नीलू एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी पैंटी भी धीरे-धीरे करके गीली हो चुकी थी तभी तो वह लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए एक हाथ से सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों चुदवासे हो कर चुदाई की आग में झुलस रहे थे। चप्प चप्प की कामुक आवाज नीलू के मुख से निकल रही थी जिससे पूरा क्लास रूम गुंज रहा था। ऐसे अजब से सुख की अनुभूति करके राहुल नीढाल हुए जा रहा था। नीलू तो राहुल के मोटे लंड को पाकर एकदम पगला सी गई थी वह बहुत जल्दी जल्दी अपने मुंह को उसके ऊपर आगे पीछे कर के लंड चुसाई का मजा ले रही थी। उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जिस पर अपनी हथेली को रगड़ रगड़ कर बुर वाली जगह को एकदम गीली कर ली थी।
दोनों लंड चुसाई का भरपूर आनंद उठा रहे थे। राहुल से रहा नहीं जा रहा था’ उसे ऐसा लग रहा था जैसे की उसका लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर हो रहा है। इसलिए राहुल से और ज्यादा सब्र नहीं हुआ और उसने अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए नीलू के सर को दोनों हाथों से थाम लिया’ और आंखों को मुंद़कर जिस तरह से वीनीत की भाभी की बुर में लंड को अंदर बाहर करते हुए पेल रहा था। उसी तरह से नीलू के मुंह में लंड को ठुंसे हुए ही कमर को आगे पीछे करके चलाने लगा।
नीलू और राहुल दोनों को बहुत मजा आ रहा था पल-पल दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी राहुल था कि अब बिना शर्म किए सिसकारी लेते हुए नीलू के मुंह में लंड को पेले जा रहा रहा था।
नीलू भी अपने मुख से गर्म सिसकारी भरी आवाज निकालते हुए अपनी हथेली को बुर पर लगातार रगड़ते जा रही थी। दोनों चरमसुख की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी की आवाज सुनते ही राहुल हड़बड़ा गया हालांकि फिर भी वह नीलू के मोह में धक्के लगाए जा रहा था और नीलू भी लंड को चूसे जा रही थी। नीचे विद्यार्थियों की आवाज बढ़ती जा रही थी जिसकी वजह से राहुल को डर लगने लगा वह नीलू के मुंह से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचने लगा लेकिन नीलू थी की राहुल कै लंड को अपने मुंह से निकालने के लिए तैयार ही नहीं थी। राहुल ने फिर भी जैसे-तैसे करके अपने लंड को नीलू के मुंह से बाहर खींच ही लिया ओर झट से अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा कर बटन बंद कर लिया। राहुल बिना कुछ बोले क्लास से बाहर निकल गया पर नीलू वहीं पर ठगी सी बैठी रह गई। अकेले बैठे वह वहां पर क्या करती वह भी नीचे फर्श पर गिरी अपनी ब्रा उठाई और उसे पहनने लगी’ कमीज पहन ने के बाद वह अभी क्लास से बाहर आ गई।
आज नीलू की अभिलाषा कुछ हद तक पूरी हुई थी। जिसके बारे मैं अब तक कल्पना कर कर के ही अपनी पेंटी को गीली करती आ रही थी आज बहुत दिनों बाद उसे छूने का उसकी गर्मी को महसूस करने का मौका मिला था। और नीलू ने इस मौके का कुछ हद तक फायदा भी उठा ली ,बहुत लडको के लंड को चूस चूस कर नीलू ने अपनी प्यास बुझाई थी। लेकिन आज राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के बावजूद भी उसकी प्यास बुझने के बजाए और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी। उसकी बुर कुलबुला रहीे थेी राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने अंदर लेने के लिए।। इसलिए तो वहां छुट्टी के बाद जैसे ही घर पर पहुंची तुरंत अपने कमरे के अटैच बाथरूम में पूरी तरह से नंगी होकर सावर ली, शावर लेने के बाद अपने बदन को टावल से पोछकर नग्नावस्था में ही अपने बिस्तर पर लेट गई और ना जाने कितनी बार अपनी उंगली से ही अपनी बुर का पानी निकालकर अपने आप को शांत करने की कोशिश करती रही।
राहुल का भी यही हाल था ,एक तो वीनीत की भाभी ने उसके होश पहले से ही उड़ा रखे थे। ऊपर से जो आज नीलू ने क्लासरूम में उसके साथ मुखमैथुन का आनंद प्रदान की थी उस आनंद ने तो राहुल को पागल ही बना दिया था। राहुल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि स्कूल के क्लास रूप में एक सुंदर लड़की उसके अकेलेपन का फायदा उठाते हुए उसके लंड को चूसकर उसे परम आनंद की अनुभूति कराएगी। राहुल अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था। एक खूबसूरत लड़की नीलु जो उसे प्यार करने लगी थी और आज मुखमैथुन जैसे अतुल्य कार्य का आनंद भी दे चुकी थी। और वीनीत की भाभी थी जिसने उसे संभोग सुख दे चुकी थी। जिसने उसे यह एहसास दिलाया कि बुर और लंड के मिलन से जो सुख प्राप्त होता है ऐसा सुख दुनिया में और कहीं भी नहीं प्राप्त होता। और तों और अब तो राहुल के ऊपर उसकी खुद की मां के बदन का आकर्षण भी बनता जा रहा था। अपनी मम्मी के भरावदार बदन के प्रति भी उस का झुकाव बढ़ने लगा था। इन तीनों औरतों के बारे में कल्पना कर करके राहुल ने सारी रात ना जाने कितनी बार हस्तमैथुन करते हुए अपने गरम पानी को निकालकर अपने बदन को शीतलता प्रदान करता रहा।
दूसरी तरफ विनीत था वह अलका के चक्कर में एकदम देवदास हो गया था ,उसकी हालत एकदम मजनू की तरह हो चुकी थी। ना ठीक से खाता था ना पीता था और पढ़ाई में तो उसका मन पहले से ही नहीं था।
यह तो तय था कि यह कोई प्रेम नहीं था बस आकर्षण और वासना का मिला-जुला असर था।
इंसान में वासना गजब का असर दिखाती है। एक बार जब इंसान के अंदर वासना दाखील हो जाती है तो ना उम्र देखती है ना संबंध ना ही रिश्तो का लिहाज ही करती है। अलका उसके परम मित्र की मा थी इस बात से तो विनीत अनजान था लेकिन फिर भी अलका उसके मां की उम्र की थी। उसे अलका की उम्र का भी लिहाज नहीं था, उसे तो बस अलका का खूबसूरत मादक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और सबसे ज्यादा अलका का भरावदार गांड विनीत को भा गई थी। उसे चारों पहर ़ बस अलका ही अलका नजर आती थी। इसलिए पिछले 3 दिनों से रोज शाम के वक्त ऑफिस से लौटने के समय पर अलका की राह तकता रहता था, लेकिन जैसे कि वक्त ने उसकीे तड़प को और ज्यादा बढ़ाने की ठान ली थी इसलिए अलका से उसकी मुलाकात हो ही नहीं पा रही थी। विनीत पूरी तरह से अलका के मोह पास में जकड़ चुका था। अब तो हाल यहां तक हो चुका था कि विनीत को उसकी भाभी की चुदाई करने में भी मजा नहीं आ रहा था, वह जब भी अपनी भाभी की चुदाई करता तो कल्पना में अलका के बदन के बारे में ही सोचते हुए अपनी भाभी को चोदता तब जाकर उसके मन को थोड़ी बहुत शांति मिलती थी।
जबसे विनीत की भाभी ने राहुल का लंड अपनी बुर में ली थी तब से उसे विनीत के लंड से जरा भी मजा नहीं आ रहा था उसकी बुर तड़प रही थी दुबारा राहुल के लंड को लेने के लिए।
अब तो अलका का भी बुरा हाल हो गया था उसकी भी रातें विनीत द्वारा की गई कामुक हरकत की वजह से बिना पेंटि गीली किए नहीं कट रही थी। हालाकी उसने उस दिन की तरह अपनी बुर में उंगली डालकर अपने आप को शांत करने की कोशिश नहीं की थी बल्कि उन विचारों के माध्यम से ही वह अपनी बुर की पुतलियों को अपनी हथेली से रगड़ रगड़ कर आनंद ले रही थी। अलका खुद विनीत की तरफ खींची चली जा रही थी जिसका उसे पता ही नहीं था क्योंकि अब तो जब भी शांत बैठती थी तब उसके दिमाग में विनीत ही घूमता था खास करके बारिश वाली रात की हरकतें। मार्केट से गुजरते समय उसकी भी नजरे विनीत को ही ढूंढती रहती थी ,लेकिन उसकी भी मुलाकात विनीत से नहीं हो पा रही थी। बरसात के दूसरे दिन ही वह मार्केट के एक स्टोर पर गई थी, उसे वीट हेयर रिमूवर लेना था। क्योंकि वह रात को अपनी बुर पर उगे हुए बालों के गुच्छे को देख कर बहुत खराब लगा था और उसे वह क्रीम लगाकर साफ करना चाहती थी इसलिए वीट क्रीम खरीदने का निर्धार वो रात को ही बना ली थी ।