विनीत की बातें सुनकर के तो अलका के होश ही उड़ गए थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। घर पर पहुंचते ही पहले वह बाथरूम में जाकर रोने लगी उसकीे एक गलती उसे इतनी भारी पड़ेगी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए इसका उपाय उसे सुझ भी नहीं रहा था। लेकिन क्या करती आने वाले समय का सामना तो करना ही था उसे जैसे तैसे करके उसने खाना बनाई लेकिन खाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था। अपने दोनों बच्चों को खाना परोस कर वह तबीयत का बहाना करके अपने कमरे में चली गई अपनी पसंदीदा रसमलाई को भी बिल्कुल नहीं चखी। सोनू और राहुल को यही लग रहा था कि शायद मम्मी की तबीयत खराब है इस वजह से उन्होंने खाना नहीं खाई इसलिए राहुल ने हीं रसोई घर की सफाई कर के बर्तन साफ कर के रख दिया। । वह अपनी मां की तबीयत पूछने के लिए उसके कमरे में गया तो उसकी मम्मी पेट के बल अोंधी लेटी हुई था जिससे उसकी भरावदार गांड बहुत ही कामुक अंदाज में नजर आ रही थी जिसे देखते ही राहुल के बदन में उत्तेजना का प्रसार होने लगा और कामोत्तेजना के वशीभूत होकर के उसने अपनी हथेली को अपनी मां की नरम नरम गांड़ पर रख दिया, लेकिन उसकी मां ने राहुल का हांथ हटाते हुए बोली।
आज नहीं बेटा आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है।
दवाई ली मम्मी।
हां बेटा दवा खा लि हूं तु जा अपने कमरे में सो जा और मुझे भी आराम करने दें। ( इतना कहकर वह फिर से आंखें बंद कर ली राहुल के वहां खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह भी कमरे से बाहर आ गया।)
विनीत को जब नीलू की मम्मी ने अपने भैया भाभी को बुलाने को कहीं तो विनीत ने उन्हें बताया कि उसके भैया बिजनेस टूर पर गए हुए हैं जो कि दो-चार दिन बाद लौटेंगे। नीलू के पापा की तबीयत में सुधार होने लगा था नीलू अब खुश नजर आने लगी थी क्योंकि वह अपने पापा से बेहद प्यार करती थी और उन्हें इस हाल में देख पाना उसके लिए बड़ा मुश्किल था।
धीरे-धीरे दो-तीन दिन गुजर गए, विनीत लगातार उन लोगों के साथ ही अस्पताल में रह रहा था। वैसे भी नीलू और विनीत के परिवारों के बीच अच्छे संबंध थे नीलू के पापा और विनीत के भैया दोनों आपस में कई बिजनेस की डील भी कर चुके थे। इसलिए नीलू के पापा चाहते थे कि बिजनेस की डील भी अब रिश्तेदारी मे बदल जाए। विनीत जी उन्हें अच्छा लगता था और नीलू के लिए यही सही लड़का है ऐसा मन में विचार भी बना लिए थे लेकिन अभी तक यह बात उन्होंने किसी से भी नहीं कही थी। इस मेजर अटैक के बाद वह काफी घबरा गए थे उन्हें लगने लगा था कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है इसलिए वह विनीत के भैया को बुला कर के वह शादी की बात करना चाहते थे। और अपना सारा बिजनेस विनीत और नीलू को विनीत के भैया के देखरेख में सौंपना चाहते थे। लेकिन विनीत के भैया के बाहर होने की वजह से यह बात हो नहीं पाई।
डॉक्टर ने आज उन्हें घर जाने की इजाजत दे दिया था लेकिन मैं ज्यादा बोलने की छूट दिया था और ना ही ज्यादा चलने फिरने कि छोड़ दिया था और महीनों तक तो बिजनेस के बारे में बिल्कुल भी सोचने विचारने के लिए मना कर दिया था क्योंकि जरा सा भी प्रेशर उनकी जान पर खतरा बन सकता था।
नीलू के पापा को छुट्टी मिल चुकी थी वह घर आ चुके थे साथ में नीलू और विनीत भी थे नीलू ने अभी तक यह बात राहुल को नहीं बताई थी और उसे मौका भी नहीं मिला था कि यह बात तो वह राहुल से बता सके।
