रोहन को खुश देखकर सुगंधा भी खुश हो रही थी … क्योंकि बच्चों की ही खुशी में तो मां की खुशी होती है ओर सुगंधा भी यही चाहती थी कि उसका बेटा हमेशा खुश रहे…
सुगंधा को अपने बेटे का इस तरह से नहाना अच्छा लग रहा था उसके चेहरे से मासूमियत झलक रही थी तभी रोहन एक लोटा पानी उठाकर अपने ऊपर डाल दिया जिसकी वजह से उसके चेहरे पर साबुन का झाग निकलने लगा वह धीरे धीरे उस की चौड़ी छातियां एकदम गोरी और चमकने लगी…. सुगंधा को अपने बेटे का शरीर देखने में आनंद के साथ साथ गर्व की अनुभूति होने लगी लेकिन सुगंधा एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और जिस तरह का नजारा वहां चोरी-छिपे देख रही थी ऐसे में औरतों के मन में एक जिज्ञासा सी हो जाती है और वही जिज्ञासा सुगंधा के मन में भी पनपने लगी वह अपने बेटे के खूबसूरत बदन के नीचे की तरफ अपनी नजरें ले जाना चाहती थी लेकिन कहीं ना कहीं उसकी मर्यादा उसके संस्कार उसे रोक रहे थे एक तरफ मां का दिल कहता था कि बस इतने ज्यादा देखना ठीक नहीं है तो कहीं एक औरत का दिल कह रहा था कि नीचे की तरफ नजर घुमाया जाए आखिरकार देख लिया जाए की कमर के नीचे उसका बेटा कितना बड़ा हुआ है लेकिन वह काफी असमंजस में पड़ चुकी थी कभी उसका मन देखने को होता तो कभी इंकार करने लगती लेकिन रोहन का गठीला बदन धीरे धीरे सुगंधा को सम्मोहित कर रहा था वह अपने आप से ही मन ही मन में कहने लगी कि देख लेने में क्या हर्ज है आखिरकार वह पूरा नंगा तो होगा ही नहीं नीचे उसने चड्डी पहन रखी होगी दो नीचे देखने में कोई हर्ज नहीं है और अपने आप को ही इस तरह का जवाब देकर वह अपनी नजरों को नीचे की तरफ ले जाने लगी लेकिन जैसे जैसे वह अपनी नजर नीचे की तरफ ले जा रही थी उसके दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी यह क्यों हो रहा था यह उसे भी नहीं मालूम था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके तन बदन में एक अजीब सी हलचल हो रही थी मन में उत्सुकता के बादल मंडराने लगे थे…
रोहन इस बात से अनजान की उसकी मां उसे इस अवस्था में देख रही है वह एकदम मस्त होकर नहाने में जुटा हुआ था कभी व नल चलाने लगता तो कभी पानी उठा कर अपने ऊपर डालने लगता ठंडे ठंडे पानी से उसके तन बदन को और दिमाग को ताजगी महसूस हो रही थी लेकिन दिलो दिमाग की ताजगी से बिल्कुल परे जवानी से भरपूर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था उसमें बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था जिसे वह बार-बार अपने हाथ से सहला दे रहा था और ऐसा करने में उसे मजा भी आ रहा था…..
सुगंधा की नजरें उत्सुकता बस उसकी चौड़ी छाती यू से नीचे की तरफ जा रही थी … धीरे-धीरे करके सुगंधा की नजरें कमर तक पहुंच गई बस अब वह अपनी नजरों को रोक लेना चाहती थी इससे आगे का दृश्य वह देखना नहीं चाहती थी क्योंकि ऐसा करने में उसे पाप महसूस हो रहा था लेकिन उत्सुकता उसे ऐसा करने से रोक रहे थे वह बार-बार अपने मन को मनाती कि ऐसा ना करें लेकिन वह एकदम मजबूर हो जा रही थी क्योंकि रोहन के गठीले बदन का आकर्षण कहीं ना कहीं उसके दिलो दिमाग पर भी जोर डाल रहा था… और वह मजबूर होकर अपनी नजरों को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी….. रोहन के दिमाग में यह चल रहा था कि आज जब पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर नहा रहा हुं. तो क्यों ना साबुन लगाकर अपने लंड की भी सफाई कर ली जाए….. इसलिए वह फिर से साबुन उठा दिया और अपने लंड पर साबुन लगाने के लिए अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाने लगा और वहां दूसरी तरफ किवाड़ की दरार में से झांक रही सुगंधा की नजर धीरे धीरे नीचे की तरफ फिसल रही थी और अगले ही पल जैसे उसकी नजर कमर से नीचे की तरफ गई उसकी तो सांसे ही अटक गई कमर के नीचे का नजारा देखकर सुगंधा की सांस ना तो अंदर आ रही थी ना तो बाहर ही जा रही थी ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसे सांप सॉन्ग गया हो सुगंधा के लिए जैसे समय थम सा गया था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो देख रही है वह सच है उसे अपने आप पर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था सुगंधा भी क्या करती अंदर का नजारा ही ऐसा था कि उसे अपने आप पर तनिक भर भी भरोसा नहीं हो रहा था कि वह जो देख रही है वह सच है….. रोहन का लंड कुछ इस तरह से खड़ा था कि उस में तनिक भी ढीलापन नहीं था…. उसका वास्तविक आकार कुछ गजब का था जिससे सुगंधा पूरी तरह से आकर्षित हुए जा रही थी तभी उसके देखते ही देखते रोहन साबुन को अपने लंड पर रगड़ने लगा और जैसे-जैसे साबुन लगाते समय रोहन का लंड इधर उधर हो रहा था …वैसे वैसे सुगंधा की जांघों के बीच सुरसुरा हट मचने लगी थी…. एक अजीब सी हलचल सुगंधा के तन बदन में पैदा हो रही थी उसने वैसे तो अभी तक अपने पति के ही लंड के दर्शन किए थे लेकिन उसके मन में यह धारणा बन गई थी कि उससे ज्यादा या मोटा किसी भी मर्द का नहीं होता है इसलिए उसकी कल्पनाओं में भी अपने पति के सामान ही लंड की रचना होती रहती थी… इसलिए अपनी आंखों के सामने अपने बेटे का इतना तगड़ा मोटा और लंबा लंड देखकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी सारी धारणा धरी की धरी रह गई थी……
पल भर में सुगंधा के तन बदन में गर्माहट का संचार होने लगा सुबह की ठंडी ठंडी हवा भी उसे गर्मी देने लगी अब आलम यह था कि वह चाहकर भी अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी हालांकि उसे यहां समझ में आ रहा था कि जो वह कर रहे हैं वह गलत है लेकिन फिर भी ना जाने कैसी कशिश बनी हुई थी कि वह अपने बेटे के लंड से अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी…
देखते ही देखते सब कुछ बदलने लगा था सुगंधा की सारी मर्यादाए संस्कार सब कुछ धुंधली होती नजर आ रही थी….
रोहन बड़ी मस्ती के साथ अपने घर पर साबुन रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था उसके तन बदन में भी गर्माहट पैदा हो रही थी इसलिए अपने आप ही उसके मुंह से गाना गुनगुनाना बंद हो गया था और वह अपना सारा ध्यान अपने लंड पर लगाए हुए था वह इस बात से पूरी तरह से अनजान थाकी बाहर उसकी मां सब कुछ देख रही है…. अपनी मस्ती में अपने खड़े लंड पर साबुन रगड़ रहा था…. अपने बेटे के विशाल लंड को देखकर अपने आप ही सुगंधा की बुर गीली होने लगी….. उसे इस बात का एहसास तब हुआ जब उसे अपनी जांघों के बीच हल्की सी खुजली महसूस हुई और वह अपनी बुर खुजलाने के लिए अपना हाथ नीचे की तरफ ले गई तो उसे अपने बुर के इर्द-गिर्द कुछ ज्यादा ही गीलापन महसूस होने लगा और वह समझ गए कि यह क्या है….
