Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

सुगंधा सुबह से खुश नजर आ रही थी वह रोहन को भी तैयार होने को कह दी थी रोहन भी खुश नजर आ रहा था काफी दिनों बाद वह किसी शादी में जा रहा था और उससे भी ज्यादा खुशी की बात यह थी कि वह अपने मां के बेहद करीब रहने वाला था इसी बहाने उसे अपनी मां के करीब रहने का मौका जो मिल रहा था…. नहा धोकर रोहन अपने कमरे में जाकर तैयार हो गया था अपने आप को आईने में देखकर वह काफी संतुष्ट था क्योंकि उसे यकीन था कि… औरतों की पसंद जिस तरह का वह दिखता था उसी तरह की होती है…. मासूम सा चेहरा पर चेहरे के पीछे बहुत कुछ छुपा हुआ था गठीला बदन हमेशा औरतों की पहली पसंद रही है जो कि रोहन के पास कूट-कूट के भरी हुई थी….
रोहन तैयार हो चुका था और अपने कमरे में अपनी मां का इंतजार कर रहा था कि वह तैयार होकर उसे चलने के लिए कहे लेकिन काफी देर भी चुका था वह उसी तरह से बैठा रहा और दूसरी तरफ सुगंधा तैयार होने में लगी थी आज ना जाने कि उसे अपने आपको तैयार करने में एक अजीब प्रकार की उत्सुकता आनंद का एहसास हो रहा था जोकि इसका मुख्य कारण रोहन था ना चाहते हुए भी वह रोहन को अपनी तरफ रीझाना चाहती थी। मन में दबी हुई कामवासना सावन के मेंढक की तरह उछल कूद कर रहे थे वासना मई मयूर पंख फैलाकर नाचने को मचल रहा था सुगंधा अपने आप को रोक नहीं पा रही थी एक अजीब सा एहसास तन बदन को झकझोर दे रहा था…. आईने के सामने वह संपूर्ण रूप से नंगी अवस्था में खड़ी थी अपने आप को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आईने में वह अपने आप के अक्स को देख रही हैं। दोनों नारंगी या सीना ताने छातियों की शोभा बढ़ा रही थी। समतल पेट जिस पर बस हल्का सा चर्बी बढ़ा हुआ था लेकिन चर्बी की वजह से चिकने पेट की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी।
वह अपने बदन को आईने में ऊपर से नीचे बड़ी बारीकी से देख रही थी अभी भी वह संपूर्ण जवानी से भरपूर थी उसके अंगों का उतार-चढ़ाव कटाव सब कुछ उन मादक था जैसे-जैसे उम्र बढ़ रही थी वैसे-वैसे सुगंधा की जवानी में निखार आता जा रहा था नितंबों का उभार मर्दों के लंड की अकड़ पन का थर्मामीटर था । अपनी कातिल जवानी को देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी गीले बालों में से सोंधी सोंधी खुशबू आ रही थी जो कि कमरे के वातावरण को मादकता से भर दे रहा था और वैसे भी औरत के बालों में से बालों को धोने के बाद एक बहुत ही गजब की कामोत्तेजना से भरपूर खुशबू आती है जिसे मर्द महसूस करके उत्तेजना से भर जाता है…..
खैर जैसे-तैसे करके सुगंधा कपड़े पहन कर तैयार हो गई उसके गोरे बदन पर लाल रंग की साड़ी और वह भी ट्रांसपेरेंट बहुत ही जानलेवा लग रही थी….. ट्रांसपेरेंट साड़ी में से सुगंधा का लाल रंग का ब्लाउज नजर आ रहा था और कसी हुई ब्लाउज पहनने की वजह से सुगंधा की बड़ी-बड़ी गोल सूची आपस में एकदम दबी हुई थी जिसकी वजह से दोनों की बीच की लकीर कुछ ज्यादा लंबी और गहरी हो चुकी थी…. कुंआ नुमा सुगंधा की गहरी नाभि ट्रांसपेरेंट साड़ी में से एकदम साफ नजर आ रही थी कुल मिलाकर सुगंधा काम की देवी लग रही थी लेकिन उससे एक चूक होती जा रही थी ब्लाउज की डोरी उससे बंद नहीं हो रही थी बहुत कोशिश करने के बावजूद भी जब उससे डोरी बंद नहीं हुई तो वह रोहन को अपने कमरे में से ही आवाज लगाई…… लेकिन रोहन को आवाज लगाने पर उसे बेहद उत्तेजना का आभास हो रहा था.. एक अजीब सी हलचल मन में हो रही थी क्योंकि वह अपने ही बेटे को अपने ब्लाउज की डोरी बांधने के लिए बुला रही थी सुगंधा के चेहरे पर शर्म की लाली उपसने लगी… आवाज से पहले कभी नहीं हुआ था लेकिन जब से वह अपने ही बेटे के प्रति आकर्षित हुई थी तब से उसके तन बदन में रोहन को अपने करीब पाकर रोहन के बारे में सोचकर अजीब सी हलचल होने लगी रोहन भी अपने कमरे में बैठा अपनी मां के बुलाने का इंतजार कर रहा था कि उसकी आवाज सुनकर वह तुरंत बिस्तर पर से उठा और अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा थोड़ी देर में वह दरवाजे पर खड़ा हो गया दरवाजा बंद था वह दरवाजे पर दस्तक दिया तो उसे इस बात का आभास साफ साफ हुआ की अंदर से दरवाजे की तरफ चलने की आहट हो रही थी। रोहन को उसकी मां के पैरों की पायल की छन छन और चूड़ियों की खनखन साफ सुनाई दे रही थी जिसकी आवाज सुनकर उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी…

हां आई…… ( इतना कहने के साथ ही सुगंधा दरवाजे की तरफ बढ़ी और अगले ही पल दरवाजे की कुंडी खोल दी दरवाजा खुलते ही रोहन कमरे में दाखिल होता हुआ बोला. .)

