बेला कपड़े धोते-धोते अपने ऊपर भी पानी डाल ले रही थी जिसकी वजह से उसका बदन पूरी तरह से गिला हो चुका था और उसके वस्त्र भी पूरी तरह से पानी में भीग चुके थे और उसका अंग अंग गीले कपड़ों में से साफ साफ नजर आ रहा था वह रोहन का इंतजार करते हुए अपनी धुन में कपड़े धो रही थी कि तभी सामने से रोहन आता हुआ नजर आया लेकिन बेला उस पर जरा भी ध्यान दिए बिना बस थोड़ा सा अपनी टांगों को खोल कर बैठ गई और कपड़े धोने में मसगुल हो गई… रोहन की नजर बेला.. पर पड़ चुकी थी…. वह बेला को ही देखते हुए आ रहा था यह बात बेला को पता थी लेकिन वह रोहन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि … रोहन खुद-ब-खुद बिना बुलाए ही उसके पास खिंचा चला आएगा और जैसा वह सोच रही थी ठीक वैसा ही हुआ अपने रास्ते जाने के बजाय बेला की तरफ मुड़ गया….. यह देखकर बेला का मन प्रसन्नता से भर गया यह औरत का आत्मविश्वास ही था शायद मर्दों की फितरत से औरत अच्छी तरह से वाकिफ होती है तभी तो रोहन को बुलाए बिना ही रोहन को अपनी तरफ खींच ली थी…… रोहन धीरे-धीरे बेला के करीब पहुंच गया लेकिन बेला रोहन पर ध्यान दिए बिना ही अपने काम में व्यस्त रहने की अदाकारी दिखा रही थी… रोहन बेला के ठीक सामने हेडपंप के करीब खड़ा था जहां से उसे बेला के ब्लाउज में से झांकते हुए उसकी दोनों नारंगी या साफ-साफ नजर आ रही थी यह देख कर रोहन का दिल उत्तेजना के मारे धड़कने लगा वह वही ठीठक कर खड़ा हो गया… बेला ने जान बूझकर अपने ब्लाउज के दो बटन खोले थे ताकि रोहन को उसकी दोनों चूचियों के दर्शन आराम से हो जाए रोहन का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि यह नजारा देखने के लिए और काफी दिनों से मशक्कत कर रहा था लेकिन अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो पा रहा था और आज इतने दिनों के बाद बेला की अधनंगी चुचियों को देख कर वह मस्त हुए जा रहा था…… तभी बेना रोहन की तरफ गौर करते हुए ऐसे बोली कि जैसे रोहन के आने का उसे पता ही नहीं था…. अरे रोहन बाबू तुम कब आए? ( बेला रोहन पर एक नजर डाल कर वापस कपड़े धोते हुए बोली) मैं तो कब से इधर आकर खड़ा हूं लेकिन तुम हो कि जरा भी ध्यान नहीं दे रही हो इतनी धूप में सब लोग अपने अपने घर में आराम कर रहे हैं और तुम हो कि यहां बैठकर कपड़े धो रही हो…. क्या करें रोहन बाबू काम ही कुछ ऐसा है…. आखिर धोना तो मुझे ही है…. अगर तुम्हें मुझ पर दया आ रही है तो थोड़ी मदद कर दो… हाॉ हाॉ …. बोलो मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं… ( रोहन की बात सुनकर बेला मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि वह समझ गई थी कि रोहन पूरी तरह से उसके आकर्षण में बंध चुका है.. इसलिए वह जानबूझकर इस बार थोड़ा और झुकते हुए कपड़े धोने का नाटक करने की क्योंकि वह जानती थी ईस तरह से थोड़ा और झुकने की वजह से रोहन को उसकी चुचियों की भूरे रंग की निप्पल साफ साफ नजर आने लगेगी और ऐसा हुआ भी रोहन तो यह देखकर एकदम मस्त हो गया क्योंकि उसे बेला की चुचियों के साथ-साथ उसकी भूरे रंग की निप्पल साफ नजर आ रही थी यह नजारा देखकर रोहन के पेंट में हरकत होने लगी….. बेला… जानबूझकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी और अपनी इस कामुक हरकत की वजह से खुद भी उत्तेजना के भंवर में लपट़ती चली जा रही थी…. वह रोहन की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली …… ज्यादा कुछ नहीं करना है बस तुम्हें यह नल चलाना है ताकि में आराम से कपड़े धो सकूं तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है ना…. नहीं नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं है (और इतना कहने के साथ ही वह हेडपंप का हत्था पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा और पंप में से पानी नीचे गिरने लगा… बेला जानती थी कि उसके बदन का आधे से ज्यादा हिस्सा रोहन की निगाहों में पूरी तरह से नजर आ रहा था वह अपनी धुन में कपड़े धो रही थी और रोहन अपनी आंखों को बेला के गर्म बदन से सेक रहा था…. कुछ ही पल में रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो गया क्योंकि भले ही वह नेट चला रहा था लेकिन उसका सारा ध्यान बेला के ब्लाउज में से झांकते उसके दोनों कबूतरों पर था.. जो की बेला के द्वारा कपड़े धोने की वजह से आपस में किसी गोल गोल संतरो के भांति रगड़ खा रहे थे. जिसे देख कर रोहन उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच रहा था…. उसके पेंट में धीरे धीरे तंबू बनना शुरू हो गया था जो कि यह बात बेला को अच्छी तरह से खबर थी क्योंकि बेला चोर नजरों से उसके पेंट के आगे वाले भाग पर बन रहे तंबू के उठाव को देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी… एक अजीब सी हलचल बेला के मन में भी मच रही थी क्योंकि बेला की अनुभवी आंखों ने पेंट के ऊपर से ही रोहन के लंड के माप को भाप ली थी इसलिए वह भी उत्सुक थी रोहन के पेंट के अंदर झांकने के लिए लेकिन वह अपनी मंशा को रोहन के आगे जाहिर नहीं होने देना चाहती थी इसलिए बिना कुछ बोले कपड़ों को धोती रहे और सामने खड़ा रोहन बेला की खूबसूरती और उसके मादक अंगों को निहार कर मन ही मन उत्तेजना अनुभव करने लगा रोहन से रहा नहीं गया तो वह बातों का सिलसिला शुरु करते हुए बोला…. इतनी तेज धूप में भी तुम काम कर रही हो जबकि गांव के सभी लोग अपने घर में आराम कर रहे हैं … क्या करें रोहन बाबू हमारी तो किस्मत में ही काम काम और बस काम ही लिखा है… अपनी जिंदगी में आराम कहां…. ( बेला धुले हुए कपड़ों को पास में पड़ी बाल्टी में रखते हुए बोली…) ऐसा नहीं है आराम करने के लिए तो समय निकालना पड़ता है तुम अपने लिए भी समय निकाल सकती हो ..(रोहन इस तरह की बातें करते करते अपनी नजरों को थोड़ा नीचे की तरफ ले गया तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि जिस तरह उसकी नजर गई थी उधर बेला घुटनों से अपने पेटिकोट को नीचे की हुई थी और बैठने की वजह से उसका पेटीकोट जांघो तक आ गया था… और बेला जिस तरह से अपनी दोनों टांगों को फैला कर बैठी थी उसकी वजह से पेटीकोट के बीच में हल्का सा जगह बन गई थी और जिसकी वजह से रोहन की नजरें पेटिकोट के अंदर तक पहुंच रही थी… लेकिन उसकी नजरें जिस चीज को देखना चाहती थी वह अंधेरे में कहीं खो सी गई थी.. क्योंकि पेटीकोट के अंदर एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था रोहन बड़ी मशक्कत कर रहा था अंदर उससे बेहतरीन खूबसूरत अंग को देखने के लिए लेकिन पेटिकोट के अंदर अंधेरे की वजह से उसकी मंशा पूरी नहीं हो पा रही थी बार-बार वह अपनी दिशा बदल कर हेड पंप चलाते हुए पेटिकोट के अंदर झांक रहा था लेकिन उसकी मनोकामना पूरी नहीं हो पा रही थी इसलिए वह बेहद व्याकुल हो चुका था वह नल चलाते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोला….) तुम खुद ही अपनी दुश्मन बनी हो जो इस तरह से इतनी धूप में तप रही हो देखो तुम्हारा रंग भी कितना दबने लगा है …. (रोहन थोड़ी हिम्मत जुटा ते हुए यह बात बोला था… और रोहन की यह बात सुनकर बेला मन ही मन प्रसन्न होने लगी थी …वह कपड़े धोते हुए रोहन की तरफ मुस्कुरा कर देखी और बोली…) क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगता रोहन बाबू?