूरे रंग की निप्पल की गोलाई भी नजर आ रही थी जिसे देख कर रोहन उत्तेजना के सागर में डूबता चला गया यह बेला जानबूझकर की थी क्योंकि वह भी नहीं जाना चाहती थी बस अपनी युक्ति आजमाना चाहती थी और वह जानती थी कि अपनी ब्लाउज के बटन को खोल कर वह रोहन के बटुए तक पहुंचना चाहती थी वह धीरे धीरे रोहन के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी थी..वह जानबूझकर इतनी गहरी गहरी सांसे खींच रही थी कि उसकी खरबूजे जैसी गोलाई ऊपर नीचे होती हुई रोहन को साफ साफ नजर आ रही थी…. जिसे देख कर रोहन की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी साथ ही पजामे में गदर मचा हुआ था जो कि तंबू की शक्ल में बेला की आंखों से छुप नहीं पा रहा था…. अपने रस भरे अंगों को दिखाते हुए बेला बोली…. क्यों रोहन बाबू तुम मुझे दोगे ₹500 तो मैं इतनी धूप में किसी और के सामने हाथ फैलाने नहीं जाऊंगी…. हमें तुम्हें ₹500 दूंगा लेकिन पहले एक बात बोल दूं कि मैंने तुम्हारा कुछ भी नहीं देखा हूं (रोहन कुछ देर सोचने के बाद बोला) रोहन की बात सुनते ही बेला मन ही मन प्रसन्न हो गई क्योंकि उसकी जालसाजी पूरी तरह से कामयाब हो रही थी वह अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोली…. क्यों झूठ बोल रहे हो रोहन बाबू तुमने मेरा सब कुछ देख लिए हो तभी तो मेरे भीगे बदन को देखकर तुम्हारा यह (अपना हाथ आगे ले जाकर पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ते हुए) खड़ा हो गया है…( इतना कहकर बेला अपना हाथ वापस खींच ली लेकिन इस 2 सेकंड के अंदर रोहन का तनबदन गनंगना गया…. Ab रोहन एकदम मस्त हो गया उसके पास छुपाने में कुछ भी नहीं था लेकिन फिर भी अपनी बात रखते हुए बोला हां यह सच है कि मैं तुम्हारे भीगे बदन को देखकर ऐसा हो गया है लेकिन जो तुम कह रही हो कि.. मैंने तुम्हारा सब कुछ देख लिया हूं तो यह बात गलत है मैंने अभी तक तुम्हारी पेटीकोट के अंदर क्या है यह नहीं देखा हूं और न जानता हूं कि औरतें अपनी चड्डी के अंदर क्या छिपा कर रख ती है।

( रोहन एकदम मासूमियत भरे लहजे में बेला से बोला लेकिन वह यह बात झूठ बोल रहा था क्योंकि उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि औरतें अपनी चड्डी के अंदर क्या छुपा कर रखती है और बेला के पेटीकोट के अंदर क्या है.. और यह बात दिला दी अच्छी तरह से जानती थी लेकिन वहां बड़े ध्यान से उसकी बात को सुन रही थी और इतना तो वह समझ भी नहीं गई थी कि रोहन जितना बाहर से मासूम दिखता है उतना है नहीं… बेला रोहन के जिस्मानी जज्बात को और ज्यादा भड़काने के उद्देश्य से जानबूझकर अपने हाथ से पेटिकोट के ऊपर से ही अपने बुर खुजलाने लगी और बुर को खुजलाते हुए बोली…

चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगी तुम नहीं जानते कि औरतें अपनी चड्डी के अंदर क्या छुपा कर रखती है तो मैं तुम्हारी यह हसरत अभी पूरी कर दूंगी और तुम भी जान जाओगे कि औरतें अपनी चड्डी और पेटिकोट के अंदर कौन सा खजाना छुपा कर रखतीैं है।( इतना कहते हुए वह अभी भी अपनी दूर कोई खुजला रही थी और यह देख कर रोहन के तन बदन में वासना की ज्वाला भड़क रही थी और उस पर घी डालने का काम बेला की बेहद मादक बातें कर रही थी… रोहन बेला की बात सुनकर एकदम से रोमांचित हो गया उसकी आंखों के सामने वह नजारा देखने लगा जो की बेला उसकी हसरत पूरी करने की बात कर रही थी उसके पेंट में बना तंबू और ज्यादा नुकीला होता जा रहा था और यह देख कर बैला कि बुर से लालच भरी पानी की बूंदे टपकने लगी। रोहन की हालत को बेला पूरी तरह से भाप गई थी। वह समझ गई थी कि इस समय रोहन कुछ भी करने को तैयार हो जाएगा इसलिए अपनी मंशा पूरी करने के उद्देश्य से वह रोहन से बोली।

मैं तुम्हें औरतों के इस महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत तो करा दूंगी लेकिन तुम मुझे ₹500 तो दोगे ना…

हां हां जरूर क्यों नहीं (इतना कहने के साथ ही रौहन अपने पजामे की जेब में हाथ डालकर 100 100 की 5 नौट निकाल कर बेला को थमा दिया। बेला झट से उन रुपयों को अपने हाथ में लेकर अपनी साड़ी के किनारी में बांधकर गिठान मार दी.. और बोली..

लेकिन रोहन तुमने मुझे ₹500 उधार दिए हो यह बात तुम मालकिन से बिल्कुल भी मत कहना और ना ही इस बारे में किसी से भी जिक्र करना वरना मालकिन मुझ पर गुस्सा होंगी और फिर मेरा और तुम्हारा इस तरह से मिलना जुलना बंद हो जाएगा समझ गए ना..

हां मैं जानता हूं मैं किसी से भी कुछ नहीं कहूंगा….

मैं तुम्हें यहां नहीं दिखा सकती हमें उस सामने वाली (एक झोपड़ी की तरफ इशारा करते हुए) वहां चलना होगा…

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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