राहुल घबराते हुए बोला। मम्मी आप रो क्यों रही है क्या हुआ? अौर ये राहुल यहां क्यों आया था? क्या हुआ मम्मी आप कुछ बोलेंगी भी या ऐसे ही रोती रहेंगी मुझे आपका यह रोना बिल्कुल भी देखा नहीं जा रहा है। ( राहुल अपनी मां को रोता हुआ देखकर परेशान हुआ जा रहा था और उसकी मम्मी थी कि बस रोए जा रही थी। राहुल को देख कर उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह सिसक सिसक कर रोए जा रही थी। राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार हुआ क्या है विनीत का यूं घर से बाहर निकलना और अलका का रोना उसे कुछ खटक रहा था। लेकिन जब तक अलका खुद नहीं बताएगी कि बात क्या है तब तक राहुल को पता कैसे चलेगा कि वह रो क्यों रही है उसके पीछे का कारण क्या है। अपनी मां को यूं रोता देखकर उसका मन बहुत परेशान हो रहा था। और अपनी मां की खामोशी को देख कर उसे गुस्सा भी आने लगा था।
वह अपनी मां के कंधे पर हांथ रखते हुए बोला।
मम्मी जब तक तुम मुझे बताओगी नहीं की क्या हुआ है तब तक मुझे पता कैसे चलेगा और यह रोना( अपने हाथ से आंसू पोंछते हुए) बंद करो और मुझे बताओ कि क्या हुआ है और यह वीनीत यहां क्या करने आया था। इसने तो कभी भी मेरा घर नहीं देखा था तो यहां कैसे पहुंच गया।
विनीत का जिक्र आते ही अलका फिर से जोर जोर से रोने लगे उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह अब तक छुपाते आ रही थी लेकिन बताना भी जरूरी था, कि उसके ऊपर क्या गुजर रही है काफी दिनों से वह अंदर ही अंदर कौन सा दुख झेल रही है। और उसके दुख के पीछे किसका हाथ है।
राहुल अपनी मां को चुप कराने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन अलका चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी वह भी पर क्या करती थी बहुत दिनों से वह भी अंदर ही अंदर घुट रही थी। वह कैसे अपने बेटे को बता दें कि उसका ही दोस्त उसके साथ गलत कर चुका है और फिर से संभोग सुख की मांग कर के उसे ब्लैकमेल किए जा रहा है। वह बताना भी चाहती थी लेकिन डरती थी सच्चाई जानने के बाद कहीं राहुल उससे नफरत न करने लगे वह क्या सोचेगा ‘ उसके दिल पर क्या गुजरेगी जब राहुल को पता चलेगा कि उसकी मम्मी उसके ही दोस्त के साथ चुदवा चुकी है। राहुल अपनी मां को चुप करा करा कर परेशान हो चुका था अलका के रोने की आवाज सुनकर सोनू भी नीचे आ गया। राहुल अपने छोटे भाई सोनू से पूछने लगा कि हुआ क्या है। वह अपने भाई को जवाब देते हुए बोला।
मुझे नहीं मालूम भैया सब कुछ तो ठीक था मैं यहीं नीचे बैठ कर पढ़ रहा था तभी वह भैया आए और उसके बाद में ऊपर कमरे में चला गया।
कौन भैया! कौन आया था इधर।
( अब राहुल का दिमाग झनझनाने लगा था क्योकी अभी अभी वीनीत ही घर से बाहर गया था। राहुल की बात सुनकर उसका जवाब देते हुए सोनू बोला।)
वही जो उस दिन मेरी तबीयत खराब होने पर साथ में ही अस्पताल में रुके थे।
अस्पताल में रुके थे, किसके साथ मुझे तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।( राहुल आश्चर्य के साथ बोला, अब अलका के सामने राहुल को विनीत के बारे में बताने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था इसलिए वह बोली।)
विनीत, विनीत ही उस दिन मेरे साथ अस्पताल में रुका था।( अलका नीचे की तरफ नजर झुका कर बोली। उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह लोग क्या कह रहे हैं इसलिए आश्चर्यचकित होता हुआ फिर से बोला।)
लेकिन विनीत ने ईस बारे में मुझसे कभी भी कोई भी बात नहीं किया।
क्योंकि वह नहीं जानता था कि मैं तुम्हारी मम्मी हुं।
(अलका साड़ी की कीनारी से अपने आंसू पोंछते हुए बोली। राहुल अभी भी आश्चर्य में था।)
क्या मतलब मम्मी?
( राहुल फिर से आश्चर्य जताते हुए बोला। अलका पूरी तरह से तैयार थी जवाब देने के लिए वह अपने आप को तैयार कर चुकी थी आज वह अपना राज बताने के लिए जिस वजह से वहां अंदर ही अंदर घुट घुट कर मर रही है। )
मैं तुम्हें सब कुछ बताती हुं राहुल ,( अलका सोनू की तरफ देखकर ) तुम अंदर जाकर पढ़ो बेटा।
( राहुल को उसकी मां की बातें और उसका व्यवहार कुछ अजीब सा लग रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी कौन सी बात है कि वह सोने के कमरे में जाने के लिए बोल रही है फिर भी वह शांत खड़ा रहा वह जानना चाहता था कि आखिर बात क्या है। अलका कुछ देर तक शांत बैठी रही उसके बाद फिर से फफक कर रो पड़ी। राहुल अपनी मां को फिर से चुप कराते हुए ऊन्हे उनकी परेशानी का कारण बताने के लिए बोला। इस बार अलका बोली।)
बेटा जो मैं तुम्हें बताने जा रही हूं एक मां के लिए बेहद शर्मनाक है लेकिन मैं किसी और से बता भी नहीं सकती पता नहीं तुम मुझ पर विश्वास करोगे या नहीं हो सकता है तुम मुझ पर गुस्सा भी करो लेकिन मेरी भावनाओं को समझ कर फैसला करना कि जो भी हुआ था इसमें मेरा दोष था या मेरी मजबूरी या फिर हालात का दोष था।
( राहुल अपनी मां की बात सुनकर और भी ज्यादा परेशान होने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या बात क्या है जो मम्मी मुझसे इस तरह से बातें कर रही है। और मम्मी के परेशानी के पीछे विनीत हो सकता है यह बात ऊसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी। अलका उसे बताते हुए बोलीे )
बेटा विनीत से मेरी मुलाकात ऑफिस से आते समय बाजार में हुई थी। वह मेरी मदद किया था तुम्हारी उम्र का ही है तुम्हारा ही दोस्त है यह तो मुझे अब जाकर मालूम पड़ा लेकिन यह बात उसे पहले भी शायद नहीं मालूम थी मैं तुम्हारी मम्मी हूं। वह आए दीन मुझे बाजार में मिलता और कभी कभार मेरी मदद भी कर देता। शायद तुम्हें पता होगा एक बार मुझे पैसो की बहुत ज्यादा जरूरत थी सोनू की फीस भरनी थी। और मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं थी मैं सब जगह हाथ फैलाकर मदद मांग कर हार गई लेकिन मुझे कहीं से भी मदद नहीं मिली जहां तक कि मुझे ऑफिस में भी कोई मदद नहीं मीली। ऑफिस से भी जब मुझे कोई मदद नहीं मिली तो मैं ऑफिस से घर पर आ रही थी तो रास्ते में ही मुझे विनीत मिल गया। मैं उससे कोई मदद मांगने नहीं चाहती थी लेकिन क्या करूं मैं मजबूर थी और मुझे लगता भी नहीं था कि वह मेरी मदद कर पाएगा लेकिन बात ही बात में मैंने ऊसे अपनी परेशानी बताइए तो वह झट से पैसे निकालकर मुझे थमा दिया। मैं क्या करती मजबूरी थी तो मैंने वह पैसे उधार के तौर पर ले ली। विनीत को मैं अपने बेटे जैसा ही मानने लगी थी क्योंकि वह अच्छा लड़का था वह तुम्हारी उम्र का था।
तभी सोनू की भी तबीयत खराब हो गई लेकिन तुम उस समय घर पर नहीं थे, मैं सोनू को लेकर जल्दी जल्दी अस्पताल की तरफ चली जा रही थी कि तभी विनीत मिल गया और वह अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर हमें अस्पताल पहुंचाया और अस्पताल में सारी मदद किया यहां तक कि अस्पताल का बिल भी उसी ने चुकाया । ( राहुल अपनी मां की सारी बातों को ध्यान से सुने जा रहा था अब तक की बातों को सुनकर उसे कोई ऐसी बात नहीं लगी जो कुछ गलत हुआ हो। ) मेरे पास तो अस्पताल का बिल चुकाने के लिए भी पैसे नहीं थे । मैं मन ही मन में सोच रही थी कि इसका यह एहसान मैं कभी भी चुका नहीं सकती लेकिन इतना तय कर ली थी कि तनख्वाह मिलने पर उसका धीरे-धीरे सारा कर्जा चुका दूंगी। ( इतना कहकर अलका शांत हो गई, राहुल ठीक उसके सामने कुर्सी पर एकदम करीब बैठा हुआ था। वह अपनी मां को खामोश देखकर बोला।)
फीर क्या हुआ मम्मी?
( इस बार अलका बात को आगे बढ़ाते हुए जज्बाती हो गई है और अपनी बेटे का हाथ पकड़कर नजरें झुका कर वह बोली।)
बेटा डॉक्टर ने कहा था कि रात भर हम को रुकना होगा हम रुक तो गए लेकिन सोने के लिए एक ही बेड खाली था । और उस बेड पर मैं और विनीत दोनों सो गए, मैं तो अभी नहीं को अच्छा लड़का समझती थी बेटा लेकिन मुझे क्या मालूम था वह एक नंबर का हरामखोर निकलेगा।( अपनी मां की यह बात सुनकर राहुल को अंदेशा हो रहा था कि क्या हुआ होगा लेकिन फिर भी अपने मन को बार बार समझा रहा था कि जैसा वह सोच रहा है वैसा ना हो। इसलिए वह बीच नहीं बोला।)
क्यों मम्मी फिर ऐसा क्या हो गया जो आप ऐसा बोल रही है?
क्या कहूं बेटा मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई मैं किसी को भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रही।( इतना कहने के साथ ही वह फिर से फफक-फफक कर रोने लगी। एक बार फिर से उसकी आंखों से आंसू बहने लगे राहुल अपनी मां को चुप करा था वह बोला )
बोलो तो सही मम्मी फिर क्या हुआ?
वही हुआ बेटा जो नहीं होना चाहिए था मेरे माथे पर कलंक लग गया मेरा दामन गंदा कर दिया उसने।
उसने मौके का फायदा उठाकर, मेरी मजबूरी का फायदा उठा कर मेरे साथ शारीरिक संबंध बना लिया।
( इतना कहने के साथ है वह राहुल का हाथ जोर से पकड़ कर फिर से वह रोने लगी। इतना सुनते ही राहुल एकदम से आग बबूला हो गया वह जोर से चिल्लाया।)
मम्मीईई…….
यह क्या कह रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता कह दो कि यह झूठ है। ( राहुल के मन में यह बात लग गई कि उसका ही दोस्त उसकी मां के साथ ऐसा गलत संबंध स्थापित किया। अलका रोए जा रही थी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। और राहुल की आंखों से अंगारे छूट रहे थे, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। अगर इस समय विनीत उसके सामने होता तो वह ना जाने क्या कर देता। अलका के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे वह रोते सिसकते हुए अपनी बेगुनाही बताई जा रही थी।)
बेटा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मैं हालात के आगे मजबूर हो गई थी ।मुझे ….मुझे यह नहीं मालूम था कि विनीत ऐसी नीच हरकत करेगा।
( राहुल को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन अपनी मां के आंसुओं को देखकर वह अपने आप को संभाल ले गया। वह जानता था कि कुछ दिनों से उसकी मां अंदर ही अंदर ईतना बड़ा दुख अकेले ही झेल रही थी। अगर इस समय राहुल उसे कुछ भी कहता है तो उसकी मां अंदर ही अंदर से टूट सकती थी इसलिए वह अपनी मां को दोष नहीं दिया। बल्कि वह भी अपनी मां के हाथ को पकड़े हुए उसे शांत करा रहा था। लेकिन बहुत दिनों से वह अपने अंदर बहुत कुछ छुपा कर रखी थी।
जो कि आज वह अपने बेटे के सामने रो रो कर अपना मन हल्का कर लेना चाहती थी। इसलिए वह रोए जा रही थी ओर साथ मे बोले भी जा रही थी।
बेटा वह रात मेरे लिए किसी तूफ़ान से कम नहीं था जिसने मेरी जिंदगी को झकझोर कर रख दिया था रात बीतने के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास पूरी तरह से हो गया था। मुझे इस बात का खेद हमेशा रहेगा कि मैं उस रात को उसे रोक सकती थी लेकिन ना जाने किन हालातों ने मेरे हाथ बांध रखे थे कि मैं उसे बिल्कुल भी ना नहीं कह सकी। रात गुजर जाने के बाद सुबह होते ही मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया लेकिन अब पछताने किसी का मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैं अपनी गलती की वजह से पल पल रोज मर रही हुं। तुम खुद ही कुछ दिनों से मेरी हालत पर गौर कर रहे होगे मुझे कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा , मैं मर जाना चाहती हूं बेटा मैं मर जाना चाहती हूं मैं जीना नहीं चाहती मुझसे जो गलती हुई है उसकी यही सजा है ( इतना कहने के साथ ही वह फिर से जोर जोर से रोने लगी। राहुल तुरंत अपनी जगह से उठा और अपनी मां की ख़ुशी के बगल में अपनी कुर्सी लगाते वहां बैठकर अपनी मां को चुप कराने लगा।)
चुप हो जाओ मम्मी मैं समझ सकता हूं इसमें आपकी गलती नहीं है गलती तो उस हरामजादे की है जिसने मदद के बहाने आपके साथ इतना घटिया काम किया है उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। ( इतना कहने के साथ ही उसे जैसे कुछ याद आया हो एेसे बोला।) लेकिन मम्मी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि इतना कुछ होने के बावजूद भी आज विनीत अपने घर में क्या करने आया था।
वह मेरे साथ फिर से वही करना चाहता है जो उसने अस्पताल में किया था ।(अलका अपनी नज़रें नीचे झुका कर बोली।)
यह क्या कह रही हो मम्मी ।(राहुल फिर से क्रोधित हो गया)
हां बेटा यह सच है विनीत कुछ दीनों से फिर से मेरे पीछे पड़ा है। वह हमेशा ऑफिस जाते जाते मुझे मिलता है और मुझे फिर से वही करने के लिए मजबूर कर रहा है।
और यह धमकी भी देता है कि अगर जैसा वह चाहता है वैसा मैंने नहीं की तो वह मुझे बदनाम कर देगा। मुझे बहुत डर लग रहा है बेटा (अपने बेटे का हाथ पकड़ते हुए बोली।) मैं उसकी धमकी के आगे डरती नहीं लेकिन वह मुझे पूरे समाज में बदनाम कर देने की धमकी देता है और तो और यदि कैसा है कि मैं तुम्हारे बेटे की स्कूल में सबको बता दूंगा कि उसके और मेरे बीच में कैसे संबंध है। इसी बात से मुझे और भी डर लग रहा है मैं बदनाम होना नहीं चाहती बेटा। मेरी जिंदगी उसने बर्बाद कर दिया है। ( राहुल के चेहरे पर क्रोध के भाव साफ नजर आ रहे थे वह बहुत कुछ कर देना चाहता था। लेकिन अपनी मां की वजह से अपने आप को संभाले हुए था क्योंकि अगर वह जरा सा भी हिम्मत हारता तो उसकी मां टूट कर बिखर सकती थी क्योंकि वह नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी मां से बेहद प्यार करता था। वह नहीं चाहता था कि उसकी मां ऐसे बिखर जाए इसलिए वह अपनी मां को दिलासा देते हुए बोला।)
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मम्मी आप चिंता मत करिए। जेसा वह धमकी दे रहा ऐसा कुछ भी नहीं होगा अच्छा हुआ सब कुछ आप ने मुझे बता दिया अब आप चिंता मत करिए मैं सब कुछ संभाल लूंगा मम्मी । और उस से डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। वह साला हरामजादा हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। उसे तो मैं अच्छी तरह से सबक सिखाऊंगा।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका को थोड़ी राहत हुई लेकिन उसे इस बात की चिंता भी होने लगी कि राहुल कहीं गुस्से में आकर कुछ गलत ना कर दे जिससे जिंदगी भर पछताना पड़े इसलिए वह बोली।)
बेटा गुस्से में आकर ऐसा कुछ मत कर देना कि हम सभी को जिंदगी भर पछताना पड़े तेरे ओर सोनु के सिवा मेरा इस दुनिया में कौन सहारा है। हम दोनों उसे मिलकर समझाएंगे हो सकता है कि वह समझ जाए और दोबारा ऐसी गलती ना करें।
मम्मी आप बिल्कुल भी टेंशन मत लो मैं कहता हूं ना कि मैं उसे समझा दूंगा आखिरकार वह मेरा दोस्त है मेरी बात जरुर मानेगा जो भी हुआ उससे गलती से ही हो गया आगे से ऐसा नहीं होगा। मैं उसे कल समझाऊंगा आप बिल्कुल भी चिंता मत करो जैसे पहले रहती थी वैसे ही बिना टेंशन के रहो और हां जल्दी से खाना बना दो क्योंकि मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका के चेहरे पर बहुत दिनों बाद मुस्कुराहट आई इस मुस्कुराहट को देखकर राहुल भी मुस्कुरा दिया। अपने बेटे को सारी बातें बता कर अलका का मन शांत हो गया था वह अंदर ही अंदर अपने आप को हल्का महसूस कर रही थी। राहुल के द्वारा दिए गए दिलासे से उस का टेंशन कुछ हद तक दूर हो चुका था। वह कुर्सी से उठी और मुस्कुराते हुए बोली।)
बेटा मैं अभी जल्दी से खाना बना देती हूं।( इतना कहने के साथ ही वह किचन में चली गई।)
जैसे ही अलका रसोईघर में गई राहुल वही कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा वह अच्छी तरह से जानता था कि विनीत ऐसी बातों से मान जाए ऐसा नहीं था वह एक नंबर का वासना से भरा हुआ था। अपनी मां की बात को सुनकर वह अच्छी तरह से समझ गया था कि विनीत भी उसकी मां के खूबसूरत बदन का दीवाना हो चुका था उसके बदन की खुशबू को वह फिर से महसूस करना चाहता था। राहुल इस वास्तविकता से अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी और कोई भी जरा सा भी मौका मिलने पर वह मौके का फायदा जरूर उठाता और यही काम विनीत ने भी किया था। राहुल को यह सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। राहुल अपनी मां को बेहद प्यार करता था वह बहुत खूबसूरत थी और यह प्यार सारी मर्यादाए लांघ चुका था दोनों के बीच दुनिया के लिए मां बेटे का रिश्ता था लेकिन घर की चारदीवारी के अंदर दोनों प्रेमी प्रेमिका और पति पत्नी की तरह ही रहते थे। और कोई भी प्रेमी है या पति यह नहीं चाहता कि उसकी शादी किसी और के साथ हमबिस्तर हो। पर यहां तो हल्का उसकी मां भी थी , तो वह कैसे बर्दाश्त कर लेता कि उसकी मां जिसके साथ वहां रोज शारीरिक संबंध बनाकर शारीरिक सुख का आनंद लेता था वह किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना ली हो या कैसे बर्दाश्त कर पाता। जबकि वह जानता था कि जो भी हुआ वह एक बहकावे में ही हुआ है जिसका पछतावा उसकी मां को पल पल तड़पा रहा था। लेकिन जिस तरह का संबंध राहुल का अलका के साथ का राहुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि उसकी मां के साथ कोई और उस तरह का संबंध स्थापित करें। जोकि वीनीत ने कर चुका था। और यही बात राहुल को भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी वह क्रोध में एकदम आग बबूला हो चुका था लेकिन किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए था। अलका पर सिर्फ पूरी तरह से राहुल का ही हक था जिसे वह किसी के साथ भी बांट नहीं सकता था। उसे बस इंतजार था सुबह का।
Pingback: Adultery गर्म सिसकारी - family sex - Indian Sex Stories
कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