Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

सुगंधा जो कि अभी तक अपने आप को वासना में हवा से से बचाए हुए थी वह मादकता भरी हवा अब उसके जेहन को झकझोर ने लगी थी ना चाहते हुए भी सुगंधा उस खुशबू की तरह आकर्षित हुए जा रही थी जिस खुशबू को वह बिस्तर पर बरसों पहले छोड़ चुकी थी और वैसे भी किसी भी महिला के सामने अगर बार-बार इस तरह के कामोत्तेजक नजारे देखने को मिल जाए तो वह कितनी भी संस्कारी और मर्यादामई क्यों ना हो उसके पांव फिसल ना लाजमी हैं।
खेत में पहले ही वह चुदाई के दृश्य को देख चुकी थी जैसे बड़ी मुश्किल से वह भुला पाई थी कि तभी अनजाने में ही उसकी आंखों के सामने उसके ही बेटे के खड़े मोटे तगड़े और लंबे लंड को देखकर टांगों के बीच सुरसुराहट महसूस करने लगी थी। और उस पर से आज जो अंगूर के बगीचे में झोपड़ी में उस औरत की करम सिंह के द्वारा ताबड़तोड़ कमर हिलाते हुए जबरदस्त चुदाई देखकर उस पल का एहसास अभी तक उसकी जांघों के बीच महसूस हो रहा था घर पर आकर सुगंधा को इस बात का अहसास हो गया था कि उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी एक पल के लिए तो उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन अगले ही पल उसे अपनी किस्मत सबसे बेकार नजर आने लगती क्योंकि वह इतनी अत्यधिक खूबसूरत होने के बावजूद भी शरीर सुख का आनंद बरसों से धरा का धरा रह गया था और गांव की ऐसी वैसी जो की खूबसूरत भी नहीं थी उस तरह की औरतों को खूब मजे लेकर चुदवाते हुए देखकर उनकी किस्मत से सुगंधाको जलन सी महसूस होने लगी थी और अपने पति पर उसे गुस्सा भी आने लगा था वह यही सब सोच रही थी कि तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनाई दी बाहर रोहन खड़ा था और बार-बार वह अपनी मां को आवाज दे रहा था दरवाजे पर हो रही खटखट की आवाज सुनकर उसका ध्यान टूटा। तो वह बिस्तर पर से उठकर दरवाजे की करीब गई और दरवाजे की कुंडी खोल दी लेकिन इस हड़बड़ाहट में वह वह साड़ी का पल्लू ठीक करना भूल गई जो कि उसके कंधे से नीचे गिरी हुई थी। दरवाजा खुलते ही रोहन कुछ बोलने वाला था कि उसके शब्द मुंह में अटक गए आंखें खुली की खुली रह गई ऐसा लग रहा था कि मानो उसकी आंखें पलक झपकाना ही भूल गई हो। लेकिन जिस तरह के हालात उसकी आंखों के सामने थे ऐसे हालात में रोहन करता भी तो क्या करता दरवाजा खोल दे उसकी आंखों के सामने जो बड़े बड़े खरबूजे दिखाई दिए उसको देखते ही उसकी आंखों की चमक बढ़ गई थी उसके मुंह में पानी आने लगा था इसमें सारा दोष सुगंधा का ही था वह ख्यालातो मैं इस कदर डूब गई थी कि वह अपने ब्लाउज के दो बटन बंद करना ही भूल गई थी और तो और वह अपने साड़ी के पल्लू को कंधे पर रखना भूल गई थी रोहन की प्यासी नजरें तो वैसे ही इस तरह के मालिक ने चारों की प्यासी थी और आंखों के सामने प्यास बुझाने का कुआं नजर आते ही वह सब कुछ भूल कर बस उसी तरफ देखने लगा एक तो पहले से ही सुगंधा के दोनों खरबूजे एकदम पके हुए थे और गोलाई में भी काफी कसे हुए नजर आते थे और ऊपर से उन दोनों खरबूजे को कैद में रखने वाले वस्त्र के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से आधे से ज्यादा चुचियां ब्लाउज के बाहर झलक रही थी । यह देखकर तो रोहन के मुंह से लार टपकने लगी जी मैं आ रहा था कि दोनों हाथों से अपनी मां के खरबूजे को दबाकर उनका रस निचोड़ डाले।
गजब का नजारा बना हुआ था एक तरफ कमरे के बाहर दरवाजे पर रोहन खड़ा था तो दूसरी तरफ कमरे के अंदर दरवाजे पर उसकी मां खड़ी थी जिसके अस्तव्यस्त वस्त्रों की वजह से रोहन की मां बेहद कामुक लग रही थी इस अवस्था में कोई भी मर्द अगर औरत को अपनी आंखों के सामने देख ले तो वह उसे अपनी बाहों में भर कर उनके दोनों खरबूजो को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दे लेकिन रोहन में अभी इतनी हिम्मत नहीं थी दरवाजा खुलते ही सामने रोहन को देखकर सुगंधा बोली
क्या बात है बेटा?

