सुबह अलका जब उठी तो उसे कुछ महीनों से हो रही अजीब-अजीब ख्यालो से मुक्ति का एहसास हो रहा था उसे आज बहुत ही बेहतर महसूस हो रहा था। बहुत बड़ी मुसीबत से छुटकारा पाने का एहसास उसके तन बदन को रोमांच से भर दे रहा था। अलका की नजर अपने बिस्तर पर अपने ही बगल में निश्चिंत होकर सो रहे अपने बेटे पर गई तो, उसके चेहरे पर खुशी और संतुष्टि भरी मुस्कान तैरने लगी। अलका की नजर राहुल के मासूम चेहरे पर एक ही रह गई उसे राहुल का मासूम चेहरा देखकर यकीन नहीं हो पा रहा था कि यह वही पहले वाला सीधा साधा और शर्मिला राहुल है जो एक समय था जब लड़की और औरतों से दूर भागता रहता था। उनसे बात करने में कतराता था और तो और वह मेरे से भी बात करता था तो अपनी नजरों को मेरे बदन पर टीका नहीं पाता था उसकी नजरें हमेशा इधर उधर ही घूमती रहती थी। कुल मिलाकर वह पूरी तरह से एकदम शर्मिला बच्चा ही था लेकिन अब यही शर्मिला बच्चा औरतों के सुख का साधन बन चुका है। राहुल के चेहरे को देख कर अलका अच्छी तरह से जानती थी कि उसके हथियार का लंबाई और मोटाई का पता लगा पाना बड़ा ही मुश्किल काम है । वह राहुल के सिर पर हाथ फेरते हुए मन ही मन में सोची कि आज इसका हथियार इतना ज्यादा तगड़ा हो चुका है कि वह मेरी ही क्या किसी भी लड़की और औरत को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करने में सक्षम है। अलका एक तरह से अपने बेटे पर गर्व कर रही थी। क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर राहुल ना होता तो उसके पास बहुत पहले ही डगमगा गए होते और ना जाने क्या हाल होता।
अलका अपने बदन पर गौर की तो शरमा गई क्योंकि इस समय भी वह संपूर्ण नग्नावस्था में बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसके बगल में उसका बेटा राहुल भी पूरी तरह से नंगा लेटा हुआ था। अपनी हालत और अपने बेटे की हालत को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई। उसे रात वाली घटना याद आ गई, उसे वापस याद आ गया जब उसने विनीत से छुटकारा पाने की खुशी में एकदम बेशर्म होकर के खुद ही अपनी बेशर्मी और कामुकता का प्रदर्शन करते हुए अपने बेटे के खड़े लंड पर सवार होकर के और खुद ही उसके तगड़े लंड को पकड़ कर उसके गरम सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रख कर के ऊपर बैठना शुरु की थी और तब तक बैठती रही जब तक की उसके बेटे का लंड उसकी बुर की गहराई में खो नहीं गया।
ऊफ्फफफ…… उस पल को याद करके इस समय भी अलका के बदन में झनझनाहट सी फैल जा रही थी।
अलका रात को खुद की ,की गई हरकत की वजह से,,,शर्मिंदगी महसुस कर रही थी । लेकीन अलका को ईस बेशर्मी से भरी हरकत में भी बहुत ही ज्यादा आनंद की प्राप्ति हुई थी। अलंका की नजर जैसे ही खुद की बड़ी बड़ी चूचीयो पर गई तो उसे वह पल याद आ गया जब राहुल दोनों हाथों में भर भर कि इसे मुंह में लेकर चूसते हुए पीता था। अलका सोच-सोचकर उत्तेजना से भरी जा रही थी। । तीन-चार दिनों से वह ऑफिस नहीं जा रही थी विनय से छुटकारा पाने की बात से वह सोच रही थी कि आज ऑफिस जा कर देख लो और रास्ते में यह भी पता चल जाएगा कि विनीत का दिमाग ठिकाने आया कि नहीं। राहुल के स्कूल जाने का भी समय हो रहा था इसलिए वह राहुल को जगा कर नहाने के लिए जाने लगी तब तक राहुल भी नींद से जाग गया था। अलका अच्छी तरह से जानती थी कि सोनू अभी सो रहा होगा इसलिए वह निश्चिंत होकर बिल्कुल नंगी हालत नहीं कमरे के बाहर जाने लगी तो बिस्तर पर लेटे हुए राहुल बोला।
रुको मम्मी मैं भी चलता हूं नहाने आज हम दोनों साथ में ही रहेंगे क्योंकि अभी सोनू सो रहा होगा तब तक हम दोनों नहइतना कहने के साथ ही राहुल भी बिस्तर पर से बिल्कुल नग्नावस्था मे हीं खड़ा हो गया अलका की नजर जब राहुल की जांगो के बीच गई तो वह मुस्कुरा दी। क्योंकि राहुल का लंड सुसुप्तावस्था में भी तगड़ा लग रहा था। साथ में नहाने की बात से अलका के भजन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई क्योंकि आज पहली बार वह अपने बेटे के साथ बिल्कुल नंगी होकर के नहाने का मजा लेने वाली थी। लेकिन यह सब जल्दी से मिटाना चाहती थी क्योंकि थोड़ी ही देर में सोनू भी जगने वाला था इसलिए वह राहुल से बोली।
तो चलो जल्दी करो राहुल सोनू के भी उठने का समय हो गया है। ( इतना कहने के साथ ही वह कमरे का दरवाजा खोल घर के बाहर निकल गई उसे मालूम था कि सोनू अभी सोया हुआ है लेकिन फिर भी वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी कि कहीं सोनू जग तो नहीं गया है। अलका ईस एकदम नंगी होकर चहलकदमी करते हुए बाथरूम की तरफ जा रही थी तब तक राहुल भी कमरे के बाहर आ गया और अपनी मां के पीछे पीछे उसकी मटकती हुई गांड को देखकर जाने लगा। अलका मस्ती में चलते हुए बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच गई लेकिन जब तक राहुल बाथरूम के दरवाजे तक पहुंचता उसका सोया हुआ लंड उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड को मटकता हुआ देखकर धीरे धीरे जाग गया। राहुल की ईच्छा ऊसकी मां की गांड को देखकर फीर से चोदने की करने लगी । ईसलिए बाथरुम मे घुसते ही वह अपनी मां के बदन से लिपट गया ऊसकी मा भी बीते पल को याद करके पहले से ही गरमाई हुई थी । ईसलिए वह भी राहुल को चुमने चाटने लगी । राहुल का लंड तो पहले से ही पुरी तरह से तैयार था । वह एकबार फीर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर चुदवासा हो गया था । ईसलिए बिना पल गंवाए अपनी मां की पीठ पर हथेली रखकर नीचे की तरफ दबाते हुए ऊसे नीचे झुकने का ईसारा कीया ऊसकी मां भी अपने बेटे का इशारा कहां कर तुरंत नीचे झुक गई और राहुल पीछे से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में भरकर अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया। दोनों की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी दोनों एक बार फिर से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगे राहुल जोर-जोर से अपनी मां की बुर में लंड पेले जा रहा था। और राहुल के हर धक्के के साथ अलका की सिसकारी निकल जा रही थी । दोनो जमकर चुदाई का मजा लेते रहे और थोड़ी ही देर में दोनों भलभलाकर झढ़ने लगे।
इसके बाद राहुल और अलका दोनों एक दूसरे के बदन पर साबुन लगा कर बहुत ही अच्छे से नहाने का मजा लिए।
दोनों बाथरुम से बाहर आ चुके थे अलका खाना बनाने में जुट गई थी वह सबके लिए नाश्ता तैयार कर रही थी। अलका के मन में अभी भी विनीत को लेकर शंका थी इसलिए वह राहुल को नाश्ता देते समय राहुल से बोली।
राहुल क्या मैं अब ऑफिस जा सकती हूं?
हां मम्मी बिल्कुल जा सकती हो।
नहीं मेरा मतलब यह था की कहीं वह फिर से मुझे परेशान तो नहीं करेगा।
नहीं मम्मी अब आप बेफिक्र रहो करो फिर जाइए वह आपको बिल्कुल भी परेशान नहीं करेगा यकीन ना आए तो शाम को ही आजमा लेना।
( राहुल की बात सुनकर अलका बहुत खुशी हुई। राहुल स्कूल जाने से पहले अपनी मां से बोला।)
मम्मी कल का दिन तुम्हें याद तो है ना कल मेरा जन्मदिन है।
हां बेटा मुझे पूरी तरह से याद है मैं भला कैसे भूल सकती हूं। ( इतना कहकर अलका मुस्कुरा दी और राहुल भी मुस्कुराकर स्कूल की तरफ चल दिया।)
दोनों बच्चों को स्कूल भेजकर खुद भी तैयार होने के लिए अपने कमरे में चली गई आज बहुत दिन बाद उसे ऑफिस जाने का मौका मिला था वरना विनीत के डर से वह कुछ दिनों से ऑफिस नहीं जा पाई थी और घर में ही बैठे बैठे बोर भी हो रही थी और विनीत की वजह से डरी सहमी भी रहती थी। लेकिन जब राहुल ने बताया कि वीनीत का दिमाग ऊसने ठिकाने लगा दिया है तब उसका मन प्रसन्न हुआ विनीत से छुटकारा पाने की बातों से उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उसे एक नई जिंदगी मिली हो। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना ना था वह मन में गीत गुनगुनाते हुए आईने के सामने खड़ी होकर तैयार होने लगी।
अलका पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी संभोग के असीम सुख की प्राप्त कर करके एक अाह्लादक एहसास की वजह से उसकी खूबसूरती और उसके बदन का उठाव और कटाव दिन ब दिन ऊभरकर ओर भी ज्यादा उभरकर खूबसूरत हो गया था।
अलका अपनी छातियों का उभार और अपने भरे हुए बदन को आईने में देखकर अपनी खूबसूरती पर खुद ही शरमा गई और गर्वित होने लगी। दिन ब दिन बढ़ती उसकी खूबसूरती का राज वो अच्छी तरह से जानती थी। वह जानती थी कि उसके बेटे के साथ जबरदस्त संतुष्टि भारी चुदाई की वजह से ही उसकी खूबसूरती दिन ब दिन निखरती जा रही थी। जेसे ही उसकी नजर उसकी खुद की बड़ी बड़ी चुचियों पर गई तो अपनी चुचियों के उभार को देख कर और उसकी खूबसूरती से वह खुद ही चौंधिया गई और वह अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों गोलाइयों पर रखे बिना ना रह सकी। एक बार अपनी दोनो चुचियों को अपनी हथेली में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दबा कर वह आईने में अपने रूप को देखने लगी और खुद ही शरमा कर मुस्कुरा दी।
उसकी नजर दीवार पर टंगे घड़ी पर गई तो झट से बिस्तर पर से अपना पर्श उठाई और कमरे से बाहर आ गई। वह घर से निकल कर जल्दी-जल्दी सड़क पर जाने लगी। अलका इस उम्र में भी क़यामत से कम नहीं लगती थी आज भी वह अपनी खूबसूरती के जलवे बिखेर रही थी।
उसके बदन की बनावट और कटाव देखकर अच्छे अच्छों का पानी निकल जाता था। अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों को भी वह बराबर का टक्कर देती थी। इसका ताजा उदाहरण राहुल ने दोनों औरतों को अपनी मां अलका के लिए ठुकरा कर दे दिया था।
अलका जल्दी-जल्दी मस्ती के साथ सड़क पर अपनी गांड मटकाते हुए चली जा रही थी। उसकी भरावदार गांड की थिरकन किसी को भी मदहोश कर देने में सक्षम थी। सड़क पर आते-जाते ऐसा कोई भी मर्द नहीं होगा जिसकी नजर अलका के मदभरे रस टपकाते बदन पर ना पड़े। आगे से आ रहे राहगीर की नजर सबसे पहले उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर ही जाती थी और पीछे से आ रहे राहगीर की नजर उस की भरावदार बड़ी-बड़ी मटकती गांड. पर।
अलका अपनी मस्ती में कदम बढ़ाते हुए और अपनी गांड मटका के ऑफिस की तरफ चली जा रही थी आज बहुत दिनों बाद खुली सड़क पर इस तरह से चलने पर उसे राहत महसूस हो रही थी। ऑफिस जाते समय रास्ते में ही उसे याद आया कि राहुल का जन्मदिन आने वाला था और उसने उसे पूरी तरह से खुश करने का वादा किया था। अपने किए हुए वादे का मतलब वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह उस वादे को याद करके शरमाते हुए मन ही मन में मुस्कुरा दी। थोड़ी ही देर में वह अपने ऑफिस पहुंच गई आज खुशी-खुशी में ऑफिस का काम करके अपने मन को हल्का महसूस कर रही थी।
धीरे-धीरे घड़ी की सुई अपनी धुरी पर घूमती रही और शाम का वक्त हो गया। सपने निश्चित समय पर ऑफिस छूट चुकी थी और अलंकार ऑफिस से निकल कर अपने घर की तरफ जा रही थी। सुबह तक सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ऑफिस से छूटने के बाद उसके मन में फिर से विनीत नाम का भूत घूमने लगा उसे फिर भी नहीं कर नाम से ही चिंता होने लगी। अलका को विनीत के द्वारा दी गई धमकी बार-बार याद आने लगी। अलका मन ही मन में घबराने लगीं उसके मन में ढेर सारे सवाल ऊठने लगे। विनीत के बारे में सोचते हुए वह सड़क पर चली जा रहे थे उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि बाजार नजदीक थी और वहीं पर अक्सर उससे मुलाकात हो जाती थी। उसके मन में यह शंका बनी हुई थी कि अगर कहीं विनीत नहीं माना और फिर से उसे धमकाने लगा और उसके साथ मनमानी करने के लिए ब्लैकमेल करने लगा तो वह क्या करेगी, लेकिन राहुल नहीं तो उसे कहा था कि विनीत का दिमाग उसनें ठिकाने लगा दिया है अब वह उसे कभी भी परेशान नहीं करेगा और उसी के कहने पर तो मैं आज ऑफिस आई थी। यही सब खयाल रह-रहकर अलका के मन में उठ रहे थे और वह परेशान भी हो रही थी यही सब सोचते सोचते बाजार आ गया उसकी दिल की धड़कनें बढ़ रही थी और वह जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए बाजार से निकल जाना चाहती थी।
वह मन ही मन भगवान से दुआ कर रही थी कि वीनीत उसे रास्ते में ना मिले और वह बिना किसी मुसीबत के अपने घर चली जाए , धीरे धीरे करके वह बाजार के अंतिम छोर पर पहुंच गई जहां पर बाजार खत्म होता था उसकी चिंता कुछ कम होने लगी मुझे लगने लगा कि वहां पर ही मैं अभी नींद से उसका सामना नहीं होगा लेकिन उसका सोचना ही था कि सामने से उसे वीनीत मोटरसाइकिल पर आता दिखाई दिया उस पर नजर पड़ते ही अलका के दिल की धड़कने डर के मारे तेज हो गई। उसकी चाल कुछ धीमी हो गई ऐसा लग रहा था कि उसके पैर आगे बढ़ने से इंकार कर रहे हो धीरे धीरे विनीत करीब आ रहा था। अलका डर के मारे उसकी तरफ से अपनी नजरें फेर भी ले रही थी लेकिन रह रहकर उसकी नजरें बार बार वीनीत की तरफ चली जा रही थी। तभी कुछ करीब आया तो विनीत की नजर भी अलका के ऊपर पड़ गई उसकी नजर एक पल के लिए अलका के कामुक भरावदा़र बदन पर ही टिकी रह गई। अलका को और उसके बदन की खूबसूरती को देखकर विनीत के मन में लड्डू फूटने लगे और उसके मुंह में पानी आ गया। उसकी टांगों के बीच के हथियार में हरकत होने लगी। लेकिन तभी उसे राहुल के द्वारा दी गई शिकस्त के बारे में याद आ गया । उसे याद आ गया कि राहुल ने उसे कितना बेबस कर दिया था कि वह उसकी आंखों के सामने उसकी भाभी और उसकी होने वाली बीवी के साथ शारीरिक संबंध बना लिया और वह कुछ भी नहीं कर पाया। वह अच्छी तरह से समझ गया था कि राहुल से उलझना ठीक नहीं है।
अलका सड़क के बाएं तरफ से जा रही थी और विनीत सड़क के बाएं तरफ से आ रहा था दोनों बिल्कुल करीब आमने सामने आने ही वाले थे कि दोनों की नजरें आपस में टकराई , अलका विनीत के नजर से नजर मिलते ही सहमं गई उसकी डर के मारे पसीने छूट गए एक डर की लहर उसके पूरे बदन में ऊपर से नीचे तक फैल गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। ना चाहते हुए भी घबराहट की वजह से उसके पांव ज्यो के त्यों वही ठिठक गए दोनों बिल्कुल करीब आ गए थे विनीत भी अलका की आंखों में झांकते हुए करते हुए बिल्कुल उसके करीब पहुंच गया था फर्क सिर्फ इतना था कि वह सड़क के ऊस ओर था और अलका इस और।
अलका को लगने लगा कि राहुल की बातों का विनीत के ऊपर कोई असर नहीं हुआ है। उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी उसे यकीन हो गया कि वह करीब आ करके फिर से उसे धमकाएगा और अपने साथ सोने के लिए मजबूर करेगा वह सड़क पर बुत बने खड़ी होकर विनीत की तरफ ही देखे जा रही थी और विनीत भी उसी ही को घूर रहा था। विनीत एकदम आमने-सामने आ गया था लेकिन कभी विनीत अपनी नजर सामने की तरफ फेर लिया औअपनी मोटरसाइकिल एक्सीलेटर को बढ़ाकर तेजी से आगे निकल गया।
अलका तो वहीं खड़ी खड़ी आश्चर्य से फटी आंखों से विनीत को सड़क पर दूर जाते देखती रह गई उसे यह सब एक चमत्कार सा लगने लगा। वह सड़क पर खड़ी होकर विनीत को तब तक देखती रही जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गया । पूरा खेल उल्टा पड़ गया था कुछ देर पहले अलका की दिल की धड़कन जो की बहुत ही तेज चल रही थी वह अब सामान्य होने लगी। विनीत को बिना कोई हरकत किए जाते देख कर उसकी जान में जान आ गई थी वह राहत सी महसूस कर रही थी।
अलका को उसके सर से बहुत भारी बोझ हल्का होता नजर आ रहा था। उसे राहुल की कही हुई एक-एक शब्द पर यकीन होने लगा था वह अपने बेटे पर एकदम गर्वित हुए जा रही थी। राहुल पर उसे और ज्यादा प्यार होने लगा था सड़क पर खड़े खड़े ही उसने मन में निर्धारित कर ली की वह अपने बेटे को उसके जन्मदिन पर पूरी तरह से खुश कर देगी वह जो चाहेगा उसे सब कुछ देगी।
कुछ ही देर पहले उसके चेहरे पर परेशानी के भाव नजर आ रहे थे लेकिन इस समय उसके चेहरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही थी। वह खुशी-खुशी अपने पैर अपने घर की तरफ बढ़ा दी।
घर पर पहुंचकर वह आराम से कुर्सी पर बैठ कर राहत की सांस ली। उसे आज अपने घर में अच्छा महसूस हो रहा था। सब कुछ नया-नया सा बदला बदला सा लग रहा था। अगर राहुल घर पर मौजूद होता तो वह उसे कसके अपने सीने से लगा लेती उसे ढेर सारा प्यार करती आखिरकार उसने काम ही ऐसा कुछ कर दिया
था। विनीत जैसी मुसीबत से छुटकारा दिला कर राहुल ने अलका को बहुत बड़ी मुसीबत से छुटकारा दिलाया था । अलका को इंतजार था राहुल के घर पर आने का क्योंकि उसे मालूम था वह इधर उधर घूम कर अपना टाइम पास करते रहता है इसलिए उसने झट से हाथ बहुत होकर तरोताजा हुई और रसोई में जाकर राहुल के मनपसंद का भोजन बनाने में जुट गई।
जब तक राहुल आया तब तक खाना बन चुका था। सोनू कब से घर पर आकर अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। अलका कुर्सी पर बैठ कर राहुल का इंतजार कर रही थी कि तभी राहुल घर में प्रवेश किया उसे देखते ही अलका कुर्सी पर से उठी और तुरंत आगे बढ़कर राहुल को अपने सीने से लगा ली , और लगी उसे चुमने चाटने लगी अपनी मां के इस व्यवहार को राहुल कुछ पल तक समझ ही नहीं पाया कि आखिरकार यह हो क्या रहा है। तभी अपने बेटे को बेतहाशा चूमते हुए अलका बोली।
बेटा तूने मुझे आज बहुत खुश कर दिया है तू नहीं जानता कि तूने मेरे सर से कितनी बड़ी मुसीबत को दूर किया है। मांग बेटा मांग तुझे जो मांगना है मुझ से मांग ले में तेरी सारी इच्छाओं को पूरी करूंगी। ईसलिए बेझिझक मांग ले।
( अपनी मां की बात सुनकर राहुल को समझते देर नहीं लगी की ईतना ढेर सारा प्यार वीनीत से छुटकारा दिलाने की खुशी में है। ।।।।
अलका फिर से राहुल के गाल पर चुम्बनो का बौछार करते हुए बोली।
बोल बेटा तुझे क्या चाहिए तु जोे मांगेगा मैं तुझे वो दूंगी। ( राहुल अपनी मां की बात सुनकर बहुत खुश हुआ अपनी मां को खुश देखकर राहुल को बेहद खुशी हो रही थी। इसलिए राहुल खुश होता हुआ बोला।)
मम्मी तुम खुश रहती है तू कितनी अच्छी लगती हो। और रही बात कुछ मांगने की तो कल मेरा जन्मदिन है बस कल के दिन अपना यह वादा याद रखना।
( अपनी बेटी की बातें सुनकर अलका मुस्कुरा दी और एक बार फिर से उसे कस के अपने सीने से लगा ली . अलका की इस हरकत पर राहुल के बदन में उत्तेजना फेलने लगी। इसलिए वह बोला।)
मम्मी मुझे जो चाहिए वह में कल अपने जन्मदिन पर मांग लूंगा लेकिन तुम्हारी इस हरकत से मेरा लंड खड़ा होने लगा है।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका मुस्कुरा दी उसे भी इस का आभास हो चुका था। अपनी टांगों के बीच वह अपने बेटे के लंड की चुभन को महसूस कर चुकी थी इसलिए वह भी चुदवासी हो चुकी थी। अपने बेटे की लंड खड़े होने वाली बात को सुनकर वह बोली।)
तो देर किस बात की है बेटा डाल दे अपना लंड मेरी बुर में मेरी बुर भी तो तेरा लंड लेने के लिए पानी पानी हो गई है।
( अलका की बात को सुनते ही राहुल का लंड ठुनकी लेने लगा। लेकीन वह एक खेद जताते हुए बोला।)
लेकिन मम्मी सोनू .,,,,,
सोनू अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा है।( अलका राहुल की बात को बीच में ही काटते हुए बोली। अलका को भी बहुत ज्यादा ऊतावल मची हुई थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए। राहुल भी अपनी मां की जल्दबाजी को देखकर एकदम से जोश में आ गया। अलका के बदन में उत्तेजना और प्रसन्नता के भाव बराबर नजर आ रहे थे और इसी के चलते वह खुद ही वहीं पर ही कुर्सी पकड़कर झुक गई और अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी यह राहुल के लिए इशारा था। वह ं अपनी गांड ऊचका कर अपनी नजरें घुमा कर राहुल की तरफ देखने लगी और उसे आंखों से इशारा करके अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठाने का इशारा की,,,,, राहुल भी उत्तेजना से भर चुका था इसलिए वह भी एक पल की भी देरी किए बिना सीधे अपनी मां की साड़ी को पकड़कर एक झटके में ही कमर तक उठा दिया और पेंटी को नीचे जांघो तक सरका कर अपनी भी पेंट को खोलकर नीचे घुटनो तक सरका दिया।
राहुल और अलका दोनों कामोतेजना के बहाव में बह़ते जा रहे थे। इस समय दोनों को इस बात का भी बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि वह लोग ड्राइंग रूम में ही अपनी उत्तेजना को शांत करने में लगे हुए थे जहां पर किसी भी समय सोनु आ सकता था। लेकिन अलका आज बहुत खुश थी इसलिए वह राहुल को भी खुश करना चाहती थी इसलिए किसी भी चीज की फिक्र उन दोनों को बिल्कुल भी नहीं थी। राहुल तो कुछ ही देर में अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर पूरी तरह से छा गया। राहुल अपनी मां की गरम सिसकारियों के साथ जोर जोर से धक्के लगाता हुआ चोदे जा रहा था। कुछ मिनटों की घमासान चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों अपनी कामोत्तेजना को बड़े सफाई के साथ मिटा चुके थे।
भोजन करते समय राहुल ने अपनी मां को कल के प्रोग्राम के बारे में बताया। कल के दिन अलका को छुट्टी रखनी थी। राहुल अपनी मां और सोनू के साथ घुमने ओर खरीदी करने का प्रोग्राम बना लिया था। कल वह अपनी मां का ब्रांडेड ब्रा ओर पेंटी के साथ साथ ट्रांशपेरेंट गाऊन भी दीलाना चाहता था., जिसके बारे मे ऊसने अपनी मां को कुछ भी नही बताया था। जो की ऊसकीमां के लिए सरप्राईज था।
Pingback: Adultery गर्म सिसकारी - family sex - Indian Sex Stories
कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