आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को देख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई दरार पर जाकर ठहर गई। अलका ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुंह से सिसकारी छूट गई। बुर के साथ-साथ उसकी बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली। वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। अलका को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था। अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टेबल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और ढेर सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टेबल पर रख दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। अलका पुरी तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टेबल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टेबल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय अलका के रूप को कोई भी मर्द देख ले तो उसका खड़े-खड़े ही पानी छूट जाए।
अलका अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को एकदम चिकनी देखने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डूबे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।
वही दूसरे कमरे में राहुल भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को देखकर वह अपने आपे से बाहर हो गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए देखता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टेबल पर रख कर पीछे से अपना खड़ा लंड पेल देता है,
थोड़ी ही देर में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए राहुल के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए राहुल थोड़ी ही देर में लंड की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
राहुल के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। राहुल फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।
कमरे में अलका अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े को देख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। अलका को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अपनी चिकनी बुर को देखने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर पर से हटाई तो अपनी बुर को देख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई चिकनाई को देखकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को देखकर वह खुद ही कायल हो चुकी थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही अलका का मन एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
ससससससससस……
अलका का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव देते हुए हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को देख देखकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी।
अलका उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली।
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी, अलका आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अलका के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। अलका के मन के अंदर का बांध टूट चुका था। एक उंगली से बुर को चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।
ऊउउममममममममममम…सससससससहहहहहहह….
आहहहहहहहह…….ऊईईई….म्मा….
( अलका अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। अलका जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से हस्तमैथुन करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में राहुल के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था। बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा चुदवासी हो गई।
अलका इस समय सच पूछा जाए तो उंगली की बजाए उसे लंड की ही जरूरत थी और खास करके ऊसके बेटे के हीे लंड की जरूरत उसे पड़ रहीे थी।
अलका चुदासपन से भरी जा रही थी और उसकी चुदवाने की तड़प बढ़ती ही जा रही थी। तभी उत्तेजना के मारे उसके मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकल गई जिसके बारे में सोच कर वह बाद में खुद अपने ऊपर क्रोधित होने लगी।
ओह राहुल चोद मुझे डाल दे पूरा लंड मेरी बुर में बेटे..
आहहहहह…।बेटा चोद मुझे….ससससससहहहहहहह….आहहहहहहह…। बेटा
डाल ….आहहहहहहह…पुरा डाल….अपना लंड मेरी बुर मे…शशशशशशहहहहहहह….आहहहहहहहह….राहुल मेरे बेटे….
( अलका बड़ी तीव्र गति से अपनी उंगली से अपनी बुर की चुदाई करते हुए अपने बेटे को याद कर रही थी खास करके उसके मोटे तगड़े लंड को जिसे उसने अभी तक देखी भी नहीं थी। सिर्फ उसके आकार से पजामे में बने तंबू को ही देखी थी। अलका की सिसकारियां बढ़ने लगी थी।पुरे कमरे मे गुँज रही गरम सिसकारीया उसके चुदासपन की गवाही दे रहीे थी। कुछ ही पल में अलका के मुंह से एक गर्म चीख निकली और उसकी रसीली बुर से नमकीन पानी का फुवारा फुट पड़ा , वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगी उसकी भारी हो चली सांसे और भी तेज चलने लगी थी। वह पानी का तेज फव्वारा छोड़ते हुए पीछे कदम बढ़ाते हुए अपने बिस्तर की तरफ चली जा रहीे थी, जैसे ही बिस्तर से उसकी टांगें स्पर्श हुई वह बिना कुछ सोचे समझे धम्म से बिस्तर पर पसर गई और गर्म सांसे लेते हुए नमकीन पानी का फव्वारा छोडऩे लगी।
थोड़ी देर में वो एक दम शांत हो गई, अपनी प्यास को वह अपने ही उंगलियों से बुझाने में अंततः कामयाब हो चुकी थी। चैन की सांस लेते हुए उसकी आंख लग गई।
विनीत भी कम नहीं तड़प रहा था। रात भर उसकी भाभी ने उसके लंड से खेली वह जब भी विनीत का लंड अपनी बुर में लेती तब वीनीत यह सोच कर अपनी भाभी की बुर में लंड डालता है कि वह उसकी भाभी नहीं बल्कि अलका है वह मन में अपनी भाभी को चोदते हुए अलका का ही कल्पना कर रहा था। वह सारी रात अपनी भाभी को अलका समझकर ही चोदता रहा।
तीनों अपने अपने तरीके से प्यासे तड़प रहे थे। इन सभी के साथ साथ मधु और विनीत की भाभी भी थी। सब के सब चुदाई के प्यासेे हो चुके थे। इन सभी का केंद्र बिंदु राहुल ही था।
अलका के पति के जाने के बाद जानकारी अपने आपको दुनिया की नजरों से संभाल के रखे हुए थी। लाख मुसीबते आई लेकिन अलका अपने हालात और परिस्थितियों से कभी भी समझौता नहीं की वह अपने कर्म पथ पर अडग चलती ही रही. लेकिन अब हालात बदल चुके थे बित्ते भरका लगने वाला वह लड़का वीनीत और उसी के हम उम्र का उसका खुद का बेटा राहुल की वजह से बरसों से दबी उसकी काम भावनाएं अब प्रज्वलित होने लगी थी।
अलका के कमरे में शांति से फेली हुई थी कि तभी सुबह का 6:00 बजे का अलार्म बजने लगा’ अलार्म की आवाज सुनते ही प्रगाढ़ निद्रा में सो रही अलका की नींद अचानक खुल गई, सामने टंगी दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही वह तुरंत बिस्तर पर से उठ खड़ी हुई और सामने दरवाजे की तरफ लगभग भागते हुए गई , लेकिन जैसे ही उसने अपनी हालत पर गौर की तो वह एकदम से दंग रह गई। उसे तुरंत रात की बात याद आ गई जब वह अपने हाथों से ही हस्तमैथुन करते हुए आत्म संतुष्टि पाकर उसी तरह से संपूर्ण नग्नावस्था में ही बिस्तर पर सो गई थी। वह खुद ही अपनी हालत पर शर्मिंदा हो गई उसके गोरे-गोरे गाल शर्म की वजह से सूर्ख लाल हो गए और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई ज्यादा देर वही खड़े रहना उसके लिए मुनासीब ना था।
क्योंकि वह पहले से ही एक घंटा लेट हो चुकी थी। वह मन ही मन में यह सोचते हुए कि राहुल तो उठ गया होगा उसके लिए नाश्ता बनाना है सोनू भी उठ गया होगा आज इतनी देर तक सोई रह गई उसे पता ही नहीं चला।
अलका मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए गाउन उठाइ और उसे पहन ली।
कमरे से बाहर आते ही वह कमरे में फेली शांति को देखकर हैरान थी, वह समझ गई कि उसी की ही तरह आज लगता है उसके दोनों बच्चे भी सो ही रहे हैं।
राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई दरवाजे के बाहर खड़े होकर वह दरवाजे पर दस्तक देने ही वाली थी कि उसकी हथेली दरवाजे पर पड़ते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया’ इस तरह से लापरवाह की तरह दरवाजा खुला छूटा हुआ देखकर वह मन ही मन बड़बड़ाई ।
यह लड़का भी ना इतना बड़ा हो गया लेकिन ना जाने कब इसे अक्ल आएगी( इतना कहने के साथ ही वह कमरे में प्रवेश कर गई लेकिन जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर सो रहे राहुल पर पड़ी वह दंग रह गई राहुल का पजामा उसके घुटनों तक खींचा हुआ था और उसका लंड खुंटे की तरह बिल्कुल सीधा छत की तरफ मुंह ऊठाए खड़ा था। अलका की नजर सीधे ही उसके बेटे के खड़े लंड पर पड़ी थी।
बाप रे बाप इतना मोटा ताजा ओर इतना तगड़ा लंड
( अलका की नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ते ही सबसे पहली प्रतिक्रिया उसकी यही थी। वह हैरान थी, उस के समझ के बाहर था कि इतना सीधा सादा लड़का होते हुए भी उसका हथियार इतना दमदार क्यों था वह मन ही मन में सोचने लगी कि वाकई में मेरे बेटे के लंड को देख कर ही औरतों की बुर पानी झटक दे।
अपने बेटे के लंड को देख कर उसकी खुद की बुर पानी रिसने लगी थी गजब का नजारा बना हुआ था राहुल बिस्तर पर अध नंगा लेटा हुआ था, उसका लंड एकदम टनटना के सीधे खड़ा था। और कमरे में उसकी मां जोकि बरसों के बाद चुदवासी हुई थी वह एकदम कामातूर होकर अपने ही बेटे के लंड को बुर में पानी लिए निहार रहीे थी।
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसे कल रसोई घर वाली घटना तुरंत याद आने लगी और वह मन मे ही बड़बडाई़..तभी तो मैं सोचूं कि मेरे बेटे के पजामे में बना तंबू मेरी गांड मे इतना ज्यादा क्यों चुभ रहा था।
अलका कमरे में अपने बेटे को जगाने ं आई थी लेकिन अपने बेटे का मूसल लंड देखकर वह काम विह्वल हो गई थी। उत्तेजना के मारे उसकी हथेली खुद-ब-खुद गाउन के ऊपर से ही बुर के ऊपर चली गई थी जिसे वह गांऊन के ऊपर से हि मसल रही थी।
समय बीतता जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपने बेटे को जगाए इस तरह से जगाना भी ठीक नहीं था। वैसे तुम इसका मानी यहां से जाने को हो ही नहीं रहा था उसका दिल तो यह कह रहा था कि एक बार वह अपने ही बेटे के लंड को अपनी हथेली में दबोच कर देखें लेकिन ऐसा संभव नहीं
था। वह ना चाहते हुए भी कमरे के बाहर गई और दरवाजे को बाहर से बंद करते हुए दरवाजे पर दस्तक देने लगी। दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुन कर रहा हूं कि नींद खुली और उसकी नजर भीे सामने टंगी दीवार घड़ी पर पड़ी तो वह भी हैरान हो गया। उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि उसका पजामा घुटनों में फंसा हुआ था और उसने झट से पजामे को ऊपर सरका कर पहन लिया।
उसकी मम्मी लगातार दरवाजे पर दस्तक दिए जा रही थी तो जवाब में सिर्फ इतना ही बोला।
हां हां आया मम्मी। ( इतना कह कर वह बिस्तर से उठा
और मन ही मन में वह भी बोला कि अच्छा हुआ इस हाल में मम्मी ने उसे नहीं देखा वरना डांटना शुरू कर देती। हो जल्दी से कमरे से बाहर आया तब तक उसकी मम्मी जा चुकी थी।
बाथरूम में अलका ने अपने बेटे के लंड की कल्पना करते हुए फिर से अपनी उंगली से संतुष्टि प्राप्त की।।
थोड़ी देर बाद अलका नाश्ता तैयार कर दी । और दोनों बच्चों को नाश्ता करा कर स्कूल भेजने के बाद , खुद भी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई।
कुछ दिन तक सब कुछ सामान्य ही रहा, राहुल का मन होते हुए भी उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाया। उसकी नजरे अब हमेशा अपनी ही मम्मी को नंगी देखने की कामना लिए यहां वहां घूमती रहती थी। लेकिन कुछ दिनों से कोई बात नहीं बनी। नीलू से भी कोई खास बात नहीं बन पाई हालांकि राहुल का तो मन बहुत करता था कि नीलू वही हरकत दौहराएे जो उस दिन स्कूल के ऊपरी मंजिल की क्लाश में की थी। नीलू के द्वारा की गई उसके लंड की चुसाई को याद करते ही राहुल का पुरा बदन गनगना जाता था। राहुल की दिली ख्वाहिश बढ़ती जा रही थी कि नीलू एक बार फिर से उसके मुसल जैसे लंड को अपने मुंह में लेकर चुसे।
लेकिन उसकी दिल की बात दिल में ही रह गई क्योंकि अब तक जो भी हुआ था दूसरों के ही मर्जी से हो रहा था राहुल की मर्जी तो थी ही लेकिन कभी भी उसने आगे से चलकर अपनी जरूरत को नहीं बताया। राहुल कुछ इस तरह से लाभ होता आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो सामने से चलकर अपने को मिली हुई लाभ का पूरा का पूरा फायदा उठा था लेकिन यह सब में उसकी शर्म आड़े आ जा रही थी।
खेर जैसे तैसे करके दिन बीतता गया, राहुल के तन की और मन की दोनों प्यास बढ़ती ही जा रही थी। जिसे वह रोज रात को मुठ मारकर शांत करने की कोशिश करता रहता।
राहुल की मां भी ठीक इसी तरह परेशान थी उसके भी तन की प्यास उसे परेशान किए हुए थे राहुल की तरह वह भी अपनी उंगली से ही काम चला रहीे थी और जब से उसने अपने बेटे के लंड को अपने चूतड़ों के बीच महसुस की थी और अपनी आंखों से अपने बेटे के टन टनाए हुए लंड को देखी थी तब से तो और भी ज्यादा उसकी प्यास भड़क चुकी थी। और कुछ दिनों से तो उसकी मुलाकात विनीत से भी नहीं हो पाई थी। विनीत भी अल्का से ना मिलकर परेशान ही था। सबके सब अपने जरूरत और सड़क को लेकर परेशान थे।
रविवार का दिन था। मतलब ना अलका को ऑफिस जाना था ना बच्चों को स्कूल जाना था वैसे भी रविवार के दिन राहुल देर तक सोए रहता था। आज की सुबह के 9:00 बज चुके थे फिर भी राहुल अपने कमरे में सोया हुआ था। जिस दिन से अलका अपने बेटे के लंड को देखी थी उस दिन से वह रोज राहुल को जगाने उसके कमरे तक पहुंच जाती थी। लेकिन उस दिन की तरह उसे दुबारा वह सुनहरा मौका ना मिल सका हमेशा राहुल के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद ही रहता था। वह हमेशा यही सोचकर से कमरे तक जाती थी कि शायद आज उसे फिर से वही दृश्य देखने को मिल जाए ताकि उसकी सूखी तपती जांघो के बीच की नहर मैं कुछ गिला पन आ जाए लेकिन ऐसा दुबारा हो नहीं पा रहा था।
अलका रसोई घर में रसोई तैयार कर रही थी उसे मालूम था कि सोनू और राहुल दोनों छुट्टी के दिन देर तक ही सोते रहते थे। इसलिए वह उन्हें आज के दिन जल्दी नहीं जगाती थी। फिर भी कुछ ज्यादा ही टाइम हो जाने पर अलका के मन में विचार आया कि आज कुछ ज्यादा ही टाइम हो गया है चलकर दोनों बच्चों को जगा ही देती हूं, और उसके मन में वही दृश्य पुन: देखने की लालसा भी जाग गई थी। इसलिए वह राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई लेकिन दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से निराश हो गई और वह बाहर से ही दरवाजे को थपथपाकर राहुल को आवाज देने लगी, अलका के आने के कुछ देर पहले ही राहुल की आंख खुल चुकी थी। इसलिए वो दरवाजे पर दस्तक होते ही बिस्तर पर से उठ चुका था और आता हूं कहकर अपने कपड़े व्यवस्थित करने लगा। राहुल जब चुका था यह जानकर अलका बाथरूम की तरफ बढ़ गई । राहुल जग तो चुका था लेकिन उसकी आंखों में अभी भी नींद की वजह से भारीपन था। अगर वह फिर से बिस्तर पर पड़ता तो उसे फिर से नींद आ जाती लेकिन समय काफी हो चुका था इसलिए उसे उठना ही पड़ा। दरवाजे को खोलते हुए उसे याद आ गया कि आज तो उसे एक मित्र के वहां उसके बर्थडे पर जाना था। राहुल जानता था कि वह मित्र उतना खास नहीं था बस हाय हेलो जितना ही संम्बंध था। लेकिन फिर भी वह बड़े प्यार से बुलाया था इसलिए जाना तो पड़ता ही। लेकिन वहां जाने के लिए आज तो अभी बहुत टाइम था क्योंकि उसने पार्टी शाम को दे रखी थी।
राहुल आंखों को मिंजता हुआ बाथरूम की तरफ जाने लगा। उस पर नींद अभी भी हावी थी। आंखों को मिंजते मिंजते वह बाथरूम तक पहुंच गया। जैसे ही वह दरवाजे को खोलने के लिए दरवाजे का हैंडल पकड़ा दरवाजा खुद-ब-खुद हल्का सा खुल गया। बस हल्की सी खुले दरवाजे से उसने जो बाथरुम के अंदर का नजारा देखा तो उसकी नींद उड़ गई। उसका रोम रोम झनझना गया। उसकी सांस अटक गई। बाथरूम के अंदर का नजारा राहुल तो क्या उसकी जगह दुनिया का कोई भी मर्द देखता तो उसकी हालत ठीक वैसीे ही होती जैसी राहुल की थी। राहुल के पजामे में तुरंत तंबू सा तन गया। राहुल करता भी क्या अंदर का नजारा से कुछ ऐसा था कि अच्छे अच्छो का लंड खड़ा हो जाए।
बाथरूम के अंदर राहुल की मां थी जो कि इस वक्त पोशाब कर रही थी। उसका मुंह सामने दीवार की तरफ था। और उसकी गांड राहुल कीे तरफ थी , जिस पर राहुल की नजर पहले ही पड़ी थी। अपनी ही मां की बड़ी-बड़ी सुडोल गोरी गोरी गांड पर नजर पड़ते ही राहुल की तो हालत खराब हो गई। नींद की वजह से पहले तो राहुल को पता ही नहीं चला कि बाथरूम में मम्मी कर क्या रही है। लेकिन बाथरूम में गूंज रही सुमधुर सीटी की आवाज जो बिल्कुल बांसुरी की आवाज की तरह लग रही थी राहुल उस सिटी की आवाज को तुरंत पहचान गया । उसे जैसे ही यह आभास हुआ की मम्मी बाथरूम में बैठ कर पेशाब कर रही है,तो इस बात से ही राहुल का लंड टनटना कर खड़ा हो गया । क्योंकि इससे पहले भी वह बाथरुम के बाहर खड़ा होकर पेशाब करने की वजह से आ रही सीटी की आवाज को सुन चुका था , लेकीन पहले यह बांसुरी की धुन की तरह निकल रही सीटी की आवाज को सुनकर ऊसे कभी उत्तोजना और रोमांच का एहसास कभी नही हुआ। लेकीन अब… अबकी बात कुछ ओर थी अब तो माहोल के साथ साथ नजरीया भी बदल चुका था।
पेशाब करते समय राहुल की मां ने गाऊन को आधी पीठ तक चढ़ा ली थी जिससे पीछे से उसकी बड़ी बड़ी गांड संपूर्णत: नग्न दीखाई दे रही थी। राहुल वहीं खड़े खड़े हल्के से खुले दरवाजे की ओट लेकर अंदर का नजारा देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था। राहुल अपनी मां को पेशाब करते हुए और उसकी मदमस्त बड़ी-बड़ी गोरी गांड को देखकर उत्तेजित होता हुआ मन ही मन बोला।
ऊफ्फ्रफफ……… क्या गजब की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड है मम्मी की जी करता है कि पीछे से जाकर पूरा लंड डालकर चोद दुँ( इतना सोचते हुए वह पजामे भी बने तंबू को अपनी हथेली में भरकर मसनने लगा।
राहुल की मम्मी एक दम बिंदास होकर आराम से बैठ कर पेशाब कर रही थी। अलका को यह बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसने जो दरवाजा खुला ही छोड़ आई थी पेशाब करने के लिए उसी खुले हुए दरवाजे की ओट लेकर उसका ही बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को और पेशाब करते हुए देख कर एकदम चुदवासा हुआ जा रहा था। अलका लापरवाही ने दरवाजा खुला छोड़ दी थी क्योंकि अभी-अभी ही वह राहुल को जगा कर आई थी और इसी यह लग रहा था कि इतनी जल्दी राहुल बाथरुम की तरफ नहीं आएगा फिर उसे पेशाब भी तो बड़ी तेज लगी थी की उसे दरवाजे की कड़ी लगाने तक का समय नहीं ले सकी और वह आव देखी ना ताव , झट से गाऊन उठा कर बैठ गई पेशाब करने वो तो अच्छा हुआ कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी वरना पेंटी ही गीली कर देती।
राहुल अभी भी दरवाजे के बाहर खड़ा अपनी फटी आंखों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को घूरे जा रहा था और एक हाथ से अपने तने हुए तंबू को मसले जा रहा था। तभी उसे बुर से आ रही सीटी की आवाज धीमी पड़ती सुनाई देने लगी उसे पता चल गया कि मम्मी की टंकी खाली होने वाली है, और अब यहां ज्यादा देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था क्योंकि मम्मी किसी भी वक्त बाहर आ सकती थी। वह सोच ही रहा था कि तब तक उसकी मम्मी पेशाब करके खड़ी हो गई। राहुल अपनी मम्मी को खड़ी होते देख एकदम से हड़बड़ा गया उसे कुछ सुझ ही नहीं पाया और उसने भी हड़बड़ाहट में हल्के से दरवाजे को बंद किया और दूर जाने का तो मौका था ही नही उसके ईसलिए वह झट से मुंह दुसरी तरफ घुमाकर एेसे खड़ा हो गया की जेसे वह अपनी मम्मी का बाहर निकलने का ईंतजार कर रहा हो।
पेशाब करने के बाद राहुल की मां राहत का अनुभव कर रही थी बहुत कोई गीत गुनगुनाते हुए जैसे ही दरवाजा खोलकर सामने नजर दौड़ाई तो दरवाजे के बाहर राहुल सामने की तरफ मुंह किए हुए खड़ा मिला। राहुल को देखते ही वह बोली।
अरे बेटा तुम उठ गए ।( अपनी मां की आवाज सुनते ही राहुल अपनी मां की तरफ घुमा ।)
कब आए यहां? अच्छा कोई बात नहीं है तुम जल्दी से नहा लो मैंने नाश्ता तैयार कर दीया है , तैयार होकर आओ जल्दी से गरमा-गरम खा लो( इतना कहने के साथ ही जैसे ही उसकी नजर राहुल के पजामे में बने तंबू पर गई तो वह चौंक गई। कब तक राहुल बोला।)
जी मम्मी आप नाश्ता लगाओ मैं झट से नहा कर तैयार होकर आता हूं।
इतना कहने के साथ ही वह बाथरूम का दरवाजा खोलकर झट से बाथरूम में घुस गया। अलका उसे बाथरूम में जाते देखते रह गई। और कुछ देर तक वहीं खड़े खड़े सोचती रह गई कि कहीं राहुल ने से पेशाब करते देख तो नहीं लिया है , वैसे भी तो दरवाजा खुला ही था हो सकता है वह भूल से अंदर झांक लिया हो और मुझे पेशाब करता हुआ देखकर शर्मिंदा होकर वापस बाहर खड़े होकर मेरे बाहर निकलने का इंतजार करने लग गया हो। लेकिन अगर वह मुझे पेशाब करता हुआ देख कर शर्मिंदा हुआ होता तो उसके पजामे में उसका लंड क्यों तनकर खड़ा हो गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह मुझे इस हाल में देखकर उत्तेजित हो रहा हो। ऐसे ढेर सारे सवाल अलका के मन में उसके बेटे को लेकर घूम रहे थे जिसका जवाब ढूंढ पाना उसके लिए मुश्किल हुए जा रहा था। अलका वहीं खड़ी खड़ी रसोई घर में हुई हरकत और आज की घटना को बारी-बारी से टटोल रही थी। लेकीन वह कीसी भी सवाल का जवाब ढुंढ पाने मै असमर्थ साबित हो रही थी। वह वहां से चल कर वापस रसोई घर में आ गई।
राहुल से यह दृश्य देख कर बर्दाश्त नहीं हुआ और वह बाथरुम में घुसते ही अपने सारे कपड़ों को उतारकर एकदम नंगा हो गया। और उसने अपनी मुट्ठी में अपने टनटनाए हुए लंड को भरकर आगे पीछे करके अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा। मुठ मारकर वह जल्दी जल्दी नहा कर तैयार हो गया और गरमा गरम नाश्ता करने लगा। उसकी मम्मी उसे बड़ी अजीब नजरों से देख रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वाकई में उसका लड़का अभी भी मासूम है या अब बड़ा हो चुका है। चेहरे से तो अभी भी वह भोलाभाला ही लगता था लेकिन अपनी हरकतों से बड़ा होने लगा था। खैर तीनों ने साथ मिलकर नाश्ता किया, । राहुल बार-बार छिपी नजरों से अपनी मां को देख ले रहा था।
नाश्ता करते समय ही राहुल ने अपनी मां को बता दिया था कि उसे एक दोस्त के जन्मदिन पर जाना था। तो उसकी मां ने वहां जाने कि उसे इजाजत भी दे दी।
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कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