( इतना सुनकर भी जैसे सुगंधा की बातों का रोहन पर बिल्कुल भी असर नहीं हुआ वह तो आंखें फाड़े अपनी मां की दोनों गोलाईयो को देखे जा रहा था इस बात का एहसास है जब सुगंधाको हुआ कि उसका बेटा आंखें फाड़े ब्लाउज में से जांच की उसकी दोनों चूचियों को देखे जा रहा है तो वो एकदम से सकपका गई। वह तुरंत अपनी साड़ी से अपने स्तनों को ढकते हुए कंधे पर रख ली और जैसे ही एक खूबसूरत मादक नजारे पर पर्दा पड़ते ही जैसे रोहन को होश आया हो इस तरह से हड़ बढ़ाते हुए बोला। )

ममममम मम्मी मुझे कुछ पैसे चाहिए।

पैसे चाहिए क्यों पैसे चाहिए और इतनी जल्दी जल्दी तुम पैसे लेते हो पैसों का करते क्या हो( रोहन को आंखें फाड़े अपनी चूचियों को देखता हुआ पाकर सुगंधा थोड़ा गुस्से में थी )

मम्मी मुझे जरूरत है इसलिए चाहिए।

हां मुझे मालूम है तेरी जरूरतों के बारे में उन आवारा लड़कों के पीछे खर्चा करना ही तेरी जरूरत है ना । (इतना कहते हुए सुगंधा कमरे के अंदर अलमारी की तरफ जाने लगी रोहन अभी भी दरवाजे पर खड़ा था और अपनी मां को जाते हुए देखा तो उसकी नजर अपनी मां की कमर के नीचे भराव दार नितंबों पर चली गई जो कि मटकते हुए और भी ज्यादा मादक लग रही थी रोहन थोड़ा हिम्मत जुटा ते हुए कमरे के अंदर गया और अपनी मां को पीछे से उसके गले में अपनी दोनों बाहें डालकर दुलार करते हुए बोला ।)

मेरी प्यारी मम्मी आप खर्चा करने वाला दूसरा कोई है क्या अब मैं ही हूं तो मुझे दे दिया करो।
( सुगंधा अपने बेटे को इस तरह से दुलार करते हुए देखकर पिघल गई कुछ देर पहले जो कि उसकी हरकत की वजह से क्रोधित थी पल भर में उसका गुस्सा फुर्र हो गया और अपने बेटे की हरकत की वजह से सुगंधा मुस्कुरा दी और अलमारी खोलने लगी लेकिन रोहन के तन बदन में उत्तेजना का सैलाब उठने लगा क्योंकि जिस तरह से वह अपनी मम्मी को पीछे से पकड़ कर उसके गले में बाहें डाल कर खड़ा था इस अवस्था में अपनी मां के नरम नरम और बड़े-बड़े गांड का स्पर्श ठीक उसके मोटे तगड़े लंड पर हो रहा था जो कि पलभर में ही तन कर लोहे का रोड हो गया रूम की हालत खराब हो रही थी उसे अपनी मां की तरफ से डर भी लग रहा था लेकिन जिस तरह का आनंद उसे मिल रहा था वह अपने आप को रोक नहीं पा रहा था सुगंधा की बड़ी बड़ी गांड उसके लंड से स्पर्श हो रही थी इस बात से अनजान सुगंधा अलमारी खोलकर डा्ॉअर में से अपना पर्स निकाली और उसमें से सो सो के नोट निकालने लगी लेकिन इतने में उसे इस बात का अहसास हो गया कि उसके नितंबों के बीचो बीच कुछ चुभ रहा है लेकिन इस बात पर उसने ज्यादा ध्यान ना देकर बटुए के पैसे को गिनने लगे और दूसरी तरफ रोहन थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपनी कमर के नीचे वाले भाग को हल्के से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर दबाया ।
और इस बार अपनी गांड पर हो रहे कुछ ज्यादा चुभन की वजह से सुगंधा को समझते देर नहीं लगी कि जो चीज उसकी गांड के बीच भी चुभ रही है वह कुछ और नहीं बल्कि रोहन का लंड है और इस बात का अहसास होते ही उसका पूरा बदन उत्तेजना से गन गना गया। उसे समझ में नहीं आया कि क्या करें रोहन अभी भी उसे उसी अवस्था में पकड़े हुए था बल्कि उसके नथुनों से निकल रही उसकी गर्म गर्म सांसे सुगंधा के गर्दन पर महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूट रही थी। पल भर में सुगंधा की सांसे तेज चलने लगी उसे अब यह समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की इस हरकत पर वह गुस्सा करें या इसका आनंद लें लेकिन उसका दिमाग उसे कुछ कहता इससे पहले ही उसके बदन की जरूरत रोहन की इस हरकत को अपनाने लगी जिस तरह से रोहन अपनी मां को बाहों में भर कर अपने लंड के कठोर बन का एहसास उसकी मदमस्त गांड पर करा रहा था उस हरकत को महसूस करके सुगंधा को अपने जवानी के दिन याद आने लगे थे सुगंधा जानबूझकर अब धीरे-धीरे नोट को गिनने लगी। सुगंधा को इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि रोहन बार बार अपनी कमर के नीचे वाले भाग को उसके नितंबों पर दबा दे रहा था । रोहन की पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने को तैयार था रोहन अपनी मां के रुई से भी नरम बदन और गुदाज नशीले नितंबों का अनुभव बहुत अच्छी तरह से कर रहा था। उसके जी में तो आ रहा था कि वह अपने दोनों हाथों में अपनी मां की दोनों चुचियों को दबाता हुआ उसकी साड़ी ऊपर उठाकर पूरा लंड उसकी बुर में पेल दे। जिस तरह से उसकी मां बटुए में से ने नोट गिनने में देरी कर रही थी रोहन को समझ में आ रहा था कि उसकी मां को भी उसकी हरकत अच्छी लग रही थी। इसलिए वह अपने मन में ही बोला।

अगर यह सब तुम्हें अच्छा लग रहा है मम्मी तो अपने मुंह से हां क्यों नहीं बोल देती बस एक बार मुझे इशारा तो कर दो मैं तुम्हारी प्यासी बुर को अपने लंड से चोद कर एकदम तृप्त कर दूंगा तुम मस्त हो जाओगी मम्मी बस एक बार हल्का सा इशारा कर दो।

रोहन अपने आप से ही अपने मन में यह सब बातें करके अपने अंदर की भावना को प्रकट कर रहा था लेकिन उसकी मां को क्या मालूम था कि वह क्या चाहता है लेकिन जिस तरह की हरकत वा कर रहा था इतना तो सुगंधा समझ गई थी कि रोहन अब जवान हो गया था कुछ देर तक सुगंधा भी अपने बेटे की इस हरकत का पूरी तरह से आनंद उठाते हुए खड़ी रही लेकिन उसके मन में यह ख्याल आया कि कहीं उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा ना बांध ले इसलिए वह रोहन को अलग करते हुए बोली।

बस बस इतना मस्का लगाने की जरूरत नहीं है मैं तुझे दे रही हूं कैसे अगर तुझे नहीं दूंगी तो किसे दूंगी ।
(इतना कहकर सुगंधा खुद ही रोहन से अलग हो गई और रोहन को सांसों की 5 नोट थमाते हुए चोर नजरों से उसके पजामे की तरफ देखी तो सन्न रह गई पजामे के अंदर रोहन का लंड बुरी तरह से खडा था जो कि पजामे के अंदर तंबू सा बनाया हुआ था यह देखकर सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी सुगंधा अपने बेटे को इस बात का एहसास बिल्कुल नहीं होने दी की जो हरकत उसने किया था उसका अहसास उसे जरा सा भी हुआ है वह एकदम सामान्य तरीके से उससे बातचीत कर रही थी और जानबूझकर अपना ध्यान घर के काम में लगा रह

सुगंधा अपने बेटे को इस बात का एहसास बिल्कुल नहीं होने दी की जो हरकत उसने किया था उसका अहसास उसे जरा सा भी हुआ है वह एकदम सामान्य तरीके से उससे बातचीत कर रही थी और जानबूझकर अपना ध्यान घर के काम में लगा रही थी ताकि वह कमरे से बाहर चला जाए और ऐसा ही हुआ रोहन अपनी मां के हाथों से पैसा लेकर कमरे से बाहर चला गया रोहन को जाते हुए सुगंधा देखती रह गई और उसके बारे में सोचने लगी कि क्या सच में वह खुद की मां को देखकर इस तरह से उत्तेजित हो जाता है क्योंकि जिस तरह से वह हरकत किया था अगर उसके बदन में उत्तेजना बिल्कुल भी नहीं होती तो उसका लंड खड़ा नहीं होता इतना तोड़ सुगंधा समझ गई थी कि वह जानबूझकर अपने लंड का दवा उसकी गांड पर बढ़ा रहा था क्योंकि अगर अनजाने में ऐसा होता तो बार-बार रह-रहकर उसके कमर के नीचे वाला भाग उसके गांड पर दबाव ना बना रहा होता कुछ देर तक सुगंधा अपने बेटे के बारे में सोचते हुए बिस्तर पर बैठी रही लेकिन इस बात से वह इंकार भी नहीं कर सकती थी कि जिस तरह का एहसास उसने करा दिया था उसकी सोई हुई उन्माद उसकी वासना कुछ कुछ जागरूक हो रही थी एक तरफ उसे अपने बेटे की हरकत से प्रसन्नता भी हो रही थी तो किस बात की ग्लानि भी हो रही थी कि एक बेटा अपनी मां के साथ ऐसा कैसे कर सकता है वह इस बारे में सोचती हुई वहीं बैठी रह गई इस बात का एहसास सुगंधा को बिल्कुल भी नहीं था कि रिश्तो में भी आकर्षण बराबर बना रहता है भले वह रिश्ता मां बेटे भाई बहन का हो क्योंकि मर्द को हर रिश्ते में सबसे पहले एक औरत ही नजर आती है रोहन के साथ भी ऐसा ही हो रहा था सुगंधा उसकी मां होने के बावजूद भी रोहन उसे एक औरत के रूप में देखने लगा था क्योंकि उसके नजरिए में आकर्षण ने जन्म ले लिया था और सुगंधा तो वैसे भी खूबसूरती की मिसाल थी

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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