विनीत कामन अस्पताल में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था और जब उन्हें छुट्टी मिल गई थी तो वह बहुत खुश था क्योंकि वह अस्पताल में बेमन से रुका हुआ था उसका मन तो अलका में ही खोया हुआ था। वह तो नीलू से और दोनों परिवारों के बीच संबंध अच्छे होने की वजह से नीलू के परिवार के साथ साथ था। नीलू के पापा को घर तक पहुंचाने के बाद वीनींत वहां से चला गया। विनीत के जाते ही उनके पापा नीलू की मम्मी से नीलू की शादी के बारे में चर्चा करने लगे। उन्होंने बताया कि वह नीलू की शादी विनीत से करना चाहते हैं ताकि वह और उसके भैया और नीलू तीनों के साथ साथ नीलू की मम्मी भी बिजनेस को चला सके क्योंकि उनको भरोसा नही था की उनकी तबीयत ठीक रहेगी। नीलू की मम्मी को भी विनीत पसंद था इसलिए उन्होंने भी कोई एतराज नहीं जताया। दो दिन बाद विनीत के भैया आने वाले थे तब ऊन्हे घर पर बुलाते नीलू के पापा उनसे सारी बात करना चाहते थे।
इधर विनीत अलका से मिलना चाहता था उसका मन अलका पर ही अटका पड़ा था। वह अलका की खूबसूरती के मोह पास में बंध चुका था। जिससे छूट पाना हो उसके लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।
राहुल भी कुछ दिनों से अपनी मां के रवैया से परेशान था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां को क्या हुआ है जब भी वह उसके नजदीक जाने की कोशिश करता हूं तो तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर बात को आगे बढ़ने से रोक देती। राहुल को भी अपनी मां का उखड़ा-उखड़ा सा चेहरा दर्द दे रहा था उसके लिए समझ पाना मुश्किल बजा रहा था कि आखिरकार उसकी मां को परेशानी क्या है।
स्कूल जाने पर जैसे ही उसकी मुलाकात नीलू से हुई वह उसके ऊपर सवालों की झड़ी बरसा दिया। क्या बात है नीलू तुम कुछ दिनों से स्कूल क्यों नहीं आ रही हो मैं तुमसे मिलने के लिए कितना तड़प रहा था लेकिन तुम हो की…. अच्छा यह बताओ थी कहां पर तुम जो इतने दिन स्कूल नहीं आ सकी।
अरे रुको तो सही थोड़ा सांस ले लो तुम तो बस हो की शुरू ही पड़ गए। आप थोड़ा वेट कर बात करते हैं।
( इतना कहने के साथ ही वह पास के पेड़ के नीचे बैठ गई राहुल भी उसके बगल में बैठ गया।)
राहुल मेरे पापा घर आ गए हैं क्योंकि महीनों बाद बिजनेस दूर करने के बाद लौटे हैं। मैं शाम को तुम्हारे बारे में बात करना ही चाहती थी कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। ( इतना सुनते ही रावण के चेहरे पर आश्चर्य के भाव फैल गए।) और उन्हें ले करके हम हॉस्पिटल भागे ‘ भगवान की बहुत बड़ी कृपा थी की उनकी जान बच गई वरना ना जाने क्या हो जाता।
नीलू इतना कुछ हो गया लेकिन तुमने मुझे बताई भी नहीं।
कैसे बताती उस दिन से मैं लगातार हॉस्पिटल में ही थी तुम्हारे पास अगर फोन होता तो मैं जरुर तुम्हें फोन कर देती। ( राहुल को नीलू की बात सही लगे वह उससे संपर्क करती भी तो कैसे करती राहुल के पास मोबाइल जरूर है लेकिन उसका नंबर सिर्फ विनीत की भाभी के पास था और राहुल के पास मोबाइल है यह बात कोई जानता भी नहीं था। )
कोई बात नहीं नहीं तो भगवान का शुक्र है कि सब कुछ ठीक हो गया।
सच कह रहे हो भगवान की बड़ी कृपा है मैं भी कोई अच्छा सा समय देखकर तुम्हारे बारे में जरूर पापा से बात करुंगी।
विनीत भी स्कूल नहीं आता था लेकिन इस बारे में राहुल ने जरा भी ध्यान नहीं दिया। विनीत भी राहुल से मिला लेकिन विनीत आप पहले की तरह उससे नहीं मिलता था। क्योंकि राहुल को देखते ही उसे अलका याद आ जाती थी और उसे राहुल से जलन होने लगती थी।
राहुल को चोदने की तड़प लगी हुई थी। कुछ दिन से उसे चोदने को तो क्या बुर के दर्शन करने को भी नहीं मिला था। ना तो उसे विनीत की भाभी का फोन ही आ रहा था ना तो नीलू को बहुत होता था क्योंकि वह खुद कुछ दिनों से परेशान थी। और उसकी मा थी की जबसे वीनीत ने उसे धमकी दिया था तब से किसी भी काम में