स्टोर पर जाने में उसे बहुत ही संकोच हो रहा था। 2. 3 स्टोर तो वह छोड़ चुकी थी क्योंकि वहां पर कुछ ग्राहक पहले से ही जमा हुए थे तो उन लोगों के सामने वीट क्रीम मांगने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी। ऐसे करते करते वह मार्केट खत्म होने के करीब तक पहुंच गई। तभी सामने एक छोटा सा स्टोर दिखा, वहां पर भी पहले से ही दो लड़के खड़े थे। लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर मन में ही फैसला कर ली थी जो होगा देखा जाएगा। आख़िर सभी औरतें लड़कियां इसे खरीदतीे हैं, मैं ही हमेशा क्यों बीट लेते समय इतना शर्माती हुं। इसलिए वह हिम्मत जुटाकर सीधे स्टोर पर पहुंच गई।
और बेधड़क होकर दुकानदार से उसने वीट क्रीम मांग ली, और इधर उधर देखते हुए अपने चेहरे पर आई शर्म के भाव को छुपाने की कोशिश करने लगी।
अमिता के द्वारा बीत क्रीम मांगने पर दुकानदार कबाट की ओर बढ़ गया और पास में ही खड़े दोनों लड़कों ने अलका के मुंह से बीट क्रीम सुने ही थे की उनकी कान के साथ-साथ जांघों के बीच लटक रहा लंड भी खड़ा हो गया। अलका के बदन में गुदगुदि सी मची हुई थी। बीट मांगने के नाम पर ही अलका के बदन में एक रोमांच सा ऊठ रहा था। उसकी पैंटी बीट के नाम पर कब गीली हो गई उसे खुद को पता नहीं चला।
अलका को बीट मांगते देख पास मे हीं खड़े दोनों लड़कों की नजर अलका के बदन पर ऊपर से नीचे तक पड़ी , तभी एक लड़के ने दूसरे लड़के को फुशफुसाते हुए कहा।
यार देख तो सही आज बीट ले जा रही है आज पूरे बाल साफ करके चिकनी कर देगी,उफफफफ…. आज तो जो भी इसकी लेगा पूरी चीभ लगाकर चाट जाएगा। काश हमारी किस्मत में ऐसी होती… । ( इतना कहने के साथ ही दोनों हंसने लगे। अलका उन लड़कों के कमेंट्स सुनकर एकदम शर्मसार हो गई, उसे उन लड़कों पर क्रोध भी आया वह उन लड़कों को डांटना चाहती थी लेकिन शर्म के मारे कुछ कह नहीं पाई, उन लड़कों से ज्यादा उसे उस दुकानदार पर गुस्सा आ रहा था जो क्रीम देने में इतनी देर लगा रहा था। उन लड़कों की गंदी कमेंट सुनकर अलका के बदन में शिहरन सी दौड़ गई थी। उत्तेजना में अलका की बुर फुदकने लगी थी।
वैसे भी अक्सर मर्द लोग औरत के उपयोग में ली जाने वाली हर वस्तु के बारे में कल्पना करना शुरु कर देते हैं।
अगर कोई औरत ब्रा पैंटी लेती होगी तो मर्द लोग कल्पना करने लगते हैं कि वह कैसे ब्रा और पैंटी पहनेगी यै कैसी दिखेगी इसे पहनने के बाद’ हेयर रिमूवर ली तो उसके बारे में कल्पना करना शुरू कर देंगे कि कैसे वह अपनी बुर पर पर वीट लगाकर साफ करके अपनी बुर को चिकनी करेगी यह सब क्या अक्सर हर मर्द ने चलने लगता है।
अलका द्वारा बीट का उपयोग करने की कल्पना उन दो लड़कों में भी चल रही थी। तभी उस दुकानदार ने अलका को क्रीम थमाया और अलका ने तुरंत उसे पैसे देकर वहां से चलती बनी। हालाकि दो-तीन दिन गुजर गए थे लेकिन अलका ने बीट क्रीम का उपयोग नहीं कर पाई थी। बरसों बाद उसके बदन में भी प्यास की फुवार उठ रही थी।
एक दिन अलका ऑफिस से छूटकर अपनी घर की तरफ जा रही थी और जैसे ही मार्केट से होते हुए गुजर रही थी, की वही उसकी राह तकते हुए बैठे विनीत की नजर अलका पर पड़ी और वह दौड़ते हुए अलका के पास गया, अलका की नजर जैसे ही विनीत पर पड़ी वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई लेकिन चेहरे पर बनावटी गुस्सा लाते हुए बोली।
