सुगंधा अपनी मान मर्यादा एक मां बेटे का रिश्ता बोलकर धीरे-धीरे अपने बेटे के लंड को से लाते हुए उसे ऊपर नीचे करके मुट्ठी आने लगी ऐसा करने में सुगंधा को तो मजा आ रहा था लेकिन रोहन की हालत खराब हो रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू बनाए रखा था क्योंकि जिस तरह की हरकत उसकी मां कर रही थी वह हरकत को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था वह क्या कोई भी होता तो एक खूबसूरत औरत की इतनी कामोत्तेजना से भरपूर हरकत को बर्दाश्त नहीं कर पाता और रोहन की जगह कोई और होता तो अब तक उसे बिस्तर पर लिटा चुका होता..
रोहन अपनी मां के मुंह से निकल रही कर्म सांसो की आह को बड़ी अच्छी तरह से सुन पा रहा था और यह गर्म है उसकी उत्तेजना को बढ़ा रही थी मन तो कर रहा था कि वह अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और उसे अपने ऊपर खींच कर उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दे लेकिन यह सब केवल रोहन की कल्पना भर्ती वह हकीकत में ऐसा करने से डर रहा था सुगंधा की सांसें उखड़ रही थी वह आहिस्ता आहिस्ता अपने बेटे के लंड को हिला रही थी आज बरसों बाद उसने किसी के लंड को पकड़ा था और वो किसी और का नहीं बल्कि उसके ही बेटे का लंड था उसे यकीन नहीं आ रहा था कि जिस बेटे को उसने जन्म दिया था आज वह बेटा इतना बड़ा हो गया था इतना जवान हो गया था कि उसके ही लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी दो-तीन मिनट तक अपने बेटे के लैंड को हिलाते रहे एक खूबसूरत औरत जो कि उसकी माहिती उसके नरम नरम हाथों में अपने लंड को महसूस कर के रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो रहा था और तो और उसे डर था कि कहीं उसका पानी निकल ना जाए और वैसे भी उसने रात को एक बार नींद खुलने पर अपने लंड को हिला कर सोया था जिससे अभी तक उसका पानी उसके लंड पर लगा हुआ था इस बात को सुगंधा भी महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी हथेली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हो रहा था उसके मन में जो बात उमड़ रही थी वह हकीकत ही थी उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि जो पदार्थ उसके हाथ पर चिपक रहा था वह रोहन के लंड़ से निकला हुआ पानी था उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि रोहन अपने हाथ से अपना लंड़ हिला कर मजे लेता है। यह सोचकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि इस हरकत की वजह से उसे लगने लगा था कि उसका बेटा औरतों की प्यास बुझाने लायक हो गया था कुछ ही देर में उत्तेजना के मारे लोहान के लंड का पानी तो नहीं निकला लेकिन सुगंधा की बुर पानी फेंक दी…… सुगंधा इतनी अधिक उत्तेजित हो गई थी कि कुछ ही पल में उसकी बुर से पानी निकलने लगा था…..
सुगंधा कोई इस बात का ख्याल आते हैं कि ज्यादा देर तक रुकना ठीक नहीं है और इतना सोच कर वह तुरंत रोहन को जगाए बिना ही कमरे से बाहर चली गई ……. सुगंधाको कमरे से बाहर जाते ही रोहन अपनी आंखें खोल दिया वह कमरे से बाहर निकलते हुए अपनी मां को देख लिया था और उसकी नजरें ठीक अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर ही गई थी जिसे देखते ही वह गर्म आहें भरने लगा वह बहुत खुश नजर आ रहा था वह बड़े ध्यान से अपने लंड को देख रहा था क्योंकि कुछ पल पहले ही उसकी मां की नरम नरम हथेलियां उसकी उंगलियां इस लंड को कस रही थी…….