उसका मन ही नहीं लगता था उसे हर जगह धमकी देता हुआ वीनीत हीं दिखाई दे रहा था।
तीन-चार दिनों से रास्ते में अलका को वीमीत नहीं मिला था। इसलिए उसे थोड़ा राहत थी लेकिन फिर भी वह डर के मारे बाजार में कुछ खरीद भी नहीं पाती थी उधर से वह जल्दी से जल्दी निकल जाना चाहती थी। इसलिए शाम को वह अपने चारों तरफ नजर दोड़ा कर देखते हुए ऑफिस से लौट रही थी भगवान से मनाए भी जा रही थी कि उसे भी नहीं तो कभी भी कहीं भी दिखाई ना दे। बाजार से गुजरते समय वह कुछ ज्यादा ही चौक्कनी ं हो जाती थी। नजरें बचाकर वह बाजार से आगे निकल गई उसके मन में थोड़ी राहत हुई लेकिन जैसे ही बाजार से थोड़ी दूरी पर पहुंची ही थी ंकि सन्न से बाइक आकर उसके सामने ही रुकी अलका तो डर के मारे कांपने लगी जब उसने अपने सिर पर से हेलमेट को उतारा ‘ हेलमेट के पीछे विनीत ही था। उसे देखते ही अलका कांपने लगी। अलका को कांपते हुए देख कर विनीत मुस्कुराते हुए बोला।
क्यों डर रहे हो मेरी जान मुझ से डरने की तुम्हें कोई भी जरूरत नहीं है। बस मेरी बात मान लो तुम्हारा सारा डर दूर हो जाएगा।
नहीं विनीत ऐसा मत करो कुछ तो रहम करो मुझ पर। मैं दो बच्चों की मां हुं। मेरी इज्जत से यूं ना खेलो विनीत।
जानता हूं मेरी जान कि तुम्हारे दो बच्चे हैं। और तुम्हारे दो बच्चों में से एक बच्चा मेरे ही क्लास में पढ़ता है जो कि मेरा दोस्त भी है। ( यह सुनकर अलका आश्चर्यचकित हो गए और आश्चर्य के साथ बोली।)
तुम्हारे साथ तुम झूठ बोल रहे हो।
मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं अलका डार्लिंग तुम्हारे उस बच्चे का नाम राहुल है। और वह मेरी क्लास में है और मेरा दोस्त भी है।
तुम मेरे बेटे के दोस्त होने के बावजूद भी अपने ही दोस्त की मां पर तुम अपनी नियत बिगाड़ रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती। ( इतना कहने के साथ ही वह जाने ही वाली थी कि उसने फिर से उसकी कलाई पकड़ लिया और कलाई पकड़ते हुए बोला।)
रुको तो सही मेरी जान जो तुम मुझे कह रही है वही मैं भी तुम्हें कह सकता था कि तुम अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदवाइ तो तुम्हें क्या अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदवातो हुए शर्म नहीं आई।
वह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी मैं बहक गई थी और मैंने तुम पर भरोसा की। मैं करती हूं उस पल को जो मैं तुम्हारे साथ बहक गई।( अपना हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए।)
तो एक बार और बहक जाओ मेरी जान बस एक बार एक बार और मुझे चोदने दो तुम्हें( अलका वीनीत की यह गंदी बातें सुनकर शर्म से मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वह ऐसी गंदी बातें सुन कैसे ले रही है। लेकिन मजबूर थी उसकी मजबूरी का कारण बहुत बड़ा था इसलिए वह खामोश थी।
लेकिन अपनी इज्जत बचाने कि वह पूरी नाकाम कोशिश कर रही थी विनीत के सामने वह मिन्नतें करती गिड़गिड़ाती लेकिन उसके सर के ऊपर तो वासना का भूत सवार था जो कहां मानने वाला था। बह उसकी कलाई पकड़े हुए ही बोला।
जानेमन बस एक बार एक बार फिर से अपनी रसीली बुर का स्वाद चखा दे। बस एक बार मुझे चोदने दे उसके बाद मैं तुझे कभी भी परेशान नहीं करूंगा और ना ही तुझे दिया हुआ पैसा वापस मांगुगा। बस एक बार मेरी बात मान जा।
नहीं विनीत ऐसा मत कर मेरी इज्जत चली जाएगी और हम लोगों के पास इज्जत के सिवा कुछ नहीं है ।बस तेरे साथ एक बार बाहक गई थी उसका बदला मुझसे युं न ले। ( अलका विनीत के हाथों से अपनी कलाई को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन विनीत का हाथ कुछ ज्यादा ही मजबूत था।)
देख मैं फिर कहता हूं सीधे सीधे मान जा वरना मुझे उंगली टेढ़ी करके भी घी निकालना आता है। अब तो तू अच्छी तरह से जान ही गई होगी कि तेरा बेटा मेरे ही स्कूल में पढ़ता है। जरा सोच अगर मैं अपने दोस्तों से पूरे स्कूल में यह कह दो कि राहुल की मां मेरे साथ सेट है और वह मुझ से चुदवाती भी है , तो सोच जरा क्या होगा। राहुल के साथ साथ तुम्हारी भी इज्जत की धज्जियां उड़ जाएगी उसका स्कूल में आना दुश्वार हो जाएगा और फिर वह परेशान होकर के स्कुल ही छोड़ देगा। क्या तुम ऐसा चाहती हो।
( विनीत की यह बात सुनकर के तो अलका सन्न रह गई। उसे इस बात का बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि विनीत ऐसा कुछ भी कर सकता है अब उसका डर और ज्यादा बढ़ गया था उसके चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आ रहे थे। अलका का डरा हुआ चेहरा देखकर विनी को लगने लगा कि इस बार उसकी धमकी जरूर काम करेगी इसलिए वह उसकी कलाई छोड़ते हुए बोला।)
मेरी इच्छा पूरी कर दें वरना बेटा कहां हो वैसा ही कर दूंगा तो कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाओगी तुम्हारे पास सोचने का पूरा मौका है मुझे जल्द से जल्द बताना कि तुम क्या चाहती हो अभी तो मैं जा रहा हूं लेकिन फिर आऊंगा।( इतना कहने के साथ ही वह बाइक स्टार्ट कर के चला गया। अलका के सर पर तो मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है आज की दी हुई धमकी उसे अंदर तक हिला गई थी इसके बारे में किसी से कह पाना भी बड़ा मुश्किल था। वह जैसे तैसे कर के अपने घर पर पहुंची और फिर वही बाथरूम में जाकर रोने लगी। अलका को अपने चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था उसे कोई राह सिध नहीं रही थी।
दूसरी तरफ विनीत का भाई घर पर आ चुका था। ऊसे नीलूं के पापा ने बुलवाया था और शाम को ही उनके घर जाने का प्लान बन चुका था। शाम को ठीक समय पर विनीत उसकी भाभी और उसके भैया नीलू के घर पर जाने के लिए निकल पड़े।
नीलू के घर पर तैयारियां चल रही थी अनिल की मम्मी रसोई में ढेर सारे पकवान तैयार कर रही थी और नीलू भी अपनी मां का हाथ बँटा रही थी लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि घर में है क्या जो आज इतने पकवान बनाए जा रहे हैं। इसलिए वह सब्जी काटते हुए अपनी मां से बोली।
आज क्या बात है मम्मी आज इतनी ढेर सारे पकवान बनाए जा रहे हैं कोई खास बात है क्या।
हां खास बात तो है आज तेरी शादी की बात करने के लिए तेरे पापा ने विनीत के भैया सहित पूरे परिवार को निमंत्रण दिए हुए हैं। और वह लोग किसी भी वक्त घर पर आ सकते हैं। ( इतना सुनते ही नीलू तो सन्न हो गई जिसे कि उसे किसी सांप ने सूंघ लिया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह बस जड़वंत उसी स्थान पर खड़ी रह गई। उसे तो जैसे कोई हो सही ना हो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने इतना बड़ा फैसला उससे पूछे बिना ले लिए हैं।)
आज क्या बात है मम्मी आज इतनी ढेर सारे पकवान बनाए जा रहे हैं कोई खास बात है क्या।हां खास बात तो है आज तेरी शादी की बात करने के लिए तेरे पापा ने विनीत के भैया सहित पूरे परिवार को निमंत्रण दिए हुए हैं। और वह लोग किसी भी वक्त घर पर आ सकतेहैं। ( इतना सुनते ही नीलू तो सन्न हो गई जिसे कि उसे किसी सांप ने सूंघ लिया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह बस जड़वंत उसी स्थान पर खड़ी रह गई। उसे तो जैसे कोई हो सही ना हो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने उससे बिना पूछे यह फैसला ले लिया है।
नीलू उदास हो गई उसके चेहरे पर परेशानी के भाव साफ झलक रहे थे मुझे अपने पापा से यह उम्मीद नहीं थी। तभी उसे उदास देख कर उसकी मां उससे बोली।
क्या हुआ नीलु तुम खामोश क्यों हो गई?
