होता है जो वो हो जाने दो – maa beta sex story

सुबह हो चुकी थी विनीत सुबह होने से पहले ही नीचे चला गया था जहां पर कुछ दिखाने खोलना शुरू हो रही थी। वहां उसने एक चाय के स्टॉल पर बैठ कर चाय की चुस्की लेते हुए रात के एक-एक पल को याद करके मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी। किसी काम के लिए किसी लालसा को पूरी करने के लिए वह महीनों से अलका के चक्कर काट रहा था। लेकिन आज जाकर उसकी मनोकामना पूर्ण हुई थी। अलका को भोग कर वह अपने आप को धन्य भाग्य समझ रहा था। उसने आज तक अलका जैसी औरत न देखा था , और ना ही भोगा था। उसके नंगे मांसल ओर गुदाज देंह का वह दीवाना हो गया था। वह मन ही मन में प्रसन्न होते हुए चाय की चुस्की ले रहा था धीरे-धीरे दुकानों के शटर खुलना शुरू हो गए थे । करीब आधे घंटे बाद ही सूर्य की किरण अपने उजाले से धरती को रोशनी चलाने लगे वह चाय के हिस्टोरी चाय और कुछ बिस्कुट के पैकेट लेकर ऊपर की ओर गया। तब तक अलका नींद से जाग चुकी थी। उठते ही उसने सोनू का बुखार चेक करने के लिए उसके माथे पर अपनी हथेली रखी तो उसे इसका एहसास हुआ कि सोनू का बुखार पूरी तरह से उतर चुका था माथे पर हाथ रखने से सोनू की भी आंख खुल गई वह भी राहत महसूस कर रहा था। तब तक विनीत चाय और बिस्कुट के पैकेट लेकर आ गया। विनीत चाय और बिस्कुट वही टेबल पर रखते हुए बोला।

आंटी जी आप चाय और नाश्ता कर लीजिए और सोनू को करा लीजिए तब तक मैं आता हूं थोड़ी देर में । इतना कहकर वह बिना रुके वहां से फिर से नीचे चला गया।

अलका रात की बात को सोचकर मन ही मन पछता रही थी। वह अपने आप को ही कोस रही थी, बरसों से जमाने भर से छुपाते आ रही इज्जत को आज उसने अस्पताल के बेड पर नीलाम कर दी थी यह बात उससे हजम नहीं हो पा रही थी। उसके सब्र धैर्य और मर्यादा की चादर इतनी पतली होगी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था। । आज उसने खुद मर्यादा की चादर को अस्पताल के बेड पर अपने हाथों से ही तार तार कर चुकी थी। वह चाहती तो उसे रोक सकती थी लेकिन ना जाने कौन सी मजबूरी थी कि उसे रोक नहीं सके और इतनी ही ऐसे ही पैदा हो गई थी कि वह खुद ही उत्तेजित होने लगी थी हालांकि यह बात अलग है कि उस संय े उसका ही बेटा उसके बाजू के बेड पर बुखार की वजह से एडमिट था। लेकिन बेड पर एक साथ सोने की वजह से उसकी उत्तेजना ना जाने क्यों बारे में लगी थी शायद एक अनजान लड़के के स्पर्श की वजह से उसके बदन ने उसके दिमाग का साथ नहीं दिया और वह बहकने लगी

यह भी उसकी गलती थी कि एक बार बहकने के बाद वह फिर अपने आप को संभाल ना सकी ओर वही गलती दो तीन बार दोहरातीे रही। वह बार-बार अपनी गलती पर पछताते हुए अपने ऊपर क्रोधित हो जा रही थी। वैसे भी अब पछताने के अलावा उसके हक में कुछ बचा भी नहीं था। वही बातें सोच-सोचकर उसकी आंख भर आ रही थी सोनू यह देख कर अपनी मां से बोला।

तुम रो क्यों रही हो मम्मी?

( अलंका अपने बेटे को क्या जवाब देती लेकिन फिर भी उसके सवाल का जवाब देते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा कल तेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए तेरी तकलीफ देखते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए ,हा लेकिन अब तु बिल्कुल ठीक हो गया है।

मम्मी यह कौन है जो हमारी इतनी मदद कर रहा है।

( सोनू के इस बात पर अलका एक दम से चौंक गई कल रात को जो शर्मनाक हरकत वह कर बैठी थी अगर वह ऐसी हरकत ना करती तो शायद उसे उसकी पहचान से सोनू को अवगत कराने में कोई हर्ज नहीं होता लेकिन इस समय ‘ लेकिन इस समय वहां उसकी पहचान बताने मैं शर्मिंदगी महसूस कर रही थी लेकिन फिर भी बताना तो था ही इसलिए बहाना बनाते हुए वह बोली।)

मैं जहां काम करती हूं ना बेटा उसी में मेरी एक सहेली भी काम करती है यह उसी का बेटा है।

( सोनू की उम्र अभी इतनी नहीं हुई थी की वह ईन रिश्तो तो के बीच शक की दीवार को खड़ी कर सकें। सोनू अपनी मां की बात को मान गया था और वह उसे नाश्ता कराने लगी, लेकिन वह खुद कुछ नहीं खाई वैसे भी वह बिना नहाए धोए कुछ भी नहीं खाती थी लेकिन इस समय विनीत से उसे नफरत सी होने लगी थी इसलिए वह गुस्से में नाश्ता भी नहीं की और उसे ले जाकर कूड़ेदान में फेंक दी।

दूसरी तरफ राहुल और विनीत की भाभी दोनों की आंख खुल चुकी थी दोनों एक दूसरे की बाहों में एकदम नग्नावस्था में लिपटे हुए थे। राहुल का लंड उसकी बुर के इर्द-गिर्द दस्तक देते हुए तनाव की स्थिति में था। वीनीत की भाभी राहुल के लंड को अपनी बुर के इर्द-गिर्द रगड़ खाते हुए महसूस करते ही , एक बार फिर से उसे अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठी। दोनों एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे। विनीत की भाभी से रहा नहीं गया और वह तुरंत अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर चूमने लगी राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही वह उसके ऊपर सवार हो गई घुटनों के बल बैठते हुए उसके खड़े लंड को अपनी नाजुक उंगलियों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टिका दी। राहुल भी तुरंत उसकी दोनों चुचियों को हाथों में दबोच लिया, और वीनीत की भाभी धीरे धीरे उसके लंड पर बैठती चली गई जब तक कि उसका पूरा लंड उसकी बुर में समा नही गया। एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो चली। राहुल नीचे से अपनी कमर उचका उचका कर धक्के लगा रहा था तो विनीत की भाभी भी खूब जोर लगाकर उसके लंड के ऊपर उठ बैठ रही थी। थोड़ी ही देर में दोनों की गरम सांसों से और दोनों की गरम सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा और इसके बाद हल्की सी चीख के साथ दोनों एक साथ झड़ गए।

थोड़ी ही देर में विनीत की भाभी और राहुल नहा कर तैयार हो गए थे। राहुल के जाने का समय हो गया था वीनीत की भाभी पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी उसे अपने जीवन में एसा सूख कभी भी नहीं मिला जब भी मिला तो वह राहुल से ही मिल रहा था। वह पूरी तरह से राहुल की दीवानी हो चुकी थी वह चाहती थी कि राहुल उसके घर हमेशा आए लेकिन जिस तरह से पहली बार नंबर देने के बावजूद भी वह है ना फोन किया और ना ही उससे मिलने की कभी कोशिश किया वह तो बाजार में मिल जाने की वजह से आज जो सुख भोग रही थी यह उसी का नतीजा था अब ना जाने वह कब मिलेगा। इसलिए वह ऐसा चाहती थी कि कुछ ऐसा जुगाड़ हो जाए की वह जब भी बुलाए राहुल दौड़ता हुआ चला आए इसके लिए राहुल के पास फोन होना जरूरी था। इसका भी जुगाड़ वह सोच रखी थी।

राहुल जाने को था क्योंकि किसी भी वक्त विनीत अा सकता था। दरवाजे पर राहुल पहुंचा ही था कि विनीत की भाभी उसे रोकते हुए बोली।

रुको राहुल

(इतना कहने के साथ ही वह उसके करीब पहुंच गई।)

(राहुल भी दरवाजे को खोलते खोलते रुक गया।)

क्या हुआ भाभी कहीं फिर से तो आपका मूड नहीं बन गया।

मेरा मूड तो तुम्हें देखते ही बन जाता है।( इतना कहने के साथ ही वह उसे अपना पुराना वाला स्मार्टफोन थमाते हुए बोली।)

यह रख लो राहुल

यह क्या है भाभी?

