होता है जो वो हो जाने दो – maa beta sex story

राहुल खुश था क्योंकि उसके प्लान का पहला चरण सफल हो चुका था वह आज जानबूझकर स्कूल नहीं गया था। राहुल अपनी मां को तोहफे में वीनीत से छुटकारा देना चाहता था। राहुल के लिए अब उसकी मां ही सब कुछ थी क्योंकि राहुल खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो चुका था अपनी मां के आगे उसे कोई भी औरत पानी भर्ती नजर आती थी। इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसकी मां किसी और के भी साथ उस तरह के संबंध रखें जिस तरह के संबंध ऊसके साथ थै। इतना कुछ हो जानें के बाद भी राहुल के लिए सुकून वाली बात यह थी कि विनीत से जो उसकी मां के संबंध स्थापित हो चुके थे वह एक हादसा था उसके बाद से वह वीनीत से नफरत करने लगी थी। राहुल के लिए अच्छी बात यह भी थी कि पहले से ही उसकी मां ने राहुल के साथ शारीरिक संबंध बना लिए थे और दोनों के बीच की सारी मर्यादाएं टूट चुकी थी। इसलिए अलका की जरूरत, सारी जिस्मानी चाहते राहुल से ही पूरी होने लगी थी इसलिए उसे बाहर किसी और का सहारा लेना नहीं पड़ता था। राहुल यह भी अच्छी तरह से जानता था कि ऊसकी मां बेहद खूबसूरत और भरे हुए बदन की मालकिन है जिस की तरफ कोई भी मर्द ललचाई आंखों से हमेशा घूरता रहता है। अगर वह खुद अपनी मां को चोदकर उसे शारीरिक सुख नहीं देता तो जरूर वीनीत के साथ जो संबंध मजबूरी में बन गए थे वह संबंध आगे चलकर और भी ज्यादा मजबूत होते जाते। इसलिए घर में ही शारीरिक सुख भोगने की सुविधा उपलब्ध होने की वजह से अलका विनीत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी। विनीत के साथ उस संबंध को लेकर वह इस समय पीड़ादायक जिंदगी जी रही थी। जिससे राहुल को अपनी मां को ऊबारना था।

इसके लिए राहुल को बहुत ही सोच समझकर बड़ी चालाकी से कदम आगे बढ़ाना था जिसमें वह अपना एक कदम बढ़ा भी चुका था।

कुछ देर बाद राहुल विनीत के घर के बाहर खड़ा था दरवाजे पर पहुंचते ही वह डोर बेल बजा दिया। कुछ सेकंड बाद ही दरवाजा खुला तो सामने का नजारा देखकर राहुल का बदन उत्तेजना में झनझना गया। विनीत की भाभी एकदम तैयार होकर खड़ी थी पीली साड़ी में उसका गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था चेहरे पर शर्मो हया की लाली साफ नजर आ रही थी गीले बालों मे से आती मादक खुशबू वातावरण को उन्मादित कर रही थी। राहुल की नजर पूरे बदन से ऊपर से नीचे तक गुजरते हुए उसकी छातियों पर ही टिक गई, क्योंकि लो कट ब्लाउज के उसके आधे से भी ज्यादा चूचियां बाहर को झांक रही थी। जिसके बीच की पतली दरार बड़ी ही मोहक उत्तेजनात्मक लग रही थी।

राहुल तो बुत बना उसकी खूबसूरती और उसके काम के भजन को देखता ही रह गया राहुल को तो विनीत की भाभी पहले से ही खूबसूरत और सेक्सी लगती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी आज वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी उसके बदन से एक अजीब सी मादक खुशबू रही थी जो राहुल के नथुनों से होकर के उसके सीने में अजीब सी हरकत पैदा कर रही थी। राहुल के लंड में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी थी विनीत की भाभी राहुल के मनोस्थिति को अच्छी तरह से भांप चुकी थी। वह राहुल की स्थिति को देखकर हंसते हुए बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों देख रहे हो क्या पहले मुझे नहीं देखे हो क्या और अंदर आ जाओ कि ऐसे ही दरवाजे पर सिर्फ खड़े रहोगे।

( उसकी बात सुनते ही जैसे वह नींद से जगा हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोला।)

ककककक….. कुछ नहीं भाभी आज तो तुम वाकई में आसमान से उतरी कोई परी लग रही हो।

चल अब बातें मत बना। अब अंदर आ जा। ( राहुल कमरे में प्रवेश करते हुए दरवाजे को बंद किया लेकिन उसे हल्का सा खुला ही रहने दिया विनीत की बाकी दो चार कदम उससे आगे ही थी इसलिए उसे कुछ पता नहीं चला। वीनीत की भाभी सीधे अपने कमरे की तरफ जाने लगी और राहुल को भी पीछे पीछे आने को बोली राहुल विनीत की भाभी की लटकती हुई गांड को देखते-देखते उसके पीछे जाने लगा। राहुल को विनीत की भाभी का भी आकर्षण खूब था उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां ऊसे खुब भाती थी। वीनीत की भाभी अपने कमरे में प्रवेश कर गई और पीछे पीछे राहुल भी कमरे में घुस गया कमरे में घुसते ही विनीत की भाभी ने ड्रोवर खोलकर उस में से एक नोटों की गड्डी निकाली और उसे विनीत को थमाते हुए बोली ।

यह लो राहुल इसे रख लो बार-बार पैसा देना मुझे अच्छा नहीं लगता बार-बार पैसा देने से ऐसा लगता है कि जैसे मैं कोई धंधा कर रही हूं । (इतना कहकर वह हंसने लगी, विनीत तो सौ सौ के नोटों की गड्डी देखकर चौंक गया। जितना वीनीत की भाभी दे रही थी वह इतना पैसा नहीं मांगा था लेकिन विनीत की भाभी उसे बिना मांगे ही दे रही थी , इसलिए वह पैसा लेने में हिचकिचा रहा था। विनीत की भाभी उसकी हिचकिचाहट को जान गई और उसकी हिचकिचाहट को दूर करते हुए बोली।

रख लो राहुल या मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं दे रही हूं बल्कि यह तो तुम्हारे मेहनत के पैसे हैं।

भाभी आप बहुत अच्छी हो( उसके हाथ से पैसे को थामते हुए राहुलबोला।)

तभी अचानक विनीत की भाभी के कंधे से उसका आंचल नीचे लुढ़क गया, जिससे उसकी बड़ी बड़ी छातियों राहुल की आंखों के सामने उजागर हो गई जिसकी विशालता को देखकर राहुल की आंखें फटी की फटी रह गई। ऐसा नहीं था कि राहुल विनीत की भाभी की खुली छातियों को पहली बार देख रहा हूं इससे पहले भी वह बहुत बार देख चुका था। लेकिन कुछ दिनों से उसकी नज़रों ने ऐसे नजारे बिल्कुल भी नहीं देख पाए थे। या यूं कह दो कि राहुल को अपनी आंखें सीखने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था। इसलिए तो आज विनीत की भाभी की विशाल छातीयों को देख कर उसकी आंखों में चुदास की चमक साफ साफ नजर आने लगी। उसका चेहरा देख कर विनीत की भाभी के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। वह अपने आंचल को फिर से कंधे पर डालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

तुम तो बहुत जल्दी गर्म हो जाते हो।

क्या करूं भाभी तुम्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है । ( इतना कहने के साथ ही वह आगे बढ़कर विनीत की भाभी को अपनी बाहों में भरने लगा था कि तभी वीनीत की भाभी पीछे हटते हुए बोली।)

अरे इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान अपने पास तो अभी बहुत समय है इस लिए थोड़ा सब्र करो। ( लेकिन शायद राहुल के लिए सब्र करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था क्योंकि कुछ दिनों से उसकी भी जिस्मानी भूख बढ़ चुकी थी। कुछ दिनों से उसके लंड ने बुर का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए उसकी कदर नहीं हुआ और वह आगे बढ़ कर जबरदस्ती मिनट की भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और उसे अपनी बाहों में भरे हुए ही नीचे की तरफ झुकते हुए ऊसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोला।)

क्या करूं मेरी जान मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है तुम्हें देखते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां मुझे पागल कर देती है । (इतना कहने के साथ ही वह झट से ब्लाउज का आखरी बटन भी खोल दिया , विनीत की भाभी राहुल की इस हरकत से और उसकी जल्दबाजी को देख कर खिल खिलाकर हसने लगी थी। राहुल का ऊतावलापन देख कर उसे भी अच्छा लग रहा था। ब्लाउज के खुलते ही ब्लैक रंग की ब्रा जिसमें विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी मुश्किल से समा रही थी, उसे ब्रा के ऊपर से ही पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा। आज राहुल विनीत की भाभी का पूरी तरह से मजा लेने के मूड में था। आज वह वीनीत की भाभी को एकदम से मस्त कर देना चाहता था। और आज यही सोच कर वह इधर आया भी था। बड़ी बड़ी चुचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने में उसे उतना मजा नहीं आ रहा था, इसलिए वह नीचे से ब्रा को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच दिया जिससे विनीत की भाभी की दोनो चुचीयां आजाद हो गई। चूची के दूधिया रंग को देखकर राहुल एक दम से पागल हो गया और वह अपनी हथेली में दोनो चुचियों को भरते हुए अपने होंठ को विनीत की भाभी के गुलाबी होठ पर रख दिया। अपने होंठ पर राहुल के होंठ का स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी उत्तेजना से भर गई उसका पूरा बदन अजीब के सुख की अनुभूति करके गंनगना गया। राहुल पागलों की तरह विनीत की भाभी के दोनो चुचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए उसके गुलाबी होठों का रस चूस रहा था। राहुल कामोतेजना से भर चुका था। वीनीत की भाभी भी राहुल की इस हरकत से उत्तेजित हो चुकी थी उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था।

राहुल उसके गुलाबी होठों को चुसता हुआ एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ सरका ने लगा कि तभी विनीत की भाभी ने उसका हाथ पकड़ते हुए बोली।

ओहहहह राहुल तूने मुझे एकदम चुदवासी कर दिया है।

लेकिन अभी थोड़ा सब्र कर मुझे बहुत जोरों से पेशाब लगी है मुझे बाथरुम जाना है। ( वह राहुल को रोकते हुए बोली। विनीत की भाभी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। वह भी बड़े ही उत्तेजनात्मक स्वर में बोला।)

भाभी मुझे भी पेशाब लगी है चलो मैं भी चलता हूं।

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2 Comments

  1. Harikumar Zaa

    कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡

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