क्या बात है?
(नीलू अपनी मां की बात सुन कर रोने लगी। अब वह अपनी मां से क्या कहती लेकिन फिर भी अपने दिल की बात सुबह अपनी मां को बताना चाहती थी क्योंकि उसे थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि शायद कुछ बात बन जाए इसलिए वह अपनी मां से बोली।)
मम्मी मुझे पता नहीं था कि पापा इतनी जल्दबाजी कर देंगे। मैं उनसे कुछ इस बारे में बात करना चाहती थी और दिन बात करने के लिए पूरी तरह से तैयार भी थी की तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और मैं उनसे बात नहीं कर सकी।
किस बारे में बात करना चाहती थी क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
मम्मी मे एक लड़के से प्यार करती हूं जोंकि मेरे ही स्कूल में पढ़ता है वह बहुत अच्छा है मम्मी। आपको याद है मम्मी मैं किसी सब्जेक्ट में मदद के लिए ऊसे घर पर लेकर आई थी।
नहीं बेटा मुझे ऐसा कुछ भी याद नहीं है।( अपने दिमाग पर जोर देते हुए बोली।)
मीनू को पता था किसी समय वह विनीत को घर पर लेकर आए थे उस समय उसकी मम्मी ड्रिंक की हुई थी इसलिए शायद उन्हें याद नहीं है। फिर भी वह बोली।
मम्मी को बहुत अच्छा है बहुत प्यार करता है।
( कोई सामान में घर की लड़की होती तो अपनी मम्मी के सामने ऐसी बात करने में उसे शर्म का एहसास जरूर होता लेकिन नीलू मॉडर्न परिवार से थे उसके मम्मी पापा भीे मॉर्डन थे इसलिए वह अपनी मम्मी से इस तरह की बातें करने में सक्षम थी। नीलू की बात सुनकर उसकी मम्मी कढ़ाई को ढंकते हुए बोली।
नाम क्या है उसका?
राहुल नाम है मम्मी उसका।
उसके पापा क्या करते हैं कितना कमाते हैं समाज में क्या स्टेटस है? ( सवाल करते हुए नीलू की तरफ घूरते हुए बोली।)
मम्मी उसके पापा नहीं है।
पापा नहीं है मतलब तो घर का खर्चा कैसे चलता है करते क्या है वो लोग।
मम्मी वह लोग अमीर नहीं हूं वह लोग सामान्य स्थिति में रहते हैं उसकी मम्मी है जो ऑफिस में काम पर जाती है उसी से वो लोग का घर खर्च चलता है।( नीलू नीचे नजरें करती हुई बोली। इतना सुनते ही नीलू की मम्मी उसपर भड़क गई।)
तुम पागल हो गई हो नीलू तुम्हें कुछ खबर भी है कि तुम क्या कह रही हो तुम्हारी हर जरुरत को तुम्हारी हर जिद को सर आंखों पर रखकर तुम्हारे पापा पूरी करते आ रहे हैं। बड़े ही लाड़-प्यार से तुम्हें पालकर इतना बड़ा किए है। तुम उनके लिए लड़की नहीं उनके लिए उनका बेटा हूं जानती हो जब भी हकीकत उनके सामने खुलेगी तब उनके दिल पर क्या बीतेगी। एक बार तो दिल का दौरा पड़ चुका है। तुम्हारी यह बात सुनकर कहीं उन्हें फिर से दिल का दौरा ना पड़ जाए वह डॉक्टर ने क्या कहा है तुम अच्छी तरह से जानती हो नीलू।
( अपनी मां की बात सुनकर नीलू सिसक सिसक कर रोने लगी। उसको रोते हुए देख कर नीलू की मम्मी उसके नजदीक गई और उसे चुप कराने लगी। )
नीलु बेटा तुम कितनी समझदार हो फिर क्यों ऐसा कर रहीे हो तुम्हारे पापा कभी भी ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनकी परी जैसी लड़की सामान्य जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाए।
मम्मी मैं उसके बिना नहीं जि पाऊंगी। ( नीलू अपनी मां से लिपट कर रोते हुए बोली।)
नीतू बेटा समझने की कोशिश करो डॉक्टर ने क्या कहा था जरा सा भी ऐसी कोई बात जो हमें टेंशन देगी तो ऊन्हे फिर से दिल का दौरा पड़ सकता है क्या तुम यही चाहती हो कि तुम्हारे प्यारे पापा फिर से मुसीबत झेले। या ऊनकी जान पर कोई खतरा हो। नीलू बेटा अपने पापा के लिए उनकी खुशी के लिए तुम्हें यह फैसला मानना ही होगा।
मम्मी मैं नहीं रह पाऊंगी मुझसे यह नहीं हो पाएगा।
कैसे नहीं हो पाएगा बेटा अगर तुम खुद अपने पापा को मौत के कुएं में ढकेलना चाहती हो तो खुशी से धकेलो। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां को गौर से देखने लगी )
बेटा समझने की कोशिश करो अभी अभी तुम्हारे पापा मौत से लड़कर आए हैं और तुम अगर ऐसी बात उनके सामने करोगी तो शायद फिर मुश्किल हो जाए। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां की तरफ देखने लगी।)
समझने की कोशिश करो बेटा अभी स्थिति ठीक नहीं है अगर ऐसा है तो अभी अपने पापा की बात मान लो अभी तो सिर्फ शादी की बात कर रहे हैं सगाई करेंगे शादी तो दो-तीन साल बाद ही होनी है और वैसे भी अभी शादी की उम्र तो है नहीं।
( अपनी मां का यह सलाह नीलू को अच्छा लगा। इसलिए वह अपनी मां की बात मान गई।)
नीलू की माया अच्छी तरह से जानती थी की इस उम्र में सिर्फ आकर्षण ही होता है जिसमें लड़के लड़की अपनी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं उन्हें जिंदगी की सच्चाई के बारे में कुछ भी पता नहीं होता। वह सिर्फ आकर्षण को ही प्यार समझ बैठते हैं जिंदगी में आने वाली मुसीबतों जिंदगी का कड़वा सच उनकी समझ से कोसों दूर होता है जब तक यह समझ में आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए नीलू की मां भी यही चाहती थी कि नीलू ऐसी कोई भी गलती ना करें इसलिए उसे एक बहाने से बहला चुकी थी।
वैसे भी राहुल से मिलने के पहले नीलू को वीनीत से ही प्यार था वह वीनीत को ही अपना सब कुछ समझती थी। लेकिन राहुल से मिलने के बाद उससे शारीरिक सुख हासिल करने के बाद उसे राहुल से प्यार हो गया जो कि प्यार नहीं बल्कि एक वासना ही था। क्योंकि शरीर सुख देने के मामले में विनीत से राहुल कई गुना आगे था। सही मायने में नीलू का झुकाव राहुल की तरफ से इसलिए ज्यादा था कि वह उसके मोटे लंबे और तगड़े ल़ंड पर फिदा हो चुकी थी। उसके मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी चौकी विनीत के साथ उसे इतनी ज्यादा आनंद की अनुभूति नहीं होती थी।
खेर नीलू अपनी मां की बात मानकर रसोई के काम में उसका हाथ बताने लगी क्योंकि उसकी मां ने में से एक उम्मीद जगा दी थी कि अभी नहीं तो बाद में इस बारे में बात करेंगे। पूरी तैयारियां हो चुकी थी किसी भी वक्त वीनीत के भैया भाभी और वीनीत घर पर आ सकता था।
दूसरी तरफ अलका बेहद परेशान थी। वीनीत ने जो मुसीबत खड़ी किया था उससे निकलने की ऊसे कोई राह नजर नहीं आ रही थी। ऊसका घर से निकलना मुश्किल हो गया था। वह विनीत और बदनामी के डर से ऑफिस जाना बंद कर दी थी े उसके दिल में दहशत बन चुकी थी। ऊसका कहीं भी आना जाना दुश्वार हो चुका था। अपनी मां के इस व्यवहार से राहुल आश्चर्य में पड़ गया था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऊसकी मां को हुआ क्या है। वह कई बार अपनी मां से इस बारे में पूछने की भी कोशिश किया लेकिन हर बात उसकी मां तबीयत का बहाना बनाकर बात को टाल दे रही थी। राहुल की तड़प अपनी मां का व्यवहार देखकर और ज्यादा बढ़ती जा रही थी कुछ दिनों से उसे चुदाई तो दूर-बुर देखना भी नसीब नहीं हुआ था। वह अपनी मां को जमकर चोदना चाहता था लेकिन उसे अपनी मां की तबीयत को देखते हुए, अपने आप पर संयम रखना पड़ रहा था।
नीलू के घर में विनीत और उसके भइया भाभी आ चुके थे सब लोग डिनर पर बैठे हुए थे। सभी लोग खाना खा रहे थे और नीलू और उसकी मम्मी उन सभी को खाना परोस रही थी। नीलू का मन उदास था वह बेमन से विनीत और उसके भइया भाभी को खाना परोस रही थी। नीलू के पापा और विनीत का बड़ा भाई दोनों एक दूसरे से अच्छी तरह से परिचित थे। खाना खाते हुए बातों का दौर शुरू हुआ। नीलू के पापा विनीत के बड़े भाई से बोले।
देखिए मैं ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करना चाहता वैसे भी हम दोनों के परिवार के बीच बहुत पहले से ही संबंध है। मैं चाहता हूं कि अब यह संबंध रिश्तेदारी में बदल जाए। मैं अपनी बेटी नीलू की शादी तुम्हारे छोटे भाई वीनीतं से करना चाहता हूं। ( यह सुनते ही विनीत के साथ-साथ उसके भइया भाभी भी बहुत खुश हुए खुश होते हुए उसके भइया बोले।)
देखिए इसमें हमें कोई एतराज नहीं है हम तो यही चाहते थे कि वीनीत की शादी आपकी बेटी नीलू से ही हो। और वैसे भी नीली और वीनीत दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं वह दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते भी हैं। पिछले दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। क्यों वीनीत तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है।( विनीत का भाई निवाला मुंह में डालते हुए वीनीत से बोला।)
मुझे कोई एतराज नहीं है भैया।
( नीलू को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह नाराज होकर वहां से चली गई। तो उसकी मम्मी बात को संभालते हुए बोली।)
शरमा गई है, अपनी शादी की बात सुन कर। नीलु के पापा ने यह भी बताया कि अभी इन दोनों की सगाई कर देंगे दो तीन साल बाद शादी क्यों की अभी यह लोग शादी करने की उम्र से छोटे ही हैं।
( नीलू के पापा ने अपने बिजनेस के आगे का प्लान विनीत के बड़े भाई को बता दिया जिससे साफ जाहिर था की शादी के बाद नीलू के पापा का सारा बिजनेस नीलू के नाम पर और उसके होने वाले पति के नाम पर हो जाएगा इस बात को लेकर विनीत और भी नहीं उसका बड़ा भाई काफी खुश नजर आ रहे थे। सब कुछ ठीक से निपट जाने के बाद विनीत और उसके भइया भाभी नीलु के घर से वापस अपने घर पर चले गए रास्ते में वीनीत का बड़ा भाई विनीत को बोला कि यह रिश्ता तुम्हारे लिए और हम सबके लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि आने वाले दिनों में नीलू के पापा के बिजनेस की वजह से हम लोगों का भी बिजनेस काफी बढ़ जाएगा इसलिए यह रिश्ता बेहद जरूरी है।
विनीत के बड़े भाई ने विनीत से कहा कि अगर नीलू के पापा नीलू की शादी अभी करना चाहते तो मैं अभी तुम्हारी शादी उसके साथ कर देता लेकिन। क्योंकि वह सगाई करके निश्चित हो जाना चाहते हैं। जिस तरह से उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं रहती इसलिए उन्हें अपनी तबीयत पर ज्यादा भरोसा नहीं है।
विनीत को बिजनेस से कोई लेना देना नहीं था उसे तो नीलु से प्यार था और वह उससे शादी करना चाहता था यह ख्याल उसके मन में बहुत पहले से ही था। नीलू से शादी की बात को लेकर वह बहुत खुश था। एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ डर और दहशत का माहौल था। अलका का हर एक पल बड़ी दहशत के साथ गुजर रहा था उसे बार बार इस बात का डर लगा रहता था कि कही उसके बेटे को सारी बात का पता न चल जाए। और कहीं वीनीत ने अलका की सारी बातों को इन दोनों के बीच क्या क्या हुआ सब कुछ कहीं अपने स्कूल में बता दिया तब क्या होगा। राहुल का क्या होगा? , वह खुद कैसे घर से बाहर निकलेगी , कैसेदुनिया को मुंह दिखाएगी। यही सब सोच सोच कर उसके मन में विनीत का डर पूरी तरह से छा चुका था। राहुल को चुदाई की तड़प लगती तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे परे कर देती। अपनी मां का यह व्यवहार उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। नतीजन उसे रात को अपने हाथ का इस्तेमाल करके ही शांत होना पड़ता था।
दूसरे दिन भी अलका ऑफिस नहीं गई। उसने राहुल से बता रखी थी कि कुछ दिनों के ऑफिस से छुट्टी ले रखी है। उसने तुम अपने बच्चों को यह बात बता दी थी लेकिन बात कुछ और ही थी जो कि वह अपने बच्चों से छुपा रही थी।
स्कूल में विनीत बहुत खूश था। उसने राहुल को बताया कि उसके घर वाले और नीलू के घर वालों ने मिलकर दोनों के रिश्ते को तय कर दिया है और बहुत ही जल्द नीलू उसकी पत्नी बन कर उसके घर आएगी। यह सुनते ही राहुल का दर्द बढ़ गया उसे यह उम्मीद नहीं थी कि नीलू उसके बिना बताए ही विनीत से शादी करने के लिए तैयार हो जाएगी। जबकि वह तो खुद राहुल से शादी करने के सपने देख चुकी थी साथ जीने और साथ मरने की कसमें खा चुके थे दोनों। नीलू उसे इस तरह से धोखा देगी इसकी उम्मीद ऊसे कतई नहीं थी। विनीत के चेहरे पर खुशी देखकर राहुल को उससे जलन होने लगी। जी में तो आया कि उसका मुंह तोड़ दे लेकिन किसी तरह से अपने आपको संभाल ले गया। राहुल को देखते ही विनीत को भी जलन होती थी उसके पीछे का कारण अलका थी जिसकी खूबसूरती और भरे बदन का वह दीवाना हो चुका था। नीलू जैसी खूबसूरत लड़की के साथ के बावजूद भी वह उसकी मां की उम्र की अलका का वह दीवाना था। और दीवाना होता भी क्यों नहीं अलका का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उसे देखते ही कोई भी उसका दीवाना हो जाए। गोरा गोरा भरा हुआ बदन बेहद खूबसूरत चेहरा रेशमी काले घने बाल जिसकी लटें
उसके गोरेगांल पर काली नागिन कि तरह बलखाती थी। उसकी बड़ी बड़ी गोल चूचियां ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी ऐसा लगता था कि अभी ब्लाउज फाड़ के बाहर आ जाएगी। वीनीत को इस उम्र में भी अलका की कसी हुई बुर ज्यादा प्रभावित कर गई थी। इसलिए तो वह एक बार उसे भोगने के बाद भी फिर से भोगने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था।
दोनों की शादी की बात सुन कर राहुल का दिल टूट चुका था वह नीलू से मिलना चाहता था उससे बात करना चाहता था कि आखिर यही सब करना था तो उस से दिल क्यों लगाई। क्यों उसे झूठे सपने दिखाए। यही सब सवालों का जवाब ऊसे चाहिए था।
और मौका देखकर वह नीलू से मुलाकात कर लिया नीलू से मिलते हैं उस पर सवालों की झड़ी बरसाना सुरु कर दिया। नीलू ऊसे सब कुछ समझाते हुए बोली।
सुनो राहुल जैसा तुम समझ रहे हो वैसा बिलकुल भी नहीं है। हां मेरी ओर विनीत की शादी की बात चल रही है। पापा का यह फैसला था लेकिन तुम तो जानते ही हो पापा की तबीयत ठीक नहीं है। और ऐसे में ऐसी कोई भी बात सुनकर दिल को ठेस पहुंचाती हो इसी बात पर उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ सकता है। क्योंकि उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए मेरे सामने उनकी बात मानने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था।
और वैसे भी मम्मी को मैंने सब कुछ बता दी हुं और उन्होंने मुझे यकीन दिलाया है कि सही समय आने पर इस बारे में वह पापा से बात करेंगी। तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
(इतना कहकर वह चली गई। लेकिन राहुल समझ चुका था कि अब ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है नीलू की शादी वीनीत से ही होगी। नीलू की मम्मी उसे बेवकूफ बना रही है। कोई भी मां बाप यह बिल्कुल नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी जो कि यह तो आराम में पली बढ़ी हुई है, जिसकी शादी एेसे घर में हो जिसकी कोई हैसियत ही ना हो। राहुल बहुत ही जल्द सच से वाकीफ हो चुका था। आज उसका दिल टूट चुका था। वह भी नीलू के साथ साथ उसे पाने का सपना देख चुका था। जो कि सच में सपना बनके रह गया था।
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कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