मम्मी आप तैयार हो गई कि नहीं..

हां बेटा में तैयार हो गई हूं बस में ब्लाउज की डोरी नहीं बांट पा रही हु तू थोड़ी मदद कर दे। जल्दी से मेरे ब्लाउज की डोरी बांध दे। ( इतना कहने के साथ ही सुगंधा अपने बेटे की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था और सुगंधा का ब्लाउज इस तरह से बना हुआ था कि पीछे की लगभग पूरी चिकनी नंगी पीठ नजर आ रही थी जिसमें से हल्की-हल्की उसके लाल रंग की ब्रा की पट्टी भी नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही रोहन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वैसे भी ना जाने क्यों औरतों की ब्रा हल्की सी नजर आ जाने पर मर्दों का लंड खड़ा हो जाता है उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि ब्रा के नजर आते ही उनकी चूची तक का रास्ता साफ हो जाता है ऐसा कुछ रोहन को भी आभास हो रहा था अपनी मां की ब्रा की पट्टी को देख कर उसे ऐसा लगने लगा था कि उसकी आंखों के सामने उसकी मां के बड़े-बड़े दोनों खरबूजे सीना ताने नजर आ रहे हैं…. रोहन एक अटक अपनी मां की पिघलती हुई मदहोश कर देने वाली नंगी गोरी पीठ को देखता ही रह जाए पीठ पर हल्का सा दाग भी नहीं था … अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देखकर रोहन की इच्छा हो रही थी कि वह अपनी मां के बदन से सट जाए और उसकी नंगी पीठ पर चुंबनो की बारिश कर दे। लेकिन ऐसा सोच भर सकता था ऐसा करने की उसमें हिम्मत नहीं थी और दूसरी तरफ सुगंधा की सांसो की गति तीव्र होती जा रही थी उसके तन बदन में कामोत्तेजना की हलचल हो रही थी… अपनी सांसो को थामें अपने बेटे की ऊगलियों का स्पर्श का इंतजार कर रही थी।… सुगंधा आदम कद आईने के सामने खड़ी थी जिसमें से दोनों का प्रतिबिब साफ साफ नजर आ रहा था सुगंधा आईने में अपने बेटे की एक-एक हरकत पर बड़े ही बारीकी से नजर रखे हुए थे उसे साफ नजर आ रहा था कि उसके बेटे की नजर उसकी नंगी पीठ पर स्थिर हुई थी उसके चेहरे के हाव-भाव से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके बदन में कामोत्तेजना अपना असर कर रहा हो।

क्या हुआ रोहन जल्दी करो देर हो रही है….

हां मम्मी करता हूं…..
( इतना कह कर वो अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा दिया और ब्लाउज की रेशमी डोरी को पकड़कर गिठान मारने की कोशिश करने लगा नंगी पीठ पर ऊअगलियों का स्पर्श होते ही सुगंधा सिहर उठी आज पहली बार वहां किसी गैर मर्द जो कि उसका बेटा ही था उससे अपने ब्लाउज की डोरी बंधवा रही थी शुरू शुरू में उसके पति ने ही उसकी ब्लाउज की डोरी को बांधा था लेकिन आज पहली बार अपने बेटे से यह काम करवाते हुए उसे बहुत ही ज्यादा संतुष्टि दायक और उत्तेजनात्मक लग रहा था.. यही हां रोहन का भी था अपनी मां की नंगी पीठ पर जैसे ही उसकी उगली का स्पर्श हुआ उसके तन बदन में खास करके उसके लंड में बड़ी तेजी से हरकत होने लगी उसकी उंगलीया काप रही थी।.. सुगंधाको तो इस समय उत्तेजना की वजह से रोहन की उंगलियां का स्पर्श उसके लंड का स्पर्श लग रहा था… रोहन के लिए किसी औरत की चोली की डोरी बांधना यह पहली बार का अनुभव था इससे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बांधा जाएगा। वह बस अपनी मां की ब्लाउज की रेशमी डोरी को उंगलियों में उलझा कर इधर-उधर कर रहा था और अपने आप को उत्तेजित भी कर रहा था सुगंधाको अपने बेटे की इस हरकत पर मजा आ रहा था सुगंधा को इस बात का एहसास हो गया कि उसकी बुर पनिया रही थी….. अजीब सी कशमकश में फंसी हुई थी सुगंधा उसे मज़ा भी आ रहा था और अपनी हरकत पर पछतावा भी हो रहा था अपने आप पर क्रोध करते हुए कभी अपने आप को समझाती तो कभी अपनी जवानी और जरूरत के जोर के आगे घुटने टेक देती। सुगंधा आईने में साफ-साफ देख पा रही थी कि रोहन से डोरी बंध नहीं रही थी। इसलिए वह बोली…..

बेटा क्या कर रहे हो तुमसे ब्लाउज की डोरी नहीं बध रही है पता नहीं तुम से क्या होगा….

मम्मी आप अच्छी तरह से जानती है कि मेरा काम नहीं है और इससे पहले मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया तो मुझे कैसे पता होगा… .

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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