बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था जो कि एक सुगंधा की तरफ से रोहन को आमंत्रण पत्रिका की तरह था लेकिन रोहन अपनी मां की तरफ से मिल रहे इस हरी बत्ती को समझ नहीं पा रहा था ललचाए आंखों से वह बाथरूम के खुले हुए दरवाजे को देख रहा था वह जानता था कि दरवाजे के अंदर दरवाजे के पीछे दुनिया की स्वरूप वान बेहद खूबसूरत स्त्री जो कि उसकी मां थी वह अपने खूबसूरत गोरे बदन से एक-एक करके अपने कपड़े उतार रही होगी और कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाएगी…. जिसे इस अवस्था में देखना हर पुरुष का सपना होता है….
रोहन बस सोच कर ही मस्त हुआ जा रहा था पजामे में उसका लंड मुसल की तरह हो गया था। जिसे वह पजामे के ऊपर से ही दबा रहा था। और अंदर सुगंधा अपने कपड़े उतार कर जनवरी हो चुकी थी और बाल्टी में से पानी निकाल कर अपने बदन पर डालना शुरू कर दी अपनी गर्माहट भरे बदन का भार ठंडे पानी की धार से कुछ हल्का महसूस होने लगा सुगंधाको यह ठंडा पानी राहत प्रदान कर रहा था…. वह साबुन लेकर अपने गोरे बदन पर रगड़ना शुरू कर दी… साबुन रगड़ते रगड़ते वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रही थी उसे इस बात की उम्मीद थी कि उसका बेटा जरूर दरवाजे को खोलकर उसे देखने की कोशिश करेगा क्योंकि बाथरूम में आते समय उसने साफ तौर पर देखी थी कि उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को ही देख रहा था और इतना तो वह जानता ही होगा कि बंद बाथरूम के अंदर एक औरत नंगी होकर नहाती है और अपनी मां को लगी देखने के लिए वह जरूर बाथरूम का दरवाजा खोलेगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा था वह अपने पूरे बदन पर साबुन रगड़ रगड़ कर लगा रही थी पूरी तरह से गर्माहट का अनुभव करके सुगंधा अपने आप को रोक नहीं पाई और साबुन को अपनी रसीली फूली हुई कचोरी जैसी बुर पर दबा दबा कर लगाने लगी…
.सससससहहहहह आहहहहहहह……… ऊमममममममम …….. रोहन……. ( सुगंधा उत्तेजना के मारे गरम हो गई थी कि…. और अनायास ही अपनी उत्तेजना को दबाव नारी पा सकने के हालात में उसके मुख से उसके बेटे का नाम निकल गया लेकिन वह पूरी तरह से मस्त हो गई अपने मुंह से ऐसे हालात में अपने बेटे का नाम निकल जाने पर भी उसे अफसोस नहीं हुआ बल्कि उसका आनंद दुगना हो गया…. वासना युक्त उत्तेजना की वजह से सुगंधा को इस बात का डर भी बिल्कुल नहीं था कि दरवाजे पर कुंडी नहीं लगी थी ऐसे हालात में कभी भी रोहन दरवाजा खोल कर अंदर आ सकता था और अंदर आकर अगर उसका बेटा यह नजारा देख लेता तो लेकिन इस बात का अफसोस सुगंधाको इस समय बिल्कुल भी नहीं हो रहा था वह चाहती थी कि उसका बेटा बाथरूम में आ जाए ताकि सारी शर्मो हया इसी बहाने दूर हो जाए और बरसों से प्यासे खूबसूरत बदन को प्यास बुझाने का मौका मिल जाए इसी उम्मीद से सुगंधा बेशर्म की तरह अपनी बुर पर जोर जोर से साबुन रगड़ रही थी….. इस बात से अनजान रोहन बाहर तड़प रहा था वह मन में बाथरूम के अंदर क्या हो रहा है इसकी कल्पना मात्र से उत्तेजित हुआ जा रहा था वह कितनी कल्पना कर रहा था उससे ज्यादा हकीकत में बाथरूम का नजारा गरम हो गया था…..
रोहन कुर्सी पर बैठा हुआ था उसकी आंखों के सामने मात्र एक दीवार नुमा पर्दा था जिसके दरवाजे को हल्का सा खोलना भर था उसके बाद उसे जन्नत का बेहतरीन और काम उत्तेजना से भरपूर नजारा देखने को मिल जाता और उसकी अभिलाषा भी शायद पूरी हो जाती लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी….. काश इस बात का अहसास उसे हो जाता कि दरवाजे के पीछे उसकी मां उसका ही नाम मिलकर साबुन रगड़ रगड़ कर मुट्ठ मार रही है….. तो बाथरूम के अंदर घुसने से उसे कोई ताकत रोक नहीं सकती थी लेकिन अभी अंदर घुसने की उसमें ताकत नहीं थी तेजा में में उसका लंड तंबू नुमा हो चुका था जिसे संभाल पाना शायद उसके बस में नहीं था।
बाथरूम के अंदर सुगंधा साबुन को एक तरफ रख कर अपनी बुर के अंदर अपनी उंगली डालकर जोर जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दी थी अपनी उत्तेजना को बिल्कुल भी संयम में रखने लायक उसकी हालत नहीं थी उसकी आंखें बंद थी खयालों में सुगंधा बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसका बेटा रोहन उसकी दोनों टांगों को फैला कर उंगली की जगह अपना मोटा लंड अपनी मां की बुर में डालकर उसकी जबरदस्ती चुदाई कर रहा है…. इस तरह की कल्पना करके सुगंधा एकदम मस्त हो गई …… खयालों में अपनी बुर के अंदर अपने बेटे का मोटा ताजा और तगड़ा लंड देखकर सुगंधा की उत्तेजना का ठिकाना नहीं था उसकी सांसे जोर जोर से चल रही थी अद्भुत और अदम्य साहस दिखाते हुए सुगंधा आज जिंदगी में पहली बार अपने ही हाथों से अपनी बुर का पानी निकालने में लगी हुई थी….. और कुछ ही सेकेंड बाद उसकी बुर भल भला कर पानी फेंकने लगी..
एक जबर्दस्त और संतुष्टि भरे एहसास से सुगंधा गुजर चुकी थी। उसे यह छोटा सा पन एक तूफान की तरह लगा जो गुजर चुका था लेकिन अपने पीछे बहुत कुछ छोड़ गया था सुगंधा बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखी जो कि ज्यों का त्यों उसी स्थिति में था… उसे अपने बेटे की मनो स्थिति बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी…. जब देखने लायक नहीं रहता है तो वह देखने की हर नाकाम कोशिश करता है और जब खुद ही उसे देखने का निमंत्रण दे चुकी थी तो भी वह उसे नहाते हुए उसके नंगे बदन का दर्शन करने दरवाजे तक भी नहीं आया वह समझ नहीं पा रही थी और इसी उधेड़बुन में वह नहाने लगी……
थोड़ी ही देर में सुगंधा नहा कर खड़ी हुई तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसने तो कपड़े लाना ही भूल गई थी लेकिन अपनी इस गलती पर उसे पछतावा नहीं बल्कि प्रसन्नता होने लगी वह रोहन को आवाज लगाई पेटिकोट देने के लिए…
रोहन बेटा में अपने कपड़े लाना भूल गई हूं मेरे बैग में से जरा मेरा पेटीकोट तो ला देना…..
यह शब्द जैसे ही रोहन के कान में पडे उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। वह एक पल भी गँवाए बिना तुरंत बिस्तर के नीचे रखे अपने मां के बैग को निकाल कर बिस्तर पर रख दिया और तुरंत उसकी चैन खोलकर अंदर अपनी मां का पेटीकोट ढूंढने लगा….. पेटीकोट तू से मिल गई लेकिन साथ में रखी उसकी मां की ब्रा और पेंटी भी उसे नजर आ गई… जिस पर नजर पड़ते ही मन का कबूतर फड़फड़ाने लगा….
वह तुरंत अपनी मां की लाल कलर की कच्छी और ब्रा हाथों में लेकर उसे नाक से लगा कर उस में बसी औरत के बदन की खुशबू लेने लगा पल में ही उसे चार बोतल का नशा हो गया पेंटिं में से एक अद्भुत मादक खुशबू आ रही थी जोकि धुली होने के बावजूद भी अभी तो सुगंधा के बुर की खुशबू एकदम तरोताजा आ रही थी जिसका नशा रोहन को एक अलग ही दुनिया में ले जा रही थी रोहन मस्त हुआ जा रहा था वह एक हाथ में अपनी मां की पैंटी लेकर उसे सुघ रहा था और एक हाथ से पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था।…..
सुगंधा जो कि नहा चुकी थी और कपड़े का इंतजार कर रही थी कुछ पल यूं ही गुजर जाने की वजह से उसे कुछ अजीब लगने लगा और वह यह देखने के लिए कि उसका बेटा करके आ रहा है वह दबे पांव धीरे से दरवाजे तक आई और दरवाजे को हल्का सा खोलकर बाहर की तरफ नजर घुमाई तो कमरे के अंदर का नजारा देखकर वह सन रह गई….. उसे साफ साफ नजर आ रहा था कि उसका बेटा एक हाथ में उसकी लाल रंग की कच्छी लेकर उसे चूम रहा था सुघ रहा था और एक हाथ से अपने लंड को दबा रहा था जो कि लंड़ अभी भी उसके पैंट के अंदर था लेकिन पेंट के अंदर होने के बावजूद भी बड़ा भयानक शक्ल लिए हुए था। यह देखकर सुगंधा के तन बदन में आग लग गई उसे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है जिस तरह से वहां तड़प रही थी उसका बेटा भी तड़प रहा था… अपने बेटे की आंख में उसके लिए भरपूर प्यार और प्यास दोनों नजर आ रहा था…. अपने बेटे की हरकत देखकर उसकी बुर फिर से पानीयाने लगी। जी मैं तो आ रहा था कि अभी कमरे में जाकर अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दे। क्योंकि अपने बेटे की हरकत पर उसके लंड को देखने की इच्छा जागृत हो चुकी थी….. रोहन अपनी मस्ती में ही अपनी मां की कच्छी और ब्रा से खेल रहा था…. सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक मन कह रहा था कि अपनी बेटे के पास जाकर अपनी प्यास बुझा ले। लेकिन दूसरा मन उसे ऐसा करने से रोक रहा था क्योंकि माहौल और समय के साथ-साथ जगह उचित नहीं थी शादी का माहौल था और दोनों दूसरे के घर पर है ऐसे में अगर सुगंधा की जरा सी भी हरकत की खबर किसी को कानो कान हो जाती है या कोई उन्हें किसी भी तरह की अश्लील हरकत करते हुए देख लेता तो बरसों से कमाई हुई और बनाई हुई इज्जत दोनों मिट्टी में मिल जाती….
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