Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

आज पहली बार सुगंधाको मालिश करवा कर बेहद राहत का अनुभव हो रहा था और एक अजीब सी हलचल अभी भी उसके तन बदन हो झकझोर रही थी क्योंकि जिस तरह से बेला ने उसके नितंबों को अपनी दोनों हथेलियों में भर भर कर मालिश की थी उससे ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन फिर भी सुगंधा की तन बदन में उत्तेजना का अनुभव होने लगा था इसका जीता जागता सबूत था कि उसकी बुर से नमकीन रस का स्राव हो रहा था जिसे वह चाहकर भी नहीं रोक पाई थी और इसीलिए अपने मन पर काबू करके वह बिना मालिश करवाएं वहां से उठ खड़ी हुई थी…….. शाम ढल चुकी थी अपने कमरे में बैठे-बैठे वह अपने पति के बारे में सोच रही थी जब वह शादी करके इस घर में आई थी शुरू शुरू में सब कुछ ठीक था… अपने पति की तरफ से उसे बेशुमार प्यार मिल रहा था उसे अपनी किस्मत पर गर्म होने लगा था क्योंकि उसे ससुराल में किसी भी चीज की कमी नहीं थी मान सम्मान और शारीरिक सुख पाकर वह एकदम से धन्य हो चुकी थी उसे वह पल याद आने लगा जब बेला की तरह ही उसके पति ने उसकी मालिश की थी…..
एक दिन ऐसे ही उसकी कमर में दर्द हो रहा था और यह बात अपने पति से कहते ही उसके पति ने एक पल की भी देर किए बिना ही कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और अपने ही हाथों से देखते ही देखते सुगंधा के बदन पर से वस्त्रों को दूर करने लगा सुगंधा तो कुछ समझ ही नहीं पाए कि यह क्या कर रहा है देखते ही देखते वह कमरे में अपने पति के सामने संपूर्ण रूप से एक दम नंगी हो गई थी…. सुगंधाको तो एक पल के लिए अपने पति पर गुस्सा और चिढ आने लगा…. क्योंकि जिस तरह से वह सुगंधा के बदन पर से वस्त्र उतार रहा था उसे ऐसा ही लग रहा था कि अब वह उस से संभोग करेगा सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी ऐसी हालत होने के बावजूद भी उसका पति उसकी हालत पर बिल्कुल भी गोर किए बिना ही अपनी प्यास बुझाने को आतुर है….. कमरे में सुगंधा संपूर्ण नग्ना अवस्था में खड़ी थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा भी नहीं था…
और उसका पति सुगंधाको नंगी अवस्था में एकदम प्यासी नजरों से खुल रहा था या देखकर सुगंधा क्रोधित हो गई और गुस्से में बोली…..

आप इंसान है या जानवर आपको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती… मेरा सारा बदन दर्द से टूट रहा है और आपको मेरी बिल्कुल भी चिंता नहीं है बस आप मेरे बदन से आनंद लूटना चाहते हैं चाहे मैं जैसे भी हाल में हूं बस तुम्हें मुझ में एक प्यास बुझाने वाली कठपुतली नजर आती है जिसके साथ खेला खाया और हो गया मुझे आपसे यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी मुझे लगा था कि आप मेरी मदद करेंगे मुझे इस दर्द से राहत दिलाएंगे..लेकिन आप तो मेरे बदन के साथ साथ मेरे दिल पर भी घाव कर रहे हैं..
( सुगंधा का पति आश्चर्य से सुगंधा की तरफ देखे जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुगंधा उसके बारे में यह क्या सोच रही है वह तो जब की उसकी मदद करना चाह रहा था वह सुगंधा के नंगे बदन ऊपर से नीचे तक आश्चर्य से देखते जा रहा था और वह समझ गया कि उसकी हरकत की वजह से सुगंधा को बुरा लगा है इसलिए वह सुगंधा की गलतफहमी को दूर करते हुए बोला….)

यह क्या कह रही हो सुगंधा मेरी जान… मैं तो तुम्हारी मदद करना चाह रहा हूं….

इस तरह से करोगे मेरी मदद मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर कर मेरे ऊपर चढ़कर मेरी मदद करोगे अगर इस तरह से मदद करना चाह रहे हो तो मुझे तुम्हारे मदद की आवश्यकता नहीं है….

कैसी बातें कर रही हो सुगंधा तू मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती हो कि मेरी पत्नी दर्द से कराह रही हो और मैं उसके बदन के साथ खेलने की सोचूंगा….. मैं तो तुम्हारे बदन की मालिश करने जा रहा हूं….( इतना कहते हुए वह अलमारी की तरफ घुमा और अलमारी की तरफ कदम बढ़ाते हुए) हां शायद मेरा तरीका तुम्हें गलत लगा होगा इसलिए तुम इस तरह से कह रही हो …( इतना कहते हो गए वह अलमारी के करीब पहुंच गया और अलमारी खोलकर उसमें से सरसों के तेल की शीशी निकालकर वापस सुगंधा की तरफ कदम बढ़ा दिया अपने पति की बातें सुनकर और उसके हाथ में सरसों के तेल की शीशी देखकर सुगंधा को अपनी गलती का एहसास होने लगा वह एकदम से शर्मिंदा हो गई अब उसके पास बोलने लायक कुछ भी नहीं बचा था सुगंधा का पति सुगंधा के करीब आया और उसे बिस्तर पर लेट जाने के लिए कहा सुगंधा बिना कोई जवाब दिए बिना अपने पति की बातें सुनकर शर्मिंदगी का एहसास लिए हुए उसकी बात मानते हुए बिस्तर पर पेट के बल लेट गई…… अपनी गलती का उसे इस हद तक पछतावा था कि वह इस समय इस बात को बिल्कुल भी भूल गई कि वह इस समय संपूर्ण रूप से नंगी है … बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नंगे पन का एहसास उसे तब हुआ जब उसने अपने पति के दोनों मजबूत हथेलियों का स्पर्श अपनी नंगी गाड़ पर महसूस कि…. अपने पति के मजबूत हाथों के गरम स्पर्श को अपने नंगे बदन पर महसूस करके वह पूरी तरह से रोमांचित हो गई…. सुगंधा के पति ने अपनी हथेलियों का ऐसा जादू चलाया कि कुछ ही देर में सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगी…. उसके बदन से दर्द गायब हो गया और एक नए मीठे दर्द ने उसकी जगह ले ली जिसके असर में उसकी बुर से नमकीन पानी झरने लगा संभोग सुख के उन्माद से वाकिफ सुगंधा कुछ ही देर में गरम सिसकारी छोड़ने लगी और अपनी पत्नी की इस हालत को देखकर उसका पति पल भर में ही उत्तेजना का अनुभव करने लगा… बजाने के अंदर उसका लंड तन कर खड़ा हो गया अपनी बीवी की गोरी गोरी उन्नत ऊभारो वाली गांड को देख कर वह पूरी तरह से चुदवासा हो ..गया…. अगले ही पल उसने अपने पजैमे को उतार कर नंगा हो गया और अपने हाथों से उसी स्थिति में सुगंधा की मोटी मोटी चिकनी जांघों को अपने हाथों से फैला कर अपने लिए जगह बना लिया….
और देखते ही देखते सुगंधा का पति सुगंधा की बुर में अपना समूचा लंड उतार दिया कुछ ही देर में पूरा कमरा सुगंधा की गरम सिसकारी से गूंजने लगा सुगंधा के बदन का दर्द तो दूर हुआ ही साथ ही उसके बदले में मीठे दर्द का एहसास लिए हुए वह कब जड़ गई उसे पता ही नहीं चला और उसी स्थिति में वह दोनों नींद की आगोश ही चले गए….

उस दिन को याद करके सुगंधा की आंखों में आंसू आ गए क्योंकि उसने कभी अपनी जिंदगी में नहीं सोची थी कि उसका पति इस तरह से गर्द की खाई में धंसता चला जाएगा और उसे जिंदगी की राह में इस तरह से तड़पते हुए जीने के लिए मजबूर कर देगा उसे इस बात का अफसोस पूरी तरह से था कि उसके पति के जीवित रहने के बावजूद भी वह एक विधवा की तरह ही जिंदगी जी रही थी सुगंधा बीते पल को याद करते हुए नींद के आगोश में चली गई उसे पता ही नहीं चला

बाजार में गेहूं बेचने के लिए सुगंधा रोहन को भी भेजती थी ताकि उसे गेहूं चावल का हिसाब किताब के बारे में पता चले…. और वैसे भी रोहन सारा दिन इधर उधर आवारा दोस्तों के साथ घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था इसलिए अपने लफंगा दोस्तों के संगत से छुड़ाने के लिए सुगंधा कोई ना कोई बहाना बनाकर उसे काम में उलझाए रहती थी….. और ना चाहते हुए भी रोहन को गेहूं की बिक्री के लिए बाजार जाना पड़ता था लेकिन रोहन का बाजार जाना रोहन के लिए भी फायदेमंद था क्योंकि उसे बाजार में औरतों की मटकती हुई गांड और खूबसूरत लड़कियां देखने को मिल जाती थी शहर में जाने पर उसे एक से एक खूबसूरत औरतें और लड़कियां देखने को मिल रही थी रोहन जब तक गेहूं की बिक्री होती तब तक वहीं बैठा बैठा आने जाने वाली औरतों की खूबसूरती और उनके कपड़ों के अंदर झांकने की कोशिश करता रहता शहर होने की वजह से जहां पर लड़कियां जींस टीशर्ट शॉर्ट टॉप पहन कर घूमती थी जिसे देखने में रोहन को उत्तेजना का अनुभव होता था और उसकी प्यासी नजरें उन की मटकती हुई गांड और दोनों नारंगीयो पर टिकी रहती थी….
कुछ दिनों से सारे गेहूं की बिक्री हो जाने तक रोहन का यही रोज का क्रम बन गया वह रोज उजाला होने से पहले… मजदूरों और मुंशी के साथ बाजार चला जाता था और गेहूं की बिक्री करने के बाद देर शाम को ही लौटता था…. तब तक वह बुरी तरह से थक जाता था और आते ही खाना खा कर सो जाता था इसलिए उसे कुछ दिनों से गांव में ताक झांक करने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था ज्यादातर बात आप जा कब घर में ही करने लगा था लेकिन मालिश वाले दिन से अब तक उसे ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला था जिससे उसका तन बदन मस्त हो जाये……
धीरे-धीरे काफी समय गुजर गया बाजार में गेहूं की बिक्री हो चुकी थी इस बार सुगंधा को काफी मुनाफा हुआ था…. इसलिए वह काफी खुश नजर आती थी और रोहन को खर्चे के लिए पैसे भी ज्यादा देने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके सिवा वैसे भी इस दुनिया में कोई नहीं था…… इसलिए सुगंधा अपने बेटे रोहन पर बेहद प्यार बरसाने लगी थी …. लेकीन रोहन को लेकर उसके मन में हमेशा चिंता बनी रहती थी… क्योंकि वह अपना ज्यादातर समय अपने लफंगे आवारा दोस्तों के साथ ही गुजारता था इसलिए सुगंधा के मन में हमेशा डर बना रहता था कि कहीं उसका बेटा भी उसके पति की तरह आवारा ना निकल जाए…..

बेला को यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि रोहन के पास अब काफी पैसे रहते हैं इसलिए वह रोहन से पैसे ऐंठने का जुगाड़ बनाने लगी थी वह जानती थी कि एक बार रोहन को अपनी बुर का दर्शन कराने के बाद से रोहन उसके लिए व्याकुल हो गया है और वह बुर को छूने और उसे मसलने के लिए तड़प रहा है …इसलिए बेला भी मौका देख रही थी कि कब रोहन को फिर से अपनी बुर के दर्शन कराए और उससे नगद पैसे ऐंठ ले लेकिन ऐसा कोई भी मौका उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा था….
और जिस दिन से रोहन ने अपनी मां के नंगे बदन का दर्शन किया था तब से वह इसी ताका झांकी में लगा रहता था कि कब उसे अपनी मां के नंगे बदन के दर्शन करने को मिल जाए लेकिन उसे भी ऐसा मौका प्राप्त नहीं हो पा रहा था ऐसे ही एक दिन वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेट कर अपनी मां के नंगे बदन और बेला की रसीली बुर को याद करके अपना लंड पजामे के ऊपर से मसल रहा था….. उस दिन बेला घर की सफाई कर रही थी और जैसे उस दिन उसकी किस्मत उसका साथ दे रही हो और सुगंधा उस दिन घर पर मौजूद नहीं थी वह किसी रिश्तेदार के वहां गई हुई थी…. बेला सभी कमरे में झाड़ू पोछा कर रही थी उसे यह बात मालूम थी कि घर में केवल रोहन ही है और वह भी अपने कमरे में अकेला है…
बेला झाड़ू लगाते लगाते रोहन के कमरे तक पहुंच गई कमरे का दरवाजा खुला हुआ था वह कमरे में से अंदर की तरफ झांक कर देखी तो रोहन बिस्तर पर लेट कर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था… यह नजारा देख कर तो बेला का बदन उत्तेजना के मारे सरसरा गया…. लेकिन बहुत ही जल्दी वह अपने मन पर काबू करके कमरे के अंदर प्रवेश कर गई और झाड़ू लगाना शुरू कर दी वह जानबूझकर रोहन से बातें नहीं कर रही थी लेकिन जुबान खामोश थी पर उसने अपने बदन के होठों को खोल रखी थी जो कि बिना कुछ बोले भी बहुत कुछ बोल दे रहे थे वह अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर कमर से खोस ली थी जिसकी वजह से उसकी नंगी पंडरिया साफ साफ नजर आ रहे थे और छाती पर से चुनरी हटा कर एक साइड रख दी थी ताकि रोहन को उसके फड़फडाते हुए दोनों कबूतर नजर आ सके… और वह रोहन को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए झाड़ू लगाना शुरू कर दी… कमरे में किसी के आने की आहट सुनकर रोहन की तंद्रा भंग हुई और वह दरवाजे की तरफ देखने लगा दो अपनी आंखों के सामने बेला को झाड़ू लगाता देखकर एकदम से कामोत्तेजना से भर गया लेकिन डर के मारे वह अपने बजाने पर से अपना हाथ हटा लिया कुछ देर तक रोहन बेला को यूं ही देखता रहा लेकिन बेला उससे एक शब्द भी नहीं बोल रही थी लेकिन वह अपनी गदराई की गांड को रोहन की तरफ उठाकर झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से रोहन की प्यासी नजरें सीधे बेला की गांड पर जाकर टिक गई….
बेला जानबूझकर अपनी बड़ी-बड़ी गांड को मटकाते हुए झाड़ू लगा रही थी और बेला की बड़ी बड़ी गांड देखकर रोहन का लंड और ज्यादा कड़क होने लगा रोहन को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसका मन तो कर रहा था कि बेला को पीछे से पकड़ ले लेकिन वह औरतों को काबू करने के मामले में पूरी तरह से अज्ञानी था इसलिए ऐसी गलती उसके लिए भारी पड़ सकती थी ऐसा सोचकर वह अपने मन को दबा ले गया लेकिन बेला के नखरे उससे सही नहीं जा रहे थे क्योंकि कभी वह आगे की तरफ झाड़ू लगाती तो कभी पीछे की तरफ जिसकी वजह से उसके दोनों फडफड़ाते कबूतर ब्लाउज के अंदर साफ नजर आ रहे थे…..

कमरे में पूरी तरह से शांति छाई हुई थी बस झाड़ू की खरर खररर की आवाज सुनाई दे रही थी एक बार बेला की बुर के दर्शन कर चुका रोहन बेला की हरकतों से एकदम से परेशान हो गया उससे रहा नहीं गया तो वह सीधे ही बोला…..

आज नहीं दिखाओ गी बेला…..
( रोहन के मुंह से यह शब्द सुनकर बेला के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे उसे समझते देर नहीं लगी कि अब उसका काम बनने वाला है…. वह जानती थी कि रोहन किस बारे में बात कर रहा है लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए उसकी तरफ घूमकर एकटक देखते हुए बोली)

क्या नहीं दिखाओ गी जरा साफ-साफ बोलो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है…..
( बेला की यह बात सुनकर रोहन शर्मिंदगी महसूस करने लगा वह अपने मुंह से बोले भी तो कैसे बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और बिस्तर से उठ कर बैठ गया और इधर उधर देखते हुए बड़ी हिम्मत करके बोला)

वही जो तुमने मुझे उस दिन झोपड़ी के अंदर दिखाई थी….

अरे रोहन बाबू यह तुम किस बारे में मुझसे बात कर रहे हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है…( बेला जानबूझ कर इस तरह की बातें करते हुए वापस झाड़ू लगाना शुरू कर दी वह जानबूझकर यह दिखाना चाहती थी कि उसे कुछ भी मालूम नहीं है बेला की सरोवर से रोहन बहुत परेशान हो रहा था क्योंकि उसे भी आज अच्छा मौका मिला था वापस से बेला की मदमस्त बदन का दर्शन करने के लिए)

बेला तुम कितनी जल्दी सब कुछ भूल जाती हो अभी उस दिन की तो बात है….

( बेला अभी भी अपने नितंबों को रोहन की तरफ करके झाड़ू लगा रही थी और रोहन की इस तरह की बातें सुनकर मन ही मन मुस्कुराने लगी और झाड़ू लगाना बंद करके रोहन की तरफ देखते हुए बोली)

एक बात कहूं रोहन बापू मेरी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि मैं बहुत ही जल्दी भूल जाती हूं हो सकता है कि तुम जिस बात को याद दिलाना चाह रहे हो मैं वह बात भूल चुकी हूं…( ऐसा कहते हुए वह फिर से झाड़ू लगाना शुरू कर दी लेकिन इस बार वह रोहन के तरफ देखते हुए झाड़ू लगा रही थी और जानबूझकर कुछ ज्यादा ही झुकी हुई थी ताकि उसके दोनों नारंगी या रोहन को साफ साफ नजर आ सके और ऐसा हो भी रहा था… वास्तव में रोहन की नजरे सीधे बेला के दोनों नारंगीयो पर चली गई और रोहन पल भर में ही बेहद उत्तेजना का अनुभव करने लगा…. रोहन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक तो आज मौका बहुत ही अच्छा था और ऊपर से बेला उसके कमरे में ही थी और उसकी आंखों के सामने अपने अंगों का प्रदर्शन भी कर रही थी जिसे देखकर रोहन पूरी तरह से कामातूर हो चुका था…. जिस तरह का अनुभव रोहन अपने बदन में कर रहा था वह अपने आप को रोकने में असमर्थ था वह समझ गया कि उसे साफ-साफ बोले बिना कुछ नहीं मिलने वाला इसलिए वह पक्का निर्धार करके बेला से बोला….)

बेला सुनो तो …(इतना सुनकर बेला फिर से झाड़ू लगाना बंद करके रोहन की तरफ देखने लगी और बोली)

क्या बात है रोहन बाबू तुम इतना परेशान क्यों हो और मुझे भी परेशान कर रहे हो….

बेला में कह रहा था कि…( इतना कहकर रोहन इधर-उधर देखने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे कहें कि उसे बुर देखना है…)
मस्त अपडेट है भाई अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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