Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

रोहन के मन में अजीबो-गरीब कशमकश चल रहा था उसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो इतना सुनहरा मौका उसके हाथ में था और वह इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था क्योंकि मालिश वाले दिन से लेकर आज आज के दिन के दरमियान उसे दोबारा ना तो बेला के ही अंगों के दर्शन हुए और ना ही उसकी मां के इसलिए वह पूरी तरह से तड़प रहा था औरतों के जिस्मानी अंगों को अपनी आंखों से देखने के लिए इसलिए तो वह इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता था एक तो पहले से ही बेला ने रोहन की बात मानते हुए अपना पेटीकोट उठाकर अपनी बुर के दर्शन करा चुकी थी तो ऐसे में रोहन को दोबारा अपने मन की बात बेला से कहने में कोई हिचक नहीं होना चाहिए था लेकिन रोहन में अभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह बेला से उसके अंग देखने की फरमाइश कर सके लेकिन मौके का पूरी तरह से फायदा उठाना था तो रोहन को थोड़ी बहुत हिम्मत दिखाना भी जरूरी था इसलिए वह हिचकिचाहट भरे लहजे में इधर-उधर देखते हुए हिम्मत जुटाकर बोला.

बेला मुझे फिर से वही चीज़ देखना है जो उस दिन तुमने झोपड़ी में अपनी पेटीकोट उठाकर दिखाई थी…

क्या दिखाई थी….( बेला अनजान बनते हुए बोली)

तुम्हारी ..बबबबब..बबब..बुरररर…. ( रोहन घबराहट भरे लहजे में बोला वह यह शब्द एक औरत के सामने कैसे बोल गया यह उसे खुद भी नहीं पता लेकिन इतना शब्द बोलने में वह उत्तेजना से भर गया और शर्मिंदगी का अहसास भी उसके अंदर बना हुआ था जिसकी वजह से अपनी नजरें नीचे झुका लिया था लेकिन रोहन की घबराहट देख कर बेला के होठों पर मुस्कान तैर रही थी रोहन की यह ख्वाहिश मेला को अपने लिए जीत नजर आ रही थी… रोहन की ख्वाहिश जानकर बेला को समझते देर नहीं लगी कि आज फिर से उसके हाथों में धन की गर्मी आने वाली है…..वह बेहद खुश नजर आ रही थी… रोहन की बात सुनकर एक पल के लिए तो उसका बदन भी गरम हो गया क्योंकि आज पहली बार उसे किसी मर्द ने खुले शब्दों में उसके अंग देखने की ख्वाहिश जताई थी….. बेला ईतराते हुए उसके बेहद करीब आकर खड़ी हो गई और बोली…

वाह रोहन बाबू क्या बात कहे हो तुम्हारे बदन में भी जवानी की गर्मी उमड़ने लगी है उस दिन सब कुछ खोल कर दिखाई थी लगता है देख कर मन भरा नहीं….. लेकिन रोहन बाबू एक बात कहूं ….आज आपका नसीब साथ नहीं दे रहा है…(. बेला की यह बात सुनकर रोहन आश्चर्य से बेला की तरफ देखने लगा)
क्योंकि आज मुझे एक रिश्तेदार के वहां कुछ पैसे उधार लेने जाने हैं क्योंकि अगले ही हफ्ते मेरे चाचा की लड़की की शादी है तो शादी में जाने के लिए कुछ पैसे तो चाहिए और मेरे पास एक फूटी कौड़ी नहीं है और मुझे अभी थोड़ी देर बाद निकलना ही है आज आपका काम नहीं हो पाएगा…..( बेला जानबूझकर अपनी बातों का जाल बिछा रही थी मैं जानती थी कि रोहन जरूर उसे पैसे देगा क्योंकि जवानी के द्वार के दर्शन जो उसे करने थे बेला इतना कहकर जानबूझकर फिर से झाड़ू लगाना शुरू कर दी)

लेकिन बेला अगर मैं तुम्हें पैसे दे दूं तो क्या तुम मुझे फिर से अपनी वो दिखाओ गी…..
( रोहन की बात सुनते ही बेला के हाथ जो कि तू रुक गए और वह मुस्कुराते हुए रोहन की तरफ झुकी हुई मुद्रा में ही बोली…)

नहीं-नहीं रोहन बाबू रहने दो मैं आपसे पहले भी पैसे ले चुकी हूं और अभी तक चुका नहीं पाई हूं अगर फिर पैसे ले लूंगी तो ना जाने कैसे चुकाऊंगी और मुझे तो डर भी लगता है कि कहीं आप मालकिन से कह दिए तो मेरी तो छुट्टी हो जाएगी….

ऐसा कुछ भी नहीं होगा बेला( इतना कहते हुए रोहन पलंग के नीचे पांव लटका कर बैठ गया) जो मैं तुम्हें पैसे दिया हूं और जो तुम्हें दूंगा यह सब पैसे मेरे हैं इसका हिसाब किताब मुझे मम्मी को नहीं देना पड़ता है इसलिए तुम बिल्कुल निश्चिंत हो जाओ…

( रोहन की बात सुनकर बेला पूरी तरह से निश्चिंत हो गई और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी वह मन ही मन खुश हो रही थी वह समझ गई थी कि रोहन पूरी तरह से उसके कब्जे में है…
इसलिए वह तुरंत रोहन से बोली….)

तो लाओ मेरे पास सो रुपए ……(बेला फटाक से बोली)

रोहन तो यह सुनकर एकदम खुश हो गया क्योंकि वह समझ गया था कि पैसे के बदले बेला उसे अपनी पुर के दर्शन जरूर कर आएगी और वह तुरंत बिस्तर पर से उठा और अलमारी की तरफ आगे बढ़ गया यह देखकर मेरा मन ही मन प्रसन्न होने लगी साथ ही ना जाने क्यों उसकी बुर में कुल बुलाहट होने लगी…. वह हाथ में झाड़ू लिए रोहन को ही देख रही थी रोहन अलमारी खोल कर उसका ड्राइवर खोला और उसमें से 100 100 की 5 नोट निकालकर बेला की तरफ घूम गया और बेला के हाथों में पकड़ाते हुए बोला…

यह लो बेला तुम्हारे 500 रुपए और इन्हें लौटाने की कोई जरूरत नहीं है यह पैसे तुम्हारे ही हैं…..
( सौ सौ की 5 नोट देखकर बेला खुश हो गई और वह तुरंत रोहन के हाथों में से लेकर उसे गोल गोल करके अपने ब्लाउज में डाल दी यह देखकर रोहन उत्तेजना से भर गया वह मन ही मन सोचने लगा कि काश वह भी सौ सौ की नोट होता तो बेला के ब्लाउज में उसकी चूचियों के करीब रहता….)

शुक्रिया रोहन बाबू तुम अगर सही समय पर पैसे देकर मेरी मदद नहीं करते तो मुझे इस खड़ी धूप में न जाने कहां का भटकना पड़ता मैं तुम्हारी शुक्रगुजार हूं…..

( बेला की इस तरह की बात सुनकर रोहन प्रसन्न होने लगा
और मुस्कुराते हुए बोला…)

इसमें शुक्रिया कैसी बेला यह तो मेरा फर्ज था …(रोहन मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि उसकी मंशा पूरी होने वाली है उसके तन बदन में उत्तेजना का असर साफ नजर आ रहा था बेला को ₹500 देने के चक्कर में रोहन यह बात एकदम से भूल गया की उत्तेजना के मारे पर जाने के अंदर उसका लंड एकदम खड़ा हो गया है जिसकी वजह से पजामी का आगे वाला भाग तंबू बनकर बेला की आंखों के सामने नजर आ रहा है और उसी तंबू को देखकर बेला मुस्कुराते हुए बोली)

रोहन बाबू ….रोहन बाबू अभी तो मैंने अपनी बुर के दर्शन भी नहीं कराए और तुम्हारा लंड तो पूरी तरह से खड़ा हो गया…..
( बेला खोलें शब्दों का प्रयोग करते हुए बेशर्म बनते हुए बोली … _ बेला की इस तरह की बात सुनकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो गया लेकिन अपने पजामे में बने तंबू की वजह से वह शर्मिंदा भी हो गया और उसे अपने दोनों हाथों से छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा रोहन को इस तरह से करते देख बेला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथ को हटाते हुए बोली..)

अब कैसी शर्म रोहन बाबू तुम मेरी बुर देखना चाहते हो तो मुझे भी तो अपना लंड दिखाओ मैं भी तो देखूं कि कितनी गर्मी तुम्हारे लंड में है जो बार-बार खड़ा हो जा रहा है…..
( बेला जानबूझकर रोहन से इस तरह से खुले शब्दों में बात कर रही थी क्योंकि वह रोहन को और भी ज्यादा उत्तेजित करना चाह रही थी और ऐसा हो भी रहा था एक औरत के मुंह से इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर रोहन पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था…. वह भी बेला की बात मानते हुए दोबारा अपने पजामे में बने तंबू को ढकने की कोशिश नहीं किया और उसी तरह से खड़ा हो गया बेला उसके पजामे में बने तंबू को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसकी जांघों के बीच सुरसुरीहट होने लगी… क्योंकि बेला की अनुभवी आंखें इस बात को भाग गई थी कि रोहन के पजामे के अंदर कोई दमदार हथियार अपनी जगह बनाए हुए हैं वह भी रोहन के लंड को देखने के लिए तड़पने लगी इसलिए वह बोली….)

रोहन मैं तो तुम्हें अपनी बुर दिखा दूंगी… लेकिन मैं भी तुम्हारे दमदार हथियार को देखना चाहती हूं….. तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है….( इस बात से भला रोहन को क्यों इंकार होता और तों और बेला की यह बात सुनकर और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करने लगा और वहां हां में सिर हिलाकर मूर्ति वंत बनकर खड़ा हो गया बेला की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी उसके तन बदन में एक अजीब सी हलचल हो रही थी वह तुरंत खड़ी हुई और जाकर दरवाजा बंद कर दी वैसे तो उसे दरवाजा बंद करने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि घर में उसके और रोहन के सिवा दूसरा कोई नहीं था लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर वह दरवाजा बंद करके वापस लौटी रोहन बिस्तर के करीब खड़ा था बेला की आंखों के सामने रोहन के पर जाने के अंदर उसका तंबू हरकत कर रहा था यह हरकत बेला की बुर में पानी का सैलाब उठा रही थी….. बेला से रहा नहीं गया और वह अपने घुटनों के बल बैठ गई.. उसकी आंखों के सामने रोहन के पजामे में बना तंबू तना हुआ था.. बेहद काम उत्तेजना से भरपूर नजारा कमरे में बन रहा था…… बेला को इस तरह से घुटनों के बल बैठता देखकर रोहन की सांसें तेज चलने लगी….. एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन में चिकोटि काटने लगी… रोहन को समझ में नहीं आ रहा था कि बेला क्या करने वाली है….. वह उत्सुकता बस बेला को देखें जा रहा था…. और बेला रोहन के तंबू को तभी बेला रोहन की तरफ देखी और रोहन ने भी बेला की तरफ देखा दोनों की आंखें आपस में टकराई दोनों उत्तेजना से भर गए अगले ही पल बेला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर रोहन के पजामे को पकड़ ली और उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ खींचने लगी.. .. बेला की ईस हरकत की वजह से रोहन के बदन में कपकपी उठने लगी… और अगले ही पल बेला ने एक झटके में रोहन के पजामे को घुटनों तक खींच दी…. पजामा घुटनों के नीचे आते ही बेला की आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गई वह तो एक टक बस देखते ही रह गई अपनी जिंदगी में उसने इस तरह का जबरदस्त मोटा दमदार और लंबा लंड नहीं देखी थी….
रोहन के लंड को देखते ही उसकी बुर में सुरसुरा हट होने लगी जी मैं तो आ रहा था कि रोहन को लेटाकर खुद ही वह उसके ऊपर चढ़ जाए और अपनी बुर में उसका लंड पेलवा ले…. रोहन के लंड को लेने के लिए….. बेला की तन बदन में आग लगी हुई थी…. बेला का सब्र जवाब दे रहा था बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को रोके हुए थी…. क्योंकि वह इतनी जल्दी रोहन को अपने ऊपर हावी होना देना नहीं चाहती थी क्योंकि अभी तो उससे वह और ज्यादा पैसे ऐंठने फिराक में थी…

लेकिन जिस तरह का दमदार लंड रोहन के पास था बेला से सब्र कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था……
बेला मंत्र मुग्ध सी रोहन के लंड को देखे जा रही थी .और रोहन बेला को देखे जा रहा था ..लेकिन उसके अंदर बेला कि बुर देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी….. दूसरी तरफ बेला की रोहन के लंड को स्पर्श करने की कामेच्छा बढ़ती जा रही थी और वह अपनी काम इच्छा की पूर्ति के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाई …. रोहन बोल पड़ा…..

बेला तुमने तो मेरा देख ली लेकिन अपना तो दिखाओ….
( इतना सुनते ही बेला का हाथ वहीं का वहीं रुक गया और वह आश्चर्य से रोहन की तरफ देखने लगी रोहन के लंड को देखकर अभी भी आश्चर्य से देने का मुंह खुला का खुला था रोहन की बात सुनकर जैसे उसे कुछ याद आया हो वह खड़ी हुई और मदहोशी भरी आवाज में बोली…)

लो तुम ही देख लो ….(इतना सुनते ही रोहन के तन बदन में उत्तेजना की ज्वाला फूटने लगे क्योंकि बेला ने खुद ही उसे उसका आगे देखने की इजाजत के साथ साथ निमंत्रण दे रहे थे यह किसी भी मर्द के लिए बहुत ही उत्तेजना से भरपूर पल होता है जिसका रोहन पूरी तरह से आनंद ले रहा था…. अब रोहन की बारी थी बेला की तरह वह भी घुटनों के बल बैठ गया …. और अपना हाथ आगे बढ़ा कर देगा कि पेटीकोट को पकड़ लिया रोहन के साथ साथ भी लकी भी सांसे तेज चल रही थी रोहन धीरे धीरे पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा उसकी सांसे बड़ी तेज गति से चल रही थी धीरे धीरे वह बेला कीपेटीकोट को हिम्मत दिखाते हुए ऊपर की तरफ ले जा रहा था रोहन किस तरह की हरकत की वजह से बेला की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आज पहली बार बेला किसी नव युवा लड़के के द्वारा अपनी पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठवा रही थी….

.. और अगले ही पल रोहन फुर्तीदिखाते हुए बेला कि पेटीकोट को उठाकर कमर तक कर दिया एक बार फिर से बेला की बुर एकदम नंगी रोहन की आंखों के सामने थी रोहन प्यासीनजरों से बेला की बुर को देखे जा रहा था…. रोहन अपनी नजरों से नहीं बल्कि अपनी उंगलियों से बेला की बुर को छूना चाहता था उसको स्पर्श करना चाहता था…. इसलिए वह प्यासी नजरों से बेला की तरफ देखा जो की बेला भी एकदम चुदास से भरी हुई थी…. रोहन बेला की तरफ देखते हुए बोला…

बेला में तुम्हारी बुर को छूना चाहता हूं (और इतना कहकर बेला का जवाब सुने बिना ही वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर बेला की बुर को स्पर्श करने लगा उसकी उंगलियां …बेला की रसीली बुर पर चहल कदमी करने लगी…उस दिन की तुलना में आजबेला की बुर पर हल्के हल्के बाल उड़ गए थे जिसकी वजह से बेला की बुर और भी ज्यादा खूबसूरत और रसीली लग रही थीरोहन इतने मात्र से ही पूरी तरह से आनंदित और कामोत्तेजना के सागर में डूबने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह बस गोल गोल अपनी उंगलियों को बुर के ऊपर घुमा रहा था बुर की पतली दरार पर से जब भी उसकी उंगलियां गुजर रही थीबेला का हाल बेहाल हुए जा रहा था उसकी सांसों की गति उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थी ….. सांसों की गति बहुत गहरी चल रही थी जिसकी वजह से उसके दोनों कबूतर ब्लाउज के अंदर कुछ ज्यादा ही फड़फड़ाने लगे थे.. दोनों की सांसो की गति तेज हो रही थी पूरे कमरे में गर्म सिसकारियां गुजने लगी…. बेला अपने आप में बिल्कुल भी नहीं थी . रोहन को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह बेसा की बुर की रचना को समझ पाता इससे पहले ही उत्तेजना ग्रस्त होकर बेला अपना हाथ आगे बढ़ाई और रोहन का हाथ पकड़कर उसकी हथेली को जोर से अपनी बुर के ऊपर दबोच दी………. और उसके मुख से एकाएक गर्म सिसकारी फूट पड़ी……

ससससहहहहह…..आहहहहहहहहह रोहन बाबु……..

रोहन अपनी हथेली पर बेला की बुर की गर्माहट महसूस करके एकदम से उत्तेजित हो गया और वह खुद ही अपनी हथेली के अंदर बेला की छोटी सी बुर को दबोच ने लगा.. रोहन की इस हरकत की वजह से रोहन के साथ साथ बेला को भी अत्यधिक आनंद का अनुभव होने लगा रोहन पहली बार औरत के जिस्मानी अंग को छू रहा था स्पर्श कर रहा था और उसकी किस्मत इतनी तेज थी कि पहली बार में ही उसे एक औरत की बुर छूने को मसलने को मिली थी इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए अपनी हथेली में जोर जोर से बेला की बुर को दबा रहा था पूरे कमरे में बेला की गरम सिसकारी गूंज रहेी थी….
बेला पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी …उसकी हालत पल-पल खराब हुई जा रही थी उसके दिलो दिमाग पर बस एक ही चित्र स्पष्ट हो रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने रोहन का मोटा तगड़ा लंबा नहीं नजर आ रहा था और इसी वजह से उसकी उत्तेजना में भी चार चांद लग रहे थे एक तो रोहन बिल्कुल… नव युवा था… जो कि अभी अभी जवान हुआ था और जवानी की शुरुआत में ही जिस तरह का तगडा मोटा दमदार लंड ऊसके पास था . उसे देख कर बेला की बुलबुल बुलाने लगी थी और जिस तरह से रोहन बड़ी बेरहमी के साथ उसकी बुर पर अपनी हथेलियों का दबाव बना रहा था उसकी वजह से बेला की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह पानी छोड़ रही थी और साफ-साफ शब्दों में कहें तो वह अब एकदम से चुद वासी हो गई थी और उसी अपनी बुर में एक मोटे तगड़े लंड की कमी महसूस हो रही थी जो कि रोहन के पास था… पूरा कमरा दोनों के जिस्म की गर्मी से पूरी तरह से गर्म हो चुका था बेला अपने सब्र के बांध को खो रही थी…. उससे रहा नहीं जा रहा था रोहन से चुद़वाना चाहती थी उसके मोटे लंड को अपने बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी….. रोहन के हथेली की गर्मी से बेला पूरी तरह से नर्म पड़ती जा रही थी लेकिन तभी पैसो के लालच ने उसे ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि वह जानती थी अगर एक बार वह रोहन को अपना सर्वस्व सौप दी तो वह अपने आप को कभी भी रोक नहीं पाएगी और खुद-ब-खुद रोहन से चुदाने के लिए तैयार हो जाएगी जैसा कि वह ऐसा होने नहीं देना चाह रही थी…… इसलिए वह बहुत ही जल्द अपने आप पर काबू कर ली और तुरंत रोहन के हाथ को पकड़कर हटाते हुए बोली…

बस रोहन बाबू अाज के लिए इतना काफी है…( इतना कहकर वह अपना पेटीकोट नीचे गिरा दी… और कुछ सुनने कहने के लिए वहां रुके बिना ही वह कमरे से बाहर निकल गई क्योंकि वह जानती थी कि अगररोहन की बात सुनेगी तो शायद उससे अपने आप को रोका नहीं जाएगा और वह सब कुछ कर डालेगी इसलिए वह कमरे से बाहर निकल गई रोहन उसे कमरे से जाता हुआ देखता रह गया….बहुत ही बढ़िया अपडेट..

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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