अपनी मां की चुदास से भरी हरकत की वजह से रोहन पूरी तरह से चुदवासा हो गया था। उससे रहा नहीं गया और अपनी मां के अधूरे काम को पूरा करते हुए अपने लड़ को हिलाना शुरू कर दिया। अब उसकी कल्पना में उसकी नंगी मां अपनी दोनों टांगें उसके कमर के इर्द गिर्द करके अपनी छोटी सी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद को अपने बेटे का लंड पर रख रही थी और रोहन अपने हाथों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पकड़ कर उसकी मदद कर रहा था। देखते ही देखते रोहन के कल्पना में उसकी मां की बुर के अंदर रोहन का लंड पूरी तरह से अंदर घुस गया और उसकी मां धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए रोहन के लंड से चोदने का मजा लूटने लगे और रोहन भी अपनी मां की गांड पकड़कर नीचे से धक्के लगाते हुए मुठ मारने लगा और थोड़ी देर में उत्तेजना और उसकी मां की कल्पना का ऐसा मिलाजुला जबरदस्त असर था कि रोहन के लंड ने ढेर सारा पानी फेंक दिया……… उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी मां उसके लंड के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी और उसका रास्ता साफ होता नजर आ रहा था……. रोहन के लिए बात बड़ी ही खुशी की थी उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्योंकि उसे पूरा यकीन हो गया था कि…. बहुत ही जल्दी से उसकी मां की बुर चोदने को मिलने वाली है……..
दूसरी तरफ सुगंधा भी अपने बेटे के लंड को पकड़ कर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी उसकी बुर पानी पानी हो गई थी ।और उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। वह तुरंत बाथरूम मे दूसरी तरफ सुगंधा भी अपने बेटे के लंड को पकड़ कर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी उसकी बुर पानी पानी हो गई थी ।और उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। वह तुरंत बाथरूम में गई और बाथरूम में घुसते ही वह अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई उसका मन उसके काबू में बिल्कुल भी नहीं था ।उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का खड़ा लंड़ नाच रहा था। सुगंधा अपने बेटे के खड़े लंड को याद करके अपनी बुर जोर जोर से मसलने लगी उसकी सांसे की गति तेज होने लगी और एक साथ अपनी दो उंगली अपनी बुर में डालकर यह कल्पना करने लगे कि उसका बेटा उसकी दोनों टांगें फैलाकर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में भर कर अपना लंड उसकी बुर में डालकर उसे चोद रहा है वह जैसे जैसे अपनी उंगली की रफ्तार बढ़ाती जाती वैसे वैसे वह यह महसूस करती कि उसका बेटा उसे जोर जोर से चोद रहा है और वह इतनी मस्त कल्पना करके पलभर में ही पानी पानी हो गई वह पूरी तरह से झाड़ चुकी थी….. एक बार फिर से वासना का तूफान गुजरते ही सुगंधा को यह सब खराब लगने लगा एक बार फिर से उसका मन अपराध भाव से भर गया और फिर से अगली बार ऐसी गलती ना करने की कसम खा कर अपने काम में लग गई…….i
दिन गुजरने लगा मौसम बदलने लगे लेकिन रोहन के मन में उसकी मां को चोदने का प्यास बढ़ता ही जा रहा था हालांकि सुगंधा अपने आप पर अपने मन पर बड़ी मुश्किल से काबू करके रखे हुए थी। जिस दिन से उसने अपने बेटे के खड़े लंड को हाथ में लेकर हीलाई थी उस कुछ पल के अंदर जो उसने अपने तन बदन में अपने बेटे के लंड़ की गर्मी को महसूस की थी वह गर्मी अभी भी उसकी टांगों के बीच उसकी बुर में खलबली मचाती रहती थी। अब वह ज्यादातर अपने बेटे से दूरी बनाए रखती थी क्योंकि अपने बेटे को सामने पाकर वह उत्तेजित हो जाया करती थी और उस समय वह अपने बेटे के लंड़ को अपनी बुर में घुसवाकर चुदवाने के लिए कमजोर पड़ती जाती थी। उत्तेजनातृमक स्थिति में सुगंधा की खूबसूरती और भी ज्यादा निखरती जा रही थी। अपने बेटे से दूरी बनाते हुए भी सुगंधा रोज अपने बेटे के मोटे खड़े लंड को याद करके अपनी उंगली से अपनी दूर की गर्मी शांत करने की कोशिश कर रही थी और