यह मेरा मोबाइल है, पुराना मैं इसे यूज नहीं करती यूं ही पड़ा हुआ था सोची कि तुम्हारे कुछ काम आ जाएगा। लो रख लो।

( राहुल को समझ में ही नहीं आया कि वह ले या ना ले क्योंकि आज तक ना उसने किसी से कुछ लिया है वैसे भी आज तक उसे किसी ने भी ऐसी कोई चीज दी भी नहीं, इसलिए वह उस मोबाइल को लेने में असहज हो रहा था।)

नहीं भाभी यह मैं नहीं ले सकता ।

लो रख लो राहुल हमें तुम्हारे लिए नहीं बल्कि अपने लिए ही दे रही हूं। ( विनीत की भाभी की यह बात राहुल को समझ नहीं आई इसलिए वह बोला।)

मैं समझा नहीं भाभी।

अरे मेरे राजा (बड़े ही नटखट अंदाज में) तुम तो एकदम बुद्धू अगली बार जब तुम मेरे घर आए थे उसके बाद जाकर अब मुझसे मिले हो , जानते हो तुम से दोबारा मिलने के लिए मैं कितनी तड़पी हूं, इसलिए तो मैं तुम्हें यह मोबाइल दे रही हूं ताकि जब भी मेरा दिल करे तुम्हें फोन करके बुला लूं। ( उसकी बात सुनकर राहुल मुस्कुरा दिया और उसके मुस्कुराहट के साथ ही विनीत की भाभी ने उसे मोबाइल थमा दी। और जाते जाते हैं उसे एक 500का नोट भी दे दी जिसे वह लेने से इंकार कर रहा था लेकिन उस ने जबरदस्ती उसके शर्ट की जेब में डालते हुए बोली।)

राहुल यह तुम्हारी मेहनत के हैं हमेशा आते रहना और मैं हमेशा तुम्हारी मेहनत की बक्षीस तुम्हें देती रहूंगी।

( जबरदस्ती पेसे जेब में रखने की वजह से वह लेने से इनकार नहीं कर पाया, और उसे लेकर अपने घर की तरफ चल दिया विनीत की भाभी उसे जानबूझकर पैसे देते हुए उसके अंदर पैसे का लालच दे रही थी ताकि वह बार-बार उसके बुलाने पर आता रहे।)

दूसरी तरफ अस्पताल में अलका गुमसुम बैठी हुई थी रात की यादें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। लेकिन एक टेंशन और था उसे अस्पताल का बिल भरने की जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं थे और वह ना चाहते हुए भी वीनीत का इंतजार कर रही थी, जोकि नीचे गया हुआ था। क्योंकि उसे यकीन था कि बिल के पैसे भी वही चुकाएगा।

बस शायद एक यही बात उसे रात को विनीत को इनकार करने से रोक रही थी और वह आगे बढ़ता गया और साथ ही वह खुद भी उस बहाव में बहती चली गई, मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं कर रही थी यह भी उसकी एक मजबूरी ही थी, ऐसे बहुत से पल उसके सामने जिंदगी में आ चुके थे जब वह अपने आप को लाचार महसूस करती थी लेकिन आज की लाचारी उसका सबकुछ उजाड़कर जा चुकी थी। बरसो की तपस्या भंग हो चुकी थी।

तभी वीनीत हाथ में अस्पताल का बील और कुछ दवाइयां ले कर के आया और उसे अलका को थमाते हुए बोला।

आंटी जी डॉक्टर ने छुट्टी दे दी है यह कुछ दवाइयां है जो सोनू को समय-समय पर देनी है, और मैंने अस्पताल का बिल चुका दिया है। अब हमें चलना होगा।

( वीनीत की बातें सुनकर वह कुछ बोली नहीं बस सोनु को साथ लेकर चलने लगी , )

राहुल घर पर पहुंचकर दरवाजे का ताला खोला क्योंकि एक चाभी राहुल के पास भी रहती थी। वह पूरी तरह से संतुष्ट हो चुका था रात भर वीनीत की भाभी की चुदाई कर करके थकान सी महसूस कर रहा था। और वहीं कुर्सी पर बैठ गया’ रात भर जागने की वजह से उसकी आंख लग गई।

थोड़ी देर बाद विनीत अलका को और सोनू को घर के दरवाजे के सामने ही छोड़ कर गया विनीत मन ही मन इस बात से प्रसन्न हो रहा था कि उसने आज अलका का घर भी देख लिया था। अलका दरवाजे पर पहुंची तो दरवाजे की कड़ी खुली हुई थी और उसने हल्का सा धक्का देकर दरवाजा खोल दि। दरवाजा खुलने की आवाज उसे राहुल की नींद खुल गई और वह दरवाजे की तरफ देखा तो अल्का और सोनू अंदर प्रवेश कर रहे थे उन्हें देखते ही राहुल बोला।

मम्मी आप यहां आज ऑफिस….. सोनू भी स्कूल नहीं गया…. बात क्या है मम्मी।

( अलका उसे बता दे कि उसके जाने के बाद सोनू की तबीयत खराब हो गई थी जिसकी वजह से वह उसे अस्पताल लेकर गई थी और ज्यादा तबीयत खराब होने की वजह से रात भर अस्पताल में रुकना पड़ा। और कल शाम से गई तो इस वक्त आ रही हुं। राहुल अपनी मम्मी की बात सुनकर परेशान हो गया पर अपने आप पर गुस्सा भी होने लगा कि इस वक्त उसे घर पर होना चाहिए था वह बाहर था’ उसने भी यह बता दिया कि रात भर वह भी दोस्त के वहां था प्रोजेक्ट पूरा करने में लगा हुआ था और थोड़ी देर पहले ही आया है।)

चलो कोई बात नहीं सोनू तुम चल कर आराम करो तब तक मैं नहा धोकर के कुछ खाने को बना देती हुं ।

( इतना कहकर वह बाथरूम की तरफ चली गई राहुल वहीं बैठा रहा। अलका बाथरूम में जाते ही दरवाजा बंद कर ली। वह रात की घटना को याद करके सिसक सिसक कर रोने लगी, ऊसे अपनी गलती पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था। लेकिन कर भी क्या सकती है वक्त रेत की तरह होती है एक बार हांथसे फिसल गई तो फिसल गई । वह मन ही मन अपने आप से ही बोलते हुए रो रही थी।

मुझे इंकार कर देना चाहिए था भले ही वह मेरी इतनी मदद कर रहा था तो क्या हुआ जरा सी भी मैं हिम्मत दिखाई होती’ अगर मुझे उसके एहसान की परवाह ना होती तो आज मैं अपनी नजरों से यूं गिरी ना होती।