…. क्या नहीं अच्छा लगता…. अरे मेरा रंग और क्या…. तुझे अच्छा नहीं लगता मेरा रंग (बेला थोड़ा उदास होते हुए बोली) नहीं नहीं मेरा यह कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था तुम तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो… वह तो धूप की वजह से मैं तुम्हें ऐसा कह रहा था कि थोड़ा बहुत आराम कर लिया करो तो तुम्हारा रंग और भी निखर जाएगा…(_ रोहन बेला के मन पर अपनी बातों का मक्खन लगाते हुए बोला लेकिन इसी दौरान वहां अपनी नजरों को बेला की पेटी को्ट के अंदर उतारने की पूरी कोशिश में लगा हुआ था… लेकिन सफल नहीं हो पा रहा था और यह बात बेला को पता चल गई कि उसकी नजर उसके किस अंग पर पहुंचने की कोशिश कर रही है इसलिए वह अपनी नजर को हल्के से नीचे की तरफ झुका कर देखी तो वह खुद ही दंग रह गई.. उसकी पेटीकोट दोनों जांघों के बीच से खुली हुई थी और उसे समझते देर नहीं लगी कि रोहन उसका क्या देखना चाहता है लेकिन उसकी नजर उसकी खूबसूरत अंग तक पहुंच नहीं पा रही थी यह बात भी बेला समझ गई थी ..वह मन ही मन रोहन की व्याकुलता को भापकर प्रसन्न होने लगी और अब वह रोहन को पूरी तरह से तड़पाने के इरादे से अपनी दोनों जांघों को हल्के से हिलाते हुए बोली…… तुम को अच्छी लगती हु ना .. बस मेरे लिए यही काफी है दूसरों को मैं कैसी लगती हूं मुझे इससे कोई भी मतलब नहीं है.. ( बेला यह कहते हुए चोर नजरों से रोहन की निगाह को देख कर अपनी पेटीकोट की तरफ देखी तो अभी भी उसके अंदर अंधेरा ही नजर आ रहा था …वह समझ गई थी कि रोहन जो देखना चाह रहा है उसे अभी भी नहीं दिख रहा है. इसलिए जानबूझकर वह बाल्टी में से एक लोटा पानी उठाकर… अपने ऊपर डालने लगी… जिसकी वजह से एक बार फिर से उस के वस्त्र एकदम गीले हो गए और उसके वस्त्र के अंदर का अंग साफ-साफ अनावृत होता हुआ नजर आने लगा और तो और उसने रोहन की नजरों से बचकर हल्के से अपने हाथ से पेटीकोट को थोड़ा और नीचे कर दी… और थोड़ा सा अपनी टांगों को फैलाते हुए फिर से बाल्टी से एक लोटा पानी निकाल कर इस बार अपने चेहरे पर जानबूझकर डालते हुए आंखें बंद कर ली और ठंडे पानी की वजह से अपने बदन में गनगनाहट का एहसास कराते हुए इधर उधर हिलते हुए वह अपनी साड़ी को थोड़ा और सरका दी और इस बार जैसे रोहन की मंशा पूरी होती नजर आने लगी क्योंकि उसकी आंखों के सामने वह नजारा था जिसे देखने के लिए वह अंदर ही अंदर तड़प रहा था रोहन की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि जिस अंग के बारे में वह सिर्फ कल्पना ही करता था ….उस अंग को आज वह अपनी आंखों से देख रहा था .. . उस नजारे को देखकर रोहन हेडपंप चलाना भूल गया ,,उसके हाथ हेडपंप के हत्थे पर ही जमकर रह गए , बेला यह सब चोर नजरों से देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी ,क्योंकि वह जान गई थी कि उसके धनुष में से निकला तीर ठीक निशाने पर बैठा है…. वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर रोहन को साफ साफ नजर आने लगी है वह कुछ पल तक और रोहन को अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी इस वजह से वह फिर से बाल्टी में से एक लोटा पानी भरकर अपने ऊपर डालने लगी इस दौरान वह अपनी आंखों को हल्का सा खोलकर रोहन की तरफ देखी जो कि अभी भी वह प्यासी नजरों से उस की बुर को ही निहार रहा था… इस बार उसके बदन में पानी के ठंडक की वजह से नहीं बल्कि उत्तेजना की वजह से गंनगनाहट आ गई…. क्योंकि वह जिस तरह से आज अपनी बुर के दर्शन रोहन को करा रही थी उस तरह से उसने आज तक किसी को भी नहीं दिखाई थी और रोहन भले ही जवानी की दहलीज पर कदम बढ़ा रहा था लेकिन था तो एक मर्द ही और एक मर्द के सामने अपने अंगों का प्रदर्शन करके बेला रोमांचित और उत्तेजित के मिश्रण के भाव में डूबने लगी थी रोहन की नजर अभी भी बेला की फूली हुई बुर पर टिकी हुई थी जोकि गरम रोटी की तरह एकदम गरम नजर आ रहे थे और बुर के गुलाब की पंखुड़ियों के इर्द-गिर्द हल्के हल्के बाल होने की वजह से उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी….. अति उत्तेजनात्मक और मादक अंग के दर्शन करके रोहन की आंखों में नशा उतर आया था उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था रोहन के चेहरे का भाव देखकर बेला मन ही मन प्रसन्न हो रही थी अब वह इससे ज्यादा देर तक अपने अंग को अनावृत रखना नहीं चाहती थी क्योंकि वह रोहन को अपने मादक अंग को महसूस कराने के उद्देश्य से और ज्यादा तड़पाना चाहती थी इसलिए वह सारे वाक्ये से अनजान बनने की कोशिश करते हुए अपने आप पर और रोहन की निगाह पर गौर करते हुए हडबडाहट भरे स्वर में बोली….. _ अरे दैया रे दैया यह कैसे हो गया ….(और इतना कहते हुए वह अपने पेटीकोट को पकड़ कर अपनी घुटनों के ऊपर के अंग को ढकने की कोशिश करने लगी… रोहन के लिए यह नजारा मादक और उत्तेजना से भरा हुआ था और उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर साफ नजर आ रहा था उसका गोरा चेहरा एकदम लाल हो चुका था और जवानी मापने के थर्मामीटर में तनाव आ चुका था जिसकी वजह से उसके पेंट में तंबू बन गया था….. बेला की नजर रोहन के पेंट में बने तंबू पर गई तो वह दंग रह गई क्योंकि रोहन की उम्र के मुताबिक उसके पेंट में बना तंबू कुछ और ही कहानी कह रहा था अनुभवी बेला इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक अच्छा खासा मुस्टंडा मर्द के पेंट में भी इस तरह का तंबू नहीं बनता जिस तरह का तंबू रोहन के पेंट में इस उम्र में बन रहा था…. इसलिए बेला भी पेंट में बने तंबू को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही थी… लेकिन वह अपने उत्साह को अपने चेहरे पर बिल्कुल भी प्रदर्शित नहीं होने देना चाहती थी इसलिए वह हड़बड़ाहट भरे लहजे में रोहन से बोली…. रोहन बाबू तुम बड़े शैतान हो (इतना कहकर वह वापस कपड़े धोने में व्यस्त हो गई) मुझे तुम ऐसा क्यों कह रही हो…? ( रोहन फिर से नल चलाते हुए बोला लेकिन इस बात का उसे बिल्कुल भी पता नहीं था कि जो वह देख रहा था इस बात का बेला को पता चल गया है..) मैं ऐसा क्यों कह रही हूं तुम्हें अच्छी तरह से पता है… नहीं मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम कि तुम ऐसा क्यों कह रही हो मैं तो कुछ बोला भी नहीं और तुम्हारी मदद करने के लिए नल चला रहा हूं….. अब ज्यादा बनो मत मैं जानती हूं कि तुम झूठ कह रहे हो …(बेला कपड़े धोते-धोते रुक गई और रोहन की तरफ देखते हुए बोली..) झूठ ……..भला मैं क्यों झूठ बोलूंगा और मैंने तो कुछ कहा भी नहीं तो झूठ बोलने का सवाल ही नहीं उठता…( रोहन आश्चर्य के साथ नल चलाते हुए बोला) _ अब बनो मत मेरे रोहन बाबू मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि नहाते समय अनजाने में मेरा पेटीकोट जांघो से नीचे सरक गया था.. और जिसकी वजह से तुमने वह देख लिया…. ( इस बार बेला की बात सुनकर रोहन शक पका गया वह समझ गया कि बेला जान गई है कि वह क्या देख रहा था लेकिन फिर भी अपनी बात पर अड़े रहते हुए वह बोला….) अरे तुम क्या कह रही हो मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं तुम क्या देखने की बात कर रही हो …( रोहन फिर से अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला) अब बनने की जरूरत नहीं है सच सच बताओ मेरी पेटीकोट सरक जाने की वजह से तुम मेरी बुर देख रहे थे….( बेला इस बार जानबूझकर खुले शब्दों में रोहन को बोली और रोहन बेला के मुंह से बुर शब्द सुनकर एकदम उत्तेजित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक औरत के मुंह से बुर शब्द सुन रहा है… और एक औरत के मुंह से अपने अंदरूनी अंग के बारे में खुले शब्दों में सुनकर रोहन और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और पेंट के अंदर उसका लंड और ज्यादा टाइट हो गया उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल टमाटर हो गया और वहां अपनी सांसों के बिल्कुल भी संयम नहीं रख पा रहा था उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी फिर भी अपने आप को बचाते हुए वह बोला….. नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जो तुम कह रही हो मैं तो उसे देखा भी नहीं मैं तो नल चला रहा हूं…. अच्छा बच्चा मेरे से चलाकी दिखा रहे हो… अगर तुम मेरी बुर नहीं देख रहे थे तो (अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेंट में बने तंबू की नोक को अपनी दोनों उंगलियों के बीच दबाते हुए) यह तुम्हारा लैंड क्यों खड़ा हो गया है….. इतना सुनते ही और बेला की नरम गरम अंगुलियों का स्पर्श पेंट के ऊपर से ही अपने लंड के ऊपर होते ही वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया लेकिन इस बात की घबराहट उसके मन में होने लगी की बेला को पता चल गया था कि वह क्या देख रहा था लेकिन फिर भी इस बात को मानने को तैयार ही नहीं था कि वह उसकी बुर देख रहा था क्योंकि उसे डर लग रहा था कि कहीं वह उसकी मां को ना बता दे इसलिए वह बोला…… नहीं मैं कुछ भी नहीं देख रहा था …… देखो बनो मत मैं जानती हूं कि तुम्हारी नजर मेरी बुर पर ही थी तभी तो तुम्हारा लंड खड़ा हो गया है और मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि मर्दों का क्यों खड़ा होता है….( इतना कहते हुए वह मुस्कुरा कर फिर से कपड़े पानी में धोने लगी कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही बेला अच्छी तरह से जान रही थी कि उसका काम बन चुका है क्योंकि रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था भले ही वह इस बात को झुठला रहा था कि उसने कुछ नहीं देखा…. कुछ ही देर में बेला पानी में सारे कपड़े धो चुकी थी अब उसे सुखाने के लिए रस्सी पर डालना था रोहन अभी भी उसी तरह से खड़ा था लेकिन इस बार उसका एक हाथ अपने आगे वाले भाग पर था जिससे वह अपनी उत्तेजना को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था बेला धीरे-धीरे एक-एक करके सारे कपड़ों को अपने हाथ पर रख ली और रोहन से बोली….. रोहन कपड़े सुखाने में मेरी मदद करो… ( अपनी चोरी पकड़े जाने की वजह से रोहन थोड़ा घबराया हुआ था और बेला की बात मानते हुए वह उसके पीछे पीछे चल दिया बेला एक-एक करके रोहन को अपने हाथ से कपड़े लेने के लिए कह रही थी और उसे रस्सी पर डालने के लिए कह रही थी जिसे रोहन बखूबी निभा रहा था बेला जानबूझकर रोहन को अपने हाथों से कपड़े रस्सी पर डालने के लिए बोल रही थी इसमें भी उसकी एक युक्ति थी जिसे वह बखूबी सफलतापूर्वक अपनी मंजिल पर पहुंचाना चाहती थी धुले हुए कपड़ों में रोहन के घर के ही कपड़े थे जिसमें उसके पैंट शर्ट बनियान और उसकी मां के कपड़े थे जी ने एक-एक करके रोहन बेला के हाथों से लेकर रस्सी पर सूखने के लिए डाल रहा था.
मैं, भैया और भाभी – Ghar ki chudai
भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते