होता है जो वो हो जाने दो – maa beta sex story

राहुल भी अपनी मां की अदाओं को देखकर एकदम ज्यादा उत्तेजित हो चुका था इतना ज्यादा उत्तेजित कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े।

लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था। लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था। अपनी मां को देखकर राहुल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी। वह एक टक अपनी मां को देखे ही जा रहा था अलका के अंदर ना जाने कैसी मदहोसी आ गई थी कि वह पानी में भीगते हुए लगभग नाच रही थी। अलका के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था। उत्तेजना और उन्माद की वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी। वह भीगने में मस्त थी। और राहुल उसे देखने में मस्त था। टॉवल से बाहर झांक रहे लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था बल्कि वह तो यही चाहता था कि

उसकी मां की नजर के नंगे लंड पर पड़े और उसे देख कर दोनों बहक जाएं। और यही हुआ भी बारिश में भीगते भीगते अलका की नजर अपने बेटे के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी ओर उसकी मोटाई देख कर अलका की बुर फुलने पिचकने लगी। उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई। राहुल अच्छी तरह से जान रहा था कि इस समय उसकी मां की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है। और जीस मदहोशी और खुमारी के साथ वह लंड को देख रही थी राहुल को लगने लगा था कि बात जरूर बन जाएगी।

अलका उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह इससे आगे कुछ सोच पाती थी तभी। इतनी तेज बादल गरजा की, पूरे शहर की बिजली गुल हो गई छत पर जल रहा बल्ब भी बंद हो गया ‘ चारों तरफ घोर अंधेरा छा गया इतना अंधेरा की ईस तेज बारिश में वह दोनों एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पा रहे थे। रह रह कर बिजली चमकती तब जाकर कहीं दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे।

पूरे शहर की लाइट गुल हो चुकी थी, अलका और राहुल दोनों छत पर भीग रहे थे। अंधेरा इस कदर छाया हुआ था कि एक दूसरे को देखना भी नामुमकिन सा लग रहा था। बारिश जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती ही जा रही थी। यह ठंडी और तूफानी बारिश दोनों के मन में उत्तेजना के एहसास को बढ़ा रहे थे। अलका की सांसे तो चल नहीं रही बल्कि दौड़ रही थी, राहुल बेताब था तड़प रहा था उसका लंड अभी भी टावल से बाहर था। जिसे देखने के लिए अलका की आंखें इस गाढ़ अंधेरे में तड़प रही थी लेकिन देख नहीं पा रही थी। राहुल इस कदर उत्तेजित था उसकी लंड की नसें उभर सी गई थी। ऐसा लगने लगा था कि कहीं यह नसे फट ना जाए। तभी राहुल बोला।

मम्मी यहां तो बहुत अंधेरा हो गया कुछ भी देख पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है।

हां बेटा नहाने का पूरा मजा किरकिरा हो गया अब हमें नीचे चलना होगा।( इतना कहते हुए अलका राहुल की तरफ बढ़ी ही थी कि हल्का सा उसका पैर फिसला और वह राहुल की तरफ गिरने लगी कि तभी अचानक राहुल ने अपनी मां को थाम लिया उसकी मां गिरते-गिरते बची थी वह तो अच्छा था कि राहुल के हाथों में गीरी थी वरना उसे चोट भी लग सकती थी। लेकिन बचते-बचाते में अलका सीधे अपने बेटे की बाहों में आ गई थी। जिससे अलका का बदन अपने बेटे के बदन से बिल्कुल सट गया था। दोनों के बदन से बारिश की बूंदें नीचे टपक रही थी। हवा इतनी तेज थी कि दोनों अपने आप को ठीक से संभाल नहीं पा रहे थे। अचानक जो एक दूसरे के बदन से सटने पर टॉवल से बाहर झांक रहा राहुल का तना हुआ लंड पेटीकोट सहित उसकी मां की जांघों के बीच सीधे उसकी बुर वाली जगह पर हल्का सा दबाव देते हुए धंस गया , अलका को अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का गरम एहसास होते ही अलका एकदम से गरम हो कर मस्त हो गई। आज एकदम ठीक जगह लंड की ठोकर लगी थी। लंड की रगड़ बुर पर महसुस होते ही , अलका इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी छूट पड़ी , लेकिन शायद तेज बारिश की आवाज में वह सिसकारी दब कर रह गई। अलका को भी अच्छा लग रहा था वह तो ऊपर वाले का शुक्र मनाने लगे कि फिसल कर ठीक जगह पर गई थी फिर भी औपचारिकतावश बोली।

अच्छा हुआ बेटा तुमने मुझे थाम लिया वरना में गिर गई होती।

मेरे होते हुए आप कैसे गिर सकती है मम्मी।( राहुल अपनी मम्मी को थामने से मिले इस मौके को हांथ से जाने नही देना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी को अभी तक अपनी बाहों में ही भरा हुआ था उसकी मां भी शायद इसी मौके की ताक में थी तभी तो अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग नहीं कर रही थी।

और राहुल भी था मिलने के बहाने अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ बढ़ाते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबा रहा था। राहुल का ल** रसोईघर की तरह पेंट में नहीं था बल्कि एकदम नंगा था और एक दम शुरुर में था और इतना ज्यादा ताकतवर था कि इस बार पेटीकोट सहित लंड का सुपाड़ा अलका की बुर में हल्का सा अंदर घुस गया। सुपाड़ा बुर के ऊपरी सतह पर ही था। लेकिन अलका के लिए इतना ही बहुत था आज बरसों के बाद लंड उसकी बुर के मुहाने तक पहुंच पाया था। इसलिए तो अलका एकदम से मदहोश हो गई उसके पूरे बदन में एक नशा सा छाने लगा और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बाहों में भींचते हुए अपनी बुर के दबाव को अपने बेटे के लंड पर बढ़ाने लगी। दोनों परम उत्तेजित हो चुके थे। अपनी मां की बुर के और लंड के बीच सिर्फ वह पटना का पेटीकोट ही दीवार बना हुआ था यह दीवार पेटीकोट की नहीं बल्की शर्म की थी। क्योंकि उसकी मां की जगह अगर कोई और औरत होती तो यह पेटीकोट रुपी दीवार राहुल खुद अपने हाथों से गिरा दिया होता ‘ और अलका खुद अगर इस समय यह उसका बेटा ना होता तो वह खुद ही इस दीवार को ऊपर उठा कर लंड को अपनी बुर में ले ली होती।

सब्र का बांध तो टूट चुका था लेकिन शर्म का बांध टूटना बाकी था। मां बेटे दोनों चुदवासे हो चुके थे। एक चोदने के लिए तड़प रहा था तो एक चुदवाने के लिए तड़प रही थी। दोनों की जरूरते एक थी मंजिले एक थी और तो ओर रास्ता भी एक था। बस उस रास्ते के बीच में शर्म मर्यादा और संस्कार के रोड़े पड़े हुए थे।

मां बेटे दोनो एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में कस के चले जा रहे थे बारिश अपनी ही धुन में नाच रही थी अलका की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बेटे के सीने पर कत्थक कर रहीे थी। राहुल का सीना अपनी मां की चुचियों में समा जाना चाहता था। तेज बारिश और हवा के तेज झोंकों में राहुल की टावल उसके बदन से कब गिर गई उसे पता ही नहीं चला राहुल एकदम नंगा अपनी मां को अपनी बाहों में लिए खड़ा था। उसका तना हुआ लंड उसकी मां की बुर में पेटीकोट सहित धंशा हुआ था। अलका की हथेलियां अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिर रहीे थी। उसे यह नहीं पता था कि उसका बेटा पूरी तरह से नंगा होकर उससे लिपटा पड़ा है। अलका की बुर एकदम गर्म रोटी की तरह फूल चुकी थी। बुर से मदन रस रिस रहा था जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे बहता चला जा रहा था। तभी आसमान में इतनी तेज बादल गरजा कि जैसे दोनोे को होश आया हो , दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह तो रह रह कर बिजली के चमकने हल्का-हल्का दोनों एक दूसरे के चेहरे को देख ले रहे थे। अलका मस्त हो चुकी थी’ बुर में लंड लेने की आकांक्षा बढ़ती ही जा रही थी। मैं थोड़ा बहुत अपने बेटे से दुखी थी और दुखी इस बात से थी कि उसका बेटा ये भी नहीं जानता था कि औरत के मन में क्या चल रहा है क्योंकि वह जानती थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए कब से उसकी चुदाई करने लगा होता।

अलका भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी छत पर नजर दौड़ाते हुए कुछ सोचने लगे क्योंकि आज वह भी यही चाहती थी कि होता है जो वो हो जाने दो।

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी बारिश पल-पल तेज होती जा रही थी छोटी-छोटी बुंदे अब बड़ी होने लगी थी जो बदन पर पड़ते ही एक चोट की तरह लग रही थी। अलका कोई उपाय सोच रही थी क्योंकि उसे रहा नहीं जा रहा था बारिश के ठंडे पानी में उसकी बुर की गर्मी को बढ़ा दिया था। जिस पर अभी भी उसके बेटे का लंड पेटीकोट सहित सटा हुआ था। अलका अपने बेटे की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलि।

अच्छा हुआ बेटा कि तू छत पर आ गया वरना मुझे गिरते हुए कौन संभालता।( इतना कहते हुए एक हाथ से अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, क्योंकि वह जानती थी की डोरी खुलते ही उसे पेटीकोट उतारने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि बारिश इतनी तेज गिर रही थी कि बारिश की बोछार से खुद ही उसकी पेटीकोट नीचे सरक जाएगी। और अगले ही पल उसने पेटीकोट की डोरी को खोल दी। राहुल जवाब देते हुए बोला।)

मैं इसलिए तो यहां आया था मम्मी ताकि मुसीबत में मैं काम आ सकुं, और तुम्हें गिरते हुए बचा कर मुझे अच्छा लग रहा है।

( अपनी बेटे की बात को सुनकर अलका खुश हो गई और लंड की रगड़ से एकदम रोमांचित हो गई। और रोमांचित होते हुए अपने बेटे के गाल को चुमने के लिए अपने होठ आगे बढ़ाई अंधेरा इतना गाढ़ा था कि एक दूसरे का चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था इसलिए अलका के होठ राहुल के गाल पर ना जाकर सीधे उसके होंठ से टकरा गए। होठ से होठ का स्पर्श होते ही राहुल के साथ साथ खुद अलका भी काम विह्ववल हो गई। राहुल तो लगे हाथ गंगा में डुबकी लगाने की सोच ही रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां के होठों को चूसने लगा बारिश का पानी चेहरे से होते हुए हॉठ चुसाई की वजह से एक दूसरे के मुंह में जाने लगा। दोनों मस्त हो गई. राहुल तो पागलों की तरह अपनी मां की गुलाबी होंठों को चुसे जा रहा था। उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होठों को चूस रही थी । यहां चुंबन दुलार वाला चुंबन नहीं था बल्कि वासना में लिप्त चुंबन था। दोनों चुंबन में मस्त थे और धीरे-धीरे पानी के बाहावं के साथ साथ अलका की पेटीकोट भी उसकी कमर से नीचे सरक रही थी। या यों कहो कि बारिश का पानी धीरे-धीरे अलका को नंगी कर रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ अपनी मां पर बढ़ाए ही जा रहा था और उसका तगड़ा लंड बुर की चिकनाहट की वजह से पेटीकोट सहित हल्के हल्के अंदर की तरफ सरक रहा था। दोनों का चुदासपन बढ़ता जा रहा था की तभी बहुत जोर से फिर बादल गरजा ओर ईस बार फीर से दोनों की तंद्रा भंग हो गई। अलका की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। वह लगभग हांफ रही थी। और इस बार खुद को राहुल की बाहों से थोड़ा अलग करते हुए बोली।

बेटा शायद यह बारिश रुकने वाली नहीं है वैसे भी लाइट चले जाने पर नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया है अब हमें नीचे चलना चाहिए। ( वैसे तो राहुल का नीचे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था उसे छत पर ही मजा आ रहा था। फिर भी वह एतराज जताते हुए बोला।)

हां मम्मी लेकिन कैसे जाएंगे नहीं थे यहां इतना अंधेरा है कि हम दोनो एक दूसरे को भी नहीं देख पा रहे हैं। हम दोनों का बदन भी पानी से पूरी तरह से भीग चुका है, ऐसे नहीं सीढ़ियां चढ़कर नीचे उतर कर जाना हम लोग फेशल भी सकते हैं और वैसे भी सीढ़ी भी दिखाई नहीं दे रही है।

( मन तो अलका का भी नहीं कर रहा था नीचे जाने को लेकिन वह जानती थी कि अगर सारी रात भी छत पर रुके रहो तो भी बस बाहों में भरने के सिवा आगे राहुल बढ़ नहीं पाएगा। और वैसे भी अलग का आगे का प्लान सोच रखी थी इसलिए नीचे जाना भी बहुत जरूरी था।

नीचे तो चलना पड़ेगा बेटा और वैसे भी जब तुम मुझे संभाल सकते हो तो क्या मैं तुम्हें गिरने दूंगी। ( अलका इतना कह रही थी तब तक पेटिकोट सरक कर घुटनों से नीचे जा रही थी अलका मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि नीचे से वह पूरी तरह से नंगी होती जा रही थी। माना कि उसका बेटा उसे नंगी होते हुए देख नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी अंधेरे मे ही सही अपने बेटे के सामने नंगी होने में।

अलका के बदन में एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी। वह रोमांचित होते हुए बोली।

बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तू मुझे पकड़कर

मेरा सहारा लेते हुए मेरे पीछे पीछे सीढ़ियां उतरना। ( इतना कहने के साथ ही सरक कर पैरों में गिरी हुई पेटीकोट को पैरों का ही सहारा देकर टांग से निकाल दी। अब अलका कमर के नीचे बिल्कुल नंगी हो चुकी थी, उसके मन में यह हूक रहे जा रहीे थीे कि काश उसे नंगी होते हुए उसका बेटा देख पाता तो शायद वह कुछ आगे करता लेकिन फिर भी जो उसने सोच रखी थी वह अगर कामयाब हो गया तो आज की ही रात दोनों एक हो जाएंगे। अलका के बदन पर मात्र उसका ब्लाउज ही रह गया था और अंदर ब्रा बाकी वह बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। राहुल तो पहले से ही एकदम नंगा हो चुका था। आने वाले तूफान के लिए दोनों अपने आपको तैयार कर रहे थे। इसलिए तो अलका ने अपने बदन पर से पेटीकोट उतार फेंकी थी और राहुल बारिश की वजह से नीचे गिरी टावल को उठाकर लपेटने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था। और बारिश थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। अलका नीचे जाने के लिए तैयार थी बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम रंगीन बनता जा रहा था तेज हवा दोनों के बदन में सुरसुराहट पैदा कर रही थी।

अलका नीचे उतरने के लिए नीचे जाती सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाएं और एक हाथ से टटोलकर राहुल को इशारा करते हुए अपने पीछे आने को कही क्योंकि सीढ़ियों वाला रास्ता बहुत ही संकरा था वहां से सिर्फ एक ही इंसान गुजर सकता था इसलिए राहुल को अपने पीछे ही रहने को कहीं अंधेरा इतना था कि वह खुद राहुल का हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख दी ताकि वह धीरे धीरे नीचे आ सके। अलका सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी क्योंकि रह रह कर जब बिजली चमकती तो उसके उजाले में ज्यादा तो नहीं बस हल्का हल्का नजर आ रहा था। बारिश का शोर बहुत ज्यादा था। अब वह सीढ़ियों से नीचे उतरने वाली थी इसलिए राहुल को बोली।

बेटा संभलकर अब हम नीचे उतारने जा रहे हैं अगर डर लग रहा हो तो मुझे पीछे से पकड़ लेना। ( अलका ने टॉवल से बाहर झांकते उसके लंड को देख चुकी थी और वह यही चाहती थी कि राहुल सीढ़ियां उतरते समय उसे पीछे से पकड़ेगा तो उसका लंड गांड में जरूर रगड़ खाएगा। उसकी मां की यह बात राहुल के लिए तो सोने पर सुहागा था। इससे तो उसे खुला मौका मिल जाएगा। वह कुछ बोला नहीं बस हामी भर दीया।

अलका धीरे धीरे सीढ़िया उतरने लगे और उसके पीछे पीछे राहुल, अलका आराम से दो तीन सीढ़ियां उतर गई, और राहुल भी बस कंधे पर हाथ रखे हुए नीचे आराम से उतर रहा था। दोनों तरफ रहे थे कल का चाह रही थी कि राहुल पीछे से उसे पकड़ ले राहुल भी यही चाह रहा था कि अपनी मां के बदन पर पीछे से जाकर सट जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था। अलका तो तड़प रही थी उसे जल्द ही कुछ करना था वरना यह मौका हाथ से जाने वाला था दोनों अगर ऐसा ही होता रहा है तो शर्म के मारे यह सुनहरा मौका हाथों से चला जाएगा। इसलिए अलका ने शिढ़ी पर फिसलने का बहाना करते हुए आगे की तरफ झटका खाते हुए।

ऊईईईई….मां ….गई रे…..

( इतना सुनते ही राहुल बिना वक्त गवाएं झट से अपनी मां को पीछे से पकड़ लिया, अब लगा पीछे से अपने बेटे की बाहों में थी। राहुल का बदन अपनी मां के बदन से बिल्कुल सटा हुआ था इतना सटा हुआ कि दोनों के बीच में से हवा को आने जाने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपनी मां को संभालने संभालने मे उसका लंड जोकी पहले से ही टनटनाया हुआ था वह ऊसकी मां की बड़ी बड़ी भरावदार गांड की फांको के बीच जाकर फंस गया। राहुल के बदन मे आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी।

राहुल के बदन में आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी क्योंकि पीछे से अपनी मां को थामने में उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी मां की भरावदार गांड की फांखों के बीच फंस गया था। उसे आनंद तो बहुत आया लेकिन लेकिन एक बात उसको आश्चर्य में डाल दी थी। क्योंकि उसकी मां पेटीकोट पहनी हुई थी। लेकिन इस वक्त सीढ़ियों से उतरते समय जिस तरह से उसका लंड सटाक करके गांड की फांकों के बीच फस गया था , इससे तो यही लग रहा था उसे कि उसकी मां ने पेटीकोट नहीं पहनी है। राहुल को अजीब लग रहा था ‘ तभी उसकी मां ने बोली।

ओहहहहह…. बेटा तूने मुझे फिर से एक बार गिरने से बचा लिया और कहां मैं तुझे कह रही थी कि मै सभाल लूंगी। तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।

इसमें शुक्रिया कैसा मम्मी यह तो मेरा फर्ज है।

तू बहुत समझदार हो गया और बड़ा भी। ( इतना कहकर अलका हंस दी, उसके कहने का कुछ और मतलब था लेकिन उसका मतलब राहुल समझ नहीं पाया अलका कुछ देर तक सीढ़ियों पर खड़ी थी राहुल भी उसे अपनी बाहों में लिए खड़ा था उसका लंड अलका की भरावदार गांड में फंसा हुआ था जो कि यह बात अलका बहुत अच्छी तरह से जानतीे थी। वह इसी लिए तो जान बूझकर अपनी पेटीकोट को छत पर उतार आई थी, क्योंकि वह जानती थी की सीढ़ियों से उतरते समय कुछ ऐसा ही दृश्य बनने वाला था। अलका के साथ साथ राहुल की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।

राहुल तो अपनी मां की गांड के बीचो बीच लंड फंसाए आनंदीत भी हो रहा था और आश्चर्यचकित भी हो रहा था। उसने अपनी मन की आशंका को दूर करने के लिए एक हाथ को अपनी मम्मी के कमर के नीचे स्पर्श कराया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। उसकी हथेली अलका की जांघो पर स्पर्श हो रही थी और जांघो को स्पर्श करते ही वह समझ गया कि उसकी मम्मी कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसके मन में अब ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे कि यह पेटीकोट कैसे उतरी क्योंकि उसकी आंखों के सामने तो उसकी मां ने सिर्फ अपनी साड़ी को उतार फेंकी थी। साड़ी को उतार फेंकने के बाद उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई थी।

तो यह पेटीकोट कब और कैसे उतर गई, कहीं मम्मी ने अंधेरे में तो नहीं अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई। क्योंकि बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ऐसी तेज बारिश में भी पेटीकोट अपने आप उतर नहीं सकती थी।

इसलिए जानबुझकर मम्मी ने अपनी पेटीकोट की डोरी खोलकर पेटीकोट उतार दी’ इसका मतलब यही था कि मम्मी भी कुछ चाह रही है। कहीं ऐसा तों नहीं कि मम्मी भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है। जो भी हो उसमें तो मेरा ही फायदा है। यही सब बातें कशमकश राहुल के मन में चल रही थी।

मजा दोनों को आ रहा था,खड़े लंड का युं मस्त मस्त भरावदार गांड में फसने का सुख चुदाई के सुख से कम नहीं था। अलका तीन सीढ़ियां ही उतरी थी और वहीं पर ठीठक गई थी। अपने बेटे की जांघों का स्पर्श अपनी जाँघो पर होते ही हल्का को समझते देर नहीं लगा की उसका बेटा भी पूरी तरह से नंगा है। अपने बेटे के लंड की मजबूती का एहसास उसे अपनी गांड की दरारो के बीच बराबर महसूस हो रहा था। बादलों की गड़गड़ाहट अपने पूरे शबाब में थी बारिश होगा जोर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था कुल मिलाकर माहौल एकदम गरमा चुका था। बारिश की ठंडी ठंडी हवाओं के साथ पानी की बौछार मौसम में कामुकता का असर फैआ रही थी। अलका कि साँसे भारी हो चली थी रह-रहकर उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी। लेकिन बारिश और हवा का शोर इतना ज्यादा था कि अपनी मां की गरम सिसकारी इतनी नजदीक होते हुए भी राहुल सुन नहीं पा रहा था। तभी अलका अपने बेटे से बोली।

कसकर मुझे पकड़े रहना बेटा क्योंकि छत का पानी सीढ़ीयो से भी बह रहा है। और हम दोनों भीगे हुए हैं इसलिए पैर फिसलने का डर ज्यादा है इसलिए निसंकोच मुझे पीछे से कस के पकड़े रहना।

( अलका का इरादा कुछ और था बस वह पेेर फीसलने का बहाना बना रही थी। आज अलका भी अपने बेटे के साथ हद से गुजर जाना चाहती थी। और राहुल भी अपनी मां के कहने के साथ ही पीछे से अपने दोनों हाथ को कमर के ऊपर लपेटे हुए कस के पकड़ लिया और इस बार कस के पकड़ते ही उसने अपनी कमर का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ा दिया, जिससे उसके लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी गांड की भूरे रंग के छेंद पर दस्तक देने लगा। उस भूरे रंग के छेद पर सुपाड़े की रगड़ का गरम एहसास होते ही अलका के बदन में सुरसुरी सी फैल़ गई एक बारगी उसका बदन कांप सा गया। अलका के बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना भर चुकी थी कि उसके होठों से लब्ज भी कपकपाते हुए निकल रहे थे। वह कांपते स्वर में बोली।

बबबबब….बेटा … कस के पकड़ा है ना।

हहहह…हां मम्मी राहुल की भी हालत ठीक उसकी मां की तरह ही थी उसके बदन में भी उत्तेजना का संचार तीव्र गति से हो रहा था खास करके उसके तगड़े लंड में जो की अपनी ही मां की गांड की दरार में उस भूरे रंग के छेद पर टिका हुआ था जहां पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श पाकर अलका पूरी तरह से गनगना गई थी। अलका की बुर से मदन रस रीस नहीं बल्कि टपक रहा था। अलका पूरी तरह से कामोत्तेजना में सराबोर हो चुकी थी। उसकी आंखों में नशा सा चढ़ने लगा था। बरसात की भी आवाज किसी रोमांटिक धुन की तरह लग रही थी। अलका अपने बेटे का जवाब सुनकर अपना पैर सीढ़ियों पर उतारने के लिए बढ़ाई अब तक राहुल का लंड अलका की गांड में फंसा हुआ था। लेकिन जैसे ही अलका ने अपने पैर को अगली सीढी पर उतारी और उसी के साथ राहुल अपनी मां को पीछे से बाहों में जकड़े हुए जैसे ही अपनी मां के साथ साथ पैर को अगली सीढ़ी पर उतारा उसका लंड गांड की गहरी दरार से सरक कर गांड की ऊपरी सतह से सट गई। राहुल अपनी मां को पीछे से कस के पकड़े हुए था उसकी मां भी बार बार करते पकड़े रहने की हिदायत दे रही थी। और मन ही मन अपने बेटे के भोलेपन को कोस रही थी क्योंकि इतने में तो, कोई भी होता अपने लंड को थोड़ा सा हाथ लगाकर उसकी बुर में डाल दिया हो तो उसके लिए राहुल भोला का भोला ही रहेगा।

अलका अपने बेटे को भोला समझ रही थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इससे पहले दो सिखरो की चढ़ाई कर चुका था। ऐसे ही ऐसे एक दूसरे से चिपके हुए दो सीढ़ियां और उतर गए। अलका की तड़प बढ़ती जा रही थी इतनी नजदीक लंड के होते हुए भी उसकी बुर अभी तक प्यासी थी और उसकी प्यास अलका से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे लगने लगा था कि उसे ही कुछ करना है जैसे जैसे नीचे उतारती जा रही थी अंधेरा और भी गहराता जा रहा था और बारिश तो ऐसे बरस रही थी कि जैसे आज पूरे शहर को निगल ही जाएगी। लेकिन यह तूफानी बारिश दोनों को बड़ी ही रोमांटिक लग रही थी। तभी अलका ने सीढ़ी पर रुक कर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर राहुल की कमर को पकड़ते हुए थोड़ा सा पीछे की तरफ करते हुए बोली।

बेटा थोड़ा ठीक से पकड़ नहीं तो मेरा पैर फिसल जाएगा( पर इतना कहते हैं कि साथ ही वापस अपने हाथों को हटा ली,)

ठीक है मम्मी (इतना कहने के साथ ही राहुल का लंड अपने आप एडजस्ट होकर वापस गांड की गहरी दरार में फस गया। और अलका यही करने के लिए बहाना बनाई थी। अलका अपनी बाहों में में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी क्योंकि इस बार उसका लंड उसकी गांड के भुरे छेंद से नीचे की तरफ उसकी बुर की गुलाबी छेद के मुहाने पर जाकर सट गया। बुर के गुलाबी छेद पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते हैं अलका जल बिन मछली की तरह तड़प उठी, उसकी हालत खराब होने लगी वह सोचने लगी थी की वह क्या करें कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में समा जाए और दो औरतों की चुदाई कर चुका राहुल भी अच्छी तरह से समझ चुका था कि उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मम्मी के कौन से अंग पर जाकर टिक गया है। राहुल का लंड तो तप ही रहा था। लेकिन उसकी मां की बुरउसके लंड से कहीं ज्यादा गरम होकर तप रही थी। अपनी मां की बुर की तपन का एहसास लंड पर होते हैं राहुल को लगने लगा की कहीं उसका लंड पिघल ना जाए। क्योंकि बुर का स्पर्श होते ही उसके लंड का कड़कपन एक दम से बढ़ चुका था और उसमे से मीठा मीठा दर्द का एहसास हो रहा था। अलका पुरी तरह से गनगना चुकी थी। क्योंकि आज बरसों के बाद उस की नंगी बुर पर नंगे लंड का स्पर्शा हो रहा था।

बरसों से सूखी हुई उसकी जिंदगी में आज इस बारिश में हरियाली का एहसास जगह आया था। उत्तेजना के मारे अलका के रोंगटे खड़े हो गए थे। अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को वह अपनी बुर के मुहाने पर अच्छी तरह से महसूस कर रही थी वह समझ गई थी कि उसकी बुर के छेद से उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा थोड़ा बड़ा था।

जो की बुर के मुहाने पर एकदम चिपका हुआ था। अलका अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी हर कोशिश उत्तेजना के आगे नाकाम सी हो रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से कंपन भरी आवाज निकल रही थी।

बबबबब…..बेटा ….पपपपपप…पकड़ा है ना ठीक से।

हंहंहंहंहं….हां …. मम्मी ( राहुल भी उत्तेजना के कारण हकलाते हुए बोला)

अब मैं सीढ़ियां उतरने वाली हूं मुझे ठीक से पकड़े रहना। ( इतना कहने के साथ ही एक बहाने से वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से पीछे ले जाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने आप को सीढ़िया उतरने के लिए तैयार करने लगी। राहुल भी गरम सिसकारी लेते हुए हामी भर दिया। राहुल की भी हालत खराब होते जा रही थी। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि इतनी उत्तेजित अवस्था में तो वह नीलू और विनीत की भाभी के साथ भी नहीं था जितना उत्तेजित वह इस समय अपनी मां के साथ था। रिमझिम गिरती तूफानी बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट एक अजीब सा समा बांधे हुए थी। अलका जानती थी कि इस बार संभालकर सीढ़ियां उतरना है वरना फिर से इधर उधर होने से राहुल का लंड अपनी सही जगह से छटककर कहीं और सट जाएगा। इसलिए वह वापस अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी गांड से सटाते हुए बोली बेटा इधर फीसल़ने का डर कुछ ज्यादा है पूरी सीढ़ियों पर पानी ही पानी है।

इसलिए तु मुझे कस के पकड़े रहना मैं नीचे उतर रही हूं

( इतना कहने के साथ ही अलका अपने पैर को नीचे सीढ़ियों पर संभालकर रखने लगे और राहुल को बराबर अपने बदन से चिपकाए रही। इस तरह से राहुल की कमर पकड़े हुए वह आधी सीढ़ियो तक आ गई। इस बीच राहुल का लंड उसकी मां की बुर पर बराबर जमा रहा। अपनी बुर पर गरम छुपाने की रगड़ पाकर अलका पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जो कि राहुल के लंड के सुपाड़े से होता हुआ नीचे सीढ़ियों पर चु रहा था। अलका के तो बर्दाश्त के बाहर था ही लेकिन राहुल से तो बिल्कुल भी यह तड़प सही नहीं जा रही थी। दो औरतों की चुदाई कर चुका राहुल या अच्छी तरह से जानता था कि, उसका लंड उसके मां की उस अंग से सटा हुआ था जहां पर हल्का सा धक्का लगाने पर लंड का सुपाड़ा सीधे बुर के अंदर जा सकता था लेकिन राहुल अभी भी शर्म और रीश्तो के बंधन में बंधा हुआ था। राहुल को अभी भी शर्म की महसूस हो रही थी यह तो अंधेरा था इस वजह से इतना आगे बढ़ चुका था। वह अपने मन मे बोल भी रहा था की इस समय अगर इसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो वह कब से अपना समूचा लंड बुर में पेल दिया होता। लेकिन राहुल की मां इसके विपरीत

सोच रही थी, उसे राहुल नादान लग रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि किसी को भी अगर इतनी छूट दी जाए तो इतने से ही सब कुछ कर गुजर गया होता। लेकिन राहुल इतना नादान और भोला है कि जन्नत के द्वार पर बस लंड की टीकाए खड़ा है।

दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे की पहल में लगे हुए थे। लेकीन ईस समय जो हो रहा था। उससे भी कम आनन्द प्राप्त नही हो रहा था। ईस तरह से भी दोनो संभोग की पराकाष्ठा का अनुभव कर रहे थे।

दोनों की सांसे लगभग उखड़ने लगी थी। अलका तो यह सोच रही थी कि वह क्या करें कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा जाए। सीढ़ियां उतरते समय राहुल का लँड उसकी मां की गांड में गदर मचाए हुए था, राहुल का लंड अलका की गांड की दरार के बीचोबीच कभी बुर पर तो कभी भुरे रंग के छेंद पर रगड़ खा रहा था।

अलका तो मदहोश हुए जा रही थी उसकी दोनों टांगे कांप रही थी। राहुल की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। वह बराबर अपनी मां को कमर से पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए था। इसी तरह से पकड़े हुए दोनों सीढ़ियां लगभग उतर चुके थे , राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और अलका भी अपने दोनों हाथों से अपने बेटे के कमर को पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए थी। मां बेटे दोनों संभोग का सुख प्राप्त करने के लिए तड़प रहे थे।

लेकिन अब राहुल से बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि कई दिन बीत चुके थे उसने बुर में लंड नहीं डाला था। और इस समय दोनों के बीच इस तरह के हालात पैदा हुए थे की ऐसे में तो चुदाई ही ईसकी मंजिल बनती थी। राहुल अजीब सी परिस्थिति में फंसा हुआ था। उसके अंदर मनो मंथन सा चल रहा था। वह अपनी ओर।अपनी मम्मी के हालात के बारे में गौर करने लगा क्योंकि यह सारी परिस्थिति उसकी मां ने ही पैदा की थी। उसका इस तरह से उसके सामने साड़ी उतार कर बारिश में नहाना अपने अंगो का प्रदर्शन करना और जान बूझकर अपनी पेटीकोट उतार फेकना , और तो और सीढ़ियां उतरते समय अपने बदन से चिपका लेना। यह सब यही दर्शाता था कि खुद उसकी मां भी वही चाहती थी जो कि राहुल खुद जाता था यह सब सोचकर राहुल का दिमाग और खराब होने लगा।. अब उसी से यह कामुकता की हद सही नहीं जा रही थी तीन-चार सीढ़ीया ही बाकी रह जा रही थी। इस समय जो बातें राहुल के मन में चल रही थी वही बातें अलका के मन में भी चल रही थी अलका भी यही चाहती थी कि कैसे भी करके उसके बेटे का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर जाए। उसको भी यही चिंता सताए जा रहे थे की बस तीन चार सीढ़ियां ही रह गई थी। जो होना है ईसी बीच हो जाता तो अच्छा था। एक तो पहले से ही राहुल के लंड ने उसकी बुर को पानी पानी कर दिया था। कामातूर होकर अलका ने ज्यों ही अपने कदम को नीचे सीढ़ियों की तरफ बढ़ाई और राहुल था की इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए हल्के से अपनी कमर को नीचे की तरफ झुकाते हुए वह भी अपनी मां के साथ साथ नीचे कदम बढ़ाया ही था कि उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के सही पोजीशन में आ गया और जैसे ही राहुल के कदम सीढ़ी पर पड़े तुरंत उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की पनियाई बुर मे करीब आधा समा गया’ और जैसे ही सुपाड़े का करीब आधा ही भाग बुर में समाया अलका का समुचा बदन बुरी तरह से गंनगना गया। उसकी आंखों से चांद तारे नजर आने लगे। एक पल को तो उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ है आज बरसों के बाद उसकी बुर में लँड के सुपाड़े का सिर्फ आधा ही भाग गया था। और वह सुपाड़े को अपनी बुर में महसूस करते ही मदहोश होने लगी उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। और एकाएक उसके मुंह से आह निकल गई, अपनी मां की आह सुनकर राहुल से रहा नहीं गया और वह अपनी मां से पूछ बैठा।

क्या हुआ मम्मी।

( अब अलका अपने बेटे के इस सवाल का क्या जवाब देती, जबकि राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड किसमे घुसा है फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी मां से सवाल पूछ रहा था। तो अलका भी तो अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी कि अपने बेटे को साफ साफ कह दें कि तेरा लंड मेरी बुर में घुस गया है। जब राहुल सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वह कांपते स्वर में बोली।)

कककककक…. कुछ नहीं बेटा …..पाव दर्द करने लगे हैं।

( अपनी मां की बात सुनकर राहुल अनजान बनता हुआ बोला।)

आराम से चलो मम्मी कोई जल्दबाजी नहीं है वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ देखा नहीं जा रहा है।

( राहुल तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी मम्मी अगलीे सीढ़ी उतरे और वह अपना आधा लंड उसकी बुर में डाल सके। और तभी अलका अपने आप को संभालते हुए वह भी यही सोचते हुए की शायद अगले सीढ़ी उतरते समय उसके बेटे का पूरा सुपाड़ा उसकी बुरमें समा जाए। और यही सोचते हैं उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे बढ़ाई और राहुल भी मौका देखते हुए अपनी मां को यूंही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, अलका अपने आप को संभाल नहीं पाई उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने लगे और वह लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई और राहुल के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वह भी बाहर आ गया। दोनों गिरते-गिरते बचे थे राहुल का लंड डालने का मौका जा चुका था और अल्का का भी लंड डलवाने का मौका हाथ से निकल चुका था।

अलका अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पेर ना फिसला होता तो अब तक उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा गया होता और राहुल भी खड़े लंड पर ठोकर लगने से दुखी नजर आ रहा था। दोनों सीढ़ियां उतर चुके थे और राहुल अपनी मां से पूछा।

क्या हुआ मम्मी आप ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?

( कुछ देर पहले लंड के एहसास से वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसके सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उत्तेजना उसके सर पर सवार थी यह नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह बोली।)

कुछ नहीं बेटा एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल नहीं पाए और गिरते गिरते बची और तुझे तो चोट नहीं लगी ना बेटा।

नहीं मम्मी मुझे चोट नहीं लगी है लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर। ( अलका यह अच्छी तरह से जानतीे थी कि राहुल भोला बनने की कोशिश कर रहा था वह सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी देर से उसका लंड खड़ा नहीं रहता। वैसे भी इस समय पहले वाली अलका नहीं थी यह अलका बदल चुकी थी। शर्मीले संस्कारों और मर्यादा में रहने वाली अलका इस समय कहीं खो चुकी थी उसकी जगह वासना मई अलका ने ले ली थी। जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी। इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी थी और अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली।)

अब क्या बताऊं बेटा तुझे की ं क्या चुभ रहा है और कौन सी जगह चुभ रहा है। इतने अंधेरे में तो तुझे दिखाई भी नहीं देगा। ( वैसे भी शीढ़ी वाली गैलरी में अंधेरा कुछ ज्यादा ही था बारिश अभी भी तेज बरस रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी। अलका हाथ में आए मौके को गंवाते हुए देखकर अंदर ही अंदर झुंझलाहट महसूस कर रही थी। उसके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल चुका था। वह फिर से कोई रास्ता देख रहे थे कि फिर से कोई काम बन जाए। इसलिए और राहुल से बोली।)

चलो कोई बात नहीं बेटा हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले कप्प……( इतना कहते ही अलका थोड़ा रुक कर बोली।)

बेटा जब तु मेरे बदन से चिपका हुआ था तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि बेटा तू बिल्कुल नंगा था।

( अलका अब खुलेपन से बोलना शुरू कर दी थी अपनी मां के इस बात पर राहुल हड़बड़ाते हुए बोला।)

वो…वो…मम्मी ….वो टॉवल…. ऊपर तेज हवा चल रही थी तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई नहीं दी….. लेकिन मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है कि नीचे से आप पूरी तरह से नंगी है। आप तो पेटीकोट पहनी हुई थी….तो…..

अरे हां उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी वैसे भी मुझसे तो मेरी साड़ी भी नहीं संभाले जा रही थी। और शायद तेज बारिश की वजह से मेरी पेटीकोट सरक कर कब नीचे गिर गई मुझे पता ही नहीं चला। वैसे भी तू तो देख ही रहा है कि अंधेरा कितना घना है हम दोनों एक दूसरे को भी ठीक से देख नहीं पा रहे है. तो वह क्या खाक दिखाई देती। इसलिए मैं भी बिना पेटीकोट पहने ही ईधर तक आ गई। ( तभी धीमी आवाज में बोली।) तुझे कुछ दिख रहा है क्या?

नहीं मम्मी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है अगर दिखाई देता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यू आपसे चिपक कर क्यों उतरता ।

( दोनों जानते थे कि दोनों एक दूसरे को झूठ बोल रहे थे दोनों की हालत एक दूसरे से छिपी नहीं थी। दोनों इस समय सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे। अलका कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी थी और राहुल तो संपूर्ण नग्नावस्था में अंधेरे में खड़ा था तभी अलका बोली।

चल कोई बात नहीं बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं ( इतना कहते ही अलका अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे का हाथ पकड़ना चाहि कि तभी ) ज्यादा देर तक अगर ऐसे ही भीगे खड़े रहें तो तबीयत खरा……( इतना तो ऐसे ही हो आश्चर्य के साथ खामोश हो गई और हड़ बड़ाते हुए बोली….)

यययययय……ये…..ककककक…..क्कया….है।

( अलका ने अंधेरे में अपने बेटे का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाई थी लेकिन उसके हाथ में उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आया मोटे लंड की वजह से अलका एकदम से हड़बड़ा गई थी। अलका को अपने बेटे कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था। अल्का पुरी तरह से गनगना गई थी। जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में राहुल के हाथ कीे जगह क्या आ गया है तो वह एकदम से रोमांचित हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पीचकने लगी। राहुल जी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा, अपनी मम्मी के हाथ में अपना लंड आते ही राहुल भी पुरी तरह से गनगना गया था।

अलका से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी। इसलिए वह तुरंत उसका लंड छोड़कर राहुल का हाथ थाम ली और बाथरुम की तरफ जाते हुए बोली।

चल बाथरूम में चलकर अपना बदन पहुंचकर कपड़े बदल लेते हैं वरना सर्दी लग जाएगी।

अंधेरा इतना था तुमसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी रह-रहकर बिजली चमकने की वजह से खिड़की से उस की रोशनी अंदर आ रही थी। जिससे बाथरूम कहां है यह थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों बाथरुम के अंदर थे, यहां भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बाथरूम की खिड़की की वजह से आती रोशनी में हल्का-हल्का झलक रहा था। तभी अचानक

राहुल के कानों में वही उस दिन वाली बाथरूम में से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई देने लगी राहुल का माथा ठनक गया , उसे समझते देर नहीं लगेगी उसकी मम्मी के सामने ही भले ही नहीं दिखाई दे रहा है फिर भी पास में बैठ कर पेशाब कर रही थी। राहुल एकदम मदहोश होने लगा है उससे रहा नहीं जा रहा था उसके लंड का कड़क पन बढ़ता ही जा रहा था। वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी मां से बोला।

क्या हुआ मम्मी क्या कर रही हो?

अलका जानती थी कि पेशाब करते वक़्त उसकी बुर से

सीटी की आवाज बड़े जोरों से आ रहे थे और यह आवाज राहुल भी साफ साफ सुन रहा था और राहुल जानता भी था कि वह क्या कर रही है लेकिन फिर भी वो जानबूझकर पूछ रहा था इसलिए अलका भी मादकता लिए चुदवासी आवाज में बोली।

क्या बेटा यह भी कोई पूछने वाली बात है बड़े जोरों की आई थी इसलिए यहीं बैठ कर पेशाब कर रही हूं अगर तुझे भी लगी हो तो ले कर ले इस अंधेरे में कहां कुछ दिखने वाला है।

अपनी मां की सी बातें सुनकर राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह भी वही खड़े होकर पेशाब करने लगा कि तभी लाइट आ गई।

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2 Comments

  1. Harikumar Zaa

    कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡

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