अपने हाल को देखते हुए उसे शर्मिंदगी का एहसास होने लगा वह वहां से हट जाना चाहती थी लेकिन उस नजारे पर से अपना नजर हटाने में उसे दुविधा हो रही थी …. सुगंधा पूरी तरह से आकर्षण में बंध़ती चली जा रही थी…. सुगंधा अपने बेटे को अभी तक मौसम समझ रही थी लेकिन उसके हथियार को देख कर वह अपने बेटे के बारे में कुछ भी फैसला कर पाने में असमर्थ साबित हो रही थी ….. उसके मन में यह ख्याल आ रहा था कि कहीं अपने आवारा दोस्तों के साथ रहकर रोहन भी तो उन आवारा लड़कों की तरह आवारा तो नहीं हो गया कहीं वह भी गंदे सोबत में पड़ कर गंदी हरकतें तो नहीं करने लगा लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल आया कि अभी तक रोहन ने कुछ ऐसी वैसी गंदी हरकत नहीं किया था जिसे देख कर यह कहा जाए कि उसका लड़का भी उन आवारा लड़कों की तरह गंदा हो गया है…. वह अपने आप से ही बात करते हुए मन ही मन में बोली की अपने अंग को इस तरह से साफ करना कोई गलत बात तो नहीं है और उसकी उम्र को देखते हुए यह अपने आप ही हो गया होगा कि उसका लंड खड़ा हो गया…
रोहन के लिए गनीमत वाली बात यह थी कि उसने अभी तक सफाई के अलावा कुछ गंदी हरकत नहीं किया था हालांकि उसके मन में अभी भी उसकी मां और बेला को लेकर गंदी बातें चल रही थी…. इसलिए सुगंधाको यह सब सामान्य ही लग रहा था लेकिन अपने बेटे के हथियार को वह बिल्कुल भी सामान्य तौर पर नहीं ले रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने इतने तगड़े लंड को जो देखी थी…. सुगंधा की पेंटी पूरी तरह से खेली हो चुकी थी एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन को झकझोर से गई क्योंकि ना जाने क्यों उसका मन कर रहा था कि रोहन कुछ गंदी हरकत करें उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी वह सोच रही थी कि जैसे दूसरे लड़के अपने लंड के साथ अपने हाथ से गलत हरकत करते हैं उसी तरह की हरकत उसका बेटा भी करे ना जाने तो उसकी आंखों की प्यास बढ़ती जा रही थी उसकी आंखें कुछ और देखना चाह रही थी लेकिन रोहन तो अभी आपने इस ज्ञान से बिल्कुल भी अज्ञान था इसलिए वह ऐसा ना करके जल्दी जल्दी अपने ऊपर पानी डालने लगा और देखते ही देखते अनजाने में ही अपनी मां को मदहोश करते हुए रोहन नहा लिया अपने बेटे को मेहता देख कर आज सुगंधा के तन बदन में ना जाने कैसी हलचल ने दस्तक दे दी थी जो कि एक बहुत बड़े तूफान जो उसकी जिंदगी में आने वाला था ऊसका अंदेशा दे रही थी…
सुगंधा गुसल खाने से थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी होकर अपने बेटे के बाहर निकलने का इंतजार करने लगी
रोहन के दिमाग में यह चल रहा था कि आज जब पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर नहा रहा हुं. तो क्यों ना साबुन लगाकर अपने लंड की भी सफाई कर ली जाए….. इसलिए वह फिर से साबुन उठा दिया और अपने लंड पर साबुन लगाने के लिए अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाने लगा और वहां दूसरी तरफ किवाड़ की दरार में से झांक रही सुगंधा की नजर धीरे धीरे नीचे की तरफ फिसल रही थी और अगले ही पल जैसे उसकी नजर कमर से नीचे की तरफ गई उसकी तो सांसे ही अटक गई कमर के नीचे का नजारा देखकर सुगंधा की सांस ना तो अंदर आ रही थी ना तो बाहर ही जा रही थी ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसे सांप सॉन्ग गया हो सुगंधा के लिए जैसे समय थम सा गया था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो देख रही है वह सच है उसे अपने आप पर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था सुगंधा भी क्या करती अंदर का नजारा ही ऐसा था कि उसे अपने आप पर तनिक भर भी भरोसा नहीं हो रहा था कि वह जो देख रही है वह सच है….. रोहन का लंड कुछ इस तरह से खड़ा था कि उस में तनिक भी ढीलापन नहीं था….
उसका वास्तविक आकार कुछ गजब का था जिससे सुगंधा पूरी तरह से आकर्षित हुए जा रही थी तभी उसके देखते ही देखते रोहन साबुन को अपने लंड पर रगड़ने लगा और जैसे-जैसे साबुन लगाते समय रोहन का लंड इधर उधर हो रहा था …वैसे वैसे सुगंधा की जांघों के बीच सुरसुरा हट मचने लगी थी…. एक अजीब सी हलचल सुगंधा के तन बदन में पैदा हो रही थी उसने वैसे तो अभी तक अपने पति के ही लंड के दर्शन किए थे लेकिन उसके मन में यह धारणा बन गई थी कि उससे ज्यादा या मोटा किसी भी मर्द का नहीं होता है इसलिए उसकी कल्पनाओं में भी अपने पति के सामान ही लंड की रचना होती रहती थी… इसलिए अपनी आंखों के सामने अपने बेटे का इतना तगड़ा मोटा और लंबा लंड देखकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था
भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते