बेला धीरे धीरे अपनी मतवाली बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए झोपड़ी की तरफ जाने लगी .. पेटीकोट पानी से भीगी होने की वजह से वह बेला के भरावदार नितंबों से पूरी तरह से चिपकी हुई थी। जिससे उसके गोलाकार नितंब वस्त्र के अंदर होने के बावजूद भी साफ-साफ उसकी रचना नजर आ रही थी…
और तो और बेला की बड़ी बड़ी गांड की फाकौ के बीच उसका पेटीकोट घुशने की वजह से बेला का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा मादक लग रहा था। चलते समय बेला की गांड दाएं दाएं हिल रही थी जिसे देख कर रोहन का लंड पजामे के अंदर ऊपर नीचे हो रहा था रोहन अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न और रोमांचित नजर आ रहा था बेला मस्ती भरी चाल चल रही थी मैं जान बुझकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी। बेला ₹500 का कर बहुत खुश नजर आ रही थी और वह मुस्कुराते हुए झोपड़ी की तरफ बढ़ते चली जा रही थी।
थोड़ी ही देर में बेला झोपड़ी के करीब पहुंच गई धूप एकदम चिल चिला रही थी। ऐसे में घर के बाहर निकलना बेहद कष्टदायक होता है और गांव के सभी लोग इस समय घर के अंदर रहकर आराम ही करते हैं और जो कुछ भी काम होता है शाम के वक्त ही करते हैं लेकिन बेला के मन में तो कुछ और चल रहा था और अपनी उसी मनसा को अंजाम देने के लिए वह खड़ी दुपहरी में कपड़े धोने का नाटक कर रही थी जिस नाटक को देख कर.. और ज्यादातर बेला के अधखुले अंगों को देख कर बेला की जवानी पर मोह गया था…. और बेला की जवानी की मोहिनी में फंसकर उसके पीछे पीछे लार टपका ते हुए झोपड़ी तक पहुंच गया था बेला अनुभवी और खेली खाई औरत थी वह मर्द को चित करने का हुनर अच्छी तरह से जानती थी और इस काम में काफी एहतियात भी बरतना जानती थी इसलिए वह झोपड़ी के अंदर जाने से पहले चारों तरफ अपनी नजरें दौड़ाकर इस बात की तसल्ली कर रही थी कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन इतनी तेज धूप में भला कौन वहां उन्हें देखने वाला था ।पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद वह झोपड़ी के अंदर प्रवेश की ओर रोहन को भी अंदर आने के लिए बोली, झोपड़ी के अंदर ईंधन के लिए सूखी लकड़ियां और गाय भैंसों के लिए सुखी घास रखी हुई थी यहां पर बेला के सिवा कोई और नहीं आता था इसलिए बेला को पूरी तरह से निश्चित ता का अनुभव हो रहा था…
दिला के कपड़े पानी में पूरी तरह से भीगे होने की वजह से उसके खूबसूरत बदन से चिपके हुए थे अभी भी उसके ब्लाउज के तीन बटन खुले थे जिसकी वजह से उसकी दोनों रसभरी नारंगीया अपनी निप्पल के साथ नजर आ रही थी। इस तरह एकांत में झौपड़ी के अंदर बेला को अर्धनग्न स्थिति में देख कर रोहन के अरमान मचलने लगे थे मन में तो आ रहा था कि
वह उसकी दोनों नारंगी लोग को अपने हाथ से पकड़ कर मसल दे लेकिन यह सिर्फ वह सोच सकता था हकीकत में करने की उसकी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी..
अरमान तो बेला के भी मचल रहे थे लेकिन अपनी उम्र का लिहाज और अपनी कुटिल षड्यंत्र के चलते अपने आप को रोके हुए थी वरना एक प्यासी औरत एक जवान मर्द को अपने इतने करीब देखकर और वह भी खास करके जब उसका हजार को ज्यादा ही दमदार हो तो भला कैसे अपने आप को रोक पाए लेकिन बेला की मजबूरी थी जो अपनी मनमानी करने के लिए अपने आप को रोक रही थी… वरना बेला की नजर जब भी रोहन की टांगों के बीच जा रही थी तो उसके मजबूत तंबू को देख कर उसके मुंह में पानी आ जा रहा था… इसलिए तो बेला अपने अरमानों पर मजबूरी का पानी डालकर शांति से रोहन के सामने खड़ी होकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और रोहन दिला को इस तरह से मुस्कुराते देखा कर और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था….
रौहन अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन ना जाने क्यों वह छुपा नहीं पा रहा था साफ तौर पर वह अब अपने पेंट में बने तंबू को छुपाना भी नहीं चाहता था क्योंकि वैसे भी बेला के पेंट में तंबू के बारे में अच्छी तरह से जानती थी।
दिखाओ….( ना चाहते हुए भी रोहन के मुंह से यह शब्द निकल गया.. रोहन अपनी ही कही बात से एकदम आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह शब्द उसने कहै हे। यह रोहन के मन मस्तिष्क में छाया बेला के मादक बदन का ही नशा था जो खुद-ब-खुद उसके मुंह से बेला को अपने अंक प्रदर्शित करने का आह्वान करने लगा.. . रोहन की जिज्ञासा उत्सुकता से बेला भी हैरान थी क्योंकि उसे इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि वह खुद उसे दिखाने के लिए बोल रहा है। बेला रोहन की अधीरता को देखकर मुस्कुरा दी। और मुस्कुराते हुए बोली…)
धीरज धरो रोहन बाबू यहां पर लाई हूं तो जरूर दिखाऊंगी आखिरकार तुमने मुझे ₹500 देकर मौके पर मेरी मदद कीए हौ। ( इतना कहकर बेला अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर उगलियोंके सहारे धीरे-धीरे अपनी पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगी, यह देखकर रोहन का दिल जोरो से धड़कने लगा धीरे-धीरे करके बेला अपने पेटिकोट को घुटनों तक लाई ही थी कि एकाएक अपना पेटीकोट घुटने तक लाकर रुक गई और रोहन से बोली)
देखो रोहन बाबू यह मेरी इज्जत का सवाल है यह बात किसी को कानों कान खबर नहीं करनी चाहिए कि इस झोपड़ी में मेरे और तुम्हारे बीच क्या हुआ और ना ही इस बात की खबर लगनी चाहिए कि तुमने मुझे ₹500 दिए हैं अगर तुम वादा करो तो मैं आगे बढ़ो वरना तुम अपने ₹500 ले सकते हो मैं नहीं चाहती थी बाद में तुम मुकर जाओ और मेरी इज्जत खराब हो गांव में मेरी बदनामी हो और मैं अपनी नौकरी से भी हाथ धो बैठु।
( बेला की यह बात सुनकर रोहन को गुस्सा आने लगा लेकिन गुस्सा इस बात पर नहीं आया कि वह क्या कह रही है बल्कि उसे इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि वह इतना खूबसूरत नजारा दिखाते दिखाते रुक गई थी वह अंदर ही अंदर बेला की इस हरकत की वजह से घुटन सी महसूस करने लगा… बेला अभी भी अपनी पेटीकोट को घुटनों तक लाकर वैसे की वैसी ही स्थिति में खड़ी होकर रोहन की तरफ देख रही थी रोहन समझ गया कि यह इतनी जल्दी .. मानने वाली नहीं है इसलिए वह बोला)
तुम यह कैसी बातें कर रही हो यह बात अगर किसी को भी पता चलेगी तो मेरी भी तो बदनामी होगी क्योंकि तुम्हारे साथ मैं भी तो हूं यहां पर इसलिए इत्मीनान रखो यह बात मेरे और तुम्हारे बीच में रहेगी किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी….
( रोहन की बातें सुनकर बेला को इत्मीनान हो गया इसलिए वह अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बोली…)
मुझे तुमसे यही उम्मीद थी रोहन बाबू (और इसके साथ ही वह अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर की तरफ उठाने लगी…. एक बार फिर से झोपड़ी के अंदर का तापमान गर्म होने लगा बेला अत्यधिक कामुक हरकतें करके रोहन को पूरी तरह से अपने वश में कर ली थी…. धीरे धीरे करके बेला ने अपनी पेटीकोट को एकदम जागो तक चढ़ा दी, रोहन तो बेला की मोटी मोटी चिकनी जांगे देखकर.. मस्त होने लगा उसकी जी में आ रहा था कि उसकी जांघों से लिपट जाए क्योंकि एकदम नंगी जांघों को आज वह पहली बार देख रहा था… रोहन अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिस अंग को दिखाने की बेला बात कर रही थी उस अंग को अनावृत होने में कुछ पल की ही देरी थी…
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी रोहन के मन में वासना भरी भावनाएं जोर मार रही थी क्योंकि आज पहली बार… वह औरत के बेशकीमती खजाने सामान उसकी बुर को इतनी नजदीक से देखने वाला था इसलिए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और बेला की सासे गहरी चल रही थी। क्योंकि वह भी आज पहली बार किसी मर्द के सामने अपने खूबसूरत अंग को दिखाने जा रहे थे जिसके चलते उसके बदन में भी उत्सुकता और उन्माद का असर देखने को मिल रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और आधी खुली चूचियां खुले हुए ब्लाउज के अंदर कबूतर की तरह छटपटा रहे थे।
झोपड़ी के अंदर दोनों आने वाले समय कुछ बेहतरीन पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे जिसमें अब कुछ ही सेकंड की देरी रह गई थी बेला रोहन कि बेसब्री और इंतजार को खत्म करते हुए अपनी पेटीकोट को अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसे ही जांघौ के ऊपरी छोर तक पहुंची हुई पेटीकोट आधा अंगुल ऊपर हुई बेला की सबसे खूबसूरत अंग का वह हिस्सा फूली हुई गरम रोटी की तरह नजर आने लगी अभी तो मात्र रोहन को बेला की बुर का हल्का सा उपसा हुआ हिस्सा ही नजर आया था कि, रोहन की सांसो की गति तेज हो गई उसका दिल जोरो से धड़कने लगा, बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी। बेला रोहन के चेहरे की चमक देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी….. रोहन के चेहरे की चमक साफ बता रही थी कि बेला के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था रोहन की आंखें बेला की पेटीकौट के अंदर टिकी हुई थी।
बेला अपने आप पर और अपनी सांसो पर काबू करने में बिल्कुल असमर्थ साबित हो रही थी.. बेला रोहन को एकाएक अपनी बुर ना दिखाकर धीरे-धीरे उस पर से पर्दा हटाते हुए उसे और ज्यादा तड़पा रही थी….. रोहन पसीने से तरबतर हो चुका था उसके पेंट में बना तंबू किसी भाले की तरह नुकीला नजर आ रहा था और उसके नुकीले पन को देख कर बेला की रसीली बुर पानी टपका रही थी।…
बेला और रोहन की नजरें एक ही स्थान पर स्थिर जमी हुई थी तभी बेला की उंगलियों में हरकत हुई.. और बेला अपनी पेटीकोट को एक अंगूल और ऊपर की तरफ उठा दी….
बेला की पेटिकोट एक अंगूल और ऊपर उठते ही। बेला की रसीली बुर पूरी तरह से नंगी हो गई।
आहहहहहहहहह,,,,,,,, अपनी आंखों के सामने बेला की नंगी बुर देखती ही रोहन के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई……
उसकी आंखों की चमक बता रही थी कि उसने जीवन में किसी अद्भुत चीज को देख लिया था… यह हकीकत था कि रोहन जैसे नए-नए जवान हो रहे मर्द के लिए औरत के इस अंदरूनी बेहद खूबसूरत अंग को देखना किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं होता.. बेला के खूबसूरत बुर की बनावट देखकर रोहन पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया था… उसे यकीन नहीं हो रहा था कि औरत की दूर की बनावट इतनी खूबसूरत होती है उत्तेजना के मारे बेला की बुर गरम रोटी की तरह फूल गई थी… जिसकी वजह से बेला की बुर की खूबसूरती में चार चांद लग
रहे थे….
रोहन आंखें फाड़े बेला की खूबसूरत बुर के रस को अपनी आंखों से पी रहा था.. . बेला कभी रोहन की तरफ तो कभी
अपनी बुर की तरफ देख ले रही थी.. अच्छी तरह से समझ गई थी कि रोहन उसकी बुर के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुका है तभी तो हल्के हल्के बालों से भरी हुई गुलाबी बुर को देख …कर पागल हो जा रहा था….
कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे उत्तेजना का असर दोनों के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। तभी दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ते हुए बेला बोली…
देख लिए ना रोहन बाबू….
रोहन कुछ बोल नहीं पाया… बस हां में सिर हिला दिया…
लेकिन बेला धीरे से अपनी पेटीकोट नीचे की तरफ छोड़ दी… और जैसे ही बेला में अपनी पेटीकोट नीचे छोड़ी वैसे ही रोहन बोला. .
अरे अरे अरे यह क्या कर रही हो…. मुझे नजर भर कर देख तो लेने दो..
( रोहन की बात सुनकर बेला मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली..)
बस रोहन बाबू आज के लिए इतना काफी है अब कभी मौका मिलेगा तो फिर से दिखा दूंगी और इतना कहकर झोपड़ी से बाहर निकल गई
बेला वहां से चली गई थी लेकिन रोहन के मन में अपने लिए बहुत कुछ छोड़ गई थी जोकि एक आकर्षण मे बंधा हुआ था..
बेला अपना काम कर चुकी थी उसने अपने ब्लाउज में रोहन के दिए हुए ₹500 रखकर झोपड़ी से बाहर निकल गई थी वह बहुत खुश नजर आ रही थी पहली बार वह अपने बदन की ताकत और गर्मी दिखाकर पैसे कमाए थे ….जिससे उसकी खुशी दुगनी हो चुकी थी.. लेकिन अपने इस हथकंडे अपनाने में वह खुद ही रोहन के प्रति आकर्षित होने लगी थी…. खास करके उसके पेंट में बने तंबू के प्रति खेली खाई बेला अच्छी तरह से जान गई थी कि रोहन का हथियार किसी भी औरत की बुर की नसें ढीली कर सकता है…
बेला को जाते हुए देख कर रोहन अपने मन में बेला को लेकर ढेर सारे सपने संजोने लगा था …जाती हुई बेला के बड़े बड़े गोल नितंबों पर ही रोहन की नजरें टिकी हुई थी… वैसे भी औरतों के नितंब हमेशा से मर्दों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु बना होता है… रोहन के तन बदन में बेला के बदन की खुशबू उत्तेजना का संचार कर थी उत्तेजित अवस्था में रोहन के पेंट का तंबू और ज्यादा नुकीला बना हुआ था बेला की मटकती गांड लंड को फटने की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया था रोहन का हाथ खुद-ब-खुद पेंट के ऊपर इस अदा पर आ गया था और वह बेला को जाते हुए देख कर… पैंट के ऊपर ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था…
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए बेला की बुर देखने का मौका रोहन को दोबारा नहीं मिल पा रहा था वह अंदर ही अंदर एक बार फिर से बेला की बुर और उसके नंगे बदन को देखने के लिए तड़प रहा था लेकिन ना तो उसे मौका ही मिल रहा था और ना ही बेला उसे मौका दे रही थी जो कि यह बेला जानबूझकर कर रही थी…. क्योंकि बेला का उद्देश्य रोहन की तरफ को और ज्यादा बढ़ाना था वह चाहती थी कि रोहन खुद उसे अपनी बुर दिखाने के लिए कहे …ताकि वह फिर से उससे पैसे एेंठ सके…. क्योंकि इस बात को बेला अच्छी तरह से जानती थी कि रोज रोज अगर वह रोहन को अपनी बुर के दर्शन कराएगी तो… बार बार केवल उसके अंग के दर्शन करके रोहन ऊब जाएगा और वह उसे पैसे देना भी बंद कर देगा इसलिए वह रोहन को तड़पाना और उकसाना चाहती थी वैसे भी लंबे समय के अंतराल के बाद मर्दों की भूख कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है और वह लोग अपनी भूख मिटाने के लिए औरतों की हर बात मानने को तैयार हो जाते हैं …यहां तक कि औरतें चाहे तो उनकी भूख का फायदा उठाकर उन्हें अपना गुलाम बना सकती हैं और यही बेला भी करना चाहती थी……..
और इसी चाह में बेला लगी हुई थी… इसलिए जब भी वह रोहन को अपने करीब उपस्थित पाती थी तो जानबूझकर उसके सामने झुक कर काम करने लगती थी ताकि रोहन उसके नितंबों का घेराव बड़ी आसानी से देख सके और तो और उसकी चुचियों की बीच की गहरी लकीर के साथ साथ उसकी चुचियों की गोलाई और निप्पल तक नजर आए इसलिए वह जानबूझकर कोई देख ना पाए इस तरह से अपने ब्लाउज के ऊपरी दो बटन खोल कर रखती थी और इसी वजह से रोहन को आते जाते बेला के अंगो का दर्शन हो जाता था लेकिन इतने दर्शन मात्र से उसकी प्यास नहीं बुझती थी बल्कि और ज्यादा भड़क जाती थी और यही बेला चाहती थी इसी तरह से धीरे-धीरे करके वक्त गुजर रहा था….
भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते