दोपहर में राहुल स्कूल से छुट़ कर अपने घर की तरफ जा ही रहा था कि तेजी से स्कूटी आकर रुकी और नीलू ने राहुल को स्कूटी पर बैठने के लिए बोली।
नीलू राहुल को अपने स्कूटी पर बैठाए बड़ी तेजी से चली जा रही थी। काफी दिन बीत चुके थे नीलू ठीक से राहुल से मिल नहीं पाई थी। इनदिनों दोनों की मुलाकात
कम ही होती थी नीलू की इच्छा यही रहती थी कि राहुल से जम के अपनी बुर की चुदाई करवाए क्योंकि जिस दिन से राहुल नीलु की बुर में अपना मोटा लँड डालकर उसे चोदा था उस दिन से नीलू उसके मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी लेकिन उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। क्योंकि राहुल अपनी मां में ही व्यस्त हो गया इसलिए उसे बाहर मुह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी लेकिन आज मौका देखकर नीलू उसे अपनी स्कूटी पर बैठा कर बड़ी तेजी से चली जा रहीे थीे रास्ते में राहुल उससे पूछ भी रहा था कि कहां चल रही हो नीलू कुछ बताओगी भी ।
तो नीलू उसे बस इतना ही जवाब देती थी।
सब कुछ बताऊंगी राहुल बस थोड़ी देर और।
थोड़ी ही देर में नीलू की स्कुटी एक रेस्टोरेंट के आगे रुकी । स्कूटी को पार करके नीलू उसे रेस्टोरेंट के अंदर ले गई और रेस्टोरेंट के कोने में खाली कुर्सी देख कर दोनों वहीं बैठ गए। कुर्सी पर बैठते ही तुरंत एक वेटर इन दोनों के पास आया और नीलू ने कुछ नाश्ता और दो कॉफी का ऑर्डर दे दिया। वेटर के जाने के बाद राहुल आश्चर्य के साथ नीलू से बोला।
नीलू मुझे यहां क्यों ले आई हो। आखिर बात क्या है?
( राहुल की बात सुनकर नीलू उसके सवालों का जवाब देते हुए बोली ।)
देखो राहुल मैं घुमा फिरा कर बातों को और उलझाना नहीं चाहती इसलिए साफ-साफ कहती हूं। ( इतना कह कर मेरे अपनी आंखों को गोल गोल घुमाते हुए )
देखो राहुल पिछले कुछ दिनों से ना जाने मुझे क्या होने लगा है सोते जागते हंसते बोलते हर जगह मुझे बस तुम्हारा ही चेहरा और तुम्हारा ही ख्याल आता है अब तो मुझे से एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता और तुम हो कि कुछ दिनों से मुझ पर ध्यान ही नहीं दे रहे हो राहुल मैं बस तुमसे इतना कहना चाहती हूं कि मुझे तुमसे प्यार हो गया आई लव यू.. आई लव यू राहुल मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती। ( नीलू एक सांस में सब कुछ कह चुकी थी राहुल के सामने अपने मन की बात बिना रुके एक सांस में बोल गई। नीलू की यह सब बातें सुन कर राहुल तो आवाक ही रह गया राहुल को तो समझ में नहीं आया कि वह क्या कहे जा रही है। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि एक बार पहले भी नीलू ने अपने घर पर उससे अपने प्यार का इजहार की थी लेकिन उस समय माहौल कुछ और था। जिस्मानी जरूरत को पूरा करते समय नीलु ने यह बात राहुल से की थी इसलिए राहुल ने उसकी बात का कोई मायने नहीं दिया था लेकिन इस समय नीलू सीरियस थी वह वाकई में राहुल से प्यार करने लगी थी लेकिन राहुल उसके इजहार का जवाब देने में असमर्थ साबित हो रहा था। वैसे तो राहुल जी नीलू को पसंद करता था नीलू उसे अच्छी लगती थी लेकिन उस से अब तक सीरियसली अपने प्यार का इजहार नहीं किया था। राहुल उसका इजहार सुनकर कशमकश में लगा हुआ था कि तभी वेटर आर्डर लेकर आ गया वह ट्रे से नाश्ता टेबल पर रखा और ट्रे से उठाकर दो कॉफी भी रख दिया और चला गया। तब तक ले लो राहुल को ही दे कर जा रही थी वह उसका जवाब जानना चाहती थी लेकिन राहुल को खामोश देख वह फिर से बोली।
राहुल मैंने तो अपने मन की अपने दिल की बात तुम्हें कह दि हूं और हां मुझे तुमसे ना सुनने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए सोच समझकर जवाब देना।
इतना कहने के साथ ही कॉफी से भरा हुआ मग उठाकर उसकी चुस्की लेने लगी। राहुल क्या जवाब दे उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था वह भी नीलू से प्यार का इज़हार करना चाहता था लेकिन उसके मन में ढेर सारी दुविधाएं भी चल रही थी उन्हीं का हल ढूंढ़ते हुए वह नीलु से बोला।
नीलू कोई पागल ही होगा जो तुम जैसी खूबसूरत लड़की का प्रपोजल ठुकराने की सोचेगा सच कहूं तो मैं भी तुमसे प्यार करने लगा हूं। लेकिन डरता हूं।
( चुस्की लेते हुए) डरते हो किससे डरते हो किस बात से डरते हो।
अपने आप से ही डरता हूं। नीलू यह मैं भी जानता हूं और तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि हम दोनों के बीच जो हैसियत की दीवार है वह बहुत ऊंची है जहां तक मैं शायद ना पहुंच पांऊ… तुम मुझसे प्यार करती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं लेकिन क्या तुम्हारे मां-बाप इस रिश्ते के लिए कभी राजी होंगे…. कभी नहीं होंगे। इसलिए मुझे डर लगता है।
( राहुल की बात सुनकर नीलू हंसने लगी और उसको हंसता हुआ देखकर राहुल बोला।)
हंस क्यों रही हो नीलू मेरा मजाक उड़ा रही हो।
नहीं राहुल मैं तुम्हारा मजाक उड़ाने के बारे में सोच भी नहीं सकती मैं तो तुमसे बेहद प्यार करती हूं मुझे हंसी आ गई तुम्हारी बात पर हां लेकिन जो तुम सोच रहे हो बिल्कुल सच भी है….( कॉफी का मग टेबल पर रखते हुए।) देखो राहुल मैं मेरे मां-बाप की एकलौती संतान हैं भगवान का दिया हुआ सब कुछ उनके पास है गाड़ी बंगला फैक्ट्री बैंक बैलेंस किसी बात की कमी नहीं है। और आज तक मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते आए हैं जिस चीज को हासिल करना चाहीे कर लीे मेरे मां बाप मेरी ही खुशी में अपनी खुशी ढूंढते हैं। इसलिए जब मैं तुम्हारे बारे में उन्हें बताऊंगी तो मेरी ख़ुशी की खातिर वह लोग कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे और मेरी यही ख्वाहिश है कि मेरी शादी जब भी हो तुमसे ही हो। ( नीलू ने फिर से कॉफी के मग को उठाकर अपने होठों से लगाते हुए एक लंबी चुस्की भरी और राहुल से बोली।)
हां अगर अभी भी तुम्हें कोई ऐतराज हो तो बता देना।( यह बात नीलू ने टोन मारने वाली अदा में बोली थी।) प्यार है या एतराज है।
( राहुल क्या कहते उसकी झोली में तो खुद ही एक गुलाब अपने आप गिरने के लिए तैयार था तो भला उसे क्या इनकार होता है वह भी हामी भर दिया। यह सोच कर कि आगे जो भी होगा देखा जाएगा। राहुल की हामि सुनकर नीलू बहुत खुश नजर आने लगी और राहुल को कॉफी पीने के लिए बोली। थोड़ी ही देर में दोनों ने कॉफी खत्म कर लिया , नीलू बिल पे करके राहुल के साथ बाहर आ गई। दोनों खुश नजर आ रहे हो नीलू ने राहुल को उसके चौराहे तक छोड़ कर वापस चली गई।
राहुल भाई बहुत खुश नजर आ रहा था उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी नीलू ऐसे भी बहुत ही खूबसूरत थी। लेकिन वह यह भी अच्छी तरह से जानता था कि नीलू से विनीत भी प्यार करता है और नीलू भी उससे प्यार करती थी। लेकिन आज सब कुछ बदल चुका था नीलू उससे प्यार करने लगीे थी। अपना पलड़ा भारी होता देख राहुल मन ही मन प्रसन्न हो रहा था।
राहुल इस समय तीन औरतों के बीच उलझा हुआ था एक तो उसकी मां और दूसरी वीनीत की भाभी और तीसरी नीलू । इस समय राहुल की पांचों उंगलियां घी मे थी ।उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा कि उसे तीन तीन औरतों का प्यार मिलेगा।
राहुल का लक ईस समय बुलंदियों पर था। अलका तो अपने बेटे की मर्दानगी पर फिदा हो चुकी थी रोज रात को अपने बेटे से अपना बदन रोंदवाने के बाद ही उसे नींद आती थी। अपने बेटे के रूप में उसे प्रेमी मिल गया था। जो कि रोज रात को उसे चोद कर उसकी प्यास के साथ-साथ अपनी भी प्यास बुझाता था।
तीनों औरतों का राहुल के साथ ईस तरह का लगाव रखने का बहुत बड़ा कारण राहुल की जबरदस्त ताकत से भरी उसकी मर्दानगी थी। ज्योति बिस्तर पर सबसे अलग साबित होता था विनीत की भाभी जोकि उसकी प्यास उसका देवर मतलब विनीत ही बुझाता था । और विनीत की भाभी भी अब तक विनीत से ही चुद कर संतुष्ट होती आ रही थी। लेकिन जिस दिन से उसने राहुल के लंड को अपनी बुर में ले कर चुदवाई उस दिन से वह राहुल की दीवानी हो गई राहुल को पाने के लिए वह भी दिन-रात उसी का ही सपना देखने लगी । नीलू भी राहुल से मिलने से पहले विनीत से ही प्यार करती थी और वह भी अपने बदन की प्यास विनीत से ही चुदकर बुझाती थी । लेकिन वह भी राहुल से चुदने के बाद ही असली लंड क्या होता है इस बारे में उसको एहसास हो गया और उस दिन के बाद से ही उस का झुकाव राहुल की तरफ बढ़ने लगा। नीलू तो राहुल से चुदवाने के बाद से ही उसकी काम भावना और भी ज्यादा प्रज्वलित हो गई थी। हर पल वह बस अपनी काम भावना को शांत करने में लगी रहती थी स्कूल से घर जाते ही बिना अपने यूनिफार्म उतारे हैं राहुल को याद करके अपने अंगो से खेलना शुरु कर देती थी। उसके दिलों दिमाग पर राहुल पूरी तरह से छा चुका था
राहुल जोकी तीन औरतों में उलझा हुआ था वह किसी के लिए भी किसी को भी छोड़ नहीं सकता था तीनों के प्रति उसका लगाव बराबर था। उसके मन में भी किसी के प्रति प्रेम के अंकुर नहीं फूटे थे बस यह सारा खेल अपनी जरूरतों को पूरा करना और एक दूसरे के प्रति आकर्षण भर ही था। तीनों औरतों और राहुल के बीच वासना का ही रिश्ता बना हुआ था चारों एक दूसरे से मिल कर अपनी प्यास बुझा रहे थे।
धीरे-धीरे वक्त के साथ दिन गुजरता गया और आखिरकार वह दिन भी आ गया जिसका राहुल बेसब्री से इंतजार कर रहा था आज रविवार का दिन था। विनीत की भाभी ने उसे दोपहर में आने का आमंत्रण दे चुके थे और राहुल अच्छी तरह से जानता था कि वहां जाने पर क्या क्या होने वाला है इसलिए उसके मन के सभी तार झनकने लगे थे। रविवार के दिन का पूरा प्रोग्राम फिक्स हो चुका था। इसके लिए वहं अपनी मम्मी से पढ़ाई करने जाने के बहाने पूरे दिन की इजाजत भी ले लिया था। वैसे तो अलका उसे रविवार के दिन जाने देना नहीं चाहती थी क्योंकि उसकी भी उमंगे उबाल मार रही थी।अलका भी रविवार का दिन राहुल के साथ बिताना चाहती थी लेकिन सवाल पढ़ाई का था इसलिए उसे जाने की इजाजत दे दी थी। अलका शनिवार की रात से ही बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह रविवार की पूरी छुट्टी को बस अपनी बुर के नाम कर देना चाहती थी। आज दिन भर राहुल के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवाना चाहती थी, इसलिए वह पूरी तैयारी करते हुए सुबह में ही बाथरूम में नहाते समय फिर से क्रीम लगा कर अपनी बुर को चिकनी कर ली थी।
लेकिन नहाने के बाद जैसे ही वह रसोई घर में नाश्ता तैयार करने के लिए आई कुछ देर बाद ही राहुल पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में भरते हुए पढ़ाई करने के लिए दोस्त के वहां जाने की इजाजत मांग लिया। और अलका भी पढ़ाई के वजह से उसे जाने की इजाजत देते हुए मन मसोसकर रह गई।
समय से एक घंटा पहले ही राहुल पढ़ाई के बहाने विनीत की भाभी के घर की ओर निकल गया था और दूसरी तरफ धीरे-धीरे सोनू को बुखार चढ़ने लगा था। अलका सोनू के माथे पर गीली पट्टीयां रख रख कर उसका बुखार कम करने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन नाकाम रही उसका बुखार था कि बढ़ता ही जा रहा था। अब अलका की परेशानी बढ़ने लगी थी राहुल भी घर पर नहीं था ऐसे अकेले में उसका दिल घबराने लगा था। सोनू था कि बुखार से कहरने लगा था। अलका अलका अच्छी तरह से समझ गई थी कि जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी इसलिए वह अकेले ही सोनू को लेकर अस्पताल की तरफ जाने लगी। अलका बहुत ही हडबड़़ाहट में चली जा रही थी। उसके पास पैसे कम थे इसलिए उसकी ओर चिंता बढ़ गई थी। चौराहे से आगे गई ही थी की बाइक लेकर वहीं से गुजरते हुए विनीत में अलका को देख लिया और भाई घुमाकर ठीक उसके सामने आकर रुका।
कहां है आंटी जी आप तो आकर मुलाकात ही नहीं हो पा रही है।
मैं वह सब बाद में बताऊंगी वीनीत इस समय मेरे बेटे की तबीयत खराब है उसे अस्पताल लेकर जा रहीे हुं।
( मौके की नजाकत को समझते हुए राहुल झट से बोला।)
आइए बैठिए आंटी जी मैं भी साथ चलता हूं।
( अलका को विनीत की यह बात ठीक हीं लगी क्योंकि वैसे भी अकेले वह परेशान हो जाती , इसलिए सोनू को बिठाकर वह खुद भी बाइक पर बैठ गई और वीनीत बाइक को अस्पताल की तरफ भगाने लगा।)
थोड़ी ही देर में राहुल विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। कमरे के अंदर विनीत की भाभी के साथ जो जो होना था उसके बारे में सोच-सोच कर ही उसके बदन में गुदगुदी सी हो रही थी। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अंदर क्या होने वाला है और उसे क्या करना है राहुल दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बेल बजा दिया और धड़कते दिल के साथ दरवाजे पर खड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो राहुल विनीत की भाभी को देखकर दंग रह गया जो कि बस हल्का सा ही दरवाजा खोलकर बाहर कौन खड़ा है इसकी तसल्ली कर रही थी लेकिन फिर भी इतने से ही राहुल को बहुत कुछ दीख गया था। वीनीत की भाभी इस समय सिर्फ एक सवाल ही लपेटे हुई थी और उसके बदन पर कुछ भी नहीं था पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद राहुल को दरवाजे पर देखकर उसने तुरंत दरवाजे को खोलकर और मुस्कुराते हुए उसे कमरे में आने को कही। कमरे में प्रवेश करते ही चल पूरी तरह से राहुल की नजर विनीत की भाभी पर पड़ी तो उसके पूरे बदन में हलचल सी मचने लगी । उस दिन की तरह आज भी विनीत की भाभी सीधे बाथरूम से ही आ रही थी उसके गोरे बदन पर टावल लिपटी हुई थी । इस बार भी पहले की ही तरह टावल में देखकर राहुल बोला।
भाभी ऐसा क्यों होता है कि जब भी मैं आपके घर आता हूं आप हमेशा टावल में ही रहती हैं।
( राहुल की बात सुनकर वह हंसने लगी और हंसते-हंसते बोली।)
तो क्या टावल मे मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूं? ( थोड़ा नखरा दिखाते हुए कमर पे अपने हाथ रख दी।)
नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आप तो हमेशा खूबसूरत लगती हो चाहे जैसी भी रहो।
चाहे जैसी भी रहती हूं मतलब! मैं क्या नंगी घूमती रहती हूं। ( यह बात कहने के साथ ही वह अपनी नजरों को गोल गोल घुमाने लगे राहुल उसके मुंह से नंगी सब्द सुनकर उत्तेजना से भर गया और विनीत की भाभी ने ऐसे शब्दों का उपयोग जानबूझकर कि थीे वह उसे उकसाना चाह रहीे थी। )
( हड़बड़ाते हुए) नहीं भाभी मेरा यह कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस यही कहना चाह रहा था कि आप जैसे भी रहती हो चाहे कुछ भी पहनती हो आपकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं।
( राहुल के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह खुश होने लगी आज कई दिनों बाद फिर से ऊसके बदन मे ऊन्माद की लहर ऊठ रही थी। यह भी राहुल की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी हालांकि अपने देवर से रोज ही चुदती थी लेकिन जो मजा राहुल देता था वैसा मजा विनीत के बस में नहीं था इसलिए तो वह हमेशा राहुल के लिए तड़पती रहती थी। जिस दिन से राहुल विनीत के घर आने का आमंत्रण पाया था और आमंत्रण पाते हैं विनीत की भाभी से मिलने के लिए बेकरार हुआ जा रहा था उसी तरह से वीनीत की भाभी भी आमंत्रण देने के बाद इस पल के इंतजार में ना जाने कितनी बार अपनी बुर को गीली कर चुकी थी। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी। राहुल एकटक विनीत की भाभी को देखे जा रहा था ऊपर से नीचे तक देखने पर उसकी आंखों में खुमारी का नशा छाने लगा था उसके दिल की धड़कने पल पल बढ़ती जा रही थी राहुल की नजर खास करके उस जगह पर सबसे ज्यादा फिर रही थी, जिस जगह पर विनीत की भाभी ने टॉवल को आपस में बांधे हुए थी, क्योंकि जिस जगह पर टावल बांधी हुई थी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर ही झलक रही थी। और उसकी बीच की लकीर इतनी ज्यादा गहरी थी कि उस गहराई मे ऊसका लंड. आराम से ऊतर सके। विनीत की भाभी यह अच्छी तरह जानती थी कि राहुल क्या देख रहा है इसलिए वो जानबूझकर गहरी सांस लेते हुए अपनी चुचियों को और ज्यादा उभार दी। उसकी यह हरकत पर तो राहुल की सांस ही अटक गई उसके पेंट में तुरंत तंबू बनना शुरु हो गया। जिस पर वीनीत की भाभी की नजर चली गई। और पेंट में बने तंबू को देख कर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी। वह चाहती तो तुरंत उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का आनंद ले सकती थी लेकिन. इस तरह की जल्दबाजी दिखाने में उतना मजा नहीं आता। जब आम पूरी तरह से पक जाए तभी उसे खाने में आनंद और तृप्ति का अहसास होता है । इसलिए वह यही चाहती थी कि दोनो की ऊत्कंठा ओर कामोत्तेजना पुरी तरह से प्रबल हो जाए तभी अपनी कामेच्छा की प्यास बुझाने में आनंद की प्राप्ति होगी इसलिए वह धीरे-धीरे बढ़ना चाहती थी। राहुल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया था। वह भी अच्छी तरह जानता था कि विनोद की भाभी की नजर बार बार पेंट में बने उसकी तंबू पर ही जा रही थी और इसका एहसास ही उसको कामोत्तेजना का आनंद दे रहा था । पिछले कुछ दिनों में