तुम मेरे पास भी मत अाना’ तुम्हें मैं इतना सीधा लड़का समझी थी लेकिन तुम तो शैतान निकले। बीते भरके हो लेकिन तुम्हारी हरकतें एकदम आदमियों की तरह हो गई है। ( अलका उसे खरी-खोटी सुनाते हुए कंधे पर पर्स लटकाए तेजी से चली जा रही थी, और विनीत था कि उससे मिन्नतें करते हुए उसके पीछे पीछे लगा हुआ था। अलका के बीते भरके वाली बात पर वह मन ही मन सोचा की अगर यह आंटी मुझे मौका दे देती तो मे ईसे दिखा देता की यह बीते भर का लड़का इस औरत का तीन चार बार पानी एक ही बार में निकालने की ताकत रखता है। लेकिन अभी तैयार से काम लेना था इसलिए उसके पीछे पीछे मिन्नते करते हुए जा रहा था। वह उसके साथ चलते चलते बोला।
एक बार सुनो तो आंटी मानता हूं मुझसे गलती हो गई पर मेरी पूरी बात तो सुन लो इस तरह से नाराज होकर जाओगी तो कैसे चलेगा।
अब कहने और सुनने के लिए बचा ही क्या है तुम्हे जो करना था कर तो दिया ना। अब क्या है? ( अलका की बात सुनकर उसके मुंह से एकाएक निकल गया।)
कहां आंटी जी ।कहां कुछ कर दिया।
अब यूं भोला मत बन, तुम कितना शैतान हो मैं उस दिन जान गई।
आंटी जी उसी बात की तो मैं आपसे माफी मांगने के लिए कितने दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। ( रास्ते पर एक दूसरे की दलीलों को सुनते हुए दोनों आगे निकल गए यहां रास्ते पर भीड़ कुछ कम थी, इसीलिए वीनीत हिम्मत करके अलका का हाथ थाम लिया, इस तरह से हांथ थामने पर अलका को विनीत पर गुस्सा आ गया और वह झटके से अपना हाथ छुडाते़ हुए बोली
विनीत अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से मेरा हाथ पकड़ने कीे ।
मेरी इस हरकत के लिए माफी चाहता हूं आंटी जी। उस दिन जो हुआ उसके लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। ( विनीत लगभग रुवांसा होते हुए बोला’ दिनेश के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर अलका शांत हुई। और बोली।)
अब क्या कहना चाहते हो । तुम्हे क्या ईसका अंदाजा भी है की अगर ऊस दीन कीसीने जो तुम हरतक कर रहे थे अगर कीसी ने देख लिया होता तो क्या होता, लोग क्या समझते मेरे बारे मे मे तो कीसी को भी मुंह दीखाने के काबिल भी नही रह जाती। ( हल्का बनावटी गुस्सा दिखाते हुए विनीत को बोले जा रही थी। और विनीत भी अब सच में रोने जैसा हो गया था ओर वह भी अपनी सफाई देते हुए बोला।)
माफी तो मांग रहा हूं आंटी जी अब बोलो मे क्या करु’
मेरी ओर गलती के लिए आप जो बोलोगे वह सजा मुझे मंजूर होगी लेकिन उसके पहले मेरी बात तो सुन लो।
( वीनीत की बातें सुनकर अलका एक दम शांत हो गई और वीनीत उसकी खामोशी को उसकी इजाजत समझते हुए बोला।)
आंटी जी उस दिन जो भी हुआ मैं वैसा कुछ भी नहीं करना चाहता था मैं तो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाना चाहता था ताकि आपको बारिश में तकलीफ ना हो. लेकिन आंटी जी आपकी खूबसूरती देखकर मैं बाहक गया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि औरत इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। ( इस बार अलका विनीत को ध्यान से देखने लगी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगी। अलका को वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें अच्छी लगने लगी थी। विनीत जानता था कि अगर किसी औरत को वश में करना हो तो सबसे बड़ा हथियार है उनकी तारीफ करना। अपनी तारीफ सुनकर दुनिया की कोई भी औरत किसी के भी सामने पिघल सकती हैं। और वही अलका के साथ भी हो रहा था। विनीत अलका की तारीफ के पुल बांधता हुआ बोला।)
सच कहूं तो आंटी जी बारिश में भीगने के बाद आप ओर भी ज्यादा खुबसुरत हो गई थी। मैं तिरछी नजर से चोरी छिपे आपके बदन की खूबसूरती को निहार ले रहा था। और आंटी जी तब तो मुझसे और भी अपने आप को संभाला नहीं गया जब आपको संभालते समय अनजाने में मेरा हाथ आप की चूची पर पड़ी थी। ( विनीत के मुंह से चुची शब्द सुनते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया, उसे कुछ पल तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह विनीत क्या कह रहा है, कभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जानबूझकर अलका को उकसाते हुए बोला।)
आंटी जी आपकी चूची जैसे ही मेरे हाथों को छू आई थी मेरा पूरा बदन ऐसा झनझना गय़ा मानो की करंट लग गया हो। इतनी नरम नरम चूची के स्पर्श का एहसास मेरे पूरे वजूद को हिला गया था। ( विनीत जानबूझकर नमक मिर्च लगा कर उनका की तारीफ करते हुए गंदी बातों का सहारा लेकर उसको उकसाने की कोशिश कर रहा था। अलका भी उसकी चिकनी चुपड़ी बातों के बाहाव में बही जा रही थी। कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद अलका फिर से चलने लगी, वीनीत भी उसके पीछे पीछे चलने लगा लेकिन इस बार अलका ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। विनीत फिर से उसके बराबर में चलते हुए बोला।)
आंटी जी आप मेरी बातों से नाराज तो नहीं है ना, देसी आंटी जी मेरे मन में पाप नहीं है लेकिन जो मेरे मन में था वह साफ साफ आपको पूरी सच्चाई बता दिया।
( दिनेश की बातें सुनने के बाद चलते चलते ही अलका का बोली।)
तुम्हें नहीं लगता है कि तुम्हारी यह बातें और तुम्हारी की गई हरकतें दोनों गंदी हैं।
मैं कब कह रहा हूं आंटी जी कि मैंने जो कुछ भी किया वह सब ठीक था। आप की जगह पर अगर कोई और होती तो मेरी इन हरकतो की वजह से मेरे गाल पर थप्पड़ रसीद कर दी होती’ और तो और मैं हैरान हूं कि अब तक मेरे गाल लाल क्यों नहीं हो गए।
( वीनीत की इस बात पर अलका को हंसी आ गई’ और अलका की हंसी को देखकर विनीत अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसने बहुत कुछ साफ-साफ बोल दिया था जो कि एकदम खुले शब्दों में था फिर भी अलका की हंसी से साफ जाहिर हो रहा था कि वह उसकी बातों को सुनकर नाराज नहीं थी। इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह फिर से अलका की तारीफ में दो शब्द और जोड़ते हुए बोला।)
आंटी जी आप सच बताइए आप नाराज तो नहीं है ना।
देखो विनीत नाराजगी का तो कोई सवाल ही नहीं उठता जो भी तुम कर रहे हो ये सब सही नहीं है।
आंटी जी मैं जानता हूं कि ऐसा सही नहीं है लेकिन उसके लिए बारिश की वजह से बहक गया था खास करके आपके भीगे हुए बदन को देख कर, मैं आपको पहले भी बता चुका हूं कि मैंने आपसे ही खूबसूरत औरत कभी नहीं देखा। उस दिन अगर मैं आपके होठों का रास्ता ना किया होता तो मैं अपना होश कभी नहीं खोता, और ना ही आपके गुलाबी हो तो के मधुर रस की वजह से मेरे होश खोते ओर न मैं आपकी इन( आंखों से इशारा करते हुए) बड़ी बड़ी चुचियों को अपनीे हथेली में भर कर दबाता। और ना ही आपकी साड़ी को आपकी कमर तक उठा कर आपकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने की जुर्रत करता। इसमें आपका ही दोष है ।
( कल का दिन एक की इन बातों को सुनकर एकदम भोंचक्की सी हो गई उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था की वह जो सुन रही है ना कोई उसके बेटे के हमउम्र का लड़का ही है। जो खुद उससे इतनी गंदी बातें कर रहा है। अलका को गुस्सा भी आ रहा था लेकिन विनीत की इन बातों में अश्लीलता के साथ-साथ उसकी खुद की तारीफ भी छुपी हुई थी इसलिए उसे यह सब सुनने में अच्छा भी लग रहा था। विनीत का जवाब सुनकर उसे क्या कहना है ये उसे सुझ ही नहीं रहा था, फिर भी वह बोली।)
तुम पागल हो गए हो क्या यह तो वही हो गया आपकी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। गलती भी खुद कर रहे हो ओर गलती का दोष दूसरे के सर मथ रहे हो।
कैसी गलती आंटी जी मैं आपसे प्यार करने लगा हूं आई लव यू( वीनीत ने बिना एक पल गंवाए एक सांस में ही सब कुछ बोल दिया। उसकीे बात सुनकर अलका एकदम से स्तब्ध रह गई उसे इस बात पर गुस्सा करें कि ना करें कुछ समझ नहीं पा रहीे थी। वह मन में बहुत कुछ सोचने लगी। मेरे बेटे का हम उम्र होकर मुझे से कैसी बातें कर रहा है। इसे कुछ समझ हे कि नहीं, विनीत के प्रपोजल का जवाब देते हुए अलका बोली।)
तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,
अरे अपनी उम्र देखो ओर मेरी उम्र देखो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।
आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं देखा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।
फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं’ मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।
( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू ,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे देखता रह गया, वीनीत की नजर फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ‘ अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी डाटेंगी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को देखने लगा जहां से अलका रोज आती जाती थी ‘ ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।
रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ देखता था तो बस नोचने और खसोटने जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।
अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी देखने को मिल रहा था क्योंकि आज से बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुंह में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी’ और उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब देख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छुआ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य लग रही थी’ और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था। सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर सोनू बोला।
भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया’ राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)
राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।
राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को देखकर उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।
ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।
( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की ‘ उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी देर नही लगी की उसकी गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें, राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।
अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को देख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता
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कौन है ये बद्तमीज़? मा***द गाली फिट है इसके लिए! 😡