यही क्रम रोहन का भी था जिस दिन से उसकी मां ने खुद अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर ही लाई थी उस दिन से उसके तन बदन में एक अजीब सी हलचल मचने लगी थी अपनी मां को पाने के लिए वह तड़प रहा था अपनी मां की प्यासी नजरों को अच्छी तरह से पहचानने लगा था रोहन पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना हो चुका था आए दिन हुआ अपनी मां को नंगी देखने का अवसर ढूंढता रहता था लेकिन उसे वह अवसर प्राप्त नहीं हो पा रहा था जिसकी वजह से वह अपनी मां को लेकर काफी परेशान था इतना तो वह समझ ही गया था कि उसकी मां भी प्यासी औरत थी और उसके लंड के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी वरना वह उसके कमरे में आकर उसके लंड को पकड़ कर हिलाती नही। वह मन ही मन में यह सोच कर परेशान हो रहा था कि क्या उसकी मां उसके लंड को अपनी बुर में डलवाना चाहती है लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां बहुत ही संस्कारी औरत थी लेकिन जिस दिन से अपनी मां की हरकत को देखा था उस दिन से अपनी मां के प्रति उसका यह ख्याल धुंधला होता जा रहा था उसे पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां भी चुदवाना चाहती है ।लेकिन शायद अपने मुंह से बोल नहीं पा रही है और बोलती भी कैसे भला कोई मां अपने बेटे को कैसे कहां सकती है कि वह उससे चुदवाना चाहती है ।यह तो बेटे को ही करना पड़ेगा । रोहन यही बात अपने मन में सोच रहा था कि आप उसे ही ऐसा कुछ करना होगा कि उसकी मां खुद नंगी होकर उसके बिस्तर पर आ जाए और उसे चोदने के लिए बोल दो लेकिन क्या किया जाए यह उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था हर दिल बड़ी मुश्किल से गुजर रहा था रोहन पढ़ाई-लिखाई बिलकुल छोड़ चुका था बस दिन-रात अपनी मां के नंगे बदन के बारे में सोच कर अपनी प्यास को और बढ़ा रहा था….
बेला भी कुछ दिन से रोहन की प्यास बुझाने का नाम नहीं ले रही थी …..
रह-रहकर रोहन थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां से दो अर्थ वाले शब्द में बातें करने लगा था जिसका अंदाजा उसकी मां को भी लग चुका था . लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी बल्कि अपने बेटे की इस तरह की बात का आनंद लेते हुए अपनी बुर को बार-बार गीली कर दे रही थी…. ऐसे ही एक दिन बेला के ना आने पर सुगंधा खुद ही रसोई घर में खाना बना रही थी. . शाम ढल चुकी थी रात धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी सुगंधा भोजन पकाने में व्यस्त थी रोहन घर लौट कर इधर उधर अपनी मां को ना पाकर सीधे वह रसोई घर में चला गया……. रसोई घर में घुसते ही रोहन की नजर सीधे अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर पड़े जो कि इस समय साड़ी कमर में बांधने की वजह से उसकी साड़ी का कसाव नितंबों के घेरे पर कुछ ज्यादा ही कस गई थी जिसकी वजह से उसकी मां की गांड का उभार कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा था….. और साड़ी थोड़ी ऊपर की तरफ खींच कर बात होने की वजह से उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी। यह नजारा देखते ही रोहन का लंड ठुनकी मारने लगा। रोहन अपनी मां की मदमस्त गांड को देखते हुए पानी के मटके के पास गया और पानी निकाल कर पीने लगा लेकिन लगातार उसकी नजर उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी रसोई घर में रोहन के आने की आहट सुगंधाको महसूस हो गई थी इसलिए वह पीछे मुड़कर देखे तो रोज ही था लेकिन उसकी नजरें उसकी मदमस्त गांड पर टिकी हुई थी और यह बात जानते ही सुगंधा के बदन में सुरसुरी सी दौड़ गई.. सुगंधा जान गई कि उसका बेटा उसकी गांड देख रहा है… एक मां के लिए बड़ी शर्म की बात होती है जब उसका बेटा प्यासी नजरों से उसकी गांड को देख कर मस्त हुआ जाता है लेकिन यहां पर आलम कुछ और था वहां पर सुगंधा को अपने बेटे का इस तरह से उसकी गांड ताड़ना बेहद रोमांचक और उत्तेजना से भरपूर लग रहा