राहुल की परिपक्वता बढ़ चुकी थी इसलिए वह विनीत की भाभी से अपने पैंट का उभार छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था। वीनीत की भाभी भी अपने बदन की नुमाइश करते हुए टावल में ही उसके सामने खड़ी रही वैसे भी एक दूसरे से कुछ छुपाने के लिए बाकी था ही नहीं, कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे को निहारते रहे दोनों के आकर्षण का केंद्र बिंदु वासना ही था लेकिन दोनों की नजरिया में वासना का रूप बदल चुका था राहुल उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को निहार रहा था तो विनीत की भाभी उसके पैंट में आए भयानक उभार को निहार कर अपनी बुर गीली कर रही थी।
दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही दोनों ड्राइंग रूम में एक दूसरे के बदन को नजरों से टटोल़ रहे थे। दोनों के बीच आई खामोशी को तोड़ते हुए राहुल बोला।
भाभी विनीत कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।
( राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि वीनीत ईस े समय घर पर नहीं है वह तो बातों के दौर को शुरू करने के लिए बस यूं ही बात छेंड़ दिया था। राहुल की बात सुनते ही विनीत की भाभी के चेहरे पर कामुक मुस्कान पैर में लगी और वह अपने होठों को हल्के से दांतों से दबाते हुए कमर मटकाते हुए राहुल की तरफ आगे बढ़ी और जैसे ही उसके बिल्कुल करीब पहुंची तो एक हाथ उसकी कमर में डालते हुए तुरंत उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपने बदन से सटा लीे ओर कामुक अंदाज में उसके कानों में होठो को ले जाकर बोली ।)
राहुल तुम अच्छी तरह से जानते हो कि विनीत इस समय घर पर नहीं है और तभी मैं तुम्हें यहां पर बुलाई हूं
और यह भी तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि तुम्हें क्या करना है और किसलिए तुम्हें बुलाई हूं (इतना कहने के साथ ही उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर राहुल की लंड को पेंट के ऊपर से ही दबोच ली, ऐसा करने पर राहुल के मुंह से हल्की सी आह निकल गई। और वहां और भी ज्यादा कामुक अंदाज में और धीरे से फुसफुसाते हुए बोली।) राहुल विनीत को मैंने ऐसे काम के लिए भेज दी हूं कि वह तीन-चार घंटे से पहले नहीं आएगा, ( इतना सुनते ही राहुल विनीत की भाभी की तरफ आश्चर्य और मुस्कुराहट के साथ देखने लगा और तभी वीनीत की भाभी ने अपनी हथेली का दबाव राहुल के लंड पर बढ़ाते हुए तुरंत अपने तपते होठों को राहुल के होठो पर रखकर उसके होठों को चूसने लगी। राहुल भी जेसे इसी पल का इंतजार कर रहा था और मौका मिलते ही वह भी अपने दोनों हाथ को विनीत की भाभी के पीछे ले जाकर उसकी कमर में डालकर अपने बदन से और ज्यादा सटा दिया और उसके गुलाबी होठों को चूसना शुरू कर दिया। दोनों एक दूसरे को होठों को इस तरह से चूस रहे थे कि मानो उन्माद में आकर कहीं एक दूसरे के होठों को काट ना ले , राहुल का तंबू विनीत की भाभी की जांघों के बीचोंबीच टावल के ऊपर से ही उसकी बुर की मुहाने पर दस्तक दे रहा था। जल की कठोरता का अहसास विनीत की भाभी को होते हैं वह और जोर से राहुल को अपने बदन पर सटा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने अंदर ही उसे उतार लेगी।
दोनो ड्राइंग रूम के बीचो-बीच खड़े-खड़े ही एक दूसरे मे गुत्थमगुत्था हुए जा रहे थे। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी। राहुल के दोनों हाथ उसकी कमर से होते हुए नीचे नितंबों पर पहुंच गए थे और वह उन्हें अपनी हथेलियों में भर भर के टॉवल के ऊपर से ही दबाने का सुख भोग रहा था। अपने नितंबों पर राहुल के दोनों हथेलियां कसते ही विनीत की भाभी ने राहुल की पेंट की चेन खोलना शुरू कर दि। तब तक राहुल टॉवल को हथेलियों का सहारा लेकर कमर तक उठा दिया और अपने दोनों हथेलियों को भाभी की नंगी गांड पर रखकर उसे दबोचने लगा। राहुल की इस हरकत पर विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ने लगी थी। और वह अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए राहुल के होठों को अपने दांतो तले दबा रही थी और धीरे-धीरे उसकी पेंट की चेन खोल चुकी थी। चेन के इर्द-गिर्द उंगलियों का स्पर्श होते ही उसे लंड के कड़क पन का एहसास होने लगा था। अपनी उंगलियों पर लंड के कड़क पन का एहसास होते ही उसकी बुर कुलबुलाने लगी। राहुल तो उसकी भरावदार गांड को मसलते हुए मदहोश हुआ जा रहा था। दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ उतार दे रहे थे जिससे दोनों के थुक और लार सब कुछ एक दूसरे के मुंह में आदान प्रदान हो रहे थे।
विनीत की भाभी से अपने आप को बिल्कुल संभाले नहीं जा रहा था वह चेन खोलकर उस के तने हुए लंड को उस चेन वाली छोटी सी जगह से निकालना चाहती थी लेकिन राहुल का लंड ज्यादा तगड़ा मोटा और लंबा था ऊस छोटी सी जगह से जिसका तनाव की स्थिति में बाहर निकाल पाना असंभव सा हो रहा था इसलिए विनीत की भाभी ने तुरंत ऊपर से पेंट के बटन को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दी , राहुल तो उसकी गुलाबी होठों और उसकी भरावदार गांड पर ही मशगुल था। विनीत की भाभी तो अंडर वियर में तने हुए उसके लंड को देखकर एकदम से तड़प उठी उसे से यह तड़प बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। विनीत की भाभी विनीत के साथ इतनी जल्दी उत्तेजित नहीं होती थी जितनी जल्दी वह राहुल के साथ हो गई थी। उसे खुद अपने आप पर आश्चर्य हो रहा है इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी कि उससे रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत राहुल के होठों से अपने होठ को अलग करते हुए थोड़ा सा े पीछे की तरफ कदम बढ़ाए और उसके आंखों में झांकते हुए मदहोशी के साथ अपनी टावल को खोलने लगी राहुल ऊसकी यह अदा देखकर एकदम से कामविह्वल हुए जा रहा था।
और विनीत की भाभी राहुल की काम भावना को और ज्यादा भड़काते हुए अगले ही पल अपनी टॉवल को खोलकर एकदम नंगी हो गई राहुल की नजर सीधे उसकी बड़ी बड़ी और तनी हुई गोल चुचियों से होती हुई चिकने पेट से सरकते हुए जांघों के बीच की उस पतली दरार पर गई जो कि ईस समय एकदम विनीत की भाभी के गाल की तरह ही चिकनी थी, शायद कुछ देर पहले ही उसने बाथरूम में क्रीम लगा कर बालों को साफ की थी राहुल को देखते ही रह गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और अंडर वियर में लंड का तनाव और ज्यादा उभरने लगा था। राहुल की नजर तो बुर पर गड़ी की गड़ी रह गई। राहुल से रहा नहीं जा रहा था और वह अंडरवियर के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में दबोच लिया यह देखकर विनीत की भाभी के भी मुंह से गरम आह निकल गई।
विनीत की भाभी अपने बदन से टावल को निकाल कर सोफे पर फेंक दी और मस्तानी अदा में अपने घुटनों के बल बैठ गई राहुल विनीत की भाभी को ही घूरे जा रहा था और विनीत की भाभी थी कि अपने गुलाबी रसीली होठों पर अपनी जीभ फेरते हुए अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों से राहुल की अंडर वियर के दोनों छोर को पकड़ ली। और राहुल की आंखों में झाकते हुए धीरे धीरे अंडरवियर को नीचे सरकाने लगी , राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। उसके सामने बला की खूबसूरत सेक्सी भाभी बिल्कुल नग्न अवस्था में घुटनों के बल बैठी हुई थी। अगले ही पल विनीत की भाभी ने अंडर वियर को राहुल की जान हो तक सरका दी अंडरवियर के कैद से आजाद होते हैं राहुल का टनटनाया हुआ लंड हवा में लहराने लगा जिसको देखकर विनीत की भाभी का धैर्य जवाब देने लगा। ऐसे भी पहले से ही लंड देखकर ही विनीत की भाभी के मुंह में पानी आ जाता था और यहां तो एक दमदार तगड़ा मोटा और लंबा लंड था इसको देख कर तो विनीत की भाभी को मुंह के साथ साथ ऊसकी रसीली
बुर मैं भी पानी आ गया था। राहुल की सांसे इतनी तेज चल रही थी की वह नाक की बजाए मुंह से सांसो को अंदर बाहर कर रहा था। विनीत की भाभी की भी हालत खराब हो रही थी उसने तुरंत राहुल के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी ऊसका लंड मोटे लकड़े की तरह वजनदार लग रहा था। जिसका एहसास उसके पूरे बदन में रोमांच भरा रहा था राहुल कुछ सोच पाता ईससै पहले ही विनीत की भाभी ने लंड के सुपाड़े को आइसक्रीम कौन की तरह अपने मुंह में भर लि और उसे लॉलीपॉप की तरह जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। इससे राहुल के बदन में झनझनाहट सीे फैल जा रही थी। राहुल को विनीत के भाभी के द्वारा लंड चाटने की कारीगरी खूब भाती थी। विनीत की भाभी धीरे-धीरे करके राहुल का पूरा लंड गले तक ले ली और खूब मजे ले लेकर चारों तरफ जीभ घुमा कर चाट रही थी जब जब उसकी जीभ लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द नाचती तो उसके पूरे बदन में सनसनी सी मच जाती थी। राहुल वीनीत की भाभी के रेशमी गीले बालों में अपनी उंगलियां उलझाकर हल्के-हल्के उसके मुंह में धक्के लगाना शुरु कर दिया था या यूं कहो कि उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था। दोनों को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी पूरे घर में सिर्फ वीनीत की भाभी और राहुल ही थे जोकि इस समय मजा लूट रहे थे। जब-जब वीनीत की भाभी लंड को अपने गले तक लेती थी तो घघघघघघघघ…… की आवाज उसके गले से आती थी उसकी सांसे घुटने लगती थी लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी चेष्टा नहीं करती थी उसे इस तरह से ही लंड चाटने में बेहद आनंद मिलता था। कुछ देर यूं ही राहुल का लंड चाटने से उसकी काम भावना और ज्यादा प्रज्वलित हो गई लंड के कड़कपन को वह अपनी रसीली बुर के दीवारों पर महसूस करना चाहती थी अपने बुर की दीवारों को वह राहुल के लंड से रगड़वा देना चाहती थी।
इसलिए वह राहुल का लंड उसके मुंह में ही पानी की पिचकारी छोड़ दें इससे पहले ही उसने लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी। उसकी बुर उत्तेजना बस तवे पर जिस तरह से रोटी गरम हो कर फूलती है उसी तरह से गरम होकर फुल चुकी थी। विनीत की भाभी खड़ी हो चुकी थी उसे याद अगले मुठभेड़ का बेसब्री से इंतजार था राहुल से चदवाने की तमन्ना में वह अपनी हथेली से अपनी बुर को रगड़ने लगी राहुल उसे इस तरह से अपनी बुर को रगड़ते हुए देख कर गर्म आहें भरने लगा उसे भी जल्दबाजी थी अपने खड़े लंड को उसकी रसीली बुर में डालने की। इसीलिए वह भी खुद विनीत की भाभी को देखते हुए अपने लंड को मुठ्ठीयाने लगा। दोनों एक दूसरे में उतरने के लिए बेताब हुए जा रहे थे। विनीत की भाभी इतनी जल्दी चुदवाना नहीं चाहती थी लेकिन राहुल के खड़े लंड को देखकर उसके सब्र का बांध टूट चुका था उसे अब अत्यधिक जल्दी पड़ी थी लंड को अपनी बुर में डलवाने की, इसलिए वह राहुल से बोली।।
राहुल आज मुझे मस्त कर दे, ऐसा चोद मुझे कि मेरी चीख निकल जाए और तू मेरे दर्द की बिल्कुल भी परवाह मत करना बस अपने लंड को सटासट अंदर बाहर करते रहना मुझे चोदकर एकदम मस्त कर दे मैं तेरे लंड की प्यासी हूं। तेरे मोटे लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी प्यास बुझा दे। ( इतना कहने के साथ ही वह सोफे की तरफ बढ़ी और सोफे पर अपने दोनों हाथ को टिका कर अपनी भरावदार गांड को राहुल की तरफ उचका दी, राहुल के लिए विनीत की भाभी का यह इशारा काफी था वह समझ गया था कि अब उसे क्या करना है। ड्राइंग रूम का नजारा बडा ह़ी कातिलाना लग रहा था विनीत की भाभी की भरावदार नंगी गांड राहुल के कलेजे पर छुरियां चला रही थी। अपने घुटनों में अटकी हुई पेंट और अंडर वियर को वह तुरंत उतार फेंका और हाथ में लंड को हिलाते हुए सीधे विनीत की भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। दिनेश की भाभी पीछे ही आंखें गड़ाए हुए थे राहुल के हर एक हरकत पर उसकी नजर थी उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राहुल के उसकी गांड पर हाथ रखते ही उसे पता चल गया था कि बुर और लंड के बीच की दूरी दो तीन अंगूल की ही थी। जोकि अगले ही पल लंड के सुपाड़े को बुर की गुलाबी छेद पर टीकाते ही वह दूरी भी खत्म हो गई। बुर पहले से ही अध्यतिक गीली थी जिससे लंड का मोटा सुपाड़ा धीरे-धीरे बुर की गहराई में उतरने लगा थोड़ी ही देर में राहुल का आधा लंड उसकी रसीली बुर में उतर चुका था। उत्तेजना के मारे विनीत की भाभी की टांगे कांप रही थी। राहुल उसकी कमर को दोनों हाथों से कस के थामे हुए था। राहुल का जोश जब जब वह अपनी नजर को उसकी भरावदार गांड की तरफ घुमाता तो दुगुना हो जाता था। अगले ही पल राहुल ने उसकी कमर को और ज्यादा कस के पकड़ लिया और ईतना तेज धक्का लगाया कि वह गिरते गिरते बची वह तो अच्छा था कि वह कमर से उसे कस के पकड़े हुए था। वरना विनीत की भाभी आगे को लुढ़क जाती। लेकिन इस जबरदस्त धक्के से उसके गले से चीख निकल गई क्योंकि राहुल का पूरा लंड उसकी बुक की गहराई में उतर चुका था और लंड के सुपाड़े का धक्का का सीधा उसके बच्चेदानी में लगा था जिसकी वजह से उसके मुंह से कामुक चीख निकल गई ।
डिलीट की भाभी के मुंह से गरम गरम सिसकारी निकल रही थी जिसकी आवाज सुनकर राहुल बेचैन होने लगा और उसकी कमर को थाने अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा उसका मोटा लंड उसके नमकीन रस मे सना हुआ अंदर बाहर होने लगा। थोड़ी ही देर में राहुल अपने लय के साथ विनीत की भाभी की चुदाई करना शुरु कर दिया। कुछ महीनों में ही राहुल विनीत की भाभी के द्वारा सिखाए गए इस कला में पूरी तरह से पारंगत हो चुका था। वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका शिष्य चुदाई की कला में निपुण होता जा रहा है वह हर तरह से उसे संतुष्ट करने में पूरी तरह से समर्थ था। खास करके जब वह पीछे से ऊसे चोदता है तब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ उसके पसीने छूट जाते थे। वह एकदम से कपकपा जाती थी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि विनीत जब भी उसे पीछे से चोदता है तो बार बार उसका लंड बुर के बाहर निकल जाता था लेकिन राहुल का लंड बिना बुर के बाहर निकले बुर को रगड़ते हुए चुदाई करते रहता था।
दोनों को मजा आ रहा था राहुल के हर ठाप पर विनीत की भाभी का पूरा बदन कांप उठता था। पूरे ड्राइंग रूम में सिसकारी की आवाज गुंज रही थी। थोड़ी ही देर में दोनों का बदन अकड़ने लगा और विनीत की भाभी के साथ साथ राहुल भी सिसकारी लेते हुए एक साथ झड़ने लगे। राहुल विनीत की भाभी की नंगी पीठ पर सिर टीताए अपने लंड की एक-एक बूंद को उसकी बुर में उतारने लगा ‘ विनीत की भाभी भी भलभला कर झड़ी थी इसलिए दोनों का काम रस बुर से बाहर टपक रहा था। दोनों संतुष्ट हो चुके थे।
और दूसरी तरफ विनीत अलका और सोनू को लेकर अस्पताल पहुंच चुका था वहां सोेनु का इलाज शुरू हो चुका था। विनीत डॉक्टर की लिखी हुई हर दवा को खुद ही जाकर अपने पैसे से खरीद कर ले आता। दवा में काफी पैसे लग चुके थे और इतने पैसे तो अलका भी लेकर नहीं गई थी वह मन ही मन वीनीत को धन्यवाद देने लगी। विनीत ने एक बार भी अलका से पैसे के बारे में कोई भी बात नहीं किया था। सोनू का बुखार उसके सर पर चढ़ चुका था उसे बोतल का पानी चल रहा था और डॉक्टर ने दिलासा देते हुए यह कहा था कि दिमाग में बुखार चढ़ चुका है इसलिए उतरने में समय लगेगा इसलिए आज के दिन सोनू को अस्पताल में ही रहना पड़ेगा। अस्पताल में 1 दिन रुकने की बात पर अलका का मन घबराने लगा क्योंकि वह जानती थी कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह अस्पताल का बिल चुका सके वह तो यह सोच कर आई थी कि दवा देने पर ठीक हो जाएगा। शायद अलका की इस परेशानी को विनीत भाप चुका था इसलिए वह अलका को दिलासा देते हुए बोला।
आंटी जी आप चिंता मत करिए मैं हूं ना तो घबराने की कोई बात नहीं है।
( विनीत की यह बातें अलका को हिम्मत दिलाने के लिए काफी थी वह अस्पताल में विनीत के ही सहारे रुकी हुई थी। और दूसरी तरफ राहुल और दिनेश की भाभी दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में सोफे पर आराम से बैठे हुए थे राहुल उसकी चिकनी जांघों को सहला रहा था और विनीत की भाभी उसके ढीले पड़े लंड पर हल्के हल्के उंगलियां फिरा रही थी।
अलका बहुत परेशान नजर आ रही थी उसके बगल में विनीत बैठा हुआ था अलका मन ही मन विनीत का शुक्रिया अदा कर रही थी, क्योंकि वह जानती थी कि अगर एन मौके पर विनीत उसके साथ अस्पताल ना आया होता तो आज बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ता है उसे। विनीत बिना हिचकिचाएं अस्पताल का सारा खर्चा अपनी जेब से ही चुकाता रहा है एक बार भी उसने अलका से पैसे के बारे में जिक्र तक नहीं किया।
अलका वीनीत को एक अच्छा और संस्कारी लड़का मानने लगी थी। उसके इस एहसान की वजह से अलका विनीत के पहले की गलतियों को भुला चुकी थी जब वह उसके बदन से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहा था इस समय वह उसे अच्छा लड़का और संस्कारी लगने लगा था। सोनू के बेड के बगल में दोनों बैठे हुए थे सोनू अपने अंदर बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए उसकी आंखें बार बार खुलती और बार-बार बंद हो जाती। अलका की नजर बार बार बोतल में से टपक रहे एक एक बूंद ग्लूकोज के पानी पर ही टिकी हुई थी।
विनीत बेफिक्र होकर दवा पर पैसे खर्च कर रहा था। लेकिन इसके पीछे उसके मन का स्वार्थ छिपा हुआ था वह किसी भी हालत में किसी भी कीमत पर अलका को भोगना चाहता था उसके मदमस्त बदन के रस को चूसना चाहता था। उसे पूरा विश्वास है कि उसका यह स्वार्थ उसके लालसा जरुर पूरी होगी लेकिन कब पूरी होगी कौन सी जगह पूरी होगी इस बारे में वह नहीं जानता था लेकिन अलका इस बात से पूरी तरह से अनजान थी वह तो उसकी मदद के पीछे मानवता को कारण समझती थी लेकिन बात कुछ और ही थी। धीरे-धीरे समय गुजर रहा था संध्या हो रही थी सूरज की लालिमा अपनी किरणों को बिखेरते हुए दूर कहीं आसमान में ढलने की फिराक में था। अलका बार-बार सोनू के माथे पर अपना हाथ रख कर उसका बुखार जांचने की कोशिश करती लेकिन बुखार ज्यों का त्यों बना हुआ था। अलका की चिंता बढ़ती जा रही थी लेकिन बीच-बीच में दिनेश अलका को दिलासा देते हुए सब कुछ ठीक हो जाएगा ऐसा कहकर हमेशा सांत्वना देता रहता था।
दूसरी तरफ राहुल और वीनीत की भाभी यह दोनों ड्राइंग रूम में संपूर्ण नग्नाअवस्था में सोफे पर बैठे हुए थे। क्या हुआ धीरे धीरे उसकी चुचियों से खेल रहा था जो की उत्तेजना के कारण उसके निेप्पले एकदम कड़क हो चुकी थी। विनीत की भाभी को राहुल की हरकत पर मजा आ रहा था वह रह रह कर अपने अंगूठे और अंगुली के बीच में निप्पल को दबा देता जिससे विनीत की भाभी कराह उठ़ती थी। वीनीत की भाभी राहुल के ढीले लंड पर उंगलियां फिरा फिरा कर उसे तनाव में ला चुकी थी जोकी राहुल की जांघो के बीच में एकदम डंडे की तरह खड़ा था। जिसके सुपाड़े पर वीनीत की भाभी अपना अंगूठा बार-बार दबाकर उसकी ओर खुद की उत्तेजना बढ़ा रही थी।
विनीत की भाभी राहुल की ताकत को देखकर फिर से आश्चर्यचकित हुए जा रहे थे क्योंकि अभी पांच सात मिनट पहले ही राहुल ने अपने दमदार तगड़े लंड से उसकी बुर की चुदैई कर करके बुर की नसों को ढीला कर दिया था और साथ ही उसकी भी लंड की नशे ढीली हो गई थी लेकिन सात आठ मिनट के अंदर ही फिर से उसकी लंड की नसों में खून का दौरा तीव्र गति से होने लगा था और इस बार उसका लंड पहले से भी ज्यादा भयानक लग रहा था।
राहुल के लंड के कड़कपन को देख कर एक बार फिर से उसकी बुर कुल बुलाने लगी और वह हाथ आगे बढ़ाकर लंड को अपनी हथेली में दबोच ली और उसे आगे पीछे कर के मुठीयाते हुए बोली।
वाह राहुल मुझे तुम्हारी ताकत पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है।
( राहुल को बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि विनीत की भाभी क्या कहना चाह रही थी, इसलिए आश्चर्यचकित हो कर उसकी चुचियों को एक हाथ में भरकर दबाते हुए बोला।)
क्या हो सकता है भाभी मैं कुछ समझा नहीं।
( लंड को ते हुए )यही कि अभी अभी कुछ मिनट पहले ही भलभलाकर मेरी बुर में झड़े हो और उसके बावजूद भी बस पांच सात मिनट के अंदर ही तुम्हारा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया है। वाह मान गए तुम्हारी ताकत को( राहुल अपने लंड की तारीफ वीनीत की भाभी के मुंह से सुनकर गदगद हो रहा था।)
अच्छा यह बताओ तुम इसे ताकतवर बनाने के लिए इस पर तीर कि मालिश करते हो या ऐसे ही कुदरती है। ( उत्तेजना वश अपनी हथेली में लंड को कसके दबाते हुए।)
( भाभी की बात सुनकर राहुल शर्मा गया लेकिन फिर भी शर्माते हुए बोला।)
नहीं भाभी यह तो कुदरती ही है मैं कभी भी इस पर किसी चीज की भी मालीश नहीं करता। लेकिन भाभी आप कैसे कह सकती हैं कि यह ताकतवर है।
( अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए )तुम नहीं समझोगे क्योंकि मैं जानती हूं एक बार चुदाई करके झड़ने के बाद दोबारा खड़ा होने में अर्धा अर्धा घंटा लग जाता है। लेकीन तुम्हारा इतनी जल्दी जल्दी खड़ा हो जाता है कि मैं देख कर हैरान हो जाती हुं। ( वीनीत की भाभी की खुली बातें सुनकर राहुल मुस्कुराने लगा।)
(लंड को मुठीयाते हुए) अच्छा एक बात बताओ राहुल लगभग महीना गुजरने को है तुम मेरे पास दुबारा क्यों नहीं आए। क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी।
( दोनों हाथों से चुचियों को दबाते हुए) ऐसी बात नहीं है भाभी जिस दिन से तुम्हारे साथ सोया था उस दिन से लेकर आज तक मैं हर पल उठते जाते बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता था।
तो मिलने क्यों नहीं आए?
कैसे आता मुझे क्या पता कि कब किस टाइम घर पर कौन-कौन रहता है अगर मेरे आने पर कोई घर में मौजूद होता तो उसे मैं क्या जवाब देता।
( मोटे लंड को पकडे पकडे विनीत की भाभी फिर से गरमाने लगी उसकीे सांसे भारी हो चली थी। और एकदम मदहोश होकर बोली।)
मुझे एक बार फोन तो कर लिए होते आखिर मैंने नंबर किस लिए दी थी तुम्हें।
मेरे पास मोबाइल नहीं है।
नहीं तुम झूठ बोल रहे हो ऐसा कैसे हो सकता है कि आज के जमाने में तुम्हारे पास मोबाइल न हो।
( चुचियों को कस के दबाते हुए) नहीं भाभी मे सच कह रहा हूं मेरे पास मोबाइल नहीं है मेरी माली हालत ऐसी नहीं है कि मैं मोबाइल खरीद सकु।
( राहुल की बात सुनकर वह हैरान लेकिन उसके ऊपर वासना की खुमारी पूरी तरह से छाने लगी थी इसलिए वह चुदवासी आवाज में बोली।)
तो पीसीओ से कर लिए होते।( इतना कहने के साथ ही वह राहुल कि जांघो के बीच झुकने लगी और अगले ही पल वह लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दी। जैसे ही उसकी जीभ सुपारी पर फिर ना शुरू हुई राहुल की तो सांस ही अटक गई उसका मुंह खुला का खुला रह गया और अटकते हुए बोला।)
मममम….मेरी हीम्मत …..नही हुई भाभी। ( राहुल इतना कह पाता इससे पहले ही वीनीत की भाभीी उसके ऊपर पूरी तरह से छा गई । वह पूरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी वह पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी। उसकी इस तरह से लंड चुसाई से राहुल एकदम से मदहोश हो गया उसकी हालत खराब होने लगी और इसकी उंगलियां खुद-ब-खुद वीनीत की भाभी के रेशमी बालों मे उलझने लगी। उसके गीले बालों से मादक मादक आ रही खुशबू माहौल को और ज्यादा गर्मा रहा था। राहुल का एक हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फिराने लगी जो कि पीठ पर से फिर से फिर से नीचे नितंबों तक पहुंच रही थी और इस तरह से उसे लंड चुसाते चुसाते उसकी गांड को सहलाने और मसलने में और ज्यादा आनंद मिल रहा था। माहौल एक बार फिर से गर्म हो चुका था विनीत की भाभी राहुल के लंड को चूसने में मस्त थी और राहुल उसके नंगे मखमली बदन पर अपना हाथ फिरा रहा था। दोनों पूरी तरह से वासना के इस दरिया में कूद चुके थे। विनीत की भाभी तो जैसे उसके लंड की दीवानी हो गई थी। वह उसके लंड को किसी भी कीमत पर छोड़ना ही नहीं चाहती थी वह उसे पूरा गले तक उतार कर मस्ती के साथ चुसाई कर रही थी। दोनों की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गूंजने लगी। राहुल अब दोनों हाथों से आगे की तरफ झुक कर उसकी बड़े-बड़े भरावदार नितंबों को हथेलियों में भरकर दबाने लगा और रह रह कर उस पर चपत भी लगाने लगा जिससे विनीत की भाभी का उन्माद और ज्यादा बढ़ जा रहा था। थोड़ी ही देर में लंड की चुसाई कर रही वीनीत की भाभी की गांड चपत लगाने से और मसलने से एकदम लाल हो गई जोकि उस के नितंबों की खूबसूरती में ओर भी ज्यादा इजाफ़ा कर रहे थे। राहुल एक दम मस्त हुए जा रहा था उसकी उत्तेजना पल पल परवान चढ़ रही थी। और उत्तेजना में सराबोर होकर सोफे पर बैठे बैठे ही नीचे से धक्के लगाना शुरु कर दिया। इस तरह से वीनीत की भाभी को भी मजा आने लगा। कुछ देर तक यूं ही विनीत की भाभी राहुल के मोटे लंबे लंड को चुसती रही लेकिन नीचे जांगो के बीच उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां फड़फड़ा रही थी। उन पत्तियों के इर्द-गिर्द खून का दौरा बड़ी तेजी से हो रहा था इसलिए विनीत की भाभी को उसमे खुजली सी महसूस होने लगी थी। इसलिए रह रह कर गुलाबी पत्तियों के बीच से मदन रस की बूंदें टपक पड़ रही थी। राहुल तो एकदम चुदवासा हो गया था। और उत्तेजना बस उसकी भरावदार गांड को खूब जोर जोर से मसलते हुए सिसकारी लेते हुए बोला।
ओहहहहहह…. भाभी बहुत मजा आ रहा है….स्सहहहहहहह…. बस ऐसे ही….. हां बस ऐसे ही चुसते रहिए भाभी बहुत मजा आ रहा है ।
राहुल उसकी लंड चुसाई पर पूरी तरह से मर मिटा था उसे बहुत आनंद की अनुभूति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बदन हवा में झूल रहा हो।
राहुल की बातें सुनकर वह भी जोर-जोर से उसके लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चूसने लगी लेकिन ऊसकी जाघों के बीच उसकी बुर में खुजली मची हुई थी उस खुजली को मिटाना भी बहुत जरूरी था। इसलिए वह राहुल के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाली और खड़ी हो गई राहुल ललचाई आंखों से उसे देखता रह गया। वीऩत की भाभी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह भी राहुल को और उसके खड़े लंड को कामुक नजरों से देखते हुए अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रगड़ने लगी। जिसे देख राहुल के लंड ठुनंकी लेना शुरु कर दिया। तभी विनीत की बारी एक कदम आगे बढ़े और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को राहुल के बालों में उलझाते हुए उसके बाल को कस के पकड़ ली
और खुद ही उसके मुंह के नजदीक अपनी बुर को ले जाने लगी यह देखकर राहुल के बदन में सुरसुरी सी मचने लगी अजीब सी सुख की अनुभूति करके वह अंदर ही अंदर कांप सा गया। बड़ा ही रोमांचक और उत्तेजनात्मक नजारा बना हुआ था विनीत की भाभी अपनी रसीली बुरकी गुलाबी पंखुड़ियां को राहुल के होठो पर रगड़ने लगी। और राहुल की उत्तेजना में अपनी आंखों को बंद कर अपने होठों का हल्का हल्का स्पर्श बुर की गुलाबी पत्तियों पर कराने लगा जिससे विनीत की भाभी की सिसकारी छूट गई।
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कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