होता है जो वो हो जाने दो – maa beta sex story

अलका आज के दिन भला कैसे इंकार कर सकती थी इसलिए उसे जाना ही पड़ा। वह अपने कमरे में उस डिब्बे को लेकर के जा चुके थी। और राहुल नीचे बैठकर अजीब सी उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रहा था।

अलका राहुल के द्वारा दिए गए गिफ्ट के पैकेट को ले करके अपने कमरे में चली गई।,, राहुल रसोई घर के सामने ही कुर्सी पर बैठ कर इंतजार कर रहा था कमरे में जाने का वह अपनी मां को थोड़ा समय देना चाहता था ताकि वह सहज होकर उसके दिए गए कपड़ों को पहन सके., क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां ने आज तक ऐसे कपड़ों को शायद फिल्मों में या टीवी पर ही देखी हैं उस कपड़ो को खरीदने के बारे में तो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी तो पहनने की तो बात ही दूर रही और ऐसे सेक्सी कपड़ों को अपने हाथों में देखकर और यह जानते हुए कि यह उसके ही है

तो उसकी मां को कैसा लग रहा होगा यह सब सोच सोचकर राहुल उत्तेजित हुआ जा रहा था। उसने तो अपने मन में उन कपड़ों को कि उसकी मां के बदन पर कैसा लगेगा उन कपड़ो को पहनकर उसकी मां कैसी दिखेगी इस बारे में ढेर सारी कल्पनाएं भी कर चुका था। और कल्पना करते-करते ही उसका लंड टाइट हो चुका था। वह कुर्सी पर बैठकर अब तक के सारे सफर के बारे में सोचता रहा उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां के साथ उसका यह पवित्र रिश्ता कुछ ऐसा बदल जाएगा कि दोनों में मां बेटे जैसा रिश्ता खत्म हो जाएगा।

मां बेटे के बीच की यह सारी मर्यादाएं कभी नहीं टूटती अगर राहुल सुबह सुबह बाथरुम में अपनी मां के नंगे बदन को उसके भरावदार नंगी गांड को ना देखा होता तो कभी भी इतनी हद तक ना गुजर पाता। उस दिन के पहले उसके दिमाग में इन सब बातों के लिए कोई जगह नहीं थी उसकी मां की खूबसूरती के बावजूद भी उसने अपनी मां को कभी भी ऊस तरह की नजर से नहीं देखा था। लेकिन बाथरुम के दृश्य के बाद उसे उसे अपनी मां को देखने का नजरिया बदलने लगा। अपनी ही मां के भराव दार नितंबों का आकर्षण बढ़ते-बढ़ते राहुल की नजर में इस कदर बढ़ गया कि वह आकर्षण संभोग में तब्दील हो गया। अलका के मन में भी दबी बरसों से काम की चिंगारी राहुल की वजह से ही भड़क गई और वह भी अपनी मर्यादा को लांघ कर अपने ही बेटे से संभोग सुख का आनंद लेने लगी। और आज दोनों के बीच में मां बेटे का रिश्ता से समाज के लिए ही है।

अलका अपने कमरे में पहुंचकर अपने बेटे के द्वारा गिफ्ट को खोलने लगी पेकेट में क्या होगा यह सोच-सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ती ही जा रही थी।

राहुल ने उसे क्या गिफ्ट किया है इस बारे में अलका पूरी तरह से अनजान थे लेकिन पहनने की बात उसे इतना जरूर साफ हो चुका था कि वह कपड़ा ही था।

जैसे-जैसे गिफ्ट का रेपर खुल रहा था वैसे वैसे अलका के दिल की धड़कने और उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। जैसे ही पैकेट खुला और अंदर से उसने उन कपड़ों को बाहर निकाली तो उन कपड़ो का रूप देखकर, उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी। वह उन कपड़ो को अपने हाथ में लेकर उलट पलट कर देखने लगी उन कपड़ो को देखते हुए उसकी दिल की धड़कनै और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी।

अलका को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह सब है क्या लेकिन जल्दी उसे सारा माजरा समझ में आ गया। अपने बेटे के मन की इच्छा को जानकर वह मंद-मंद मुस्कुराने लगी लेकिन वह उन कपड़ो को लेकर बहुत ही असहज हो रही थी।

वह मन में यह सोचने लगी कि वह इन कपड़ों को कैसे पहन सकती है उसने तो आज तक ऐसे कपड़ों की कभी कल्पना भी नहीं की थी और कभी सपने मे भी नहीं सोची थी कि इस तरह के कपड़े वह कभी पहन पाएगी। उसे उन कपड़ों को लेकर के बड़ी ही शर्म महसूस हो रही थी वह एक बार तो मन में यह ठान ली की वह इन कपड़ों को नहीं पहनेगी लेकिन तभी उसे याद आ गया कि आज उसके बेटे का जन्मदिन है और उसने अपने बेटे से वादा की थी कि वह उसकी हर इच्छा को पूरी करेगी। लेकिन फिर भी उसके मन में शर्म की भावना बनी हुई थी क्योंकि हाथ में कपड़े पकड़ने के बाद उसे इस बात का आभास हो गया कि वह कपड़े कुछ ज्यादा ही छोटे हैं वह कैसे उन कपड़ो को पहनकर राहुल के सामने आएगी और वह भी गाउन एकदम ट्रांसपेरेंट,,,,,,,,

ऊफ्फ ये राहुल भी ना,,,,,, ( अलका अपने आपसे ही बातें करते हुए बोली। लेकिन फिर मन में सोचने लगी कि राहुल उसका कितना ख्याल रखता है और तो और उसे इतनी बड़ी मुसीबत से भी बचाया और जन्मदिन के दिन उसे और सोनू को कितना घुमाया खिलाया पिलाया उनके लिए कपड़े तक खरीदें अगर ऐसे में वह अपने बेटे की ईस ईक्षा को पूरी नहीं कर पाएगी तो स्वार्थी कहलाएगी। बहुत कुछ सोचने के बाद उसने मन में ठान की वह इन कपड़ों को जरूर पहनेगी।

पैंटी को हाथ में लेते ही उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी क्योंकि पैंटी के ऊपर वाला हिस्सा एकदम मखमली रोंएदार और जालीदार था। जिसे पहनने के बाद भी जिस चीज को छुपना चाहिए वह बड़ी ही सफाई के साथ बाहर ही उजागर हुई रहती थी। पेंटी को देखकर और उसके पहनने के बाद वह कैसी दिखेगी इस बारे में सोच कर ही उसकी बुर गीली होने लगी थी।

नीचे राहुल कुर्सी पर बैठकर ऊपर जाने का इंतजार कर रहा था उसे मालूम था कि इतनी जल्दी उसकी मां उन कपड़ो को पहनने वाली नहीं है इसलिए थोड़ा वक्त दे रहा था।

अलका उन कपड़ों को पहनने के लिए अपनी साड़ी को उतारना शुरू कर दि। धीरे-धीरे करके उसने अपनी साड़ी को अपने बदन से उतार कर के बिस्तर पर फेंक दी। साड़ी को अपने बदन से उतार फेंकने के बाद वह अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी एक-एक करके वह अपनी ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी। बटन के खुलते ही उसने तुरंत ब्लाउज उतार कर फेंक दी। ब्लाउज के उतरते हैं उसका ध्यान पुरानी ब्रा पर गई जो कि वाकई में पुरानी हो चुकी थी जगह जगह से ब्रा के रेसे बाहर की तरफ निकले हुए थे। लेकिन ब्रा के अंदर का समान अभी भी खऱा सोना ही था। जिस तरह के आकार मे बड़े बड़े चूचियां अलका की थी उस तरह की चुचीया पाने के लिए बहुत सी औरते तरसती थी। अलका एक नजर अपनी ब्रा के साथ-साथ अपनी बड़ी बड़ी छातियों पर भी डाली और तुरंत दोनों हाथ अपने पीछे की तरफ ले जा कर के ब्रा के हुक को खोल दी और ब्रा को भी उतार कर फेंक दी।

उसने जल्दी-जल्दी बाकी के भी कपड़े उतार फेंके और इस समय एकदम नंगी अपने कमरे में खड़ी थी। सबसे पहले उसने ब्रा को उठाई और उसे ऊलट पलट कर देखते हुए पहनने लगी । पहनते हुए ऊसे ऊसके बदन मे अजीब सी हलचल ओर ऊन्माद फैल रहा था। बांह से ऊपर की तरफ गुजरती हुई ब्रा की स्ट्रेप ऊसके बदन मे गुदगुदी पैदा कर रहा थी। ऊसके मन मे ऊत्सुकता बढ़ती जा रही थी। आखिरकार होले होले उसने ऊस बब्रा को पहन ही ली। ऊफ्फ गजब का एहसास उसके बदन में हो रहा था। ब्रा का कपड़ा इतना ज्यादा मुलायम था कि ऐसा लग रहा था कि रही हो एकदम मखमली एहसास उसे मदहोश किए जा रहा था। ब्रा का कपड़ा भी ऐसा था कि उसकी तनी हुई निप्पल साफ साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी। अलका की दोनो चुचियों परं ब्रा एकदम फिट बैठ गई थी। अलका को यह समझते देर नहीं लगी की, उसके चुचियों को माप उसका बेटा अच्छी तरह से जानता था । हाथों में ले लेकर मुंह में भरकर वह चूंचियों के आकार से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुका था। अपने बेटे की सही माप का अंदाजा लगाने की वजह से अलका मुस्कुराने लगी। आज इस तरह के कपड़े पहनते हुए अलका को अजीब से सुख का एहसास हो रहा था। धीरे-धीरे करके उसने उस मखमली पैंटी को भी पहन ली जिसके आगे वाला भाग जालीदार था और जिसे पहनने के बाद भी उसकी बुर साफ-साफ झलक रही थी। अलका ब्रा और पेंटी को पहन चुकी थी वह घूम घूम कर अपने कजन को आगे पीछे नहीं आ रही थी और जाकर के आईने के सामने खड़ी होकर सामने की तरफ देखने लगे आईने में अपना अक्स देख कर ‘ अनायास ही उसके मुंह से वाह निकल गया।

उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह के कपड़े में वो इतनी ज्यादा सेक्सी लगेगी, आईने में अपना ही रूप देखकर उसका अंग अंग उन्माद में भरने लगा। उसकी बुर से मदन रस की एक बूंद टपक पड़ी। ऊसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था। वह बिस्तर पर पड़ा गांउन को भी उठा लाई, और उसे भी झट से पहन ली। उस ट्रांसपेरेंट गाउन को पहनने के बाद वह आईने में अपने रूप को देखी तो देखती ही रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इन कपड़ों में वह इतनी ज्यादा सेक्सी लगेगी। आज पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि इस तरह के भी कपड़े होते हैं कि जिसे पहनने के बाद भी बदन का हर एक अंग साफ साफ नजर आता है। इन कपड़ों को पहनकर वह अजीब से सुख की अनुभूति कर रही थी उसे बहुत ही आनंद दायक लग रहा था। उसे अपना वजन बेहद हल्का महसूस हो रहा था और इस तरह की ब्राह्मणों उसकी चूचियां कुछ और भी ज्यादा बड़ी बड़ी लग रही थी। उसे अपना यह रूप बेहद अच्छा लग रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि इन कपड़ो में वह इतनी ज्यादा सेक्सी लगती है बार-बार वह घूम घूम कर अपने बदन को देख ले रही थी और आईने में भी नजर मार ले रही थी।

लेकिन उसे इस बात पर बड़ी शर्म महसूस हो रही थी कि ऐसे कपड़ों में वह अपने बेटे के सामने कैसे जाएगी जबकि वह संपूर्ण नग्नावस्था में अपने बेटे से चुदवा कर चुदाई का हर तरह से मज़ा ले चुकी थी । लेकिन फिर भी इस समय इन छोटे छोटे कपड़ों में अपने बेटे के सामने आने में उसे शर्म महसूस हो रही थी।

अलका आज के दिन अपने बेटे को पूरी तरह से खुश कर देना चाहती थी इसलिए कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती थी जिससे राहुल को बुरा लगे, इसलिए वह ना चाहते हुए भी इन कपड़ो में अपने बेटे के सामने आने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी। आईने में देखते हुए उसने अपने बाल के जुड़े को भी खोल दि, जिससे वह और भी ज्यादा कामुक और सेक्सी लगने लगी। इन कपड़ों में और खुले बालों में अलका का रूप और भी ज्यादा निखरकर सामने आ रहा था।

उसे बड़ी ही बेसब्री से अपने बेटे का आने का इंतजार था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा भी उसे इस रुप में देखने के लिए तड़प रहा होगा। अलका अपने बेटे का इंतजार करते हुए आईने में अपने रुप को देख देख कर खुश हो रही थी।

अलका के सोचने के मुताबिक ही राहुल नीचे बैठकर अपनी मां का इंतजार करते हुए तड़प रहा था। उसे अपनी मां के कमरे में जाना था लेकिन वह नीचे इसलिए बैठा हुआ था कि ताकि उसकी मां को पूरा समय मिल सके उन कपड़ों को ट्राई करने का, समय काफी हो चुका था उसका लंड भी बेहद टाईट हो करके तड़प रहा था।

उसके लिए अब यहां पर बैठकर कुर्सी पर इंतजार करते रहना बड़ा मुश्किल हो जा रहा था उसके सब्र का बांध टूट रहा था वह भी बेहद उत्सुकता अपनी मां को इन सेक्सी कपड़ो में देखने के लिए। इसलिए ऊसने सोचा कि अब चलना चाहिए इसलिए वह कुर्सी पर से उठा और अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया। जैसे जैसे वह अपनी मां के कमरे की तरफ बढ़ रहा था उसके दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी। कल्पनाओं की सड़क पर वह सरपट भागे जा रहा था। अपनी मां के कमरे की तरफ जाते हुए भी ऊसकी कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी ही तेजी से भाग रहा था। उसके मन में अपनी मां को ले करके और उन सेक्सी कपड़ों को लेकर के ढेर सारी कल्पनाए जन्म ले रही थी। वह मन में सोचते हुए जा रहा था कि ऊन कपड़ो मे ऊसकी मां केसी लग रही होगी, ऊस सेक्सी ब्रा मे ऊसकी बड़ी बड़ी चुचीया केसी लग रही होगी। छोटी-छोटी जालीदार पैंटी में ऊसका मक्खन सा बदन कैसा दिख रहा होगा।

उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां क्या जालीदार पेंटी मै से झलक रही होगी या नहीं। उसके बदन पर ट्रांसपेरेंट गाउन कैसा लग रहा होगा। यही सब सोचकर उसके राहुल की हालत खराब हो जा रही थी। यही सब सोचते हुए राहुल अपनी मां के कमरे पर पहुंच गया कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। उसने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया और जैसे ही उसकी नजर कमरे के अंदर गई तो अंदर का नजारा देखकर ऊसकी आंखे चौंधिया गई।

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2 Comments

  1. Harikumar Zaa

    कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡

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