हां बेला में सच कह रही हूं…….
मलकिन आप बहुत अच्छी हो (बेला खुश होते हुए बोली)…
मालकिन अब आप अपने बचे हुए भी कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाए ताकि मैं आपकी अच्छे से मालिश कर सकूं….
_ उतारती हूं तू तो एकदम से पीछे ही पड़ गई है इतना कहते हुए सुगंधा एक बार फिर से अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी पुरा के हुक को एक झटके से खोल दी लेकिन इस बार वह ब्रा को उतारने से पहले ही बेला की तरफ घूम गई जो कि इसी पल का इंतजार रोहण कर रहा था और देखते ही देखते रोहन की आंखों के सामने उसकी मां अपनी ब्रा को भी उतार फेंकी रोहन के लिए यह नजारा किसी मन्नत पूरा होने से कम नहीं था .. क्योंकि उसके मन में एक दबी हुई आकांक्षा थी कि वह अपनी मां को संपूर्ण रूप से नंगी देखें और उसकी यह आकांक्षा पूरी होते नजर आ रही थी…. क्योंकि इस समय उसकी मां जिस अवस्था में खड़ी थी उसके बदन पर केवल एक छोटी सी पेंटी ही रह गई थी….. बेहद मादकता से भरपूर नजारा था… जो कि ऐसा नजारा हर किसी की किस्मत में देखने के लिए नहीं होता और रोहन की किस्मत बहुत जोरों पर थी रोहन की प्यासी नजरो उसकी मां की वक्षस्थल पर टिकी हुई थी… जोकि एकदम गोल और खरबूजे की तरह नजर आ रही थी लेकिन इस उम्र में भी सुगंधा की चुचियों का कसाव बरकरार था… चूचियां युद्ध के किसी योद्धा के समान एकदम तनी हुई थी मानो की किसी को युद्ध के लिए ललकार रही हो ऊपर से चुचियों की चॉकलेटी रंग की निप्पल किसी जानलेवा बंदूक की गोली की तरह नजर आ रही थी गोरे बदन कर दूधिया चुचियों के बीच चॉकलेटी रंग की निप्पल हर मर्द की कामना की पूर्ति के लिए बेहतरीन शक्ल में सुगंधा की चूड़ियों की खूबसूरती को बढ़ा रही थी बेला तो देखती ही रह गई क्योंकि बेला की चुचियों का आकार सुगंधा की चूचियों के आकार से कम था और कसाव के मामले में भी बेला छीण ही नजर आ रही थी…… बेला चटाई पर बैठी हुई थी और सुगंधा उसके करीबी खड़ी थी जोकि ब्रा उतारने के बाद शर्म के मारे पानी पानी हुई जा रही थी और बेला से ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी………..
रोहन से अपनी जवानी की गर्मी संभाले नहीं संभल रही थी उसका हाथ खुद ब खुद उसके पजामे पर आ गया था और वह हल्के हल्के से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था जिससे उसे काफी मस्ती चढ रही थी…..
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वाकई में सुगंधा की चूचियां जबरदस्त लग रही थी खास करके उस की गो लाइयां ऐसा लग रहा था कि मानो दो बड़े बड़े एकदम स्वादिष्ट खरबूजे हो आकार को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे सुगंधा की चूचियां इस उम्र में भी कच्चे नींबू की तरह ही थी….बस उनका आकार बढ़ गया था …. रोहन मंत्रमुग्ध सा अपनी मां की खरबूजा नुमा चुचियों को देखता ही रह गया उसके पजामे मैं तो गदर मचा हुआ था….. और यही हाल बेला की पेटीकोट मैं भी हो रहा था…. एक खूबसूरत औरत के नंगे बदन को देखकर बेला भी अपने आप पर काबू नहीं रख पा रही थी और उत्तेजना बस उसकी भी बुर गीली हो रही थी….
सुगंधा मारे शर्म के अपने दोनों कबूतरों को हाथ से ढकने की कोशिश करने लगी और सुगंधा की हालत देखते हुए पहला समझ गई कि मालकिन को शर्म महसूस हो रही है इसलिए वह सुगंधा के शर्म को दूर करते हुए बोली……
क्या हुआ मालकिन अब इसे (उंगली से पेंटी की तरफ इशारा करते हुए) क्यों पहन रखी हो इसे भी उतार दो….
नहीं बेला तू ऐसे ही मालिश कर दे (अभी भी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों चूचियों को ढंकते हुए बोली….)
मालकिन अब थोड़े के लिए क्यों अपना दर्द बढ़ाना चाहती हो… इसे भी उतार दो …
बेला ने यह बात रोहन के मन की कही थी क्योंकि रोहन भी कब से यही चाह रहा था कि उसकी मां झट से अपनी पैंटी उतार कर नंगी हो जाए…. रोहन की लालसा अपनी ही मां को नंगी देखने के लिए बढ़ती जा रही थीा बेला की बात सुनकर कुछ देर तक सुगंधा उसी अवस्था में बेला की तरफ देखती हुई खड़ी रही वह भी जानती थी कि मालिश कराते समय नग्न अवस्था में रहना ही उचित रहता है इसलिए वह बेमन से अपने दोनों हाथ को नीचे की तरफ लाई और दोनों हाथों से अपने पेंटी की छोर पकड़ ली…. अपनी मां की ये हरकत देखते ही रोहन के तन बदन में वासना की चिंगारियां फुटने लगी…. रोहन का दिल और जोरो से धड़कने लगा जब उसकी मां अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों से अपनी पेंटी पकड़कर हल्के से नीचे की तरफ सरकाई लेकिन ऐसा करते समय शर्म की वजह से सुगंधा फिर से दीवार की तरफ मुंह कर ली तब तक सुगंधा ने अपने हाथों से अपनी पेंटी को अपने नितंबों के नीचे सर का चुकी थी और कुछ देर तक वैसे ही रुकी रह गई….. शर्म के मारे सुगंधा समझ नहीं पा रही थी कि वह अपना कौन सा अंग छुपाए और कौन सा दिखाएं लेकिन सच पूछो तो वह अपना कोई भी अंग दिखाना नहीं चाहती थी लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसमें उसका बस बिल्कुल भी नहीं चल रहा था बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ कमरे का नजारा बनता जा रहा था जिस स्थिति में सुगंधा अपने हाथ रोके हुए थी तब तक सुगंधा के उन्नत उभार लिए हुए उसके नितंबों का आधा भाग दिख रहा था …. साथ ही उसके नितंबों के भागों के बीच की पतली और गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही अपनी मां की मचलती हुई जवानी को सलाम भरते हुए रोहन का लंड अंगडाई लेते हुए पानी की दो बूंद टपका दिया…..
_ रोहन की सांसो की गति तेज हुए जा रही थी वह अपलक अपनी मां की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन को देखता जा रहा था…. बेला भी आंखें फाड़े सुगंधा के खूबसूरत जिस्म का दीदार कर रही थी … उसकी नजरें भी खास करके सुगंधा के उन्नत उभार लिए हुए गोल गोल नितंबों पर ही टिकी हुई थी एक औरत होने के बावजूद भी एक औरत के जिस्म को देखने की उत्सुकता उसके मन में भी बढ़ती जा रही थी जो कि सुगंधा के मखमली मक्खन जैसे चिकने दूधिया बदन को देखकर अंदर ही अंदर रह रहकर जलन सी महसूस हो रही थी सुगंधा अभी तक अपने हाथ उसी अवस्था में आधी नितंबों पर ही रॉकी हुई थी एक बार फिर से वह शरमाते हुए बेला की तरफ देखी तो बेला अपना सिर हिला कर उसे आगे बढ़ाने के लिए इशारा की तो वह बुरा सा मुंह बना कर धीरे धीरे अपनी पेंटी को नीचे की तरफ सरकार ने लगी और देखते ही देखते सुगंधा के गोल गोल गोल आज तरबूज की तरह मादक गांड निर्वस्त्र हो गई और बेहद ही कामुक अंदाज में सुगंधा अपनी पेंटी को उतारने के लिए नीचे की तरफ झुकी और अपने हाथों से ही अपने पैरों में से अपनी पैंटी उतार कर एक किनारे कर दी लेकिन उसके झुकने के दरमियान जो नजारा केवल कुछ सेकंड तक ही दिखा था उसे देख कर रोहन के तन बदन में आग लग गई उसका लंड एकदम से फूल गया था उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके लंड की नसें फट जाएंगी….. क्योंकि झुकने की वजह से… सुगंधा के गोलाकार नितंब और भी ज्यादा उभार लेकर एकदम गोल गोल और कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आने लगी… सुगंधा के इस तरह से झुकने की वजह से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देख कर रोहन अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करने लगा…. उसके जी में आ रहा था कि जिस तरह से उसके दोस्त ने उस भाभी को झुका कर पीछे से उसकी चुदाई किया था उसी तरह से … वह भी कमरे में घुस जाए और पीछे से अपनी मां के बुर में लंड डालकर उसकी भी चुदाई कर डालें यह ख्याल मन में आते ही रोहन के तन बदन में चुदास की लहर दौड़ने लगी….
अपनी मालकिन की मक्खन जैसी गोरी चिकनी गांड देखकर बेला के तन बदन में भी उसे स्पर्श करने की चाहत जगने लगी सुगंधा अभी भी उसी स्थिति में खड़ी थी परंतु बेला और रोहन की तरफ अभी उसकी मक्खन जैसी गोल गोल गांड ही नजर आ रही थी… क्योंकि सुगंधा के मन में भी अजीब सी उथल-पुथल चल रही थी वह चाहती थी कि जितना हो सके उतना कम उसके अंगों का प्रदर्शन हो इसलिए वह अपनी सबसे अत्यधिक की मती और लाजवाब खजाने को दिखाने से कतरा रही थी यह कसक रोहन के मन में भी उत्पन्न हो रही थी कि वह इसमें अपनी मां की बेहद खूबसूरत हसीन बुर को नहीं देख पा रहा था लेकिन मर्दों के लिए एक खूबसूरत औरत के नितंब कुछ ज्यादा ही महत्व रखते हैं इसलिए रोहन अपनी मां की बेहद खूबसूरत नंगी गांड को देखकर संतुष्ट था लेकिन उसके मन में अपनी मां की बुर को देखने की चाहत बराबर बनी हुई थी लेकिन सुगंधा जो अपने आप को संभाले हुए थी और बेला की तरफ मुंह करके खड़ी होने में शर्म का अनुभव कर रही थी अपनी मालकिन को इस तरह से शरमाते हुए देखकर बेला बोली
वाह मालकिन आप तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही है कसम से मैंने अपनी जिंदगी में आप जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखी ….(बेला की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा दे और इस तरह से मुस्कुराने की वजह से उसकी खूबसूरती में चार चांद लग रहे थे जो कि रोहन की उत्तेजना का कारण बनता जा रहा था बेला की बात सुनकर सुगंधा बोली)
चल अब रहने दे बातें बनाने को अपनी मनमानी कर ही ली…
मनमानी कैसी मालकिन यह तो आपकी भलाई के लिए ही में कर रही हूं अब चलिए जल्दी से लेट जाइए ताकि मैं आपकी मालीस कर सकु…..
बेला की बात सुनते ही सुगंधा चटाई पर लेटने की तैयारी करने लगी और धीरे-धीरे वह वहीं चटाई पर बैठ गई सुगंधा चटाई पर तकिया भी रख दी थी ताकि सुगंधा आराम से लेट सके….
सुगंधा कितनी चरित्रवान थी वह इस बात से होता है कि वह अपनी टांगों के बीच बेहद कीमती खजाने को इस तरह से छिपाकर चटाई पर लेट गई कि ना तो उस अंग को बेलाही देख पाई और ना ही रोहन…..
वह पेट के बल लेट गई थी
भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते