जिसकी वजह से उसे दर्द के साथ साथ बूर को रगड़ने में दिक्कत भी ं हो रही थी इसलिए वह मन ही मन तय कर ली कि कल वह मार्केट से लौटते समय दुकान से वीट क्रीम लेकर आएगी और अपने इन बालों को साफ करके बुर को वापस एकदम चिकनी कर लेगी वैसे भी उसे बुर पर ज्यादा बाल पसंद नहीं थे लेकिन उसकी उमंग ही खत्म हो चुकी थी इसलिए उसने बार बार बाल को साफ करने की जेहमत उठाना ठीक नहीं समझती थी, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि बुर को समय समय पर साफ करके चीकनी कर लेना ही ठीक रहेगा।
अलका बदहवास होकर अपनी बुर को मसल रहीे थी और तभी फिर से उसे वीनीत के लंड की ठोकर याद आई और उसने झट से अपनी बीच वाली उंगली को आधी बुर में उतार दी , यह कब और कैसे हो गया उसे पता ही नहीं चला। अलका अपनी आंखें खोली अपनी ब** की तरह ही देख रही थी और बार बार बुर में अाधी घुसी हुई अपनी उंगली की तरफ देखकर सोच रही थी कि, यह ठीक नहीं है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए यह गलत है अगर आज बहक गई तो अनर्थ हो जाएगा। उसका दिमाग उसे रोक रहा था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था उसके बदन की जरूरत उसके दिमाग का साथ नहीं दे रही थी। वैसे भी जब तू दास की लहर बदन में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का दिमाग काम करना बंद कर देता है। क्या सही है क्या गलत है इसका फैसला कर पाना इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इंसान सिर्फ अपने बदन की जरूरत का ही साथ देता है बाकी सब बातें उसे बकवास लगने लगती है। अलका के साथ भी यही हुआ इस समय उसे बदन की प्यास मिटाने की जरुरत थी और अलका ने भी बदन की प्यास मिटाने को ही अग्रिमता दी। और ना चाहते हुए भी वीनीत को याद करके अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करना शुरु कर दी। वैसे तो अल्का दो बच्चों की मां थी ईसलिए उसकी बुर फैली हुई होनी चाहिए थी लेकिन बरसों से उसने लंड का स्वाद नहीं चखी थी, उसकी बुर में बरसों से किसी भी लंड ने प्रवेश नहीं किया था इसलिए उसकी बुर धीरे धीरे टाइट हो चुकी थी। उसकी कसी हुई बुर में आधी उंगली भी चुस्त पड़ रही थी। धीरे धीरे अलका आनंद के अथाग सागर में परवेश कर गई थी।
हल्की-हल्की अंदर बाहर हो रही उंगली अब बड़ी तेजी से अंदर बाहर होने लगी थी और साथ ही साथ उसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी। धीरे धीरे करके अलका ने पूरी उंगली को बुर में उतार दी और बड़ी तेज गति से अंदर बाहर करने लगी, रह-रहकर उसके मुंह से गरंम सिसकारी छूट पड़ रही थी। अब अलका के लिए यहां से पीछे हट जाना बड़ा ही मुश्किल था और वैसे भी वहां अब पीछे हटना नहीं चाहती थी। इसलिए वह धीरे धीरे करके इतनी ज्यादा चुदवासी हो गई की उसने अपनी दूसरी उंगली भी बुर में घुसा दि, अलका की रसीली बिर उसके काम रस एकदम लतपत हो चुकी थी। उस की उंगलियां बुर के काम रस में सनि हुई थी।
उत्तेजना के मारे उसे ऐसे लगने लगा था कि जैसे उसके बदन पर चिंटिया रेंग रही हो इसलिए वहां एक हाथ से अपने पूरे बदन को सहला रही थी बार-बार अपनी हथेली को गाऊन के ऊपर से ही चूचियों पर रखकर दबा रही थी अपनी उत्तेजना को समा पाना उससे मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए उसने एक हाथ से धीरे-धीरे करके अपने गाऊन को उतार फेंकी। वह बिस्तर पर एकदम निर्वस्त्र हो गई एकदम नंगी।
गजब की खूबसूरत लग रही थी अलका ,उसके बदन का मादक कटाव ,उसका उभार किसी के भी मन को डोला दे। वह कस कस के अपनी चुचियों को बारी-बारी से दबा रही थी। उसकी गर्म सिस्कारियों से उसका पूरा कमरा गूंज रहा था। उसकी गरम सिसकारीयो की आवाज उसके बच्चों के कानो तक ना पहुंच जाए अब इसकी भी जरा सी चिंता उसे नहीं थी। वह तो अपने आप में मस्त हो गई थी, आंखों को मूंद कर विनीत के द्वारा उसके साथ ली गई छुट छाट को याद करके अपनी बुर में बड़ी तेजी से उंगली को पेले जा रही थी। वह चरम सीमा के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी। तभी उसकी सिसकारियां एकाएक तेज होने लगी।
आहहहहहहहहह…….ससससहहहहहहहह…..आहहहहहहहहहहहह………ऊमममममममममम…..
ओहहहहहहहह…..ओहहहहहहहहह…..
ओह….।म्म्म्म्म्म्म्मा…….
इतना कहने के साथ ही उसकी बुर से कामरस का फव्वारा फुट पड़ा। उसकी पूरी हथेली काम रस में भीग गई। उत्तेजना के मारे उसकी सांसे उखड़ने लगी थी।
चुदास से भरा हुआ तूफान अपना काम कर चुका था।
बरसों से चुदास की आग में तप रही अलका का बदन काम रस के फव्वारे के छूटने के साथ ही कुछ हद तक ठंडा पड़ने लगा था। थोड़ी ही देर में अलका शांत हो गई उसकी उखड़ती सांसे दुरुस्त होने लगी। उसकी तड़प मीट चुकी थी वह आंखों को मु्दे हुए ही बिस्तर पर तकिए पर सर रखकर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला।
सुबह राहुल नहा कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां उठी नहीं थी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसलिए राहुल को चिंता होने लगी उसे ऐसा लगने लगा कि कहीं उसकी मम्मी भीगने की वजह से बीमार तो नहीं हो गई है। मन मे ढेर सारे सवाल लिए राहुल अपनी मम्मी के कमरे की तरफ जाने लगा। कमरे के पास पहुंचते ही उसने दरवाजे को खटखटाने के लिए जैसे ही उस पर अपनी हथेली रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया। दरवाजा खुला हुआ देखकर राहुल के मन में अजीब अजीब से सवाल पैदा होने लगे। वह दबे क़दमों से कमरे में प्रवेश किया और जैसे ही उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी। वह एकदम से दंग रह गया वह अपनी नजरें बिस्तर पर ही गड़ाये रहा, उसका गला सूखने लगा उत्तेजना के मारे उसके बदन मे कंपकंपी सी फैल गई। तुरंत उसके पजामे में तंम्बू तन गया। क्या करे नजारा ही कुछ ऐसा था। उसकी मम्मी एकदम निर्वस्त्र पूरी तरह से नंगी होकर पेट के बल एकदम बिंदास होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी।
अपनी मां को नंगी लेटे हुए देखकर राहुल का दिमाग सन्न रह गया था उसके होश उड़ चुके थे। वह अपनी मां के कामुकं बदन को एक टक देखते ही रह गया’ उसकी मां भी बड़े ही कामुक अंदाज में अपने पैरों को थोड़ा सिकोड़कर लेटी हुई थी जिसकी वजह से उसकी भारी भरकम गांड अपनी गोलाइयां लिए हुए उभर कर सामने आ रही थी । जिसे देखते ही राहुल तो क्या दुनिया के किसी भी मर्द के होश उड़ जावे।
वीनीत की भाभी के साथ बिताए हुए पल के बाद राहुल को हर औरत अब सेक्सी लगने लगी थी वह हर औरत को अपने अलग नजरिए से देखने लगा था। अपनी मम्मी को नग्नावस्था में देख कर आज पहली बार राहुल को लगने लगा था कि उसकी मम्मी बहुत ज्यादा ही खूबसूरत और बहुत ही सेक्सी है। राहुल का गला शुर्ख हो चला था उसकी आंखों की चमक उसकी ही मां की भरपुर गांड को देखकर बढ़ चुकी थी। उसका लंड अपनी ही मां को नंगी देखकर तुरंत हरकत में आ गया था और उसका लंड पूरी तरह से फुल टाइट होकर पेंट में तनकर तंबू बनाया हुआ था। जिस दिन से उसने विनीत की भाभी को चोदा था उसके बाद से उसे चोदने की इच्छा बहुत ज्यादा होने लगी थी और इस वक्त अपनी मम्मी को संपूर्ण नग्नावस्था में देखकर उसके चोदने की इच्छा और भी ज्यादा प्रज्वलित हो चुकी थी।
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, एक मन तो कह रहा था कि जाकर उसे जगा दे इसी बहाने वह अपनी मां के कामुक ओर मादक बदन को स्पर्श कर सकेगा लेकिन इस तरह से जगाना ठीक नहीं था ‘ क्योंकि उसे डर था कि मेरे इस तरह से जगाने पर उसकी मां अगर उठेगी तो अपनी नग्न हालत को देखकर शर्मसार हो जाएगी. और उसे भी भला बुरा कह सकती है। उसकी यह भी इच्छा हो रही थी कि बिना कुछ बोले बिस्तर पर जाकर मम्मी की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर पूरा लंड उसकी बुर में पेल कर चोदना शुरू कर दे जिस तरह से वीनीत की भाभी की बुर में लंड पेल कर चोदा था। यही मन में सोचते हुए राहुल पेंट के ऊपर से ही अपने टनटनाए हुए लंड को मसलना शुरु कर दिया। उसके मन में यह विचार आ रहा था कि ज्यादा कुछ नहीं तो पेंट को नीचे सरका कर टनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देखते हुए ही मुठ मार लूं, और उसने ऐसा किया भी अपनी पेंट की जीप खोला और अब उठे और उंगली का सहारा लेकर अपने मोटे ताजे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका लंड इतना ज्यादा मोटा और टाइट हो चुका था कि इस तरह से जीप के रास्ते बाहर आ पाना मुश्किल हो रहा था। इसलिए उसने पेंट की बटन खोलकर पेंट को ही नीचे जांघो तक सरका दिया। उसका लंड अपनी मां के नंगे बदन को देख कर और भी ज्यादा मोटा ताजा हो गया था और खुशी के मारे हवा में झूल रहा था। राहुल एकदम चुदवासा हो चुका था इसलिए वह अपने मोटे लंड को अपने मुठ में दबा लिया और आगे पीछे करके मुठ मारना शुरू कर दिया उसकी नशीली और चुदवासी आंखें अपनी मां के पुरे नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक घूम रही थी। वह दो-चार बार ही लंड को मुट्ठी में भर कर हिलाया ही था कि उसकी मां के बदन में हल्की सी हलचल हुई। हलचल होते ही राहुल तुरंत उल्टे पाव कमरे से बाहर आ गया उसने यह देखना भी ठीक नहीं समझा कि उसकी मम्मी जाग गई है या अभी भी सो ही रही है। राहुल अपने कमरे में खड़ा था उसका लंड अभी भी फूल टाइट था। कुछ पल पहले जो नजारा उसने अपनी मम्मी के कमरे में देखा था वह नजारा पूरी तरह से राहुल के दिमाग पर हावी हो चुका था, उस नजारे से पूरी तरह से निकल पाना तो बहुत मुश्किल था लेकिन उससे कुछ पल के लिए पीछा छुड़ाने का एक ही तरीका था। और राहुल ने भी वही किया उसने फिर से अपनी पेंट को नीचे जांघो तक सरका दिया , उसकी नज़र जैसे ही अपने टनटनाए हुए लंड पर पड़ी तो उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैल गई। उसने तुरंत अपने मोटे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर कस लिया और आगे पीछे करके अपने लंड काे मुठीयाने लगा। राहुल की ऊत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी। क्योंकि उसके जेहन में उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड कि वह छवी बसी हुई थी जिसे देख कर वह उन्माद से भर चुका था।
वह अपने लंड को कसकर के मुट्ठीयाने लगा उसकी आंखें बंद थी और हाथ बड़ी ही तीव्र गति से आगे पीछे चल रहे थे। लंड तो उसका हथेली मे कसा हुआ था लेकीन ऊसकी कल्पना मे उसका लंड उसकी मम्मी की नमकीन बुर मे घुसकर कमर आगे पीछे कर रहा था।
इसलिए उस की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी। राहुल के सर पर इस समय वासना सवार थी आज अगर जरा सा भी मौका मिलता तो वह अपनी मां की बुर लंड कर चोद दिया होता। लेकिन फिर भी वह यहां पर मुठ मारते हुए कल्पना मे ही अपनी मां को चोद रहा था। राहुल मुठ मारते हुए चरमसीमा के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था कि अगले ही उसके मुंह से हल्की चीख निकल गई और लंड से फुवारा छुट़कर नीचे फ़र्श पर गिरने लगा। राहुल पूर्ण रुप से संतुष्ट हो चुका था।
वह कपड़े व्यवस्थित कर के कुछ देर वहीं बैठ गया बासना का तूफान शांत हो चुका था,कुछ देर पहले उस की जो मनोस्तिथि थी उस से उबर चुका था’
वासना का तूफान शांत होने पर उसे अपनी हरकत पर क्रोध आने लगा उसका मन ग्लानीे से भर गया’ वह अपने आप को ही कोसने लगा की उसने ऐसी गंदी हरकत कैसे कर दी अपनी ही मम्मी के बारे में इतना गंदा गंदा सोच कर हस्तमैथुन कैसे कर लिया। उसका मन पछतावे से भर गया और आइंदा ऐसी गंदी हरकत कभी भी नहीं करेगा इसकी कसम भी खा लिया।
और वहीं दूसरी तरफ अलका की आंख खुल चुकी थी और अपनी हालत पर गौर करते ही शर्म की लाली उसके चेहरे पर बिखर गई, अपने बिस्तर पर अपने आप को नंगी पाकर भी वह अपने बदन को चादर से ढंक लेने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि वह जानती थी कि कमरे में उसे कौन देखने वाला है , लेकिन वह यह कहां जानती थी कि देखने वाले ने तो उसका सब कुछ देख चुका है, और उसके नग्न बदन रुपी खजाने को देखने वाला दूसरा कोई और नहीं बल्कि उस का अपना ही बेटा था जो कि उस के नंगे बदन को देखकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुठ मारकर अपने आप को शांत करना पड़ा।
अलका एकदम बिंदास होकर एकदम नंगी बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपनी बाहें फैलाकर अंगड़ाई लेते हुए अपने आलस को मरोड़ रही थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे के चेहरे पर जरा सा भी कल जो हुआ था उसको लेकर बिल्कुल भी तनाव नहीं था। खुश नजर आ रही थी आज अलका और खुश हो भी क्यों ना आज पहली बार उसने अपने लिए अपने मन की सुनी थी, आज बरसो बाद उसने वह की थी जो उसके मन ने कहा था और जो उसके बदन की जरूरत थी। अलका आरस मरोड़ कर बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ी हुई नीचे जमीन पर उस का गाउन पड़ा हुआ था अपने गाउन को देख कर वो फिर से मुस्कुराएं क्योंकि उसे तुरंत याद आ गया कि रात को इतनी ज्यादा उत्तेजित और उन्माद से भर चुकी थी कि कब उसने अपने बदन से एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार के नीचे फेंक दी उसे पता ही नहीं चला। अलका ने अपना काउंट उठा कर कैसे अपने बदन पर डाल ली और कमरे के बाहर आ गई।
कमरे में बैठे बैठे काफी समय बीत चुका था वह कमरे से बाहर आया तो देखा कि उसकी मम्मी रसोई घर में नाश्ता तैयार कर रही थी, राहुल को सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा था वह रसोई घर में प्रवेश किया और अपनी मम्मी से बोला।
गुड मॉर्निंग मम्मी।
गुड मॉर्निंग बेटा( कढ़ाई में चमची चलाते हुए बोली)
आज इतनी लेट तक सोए रहे मम्मी तबीयत तो ठीक है ना। ( इतना कहने के साथ ही वह मटके से पानी निकाल कर पीने लगा। उसकी मम्मी भी जवाब देते हुए बोली।)
हां बेटा थोड़ी थकान सी महसूस हो रही थी और वैसे भी कल भीगने की वजह से थोड़ी सर्दी हो गई है इसलिए आज आंख लग गई थी। ( इतना कहने के साथ ही वह हरी मिर्ची को काटने लगी और राहुल अपनी मम्मी के जवाब से संतुष्ट होकर रसोई घर से बाहर आ गया। राहुल के जाते ही अलका को फीर से कल की और रात की बाते याद आने लगी, उत्तेजनात्मक पल को याद करके एक बार फिर से उसकी पेंटी गीली होने लगी।
उसे बीते पल को याद करने में बड़ा ही रोमांच लग रहा था और मजा भी आ रहा था। बातों ही बातों में अलका ने नाश्ता तैयार कर ले और राहुल और सोनू को नाश्ता दे कर खुद अपने कमरे में जाकर ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। सज धज कर तैयार होते ही अलका फिर से आसमान से उतरी कोई हूर लगने लगी।
हाथ में पर्श़ लिए अलका अपने कमरे से बाहर आई राहुल की नजर अपनी मम्मी पर पड़ी तो वह देखता ही रह गया, पहले भी हो इसी तरह से तैयार होकर सुंदर लगती थी लेकिन राहुल के लिए आज देखने का रवैया कुछ और था। विनीत की भाभी के साथ शारीरिक संबंध के बाद कहीं और तो को देखने का उसका नजरिया बदल गया था जो कुछ भी बचा था आज सुबह अपने ही मम्मी को संपूर्ण रुप से नग्नावस्था में देखकर वह भी बदल गया।
( अलका आज कुछ जल्दी मे हीं थी’ इसलिए वह राहुल को हिदायत देते हुए बोली।)
बेटा आज मुझे देर हो रही है तुम और सोनू ठीक से स्कूल चले जाना और जाते जाते दरवाजे पर लोक मारते जाना’ ठीक है ना।
ठीक है मम्मी आप चिंता मत करिए आप आराम से जाइए।( राहुल जवाब देते हुए बोला और राहुल कि मम्मी राहुल के जवाब से संतुष्ट होकर प्यार से दोनों बच्चों पर अपना हाथ फेरते हुए कमरे से बाहर चलीे गई। ना चाहते हुए भी राहुल की नजर की मम्मी की बडी़े-बड़ेी मटकती हुई गांड पर चली गई जो की चलते समय गजब की थिरकन लिए हुए थी। अपनी मम्मी की मटकती हुई गांड को देखकर राहुल के लंड ने फिर से अंगड़ाई लेना शुरु कर दिया। राहुल इससे ज्यादा और कुछ सोच पाता इसके पहले ही उसकी मम्मी उसकी आंखों से दूर होती चली गई। लेकिन जब तक उसकी मम्मी उसकी आंखों से ओझल होती तब तक उसकी मटकती गांड ने अपना कमाल दिखा चुकी थी और तुरंत राहुल के लंड में पूर्ण रुप से तनाव आ चुका था।
अपनी मम्मी के कारण पेंट में बने हुए तनाव पर नजर पड़ते ही एक बार फिर से राहुल को अपने ऊपर क्रोध आ गया अपने आप पर गुस्सा करने लगा और अपना ध्यान दूसरी तरफ बंटाने लगा। राहुल और सोनू भी दरवाजे पर लॉक लगाकर अपने अपने स्कूल की तरफ चल दीए।
आज क्लास में विनीत बड़ा ही गुम सुम बैठा हुआ था गुमसुम क्या था वह सिर्फ अलका के ख्यालों में ही खोया हुआ था। उसकी आंखोे के सामने कल की बीती सारी घटना के वह लाजवाब पल एक एक करके नजर आ रहे थे। उसके बदन मे झनझनाट फैल गई जब उसे याद आया कि उसने पहली बार एक बहाने से कैसे उसकी चूची को स्पर्श किया था, ऊफफफफ…. गजब की नरमी और गुदाजपन था उसकी चूची में, वीनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया जब उसे वह पल याद आया जब उसने अंधेरे का लाभ उठाते हुए अलका को अपनी बाहों में कस के भींच लिया था और लगे हाथ अपने दोनों हथेलियों काे अलका की गदराई हुई बड़ी-बड़ी गांड पर रख के कस कस के दबाए जा रहा था और पूरा मन बना लिया था की आज तो अलका को चोदकर ही रहेगा और इसीलिए उसने अलका की साड़ी को कमर तक उठा कर अपने लंड को बाहर भी निकाल लिया था अलका को घुमाकर इससे ज्यादा और कुछ कर पाता इससे पहले ही मोटरगाड़ी की लाइट में सारा मजा किरकिरा कर दिया था। वह उस समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि अगर अलका वहां से भाग ना खड़ी हुई होती तो उसे वो मोटर गाडी वाले का जरा भी ़ परवाह नहीं था, विनीत अलका को वही खुली सड़क पर ही चोद दीया होता, लेकिन उसका नसीब खराब था । घर पर पहुंचने पर भी उस की उत्तेजना जरा सी भी कम नहीं हुई थी । अलका के बदन की गर्मी का गरम एहसास उसे उत्तेजित किए हुए था। तभी तो घर पहुंचते ही जैसे ही उसकी भाभी चुदवासी होकर उसके बदन से लिपटी तो वीनीत ने तुरंत अपनी भाभी को अलका समझ कर अपनी बाहों में भीच लिया
और बिस्तर पर पटक कर ऐसी जबरदस्त चुदाई किया कि उसकी भाभी का पोर पोर दर्द करने लगा था।
वह क्लास में बैठे-बैठे भी उस मोटर गाड़ी वाले को कोस ही रहा था कि पीछे से अपने कंधे पर थपथपाने से उसकी तंद्रा भंग हुई। पीछे मुड़कर देखा तो राहुल था। राहुल उसे यूं गुमसुम होकर बैठा हुआ देख कर बोला।
क्या हुआ यार तू इतना उदास क्यों है? क्या कोई प्रॉब्लम है क्या।( इतना कहने के साथ ही राहुल उसके बगल में बैठ गया। अब वीनीत उसे बताएं भी तो क्या बताएं, पहले तो वह सब कुछ बता भी देता था लेकिन ना जाने क्यों अब राहुल से वह अपनी प्राइवेट बातें नहीं बताता था। इसलिए सर दुखने का बहाना कर के राहुल से कन्नी काट लिया। राहुल भी उससे ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा। तो राहुल का पूरा ध्यान उसकी मम्मी पार ही लगा हुआ था उसकी मम्मी के ऊपर से ध्यान हटता दो विनीत की भाभी पर चला जाता, दोनों औरतों की वजह से आप उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था।
राहुल के बदन मे चुदाई की खुजली मच रही थी। वह जानबूझकर विनीत से नोट्स ले जाने के बारे में बोलता था ताकि विनीत नोट ले जाए तो उसे लेने के लिए वह भी वीनीत के घर जा सके। लेकिन विनीत को अभी नोट्स की जरूरत नहीं थी इसलिए वह इंकार कर देता।
दूसरी तरफ मधु थी जिसकी जवानी ऊफान मार रही थी
जिसकी बुर में आग लगी हुई थी राहुल के लंड को लेने के लिए, लेकिन उसे कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था।
राहुल से चुदवाने के लिए वह किसी भी हद तक तैयार थी।
रिशेेष में वह मौका देखकर राहुल से बोली।
राहुल तुमसे मुझे जरूरी काम था क्या तुम मेरी मदद करोगे।( मधु दौड़ते हुए राहुल के पास गई थी इस वजह से वह हांफ रही थी। और तेज तेज सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गाेलाईयां ऊपर-नीचे हो रही थीे जिस पर राहुल की नजर पड़ ही गई। और राहुल भी थूक निगलते हुए एकदम मधु की चूचियों को देखने लगा। मधु की तेज नजरों ने राहुल की नजरों के निशाने को भांप ली और अंदर ही अंदर खुश होने लगी। राहुल एकटक उसकी चूचियों को ही देखे जा रहा था तो मधु मुस्कुराते हुए फिर से बोली।)
क्या हुआ राहुल मेरी मदद करोगी या नहीं?
( राहुल हड़ बड़ाते हुए बोला।)
हां हां कककक…क्यों नही। जरूर करूंगा तुम्हारी मदद लेकिन कैसी मदद। ( राहुल को भी नहीं पता था कि मधु को किस तरह की मदद चाहिए थी । और वैसे भी मधु को तो किसी और चीज में मदद चाहिए थी लेकिन इस तरह से खुल्लम खुल्ला तो बोल नहीं सकती थी इसलिए कोई ना कोई बहाना तो चाहिए ही था। और पढ़ाई के बहाने से बेहतर बहाना और क्या हो सकता था इसलिए वह बोली।)
मुझे मैथ्स में कुछ प्रॉब्लम पड़ रही है जिसका सोल्युशन मिल नहीं रहा, क्या तुम मैथ के प्रश्नों को हल करने में मेरी मदद करोगे।
हां हां जरूर करूंगा यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।
तो चलो वही ऊपर की मंजिल पर जहां पर सारी क्लास खाली रहती हैं वहां कोई शोर शराबा भी नहीं होगा और मैं ठीक से समझ भी लूंगी। ( ऊपर की क्लास की बात सुनते ही राहुल का रोम रोम संजना गया क्योंकि कुछ दिन पहले ही मधु उसे ऊपर की क्लास में ले गई थी और क्लास में जो उसने की थी उसकी यादें अभी भी उसके मानस पटल पर ताजा थी। राहुल के लिए मना करने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए वह तुरंत तैयार हो गया क्योंकि उसे भी मधु का साथ बहुत ही प्यारा लगता था।
दोनों नजरे बचाकर ऊपर की मंजिलें पर चले गए।
ऊपर की मंजिल पर पहुंचते ही नीलू ने राहुल को क्लास में ले गई। नीलू के करीब होते ही राहुल की धड़कन बढ़ जाती थी, एक तरह से उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती थी। ऊपर की मंजिल पूरी तरह से खाली थी कोई भी विद्यार्थी नहीं था। नीलू को अक्सर ऐसे ही मौके की तलाश रहती थी। नीलू और राहुल दोनों एक ही बेंच पर बैठ गए। बेंच पर बैठते ही राहुल ने बोला।
लाओ बताओ तो नीलू तुम्हें कौन से प्रश्न में उलझन हो रही है। ( अब नीलू क्या कहें उसे कोई उलझन हो ताे ना बताए लेकिन फिर भी उसने झूठ मूठ का मैथ्स की बुक खोलकर एक सवाल राहुल को बता दी।
राहुल ने किताब अपनी तरफ खींच कर नोट में सवाल हल करने लगा सवाल हल करते जाता था और नीलू को समझाता भी जाता था लेकिन नीलू का ध्यान किधर था उसे सवाल हल करना होता तो ना ध्यान देती। उसे तो बस बहाना चाहिए खराब होने के नजदीक रहने का और हमेशा मौके की ही ताक में रहती थी। नीलू की आंखों के आगे तो हमेशा राहुल के पेंट में बना हुआ तंबू ही नजर आता था। वह बहुत दिनों से तड़प रही थी राहुल के लंड को लेने के लिए लेकिन उसकी नसीब खराब थी कि मौका मिलते हुए भी वह मौके का लाभ नहीं उठा पा रही थी कोई ना कोई उलझन सामने खड़ी हो ही जा रही थी। आज इस मौके का लाभ उठाना चाहती थी। राहुल नीलू के मन में क्या चल रहा था इन बातों से वह बिल्कुल भी बेखबर था।
नीलू मन ही मन में कोई न कोई बहाना ढूंढ ही रही थी कि क्लास में राहुल के साथ थोड़ा बहुत मजा ले लिया जाए लेकिन कैसे? वह मन ही मन में राहुल को कोस भी रही थी कि कैसा लड़का है एक सुंदर, जवानी से भरपूर नवयौवना उसके सामने अकेले ही बैठी है और यह मौका है कि सवाल हल करन मेे लगा है इस उमर में तो इसको जवानी के सवाल हल करने चाहिए न की किताबों के। इसकीे जगह कोई ओर लड़का होता तो ना जाने कब से मेरे ऊपर टूट पड़ता मेरी जवानी के रस को अपने मोटे ताजे लँड से खींच खींचकर चूस लिया होता।
यही सब सोच-सोच कर परेशान हुए जा रही थी उसे कोई बहाना सुझ नहीं रहा था। बहुत दिनों बाद जो उसे मौका मिला है उसे हांथ से गंवाना नहीं चाहती थी ।
नीलू आंखें मटका मटका कर राहुल के चेहरे को गौर से देखे जा रही थी राहुल था कि सवाल हल करने में ही मस्त था उसने एक बार भी नजरें उठाकर नीलु की तरफ नहीं देखा था।
तभी उसने अपने पैर से सैंडल को पेऱ का सहारा लेकर उतार दी और उस पैर को राहुल की टांगो पर रगड़ने लगी। अपने पैर पर नीलू के पैर की रगड़ने को महसूस करके राहुल आश्चर्यचकित होकर नीलू की तरफ देखने लगा और नीलू थी कि राहुल को देखते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
नीलू ने अपने पैर के अंगूठे के बीच राहुल के पेंट की किनारी को दबाकर हल्के से पेंट को ऊपर की तरफ उठाने लगी’ और उतने से भाग पर अपनी नरम नरम ओर मुलायम गोरी टांग को रगड़ने लगी। नीलू की हरकत पर राहुल पूरी तरह से गनगाना गया’ , नीलू की आंखों में अजीब सी ख़ुमारी छाई हुई थी उसके चेहरे पर बिखरी हुई कामुक मुस्कान किसी के भी कलेजे पर छुरिया चलाने के बराबर था। नीलु राहुल की तरफ देखते हुए बड़े ही मादक अंदाज में अपने लाल-लाल होठों को दांत से चबाने लगी। नीलू का यह रुप देख कर राहुल उत्तेजना से भर गया उसकी जांघों के बीच फन दबाए बैठे मुसल मे सुरसुराहट होने लगी। नीलू लगातार अपने पैरों का कमाल दिखाई जा रही थी राहुल का गला सुर्ख होने लगा था अजीब से सुख की अनुभूति करके उसके बदन में कंपकंपी सी मची हुई थी।
नीलू के लगातार प्रयास करने पर भी राहुल बिना कुछ किए सिर्फ मुक दर्शक बनकर नीलू की हरकतों का आनंद उठा रहा था, बल्कि राहुल की जगह कोई और होता है तो कब से इस इशारे को अपने लिए आमंत्रण समझ कर टूट पड़ता। लेकिन नीलु समझ चुकी थी कि जो भी करना था उसे ही करना था। अब इससे ज्यादा वह क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो उसे ज्ञात हो चुका बात है कि राहुल पूरी तरह से ऊत्तेजीत हो चुका था। और उत्तेजित हुआ है तो उसका लंड भी पूरी तरह से टन टना कर खड़ा हो चुका होगा। यही सोचकर नीलू के मन में गुदगुदी मचने लगी।
उसने तो मन ही मन में राहुल के मोटे तगड़े लंड का चित्रांकन करके मस्त होते हुए अपनी बुर को पनिया चुकी थी। वह मन में ही सोच रही थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो बिना बोले ही उसकी पनियाई बुर में लंड डालके चोद दीया होता।
नीलू अभी भी अपनी हरकतों से राहुल को बहकाने की कोशिश कर रही थी पर ऐसा नहीं था कि राहुल का हक ना रहा हो राहुल के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है। उसका चेहरा उत्तेजना के कारण तमतमा गया था। वह थूक निकलते हुए नीलू को ही घूरे जा रहा था और नीलू थी की अपने होठों को दांतों से चबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाए जा रही थी। क्या करें उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन कुछ तो करना ही था ऐसा मौका वह हाथ से जाने भी नहीं देना चाहती थी। तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह तुरंत बेंच पर से उठ खड़ी हुई।
खड़े होते ही मैं उसी जगह पर उछलने लगी , जैसे कि उसके कपड़ो में कुछ घुस गया हो और वाकई में वह उछलते हुए अपने दोनों हाथो को पीछे पीठ की तरफ करके खुजाते हुए राहुल से बोली।
ककककककककुछ काट रहा है कुछ काट रहा है राहुल मुझे….
( नीलू का चिल्लाना सुनकर वह भी झट से बेंच पर से खड़ा हुआ और घबराते हुए बोला।)
क्या काट रहा है नीलु कहां काट रहा है?
( अभी भी जोर-जोर से उछलते हुए अपनी हथेली से पीठ को खुजला रही थी और बोली।)
यहां पीठ पर राहुल कुछ बहुत जोरों से काट रहा है मुझ से रहा नहीं जा रहा। कुछ करो राहुल कुछ करो।
अब इसमे राहुल क्या कर सकता था उसे पीठ में कुछ काट रहा था और वह ऐसे में कर भी क्या सकता था वह बस बेवजह हवा में हाथ पैर मार रहा था कोई चालाक और होशियार लड़का होता तो इतने से भी फायदा उठाते हुए नीलु को उसकी कमीज उतार देने के लिए कहता, लेकिन शर्मिले राहुल से इतना सा भी नहीं कहा गया। नीलू उसके भोलेपन पर खूब नाराज हुई वह उसे खुलकर डांटना चाहती थी लेकिन मजबूरीवश डांट ना सकी। लेकिन तभी वह वक्त गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए खुद ही अपनी कमीज को नीचे से पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगी जैसे कि वह उतार रही हो राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि जैसे जैसे कमीज ऊपर की तरफ सरकती गई वैसे वैसे नीलू की दूधिया नंगी पीठ राहुल की आंखों के सामने नंगी होती चली गई। राहुल ने सोचा कि नीलू बस पीठ तक की ही कमीज को उठाएगी ताकि मैं देख सकूं कि उसे पीठ पर क्या काट रहा है। लेकिन तभी राहुल की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई जब उसने अपनी कमीज को पूरी तरह से अपने बदन से अलग कर दी। राहुल की तो सांसे थम गई उसे समझ में नहीं आया कि यह नीलू उसकी आंखों के सामने इस क्लास में इस तरह की हरकत क्यों कर रही है। पूरी कमीज़ उतारने की क्या जरूरत थी लेकिन राहुल थोड़ा बुद्धू का बुद्धू ही था उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि जवान लड़की किसी लड़के के सामने ऐसी हरकतें
और अपनी कमीज क्यों उतारती है? जबकि उसने विनीत की भाभी के संग औरत के बदन की खुशबू क्या होती है औरत की चुदाई का मजा क्या होता है सब कुछ ले चुका था फिर भी अभी वह नादान ही था। नीलु काली रंग की ब्रा पहने हुए थीे उसकी दूधिया नंगी पीठ राहुल की तरफ ही थी और वह उंगली के इशारे से राहुल को दिखाने लगी थी की किस जगह पर उसे कुछ काट रहा है वह जिस जगह पर दिखा रही थी वह ब्रा की पट्टी के ठीक नीचे आ रही थी। जिसे देखने के लिए राहुल को या तो ब्रा का हुक खोलना पड़ता या तो पट्टी थोड़ा ऊपर सरका कर देखना पड़ता, वह जानबूझकर बार-बार राहुल से आग्रह कर रहे थे कि देखो राहुल कौन सी कीड़ी काट रही है जो मुझे इतना दर्द हो रहा है।
नीलू की नंगी पीठ और उसकी काली रंग की ब्रा की पट्टी को देख कर ही राहुल का लंड तनकर पेंट में तंबू बना चुका था। नीलू को इस रुप में देख कर राहुल उन्माद से भर चुका था , वॉइस शर्मा भी रहा था लेकिन नीलू के बार-बार आग्रह करने पर वह नीलू की तरफ बढ़ा नीलू गर्दन घुमा कर राहुल की तरफ ही देख रही थी वह देखना चाहती थी कि अब राहुल क्या करता है।
राहुल नीलू के ठीक पीछे खड़ा था और कांपते हाथों से नीलू की पीठ पर अपनी हथेली रखा ही था की नंगी पीठ पर हथेली रखते हैं उसका बदन उत्तेजना से झनझना गया, नीलू का भी यही हाल था स्कूल के इस खाली क्लास में नीलू राहुल की हथेली का अपनी नंगी पीठ पर स्पर्श पाते ही वह भी पूरी तरह से चुदवासी हो गई। समय बहुत कम था और आज इतने कम समय में उसे थोड़ा बहुत लुफ्त उठाना ही था। इसलिए वह राहुल को निर्देश देते हुए बोली, राहुल यहां ( उंगली से रगड़कर दिखाते हुए) पिक्चर का पर देखो पट्टी के नीचे कुछ काट रहा है।
राहुल भी उस काले रंग की ब्रा की पट्टी को उंगली से ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करने लगा लेकिन ब्रा इतनी टाइट थीै कि उसकी पट्टी ऊपर की तरफ खसक नहीं रही थी। नीलू राहुल की मनोदशा को भांप गई इसलिए वह बोली।
राहुल पट्टी बहुत टाईट है इसलिए शायद खसक नहीं रही है तुम पट्टी के हुक को खोल दो मुझे उस जगह पर बहुत ज्यादा जलन हो रही है,
राहुल को लगने लगा था कि नीलू को वाकई में बहुत ज्यादा जलन हो रही होगी तभी तो वह इतना तडप रही है। इसलिए अब आपने कांपते हाथों से ब्रा की हुक को खोलने की कोशिश करने लगा। ब्रा का हुक दोनों हाथों से पकड़कर आमने-सामने खींचने लगा, वाकई में ब्रा की पट्टी बहुत ज्यादा टाइट थी वैसे भी नीलु की आदत थी की वह अपनी चुचियों के कप की साइज से कम नाप की ब्रा पहनती थी, ताकि उसकी पड़ी-पड़ी गोल चुचीयां टाइट रह सके। आखिरकार राहुल की मेहनत रंग लाई और अगले ही पल उसने ब्रा के हुक को खोल दिया। हुक के खुलते ही ब्रा कि दोनों पत्तियां साइड में हो गई और पीछे की पूरी पीठ एकदम नंगी हो गई। राहुल की आंखों में कई बोतलों का नशा चढ़ने लगा उसका लंड पेंट के अंदर गदर मचाए हुए था।
नीलू भी ऐसे माहौल में कम उत्तेजित नहीं थी उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी पैंटि गीली होने लगी थी। उसकी बुर में भी खुजली मची हुई थी, नीलु गर्दन को पीछे की तरफ घुमाकर राहुल की तरफ देख भी रही थी वह देखना चाहती थी कि राहुल क्या करता है उसकी नंगी पीठ को देखकर राहुल में किस तरह का बदलाव आता है।
राहुल का मुंह खुला का खुला रह गया था वह नजरें झुकाए अपनी नजरों को नीलू की नंगी पीठ पर ही टीकाए हुए था कभी कभार उसकी नजर पीठ से होते हुए कमर के नीचे भरावदार नितंब पर भी चली जा रही थी जिससे राहुल की उत्तेजना में पल पल बढ़ोतरी हो रही थी। राहुल की उत्तेजना देख कर नीलू को बहुत खुशी हो रही थी। तभी राहुल के अंदर कामोत्तेजना ने अपना असर दिखाना शुरू किया और वह हल्के से अपनी हथेली को नीलू की नंगी पीठ पर फिराने लगा। जैसे ही राहुल ने नीलु की नंगी पि ठ पर अपनी हथेली को फिराया वैसे ही तुरंत उत्तेजना से सराबोर होकर नीलू अपनी आंखों को मूंद ली। कामातूर नीलू जो कि ना जाने कितने ही लड़कों के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी। उसके लिए इतनी सी बात कोई बडे मायने नहीं रखती थी । ना जाने कितने लड़कों ने उसकी चुदाई कर चुके थे ना जाने उसके बदन पर कहां कहां हाथ और मुंह दोनों लगा चुके थे लेकिन फिर भी आज राहुल के मात्र हथेली के छुअन से नीलु का पूरा वजूद कांप गया था राहुल में जरूर कोई अनोखी बात थी जिसे नीलू की अनुभवी आंखों ने पहचान ली थी। राहुल हल्के-हल्के उसकी पीठ पर अपनी हथेली को फेरने लगा दूधिया नंगी पिठ का रेशमी मुलायम अहसास का असर राहुल को उसकी जांघो के बीच टनटनाए हुए लंड में दिखने लगा था।
सनी लियोन को भी मजा आने लगा था लेकिन वह जानती थी कि समय बहुत ही कम है और अगर ऐसे ही केवल हांथ फिराने में समय निकल गया तो इसका यहां आना व्यर्थ होगा। इसलिए वह खुदही झट से अपनी ब्रा को निकाल दी, और इस तरह से झटकने लगी जैसे कि कपड़े में चींटी हो, इसलिए नीलू के इस तरीके पर राहुल को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ। और नीलू वही उछलकूद मचाते हुए अपनी ब्रा को झटकने लगी। राहुल उसे देखने लगा ‘ नीलू का युं उछल-कूद मचाना राहुल को अच्छा लग रहा था राहुल उसके पीछे के भाग पर पूरी तरह से अपनी नजर ऊपर से नीचे तक घुमा रहा था
उछलने पर उसकी गदराई हुई गांड कि थिरकन देखकर राहुल का मन डोलने लगा था। उसके लंड में एेंठन आना शुरु हो गया था की तभी नीलू ब्रा को झटकते हुए राहुल की तरफ घूम गई, नीलू काे उसकी तरफ घूमते ही राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए उसका दिमाग सुन्न हो गया। राहुल की नजर सीधे ऊपर नीचे हो रही नीलू की दोनों गोलाइयों पर चली गई, एक बार नजर उस पर पड़ी तो बस राहुल की नजरे गड़ी की गड़ी रह गई और नीलू थी की राहुल की तरफ ध्यान दिए बिना ही जानबूझकर ब्रा को झटकते ही जा रही थी ‘ लेकिन नीलू यह अच्छी तरह से जानती थी कि राहुल की नजर कहां है? उसकी गोल गोल चुचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी। राहुल उत्तेजना से सरो बोर हो चुका था। तभी नीलू की नजर राहुल पर पड़ी और ऐसे बर्ताव करने लगी कि जैसे कि यह सब अनजाने में ही हुआ है और वही शर्मिंदा होकर ठिठक गई, वह झट से ब्रा का साहारा लेकर अपनी चुचियों को ढंकने की नाकाम कोशिश करने लगी। ढंक क्या रही थी बल्कि वह और भी ज्यादा राहुल का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगीे थी। राहुल एकटक नीलू के नंगे बदन को निहारे जा रहा था तभी नीलू और राहुल की नजरे में आपस में टकराई, दोनों एक दूसरे की आंखों में खोने लगे दोनों की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। नीलू हाथों में ब्रा पकड़े और उससे चुचियों को ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए राहुल की तरफ बढ़ी दोनों की नजरें एक दूसरे के ऊपर से हट नहीं रही थी। नीलू राहुल के बिल्कुल करीब पहुंच गई दोनों अजीब से आकर्षण में बंध चुके थे। तभी नीलू ने अपने होठों को राहुल के होठों की तरफ बढ़ाई राहुल मे भी जैसे हिम्मत आ गई हो ऐसे वह भी अपने होंठ को नीलु के होठो की तरफ बढ़ाया, नीलू यह मौका नहीं खोना चाहती थी इसलिए उसने तुरंत अपने तपते हुए होंठ को राहुल के होंठ पर रखकर चूमने लगी। राहुल तो खुशी से एकदम गदगद हो गया।
नीलू खुद राहुल के होठों को अपने होठों के बीच भरकर चुसे जा रही थी। नीलू की एक दम उत्तेजित हो चुकी थी उसके हाथों से ब्रा छूट कर नीचे गिर गई। उत्तेजना की वजह से राहुल की आंखें मुंद चुकी थी। नीलू एक पल भी गांव आना ठीक नहीं समझी और उसने तुरंत राहुल के दोनों हाथों को पकड़ कर खुद ही अपनी चुचियों पर रख दी, राहुल का मन प्रसन्नता से भर गया उसके हाथों में भी ऐसे छुपा हुआ खजाना हाथ लग गया हो इस तरह से वह खुद ही उस खजाने को लूटने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह नीलू की दोनों को गोलाइयो को अपनी हथेली में हल्के हल्के भरकर दबाने लगा।
आाहहहहहहहह…. गजब का गरम और मुलायम अहसास था नीलू की चुचियों में, राहुल को तो जैसे सीजनल अाम मिल गया हो इस तरह से दबाना शुरु कर दिया। राहुल को तो मजा आ ही रहा था नीलू भी कम लुत्फ नहीं उठा रही थी। वेरावल के होठों से और उसकी हथेलियों से भरपूर आनंद ले रही थी। क्लासरूम में दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे राहुल तो मदमस्त हुआ जा रहा था उसे बार बार वीनीत ं की भाभी याद आ जा रही थी जिससे कि उसके लंड में खून का दौरा काफी बढ़ जा रहा था। ऐसा लगने लगा था कि उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर ही चला आएगा।
राहुल पूरी तरह से आवेश में था उत्तेजना का नशा उसके सर पर हावी हो चुका था वह लगातार नीलू की चुचियों दवाई जा रहा था । नीलू भी उसके होठों को चुसते हुए उसके बदन के सटी जा रही थी। वह अपने दोनों हाथों को राहुल की पीठ पर सहलाते हुए अपनी दोनों हथेलियों के नीचे की तरफ ्लाई और कमर से नीचे राहुल के नितंब पर दोनों हथेलियों को रख कर उसे अपने बदन से सटाने के लिए अपनी तरफ दबाई ही थी की नीलू का खुद का बदन झनझना गया उसके बदन में जैसे चीटियां रेंगने लगी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि जैसे ही नीलू ने राहुल के नितम्ब पर हथेली रखकर उसे अपनी तरफ दबाई थी। वैसे ही तुरंत राहुल के पेंट में बना तंबू सीधे जाकर नीलू की जांघेा के बीच बुर वाली जगह से टकरा गया’ नीलू के तो होश ही उड़ गए क्योंकि तंबू का स्पर्श कुछ ज्यादा ही दमदार था जिसका असर सीधे उसकी बुर की गहराई में उतर गई।
नीलू की बुर ने छलछला के दो चार मदनरस की बुंदे पेंटी मे ही टपका दी।
राहुल भी जानता था की उसका लंड सलवार के ऊपर से ही कोन सी जगह ठोकर मार रहा था। इसलिए तो राहुल भी अपने आप को संभाल नहीं पाया और कस कस के नीलू की चूचियों को मसलने लगा।
नीलू राहुल के स्तन मरदन और लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करते ही एकदम से चुदवासी हो गई,और कामातुर होकर पेंट के ऊपर से ही राहुल के लँड को अपनी हथेली मे दबोच ली।
आहहहहहहहहहह…….राहुल के मुंह से अनायास ही सीसकारी छुट गई। अजीब से सुख की अनुभुति के एहसास से गनगना गया। नीलु भी एेसे दमदार लंड को पेंट के ऊपर से दबोचते ही गदगद हो गई ,ऊसकी पनीयाई बुर भी खुशी से फुलने पिचकने लगी। पेंट के ऊपर से ही नीलु लंड की मजबुती को भांप गई। ऊसने एक पल भी गंवाए बिना ही पेंट की बटन को खोलकर चड्ढी सहीत एक झटके मे जांघो तक खींच दी। पेंट के नीचे सरकते ही जो नजारा आंखो के सामने था,वह नीलु के होश उड़ाने के लिए काफी था।
राहुल का टनटनाया हुआ लंड पेंट ऊतरते ही हवा मे लहराने लगा, जो की गजब का लग रहा था’ नीलु तो बस देखते ही रह गई। ऊसने अब तक एसा जानदार ओर तगड़ा लंड नही देखी थी। नीलू का मुंह खुला का खुला रह गया था, लंड का बदामी रंग का सुपाडा ही गजब की गोलाई लिए हुए था नीलु मन ही मन सोचने लगी कि, हे भगवान इसके लंड का सुपाडा कितना मोटा है। और इसके सुपारी की मोटाई की तुलना में मेरी बुर का गुलाबी छेद कुछ ज्यादा ही छोटा है अगर उसका सुपाड़ा मेरी बुर में गया तब तो यह मेरी बुर फाड़ ही देगा। ऊफफफफफफफ….. गजब का दमदार लंड है इसका। नीलू मन हीं मन मे बड़बड़ाए जा रही थी।
राहुल तो अपनी सुध बुध पूरी तरह से खो चुका था। दोनों का प्रगाढ़ चुंबन टूट चुका था। नीलू धीरे धीरे नीचे घुटनों के बल बैठते जा रही थी। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह खाली मूकदर्शक बन कर नीलू की हरकतों को देखता जा रहा था। उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि यह क्लास था वैसे तो किसी के यहां आने का डर बिल्कुल भी नहीं था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था। नीलु अब तक जिसके बारे में कल्पना करके बार-बार पनियां जाती थी वह जानदार ओर तगड़ा लंड उसके सामने सिर उठाए खड़ा था। नीलू अपने लालच को और ज्यादा रोक नहीं पाई और अपना हाथ बढ़ाकर राहुल के टनटनाए हुए लंड को थाम ली । जैसे ही नीलू ने राहुल के लंड को अपनी हथेली में दबोची, लंड की मोटाई और उसका गरम एहसास नीलू के रोम रोम को झनझना दिया, साथ ही राहुल का भी बुरा हाल होने लगा।
नीलू से अब अपने आप को रोक पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और उसने तुरंत एक दो बार लंड को मुठीयाई ‘ राहुल की तरफ नजर उठाकर देखी तो राहुल गहरी सांस ले रहा था। राहुल की उत्तेजना देखकर नीलु बहुत प्रसन्न हुई और उसने तुरंत राहुल से नजरें मिलाते हुए ही लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली।
आहहहहहहहह…..( जैसे ही नीलू ने लंड को मुंह में भरी राहुल के मुंह से सिसकारी छूट गई।)
नीलू चुदाई के हर एक खेल में माहिर थी इसलिए वह अपनी जीभ का कमाल राहुल के लंड पर दिखाने लगी।
वह अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल फिराते हुए लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चाट रही थी।
राहुल की तो सांसे ऊपर नीचे हुए जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में झूल रहा है। आंखों को मुंद कर वह जन्नत के ईस परमसुख की अनुभूति करके मस्त हुआ जा रहा था।
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कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