होता है जो वो हो जाने दो – maa beta sex story

विनीत के मुंह से इतनी सी बात सुनते ही राहुल एकदम से सकपका गया। मन में प्रबल हो रही शंका का समाधान हो चुका था सब कुछ साफ था जिस महिला को लेकर राहुल के मन में ढेर सारी संकाए पनप रही थी सभी शंकाए दूर हो चुकी थी। लेकिन इस बात पर यकीन कर पाना राहुल के बस में नहीं था वह बार-बार यही सोचता कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहा है।
कभी कभी आंखो से देखा हुआ झूठ भी हो सकता हैं।

लेकिन वह यहां पर जो अपनी आंखों से देख रहा था और अपने कानों से सुन रहा था इसे झुठलाया नहीं जा सकता था। किसी और के मुंह से यह बात सुनता तो राहुल कभी भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पाता लेकिन यहां तो सब कुछ अपनी आंखो से देख रहा था अोर अपने कानों से सुन रहा था।

राहुल के पास इससे ज्यादा सोचने का समय नहीं था क्योंकि तब तक उसकी भाभी ने आओ मेरी जान मेरी प्यास अपने मोटे लंड से बुझाओ इतना कहने के साथ ही विनीत को अपनी बाहों में कस ली। विनीत भी अपनी भाभी के बदन के ऊपर उसकी बाहों में लेट गया
उसकी भाभी ने तुरंत अपनी टांगो को खोल दी और अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर विनीत के लंड को पकड़कर अपनी गुलाबी बुर के मुहाने पर रखकर अपने दोनों हाथ को विनीत के नितंबो पर रख दी और उसके नितंबों को नीचे की तरफ दबाने लगी.
विनीत को भी जैसे उसकी मंजिल मिल गई थी वह भी अपनी कमर कोे नीचे की तरफ धकेला ओर उसका लंड गप्प करके उसकी भाभी की बुर मे घुस गया।

राहुल ये देखकर एक दम पसीना पसीना हो गया राहुल आज पहली बार ऐशा गरम कर देने वाला दृश्य देख रहा था। आज से पहले उसने कभी भी इस तरह का चुदाई करने वाला दृश्य नहीं देखा था। राहुल की शांसे तेज चल रही थी। विनीत की कमर को उसकी भाभी की बुर के ऊपर .ऊपर नीचे होता हुआ देखकर राहुल का भी हाथ लंड पर तेज चल रहा था।
आदरणीय रिश्तो के बीच ईस तरह का जिस्मानी ताल्लुकात को देख कर राहुल की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ चुकी थी। राहुल को विश्वास नहीं हो रहा था कि इस तरह के पवित्र संबंध मां समान भाभी और पुत्र समान देवर के बीच मे भी होता है।
विनीत की भाभी की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी और वह नीचे से अपनी गांड को उछाल उछाल के विनीत के लंड को अपनी बुर मे ले रही थी।
तकरीबन 20 मिनट तक दोनों के बीच चुदाई का खेल चलता रहा। कमरे के अंदर विनीत की कमर चल रही थी और कमरे के बाहर राहुल कहां चल रहा था दोनों की साँसे तेज चल रही थी। दोनों की जबरदस्त चुदाई की वजह से पलंग के चरमराने की आवाज कमरे के बाहर खड़े राहुल को साफ साफ सुनाई दे रही थी। राहुल बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था और इसी ऊत्ेजना के चलते उसके हाथों से खिड़की का पर्दा थोड़ा और खुल गया और तुरंत विनीत की भाभी की नजर खिड़की के बाहर खड़े राहुल पर पड़ गई। राहुल और वीनीत की भाभी की नजरे आपस में टकरा गई। राहुल एकदम से घबरा गया और उसका हाथ रुक गया।
लेकिन इस बात से वीनीत की भाभी को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा की खिड़की पर खड़ा कोई उन दोनों की कामलीला को देख रहा है। बल्कि ऐसा लग रहा था कि वीनीत की भाभी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई है। वह ओर ज्यादा कामोत्तेजित हो कर अपनी हथेली को विनीत की पीठ पर फीराते हुए धीरे-धीरे उसके नितंब पर ले जाकर उसको अपनी बुर पर दबाते हुए सिसकारी भरते हुए बोली।

आहहहहहगहहहहहहह. मेरे राजा चोद मुझे आहहहहहह फाड़ दे मेरी बुर को आहहहहहहह. और जोर से

वीनीत की भाभी सिसकारी भरते हुए राहुल को देखे लेकर जा रही थी और गंदी गंदी बातें बोले जा रही थी। यह देख कर राहुल का भी हौसला बढ़ गया वह फिर से अपना हाथ चलाने लगा। पुरी पलंग चरमरा रहे थे दोनों पसीने पसीने हो गए थे दोनों की सिसकारियां तेज हो गई थी। और दो-तीन मिनट बाद ही दोनों भल भला के एक साथ झड़ गए। कुछ सेकंड बाद राहुल का भी वही हाल हुआ। दोनों कमरे में और बाहर राहुल अपनी चरमसीमा को प्राप्त कर चुके थे। राहुल का वहां खड़े रहना अब ठीक नहीं था इसलिए वह तुरंत वहां से हट गया और कमरे से बाहर आ गया।

राहुल विनीत के घर से निकल कर बाहर आ गया।
वह वहां से बड़ी तेज कदर्मों से चलकर कल अपने घर पहुंच गया मुझे पता ही नहीं चला।

सोने का समय हो गया था राहुल अपने कमरे में था आज दिन भर उसकी आंखों के सामने बस विनीत और उसकी भाभी ही नजर आ रही थी। उसे अभी भी यकीन नहीं आ रहा था की आज जो उसने वीनीत के घर पर देखा वह सच है। उसकी आंखों ने जो देखा था उस पर भरोसा कर पाना राहुल के लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।

अभी कुछ दिन पहले ही तो विनीत ने बताया था कि केसे उसकी भाभी ने उसे पाल पोस कर बडा किया। और यह भी तो कह रहा था कि उसकी भाभी को वह अपनी मां के समान मानता था और उसकी भाभी भी उसे अपने बेटे की तरह मानती थी। तो फिर आज उसके कमरे में मैंने देखा वह क्या था।

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल राहुल के मन मे चल रहे थे। यह सारे सवालों उसे परेशान किए हुए थे। लेकिन फिर उसके मन ने कहा नहीं जो उसकी आंखों ने देखा जो उसके कानों ने सुना वो बिलकुल सच था। वह विनीत जी था और वह महिला उसकी भाभी ही थी दोनों के बीच में ना जाने कब से नजायज संबंध कायम हो चुका था। तभी तो विनीत खुद कह रहा था कि आपके बुलाने से वह कभी भी हाजिर हो जाता है भले क्यों ना हो क्लास में हो या चाहे जहाँ हो। और वैसे भी ना जाने कितनी बार वह भी नींद के सामने घर पर काम का बहाना करके चालू क्लास से घर चला गया है।

यह सब सोच सोच कर विनीत का लंड फिर से टाइट होना शुरू हो गया था। यह सब सोचते हुए भी उसकी आंखों के सामने बार-बार उसकी भाभी की नंगी गांड दिखाई दे रही थी। बार-बार विनीत के द्वारा उसकी गांड को मसलना उसको दबाना गांड की फांकों के बीच उंगलियों को घिसना यह सब दृश्य सोच सोच कर राहुल की हालत खराब हुए जा रही थी। उसके पजामे में तंबू बन चुका था। और उसका हाथ वीनीत की भाभी के बारे में सोच कर खड़े हुए लंड पर चला गया। वह पजामे के ऊपर से ही लंड को मसलने लगा। उसे लंड मसलने मे मीठा मीठा आनंद मिलने लगा। वीनीत की भाभी के नंगे बदन के बारे में सोच सोच कर वह पजामे के ऊपर से लंड को मसलते जा रहा था। पिछले कुछ दिनों से उसकी जिंदगी में ऐसे ही कामुक हादशे हो रहे थे जो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दे रहे थे।

उसने अब तक 3 औरतों के नंगे बदन को देखने का सौभाग्य प्राप्त कर चुका था। सबसे पहले उसने अपनी मां को ही नंगी देखा था। अपनी मां के कमरे में दाखिल होते ही उसे उसकी मां गाऊन बदलते नजर आई थी। गाऊन सिर्फ कमर तक ही पहुंच पाई थी की राहुल कमरे में प्रवेश कर गया था और उसने जिंदगी में पहली बार अपनी मां की बडी़े-बड़ी गौरी और सुडोल गांड को अपनी आंखों से देखा था। उस दिन तो वह अपनी मां की नंगी गांड को देखकर पागल ही हो गया था।. कुछ सेकंड तक ही उसे उसकी मां की नंगी गांड का दर्शन करने को मिला था। लेकिन यह कुछ सेकंड का पल ही उसकी जिंदगी को बदल कर रख दिया था। उसकी मां की मतवाली और आकर्षक गांड का कामुक दृश्य उसकी आंखों में बस गया था जिसे वह बार-बार सोच सोच कर रात को अनजाने में ही मुठ मारना भी सीख गया था।

राहुल के दिमाग का संतुलन बिगड़ने में नीलू का भी बहुत बड़ा हाथ था । ना नीलू से राहुल की मुलाकात होती और ना राहुल इस कामुकता भरी राहों में आगे बढ़ता। अलका की गांड का प्रदर्शन तो अनजाने में ही राहुल के सामने हुआ था लेकिन नीलु ने तो जानबूझकर अपनीे मस्त गांड का प्रदर्शन राहुल के सामने की थी।

और पहली बार ही वह किसी औरत को पेशाब करते हुए देखा था। यह सुख उसे नीलू के द्वारा ही प्राप्त हुआ था। नीलू की मम्मी को तो वह पूरी तरह से नंगी नहीं देख पाया था। फिर भी उसने नीलू की मम्मी की हल्की सी चुचियों की झलक और उसकी चिकनी जाँघों का गोरापन देख ही लिया था। जिसे देख कर उस समय भी राहुल का लंड टनटना गया था। और वीनीत की भाभी उसने तो सब कुछ करके दिखा दिया था। अगर अाज नोटबुक लेने वीनीत के घर ना गया होता तो राहुल एकदम कामुक और चुदाई से भरपुर दृश्य का मजा ना ले पाता। राहुल की उम्र के लगभग सभी लड़के चुदाई का मजा ले चुके होते हैं या मोबाइल में क्लिप ओ के द्वारा देख चुके होते हैं। लेकिन इन सब में राहुल सबसे अलग था ना उसने आज से पहले कभी मोबाइल में ही चुदाई का दृश्य देखा था और ना ही असल में।

राहुल के लिए पहली बार था इसलिए तो वह उत्तेजना से भर चुका था। उसने अब तक तीन महिलाओं की मस्त मस्त गांड देख चुका था। और तीनों की गांड अपने आप में जबरदस्त थी। उन तीनों की गांड की तुलना किसी और की गांड से करने का मतलब था की उन तीनों की गदराई गांड की तौहीन करना। उन तीनों के बदन का आकर्षण इतना तेज था खास करके उनकी बड़ी बड़ी और गोल चूचियां और गदराई हुई गांड जो भी देखे बस अपलक देखता ही रह जाए।। इन तीनों महिलाओं ने राहुल की जिंदगी में तूफान सा ला दिया था और आज विनीत की भाभी ने जो चुदाई का पूरा अध्याय राहुल के सामने खोल कर रख दि थी। वह राहुल के लिए चुदाई का सबक सीखने का पहला अध्याय था जो की शुरू हो चुका था।

राहुल की आंखों के सामने बार-बार विनीत की नंगी भाभी का बिस्तर पर लेटना अपनी जाँघो को फैलाना और अपने ही हथेली से अपनी बूर को रगड़ना यह सब गर्म नजारे उसकी आँखो के सामने बार बार नाच जा रहे थे। राहुल की सांसे तेज चल रही थी। विनीत की भाभी के बारे में सोच कर उसका पजामा कब उसकी जांघों तक चला गया उसे पता ही नहीं चला। राहुल की हथेलि उसके टनटनाए हुए लंड के ईर्द गिर्द कसती चली जा रही थी। राहुल अपने लंड को मुठिया रहा था पिछले कुछ दिनों से रात को सोते समय वह ईसी क्रिया को बार बार दोहरा रहा था। और इस मुट्ठ मार क्रिया को करने में उसे बेहद आनंद प्राप्त होता था। ईस समय भी उसके हाथ बड़ी तेजी से उसके लंड पर चल रहा था।

उसके मन मस्तिष्क ओर उसका बदन ऐसी पवित्र रीश्तो के बीच सेक्स संबंध के बारे में सोच कर और भी ज्यादा उत्तेजना से भर जाता । भाभी और देवर के बीच इस तरह का गलत संबंध भी हो सकता है उसे आज ही पता चला था।

राहुल बार-बार अपनी आंखों को बंद करके उस दृश्य के बारे में सोचता जब उसकी भाभी अपनी टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेटी हुई थी और विनीत उसकी टांगों के बीच लेटकर अपना लंड उसकीबुरे में डाल कर बड़ी तेजी से अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए चला रहा था। और रह रह कर उसकी भाभी भी नीचे से अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ से उछालकर अपने देवर का साथ दे रही थी। जैसे-जैसे राहुल ऊपर नीचे हो रही विनीत की कमर के बारे में सोचता वैसे वैसे उसका हाथ लंड पर बड़ी तेजी से चल रहा था।

राहुल उसकी भाभी की चुदाई के बारे में सोच सोच कर मुट्ठ मारता हुआ चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रहा था।

भाभी की गरम सिसकारियां राहुल को भी गरम कर रही थी। राहुल बार-बार यही सोच रहा था की क्या वाकई में चुदाई में इतना मजा आता है कैसे दोनों एक दूसरे में गुत्थम गुत्था हो गए थे। कैसे उनकी चुदाई की वजह से पुरा पलंग चरमरा रहा था। क्या गजब की चुदास से भरी आवाज आ रही थी जब वीनीत का लंड उसकी भाभी की पनीयाई बुर मे अंदर बाहर हो रहा था। पुच्च पुच्च की आवाज से पुरा कमरा गुँज रहा था।
कमरे के अंदर का पूरा दृश्य याद कर-करके राहुल बड़ी तेजी से मुट्ठ मारा था । वह चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था तभी उसके मुख से आवाज आई।

ओह भाभी …………. और एक तेज पिच्कारी उसके लंड से निकली और हवा मे उछलकर वापस उसके हथेली को भिगो दी। राहुल एक बार फिर सफलतापूर्वक मुट्ठ मारता हुआ अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया था।

दूसरे दिन राहुल रोज की तरह अपने स्कूल गया । आज भी विनीत स्कूल नहीं आया था। विनीत को क्लास में ना पाकर राहुल का दिमाग घूमने लगा उसे कल वाली घटना सादृश्य आंखों के सामने किसी फिल्म की भाँति चलने लगी। वीनीत की भाभी की मस्ताई गांड उसकी बुर …. और उसकी बुर में घुसता हुआ विनीत का लंड । यह सब सोचकर ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया। राहुल फिर से विनीत के घर पर जाने की सोचने लगा। क्योंकि अभी भी नोटबुक विनीत के पास ही थी जिसे लेना बहुत जरुरी था। उसने मन में सोचा कि चलो उसके घर जाने का एक अच्छा बहाना तो है। लेकिन तभी उसके मन में झुंझलाहट होने लगी क्योंकि कल जब खिड़की से चोरी से वह कमरे के अंदर का नजारा देख रहा था तब कामरत हुई उसकी भाभी ने खिड़की के बाहर खड़े होकर अंदर का नजारा देखते हुए उसे देख लिया था। और अब उसके मन में यही हो रहा था कि वह क्या समझ रही होगी उसके बारे में और वह खुद क्या कहेगा उनसे और कैसे उनसे नजरे मिलाएगा यही सब सवाल उसके मन को थोड़ा परेशान किए हुए था। लेकिन फिर अपने मन को यह कहकर मना लिया कि जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी उसने कौन सा गलत काम किया है वह तो अपनी नोट बुक लेने गया था कोई गलत काम को तो वह लोग खुद कर रहे थे।

यह तो राहुल के मन की बात थी लेकिन उसका मन कुछ और चाहता था वह फीर से विनीत और उसकी भाभी को संभोगरत देखना चाहता था। उसकी भाभी को फिर से नंगी देखना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसकी कोमल गदराई गांड का फिर से दर्शन करना चाहता था। आज वह फिर देखना चाहता था कि कैसे विनीत का लंड उसकी भाभी की बुर में जाता है।

इसलिए वह फिर से तय कर लिया की आज छुट्टी के बाद फिर वीनीत के घर जाएगा।
उसकी नजरे नीलू को भी बार-बार ढूंढ रही थी। राहुल बार-बार नीलु को भी जी भर कर देख ले रहा था।
नीलु भी राहुल से नजरे मिला कर मुस्कुरा दे रही थी।

रिसेेश के समय नीलू राहुल को फिर से स्कूल की तीसरी मंजिल पर ले जाना चाहती थी। लेकिन आज अपनी सहेलियों से घीरी होने की वजह से राहुल को तीसरी मंजिल पर ले जाने का मौका ही नहीं मिला। राहुल खुद उसके साथ खाली कमरे में जाना चाहता था लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया। राहुल का मन तो वैसे भी आज पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसे तो बार-बार कल वाला ही दृश्य नजरों के सामने दिखाई दे रहा था
वह चाहकर भी अपना ध्यान हटा नहीं पा रहा था।

अपने समय पर स्कूल की छुट्टी भी हो गई। राहुल का दिल जोर से धड़क रहा था उसके मन में अजीब-अजीब ख्याल आ रहे थे। वह मन में ही सोचा की आज भी विनीत नहीं आया है क्या वीनीत आज भी अपनी भाभी के साथ होगा क्या वीनीत आज फीर अपनी भाभी की चुदाई कर रहा होगा? क्या आज फिर से उसकी भाभी अपने कपड़े उतार कर नंगी होगी। क्या उसके घर पर जाने पर वह फिर से उसकी भाभी को नंगी देख पाएगा की बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचिया क्यां फिर से दर्शन होंगे? नहीं सब सवालों का सैलाब के मन में उमड़ रहे थे यह सब सोचते हुए वह विनीत की घर की तरफ अपने कदम बढ़ा दिया मन में अजीब सी बेचैनी हो रही थी उसे डर भी लग रहा था । लेकिन फिर से वही नजारा देखने का उमंग उसके मन मस्तिष्क पर भारी पड़ रहा था वह ना चाहते हुए भी विनीत के घर जा रहा था।

थोड़ी देर बाद राहुल फीर से विनीत के घर पहुंच गया था डोर बेल ख़राब थी इस वजह से वह दरवाजे को थोड़ा सा धक्का लगाया तो दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। राहुल की नसीब उसका साथ दे रही थी। घर में प्रवेश करते ही राहुल ने चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाई लेकिन पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। घर में कोई भी नजर नहीं आ रहा था राहुल को लगने लगा कि आज भी विनीत उसकी भाभी दोनो कमरे में ही मिलेंगे। राहुल उसी कमरे की तरफ जाने के लिए सीढ़ीयो की तरफ कदम बढ़ाया लेकिन वो एक बार पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए उसने विनीत को आवाज लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

एक बार फिर से उसमें विनीत का नाम पुकारा तो उसे किसी औरत की आवाज सुनाई दी यह उसकी भाभी ही थी। उसकी भाभी की आवाज सुनते ही वह पहली सीढ़ी चढ़ा ही था कि उसके पाव वहि ठीठक गए। वह फिर से पुकारा विनीत विनीत….