था इस बात का सबूत उसकी पैंटी थी जो कि धीरे-धीरे उसकी बुर से निकल रहे मदन रस के रिसाव से धीरे-धीरे उसकी बुर से निकल रहे मदन रस के रिसाव से धीरे-धीरे गिली हो रही थी। पानी पी लेने के बावजूद भी रोहन जानबूझ कर मटके के करीब खड़ा था क्योंकि उस जगह से उसकी मां की मदमस्त गांड बहुत ही बेहतर तरीके से नजर आ रही थी सुगंधा भी अपने बेटे की प्यासी नजरों को उतारकर पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी वह रोटियां सेंक रही थी लेकिन वह इस बात को नहीं जानती थी कि गर्म तवे पर रोटी या सेकने से रोटी फूलती तो है लेकिन उसे बिना खाए भूख नहीं लगती जो कि यही हाल उसकी बुर का भी था जो कि बार-बार जवानी के तवे पर पाव रोटी की तरह फूल जा रही थी जो कि यह इसका इलाज बिल्कुल भी नहीं था गरम पूरी हुई बुर का सच्चा और सचोट इलाज मोटा तगड़ा टनटनाता हुआ लंड ही था जो कि उसके बेटे के पास था। सुगंधा के बदन पर मस्ती का आलम चढ़ता जा रहा था वासना की परतें उसकी आंखों को ढकती चली जा रही थी वह जानबूझकर अपने नितंबों को दाएं बाएं करके मटका रही थी जो कि उसकी यह हरकत उसके ही बेटे पर छुरियां चला रही थी…. धीरे-धीरे अपने बदन का मदन रस पिलाते हुए वह अपने बेटे को पूरी तरह से कामोत्तेजना के दलदल में खींचते चली जा रही थी जो कि इसमें ना तो सुगंधा की गलती थी और ना ही रोहन की गलती थी दोनों के भावनाओं की दोनों के विचार के और उनके हालात की सुगंधा जो कि बरसों से एक प्यासी औरत की तरह जिंदगी जी रही थी उसकी दूधली जिंदगी में रोहन के गठीला बदन और उसके दमदार लंड की वजह से थोड़ी बहुत रंगीनियत आ रही थी। उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था साथ ही रोहन जोकि जवान हो रहा था और अपनी उम्र के हिसाब से उसका मन औरतों के अंगों के प्रति आकर्षित होना औरतों को चोदने के लिए मन तड़पना यह सब लाजिमी था……
सुगंधा रोटी बनाते बनाते ही बड़ी चंचलता से कभी दाया पैर हल्के से उठा लेती तो कभी बायां पैर एक अजीब सी कशिश उसकी इस हरकत में भरी हुई थी जो कि रोहन के लिए अपने मन पर संयम कर पाना बड़ी मुश्किल कर रही थी सुगंधा की यह अदा यह हरकत ऐसा लग रहा था मानो कोई नवविवाहित पत्नी अपने पति को अपनी हरकतों से रिझा रही हो।।
रोहन के पेंट में तंबू बन गया था जोकि सुगंधा तिरछी नजर से देख ली थी और पेंट में बने तंबू को देखते ही उसकी आंखों के सामने वह दृश्य नाचने लगा जब वह रोहन के कमरे में गई थी और रोहन बेसुध होकर एकदम नंगा सो रहा था और उसका दमदार लंड छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था उस नजारे को याद करके एकदम मस्त होने लगी ऐसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और अनजाने में ही वह अपनी गांड़ जानबूझकर मटका रही थी।
रोहन का रोम-रोम उत्तेजना से झनझना रहा था। करता भी क्या उसकी आंखों के सामने नजारा जो इतना मादकता से भरा हुआ था रोहन की आंखों के सामने सिर्फ और सिर्फ उसकी मां की बड़ी बड़ी चौड़ी ग़दराई हुई गांड ही नजर आ रही थी। कुछ देर तक यूं ही ताका झांकी चलती रही तो सुगंधा ही खामोशी को तोड़ते हुए बोली….
यहां क्या कर रहे हो बेटे?..
Family sex मेरा बेटा ऐसा नही है compleet
कुछ नहीं मम्मी प्यास लगी थी तो चला आया। (इतना कहते हुए रोहन अपनी मां के करीब जाने लगा उसे अपनी तरफ आता देखकर सुगंधा का तन बदन उत्तेजना से सुरसुरा ने लगा क्योंकि उसे वह दिन याद आ गया जब वह अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी और रोहन इसी तरह से आकर उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया था और अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर जोर जोर से रगड़ रहा था सुगंधा को यह लगा कि शायद आज भी वह ऐसा ही करेगा लेकिन ऐसा कुछ रोहन ने नहीं किया मैं सीधे अपनी मां की बगल में खड़ा होकर किचन टेबल पर रखा हुआ दूधी उठा लिया और बोला….)
आज क्या बना रही हो मम्मी. …
आज दूधी बना रही हूं रोहन तुम्हें पसंद है ना…..
मुझे तो बिल्कुल भी नहीं पसंद है मम्मी हां तुम्हें जरूर पसंद होगा लंबा लंबा और मोटा मोटा दूधी…. ( रोहन ऐसा कहते हुए अपने अंगूठे और उंगली से गोल बनाकर धोती को उसने से अंदर बाहर करते हुए बोला रोहन जानबूझकर इस तरह की दो अर्थों वाले बात कर रहा था जिसका मतलब सुगंधा को समझ में आते ही उसकी बुर फूल ने पीचकने लगी। जिस अंदाज से रोहन अपनी गोलियों के बीच में से दूधी को अंदर बाहर कर रहा था उसका अर्थ साफ था…. ऐसा कहने के बाद रोहन तिरछी नजर से अपनी मां की तरफ देख रहा था जिसके चेहरे को देख कर उसे भी साफ पता चल रहा था कि उसके कहने के मतलब को उसकी मां समझ गई थी इसलिए वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और वह भी मजे लेते हुए बोली …)
हां मुझे मालूम है तुम्हें यह दूधी जैसी लंबी लंबी चीजें पसंद नहीं है तो मैं तो आम संतरे नारंगी या यही सब पसंद है क्योंकि यह सब तुम्हारे काम की है ना. ..
मेरे काम की है .. मैं कुछ समझा नहीं…. ( रोहन जानबूझकर अनजान बनते हुए बोला)
अरे इन्हीं चीजों से तो तुम्हें ताकत मिलती है ना …. (सुगंधा रोटी बेलते हुए बोली)
तुम्हें कैसे मालूम कि मुझे गोल-गोल चीज ही पसंद है…..
जैसे तुम जानते हो कि हमें लंबा लंबा चीज पसंद है….. ( सुगंधा रोहन की तरफ देखकर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली अपनी मां की इस तरह की बातें सुनकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया अच्छी तरह से जान रहा था कि उसके बातों का मतलब उसकी मां समझ रही थी और उन मतलब के हिसाब से ही जवाब भी दे रही . . .)
मम्मी तुम तो बहुत समझदार हो गई हो क्या करूं बेटा आजकल के लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए चालाक बनना पड़ता है…. ( सुगंधा तवे पर रोटी सेकते हुए बोली.. और चोर नजरों से रोहन के पेंट की तरफ से कह रही थी जो की पूरी तरह से तंबू से तना हुआ था यह देख कर सुगंधा की बुर गीली होने लगी इस तरह की बातें करने में सुगंध को भी मजा आ रहा था एक अजीब तरह का सुकून और प्यास का एहसास हो रहा था सुगंधा बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
तुम चलो हाथ मुंह धोकर बैठो मैं खाना लेकर आती हूं……
ठीक है मम्मी लेकिन दूध मैं नहीं पियूंगा…..
ऐसे कैसे नहीं पियोगे मेरा दूध है……. (अपनी मां के मुंह से इतना सुनते ही रोहन का सारा ध्यान उसकी नजर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गोल गोल छातियों पर चली गई जो कि इस समय ब्लाउज के अंदर कैद होने के बावजूद भी बहुत ही मादक और उत्तेजना से भरपूर लग रही थी.. रोहन आंखें फाड़े अपनी मां की ब्लाउज में कैद चूचियों को देखता ही रह गया खास करके बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की पतली दरार को जिसने वह समा जाना चाहता था सुगंधा ने जब अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी चूचियों पर इस्तीफा ही तो अंदर ही अंदर उत्तेजना से सिहर उठी और अपनी बात को संभालते हुए बोली …)मेरा मतलब है कि इतनी अच्छी तरह से काजू बादाम डालकर पका रही हूं तुम्हें पीना ही होगा तभी तो तुम्हें ताकत मिलेगी…..
( सुगंधा के इस तरह की बात सुनकर रोहन उत्तेजना से गदगद हुए जा रहा था क्योंकि अनजाने में उसके मुंह से मेरा दूध है ऐसा निकल गया था जिसको सुनकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था लेकिन अगले ही पल सुगंधा के इस तरह की बात सुनकर रोहन उत्तेजना से गदगद हुए जा रहा था क्योंकि अनजाने में उसके मुंह से मेरा दूध है ऐसा निकल गया था जिसको सुनकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था लेकिन अगले ही पल सुगंधा अपनी बात को संभालते हुए बात पूरी कर दी थी रोहन इतना तो समझ गया था कि… इस तरह की बातें उसकी मां को भी पसंद आ रही है… ऐसा लगने लगा था कि दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी रोहन भी रसोई घर से बाहर चला गया और थोड़ी देर में दोनों भोजन करके अपने अपने कमरे में चले गए
भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते