Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

दूसरे दिन सुबह सुगंधा की नींद खुली तो वहां अपने आप को रोहन के कमरे में जाने से रोक नहीं पाई क्योंकि जो नजारा वह कल देख चुके थे एक बार फिर से उस नजारे को देख कर उसे अपने अंदर महसूस करने की उत्सुकता और प्यास उसके तन बदन को झकझोर ने लगी और सुगंधा एक बार फिर से अपने दिमाग में छाई वासना के वश मैं होकर रोहन के कमरे की तरफ अपने कदम आगे बढ़ा दी कमरे के करीब जैसे पहुंची तो कमरे का दरवाजा बंद था यह देखकर उसके मन में निराशा सी हो गई लेकिन वह अपने बेटे को जगाने के लिए भी आई थी इसलिए बाहर से दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही अपनी हथेली को दरवाजे से लगाई वैसे ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया और यह रोहन ने जानबूझकर खुला छोड़ दिया था क्योंकि उसके तन बदन में भी अपनी मां के नरम गरम हथेली का स्पर्श महसूस करने के लिए लालसा जागरूक हो रही थी और उसकी विनीत कुछ देर पहले ही खुली थी जिसकी वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर नंगा लेटा था और आहिस्ता इसे अपने लंड को हिलाता हुआ अपनी मां के बारे में गंदी बातें सोच रहा था लेकिन उसे अपनी मां के आने की आहट हो गई थी इसलिए वह अपना हाथ अपने लंड पर से हटाकर जानबूझकर आंखों को बंद करके लेटा हुआ था सुगंधा ने जैसे दरवाजा खोली तो उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से वही दृश्य दुबारा दोहराए जाने लगा जैसा कि वह पिछली सुबह देख चुकी थी फिर से उसकी नजर अपने बेटे के मोटे तने हुए लंड पर चली गई जो कि अभी भी मुंह उठाए छत की तरफ देख रहा था सुगंधा के तन बदन में वासना और जवानी की चीटियां रेंगने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें ना चाहते हुए भी वह हल्के से दरवाजे को बंद कर दी और धीरे-धीरे अपने बेटे के करीब जाने लगी जैसे-जैसे अपनी मां के पैरों की हाट को अपने करीब आता महसूस कर रहा था वैसे वैसे इसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह देखना चाह रहा था कि आज उसकी मां क्या करती है वह आंखों को बंद करके लेटा रहा और धीरे-धीरे सुगंधा अपने बेटे के बिल्कुल करीब पहुंच गई वह कभी रोहन के चेहरे को तो कभी उसके मुंसल को देखती रहती….. सुगंधा अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी हथेली में लेकर उसकी मोटाई और ताकत को महसूस कर चुकी थी इतना तो उसे पक्का यकीन था कि अगर उसके लंड को बुर में ले लिया जाए तो गुलाबी पत्तियों को फैलाकर चौड़ा कर देगा और यह सोच कर ही सुगंधा के माथे पर पसीने की बूंदें उसने लगी और उसकी बुर ओस की तरह नमकीन पानी को बूंद के रूप में टपका ने लगी… सुगंधा का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आता उसके मन में उमड़ रहे थे वह अपने मन के ख्याल आंतों के भंवर में फंसती चली जा रही थी जिसमें से निकल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था जवानी का जोश और उम्र के दरमियान शारीरिक सुख से वंचित रह चुकी सुगंधा अपने बेटे की जवानी देख कर ललचाने लगी।
रोहन बिस्तर पर पीठ के बल लेटा हुआ था अपना सिर को दीवार की तरफ फेर कर अपने दोनों हाथों को अपने चेहरे पर इस तरह से रख लिया था ताकि उसकी मां को जरा सा भी भनक न लगने पाए कि वह जाग रहा है सुगंधा अपने बेटे को सोता हुआ देखकर एक बार फिर से हिम्मत जुटा कर अपना हाथ आगे बढ़ाई वह बहुत ही सफाई से अपना काम कर रही थी लेकिन चूड़ियों की खनक और पायल की छनक कमरे संगीत में बना दे रहे थे और उसे इस बात से दिक्कत भी हो रही थी…. सुगंधा को इस बात का डर था कि कहीं उसकी चूड़ियों की खनक से उसका बेटा जाग ना जाए…. चूड़ियां तो मर्द और औरत के बीच प्रेम और आकर्षण का प्रतीक है कमरे के अंदर औरत के साथ संभोग रत या संभोग करने की तैयारी से पहले जो प्यार करता है उसमें चूड़ियों की खनक का महत्व अधिक हो जाता है… अक्सर मर्दों का जोश दुगुना हो जाता है जब प्यार करते समय उसके कानों में चूड़ियों की मधुर खनक की आवाज जाती है लेकिन इस समय सुगंधा के लिए यह चूड़ियों की खनक ना अच्छा नहीं लग रहा था वह बहुत सावधानी से अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ ली।

ससससससससस आहहहहहहहहहह

अपनी बेटी की गरम लंड को हाथ लगाते ही सुगंधा के मुख से गर्म सिसकारी छूट गई और अपनी मां के नरम नरम उंगलियों और हथेली का स्पर्श पाते ही रोहन का बदन कसमस आने लगा अपनी मां के हाथ में अपने लंड को पाकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया और उत्तेजना के मारे उसके लंड की मोटाई कुछ ज्यादा ही बढ़ गई…..
सुगंधा कोई यकीन नहीं हो रहा था कि वह ऐसी हरकत कर रही है अपने ही बेटे के कमरे में चोरी से घुसकर अपने बेटे के लंड को पकड़ कर हिला रही थी जो कि हां तो बहुत ही आनंददायक पर उसमें डर भी बहुत था सुगंधा को इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे की नींद ना खुल जाए और ऐसा हुआ तो कहीं जीना हो जाए की उत्तेजना के मारे उसका बेटा उसे बिस्तर पर पटक कर उसके ऊपर ना चढ़ जाए…..
एक तरफ से इस बात का डर भी लग रहा था और उसके मन के कोने में कहीं यह बात उसे आनंददायक भी लग रही थी कि अगर ऐसा हो गया तो उसके लिए ही अच्छा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह का वाक्य उसकी आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उससे वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने संस्कारों मर्यादा को एक तरफ रख कर वह अपने शारीरिक संतुष्टि को प्रधान ने दे रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा उसे जमकर चोदे अपने मोटे लंड को उसकी बुर में डाल कर बरसों से प्यासी उसकी बुर को अपने पानी से हरी हरी कर दे बरसों से यह जमीन सुखी बंजर की तरह पड़ी हुई है उसमें वह अपने लंड के पानी का फुहारा मारकर हरा भरा कर दे उसके मन में दबी वासना भड़कने लगी थी अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में भरकर व हल्के हल्के हिला रही थी और मन में कल्पना कर रहे थे कि कितना संतुष्टि भरा हुआ नजारा होगा जब वह अपनी बेटे के लंड पर अपनी बुर की गुलाबी छेद रख कर धीरे धीरे बैठेगी यह नजारा सोच करें उसका दिल जोरो से उछल रहा था था सुगंधा की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी….. रोहन की हालत भी पल पल खराब हुई जा रही थी अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाले हुए था…. उसके बदन में अजीब सी कसमसाहट हो रही थी। मन तो उसका कर रहा था कि सच में वह अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर बिस्तर पर पटक और उसके ऊपर चढ़कर जमकर उसकी चुदाई कर दे…… लेकिन रोहन के मन में भी डर बसा हुआ था ऐसा करने से वह अपने आप को रोक रहा था…..
उसे इस बात का भी डर था कि उसकी मां के हाथों से जादू में उसके इतने बदन में उत्तेजना का असर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दें और यह नहीं चाहता था कि उसकी मां की आंखों के सामने उसके लंड का पानी निकल जाए क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उसकी मां समझ जाएगी कि रोहन जाग रहा है इसलिए वह अपने आप को बड़ी मशक्कत करते हुए संभाले हुए था जिस तरह से उसकी मां उसके लंड को हिला रही थी उसे बहुत ही सुकून दायक और संतुष्टि प्रदान महसूस हो रहा था सुगंधा की सांसो की गति तेज हो रही थी उसकी गर्म सांसों की आहट रोहन के कानों में साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरम सांसो को सुनकर रोहन पूरी तरह से चुदास से भर चुका था। अजीब से हालात से रोहन गुजर रहा था सब कुछ होने के बावजूद भी उसके हाथों में कुछ नहीं था एक गर्म औरत जो कि उसकी मां थी अपने हाथों से उसके लंड को हिला रही थी अगर वह चाहता तो अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे चोद सकता था उसे चुदवाने के लिए मजबूर कर सकता था और उसे अपने नीचे लाने में कोई बड़ी बात भी नहीं थी क्योंकि उसकी मां भी खुद रोहन के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी। यह बात उसकी आंखों से छिपी नहीं थी वह भी साफ-साफ देख रहा था कि उसकी मां उसके लंड की दीवानी हो चुकी है और वह भी चुदवाना चाहती है तो ऐसे में रोहन की जगह कोई भी बेटा होता तो अपनी मां की इच्छा को जरूर पूरी करता लेकिन ऐसा करने में रोहन के संस्कार उसकी मर्यादा आड़े आ रहे थे जो कि मर्यादा की दीवाल भी उसके लिए बेहद पतली थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के साथ जबरदस्ती या तो अपनी तरफ से पहल करना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए वह अपने आप को संभाले हुए था कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था सुगंधा अपने बेटे पर ध्यान दिए बिना ही उसके की प्रति पूरी तरह से आकर्षित होकर उसे हीलाए जा रही थी……
तभी वह इस बात पर गौर की कि उसके बेटे की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही है उसके बदन में कसमस आहट भरी हुई थी उसे डर लगने लगा कि कहीं उसके बेटे की आंख ना खुल जाए और वह तुरंत अपने बेटे की लंड को छोड़कर वापस कमरे से बाहर चली गई लेकिन तन बदन में लंड लेने की प्यास एकदम से बढ़ गई थी इसलिए बात तुरंत बाथरूम में कहीं और अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई एक बार फिर वह अपनी बुर में उंगली डालकर अपनी गर्मी को शांत करने की कोशिश करने लगी…. लेकिन यह कोशिश नाकाम थी भला मोटे लंड की प्यासी एक पतली सी उंगली से कैसे बुझने वाली थी उसकी प्यास और बढ़ती जा रही थी दूसरी तरफ अपनी मां के कमरे से बाहर जाते ही रोहन उठ कर बैठ गया उसकी सांसे उखड़ी हुई थी अगर कुछ सेकंड तक और उसकी मां उसके लंड को हिला देती तो उसका पानी उसकी आंखों के सामने ही बाहर निकल जाता लेकिन अपनी मां का अधूरा काम पूरा करने के लिए रोहन अपने लंड को पकड़ कर जोर जोर से ही हीलाना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में उसके लंड ने पानी का फव्वारा फेंक दिया कुछ देर बाद शांत हुआ तो वह अपनी मां के बारे में सोचने लगा वह सोचने लगा कि अगर उसकी मा चुदवाना चाहती है तो सीधे-सीधे उससे बोल क्यों नहीं देती इस तरह से कमरे में आकर उसकी प्यास बढ़ा रही थी और खुद भी प्यासी ही कमरे से बाहर जा रही थी……
लेकिन वह अपनी मां के बारे में अच्छी तरह से जानता था उसकी मां बहुत ही सीधी सादी सर्वगुण संपन्न और मर्यादा से परिपूर्ण नारी थी वह अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि बेटा मैं तेरे लंड की प्यासी हूं तुम मुझे चोद….. भला एक मां अपने मुंह से अपनी बेटे से चोदने के लिए कैसे कह सकती है….
यह सब विचार करके उसके मन में आ रहा था कि अगर आगे बढ़ना है तो उसे ही कुछ करना होगा वैसे भी इतना तो वह समझ ही रहा था कि उसकी मां को लंड की सख्त जरूरत है तभी तो वह उसके कमरे में आकर उसके लंड को हिला कर चली जा रही थी वह ही उसके ईसारे को नहीं समझ पा रहा था। यह ख्याल मन में आते ही रोहन के चेहरे पर मुस्कान खेलने लगी उसे समझ में आ गया कि उसकी मां की तरफ से पूरी तरह से यहां है बस उसे ही कुछ करना होगा यह बात मन में आते ही उसका दिल खुशी से झूम उठा ….. रोहन को आप उसकी मां अपने नीचे लगने लगी थी वह चित्र से जान गया था कि बहुत ही जल्द ही उसकी मां बिस्तर पर उसके नीचे होगी और उसका लंड उसकी बुर में होगा रोहन अपनी मां को ही चोदने की कल्पना करके उत्तेजना से एकदम से भर गया था और यह वास्तविकता ही थी कि अब उसकी कल्पना हकीकत में बदलने वाली थी लेकिन कैसे बदलेगी यह उसे भी नहीं मालूम था……

जैसे तैसे करके दिन बीत रहा था…. और जैसे जैसे दिन बीत रहा था वैसे वैसे सुगंधा की प्यास अपने बेटे के मोटे लंड के लिए बढ़ती जा रही थी और रोहन की प्यास अपनी मां की रसीली बुर के लिए बढ़ती जा रही थी…. आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन यह आग कौन बुझाएगा इसका पहल करने में शायद किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी।
जवानी की आग सुगंधा को भी जला रही थी अब उसका भी मन काम में बराबर नहीं लगता था…. . ऐसे ही एक दिन वह मुंशी के साथ हिसाब किताब करने बैठी थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और सुगंधा की नौकरानी बेलाने दरवाजा खोली। दरवाजे पर खड़े अतिथि को वह आदर सहित अंदर लेकर आई और उसे बैठने को कहकर पानी लेने चली गई…
पानी पीने के बाद उस अतिथि ने सुगंधा को बताया कि मानसिंह जमीदार की लड़की की शादी है. . जिसमें उन्हें आमंत्रित किया गया है उस अतिथि की बात सुनकर सुगंधा खुशी-खुशी हाथ आगे बढ़ा कर उससे आमंत्रण पत्र लेकर उसका अभिवादन करके उसे विदा कर दी…..
थोड़ी देर तक मुंशी से हिसाब किताब चलता रहा और सुगंधा अपने मुंशी से ड्राइवर के बारे में पूछी तो मुंशी ने बताया कि कुछ दिनों से वह गांव से बाहर गया हुआ है और ड्राइवर मिलना बहुत मुश्किल है….

लेकिन आप तो खुद ही मोटर गाड़ी चला सकती हैं तो ऐसा करिए कि आप खुद ही मोटर चला कर ले जाइए हां मुझे मालूम है कि अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन कर भी क्या सकते हैं ड्राइवर मिलना गांव में बड़ा मुश्किल होता है और मानसिंह की लड़की की शादी 3 दिन बाद ही है ड्राइवर का जुगाड़ होना बहुत मुश्किल है…..

( मुंशी की बात सुनकर सुगंधा थोड़ी चिंतित हो गई कुछ देर विचार करने के बाद वह बोली. .)

मुंशी जी आप ठीक कह रहे हैं ऐसे हालात में मुझे ही गाड़ी चला कर ले जानी पड़ेगी लेकिन काफी दिन हो गए गाड़ी चलाई नहीं हूं इसलिए थोड़ी बहुत तो दिक्कत होगी लेकिन मैं सब संभाल लूंगी अब आप जा सकते हैं…

इतना सुनते ही मुंशी कुर्सी पर से उठ कर सुगंधा का अभिवादन किया और चला गया…. सुगंधा कुर्सी पर से उठ कर इधर उधर टहलते हुए कुछ सोच रही थी वह जाना तो नहीं चाहती थी लेकिन मान सिंह के साथ उसके घर के अच्छे संबंध थे और उसके घर जाना भी जरूरी था तो वह रोहन को साथ ले जाने का फैसला कर ली….

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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