कौन-कौन है वहां विनीत घर पर नहीं है।
( वीनीत की भाभी की आवाज दाहिने साइड की गैलरी से आ रही थी। )

तुम कौन हो और क्या काम है वीनीत से ? ( विनीत की भाभी की आवाज गैलरी से आ जरुर रही थी लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रही थी। गैलरी में बंद कमरों के अंदर से ही उसकी आवाज आ रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर उसकी भाभी कमरे के अंदर से ही क्यों सवाल जवाब कर रही है। सामने क्यों नहीं आ रही है? तभी इसका जवाब भी मिल गया।।)

भाभी मैं विनीत का दोस्त हूं वह मेरे साथ ही पढ़ता है।

अच्छा वही बैठो मैं नहा रही हूं।
( विनीत की भाभी बाथरुम में नहा रही थी । राहुल के मन में उमड़ रहे सवाल का जवाब भी मिल गया था और उसकी भाभी बाथरुम में नहा रही थी इस बारे में सोच कर ही उसके कल्पना का घोड़ा सर पट दौड़ने लगा। कैसे नहा रही होगी बाथरूम में क्या उसके बदन पर कपड़े होंगे । क्या बदन के सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल निर्वस्त्र होकर स्नान कर रही होगी।या हो सकता है की उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही हो
कैसे वह अपने बदन पर साबुन लगाती होगी अपनी बड़ी बड़ी चूची को मसलते हुए साबुन से धोती होगी।

अपने चिकने पेट पर जाघों पर और अपनी जाँघो के बीच अपनी बुर पर भी साबुन लगाती होगी। क्या गजब का नजारा होता होगा। ऊपर फुवारे से पानी गिरता होगा। पानी की बौछार उसके चेहरे पर पड़ती होगी। पर वह पानी की बौछार बूंदों में तब्दील होकर उसके चेहरे से होती हुई उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर लसरती हुई जब वही पानी की बूंद चिकने पेट़ से होती हुई जांघों के बीच की गुफा की ओर चहलकदमी करते हुए आगे बढ़ती होगी और उस गुफा के उपरी नहर से हो कर वही पानी की बूंद जब नीचे टपकती होगी तो वही बुंद अमृत की बूंद बन जाती होगी। उउफफफफ कितना गर्म नजारा होता होगा जब वह बिल्कुल नंगी होकर बाथरुम में नहाती होगी। यहसब सोच-सोच कर ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया। उसके पेन्ट मे तंबू बन चुका था । तंबु को छुपाने के लिए राहुल वही सोफे पर बैठ गया और वीनीत की भाभी का इंतजार करने लगा।

थोड़ी ही देर बाद राहुल का इंतजार खत्म हुआ । विनीत की भाभी नहा कर बाथरुम से बाहर निकल आई लेकिन जैसे ही राहुल की नजर विनीत की भाभी पर पड़ी राहुल का बदन एकदम से झनझना गया जैसे कि उसे करंट लगा हो उसकी आंखें एकदम से चौंधीया गई उसे खुद की आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह क्या अगर उसकी जगह कोई और भी होता तो उसके बदन के साथ-साथ उसका मस्तिष्क भी काम करना बंद कर देता। नजारा ही कुछ इस तरह का था। वीनीत की भाभी नहा कर बाथरुम से बाहर आई तो थी लेकिन उसके बदन पर मात्र एक टावल ही लिपटा हुआ था।

पूरा बदन एकदम भीगा हुआ भीगे बाल और उसकी लटे चेहरे पर चिपकी हुई और जो टॉवल उसने लपेट रखी थी वो भी छोटी थी। टॉवल उसके बदन को ठीक से ढंक भी नहीं पा रहे थे।
वह बाथरुम से निकलकर लगभग भागते हुए आई थी।
राहुल जहाँ बैठा हुआ था उसके चार कदम पर ही सीढीयाँ थी जो उपर उसके कमरे की तरफ जाती थी।

बाथरूम से भागकर आने में उसका टावल हवा में लहरा गया था और लहरा कर ऐसे स्थान को उजागर कर गया था कि जिसकी एक झलक देखने के लिए दुनिया का हर मर्द पागल हुआ रहता है वह नजारा सेकंड से भी कम समय का था जिस से कुछ दिखा तो नहीं लेकिन राहुल के लंड में झनझनाहट जरुर पैदा कर गया।। बाथरुम से लगभग दौड़ते हुए आई थी और जैसे ही उसमे सीढ़ी पर पाव रखी ही थी की झटके से अपनी गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ देखी और बोली।

तुम विनीत के दोस्त हो लेकिन वीनीत तो घर पर नहीं है ( इतना कहकर वह राहुल को एकटक देखने लगी राहुल क्या जवाब देता वह तो खुद मंत्रमुग्ध सा विनीत की भाभी को एक टक देखते रह गया। गीले बदन और गीले बालों में वह स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा लग रही थी । अपनी छातियों पर उसने टॉवल को ईस तरह से बांध रखी थी कि उसकी आधी चुचिया टॉवल के बाहर दिख रही थी। निप्पल तो नहीं लेकिन उसके चारों तरफ की गोलाई नजर आ रही थी।उसकी छातियां भी भारी थी।

टॉवल भी काफी छोटी थी । इतनी छोटी की बड़ी मुश्किल से उसकी कमर के नीचे वाला भाग ढंक पा रहा था। अगर वह जरा सा भी अपना हाथ ऊपर उठाती तो राहुल को उसकी रसीली बुर देखने का सौभाग्य जरुर प्राप्त हो जाता। और राहुल ईसी ताक में लगा हुआ था उसका बदन इतना ज्यादा भीगा हुआ था की उसके बदन से पानी नीचे टपक रहा था और फर्स को गीला कर रहा था। ईस रूप में ्वीनीेत की भाभी एकदम कामदेवी लग रही थी। राहुल उसे एक टक देखे जा रहा था। वीनीत की भाभी अपने कामुक बदन का जादू अपने देवर के मित्र पर होता देख रहीे थी। वह अपनी कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए फिर से बोली।

क्या हुआ कहां खो गए विनीत घर पर नहीं है ।अच्छा रुको मैं 2 मिनट में आती हूं।
( राहुल विनीत की भाभी के सवालों का जवाब दे नहीं पाया वह बस विनीत की भाभी की सुंदरता मैं खो सा गया। राहुल उसको सीढ़ियां चढ़ कर जाता हुआ देखता रहा वह लगभग आधी सीढ़ियों पर पहुंची ही थी की उसके बदन से टॉवल छुट़कर नीचे सीढ़ियों पर गिर गई
वाह गजब एक पल को तो लगा जैसे समय रुक गया है। सांसे थम गई और दिमाग कामकरना बंद कर दिया राहुल तो बस एक झलक देखना चाहता था उसके नंगेपन का। लेकिन यहां तो वह खुद एकदम बिल्कुल नंगी हो गई। राहुल की नजरें उसकी बड़ी बड़ी और खरबूजे जैसी गोल गोल गांड पर ही टीक गई।विनीत की भाभी एकदम से सकपका गई और वह झट से नीचे झुक कर टॉवल को उठाने लगी टॉवल को उठाते समय वह अपनी नजरें घुमाकर राहुल की तरफ देखी तो राहुल को खुद की तरफ देखता हूआ पाकर शर्मा गई।
वह जल्दी से टॉवल को उठाकर अपने बदन से लपेटकर लगभग भागते हुए अपने कमरे की तरफ गई।

यह नजारा भी कुछ ही सेकंड का थालेकिन राहुल के तन-बदन मे हलचल मचाने के लिए काफी थ राहुल वहीं सोफे पर अपने पैंट में टनटनाए हुए लंड को अपने दोनों हाथ से ढक कर बैठा रहा। विनीत की भाभी ने अपने नंगे बदन का जो जलवा राहुल को दिखाकर गई थी राहुल उसके मोह पास में बँध चुका था।

राहुल एकदम उत्तेजना से भर चुका था। विनीत की भाभी राहुल को बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी। विनीत की भाभी जीस कमरे में गई थी उसी कमरे की तरफ राहुल अपनी नजरें गड़ाए हुए था।

राहुल की नजर इंतजार कर रही थी वीनीत की भाभी का वह वीनीत की भाभी के रूप के खजाने को फिर से देखना चाहता था। राहुल अभी तक तीन चार औरतों की नंगी देख चुका था लेकिन उन मे से विनीत की भाभी
का अंदाज उसका खुला पन राहुल के मन मस्तिष्क को और उसके कुंवारेपन को झकझोर गया था। राहुल वहीं बैठा उसका इंतजार करता रहा। अब वह नहा कर गई है तो जाहिर है कि थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही। राहुल मन में कमरे के अंदर का दृश्य सोचने लगा। कैसे वहां ड्रोवर से कपड़े निकाल रही होगी पेंटी ब्रा पेटीकोट ब्लाउज इन सब बारे में सोच सोच कर राहुल का लंड झनझना जा रहा था। थोड़ी ही देर बाद राहुल के इंतजार की घड़ी खत्म हुई। कमरे से वीनीत की भाभी बाहर निकलती नजर आई। इस बार राहुल उसको देखा तो देखता ही रह गया. पूरी तरह से नंगी होकर जितनी खूबसूरत लग रही थी उस से भी कही ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत कपड़ों में लग रही थी। उसके अंग अंग से कामुक्ता झलक रही थी। पीले रंग की साड़ी और लॉ कट स्लीवलेस ब्लाउज में विनीत की भाभी कामदेवी लग रही थी। राहुल उसे देखा तो देखता ही रह गया।
वह चलते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर कर राहुल के सामने आकर खड़ी हुई। पहले उसने भी राहुल को ऊपर से नीचे तक देखी और बोली।

मैं माफी चाहती हूं तुम्हें मेरी वजह से इतना इंतजार करना पड़ा। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?

अब राहुल क्या कहता वह तो उसकी खूबसूरती देखकर एकदम से मंत्रमुग्ध हो चुका था। राहुल उसके भरे हुए बदन को एक टक निहार रहा था। इस बात को विनीत की भाभी बाखूबी जान रही थी। वह तो खुद अपने कामुक बदन का प्रदर्शन करवा रही थी। विनीत की भाभी ये जान गई थी कि यह लड़का उसके मोहपाश में बँधता चला जा रहा है। राहुल को तो जैसे होश ही नहीं था वह उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही उसे एक टक देखे जा रहा था। विनीत की भाभी को राहुल कि इस हरकत पर हंसी आ गई। और वह अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोली।

अरे क्या हुआ कहां खो गए।

( वीनीत की भाभी की आवाज सुनते ही राहुल एकदम से सकपका गया। और हकलाते हुए बोला।)

ककककक…कुछ ननन…नही भाभी…. वो मुझे विनीत से काम था मुझे मेरी नोटबुक चाहिए थी। ।

लेकिन विनीत तो घर पर नहीं है बाहर गया है और कब लौटेगा इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं है। ( इतना कहते ही वह अपने दोनों हाथ बांधकर खड़ी हो गई जिससे कि उसके दोनों वक्षस्थल को सहारा मिल गया और वह दोनों चुचीयाँ और ज्यादा उभर कर सामने आ गई। ब्लाउज के अंदर कैद उभरी हुई चूची को देख कर राहुल के जाँघोे के बीच गुदगुदी सी होने लगी । ना चाहते हुए भी राहुल की नजरें बार-बार उसकी दोनों नारंगीयो पर चली जा रही थी। जो कि राहुल की चोरी विनती भाभी की नज़रों से छुप नहीं पाई थी वह जानती थी कि राहुल उसके बदन के किस अंग को देख रहा है। तभी राहुल अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाते हुए बोला।

तो भाभी आप ही उसके बैग से निकाल कर मेरी नोटबुक दे दीजीए।

ना बाबा ना मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि किसी के भी बेग को छुना या उसमें से कुछ निकालना मुझे पसंद नहीं है। अच्छा तुम यही बैठो में आती हूं।

( इतना कहते ही विनीत की भाभी किचन में आ गई। और अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए फ्रिज से ठंडे पानी की बोतल निकालने लगी।
अगर वह चाहती तो विनीत के बैग में से नोटबुक निकालकर राहुल को दे सकती थी लेकिन उसने जानबूझकर बहाना बनाकर नोटबुक नहीं दी। क्योंकि उसे राहुल कहीं ना कहीं अच्छा लगने लगा था। उसकी मासूमियत उसको भा गई थी।
वह पानी की बोतल से गिलास में पानी निकाल रही थी
और मन ही मन में राहुल को पूरी तरह से अपने कब्जे में करने का प्लान बना रही थी और उसने अपना प्लान तैयार भी कर ली थी। उसनें एक प्लेट में कुछ बिस्किट और पानी का गिलास रखकर उस प्लेट को लेकर राहुल के पास आई और राहुल की तरफ बढ़ाते हुए बोली।

यह लो बिस्किट और इसे खाकर पानी पी लो इतनी देर से बैठे हो थक गए होगे और मेरे ख्याल से स्कूल से छूटते ही सीधे ईधर ही रहे हो इसलिए भूख भी लगी होगी। ( इतना कहते ही जैसे विनीत की भाभी प्लेट को टेबल पर रखने के लिए झुकी वैसे ही तुरंत उसके साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया या यों कहो कि उसने जानबूझकर अपने साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी थी।
और जैसे ही साड़ी का पल्लू नीचे गिरा वैसे ही सामने की दोनों घाटियां उजागर हो गई। दोनों घाटीयों की ऊंचाई इतनी ज्यादा थी की इन्हें देखते ही जांघों के बीच लटक रहे औजार की लंबाई खुद-ब-खुद बढ़ जाये।

लो कट ब्लाउज में से झाँक रही उसकी दोनों बड़ी बड़ी चुचियां के बीच की पतली लकीर इतनी गहरी थी कि अगर दोनों चुचीयों के बीच लंड डालकर चोदा जाए तो बुर से कम मजा नही मिलेगा। उसकी चूचियों को कैद करने के लिए ब्लाउज छोटा पड़ रहा था या यूं कह लो की छोटे से ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चूचियां समा नही रही थी।। राहुल तो मुँह फाड़े विनीत की भाभी की चूचियों को ही घुरे जा रहा था। झुकने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चुचीयाँ लटक सीे गई थी। चुचियों का वजन इतना ज्यादा था की ब्लाउज के सारे बटन तन से गए थे। राहुल के मन में इस बात का डर भी था कि कहीं चुचियों के भार से ब्लाउज के बटन टूट ना जाए. और उसका एक मन यह भी दुआ कर रहा था कि काश उसके ब्लाउज के सारे बटन टूट जाते और उसे विनीत की भाभी की नंगी चूचियां देखने को मिल जाती जो नारंगी सी गोलाई और मलाई से भी ज्यादा चिकनाई लिए हुए थी। राहुल यह नजारा ऐसे देख रहा था मानो की उसे सांप सूंघ गया हो। वह सारी दुनिया से बेखबर होकर एक टक उसकी चुचियों की तरफ ही देखता रहा।

उसकीे साँसे बड़ी तेज रफ्तार से चल रही थी ओर मुंह खुला का खुला मानो की राहुल के मुँह से लार टपक रहा हो। राहुल की हालत देखकर विनीत की भाभी बहुत खुश हुई। वह कुछ देर तक यूं ही झुक कर अपनी चुचियों का प्रदर्शन करतीे रही। इस पूरी प्रक्रिया में 35 से 40 सेकंड ही लगे थे। लेकिन इस 40 सेकंड में बहुत कुछ हो चुका था। वीनीत की भाभी अपना काम कर चुकी थी। अपनी चुचियों का जलवा दिखा कर राहुल को पूरी तरह से घायल कर चुकी थी।
वह अपने साड़ी के पल्लू को व्यवस्थित करते हुए बोली।

अरे सिर्फ देखते ही रहोगे या पानी भी पीयोगे।
( विनीत की भाभी ने उसके चोरी पकड़ ली थी इसलिए राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और सक पकाते हुए बोला।)

कककककक…….कुछ नही भाभी। वो थथथथ……थोड़ी गर्मी ज्यादा है इसलिए ( इतना कहने के साथ ही राहुल प्लेट में से पानी का गिलास उठा लिया और पीने लगा था की बीच में ही उसको टोकते हुए बोली)

अरे अरे बिस्किट तो खाओ ऐसे केसे सिर्फ पानी पिए जा रहे हो।
( विनीत की भाभी की बात सुनते ही राहुल ट्रे मेे से बिस्किट उठा कर खाने लगा एक तरह से उसके दिमाग पर उसका जोर नहीं चल रहा था राहुल पूरी तरह से विनीत की भाभी के सुडोल बदन और उसकी कामुकता में खो गया था।
जैसे ही राहुल ने बिस्किट खा कर और पानी का ग्लास खत्म करके ट्रे में रखा ही था कि विनीत की भाभी बोली
वीनीत तो यहां है नहीं इसलिए तुम्हारी नोटबुक भी अभी नहीं मिल सकती अगर वह होता तो तुम्हारा काम बन जाता। ( इतना कहने के साथ ही वह राहुल के बगल में एकदम से सटकर बैठते हुए बोली।)
देखो तुम मेरी बातों का बुरा मत मानना मुझे शुरु से किसी के काम में या उसके पर्सनल चीजों में दखल अंदाजी करना कतई पसंद नहीं है। ( विनीत की भाभी राहुल के बदन से बहुत ज्यादा सटी हुई थी। उसकी मोटी मोटी जाँघे राहुल की जाँघो से रगड़ खा रही थी। जिससे राहुल के बदन में हलचल सी मच रही थी।

राहुल शरमाते हुए कसमसा रहा था लेकिन उसको यह स्पर्श आनंददायक भी लग रहा था। राहुल उत्तेजना से सराबोर हुए जा रहा था। इस गर्म स्पर्श से उसकी जाँघो के बीच का उठाव बढ़ने लगा था। जोकि विनीत की भाभी के नजरों से छुपा नहीं रह सका। वीनीत की भाभी की नजर जैसे ही राहुल के उठाव पर पड़ी उसके तन-बदन में खास करके उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी मचने लगी। राहुल का तो गला ही सूखने लगा था।
वैसे भी राहुल के पेंट में बने तंबू का उठाव कुछ ज्यादा ही था । इसलिए तो वीनीत की भाभी की आंखें फटी की फटी रह गई थी। नीलू की तरह उसके मन में भी यही सवाल उठ रहा था कि अगर इसका उठाव इतना बड़ा है तो जब यह बिल्कुल नंगा होता होगा तब ये कैसा दीखता होगा। यही सब सोचकर उसकी जाँघो के बीच नमकीन पानी का रिसाव होने लगा। राहुल की साँसे बड़ी भारी चल रही थी। राहुल की हालत को देखते हुए विनीत की भाभी बोली।)

अच्छा कोई बात नहीं अगर किसी कारणवश वह कल तुम्हें तुम्हारी नोटबुक नहीं लौटा सका तो मैं उससे ले कर रखूंगी और कल तुम इसी समय आकर अपनी नोट बुक ले जाना। ( इतना सुनने के साथ ही राहुल सोफेे पर से खड़ा होता हुआ बोला।)

ठठठ…..ठीक है भभभा….भी अगर ऐसा होगा तो मैं कल आकर नोटबुक ले लूंगा। ( इतना कहने के साथ ही राहुल एक दम से चौंक उठा क्योंकि उसे ज्ञात हो चुका था कि उसके पेंट में काफी लंबा तंबू बना हुआ है।वीनीत की भाभी मुस्कुराते हुए उस के तंबू को ही देखे जा रही थी। राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और अपने स्कूल बैग को उठाकर झट से पर अपने पेंट के आगे कर लिया ताकि उसका तंबु छिप. सके। राहुल की इस हरकत पर उसकी हंसी छूट गई और राहुल उसे हंसता हुआ देखकर और ज्यादा शर्मिंदा हो गया और बोला।

अच्छा भाभी मैं चलता हूं। विनीत आए तो उसे कहना कि मैं आया था। ( इतना कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ बढ़ चला ओर उसके पीछेउसे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।

जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।

अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या देख रहे थे?

( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को देख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

कल आना जरुर भूल मत जाना।
( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को देख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी।
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी । तभी तो वह अपने देवर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी। वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने देवर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़ डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी।

क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल से मिलने ही नहीं देगी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छूटने के बाद राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूंगी और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा।

सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती ।

बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।

बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी। वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ देर तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छूट रही थी।

आआहहहहहहह……….ऊऊमममममममममम……….
ओहहहहहहहहहहहह…मेरे राहुल…..आआआहहहहहहह….. डाल. ओर डालललल……आआहहहहहहहहह (वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह……मे गई……मे गई।……….आहहहहहहहहहहहहह…..राहुल……
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस उसकीे बुर से पानी का फुवारा छूट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफेे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी। उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।

वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था ।

वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।

इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी।

राहुल की मम्मी को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ राहुल की मम्मी के मांसल और भरे हुए बदन के कटाव और उभार को देखते ही वीनीत के जांघों के बीच हलचल सी मचने लगी। वह तुरंत मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया और सीधे राहुल की मम्मी मतलब कि अलका के पास पहुँच गया। अलका जलेबियां ले रही थी अलका को जलेबी लेते देख विनीत बोला।

हाय अांटी आप यहां क्या कर रही हो?

कुछ नहीं बेटा बस बच्चों के लिए जलेबी ले रही थी। तुम्हें यहां क्या चाहिए क्या तुम भी यहाँ मिठाई खरीदने आए हो।

हाँ मुझे भी सफेद रसगुल्ले खरीदने थे। ( तब तक दुकान वाले ने अलका की जलेबियों को पेक करके अलका को थमा दिया … विनीत की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी वह अलका से नज़दीकियां बढ़ाना चाहता था। वह अलका से क्या बात करें क्या ना करें उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसने झट से आव देखा ना ताव तुरंत अलका की कलाई थाम ली … अलका ईस तरह से एक अन्जान लड़के द्वारा अपनी कलाई पकड़े जाने से उसका बदन एकबारगी झनझना सा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही विनीत जल्दी से उसे लगभग खींचते हुए पास में ही पड़ी कुर्सी पर बिठा दिया। और जल्दी से मिठाई की काउंटर पर गया।

अलका अभी भी सहमी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार एक अनजान लड़का इस तरह से उसकी कलाई पकड़ के कुर्सी पर क्यों बैठा कर गया। अलका के मन मे मंथन सा चल रहा था। वह कुछ और सोच पाती इससे पहले ही वीनीत हाथ में दो कटोरिया लिए उसकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था।

अलका विनीत को और उसके हाथ में उन दो कटोरियों को आश्चर्य से देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने दोनों कटोरियों को टेबल पर रख दिया और पास में ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टेबल की दूसरी तरफ रख के बेठ गया। अलका आश्चर्य से कभी कटोरी में रस में डूबी हुई सफेद रसगुल्ले को तो कभी विनीत की तरफ देखे जा रही थी। वह विनीत से बोली।

यह क्या है बेटा?
( विनीत ने अपने दीमाग मे पुरा प्लान फीट कर लिया था। वह अलका से झूठ बोलते हुए बोला।)

आंटी जी आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन किसी अच्छे और खूबसूरत इंसान के साथ मनाऊँ। लेकिन दिनभर घूमने के बाद मुझे ना तो कोई खूबसूरत इंसान और ना ही अच्छा इंसान मिला ।
और एेसे मै मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं अपना जन्मदिन मना पाऊंगा। लेकिन शायद भगवान भी नहीं चाहता था कि मैं अपने जन्मदिन पर इस तरह से उदास रहूं इसलिए उसने आपको भेज दिया। और मैं भी एक पल भी गवाँए बीेना आपको इस तरह से यहां बिठा दिया इसके लिए माफी चाहता हूं।
( अलका को सारी बातें समझ में आने लगी थी। वह विनीत के रवैये से और उसकी बात करने की छटा से मंत्रमुग्ध सीे हो गई थी। विनीत में सफेद रसगुल्ले की एक कटोरी को अलका की तरफ बढ़ाते हुए बोला)

लीजीए आंटी मुंह मीठा कीजिए…
( वैसे तो सफेद रसगुल्ले को देखकर अलका के मुंह में भी पानी आ गया लेकिन वह अपने आपको रसगुल्ले खाने से रोके रही। उसे इतना उतावला पन दिखाना ठीक नहीं लग रहा था। क्योंकि कुछ भी हो वह अभी भी इस लड़के को पूरी तरह से जानती नहीं थी बस एक दो ही मुलाकात तो हुई थी ईससे। अलका बड़ी असमंजस में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़के के द्वारा ऑफर किया हुआ यह सफेद रसगुल्ले की कटोरी को पकड़े या इंकार कर के यहां से चली जाए। लेकिन सफेद रसगुल्ले को खाने की लालच भी उसके मन में पनप चुकी थी। वह खुद की शादी में ही सफेद रसगुल्ले का स्वाद चख पाई थी उसके बाद उसने कभी भी सफेद रसगुल्ले को मुंह से नहीं लगाया। तभी विनीत द्वारा एक बार फिर से मुंह मीठा करने की बात को मानते हुए उसने कटोरी में से एक रसगुल्ले को उठा ली और अपनी गुलाबी होंठ को खोलकर दांतों के बीच रखकर आधे रसगुल्ले को काट ली। विनीत उसके गुलाबी होठों को देखता रह गया और मन ही मन उसके होंठ पर अपने होंठ को सटा कर उसका मधुर रस पीने की कल्पना करने लगा। )

आंटी जी आपने मेरी बात रख ली इसलिए मैं आपको धन्यवाद करता हूं। मेरे जन्मदिन को आपने सफल बना दिया।

अरे मैं तो भूल ही गई( और अपने हाथ को आगे बढ़ाकर वीनीत से हाथ मिलाते हुए उसे जन्मदिन की ढेर सारी बधाई दी।)
जन्मदिन मुबारक हो हैप्पी बर्थडे टू यू….. वैसे मैं बेटा तुम्हारा नाम नहीं जानताी हुँ।

विनीत…….. वीनीत नाम है मेरा।

ओके…..हैप्पी बर्थडे टू यू वीनीत।

थैंक्यू आंटी। लेकिन आपने अपना नाम नहीं बताया अब तक

मेरा नाम अलका है।

वाह बड़ा ही प्यारा नाम है( विनीत की बात सुनते ही अलका मुस्कुरा दी। दोनों वहीं 20 मिनट तक बैठे रहे। दोनों में काफी बातें हुई एक हद तक अलका को विनीत बड़ा प्यारा लगने लगा था खास करके उसकी मन लुभाने वाली बातें । ज्यादातर वीनीत ने अलका की खूबसूरती की तारीफ ही की थी जोकि अलका को कुछ अजीब लेकिन बड़ी लुभावनी लग रहीे थी।
यह शाम की मुलाकात दोनों की जिंदगी में काफी हलचल मचाने वाली थी। अलका के जीवन में ये लड़का काफी हद तक उतार चढ़ाव और रिश्तो में तूफान लाने वाला था।
इस मुलाकात से ही दोनों काफी हद तक खुलना शुरू हो गए थे। विनीत को घर जाने में देर हो रही थी लेकिन फिर भी वह यहां से जाना नहीं चाहता था उसे अलका का साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था। यही हाल अलका का भी हो रहा था विनीत के साथ उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसे घर भी जाना था क्योंकि घर पर उसके दोनों बच्चे इंतजार कर रहे थे। इसलिए वह बेमन से कुर्सी से उठते हुए बोली मुझे घर जाना होगा काफी समय हो गया है।

ठीक है आंटी जी मुझे भी अब जाना ही होगा। लेकिन मेरा इतना साथ देने के लिए थैंक यू( जवाब मे अलका मुस्कुराकर दुकान के बाहर जाने लगी तब वीनीत भी झट से मिठाईयेां के पेक कराकर दुकान से बाहर आ गया और अलका के साथ चलने लगा। अलका आगे आगे चल रही थी और वह पीछे पीछे। विनीत की नजर अलका की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी। अलका को मालूम था कि विनीत उसके पीछे-पीछे आ रहा है और इस तरह से विनीत का उसके पीछे-पीछे आना उसे अच्छा भी लग रहा था। अलका की मटकती हुई गांड वीनीत के कलेजे पे छुरियां चला रही थी। वह मन मैं ही सोच रहा था कि काश इसको चोदने का मौका मिल जाता तो लंड की किस्मत ही खुल जाती।
यही सब सोचते हुए विनित अलका के पीछे कुछ दूरी चला था कि उबड़ खाबड़ रस्ते पर अलका का बैलेंस डगमगाया और उसका पैर फिसल गया। वह गिरने से तो बच गई लेकिन उसके सैंडल की पट्टी टूट गई।
वीनीत जल्दी से आगे बढ़ा और अलका के लग पहुंच गया।

क्या हुआ आंटी आपको चोट तो नहीं लगी।

( अलका संभलते हुए) नहीं बेटा चोट तो नहीं लगी लेकिन मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई….. अब मुझे बिना सैंडल के नंगे पांव ही घर जाना होगा।
(अलका को परेशान देखकर विनीत भी परेशान हो गया और वह बोला)
आंटी जी एेसे कैसे आप नंगे पांव घर जाएंगी लाइए अपनी सेंडल मुझे दीजिए मैं उसे ठीक करवा कर लाता हूं।

नहीं बेटा मैं चली जाऊंगी इतना परेशान मत हो।

नही आंटी जी आप कैसे अपने घर तक यूंही नंगे पैर जाएंगे आप जिद मत करिए मुझे दे दीजिए सेंडल मैं तुरंत बनवा कर ले आता हूं यही पास में ही है ।
( अलका को यूँ अपना सेंडल निकालकर विनीत को देना बड़ा अजीब सा लग रहा था। विनीत के लाख मनाने पर अलका उसे सैंडल देने के लिए तैयार हुई। अलका की भी मजबूरी थी क्योंकि उसे भी कहीं नंगे पांव आना जाना अच्छा नहीं लगता था।
अलका के पांव की सैंडल पाकर विनीत बहुत खुश हो रहा था वह अलका को वही रुकने के लिए कहकर सैंडल सिलवाने के लिए चला गया।
अलका वहीं पास में फुटपाथ पर रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई और वीनीत का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर बाद विनीत लगभग दौड़ते हुए उसके पास आ रहा था जैसे ही पास में पहुंचा अलका के उठने से पहले ही वह सैंडल लेकर अलका के कदमों में झुक गया और बोला।

लाईए आंटी जी में आज आपको अपने हाथों से सैंडल पहना देता हूं। ( अलका उसके मुंह से इतना सुनते ही एक दम से शर्मा गई और उसे हाथों से रोकने लगी लेकिन वह वीनीत को रोक पाती इससे पहले ही विनीत ने अलका के पांव को अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ से अलका की साड़ी को पकड़ कर थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया करीब दो तीन इंच ही ऊपर साड़ी को उठाया था लेकिन विनीत की इस हरकत पर अलका एकदम से शहम गई। उसने मन ही मन ऐसा महसूस कर लिया कि कोई उसकी साड़ी को उठाकर नंगी कर रहा है। अलका कुछ बोल पाती इससे पहले ही विनीत ने सैंडल को उसके पांव में डालकर सेंडल की पट्टी को लगा दिया।
सैंडल पहनाने में विनीत को केवल सात आठ सेकेंड ही लगे थे लेकिन इतने मिनट में अलका की मखमली दूधिया पैरों के स्पर्श को अपने अंदर महसूस कर लिया।

विनीत ने अपनी उंगलियों को अलका की चिकने पैर सहलाया था जिससे विनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया था।
अलका अंदर ही अंदर कसमसा रही थी उसको बड़ी शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह बार बार अपने अगल बगल नजर घुमा कर देख ले रही थी कि कोई देख तो नही रहा है। लेकिन सब अपने अपने काम में मस्त थे किसी को फुर्सत कहां थी कि उन लोगों को देख सके।
सैंडल पहरा कल विनीत खड़े होते हुए बोला।

लो आंटी अब आप अपने घर नंगे पांव नहीं जाएंगी।
( अलका उसकी बात पर मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स कह के अपने घर की तरफ चल दी। विनीत वही खड़े-खड़े अलका को गांड मटकाते हुए जाते देखता रहा
वह कभी अलका को तो कभी अपनी ऊंगलियों को आपस में मसलते हुए उसके नरम नरम मखमली पैरों के बारे में सोचने लगा और तब तक वहीं खड़े रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
इसके बाद वह भी अपने घर की तरफ चल दीया।)

अलका को आज घर पहुंचने में काफी लेट हो गया था।
राहुल और सोनू दोनों अलका का इंतजार कर रहे थे।
अपनी मम्मी को आता देख राहुल बोला।

क्या हुआ मम्मी आज इतना लेट क्यों हो गयी?

क्या करूं बेटा आज रास्ते में मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई थी और उसी को ठीक कराने में देरी हो गई।

और हां यह लो जलेबी( जलेबी का पैकेट राहुल को पकड़ाते हुए) तुम दोनों के लिए रास्ते में से ली थी।
( इतना कहकर अलका झटपट खाना बनाने के लिए गइ। कुछ देर बाद खाना बनाकर और खा पीकर सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए।

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2 Comments

  1. Harikumar Zaa

    कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡

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