लड़का मेरी जिंदगी में तूफ़ान बन कर आया है मेरे हंसते खेलते परिवार को मेरे सुखचैन को सब कुछ तबाह कर दीया। कहीं ऐसा ना हो कि वह यह बात दूसरों को बताना शुरू कर दे मैं तो कहीं कि नही रह जाऊंगी। नहीं वह ऐसा नहीं कर सकता उसने मुझसे जबरदस्ती तो नहीं किया था मै ही उसपल में थोड़ा-बहक गई थी

मैं कैसे अपने आप को संभाल न सकी मुझे तो अपने आप से घिन्न होने लगी है।

यही सब अपने आप से कहते हुए अपने ऊपर एक-एक मग ठंडा पानी डाल कर नहाती रही। ठंडे पानी से नहा कर का मन कुछ शांत हुआ वह नहा कर बाहर आ गई।

अलका सीधे रसोई घर में जाकर खाना बनाने लगी बाहर कुर्सी पर बैठा राहुल उसे ही देख रहा था गीले बालों की वजह से ब्लाउज भेज चुका था जिसकी वजह से उसके अंदर की लाल ब्रा की स्ट्रेप दिखाई दे रही थी जिसे देखते ही राहुल के लंड में तनाव आना शुरू हो गया, वैसे भी नहाने के बाद अलका की खूबसूरती में चार चांद लग जाया करता था। राहुल की नजर बार-बार ऊसके गैीले बालो से होकर के कमर के नीचे के उन्मुक्त घेराव पर चले जा रहे थे। राहुल भी अच्छी तरह से जानता है कि भले ही रात भर विनीत की भाभी के साथ शरीर सुख का आनंद लिया है लेकिन उसकी मां की तरह खूबसूरत और उसकी तरह गुदाज बदन ना तो विनीत की भाभी का था और ना ही नीलू का। राहुल एक तरह से अपनी मां के प्रेम में ही पड़ गया था वह से बेइंतहा प्यार करने लगा था। बिस्तर पर जो मजा उसे उसकी मां से मिलता था वह मजा दूसरे किसी भी औरत से उसे नहीं मिलता था।

बस यूं नज़रों से अपनी मां के बदन को टटोलने भर से उसका मन शांत होने वाला नहीं था इसलिए वह कुर्सी पर से उठा और सीधे रसोईघर में चला गया, और जाते ही अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां के खेरा अवतार नितंबों के बीच की दरार में धंसाते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। खड़े लंड की चुभन अपनी गांड के बीचो-बीच महसूस करते ही अलका पूरी तरह से सिहर उठी

, मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही गीले बालों में से आ रही मादक सोंधी सोंधी खुशबू को नाक से जोर से खींचते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर हथेलिया रखकर दबाने लगा, वह अपनी मां की सुराहीदार गर्दन को चुमते हुए धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी को उठाने लगा लेकिन तभी अलका उसे रोकते हुए बोली।

आज नहीं राहुल रात भर सोई नहीं हूं मुझे थकान महसूस हो रही है फिर कभी।

( अपनी मां की यह बात सुनकर राहुल का जोश एकदम से ठंडा हो गया उसे अच्छा तो नहीं लगा लेकिन फिर भी वह जानता था कि रात भर वह सोनु को लेकर परेशान हुई है इसलिए चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए बोला।)

सॉरी मम्मी मैं आपका यह रुप को देख कर बहक गया था इसके लिए ऐसा कर बैठा सॉरी। ( इतना कहने के साथ ही वह खड़े लंड को लेकर रसोई घर के बाहर आ गया और अलका भी बिना कुछ कहे अपना काम करती रही उसका मन अभी भी भारी ही था।

राहुल अपने कमरे में चला गया विनीत की भाभी के द्वारा दिए गए मोबाइल को लेकर वह बहुत उत्सुक था। वह जेब से मोबाइल निकाल कर उसे देखने लगा मोबाइल पाकर बहुत खुश था लेकिन वह जानता था कि मोबाइल को उसे छुपा कर ही रखना होगा वरना कहीं उसकी मां ने देख ली तो बात का बतंगड़ बन जाएगा। तभी उसे यह ख्याल आया कि विनीत की भाभी ने मुझे ₹500 का नोट भी दी थी यह कैसे खर्च करना है या उसे नहीं मालूम था वह अपनी मां को यह रुपए दे भी नहीं सकता था क्योंकि हजार सवाल पूछने लगेंगी, तभी उसे विनीत की भांभि के महंगे ब्रांडेड पैंटी और ब्रा के बारे में ख्याल आया। ब्रा और पैंटी के बारे में ख्याल आते ही उसने अपनी मां की मस्ती चडडी नजर आने लगी इसलिए उसने तय कर लिया था कि इन पैसों से वह अपनी मां के लिए ब्रांडेड ब्रा पैंटी और एक सेक्सी गाउन लाकर देगा। अपनी मां के लिए महंगी ब्रा और पेंटी को खरीदने मात्र के बारे में सोचकर ही वह उत्तेजित होने लगा । वह बहुत खुश था की अब वह अपनी मां के लिए ब्रांडेड ब्रा और पेंटी खरीद के लाकर दे सकेगा।

पैसे और मोबाइल को वह अपने बैग में ही छुपा दिया ताकि उसकी मां की नजर उस पर ना पड़ सके।

दो-तीन दिन ही बीते थे कि वीनीत की भाभी ने उसे फोन करके अपने घर बुला ली और वह फोन आते ही तुरंत घर पर पढ़ाई का बहाना बनाकर उसके घर चला गया और वहां जाकर के वीनीत की भाभी को चोदकर खुद भी शांत हुआ और उसकी भी प्यास को बुझाया। अभी मोबाइल दिए 10 दिन भी नहीं बीते थे कि वह पांच छ: बार अपने घर फोन करके बुला ली थी। और हर बार उसे कुछ न कुछ बक्षीस दे देती थी। वह जितने पैसे मिलते थे उनमें से कुछ पैसे अपनी मां को दे देता था लेकिन यह पैसे वह यह बोलकर दे रहा था कि, उसका एक दोस्त है उसके पापा का कारखाना है और वह उसे कुछ ऑफिस का काम दे देते हैं और थोड़े पैसे भी दे देते हैं। वह उनका काम कर देता है और बदले में वह कैसे पैसे देते हैं यह बात अलका को अच्छी तरह से हजम भी हो गई उस का भी खर्चा चलने लगा था। वह तो इस बात से खुश ही हुई थी की थोड़े से काम में राहुल को पैसे मिलने लगे थे।

जैसे तैसे करते हुए दिन गुजर रहे थे। अस्पताल वाली रात को गुजरे 15 दिन जैसे हो चुके थे उस दिन से अलका सहमी सहमी सी रहती थी। रास्ते में आते जाते कभी कभार विनीत मिल जाता तो अलका की आंखों में खून ऊतर जाता था लेकिन अपने आप पर काबू कर के वह दो चार बातें बतिया कर आगे बढ़ जाती थी। लेकिन वीनीत जब भी मिलता था उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान होती थी जोकि अलंका के दिल में भाले की तरह चुभती थी।

पिछले कुछ दिनों से राहुल अपनी मां के हावभाव पर गौर कर रहा था। पिछले कुछ दिनों से ऊसकी मां का रवैया बदला बदला सा नजर आ रहा था। वह जब भी उसकी तबीयत के बारे में पूछता तो वह सर दर्द का बहाना बनाकर बात को पलट देती राहुल को भी ऐसा लगने लगा था कि शायद हो सकता है मम्मी की तबीयत खराब हो इसलिए वह बार-बार में दवा लेने के लिए भी बोल चुका था। राहुल की बात पर वह दवा ले लेगी ऐसा कह कर बात को हमेशा टाल जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह तन से नहीं मन से बीमार है दवा से उसके मन की बीमारी जाने वाली नहीं थी। राहुल अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था क्योंकि जब से सोनु बीमार हुआ था तब से लेकर अब तक वह उसे चोद नहीं पाया था जब भी वह उसके करीब जाता तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे हटा देती थी उसे अपनी मां का यह रूप कुछ समझ में नहीं आ रहा था। राहुल की यह तड़प लाजीमी थी क्योंकि जो मजा बिस्तर पर उसकी मां उसे दे दी थी वह मजा उसे किसी के भी साथ नहीं मिल पाता था। वह रोज रात को अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों के बारे में उसकी गुदाज मांसल गोरे बदन के बारे में और उसकी रशीली गुलाबी पत्तीयो वाली बुर के बारे में सोच सोचकर मुठ मारा करता था। अपनी मां को चोदने की ऊसकी तड़प दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। ऐसे मे उसे एक दिन फिर वीनीत की भाभी का फोन आ गया और वह फिर से वहां चला गया, लेकिन अभी तक उसकी मां को यह पता नहीं चल पाया था कि उसके पास मोबाइल है वह मोबाइल रखने में बहुत ही सावधानी रखता था।

विनीत के घर पहुंचते ही एक बार फिर दोनों एक हो गए दोनों के बदन से सारे कपड़े एक एक कर के नीचे फर्श पर गिरने लगे, और दोनों एकाकार हो गए आज जी भर कर वीनीत की भाभी ने राहुल से अपनी बुर रगडव़ाई थी

क्योंकि कल उसे और विनीत को एक रिश्तेदार के वहां जाना था क्योंकि वहां शादी थी और वहां से आने में बस 15 दिन का समय लग सकता था इसलिए वह आज ही जी भर के अपनी बुर में राहुल का लंड डलवा कर चुदवा चुकी थी।

धीरे धीरे अलका सामान्य होने लगी थी, अब वो राहुल से मुस्कुरा कर बातें करने लगी थी। अपने अंदर आए बदलाव का कारण व समझ पा रही थी क्योंकि कुछ दिनों से उसे विनीत नजर नही आया था।

धीरे धीरे कर के अस्पताल वाले वाक्ये को गुजरे बीस 25 दिन हो गए थे। लेकिन विनीत के तरफ से ऐसी कोई भी हरकत नहीं हुई जिससे अलका को शर्मिंदा होना पड़े’ इसलिए रुका था गणित के प्रति डर धीरे-धीरे दूर होने लगा था। और जैसे-जैसे उसका डर दूर होता जा रहा था वह सामान में होती जा रही थी और यह बदलाव राहुल को अच्छा लग रहा था लेकिन अभी भी बहुत प्यासा था अलका को देखते ही राहुल का लंड हमेशा तन कर खड़ा हो जाता था। खासकर के चलते हुए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर वह अपना आपा खो बैठता था। आज उसकी मां का थोड़ा सा रवैया बदलता हुआ नजर आ रहा था इसके लिए राहुल भी मन में यही सोच रहा था कि आज उसकी बात बन जाएगी ।

शाम को उसकी मां छत पर कपड़ों को समेट रही थी। राहुल भी वही पहुंच गया अपनी मां को रस्सियो पर से कपड़े उतारते हुए देख कर बोला।

क्या कर रही हो मम्मी (जबकि वह जानता था कि उसकी मां क्या कर रही है वह तो सिर्फ बातों का सिलसिला शुरु करने के लिए एक तार छेड़ दिया था।)

देख नहीं रहे हो कपड़े उतार रही हूं( उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी, तभी अपनी साड़ी को रस्सी पर से उतरते हुए पानी के बीच में रखी हुई उसकी ब्रा और पेंटी दोनों नीचे गिर गई। जिस पर राहुल की नजर पड़ गई और वह उसे झट से उठा लिया। अलका ने अपने बेटे को उसकी गिरी हुई ब्रा और पेंटी को उठाते देख ली। और तुरंत बोली।)

लाओराहुल ईधर दो क्या कर रहे हो ऊसको लेकर के। ( उसका इतना कहना था कि राहुल तुरंत पेंटी को अपनी नाक से लगाकर सुंघने लगा।

राहुल अपनी मां की पैंटी को उठाकर उसे नाक से लगा कर सुंघने लगा। अपने बेटे की इस हरकत को देखकर अलका अंदर ही अंदर गंनगना गई, राहुल था की पैंटी को एकदम नाक से रगड़ रगड़ कर सुन रहा था खास करके उस स्थान को जो स्थान बुर से एकदम चिपका रहता है। वह अपने मित्रों को पेंटी से लगाकर गहरी सांस खींचते हुए बोला।

ओहहहहह…. मम्मी बहुत ही मादक खुशबू आ रही है इसमें से। मेरा तो रोम रोम झनझना जा रहा है। ( अपनी बेटे को इस तरह से मदहोश होकर अपनी पैंटी सुंघते हुए देख कर उसके बदन में अजीब सी हरकत होने लगी उसके बदन में गुदगुदी सी मचने लगी। उसके हाथ में कपड़ों का ढेर था और उसने अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठा कर कमर के साईड अंदर खोसी हुई थी, जिससे उसकी घुटनों से नीचे की आधी टांगे नंगी दिख रही थी। अलंकार अपनी साड़ी को उठा कर कमर में ठुसने की वजह से और भी ज्यादा कामुक ओर सुंदर लग रही थी। वह एक तरह से राहुल की हरकत कर शरमा गई उसे ईसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राहुल ऐसी हरकत करेगा। वह राहुल की हरकत पर शर्मसार होते हुए अपने अगल-बगल नजर दौड़ा ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। जबकि वह जानती थी कि उसकी छत पर कोई भी कहीं से भी नहीं देख सकता था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था अलका के मन में भी गुदगुदी होने लगी थी। राहुल की इस हरकत ने अस्पताल के बाद से आज पहली बार उसके बदन में एक नई उमंग जगाया था। वह पागलों की तरह पैंटी को सुंघते हुए अपनी मां को देखे जा रहा था। राहुल अपनी मां की पैंटी को सॉन्ग कर उत्तेजित होने लगा था उसके पेंट का तंबू बढ़ने लगा था जिस पर रह रहकर अलका की नजर चली जा रही थी वह क्या करें क्या ना करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हाथों में कपड़ों का ढेर था रेशमी जुल्फों की लटे उसके गालों को छू रही थी। चेहरे पर कामुक्ता और शर्मो हया की मिली जुली मुस्कान बिखर रही थी। राहुल दीवानों की तरह पेंटिं को अपनी नाक पर सहलाते हुए उसकी मादक खुशबू का मजा ले रहा था। यह देख अलका से रहा नहीं गया और वह मुस्कुराते हुए बोली।

क्या कर रहा है , ऐसा कोई करता है क्या।

कोई करे या ना करे लेकिन मैं ऐसा जरूर करूंगा मम्मी, क्योंकि तुम्हारी पैंटी से तुम्हारी बुर की मादक खुशबू आती है जिसे सुनते ही मेरे तन बदन में गुदगुदी होने लगती है एक अजीब सा एहसास होने लगता है ।

( राहुल अपनी मां से कुछ ज्यादा ही खुल चुका था पहले तो वह ऐसी गंदी बातें करने से शर्म आता था लेकिन कुछ ही दिनों में वह अनुभवी हो चुका था उसे पता था कि ऐसी बातें सेक्स को और ज्यादा आनंददायक बना देता है इसलिए ऐसी बातें करने से अब बिल्कुल भी नहीं चुकता था, अलका अपने बेटे के मुंह से ऐसी खुली गंदी बातें सुनकर आवाज रह गई थी लेकिन उसे ऐसी बातें अच्छी लग रही थी राहुल के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनकर उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी होने लगी थी।

इस समय न जाने क्यों राहुल के सामने उस की ऐसी बातें सुनकर उसे शर्म आ रही थी। और शर्म के मारे उसका गोरा सुंदर चेहरा कश्मीरी सेब की तरह लाल होने लगा था। वह अभी भी अपने चारों तरफ नजर दौड़ा ले रही थी, तभी उसकी नजर नीचे पड़ी ब्रा पर गई जो कि पेंटि के साथ ही नीचे गिरी थी लेकिन राहुल ने सिर्फ पेंटी ही उठाया था. वह ब्रा ऊठाने के लिए नीचे झुकी और जैसे ही ब्रा को उठाकर वह सीधे खड़ी हुई तो उसके कंधे से साड़ी का आंचल नीचे गिर गया जिससे उसकी पहाड़ी छातियां अनावृत हो गई। ऊसकी बड़ी बड़ी चूचियां जोकि ब्लाउज के अंदर हीथी लेकिन अलका ने इस तरह का ब्लाउज पहनी थी कि उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर को झलक रही थी। राहुल राहुल की नजर जेसे ही अपनी मां की बड़ी बड़ी पहाड़ी छातियों पर पड़ी वैसे ही तुरंत उसके तन-बदन में कामाग्नि की तपन बढ़ने लगी उसकी जांघों के बीच का हथियार सुरसुराने लगा।

अलका अपनी ब्रा को उठाने के बाद एक नजर अपनी ब्लाउज मे कैद चुचियों की तरफ डाली और फिर राहुल की तरफ मुस्कुराते हुए देखते हुए बोली।

यह पेंटिं तो धूलि हुई है।

( यह बात अलका ने इतनी कामुक अंदाज में बोली थी कि राहुल उसकी बात सुनकर अंदर तक चरमरा गया ऊसकी आंखों में तुरंत खुमारी का नशा छाने लगा। अलका यह अच्छी तरह से जानती थी कि यह क्या कह रही है और इसका मतलब भी राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था । अलका यह भी जानती थी कि उसकी साड़ी कंधे पर से नीचे फिसल गई है। और उसकी बड़ी बड़ी छातियां ब्लाउज में छेद होने के बावजूद भी कामुक तरीके से प्रदर्शित हो रही है, लेकिन फिर भी वह इस बात को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए वापस साड़ी को कंधे पर डालने तक की सुध नहीं ली थी। अपनी मां की बातों ही बातों में खुले आमंत्रण को पाकर सिसकारी लेते हुए मादक अंदाज में वह बोला।

ससससहहहहहह…… मम्मी तो क्या हुआ यह तो तुम्हारी धुली हुई पेंटी है मैं तो तुम्हारी पहनी हुई भी चड्डी को नाक से लगा कर मस्ती से सुंघ कर उसकी मादक खुशबू का आनंद ले सकता हूं।

( इतना कहने के साथ ही राहुल अपने पैंट के ऊपर से ही खड़े लंड को मसल दिया यह देखकर अलका कि बुर से मदन रस बुंद बनकर ं झर गया। अलका इस समय छत पर राहुल की हरकत और उसकी बातों से मदहोश हुए जा रही थी विनीत का डर उसके मन से लगभग खत्म होते जा रहा था। एक बार फिर से वह राहुल के साथ बहकने लगी थी

ईसी छत पर उन दोनों ने पवित्र रिश्ते की डोरी को तोड़कर एक नए रिश्ते की शुरुआत की थी और आज फिर से कुछ दिनों के विराम के बाद एक बार फिर से उनकी वासना की पुस्तक मे नया अध्याय जुड़ने लगा था।

राहुल लगातार पेंटी को सुंघते हुए धीरे-धीरे अपने कदम को अपनी मां की तरफ बढ़ा रहा था। जैसे-जैसे राहुल उसकी तरफ बढ़ रहा था अलका के बदन में गुदगुदी और ज्यादा बढ़ रही थी उसका बदन कसमसाने लगा था। वह अलका के बिल्कुल करीब पहुंच गया अलका इतनी ज्यादा शर्मसार हुए जा रही थी कि वह अपने बेटे से नजरें तक नहीं मिला पा रही थी। रह रह कर उसकी पलके पटपटा रही थी। वह कभी राहुल को तो कभी नीचे जमीन की तरफ देखने लगती उसके हाथों में अभी भी कपड़ो का ढेर लदा हुआ था। उसका आंचल अभी भी कंधे से लोगों का हुआ था जिस पर राहुल की नजर बराबर बनी हुई थी वह अपनी मम्मी के चारों तरफ धीरे धीरे चक्कर लगाने लगा और उसकी नजरें उसके गुदाज बदन पर चारों तरफ फिरने लगी। राहुल को इस तरह से अपने बदन के इतने करीब चक्कर लगाते हुए घुमने की वजह से वह शर्मसार हुए जा रही थी और उसका बदन शर्म के मारे कसमसा रहा था। राहुल नजरों को अपनी मां के भजन के कोने कोने पर फिरा रहा था अपनी मां के इर्द-गिर्द चारों तरफ चक्कर काटते हुए उसकी नज़र खास करके ब्लाउज से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और चुचियों के बीच की गहरी लकीर पर फिरती फिरती हुई पीछे कमर के नीचे का पहाड़ी उठाव पर घूम रही थी। अलका भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर उसके बदन पर कहां कहां चिपक रही है। राहुल अपनी मां के पीछे की तरफ जाकर धीरे से ऊसके कानों में मादक स्वर में बोला।

ससहहहहहहह…..मम्मी …. तुम बहुत ही हॉट और खूबसूरत हो, तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा। ( राहुल अपनी मां की तारीफ करते हुए लगातार उसकी पैंटी को भी नाक लगाकर सुंघे जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे पेंटी को सुंघते हुए उसकी उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही है। अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर वह शर्माकर ईठलाते हुए बोली।)

चल झूठा कोई काम नहीं है तो बेवजह की तारीफ किए जा रहा है। ( इतना कहकर वह राहुल के हाथ से अपनी पैंटी को छीन कर जाने लगी तो पीछे से राहुल बोला।)

सच कह रहा हूं मम्मी आप बहुत खूबसूरत हो। ( अपने बेटे की बात सुनकर वह वहीं रुक गई। ) तुम अगर कोई गैर औरत होती तो मैं तुम्हें अपना गर्लफ्रेंड बना लिया होता। ( अपने बेटे की यह बात से वह एकदम से रोमांचित हो गई उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई और वह मुस्कुराते हुए गर्दन घुमाकर पीछे राहुल की तरफ देखने लगी। अपनी मां को अपनी तरफ इस तरह मुस्कुराते हुए देखकर राहुल बोला।) आई लव यू मम्मी।

( राहुल को युं ईजहार बयां करते हुए देख कर अलका बोली।)

तू पागल हो गया है।( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए जाने लगे तो राहुल ने फिर से से रोकते हुए बोला।)

मम्मी रुको।( अलका फिर रुक गई राहुल के बदन मे उत्तेजना बढ़ चुकी थी उसके लंड का तनाव पेंट में तंबू बनाया हुआ था जिस पर बार-बार अलका की भी नजर चली जा रही थी। राहुल की बात सुनकर भर रुक तो गई थी लेकिन वह अपनी पीठ राहुल की तरफ किए हुए ही खड़ी थी। वह बहुत ही उत्सुक थी,वह देखना चाहती थी कि अब राहुल क्या करता है क्या कहता है? तभी राहुल बोला।

मम्मी क्या आप अपनी पेंटी दोगी ऊतार के!

( अलका अपने बेटे की यह बात सुनते ही एकदम सन्न हो गई, साथ ही ऊसके कहे एक-एक शब्द ने उसके बदन में रोमांच फैला दिया। वह जानती थी कि राहुल क्या कह रहा है और उसकी पैंटी के साथ क्या करना चाहता है। लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए वह बोली।)

उतार के…… मतलब (इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घूम गई वह अपना आंचल फिर से कंधे पर रख ली थी, उसकी नजर राहुल की पैंट पर पड़ी तो अभी भी ऊसका पूरा तनाव बना हुआ था, राहुल फिर बोला।)

उतार के मतलब… इस समय आप जो पेंटी पहनी हुई हो उसकोे उतार कर मुझे दो।

क्या करोगे मेरी पैंटी को?

वही करुंगा जो आप की धुली हुई पेंटी के साथ कर रहा था।( पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलातो हुए बोला, अपने बेटे को यूंही उसकी आंखों के सामने ही लंड सहलाता हुआ देखकर उसकी बुर में सुरसुराहट बढ़ गई, राहुल की बातों से अलका का उन्माद बढ़ने लगा। वह उन्मादित होते हुए बोली।)

तुम पागल हो गए हो राहुल, ऐसा भी भला कोई करता है क्या?

मैं करुूंगा मम्मी मैं तुम्हारी बुर की खुशबू तुम्हारी पैंटी में महसूस करना चाहता हूं। तुम्हारी बुर सो लाखों फूलों की खुशबू आती है उसकी मादक खुशबू मे मैं अपना सब कुछ भूल जाता हूं। मम्मी दोना।

मेरा मन बहुत कर रहा है आप की पहनी हुई पेंटी की मादक खुशबू अपने सीने में उतारने के लिए।

( अपने बेटे की ऐसी उत्तेजक और उन्माद से भरी गरमा बातों को सुनकर का रोम-रोम जना गया उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर फेलने लगी। वह राहुल की बातों को सुनकर कामोतेजना से भर गई उसे इस बात की उम्मीद कभी नहीं थी कि राहुल ऐसी भी इच्छा रखता है। उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि कोई कैसे भला किसी औरत की यूज़ की हुई पेंटिं को इस तरह से नाक लगाकर सुंघ सकता है। अब तो अलका की भी उत्सुकता बढ़ती ही जा रहीे थी वह भी देखना चाहती थी कि कैसे राहुल उसकी पहनी हुई पेंटी को यु नाक लगाकर मस्ती के साथ सुघता है। वह भी बात बनाते हुए बोली।

नहीं राहुल एेसा नही होता छी: कितनी गंदी बात है। ( अलका जानबूझकर ऐसा बोल रही थी अब तो वह खुद चाहती थी कि उसका बेटा उसकी पहनी पेंटी को सुंघकर मस्त हो। लेकिन वह खुद सामने से अपनी पैंटी उतार कर अपने बेटे को देने में असहजता का अनुभव कर रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा जोर देकर उसकी पेंटी को मांगे। और राहुल यही कर रहा था वह फिर से जोऱ देते हुए अपनी मां से बोला।

दो ना मम्मी प्लीज अब और ना तड़पाओ मेरी हालत देखो( पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को हथेली से मसलता हुआ ) मुझसे रहा नहीं जा रहा है प्लीज मम्मी प्लीज…( राहुल एकदम मदहोश होता हुआ आहें भरते हुए अपनी मम्मी से बोल रहा था अलका भी उसकी तड़प देखकर खुद मचलने लगी, और बोली।)

तो तू ही बता मैं क्या करूं।

आप कुछ मत करो मम्मी बस अपनी पहनी कोई पेंटिं निकाल कर मुझे दे दो।

यहां …..छत पर ….।।कोई देख लिेया तो…..

कौन देखेगा मम्मी यहां छत पर वैसे भी हम दोनों के सिवा यहां है ही कौन? ( अलका पूरी तरह से तैयार थी अपनी पैंटी उतार कर अपने बेटे को देने के लिए बस थोड़ा सा ना नुकुर कर रही थी। वैसे भी शाम ढल चुकी थी, अलका भी अच्छी तरह से जानती थी उनकी छत पर कोई भी उन दोनों को देख नहीं सकता था यह तो अलका सिर्फ बहाना बना रही थी। )

दोना मम्मी प्लीज कोई भी नहीं देखेगा।

ठीक है ठीक है, मैं उतार कर तुझे देती हूं,। ( अलका उन्माद से भर चुकी थी इसलिए अपने बेटे के कहने पर पेंटी उतारने के लिए तैयार हो गई, उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढेर था वह राहुल के सामने खड़ी होकर छत के ऊपर से ही चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली कर ली कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। पूरी तसल्ली कर लेने के बाद वह फिर पेंटी उतारने के लिए तैयार हो गई।

अलका पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी उसके बदन में अपने बेटे के सामने पेंटी उतारने की बात से ही गुदगुदी होने लगी थी। उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढेर था वह कहां धीरे-धीरे नीचे ले जाने लगी, राहुल की आंखों में वासना का नशा छाने लगा था,वह बहुत कामुक नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था। उसकी मा भी राहुल की तरफ देखते हुए एक हाथ घुटने तक ले जाकर झुकते हुए, धीरे धीरे उंगलियों से साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी। यह नजारा देखते ही राहुल के साथ ही तीव्र गति से चलने लगी उसके बदन में रोमांच की लहर दौड़ ने लगी। छत पर केवल राहुल ओर अलंका ही थै अंधेरा छाने लगा था कोई उन्हें छत पर देख भी ले ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं थी.। धीरे धीरे करके अलका ने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा दि,

गोरी गोरी नंगी टांगें देखते ही राहुल के लंड नें ठुनकी मारना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे अलका अपने बेटे के सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी वैसे वैसे उसकी सांसो का जोर बढ़ने लगा था। धीरे धीरे करके अलका हाथों मे कपड़े का ढेर लिए और एक हाथ से अपनी साड़ी को उठाते हुए साड़ी को जांघो के ऊपर तक सरका दी। साड़ी अब जांघो के ऐसे स्थान तक पहुंच गई थी कि जहां से उसकी पैंटी की किनारी दिखने लगी थी जिस पर राहुल की नजर जाते हैं उसका हाथ खुद ब खुद उसके टन टनाए हुए लंड पर चला गया जो कि इस समय पेंट के अंदर ही गदर मचाए हुए था। अलका भी अपने बेटे को इस तरह से पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलाते हुए देखकर चुदास के रंग में रंगने लगी। अलका का भी चेहरा उत्तेजना में तपकर लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था।अलका मुंह हल्का सा खुल चुका था वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अस्पताल वाली घटना को वह पूरी तरह से भूल चुकी थी विनीत का ख्याल उसके दिलों दिमाग से निकल चुका था इसलिए वह इतनी सहज और उत्तेजित नजर आ रही थी। वासना का रंग एक बार फिर से उसके ऊपर चढ़ने लगा था। वह साड़ी को वहीं पर रोक दी जहां से पेंटी की किनारी नजर आ रही थी उस गुलाबी रंग की पैंटी के किनारी को देखते ही राहुल के होश उड़ने लगे थे मदहोशी छाने लगी थी। उसके चेहरे पर उत्तेजना की लालीमा साफ नजर आ रही थी और अलका यही देखना ही चाहती थी। अलका साड़ी को थोड़ा और कमर तक उठा दी अब उसकी गुलाबी रंग की पेंटी पुरी तरह से साफ साफ नजर आने लगी । यह नजारा देख करके राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। अपने बेटे की यह तड़प देखकर अलका मन ही मन मुस्कुरा रही थी। अलका भी कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी अपनी पैंटी को उतारने के लिए वह पेंटिं के साथ-साथ अपनी बुर भी दिखाना चाहती थी। ऐसा भी नहीं था कि अलका पहली बार अपनी बुर के दर्शन अपने बेटे को करवा रही हो और ऐसा भी नहीं था कि राहुल पहली बार ही अपनी मां की बुर देखने जा रहा हो । इससे पहले भी यह दोनों सारी मर्यादा को लांघ कर एक हो चुके हैं। दोनों एक दूसरे के अंगों को देख चुके हैं सहला चुके हैं चुम चुके हैं सब कुछ कर चुके हैं। लेकिन फिर भी आज दोनों इस तरह से कामोत्तेजित हो चुके थे एक दूसरे के अंग को देखने दिखाने के लिए की ऐसा लग रहा था कि दोनों आज पहली बार एक दूसरे को ईस हाल में देख रहे हो।

गजब का नजारा बना हुआ था शाम ढल चुकी थी हल्का हल्का अंधेरा छाने लगा था राहुल और अलका दोनों छत पर थे। अलका के हाथों में कपड़ों का ढेर था और वह एक हाथ से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए थीऊसकी गोरी गोरी मांसल जांघें अंधेरे में भी चमक रही थी और उसकी छोटी सी गुलाबी रंग की चड्डी जिसे देखकर राहुल बेचैन हो जा रहा था वह बार बार पेंट के ऊपर से ही अपने टंनटनाए हुए लंड को सहलाए जा रहा था। तभी अलका जिस हाथ में कपड़ों का ढेर ली हुई थी उसी हाथ से साड़ी को थाम ली और दूसरे हाथ से अपनी पैंटी को नाजुक उंगलियों में उलझाकर नीचे की तरफ सरकाने लगी , जैसे ही अलका अपनी पैंटी को उंगलियों के सहारे नीचे सरकार ने लगी वैसे ही राहुल की सांसे भारी होने लगी उत्तेजना के मारे उसका बुरा हाल हो रहा था अपनी मां को अपनी पैंटी उतारते देख कर उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा। अलका अपने बेटे को तड़पाते हुए धीरे-धीरे अपनी पैंटी उतारने लगी। कभी इस साइड से पैंटी को थोड़ा नीचे सरकारी तो कभी दूसरे साइट पर इस तरह से करते करते वह अपनी पैंटी को जांघो तक सरका दी। अलका की बुर एकदम नंगी हो गई थी राहुल उसे देखते ही तड़प ऊठा और उसे छुने के लिए मचल रहा था। बुर पर हल्के हल्के बालो का झुरमुट स उग गया था, क्योंकि विनीत वाले हादसे के बाद से अलका ने उस दिन से अब तक एक बार भी क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ नहीं की थी। इसलिए एकदम तरोताजा दिखने वाली अलका की बुर इस समय हलके हलके बालों के झुरमुट से घिरी हुई देखकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन राहुल को अपनी मां की बुर पर यह हल्के हल्के बाल और भी ज्यादा कामुक्ता का एहसास दिला रहे थे। दोनों की हालत खराब हो जा रहे थे दोनों के मन की लालसा बढ़ती ही जा रही थी अलका नो धीरे से पेंटी को घुटनों के नीचे सरका दी, घुटनों के नीचे आते ही पेंटी खुद-ब-खुद पैरों में जा गिरी

इसके बाद पैंटी निकालने के लिए अलका को ज्यादा जहमत उठाना नहीं पड़ा वह पेंटी में से एक पैर को खुद ब खुद निकाल ली, लेकिन एक पैर में अभी भी उसकी पैंटी फसी हुई थी जिसे वह बिना निकाले ही बड़े ही कामुक अदा से अपना वह पैर हल्के से उठाकर राहुल की तरफ बढ़ा दी राहुल अपनी मां का यह ईसारा समझ गया और तुरंत अपनी मां की तरफ बढ़ा और अपने घुटनों के पास बैठकर अपनी मां के पैर में फंसी हुई उसके गुलाबी रंग की पैंटी को पकड़कर पेर से बाहर निकाल लिया। पेंटी को हाथ में लेते ही राहुल तुरंत पेंटी को अपने नाक से लगाकर सुंघने लगा, राहुल मस्त होकर अपनी मां की पहनी हुई पैंटी को सुंघने लगा। जिसे वह दिनभर पहने हुए थी, पेंटी जो कि हमेशा अलका की मादक खुशबू से भरी रसीली बुर से और उसकी भरावदार गांड से चिपकी हुई रहती थी। जिसकी मादक खुशबू उसकी पैंटी मे उतर आई थी। जिसे सुंघते ही राहुल मदमस्त हो गया। पैंटी की मादक खुशबू उसके नथूनों से होकर सीने में भरते ही उसके पूरे बदन में चुदास की लहर दौड़ने लगी। वह आहें भर-भर कर पैंटी को अपनी नाक और होंठो से रगड़ते हुए पेंटी की मादक खुशबू का मजा ले रहा था। राहुल को इस तरह से अपनी पैंटी सुंघते हुए देखकर अलका का भी मन बहकने लगा। उसने अब तक अपनी साड़ी को नीचे करने की शुध बिल्कुल नहीं ली थी। या जानबूझकर वह अपनी साड़ी को कमर से पकड़ी हुई थी’ ताकि राहुल की नजर उस पर भी बराबर बनी रहे।

दोनों के बदन मे ऊन्माद अपना असर दिखा रहा था। राहुल पैंटी को सुघते हुए रसीली बुर पर बराबर नजर गड़ाए हुए था। उसकी आंखों के सामने दुनिया की बेशकीमती चीज बेपर्दा थी भला वह उसे छूने की अपने लालच को केसे रोक सकता था इसलिए वह घुटनों पर चलते हुए अपनी मां की तरफ बड़ा और उसे अपनी तरफ बढ़ता हुआ देख कर अलका कसमसाने लगी। क्योंकि वह समझ गई थी कि अब राहुल क्या करने वाला है उसके बारे में सोचकर ही उसके पैरों में कपकपी सी होने लगी। और अलका के सोचने के मुताबिक ही राहुल हाथ में पैंटी लिए हुए ही उसकी जांघों को हथेली में दबोच कर अपनी नाक को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा। राहुल की हरकत कर अलका एकदम मस्त होने लगी ऊसके बदन मे सुरसुराहट सी होने लगी। अभी राहुल को पत्तियों के बीच नाक लगाएं उसकी मदद खुशबू को अपने अंदर खींचते कुछ सेकंड ही बीते थे कि वह झटके से जांघो को पकड़े हुए ही अपनी मां को दूसरी तरफ घुमा दिया और अलका अपने बेटे के इस हरकत पर गिरते गिरते बची हो तो अच्छा हुआ कि उसके हाथों में दीवार की किनारी आ गई लेकिन उस कीनारी को पकड़ते पकड़ते उसके हाथों से कपड़ों का ढेर नीचे गिर गया लेकिन कमर तक उठी हुई साड़ी नीचे नहीं गिरी राहुल आज कुछ और करना चाहता था। इस तरह से अलका को घुमाने से उसकी भरावदार नितंभ राहुल के आंखों के सामने हो गई और राहुल तुरंत अपनी मां की भरावदार गोरी गोरी और एकदम रुई की तरह नरम गांड की दोनो फांको को अपनी दोनों हथेलियों में दबोच कर फैलाते हुए फांको के बीच अपना मुंह सटा दीया। अपने बेटे की इस हरकत पर अलका पूरी तरह से गनगना गई। उसे समझ में नहीं आया कि राहुल कर क्या रहा है जब तक वह समझ पाती इससे पहले ही राहुल फांकों के बीच अपनी नाक सटाकर ऊसकी मादक खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा। अलका एकदम मदमस्त होने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा। उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

ससससहहहहहह….।राहुल …..

( अलका का इतना कहना था कि तभी सीढ़ियों के नीचे से सोनू की आवाज आई।)

सोनू की आवाज सुनते ही अलका पूरी तरह से हड़बड़ा गई, लेकिन राहुल अपने काम में डटे ही रहा ।वह अपनी मां की भरावदार गांड की दोनो फांकों को अपनी हथेलियों में दबोच कर अपना मुंह फांकों के बीच में डाल कर मस्त हुए जा रहा था उसे इस समय किसी की भी चिंता नहीं थी। उसे भी सोने की आवाज आई थी जोकि अलका को ढूंढ रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी इस मस्ती को खोना नहीं चाहता था उसके रग-रग में अलका की भरावदार गांड से आ रही मादक खुशबू दौड़ रही थी। अलका बार-बार अपने हाथ से राहुल के बालों को पकड़कर उसे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन राहुल था क्या अड़ा हुआ था। वह इस समय किसी भी कीमत पर अपनी मां की भरावदार नितंबों को छोड़ना नहीं चाहता था। क्योंकि इस समय उसे अपनी मां के नितंबों से बेहद आनंद कीे अनुभूति हो रही थी। एकदम रुई की तरह नरम-नरम भरावदार गांड ऐसे लग रही थी मानो कोई लचकदार तकिया हो। राहुल के इस हरकत से अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी, ओर ऊसकी बुर की धार पकड़कर मदन रस रिस रहा था। राहुल नरम नरम नितंबों को दबाते हुए गांड का मजा ले रहा था लेकिन तभी फिर से दोबारा सीढ़ियों के नीचे से आवाज आई।

मम्मी ओ मम्मी छत पर क्या कर रही हो?

( इस बार सोनु की आवाज सुनकर अलका पूरी तरह से घबरा गई वह राहुल को छोड़ने के लिए कहने लगी।)

राहुल छोड़ मुझे जाने दे सोनू मुझे बुला रहा है अगर कहीं वह ऊपर आ गया तो गजब हो जाएगा।( ऐसा कहते हुए वह अपने हाथ से राहुल को पीछे की तरफ ठेलने लगी। लेकिन राहुल था की छोड़ने से इंकार कर रहा था।)

मम्मी मुझे बहुत मजा आ रहा है आपकी मदद गांड की खुशबू मुझे मदहोश बना रही है।( ऐसा कहते हुए वह लगातार गांड की दरारों के बीच अपनी नाक रगड़े जा रहा था।)

मम्मी कितना समय लगा रही हो।( सीढ़ियों के नीचे से फिर से सोनू आवाज लगाया।)

बस राहुल मुझे अब जाने दे (इतना कहने के साथ ही अलका ने जोर से राहुल को पीछे की तरफ धकेला और राहुल भी अलका के इस धक्के से गिरते गिरते बचा, अलका राहुल की गिरफ्त से आजाद हो चुकी थी, और अपने कपड़े दुरुस्त करके नीचे गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी.। राहुल अपनी मां को ही देखे जा रहा था उसका हाल बुरा था उसके बदन में काम अग्नि की आग लपटे ले रही थी । अलका अपने कपड़े समेटकर जाने लगे जाते-जाते वह पीछे मुड़कर देखे उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैली हुई थी उसकी नजर राहुल के हाथ में जो कि अभी भी उसकी पैंटी थी उस पर गए और वह नीचे सीढ़ियों पर उतरने के लिए पांव रखते हुए बोली मेरे कमरे में आ जाना मेरी पैंटी लौटाने के लिए और इतना कहकर हंसते हुए चली गई। राहुल अलका को कातिल मुस्कान बिखेऱ कर जाते हुए देखता रह गया।

वह वहीं बैठा-बैठा खुश होने लगा क्योंकि आज दश पन्द्रह दिनों के बाद कुछ काम बना था उसे इस बात की खुशी होने लगी कि ईतने दिनों के बाद आज फिर से उसका काम बनता नजर आ रहा था।

अलका अपनी पैंटी वहीं छोड़ गई थी जोंकि राहुल के हाथों में थी। अलका इस समय

साड़ी के नीचे बिल्कुल नंगी थी। इसका एहसास होते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी उसके लंड में ऐठन बढ़ गया, और वह एक बार फिर से अपनी मां की पैंटी को नाक से लगाकर गहरी सांस लिया और फिर उसे अपने पैंट की जेब में रख लिया।

रसोई घर में खाना बनाते समय अलका का भी बुरा हाल था इसे भी बहुत दिनों के बाद उत्तेजना का एहसास हुआ था एक बार फिर से उसका मन मचल रहा था राहुल के लंड को लेने के लिए बहुत दिनों से उसकी बुर में उसके बेटे का मोटा लंड नहीं गया था जिसकी वजह से बुर की खुजली भी बढ़ती जा रही थी। वह रोटियां बनाते समय गर्म तवे को देख रही थी जिस पर रोटी रखते ही वह गरम होकर फूल जाती थी। मुझे इस बात का एहसास हो गया कि तवे की रोटी की तरह ही उसकी बुर का भी यही हाल था। क्योंकि इस समय वह भी गरम होकर फुल चुकी थी जिसका एहसास ऊसे बार-बार साड़ी के ऊपर से ही उस पर हाथ लगाने से हो रहा था। अलका का मन बहकनें लगा था। आज उसको राहुल के लंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही थी रोटी बनाते समय बार-बार उसे छत वाली घटना याद आ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसका इतना ज्यादा दीवाना हो चुका है। उस पल को याद करके वह रोमांचित हो उठती थी जब राहुल, अपना मुंह उसके भरावदार गांड की फांकों के बीच डाल कर उसकी मादक खुशबू का मजा ले रहा था। सारी घटनाओं को याद करके उसके बदन में कामाग्नि प्रबल होते जा रही थी उसकी बुर राहुल के लंड से चुदने के लिए तड़प रही थी क्योंकि जिस तरह की खुजली उसकी बुक में मची हुई थी उस खुजली को उसका बेटा ही मिटा सकता था।

खाना बनाने में भी उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था फिर जैसे तैसे करके वह रसोई का काम समाप्त की।

तीनों साथ में खाना खाने बैठे हुए थे। राहुल की जेब मैं अभी-भी अलका की पेंटिं थी , जिसे वह सोनू की नजर बचाकर अपने हाथ में लिया हुआ था अलका भी भोजन करते समय अपनी पैंटी को अपने बेटे के हाथ में देखकर गंनगना गई। और राहुल भी अपनी मां को ऊकसाते हुए उसे दिखा कर पैंटी को रह रहकर अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था। यह देख कर अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह जैसे तैसे करके भोजन ग्रहण के भोजन करने के बाद सोनू अपने कमरे में चला गया और राहुल भी अपने कमरे में जा रहा था की पीछे से उसे आवाज देते हुए अलका बोली।

बेटा मेरे कमरे में आकर वह दे जाना। ( इतना कहकर अलका मुस्कुराने लगी राहुल भी मुस्कुरा कर अपने कमरे में चला गया वह भी उत्सुक था अपनी मां के कमरे में जाने के लिए क्योंकि आज फिर से बिस्तर पर अपनी कला बाजिया दिखाना चाहता था वह तड़प रहा था अपनी मां की बुर में अपना लंड डालने के लिए। राहुल भैया अच्छी तरह से जानता था कि संभोग सुख का संतुष्टि भरा एहसास जो उसकी मां से मिलता था वह किसी से भी नहीं मिल पाता था। कमरे में जाते हुए उसके लंड में संपूर्ण तनाव बना हुआ था। यह तनाव को बने हुए आधे घंटे से ज्यादा हो चुका था लेकिन राहुल इतना ज्यादा उतेजित था की उसके लंड का तनाव थोड़ा सा भी कम नहीं हो रहा था।

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2 Comments

  1. Harikumar Zaa

    कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡

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